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Tuesday, May 28, 2024

वित्तपोषित विद्यालय से सेवानिवृत्त अध्यापक संपूर्ण सेवाकाल के लिए पेंशन के लाभ का है हकदार – हाईकोर्ट

वित्तपोषित विद्यालय से सेवानिवृत्त अध्यापक संपूर्ण सेवाकाल के लिए पेंशन के लाभ का है हकदार – हाईकोर्ट 



प्रयागराज। हाईकोर्ट ने कहा है कि स्ववित्त पोषित से वित्त पोषित हो चुके विद्यालय से सेवानिवृत अध्यापक पूरे सेवाकाल के सेवानिवृत्ति का लाभ पाने का हकदार है। कोर्ट ने याची को पुनरीक्षित पेंशन प्रदान करने का आदेश दिया है। यह शर्त भी लगाई है कि याची अध्यापक को इस दौरान प्रबंधन कोटे का जीपीएफ अंशदान ब्याज सहित जमा करना होगा। यह आदेश न्यायमूर्ति  जेजे मुनीर ने फर्रुखाबाद के याची अध्यापक रामपाल सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।


अधिवक्ता विनय शर्मा ने बताया कि याची टैगोर विद्यालय फर्रुखाबाद में वर्ष 1977 में नियुक्त हुआ। बीएसए ने 1979 में उसकी नियुक्ति को अनुमोदित कर दिया। यह गैर वित्त पोषित प्राइवेट विद्यालय था। 1983 में विद्यालय को उच्चीकृत करके हाईस्कूल कर दिया गया और उसे मान्यता प्राप्त हो गई। इसके बाद याची सीटी ग्रेड में प्रोन्नत हो गया। फरवरी 1996 से विद्यालय ग्रांट इन एड पर आ गया। कर्मचारी व अध्यापकों को राज्य सरकार से वेतन मिलने लगा। 2002 में उसका स्थानांतरण आगरा के नेशनल मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल में कर दिया गया, जहां से वह 2015 में रिटायर हुए। 


डिप्टी डायरेक्टर माध्यमिक शिक्षा आगरा में उसकी पेंशन योग्य सेवा वर्ष 2022 से 2015 अर्थात मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल में स्थानांतरित होने से रिटायर होने की तिथि तक ही पेंशन के लिए जोड़ी गई। याची ने इस संबंध में अधिकारियों को प्रत्यावेदन दिया था। लेकिन, उसको यह कहते हुए लाभ नहीं दिया गया कि शासनादेश में जीपीएफ अंशदान जमा करने की कट ऑफ डेट 24 अप्रैल 2001 दी गई है। याची का अंशदान जमा नहीं हुआ। 


याची की ओर से कहा गया कि वह मैनेजमेंट का अंशदान ब्याज सहित देने को तैयार है। कोर्ट ने याचिका निस्तारित करते हुए कहा कि याची की सेवाएं 1964 की सेवा नियमावली से संचालित होगी न कि 1961 की नियमावली से। 2001 के शासनादेश जैसा एक अन्य शासनादेश हाईकोर्ट पहले ही रद्द कर चुका है। 




शिक्षक की पूरी सेवा पेंशन लाभ में जोड़ने का निर्देश


प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैर वित्त पोषित विद्यालय में नियुक्त अध्यापक को उसके पेंशन लाभ में पूरी सेवा जोड़े जाने का हकदार माना है क्योंकि विद्यालय बाद में वित्त पोषित हो गया और अध्यापक वित्त पोषित विद्यालय से रिटायर हुआ। कोर्ट ने अध्यापक की नियुक्ति अनुमोदित होने की तिथि से उसके रिटायर होने की तिथि तक की पूरी सेवा को जोड़ते हुए माध्यमिक शिक्षा विभाग को पेंशन पुनरीक्षित करने का निर्देश दिया है। साथ ही कोर्ट में यह शर्त लगाई है कि अध्यापक मैनेजमेंट कोटे का जीपीएफ अंशदान ब्याज सहित जमा करेगा। 


फर्रुखाबाद के रामपाल सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने याची की अधिवक्ता विनय शर्मा को सुनकर दिया। याचिका में कहा गया कि याची टैगोर विद्यालय फर्रुखाबाद में वर्ष 1977 में नियुक्त हुआ तथा बीएसए ने 1979 में उसकी नियुक्ति को अनुमोदित कर दिया। यह गैर वित्त पोषित प्राइवेट विद्यालय था। 1983 में विद्यालय को उच्चीकृत कर हाईस्कूल कर दिया गया तथा उसे मान्यता प्राप्त हो गई। याची सीटी ग्रेड में प्रोन्नत हो गया।

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