कम नामांकन के लिए विभागीय नीतियां भी जिम्मेदार, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने महानिदेशक से मिलकर दर्ज कराई आपत्ति और सौंपा ज्ञापन
बेसिक शिक्षा विभाग प्रत्येक शैक्षिक सत्र में नए आदेश जारी करके शिक्षकों के लिए नई मुसीबत खड़ी कर देता हैं। शिक्षक यदि अपने आला अधिकारियों के फरमान का पालन न करें तो वेतन कटौती अथवा निलंबन जैसी कार्यवाही का दंश झेलने को तैयार रहे।
पिछले कई शैक्षिक सत्रों में बेसिक शिक्षा विभाग ने परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की नामांकन की उम्र 5 प्लस वर्ष तय की थी, लेकिन वर्तमान शैक्षणिक सत्र में 6 वर्ष की आयु कर दी गई है। जिसको लेकर गांवों में नामांकन के लिए गुरु जी को बच्चे ढूढ़े नही मिला रहे है।
उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश के प्रतिनिधि मंडल ने प्रांतीय अध्यक्ष सत्य प्रकाश मिश्र के नेतृत्व में महानिदेशक स्कूल शिक्षा उत्तर प्रदेश, शिक्षा निदेशक (बेसिक) उत्तर प्रदेश एवं सचिव बेसिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश से भेंटकर उन्हें शिक्षक समस्याओं से संबंधित ज्ञापन सौंपा।
प्रतिनिधि मंडल ने महानिदेशक को अवगत कराया, कि कक्षा 1 में नामांकन हेतु बच्चों की निर्धारित आयु 6 वर्ष कर दी गई है। जबकि पिछले वर्ष नामांकन की आयु 5 वर्ष प्लस थी। अतः वर्तमान सत्र में 6 वर्ष की आयु के बच्चे मिल पाना प्रायः संभव नही हो पा रहा है।
अधिकारियों द्वारा कम नामांकन पर शिक्षकों के विरुद्ध कार्यवाही भी की जा रही है, जो की घोर आपत्ति जनक है। संगठन ने कहा कि कम नामांकन के लिए मात्र शिक्षकों को दोषी माना जाना कतई उचित नही है। इसके लिए विभाग की नीतियां भी जिम्मेदार हैं।
संगठन ने अपेक्षित नामांकन लक्ष्य प्राप्त करने हेतु प्रत्येक विद्यालय में अनिवार्य रूप से बालवाटिका संचालित करने, वर्तमान निर्धारित आयु में शिथिलता प्रदान करने, कक्षावार शिक्षकों की नियुक्ति करने की मांग की है।
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