'समय से नहीं मिलतीं किताबें कैसे हो सीबीएसई से मुकाबला? प्रदेश भर से आए प्रधानाचार्यों ने यूपी बोर्ड एडेड स्कूलों की बताई समस्याएं
लखनऊ: उत्तर प्रदेश प्रधानाचार्य परिषद की बैठक में प्रदेश भर से आए एडेड कालेजों के प्रधानाचार्यों ने अपनी समस्याओं को माध्यमिक शिक्षा निदेशक डा. महेंद्र देव के सामने रखा। प्रधानाचार्यों ने बताया कि यूपी बोर्ड के एडेड स्कूलों को जुलाई तक बेसिक शिक्षा विभाग से छठी से आठवीं कक्षा की सरकारी किताबें नहीं मिलतीं। नौवीं से 12वीं कक्षा की एनसीईआरटी की किताबें भी समय पर उपलब्ध नहीं हो पातीं।
इन स्कूलों में शिक्षक और शिक्षणेतर कर्मचारियों की कमी और अन्य मूलभूत समस्याओं के चलते सीबीएसई और आइसीएसई स्कूलों से मुकाबला करना मुश्किल हो रहा है।
डिप्लोमा इंजीनियर संघ भवन में आयोजित बैठक में परिषद के अध्यक्ष डा. हरेंद्र कुमार राय और मंत्री सुखपाल सिंह तोमर ने तदर्थ प्रधानाचार्यों को नियमित करने, फीस बढ़ाने का शासनादेश जारी करने, स्कूलों का बिजली बिल माफ करने, प्रधानाचार्यों को चिकित्सा सुविधा देने और प्रबंध समिति के हस्तक्षेप को खत्म करने, सिटीजन चार्टर लागू करने जैसी कई मांगें रखीं। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डा. महेंद्र देव ने बताया कि फीस बढ़ोतरी की सैद्धांतिक सहमति बन गई है और इसे जल्द ही लागू किया जाएगा। 15 अगस्त से सिटीजन चार्टर लागू करने की तैयारी भी की जा रही है।
सरकार एडेड स्कूलों को पहली बार भवन निर्माण के लिए 75 प्रतिशत अनुदान दे रही है, जिसमें स्कूल 25 प्रतिशत स्थानीय या जनप्रतिनिधियों के निधि से व्यवस्था कर इस अनुदान लाभ उठा सकते हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकारी किताबें और एनसीईआरटी आधारित सस्ती किताबें एडेड कालेजों को समय पर उपलब्ध कराई जाएंगी। बैठक में अलग-अलग जिलों से आए प्रधानाचार्यों ने जिला विद्यालय निरीक्षक और प्रबंधकों से हो रही परेशानियों को भी बताया।
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