परिषदीय स्कूलों में प्रवेश आयु सीमा बदलने की तैयारी
परिषदीय स्कूलों में बच्चों की कम संख्या की समस्या से निजात पाने के लिए विभाग अपने ही एक आदेश को बदलने की तैयारी में है। यह आदेश प्रवेश के समय बच्चों की आयु सीमा को लेकर था। इसके तहत स्कूलों में उन्हीं बच्चों का प्रवेश लिया जाना था, जिनकी उम्र एक अप्रैल से सत्र शुरू होते समय 6 साल की हो चुकी है। हालांकि स्कूल चलो अभियान की वांछित प्रगति न हो पाने की स्थिति में इसकी समीक्षा की जा रही है।
एक अप्रैल से शुरू हुए बेसिक शिक्षा विभाग के नए सत्र के साथ ही प्रवेश उत्सव की भी शुरुआत हो गई। हालांकि पूरे प्रदेश के किसी भी जिले में प्रवेश का टारगेट पूरा नहीं हो सका। प्रवेश कार्यों में लगे शिक्षकों ने बताया कि बेसिक शिक्षा निदेशक ने सत्र शुरू होने से पहले ही आदेश दिया था कि इस साल उन्हीं बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिया जाएगा, जिनकी उम्र एक अप्रैल तक 6 साल हो चुकी हो। इससे छोटे बच्चों को आंगनबाड़ी में भेजा जाए। आयुसीमा तय हो जाने के कारण मुश्किलें बढ़ गईं और प्रवेश कम हो गए।
बेसिक शिक्षा विभाग अब इस नियम को बदलने की तैयारी कर रहा है। 6 वर्ष के नियम में कुछ महीनों की ढील दी जा सकती है।
दाखिले की उम्र सीमा में तीन महीने की छूट देगी सरकार! 01 जुलाई को 6 साल की उम्र पूरी करने वाले बच्चों को पहली कक्षा में एडमिशन देने की तैयारी
लखनऊ : पहली कक्षा में दाखिले के लिए उम्र सीमा में तीन महीने की छूट मिल सकती है। प्रदेश सरकार जल्द इस बारे में निर्णय लेगी। इसके बाद एक जुलाई को छह साल की उम्र पूरी करने वालों को भी दाखिला मिल सकता है। इससे पहले एक अप्रैल को छह साल की उम्र पूरी करने वालों को ही दाखिला देने का निर्णय लिया गया था।
इसलिए तय हुई थी अप्रैल की समय सीमा
पूरे देश में नियम है। कि पहली कक्षा में छह साल से कम उम्र में दाखिला न लिया जाए। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत यह नियम पहले से लागू है। अब नई शिक्षा नीति में इसे सख्ती से लागू करने की बात कही गई है। पिछले साल भी केंद्र ने सभी राज्यों को इस बाबत निर्देश दिए थे। इसके बावजूद कुछ राज्यों ने कम उम्र के बच्चों को दाखिला दिया था। इसे देखते हुए यूपी में भी प्रदेश सरकार ने इसे सख्ती से लागू किया।
यूं उठी उम्र सीमा में छूट की मांग
पहले यूपी बोर्ड और बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों का सत्र जुलाई से शुरू होता था। ऐसे में जुलाई में छह साल की उम्र लागू होती थी। चूंकि अब बेसिक शिक्षा परिषद और यूपी बोर्ड का सत्र भी एक अप्रैल से शुरू हो जाता है। ऐसे में प्रदेश सरकार ने सख्त निर्देश दिए कि एक अप्रैल को जिनकी उम्र छह साल पूरी हो चुकी है, उनको ही दाखिला दिया जाए।
उधर, सरकार यह भी चाहती है कि स्कूलों में छात्र संख्या बढ़े। शिक्षकों पर अधिक दाखिले करने का दबाव है। इस वजह से उम्र सीमा में छूट देने की मांग उठ रही थी। इसे देखते हुए शासन स्तर पर यह सहमति बन चुकी है कि केंद्र से विशेष अपील करके जुलाई में छह साल पूरे करने वाले बच्चों को दाखिला दिया जाए। जल्द इसका शासनादेश जारी किया जा सकता है।
समझिए! क्यों बदलना पड़ रहा निर्णय?
एक अप्रैल को नया सत्र तो शुरू हो गया, लेकिन कुछ दिन पढ़ाई के बाद फिर छुट्टी हो गई। इसके बाद जून अंत से जुलाई की शुरुआत तक स्कूल चलो अभियान चलाया जाता है। बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में तभी ज्यादातर दाखिले होते हैं। ऐसे में एक अप्रैल को छह साल की उम्र पूरी करने के नियम से दिक्कत यह आ रही थी कि जुलाई में जो बच्चे दाखिला लेंगे उनकी उम्र छह साल से तीन महीने ज्यादा हो चुकी होगी। इससे जून-जुलाई में दाखिले नहीं होंगे। वैसे भी बेसिक स्कूलों में सत्र 2022-23 की तुलना में 2023-24 में बच्चों की संख्या 24 लाख कम हो गई थी। छह साल उम्र के नियम से छात्र संख्या में और कमी आती। इसी वजह से उम्र सीमा में ढील देने की तैयारी है।
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