यूपी बोर्ड के नए सत्र की नामित NCERT की किताबें बाजार में न आने से अभिभावकों की जेब पर पड़ा बड़ा बोझ
यूपी बोर्ड की किताबें बाजार से गायब निजी पांच गुना तक महंगी बिक रहीं
लखनऊ। यूपी बोर्ड के नए सत्र की नामित एनसीईआरटी की किताबें बाजार में अब तक नहीं आई हैं और पुरानी किताबें बाजार से नदारद हैं। ऐसे में कक्षा नौ से 12वीं तक के छात्र- छात्राएं निजी प्रकाशकों की पांच गुना से अधिक महंगी किताबें खरीदकर पढ़ाई कर रहे हैं। बीते साल कक्षा नौ से 12वीं की किताबों का जो सेट 200- 300 रुपये में मिलता है, वही सेट निजी प्रकाशकों का 1500 से 2000 रुपये में मिल रहा है। विज्ञान, भौतिक, रसायन, जीव विज्ञान, गणित की किताबें सबसे महंगी हैं। गणित, रसायन विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, भूगोल, इतिहास, अंग्रेजी की किताबों की कीमत में भारी अंतर है। उप्र. माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से लखनऊ में यूपी बोर्ड के सरकारी व निजी करीब 750 स्कूल संचालित हो रहे हैं। इनमें कक्षा नौ से 12 वीं तक औसतन दो लाख बच्चे पंजीकृत हैं
रॉयल्टी-जीएसटी के विवाद में नहीं छपी यूपी बोर्ड की एनसीईआरटी आधारित किताबें
प्रयागराज। रॉयल्टी और जीएसटी के विवाद में यूपी बोर्ड की किताबें नहीं छप सकी हैं। इसके चलते सत्र शुरू होने के साढ़े तीन महीने बाद भी यूपी बोर्ड से संबद्ध प्रदेश के 27 हजार से अधिक माध्यमिक स्कूलों के कक्षा नौ से 12 तक के एक करोड़ से अधिक छात्र-छात्राओं को सस्ती किताबें नहीं मिल सकी हैं। हर साल आमतौर पर जुलाई के पहले सप्ताह तक राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) आधारित किताबें मिल जाती थीं। इस साल जुलाई का दूसरा सप्ताह बीतने के बावजूद किताबों का अता-पता नहीं है।
एनसीईआरटी का 2021 की रॉयल्टी और जीएसटी का दो करोड़ से अधिक नहीं मिला है। प्रकाशकों ने हाईकोर्ट में याचिका कर दी है कि कोरोना काल में किताबें नहीं बिकने से उनका नुकसान हो गया, इसलिए रॉयल्टी और जीएसटी देने में असमर्थ हैं। यह मामला अब तक हाईकोर्ट में लंबित है। उधर, एनसीईआरटी ने साल 2021 की रॉयल्टी और जीएसटी नहीं मिलने पर इस साल किताबों के प्रकाशन का अधिकार ही नहीं दिया।
किताबों के प्रकाशन का अधिकार देने के लिए यूपी बोर्ड से लेकर शासन के अधिकारियों ने कई बार केंद्र सरकार से पत्राचार किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। जानकारों की मानें तो आज की तारीख में भी प्रकाशन का अधिकार मिल जाए तो भी किताबें छपकर बाजार तक पहुंचने में कम से कम दो महीने का समय लग जाएगा। पहले किताबों के प्रकाशन के लिए टेंडर निकाला जाएगा और उसके बाद प्रकाशन और बाजार में उपलब्धता के लिए न्यूनतम दो महीने का समय देना होगा।
वेबसाइट पर किताबें
2024-25 सत्र में किताबों का प्रकाशन नहीं होने से बच्चे परेशान हैं। वैसे यूपी बोर्ड की वेबसाइट www.upmsp.edu.in पर किताबें उपलब्ध हैं और छात्र-छात्राएं चाहें तो नि:शुल्क डाउनलोड कर सकते हैं।
मनमानी कर रहे प्रकाशक
एनसीईआरटी की किताबें बाजार में नहीं आने पर निजी प्रकाशक मनमानी कर रहे हैं। कक्षा 12 की रसायन विज्ञान की दो किताबों की कीमत वैसे तो 38 रुपये है। लेकिन दोनों किताबों को एकसाथ छापकर निजी प्रकाशक बाजार में 1175 रुपये में बेच रहे हैं। इसी प्रकार 52 रुपये में मिलने वाली भौतिक विज्ञान की दो किताबें निजी प्रकाशक 1060 रुपये में बेच रहे हैं।
■ 12 अप्रैल को परिषद ने शैक्षिक कैलेंडर जारी किया
लखनऊ। यूपी बोर्ड के माध्यमिक स्कूलों के बच्चे बिना किताबों के पढ़ाई करने को मजबूर हैं। शैक्षिक सत्र शुरू हुए 115 दिन बीत जाने के बाद भी किताबें बाजार में उपलब्ध नहीं हो सकी हैं। शिक्षक बोल रहे हैं कि एनसीईआरटी की किताबों से ही पढ़ाई की जानी है मगर माध्यमिक शिक्षा परिषद ने अभी तक किताबों के लिए प्रकाशकों के नाम तक तय नहीं किए हैं। कक्षा 9 से 12 कक्षा तक के 36 विषयों की 70 किताबें एनसीईआरटी और हिन्दी, संस्कृत और उर्दू की 12 किताबें निजी प्रकाशकों की इस्तेमाल होंगी।
राजकीय, एडेड स्कूलों के प्रधानाचार्यों का कहना है कि परिषद ने 12 अप्रैल को शैक्षिक कैलेण्डर जारी किया था। जनवरी 2025 के पहले सप्ताह तक बच्चों का पाठ्यक्रम पूरा कराना है। अफसर स्कूलों का निरीक्षण कर रहे हैं और प्रधानाचार्यों, शिक्षकों को छात्रों को टाइम टेबल के हिसाब से पढ़ाने का दबाव बना रहे हैं।
अफसर बोले
माध्यमिक स्कूलों में नियमित कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। अभी तक माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से किताबों को लेकर कोई दिशानिर्देश नहीं मिले हैं। जैसे ही कोई आदेश मिलेगा, उसका पालन कराया जाएगा।- डॉ. प्रदीप कुमार सिंह, जेडी (माध्यमिक)
निजी प्रकाशकों की किताबों पर पाबंदी
कक्षा नौ से 12 के छात्र-छात्राओं की किताबें अभी तक बाजार में उपलब्ध नहीं हो पाई हैं। बच्चों के सामने असमंजस है कि वे कौन सी किताबों से पढ़ाई करें? प्रधानाचार्यों और शिक्षकों के सामने सवाल है कि वे कौन सी किताबें खरीदने का सुझाव दें? बीते साल निजी प्रकाशकों की किताबें बच्चों को खरीदने के लिए मना किया गया था। फिलहाल पुरानी किताबों से पढ़ा रहे हैं।
शिक्षक नेता बोले
नियमतः : एक अप्रैल को सत्र शुरू होने से पहले ही अधिकारियों को एनसीईआरटी की किताबें बाजार में उपलब्ध करानी चाहिए। किताबें देरी से मिलने पर बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी।–सोहनलाल वर्मा, प्रदेश अध्यक्ष, उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ (एकजुट)
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