आदेश की अवहेलना में क्यों न राज्य व केंद्र के अधिकारियों को दंडित किया जाए : हाईकोर्ट
कारण बताने में नाकाम रहने पर अफसरों को तलब कर तय किए जा सकते हैं आरोप
प्रदेश की 3.72 लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं के ग्रेच्युटी भुगतान का मामला
लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने अवमानना के मामले में प्रदेश की 3.72 लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को ग्रेच्युटी का भुगतान न किए जाने पर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने मामले में पक्षकार बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की सचिव बी चंद्रकला समेत अन्य अफसरों को नोटिस जारी कर कारण पूछा है कि आखिर रिट कोर्ट की जानबूझकर अवज्ञा के लिए उन्हें क्यों न दंडित किया जाए? कोर्ट ने चेतावनी दी कि कारण बताने में नाकाम रहने पर इन अफसरों को तलब कर इनपर अवमानना के आरोप तय किए जा सकते हैं।
न्यायमूर्ति राजीव सिंह की एकल पीठ ने यह आदेश उत्तर प्रदेश महिला आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर दिया। याची संघ की अधिवक्ता अभिलाषा पांडेय का कहना था कि पहले अन्य याचिका पर रिटकोर्ट ने 15 दिसंबर 2023 को राज्य और केंद्र सरकार के अफसरों को सभी अर्ह आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को ग्रेच्युटी का भुगतान 4 माह के भीतर किए किए जाने का निर्देश दिया था।
संघ की ओर से बार-बार अनुरोध के बावजूद, सरकार ने आदेश के 5 माह बीत जाने के बाद भी इस आदेश का पालन नहीं किया। इसके खिलाफ संघ ने यह अवमानना याचिका दाखिल की। इस पर कोर्ट ने कड़ा रुख् अपनाते हुए केंद्र में महिला बाल विकास विभाग मंत्रालय के सचिव और राज्य सरकार के सचिव और अन्य अफसरों को नोटिस जारी कर पूछा है कि उन्हें आदेश की अवज्ञा के लिए दंडित क्यों न किया जाय। साथ ही चेताया कि कारण बताने में नाकाम रहने पर केंद्र और राज्य के अधिकारियों को तलब कर उनके खिलाफ आरोप तय किए जा सकते हैं। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 26 जुलाई को नियत की है।
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