उत्तर प्रदेश विधानसभा में शिक्षामित्रों और रसोइयों आदि के मानदेय बढ़ाने की मांग पर सरकार का जवाब - मानदेय बढ़ाने पर नहीं हो रहा है विचार
यूपी : शिक्षामित्रों की तुलना पशुओं से करने पर हंगामा, सरकार ने दिया जवाब- मानदेय बढ़ाने पर नहीं हो रहा है विचार
सीएम योगी बोले: आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, रसोइया, सहायिका की आय पर फोकस, बेसिक शिक्षा मंत्री बोले- नहीं बढ़ेगा रसोइयों का मानदेय
मदरसा शिक्षकों का समायोजन करने पर सरकार नहीं कर रही विचार
परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की डिजिटल अटेंडेंस, शिक्षामित्रों व अनुदेशकों के मानदेय बढ़ाने और मदरसा शिक्षकों की खराब स्थिति का मुद्दा उठाया
Shikshamitras in UP: विधानसभा में मंगलवार को शिक्षामित्रों के मानदेय का मुद्दा उठा। इन्हीं बातों के बीच शिक्षामित्रों की तुलना पशुओं से करने पर हंगामा हो गया।
सपा सदस्य समरपाल सिंह विधानसभा में शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने को लेकर पूछे गए सवाल के दौरान एक मंत्री के घर का किस्सा सुनाने लगे। उन्होंने कहा कि एक मंत्री के घर पर गया तो नौकर कुत्ते को सहला रहा था। मैंने पूछा कि इस पर कितना खर्च आता है तो उसने 20 हजार रुपये महीना बताया। सरकार शिक्षामित्रों को केवल 10 हजार रुपये दे रही है। इससे उनका भरण-पोषण और बच्चों की पढ़ाई कैसे होगी।
इसके जवाब में बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि सपा सदस्य ने शिक्षामित्रों की तुलना पशुओं से की, जिसकी मैं निंदा करता हूं। इनकी सरकार में शिक्षा मित्रों को महज 3500 रुपये मिलते थे। सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें शिक्षक नहीं माना तो शिक्षामित्रों के रूप में समायोजित किया गया। हमने मानदेय बढ़ाकर 10 हजार रुपये कर दिया। फिलहाल मानदेय बढ़ाने पर कोई विचार नहीं हो रहा है।
मदरसा शिक्षकों का समायोजन करने पर सरकार नहीं कर रही विचार
अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओपी राजभर ने मंगलवार को विधानसभा में कहा कि राज्य सरकार 21 हजार मदरसा शिक्षकों को समायोजित करने पर विचार नहीं कर रही है। ऐसी कोई भी योजना प्रस्तावित नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि सपा सरकार में जब मदरसा आधुनिकीकरण योजना बंद हुई थी, तब आपने चिंता नहीं की। अल्पसंख्यकों के वोट तो चाहिए, लेकिन क्या उनके लिए कोई विश्वविद्यालय खोला था। उन्होंने सदन को बताया कि यह योजना वर्ष 2021-22 तक ही अनुमोदित थी। केंद्र सरकार ने जब अपना 60 फीसद अंश देना बंद कर दिया तो बजट के अभाव में राज्य सरकार को भी योजना को बंद करना पड़ा।
सपा ने उठाया शिक्षकों, शिक्षामित्रों व अनुदेशकों का मामला
विधान परिषद में मंगलवार को कार्य स्थगन प्रस्ताव के तहत सपा सदस्यों ने परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की डिजिटल अटेंडेंस, शिक्षामित्रों व अनुदेशकों के मानदेय बढ़ाने और मदरसा शिक्षकों की खराब स्थिति का मुद्दा उठाया। सपा एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने कहा कि बेसिक के शिक्षकों से पढ़ाई से इतर दर्जनों काम लिए जाते हैं। उनकी डिजिटल अटेंडेंस भी लेने का आदेश दिया गया है। इसे समाप्त करना जरूरी है। विभाग में कई एप लागू हैं जिनसे काफी कमीशन आता है। उन्होंने शिक्षकों को 15 सीएल, 15 हाफ सीएल, 30 ईएल, राज्य कर्मचारी का दर्जा व मेडिकल सुविधा देने की मांग की।
आशुतोष ने कहा कि शिक्षामित्र 10 हजार और अनुदेशक 9000 रुपये में अपने परिवार का पालन-पोषण कैसे करेंगे। सपा एमएलसी डॉ. मानसिंह यादव ने कहा कि शिक्षामित्र अयोग्य हैं तो उनसे काम क्यों लिया जा रहा है। उन्हें समान कार्य का समान वेतन दिया जाए। 69000 शिक्षक भर्ती में ओबीसी, एससी-एसटी के हक पर डाका डाला गया है।
नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव ने मदरसा शिक्षकों की खराब स्थिति, तदर्थ शिक्षकों को बर्खास्त करने, माध्यमिक में मान्यता एक सेक्शन की और प्रवेश 900 छात्रों का, चार विषय में फेल छात्रों को यूपी बोर्ड में ग्रेस देकर पास करने का मुद्दा उठाया। शिक्षा के गिरते स्तर पर उनके सवाल पर माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गुलाब देवी ने कहा कि इस पर विचार किया जाएगा।
सीएम योगी बोले: आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, रसोइया, सहायिका की आय पर फोकस, बेसिक शिक्षा मंत्री बोले- नहीं बढ़ेगा रसोइयों का मानदेय
लखनऊ । सीएम योगी ने कहा कि वर्ष 2012 से 2017 तक सपा सरकार थी। तब रसोइयों का मानदेय 500 रुपए से भी कम था। आपने दूसरा अन्याय ये किया कि जिनके बच्चे नहीं पढ़ेंगे, उनको सेवा से हटा दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को विधानसभा में कहा कि प्रदेश सरकार आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, रसोइयों और सहायिका की अन्य आय को बढ़ाने पर फोकस कर रही है। सपा सदस्य राजेंद्र प्रसाद चौधरी द्वारा इस बाबत पूछे गए सवाल के जवाब में इससे पहले बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि इनका मानदेय बढ़ाने को लेकर फिलहाल कोई विचार नहीं हो रहा है। वर्तमान में दिया जाने वाला भुगतान मानदेय आधारित है और न्यूनतम मजदूरी भुगतान के नियमों के दायरे में नहीं आता है।
योगी ने कहा कि वर्ष 2012 से 2017 तक सपा सरकार थी। तब रसोइयों का मानदेय 500 रुपए से भी कम था। आपने दूसरा अन्याय ये किया कि जिनके बच्चे नहीं पढ़ेंगे, उनको सेवा से हटा दिया जाएगा। उनके चयन में भी भेदभाव करते थे। हमारी सरकार ने 2022 में उनके मानदेय को न्यूनतम 2 हजार रुपए किया। इन सभी ने कोरोना काल में अपनी सेवाओं के माध्यम से शासन की योजनाओं को प्रत्येक परिवार तक पहुंचाने में अभिनंदनीय काम किया है।
हमने इनके मानदेय में वृद्धि भी की है और इन्हें टैबलेट से आच्छादित करने के साथ साथ अतिरिक्त आय का प्रावधान भी किया है। हमने प्रत्येक ग्राम पंचायत में पंचायत सचिवालय का निर्माण किया है। इसका उद्देश्य ये है कि ग्रामीण क्षेत्रों में गांव को ही स्वावलंबी बनाकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज की परिकल्पना को साकार किया जा सके। वहां पर कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में पंचायत सहायक रखा गया है। बीसी सखी रखी गई है, जो गांव के अंदर बैंकिंग लेनदेन का कार्य करती है।
हमने 6 महीने के लिए उन्हें एक निश्चित मानदेय के साथ जोड़ा, लेकिन जब बैंक से उनका कमीशन बन गया तो वह अच्छी आय अर्जित कर रही हैं। सुल्तानपुर की एक बीसी सखी अब तक 15.50 लाख रुपए से अधिक का कमीशन प्राप्त कर चुकी है। पंचायत सहायक को भी हम 6 हजार रुपए प्रतिमाह देते हैं। साथ ही जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, खतौनी की नकल और अन्य सभी योजनाओं को जिनकी वह ऑनलाइन सर्विस उपलब्ध करा रहा है, उससे भी अतिरिक्त आय हो रही है।
वित्तविहीन माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों को प्रबंध तंत्र अपने स्त्रोत से ही देगा मानदेय
प्रदेश के वित्तविहीन माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों को प्रोत्साहन मानदेय दिए जाने के सवाल पर सरकार ने स्पष्ट किया है कि फिलहाल इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं है। नियमानुसार इन शिक्षकों को मानदेय प्रबंध तंत्र को अपने स्त्रोत से ही देना होगा।विधान परिषद में एमएलसी डॉ. आकाश अग्रवाल व राज बहादुर चंदेल ने संयुक्त रूप से यह मामला उठाया।
उन्होंने कहा कि यहां के शिक्षकों के लिए 2017 के बाद से सरकार ने कोई अतिरिक्त आर्थिक सहायता नहीं की है। जबकि पूर्व में 200 करोड़ दिया गया था। आज यहां के शिक्षक बंधुवा मजदूरों की तरह जीवनयापन कर रहे हैं। कोविड काल में इनको राहत पैकेज देने की मांग की गई लेकिन कोई निर्णय नहीं हुआ।
2019 में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री व माध्यमिक शिक्षा मंत्री ने इनको 15 हजार रुपये प्रतिमाह का भुगतान करने की घोषणा की थी लेकिन यह आज तक लागू नहीं हुआ। वहीं एमएलसी ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने वित्तविहीन मान्यता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों के लिए सेवा नियमावली बनाने व समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए।
इस पर माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गुलाब देवी ने कहा कि अंशकालिक शिक्षकों को प्रबंध तंत्र अपने स्त्रोत से भुगतान करेगा। इनको मानदेय देने या मानदेय वृद्धि की सरकार की ओर से कोई व्यवस्था नहीं है। दूसरी तरफ एमएलसी ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने बोर्ड परीक्षाओं के मूल्यांकन की पारश्रमिक सीबीएसई बोर्ड के अनुरूप करने की मांग की।