DISTRICT WISE NEWS

अंबेडकरनगर अमरोहा अमेठी अलीगढ़ आगरा इटावा इलाहाबाद उन्नाव एटा औरैया कन्नौज कानपुर कानपुर देहात कानपुर नगर कासगंज कुशीनगर कौशांबी कौशाम्बी गाजियाबाद गाजीपुर गोंडा गोण्डा गोरखपुर गौतमबुद्ध नगर गौतमबुद्धनगर चंदौली चन्दौली चित्रकूट जालौन जौनपुर ज्योतिबा फुले नगर झाँसी झांसी देवरिया पीलीभीत फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूं बरेली बलरामपुर बलिया बस्ती बहराइच बागपत बाँदा बांदा बाराबंकी बिजनौर बुलंदशहर बुलन्दशहर भदोही मऊ मथुरा महराजगंज महोबा मिर्जापुर मीरजापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मेरठ मैनपुरी रामपुर रायबरेली लखनऊ लख़नऊ लखीमपुर खीरी ललितपुर वाराणसी शामली शाहजहाँपुर श्रावस्ती संतकबीरनगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुलतानपुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस हापुड़

Monday, July 22, 2024

सरकारी सहायता प्राप्त निजी विद्यालयों के कर्मचारी भी पेंशन के हकदार : हाईकोर्ट

सरकारी सहायता प्राप्त निजी विद्यालयों के कर्मचारी भी पेंशन के हकदार : हाईकोर्ट

कोर्ट ने कहा- अंशदान जमा करने की समयसीमा बताए बिना पेंशन से वंचित करना गलत



प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि 1964 की पेंशन नियमावली के दायरे में आने वाले राजकीय वित्तीय सहायता प्राप्त निजी विद्यालयों के कर्मचारी भी पेंशन पाने के हकदार हैं। अंशदान जमा करने को बताई गई समय सीमा की जानकारी दिए बिना कर्मचारी को पेंशन योजना से वंचित नहीं किया जा सकता।


यह फैसला न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की एकल पीठ ने मैनपुरी के एक जूनियर हाईस्कूल से सेवानिवृत लिपिक धामी लाल शाक्य याचिका स्वीकार करते हुए सुनाया है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) मैनपुरी ने याची को पेंशन योजना का लाभ देने से यह कहते हुए इन्कार कर दिया कि 1997 से पहले विद्यालय स्व वित्तपोषित था। इस दौरान वर्ष 1982 से 1997 तक याची का प्रबंधकीय अंशदान भी जमा नहीं है।


याची ने बीएसए के आदेश के खिलाफ हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। याची के अधिवक्ता राम कृष्ण यादव में दलील दी कि मैनपुरी स्थित मन्नी लाल पांडेय शिक्षा निकेतन जूनियर हाईस्कूल मार्च 1997 से सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालय है। याची की नियुक्ति 1972 में लिपिक के पद पर हुई थी। अक्टूबर 1982 में इनकी सेवाएं स्थायी हो गई। 


इसके बाद 20 मार्च 1997 में विद्यालय की सरकारी सहायता प्राप्त होने के बाद याची का प्रबंधकीय अंशदान 1998 से 2001 यानी सेवानिवृति तक काटा गया था। लेकिन 1982 से 1997 तक तक प्रबंधकीय अंशदान जमा नहीं हुआ। नतीजतन, सेवानिवृति के बाद बीएसए ने उन्हें पेंशन लाभ से वंचित कर दिया। जबकि, याची अंशदान अदा करने को तैयार है। 


सरकार ने 5 फरवरी 2017 को जारी शासनादेश के जरिये अंशदान जमा करने की समय सीमा भी बढ़ाई है। लेकिन याची को बढ़ाई गई समय सीमा की जानकारी नहीं मुहैया कराई गई। कोर्ट ने बुद्धिराम के मामले में स्थापित विधि व्यवस्था का हवाला देते हुए याचिका स्वीकार कर ली। कहा कि पेंशन योजना का लाभ पाने के हकदार वह सभी लोग हैं जो 1964 की पेंशन नियमावली दायरे में आते हैं। चूंकि, याची की 2017 में अंशदान जमा करने की बढ़ाई गई समय सीमा की जानकारी नहीं दी गई, लिहाजा उसे अंशदान जमा किए जाने की मोहलत दिया जाना जरूरी है।

No comments:
Write comments