पदोन्नति में 32 साल बाद संसोधन कर बीईओ कोटा बढ़ाने के निर्णय का विरोध शुरू
■ कोटा 17 से 34% नहीं करने की मांग
■ राजकीय शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
प्रयागराज । उत्तर प्रदेश शैक्षिक (सामान्य शिक्षा संवर्ग) सेवा नियमावली 1992 में पुरुष शाखा, महिला शाखा एवं निरीक्षण शाखा (खंड शिक्षाधिकारियों) के पदोन्नति कोटे में 32 साल बाद संशोधन के निर्णय का विरोध शुरू हो गया है। आपके अपने अखबार 'हिन्दुस्तान' में बुधवार के अंक में इस आशय का समाचार प्रकाशित होने के बाद शिक्षक संगठनों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर शिक्षा विभाग के अफसरों से आपत्ति दर्ज की है।
राजकीय शिक्षक संघ बीपी सिंह के प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को लखनऊ में अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार और माध्यमिक शिक्षा निदेशक महेंद्र देव से मुलाकात कर मांग पत्र सौंपा। गुट के महामंत्री डॉ. रवि भूषण का कहना है कि राजकीय इंटर कॉलेज में प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नति के लिए न्यूनतम तीन साल का शिक्षण अनुभव अनिवार्य है जबकि खंड शिक्षाधिकारी यह शर्त पूरी नहीं करते।
उन्होंने खंड शिक्षा अधिकारी और प्रवक्ता जीआईसी पद परस्पर स्थानान्तरणीय बनाते हुए दोनों की आमेलित वरिष्ठता सूची जारी करने की भी मांग की है। राजकीय शिक्षक संघ पांडेय गुट के प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर प्रसाद पांडेय ने अपर मुख्य सचिव को पत्र भेजकर पदोन्नति कोटे में संशोधन का विरोध किया है।
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