बीएड की पढ़ाई से हुआ मोहभंग, सीटों से भी कम आवेदन आए, सरकारी नौकरी की उम्मीद कम होने का दिख रहा असर
पहले सीटों के मुकाबले होते थे दोगुने और तीन गुने आवेदन
2500 से ज्यादा कॉलेजों में 2.45 लाख सीटें, 2.23 लाख आवेदन आए हैं इस साल
लखनऊ: सरकारी नौकरी की उम्मीद कम हुई तो वीएड की पढ़ाई से युवाओं का मोहभंग साफ नजर आ रहा है। वीएड में दाखिले के लिए इस साल महज 2.23 लाख आवेदन आए हैं। ये कुल सीटों की संख्या से भी कम हैं। पिछले साल सीटों कुल सीटों के मुकावले दो गुना आवेदन आए थे। उससे पहले तीन गुना तक आवेदन आते थे।
ऐसे कम हुए आवेदन : वीएड की पढ़ाई का क्रेज काफी तेजी से बढ़ा और नए- नए कॉलेज भी खुले। इस समय भी यूपी में बीएड के 2500 से ज्यादा कॉलेज हैं और 2.45 लाख से ज्यादा सीटें हैं। इतनी सीटें होते हुए भी दाखिलों के लिए मारामारी होती थी। सीटों के मुकाबले तीन गुना तक आवेदन आते थे।
वीएड में 2021 में 2.51 लाख सीटों के मुकाबले 5.91 लाख आवेदन आए थे। वहीं 2022 में 2.25 सीटों के मुकावले 6.67 लाख आवेदन आए। उसके बाद पिछले साल से संख्या में कुछ गिरावट आई और 2.45 सीटों के मुकाबले 4.74 लाख ही आवेदन आए। इस साल अचानक वड़ी गिरावट देखने को मिली है। आवेदन की अंतिम तिथि वीत चुकी है। कुल 2.45 सीटों के मुकाबले महज 2.23 लाख ही आवेदन आए हैं।
15-20 फीसदी सीटें भरने की भी उम्मीद नहीं : दो साल पहले तक जव तीन गुना आवेदन आते थे, तव भी काउंसलिंग के जरिए कुल सीटों के मुकावले आधी ही भर पाती थीं। 2021 में 2.51 लाख में से 1.19 लाख और 2022 में 2.25 लाख में से 1.36 लाख सीटें भरी थीं। पिछले साल 61 हजार सीटें ही भर पाई थीं। यह कुल सीटों 25 फीसदी से भी कम थीं। इस वार तो सीटों के वरावर आवेदन भी नहीं आए हैं।
ऐसे में वीएड कॉलेज प्रबंधक परेशान हैं। उनको आशंका सता रही है कि 15-20 प्रतिशत सीटें भी भर पाएंगी कि नहीं। इस वारे में उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित महाविद्यालय असोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष विनय त्रिवेदी कहते हैं कि स्थिति वहुत खराब है। नौकरी की उम्मीद न होना वड़ी वजह है। स्थिति तभी सुधर सकती है जव हाईस्कूल और इंटर कॉलेजों में समय पर भर्तियां हों।
क्यों हुआ मोहभंग?
पिछले साल बीएड और बीटीसी में दाखिलों की प्रक्रिया चल रही थी तभी सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी किया कि पांचवीं तक पढ़ाने के लिए बीएड वाले अर्ह नहीं होंगे। वहीं इंटर कॉलेजों और हाईस्कूलों का हाल ये है कि माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड 2011 के बाद से भर्तियां ही नहीं कर सका है। निजी स्कूलों में शिक्षक भर्ती के लिए बीएड की अर्हता को सख्ती से लागू नहीं किया जाता। ऐसे में हर तरफ से नौकरी की उम्मीद कम हो गई तो बीएड की पढाई से मोहभंग हो गया।
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