बिना मान्यता के स्कूलों का संचालन बच्चों से खिलवाड़
गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों पर की गई कार्रवाई की हाईकोर्ट ने मांगी रिपोर्ट
प्रदेश सरकार को चार सप्ताह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश
प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में बिना मान्यता के चल रहे प्राथमिक विद्यालयों की प्रदेश सरकार से जानकारी मांगी है। कोर्ट ने यह भी पूछा है कि ऐसे विद्यालयों पर सरकार क्या कार्रवाई कर रही है। कोर्ट ने इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देते हुए कहा कि बिना मान्यता के स्कूलों का संचालन बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ है।
लाखीमपुर खीरी के इहू की जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति आलोक माथुर और न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने यह आदेश दिया। कोर्ट ने प्रदेश सरकार को चार सप्ताह में रिपोर्ट को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। जनहित याचिका में शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 व उत्तर प्रदेश निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार नियम 2011 के तहत मान्यता प्राप्त किए बिना चलाए जा रहे स्कूलों पर कार्रवाई की मांग की गई है।
गैर मान्यता चल रहे स्कूलों और उनके खिलाफ कार्रवाई पर सरकार रिपोर्ट दे – हाईकोर्ट
लखीमपुर खीरी की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने दिया आदेश, अगली सुनवाई 24 को
13 जुलाई 2024
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट गैर मान्यता चल रहे स्कूलों व उनके खिलाफ की गई कार्रवाई के संबंध में प्रदेश सरकार से चार सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। यह आदेश न्यायमूर्ति आलोक माथुर और न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की पीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हुए आदेश दिया है। अगली सुनवाई 24 जुलाई को होगी।
लखीमपुर खीरी निवासी इदू ने जनहित याचिका दायर कर अधिनियम 2009 व उत्तर प्रदेश निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार नियम 2011 से बिना - मान्यता चल रहे स्कूलों पर कार्रवाई की मांग की। कोर्ट को बताया था कि बिना मान्यता वाले स्कूलों के संचालन के संबंध में प्रमुख सचिव, शिक्षा, उप्र लखनऊ से शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके बाद जनहित याचिका दायर की।
हाईकोर्ट ने कहा कि जनहित याचिका में उठाया गया मुद्दा लखीमपुर खीरी से संबंधित है, लेकिन यह पूरे राज्य के लिए प्रासंगिक है। बिना मान्यता चल रहे स्कूल बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा, बिना मान्यता वाले स्कूलों पर क्या कारवाई की?
प्रदेश में आरटीई से मान्यता लिए बगैर चल रहे स्कूलों पर हाईकोर्ट सख्त
राज्य सरकार से चार हफ्ते में जवाब के साथ मांगी कार्रवाई रिपोर्ट
29 जून 2024
लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने प्रदेश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) से बगैर मान्यता के चल रहे बेसिक स्कूलों के मामले में सख्त संज्ञान लिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि ऐसे स्कूलों पर क्या कारवाई की गई है? कोर्ट ने इस मामले में दाखिल जनहित याचिका पर चार हफ्ते में राज्य सरकार के अफसरों को जवाब के साथ कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति आलोक माथुर और न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने लखीमपुर खीरी जिले के इदू की याचिका पर दिया। याचिका में ऐसे स्कूलों के चलाने का मुद्दा ठाया गया है जो आरटीई अधिनियम 2009 और इसके 2011 में बने नियमों के तहत बगैर मान्यता लिए चलाए जा रहे हैं।
याची ने ऐसे सभी स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आग्रह किया है। याची का कहना था कि बिना मान्यता वाले स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य खराब हो सकता है। इस मामले की खबरें प्रकाशित होने के बाद उसने शासन से इसकी शिकायत की लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं हुई।
याची ने याचिका में पहले सिर्फ लखीमपुर खीरी जिले में चल रहे ऐसे स्कूलों का मुद्दा उठाया था। लेकिन, कोर्ट ने मामले की अहमियत को देखते हुए संज्ञान लेकर याचिका का क्षेत्र पूरे प्रदेश के लिए बढ़ा दिया। कोर्ट ने कहा प्रदेश में ऐसे बहुत स्कूल हैं जो बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि आरटीई अधिनियम 2009 की धारा 18 में खास तौर पर प्रावधान है कि सरकारी स्कूलों के अलावा, ऐसा कोई भी स्कूल संबंधित प्राधिकारी से मान्यता लिए बगैर चलाया नहीं जायेगा।
कोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ याचिका पर चार हफ्ते में अफसरों को जवाब के साथ कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया। साथ ही मामले की अगली सुनवाई 24 जुलाई को नियत की है।
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