माध्यमिक शिक्षकों का नियमितीकरण न करने के खिलाफ 53 याचिकाएं मंजूर, सभी याची शिक्षकों को सेवा में बहाल रखकर वेतन देने के आदेश
हाईकोर्ट ने क्षेत्रीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों के आदेशों को किया रद्द
सभी मामलों को क्षेत्रीय समितियों को नए आदेश देने को वापस भेजा
लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने प्रदेश के माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों के नियमितीकरण मामले में अहम फैसला दिया है। कोर्ट ने माध्यमिक शिक्षकों का नियमितीकरण न करने के खिलाफ दायर 53 याचिकाएं मंजूर कर क्षेत्रीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों के आदेशों को रद्द कर दिया। इन आदेशों में शिक्षकों के नियमितीकरण से इन्कार किया गया था। कोर्ट ने सभी मामलों को क्षेत्रीय समितियों को तीन माह में नए आदेश देने के लिए वापस भेजा है। साथ ही सभी याची शिक्षकों को सेवा में बहाल रखकर वेतन देने के आदेश दिए हैं।
न्यायमूर्ति श्रीप्रकाश सिंह की एकल पीठ ने शुक्रवार को यह आदेश अवधेश कुमार पांडेय समेत अन्य शिक्षकों की 53 याचिकाओं को मंजूर करते हुए दिया। याचिकाओं में क्षेत्रीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों की अध्यक्षता वाली क्षेत्रीय समितियों के उन आदेशों को चुनौती दी गई थी, जिनमें याची शिक्षकों के सेवा में नियमितीकरण को खारिज कर दिया गया था।
शिक्षकों का कहना था कि 23 मार्च 2016 से अधिनियम में 33-जी धारा जोड़ी गई। इसके तहत क्षेत्रीय समिति को याचियों के नियमितीकरण मामले में गहराई से परीक्षण करना चाहिए था। दलील दी गई कि क्षेत्रीय समितियों ने इस कानूनी प्रावधान की उपेक्षा की और रिकॉर्ड देखे बिना नियमितीकरण खारिज करने का आदेश दिया। उधर, सरकारी वकील ने याचिकाओं का विरोध किया।
कोर्ट ने मामले में कई नजीरों का हवाला देकर कहा कि सभी मामलों में नियमितीकरण खारिज करने के आदेश, संबंधित प्रबंध समितियों और जिला विद्यालय निरीक्षकों से बिना रिकार्ड मांगे एक ही तरह से पारित किए गए, जो त्रुटिपूर्ण हैं। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने याचिकाओं में चुनौती दिए गए आदेशों को रद्द कर याचिकाएं मंजूर कर लीं।
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