डिजिटल अटेंडेंस : शिक्षकों का तीसरे दिन भी विरोध जारी, शिक्षकों के विरोध को जनप्रतिनिधियों का भी लगातार मिल रहा समर्थन
लखनऊ। प्रदेश भर में डिजिटल अटेंडेंस को लेकर तीसरे दिन भी शिक्षकों का विरोध जारी रहा और उन्होंने उपस्थिति दर्ज नहीं कराई।
यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) के नेतृत्व में सभी संगठनों के पदाधिकारी व शिक्षकों ने सभी ब्लॉकों में सीएम को ज्ञापन भेजा।
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने बताया कि संगठन 11-12 जुलाई को ब्लॉक स्तर पर शिक्षकों से वार्ता कर उनका पक्ष जानेगा। इसके बाद 15 जुलाई को आगे का निर्णय लेगा।
सभी शिक्षक संगठनों के संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने 15 जुलाई को हर जिलों में स्कूल टाइम के बाद संयुक्त रूप से एकत्र होकर जिला मुख्यालय जाने और डीएम के माध्यम से सीएम को ज्ञापन भेजने का निर्णय लिया है। 29 जुलाई को लखनऊ में महानिदेशक कार्यालय के घेराव का भी एलान किया है।
उन्होंने पूछा कि क्या ऑनलाइन अटेंडेंस से ही स्कूली शिक्षा की समस्याएं खत्म हो जाएंगी? उन्होंने कहा कि शिक्षकों को चुनाव ड्यूटी, पोलियो ड्यूटी, कोरोना ड्यूटी, कई तरह के सर्वे, रैली में भीड़ बढ़ाने, भूसा ढोने जैसे गैरशैक्षणिक कार्य में उलझाया जाता है। स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। शिक्षकों को हॉफ डे, पेड लीव व मेडिकल सुविधा नहीं है। इन समस्याओं का समाधान निकाले बिना अव्यावहारिक आदेश जारी करना शिक्षकों को भावनात्मक व मानसिक चोट पहुंचाना है।
वहीं आम आदमी पार्टी शिक्षक प्रकोष्ठ के प्रदेश महासचिव अजय गुप्ता ने भी शिक्षकों की ऑनलाइन हाजिरी दर्ज करने के आदेश को तानाशाही बताया है। उन्होंने कहा कि सरकार इस आदेश को तुरंत वापस ले।
अखिलेश के ट्वीट से भ्रमित हुए शिक्षक
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार देर रात एक्स पर लिखा कि आखिरकार शिक्षकों की एकजुटता के सामने भाजपा सरकार को डिजिटल अटेंडेंस का अपना अतार्किक निर्णय स्थगित करना ही पड़ा। भाजपा सरकार को अब समझ आ गया होगा कि लोकतंत्र में जनता की आवाज ही सबसे बड़ा आदेश होती है। न कि सत्ता की मनमर्जी। शिक्षकों को इस नैतिक विजय के लिए बधाई। हालांकि विभाग अपना आदेश वापस नहीं लिया है। इसे लेकर शिक्षकों के बीच में भ्रम की स्थिति रही
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