बेसिक को हाई स्कूलों में मिलाने की तैयारी? यूपी के गौतमबुद्ध नगर जिले में होगा अध्ययन
केंद्र सरकार के पायलट प्रोजेक्ट कंसल्टेशन ऑफ स्कूल में जिले के चार स्कूल चिन्हित, प्रदेश के 75 जिलों में से गौतमबुद्ध नगर को चुना
बड़े स्कूलों में मर्ज होंगे बेसिक स्कूल? गौतमबुद्ध नगर से शुरू किया पायलट प्रोजेक्ट, देशभर में लागू होगी ये व्यवस्था?
उत्तर प्रदेश के बेसिक स्कूल आसपास के बड़े स्कूलों में मर्ज होंगे। केंद्र सरकार के पायलट प्रोजेक्ट कंसल्टेशन ऑफ स्कूल के तहत यूपी के 75 जिलों में से ग्रेटर नोएडा के चार स्कूलों का चयन किया गया है। यहां प्रोजेक्ट सफल होने के बाद इसे पूरे यूपी में लागू किया जाएगा।
यूपी में शिक्षा का स्तर उठाने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ी पहल की है। इसके तहत बेसिक स्कूलों को उसके आसपास के बड़े स्कूलों में मर्ज किया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट के तहत फिलहाल ग्रेटर नोएडा के चार स्कूलों को चयनित किया गया है। यहां प्रयोग सफल होने के बाद इसे पूरे उत्तर प्रदेश में लागू किया जाएगा। इनको मर्ज कैसे किया जाएगा। इसके लिए केंद्र सरकार पायलट प्रोजेक्ट कंसल्टेशन ऑफ स्कूल के तहत अध्ययन करा रही है।
इसी के तहत गौतमबुद्ध नगर के चार बेसिक स्कूलों का चयन किया गया है। यहां पर भारत सरकार की टीम अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार करेगी। उसके बाद प्रोजेक्ट को पूरे देश में लागू किया जाएगा। इस संबंध में बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से केंद्र सरकार के अफसरों ने गौतम बुद्धनगर के अफसरों को निर्देशित किया है।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने बताया कि भारत सरकार कंसल्टेशन ऑफ स्कूल नाम से पायलट प्रोजेक्ट के तहत बेसिक स्कूलों को बड़े स्कूलों में मर्ज करने की तैयारी कर रही है। अध्ययन के लिए यूपी के गौतमबुद्ध नगर के चार स्कूल चयनित किए गए हैं। इन स्कूलों में 16 से 18 बच्चों का नामांकन है। स्कूलों के आसपास कक्षा एक से 12 तक के सरकारी स्कूलों को देखा जाएगा। छोटे स्कूलों को इन बड़ों स्कूलों में मर्ज किया जाएगा।
गौतमबुद्धनगर के बेसिक शिक्षा अधिकारी ने क्या बताया?
गौतम बुद्ध नगर के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राहुल पंवार ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट में हर प्रदेश से एक जिला चुना गया है। उत्तर प्रदेश में गौतमबुद्ध नगर को चुना हैं। भारत सरकार की टीम यहां आकर स्कूलों को मर्ज करने की स्टडी करेगी। विभाग सहयोगी के तौर पर काम करेगा। तीन माह में स्टडी रिपोर्ट पूरी की जाएगी। उसके बाद इस प्रोजेक्ट को देश भर में लागू किया जाएगा।
अध्ययन में नए स्कूल तक बच्चों के जाने की व्यवस्था और उनका नामांकन, साथ ही ऐसे होने पर किस-किस तरह की समस्या आएंगी। इन सभी बिंदुओं पर रिपोर्ट तैयार की जाएगी। तीन माह के अंदर अध्ययन पूरा हो जाएगा। अफसरों ने बताया कि नए शिक्षा नीति और शिक्षा का अधिकार अधिनियम को आसान बनाने के मकसद से प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। विलय होने से बेसिक स्कूलों पर हो रहा खर्च भी कम होगा।
मध्य प्रदेश का मॉडल भी रहा है चर्चा में
मध्य प्रदेश का ‘एक शाला-एक परिसर’ मॉडल भी काफी चर्चा में रहा है। इसके तहत जिन स्कूलों में 50 से कम छात्र, उनका बड़े स्कूल में विलय किया गया। नीति आयोग ने सभी राज्यों में इसे लागू करने की सिफारिश भी की थी, लेकिन इस समय सरकार अपने पायलट प्रोजेक्ट पर काम कर रही है।
बताते चले कि पूर्व में यूपी में भी संविलियन के जरिए एक परिसर में स्थित स्कूलों का आपस में मर्जर किया जा चुका है।
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