'यूपी सरकार की छवि शिक्षक और कर्मचारी विरोधी बन गई है', बीजेपी MLC ने लिखा सीएम योगी को पत्र
देवेंद्र प्रताप सिंह ने लिखा, 'कोरोना काल में जब खून के रिश्ते भी बेमानी हो गए थे. ऐसे संकट काल में चुनावी दायित्व का निर्वहन करने में 1621 शिक्षक अकाल मृत्यु के शिकार हुए थे. लेकिन उनका लोकतंत्र के लिए दिया गया बलिदान भुला दिया गया.
उत्तर प्रदेश के एक और नेता ने राज्य सरकार की नीतियों पर नाराजगी जताई है. गोरखपुर-फैजाबाद स्नातक सीट से बीजेपी के MLC देवेंद्र प्रताप सिंह ने सीएम योगी को पत्र लिखकर कई सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने लिखा, 'आपके प्रदेश के सुशासन और कानून व्यवस्था की हर जगह सराहना होती है, यहां तक कि राष्ट्र के बाहर भी आपके मॉडल की चर्चा होती है. अचानक फिर ऐसा क्या हुआ कि प्रदेश की जनता सरकार से नाराज हो गई?
कई कारण एक साथ मिल जाने से 2024 का परिणाम खराब रहा. जनमानस में सरकार की छवि शिक्षक और कर्मचारी विरोधी बन गई है, इसके लिए जिम्मेदार नौकरशाह हैं. उनके लिए गए फैसलों से जन आक्रोश भड़क उठा है, नौकरशाहों द्वारा लिए गए निर्णय सरकार के लिए अभिशाप बन गए हैं.
शिक्षकों का बलिदान भुला दिया गया'
देवेंद्र प्रताप सिंह ने लिखा, 'कोरोना काल में जब खून के रिश्ते भी बेमानी हो गए थे. ऐसे संकट काल में चुनावी दायित्व का निर्वहन करने में 1621 शिक्षक अकाल मृत्यु के शिकार हुए थे. लेकिन उनका लोकतंत्र के लिए दिया गया बलिदान भुला दिया गया. भारत को पोलियो में विश्व रिकॉर्ड दिलाने वाले शिक्षकों को डिजिटल हाजिरी के नाम पर अपमानित और प्रताड़ित किया जा रहा है. शिक्षकों से शिक्षण कार्य के अतिरिक्त 30 कार्य ऑफलाइन लिए जाते हैं परंतु हाजरी ऑनलाइन क्यों?'
पत्र में उन्होंने पूछा कि क्या शिक्षकों को गैर शैक्षिक कार्यों के लिए कोई अतिरिक्त सुविधा दी जाती है? क्या शिक्षक इंसान ना होकर मशीन बन गए हैं? विचारणीय प्रश्न यह है कि डिजिटल हाजिरी अन्य विभागों में क्यों नहीं?
देवेंद्र प्रताप सिंह ने सीएम योगी को सलाह देते हुए आगे लिखा ....महानिदेशक शिक्षा कार्यालय में पिछले दिनों 85 कर्मचारी अनुपस्थित पाए गए थे,क्या उन्होंने अपने कार्यालय में डिजिटल हाजिरी लागू किया? उन्होंने कहा कि नौकरशाहों की साजिश से आपको बचना होगा.
डिजिटल हाजिरी के फैसले को वापस लेने की दी सलाह
MLC ने अपने पत्र के आखिरी में लिखा, 'बढ़ते हुए जन आक्रोश को रोकने के लिए डिजिटल हाजिरी के निर्णय को वापस लेना होगा. पुरानी पेंशन देने पर विचार करने की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतिम आदेश में कहा कि तदर्थ शिक्षकों की लंबी सेवा को देखते हुए हम इन्हें बाहर करने की मंशा नहीं रखते. सुप्रीम कोर्ट की इस भावना का आदर करते हुए तदर्थ शिक्षकों को रिक्त पदों पर भरना चाहिए.'
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