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Saturday, August 31, 2024

राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की मांग, आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ न्याय के साथ ही पहले से नियुक्त शिक्षकों के हितों की भी रक्षा हो

राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की मांग, आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ न्याय के साथ ही पहले से नियुक्त शिक्षकों के हितों की भी रक्षा हो


लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती में चयनित शिक्षकों के समर्थन में राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ आया है। महासंघ के पदाधिकारियों ने इस मामले में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर चार साल से काम कर रहे शिक्षकों की सेवा सुरक्षा की मांग की है। 


वहीं, आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी दो सितंबर को मुख्यमंत्री आवास के घेराव की तैयारी में लगे हैं। महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष अजीत सिंह व प्रदेश महामंत्री भगवती सिंह ने सीएम को पत्र लिखा है। इसमें बताया गया है कि 69000 शिक्षक भर्ती में निर्धारित प्रक्रिया से चयनित शिक्षक कई साल से अपनी सेवा दे रहे हैं। 


इलाहाबाद हाईकोर्ट के हाल के आदेश के बाद इनकी सेवा में विषम परिस्थिति पैदा हो रही है, जबकि इसमें इनका कोई दोष नहीं है। पदाधिकारियों ने कहा है कि सरकार ऐसा कदम उठाए, जिससे आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ न्याय के साथ ही पहले से नियुक्त शिक्षकों के हितों की भी रक्षा हो। 



सामूहिक नकल के संदेह में डीएलएड की रद्द हुई परीक्षा अब पांच सितंबर को होगी, 800 परीक्षार्थी बैठेंगे

डीएलएड की रद्द हुई परीक्षा अब पांच सितंबर को होगी, 800 परीक्षार्थी बैठेंगे


प्रयागराज। आजमगढ़ के एक केंद्र पर सामूहिक नकल पकड़े जाने के बाद डीएलएड की रद्द हुई परीक्षा अब पांच सितंबर को होगी।


परीक्षा नियामक प्राधिकारी (पीएनपी) के सचिव ने इसका निर्देश जारी किया है। अब यह परीक्षा नेशनल शिबली इंटर कॉलेज, पांडेय बाजार, आजमगढ़ में एक पाली में कराई जाएगी। इसमें 800 परीक्षार्थी बैठेंगे।

डीएलएड तृतीय सेमेस्टर की परीक्षा 12 से 14 अगस्त तक प्रदेश में कराई गई थी। 13 अगस्त को आजमगढ़ के सेठवल स्थित राजेंद्र स्मारक इंटर कॉलेज में गणित चतुर्थ प्रश्नपत्र की परीक्षा के दौरान सामूहिक नकल पकड़ी गई थी।

नकल कराते हुए प्रधानाचार्य डॉ. अनूप कुमार सिंह समेत 12 लोग पकड़े गए थे। पुलिस ने केंद्र और पकड़े गए लोगों के ठिकानों से 18.10 लाख रुपये भी बरामद किए थे। 

GPF की कटौती न होने पर पेंशन से वंचित नहीं कर सकते – हाईकोर्ट, तीन माह के अंदर पेंशन और बकाया भुगतान करने का दिया आदेश

GPF की कटौती न होने पर पेंशन से वंचित नहीं कर सकते – हाईकोर्ट, तीन माह के अंदर पेंशन और बकाया भुगतान करने का दिया आदेश

हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी कर  कानपुर नगर के सेवानिवृत्त कर्मचारी का तीन माह के अंदर पेंशन और बकाया भुगतान करने का दिया आदेश


प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि जीपीएफ (सामान्य भविष्य निधि) की कटौती न होने के आधार पर कर्मचारी को पेंशन से वंचित नहीं कर सकते। पेंशन के लिए जीपीएफ कटौती शर्त नहीं है। इसकी कटौती  नहीं किए जाने के लिए कर्मचारी ज़िम्मेदार नहीं है। 

यह टिप्पणी कर न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की अदालत ने कानपुर नगर के सेवानिवृत्त कर्मचारी का तीन माह के अंदर पेंशन व बकाया भुगतान करने का आदेश दिया है।


एमएम अली मेमोरियल हायर सेकेंडरी स्कूल में उदय नारायण साहू सहायक अध्यापक एलटी ग्रेड पर नियुक्त हुए थे। आठ नवंबर 2004 को कार्यभार ग्रहण कर लिया। जिला विद्यालय निरीक्षक ने 17 मार्च 2005 को आदेश पारित कर वेतन भुगतान की मंजूरी देने से इन्कार कर दिया।

उदय नारायण ने 2005 में याचिका दाखिल की। इस पर कोर्ट ने 23 जुलाई 2009 को डीआईओएस को याची के मामले पर पुनर्विचार का निर्देश दिया।

कोर्ट के आदेश पर डीआईओएस ने 23 जुलाई 2009 से याची को वेतन भुगतान की मंजूरी दे दी। याची ने 2011 में एक और याचिका दाखिल की।

ज्वाइनिंग की तिथि आठ नवंबर 2004 से वेतन का भुगतान करने की मांग की। कोर्ट के आदेश पर डीआईओएस ने ज्वाइनिंग तिथि से वेतन जारी करने का आदेश जारी कर दिया। हालांकि, इस दौरान वेतन का भुगतान करते समय जीपीएफ में उनके योगदान के लिए कोई कटौती नहीं की गई थी।

याची 31 मार्च 2023 को सेवानिवृत्त हो गया, लेकिन उसे पेंशन का भुगतान नहीं किया गया है। याची ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी। डीआईओएस ने अपना व्यक्तिगत हलफनामा दायर कर कहा कि याची के वेतन से जीपीएफ की कोई कटौती नहीं की गई। ऐसे में पेंशन देय नहीं है। 

कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि नियमानुसार पेंशन के लिए जीपीएफ कटौती शर्त नहीं है। ऐसे में वेतन से जीपीएफ कटौती नहीं किए जाने के आधार पर सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन नहीं रोकी जा सकती।

Friday, August 30, 2024

जवाब दाखिल नहीं कर रहे बीएसए, हाईकोर्ट ने जताई नाराज़गी, सचिव बेसिक शिक्षा को निर्देश जारी करने का आदेश

जवाब दाखिल नहीं कर रहे बीएसए, हाईकोर्ट ने जताई नाराज़गी, सचिव बेसिक शिक्षा को निर्देश जारी करने का आदेश


प्प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दाखिल याचिकाओं पर बेसिक शिक्षा अधिकारियों के समय से जवाब दाखिल नहीं करने पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने बेसिक शिक्षा सचिव लखनऊ को आदेश दिया है कि वह प्रदेशभर के बीएसए को एक निर्देश जारी करें कि अदालत की ओर से मांगी गई जानकारी तत्काल मुहैया कराई जाए। याचिका दाखिल होने की जानकारी होते ही बीएसए अपने अधिवक्ता को निर्देश भेजें। कोर्ट ने सचिव को इस संबंध में उठाए गए कदम की जानकारी अगली सुनवाई पर अदालत में देने का निर्देश दिया है। मिर्जापुर की पूजा की याचिका पर न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने यह आदेश दिया।


पूजा ने बीएसए के समक्ष अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था। उस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया तो उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर उसके आवेदन पर आदेश पारित करने का बीएसए को निर्देश देने की मांग की। हाईकोर्ट ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, मिर्जापुर को 8 अगस्त 2024 को नोटिस जारी किया था। मगर अगली सुनवाई पर बीएसए के अधिवक्ता ने कोई जवाब दाखिल नहीं किया।


कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए कहा कि यह हर दिन देखने में आ रहा है कि बड़ी संख्या में दाखिल होने वाली याचिकाओं में बीएसए के अधिवक्ताओ को नोटिस दिया जाता है। मगर किसी में भी समय पर जवाब दाखिल नहीं होता। कोर्ट ने बेसिक शिक्षा सचिव को प्रदेश भर के बीएसए को निर्देश जारी करने का आदेश दिया है कि वह समय पर जवाब दाखिल करना सुनिश्चित करें।

X पर ट्रेंड करता रहा 'NO NPS, NO UPS, ONLY OPS', शिक्षकों-कर्मचारियों ने X पर यूपीएस व एनपीएस के विरोध में चलाया अभियान

X  पर ट्रेंड करता रहा 'NO NPS, NO UPS, ONLY OPS'

शिक्षकों-कर्मचारियों ने X पर यूपीएस व एनपीएस के विरोध में चलाया अभियान

30 अगस्त 2024
लखनऊ। हाल ही में केंद्र सरकार की ओर से लाई गई यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) को लेकर शिक्षकों-कर्मचारियों का विरोध तेज हो गया है। बृहस्पतिवार को शिक्षकों-कर्मचारियों ने इसे लेकर सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर अभियान चलाया। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग की। शिक्षकों-कर्मचारियों ने एक्स पर नो एनपीएस, नो यूपीएस, ओनली ओपीएस को ट्रेंड कराया। इसमें चार लाख से अधिक शिक्षकों-कर्मचारियों ने सहभागिता की। इससे यह काफी समय तक ट्रेंड करता रहा। 

नेशनल मूमवेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बन्धु ने कहा कि इसी से पता चलता है कि शिक्षक-कर्मचारी नई योजना से किस कदर नाराज है। उन्होंने कहा कि एनपीएस की तरह यूपीएस भी कर्मचारियों के साथ छलावा है। 



सोशल मीडिया पर एनपीएस-यूपीएस के विरोध में देश भर के शिक्षक कर्मचारी, नो एनपीएस, नो यूपीएस, ओनली ओपीएस की मांग टॉप ट्रेंड रहा

पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा सोशल मीडिया पर छाया

लखनऊ । सोशल मीडिया में एक्स पर एनपीएस और यूपीएस के विरोध में देश भर के शिक्षक और कर्मचारी विरोध पर उतर आए हैं। गुरुवार को नो एनपीएस, नो यूपीएस, वनली ओपीएस की मांग टॉप ट्रेडिंग में रहा। एनएमओपीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय बंधु ने पीएम को चिह्नी लिखकर एनपीएस और यूपीएस को रद्द करहुबहू पुरानी पेंशन बहाली की मांग दोहराई है। 

एनएमओपीएस राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि पूरे देश में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एनपीएस और यूपीएस को हटाकर पुरानी पेंशन बहाली ट्रेडिंग अभियान चलाया गया के लिये अध्यक्ष विजय बंधु ने बताया कि नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम की 27 अगस्त 2024 राष्ट्रीय कार्यकारिणी की ऑनलाइन बैठक में मोदी सरकार द्वारा घोषित यूपीएस और एनपीएस को समाप्त कर पुरानी पेंशन बहाली मांगी हैशटैग ट्रेंड : हैशटैग ट्रेडिंग गई। में टॉप 380के पर 20 मिनट में आ गया और कई घंटे ट्रेंडिंग में रहा। अध्यक्ष ने कहा कि एनपीएस की तरह

यूपीएस भी कर्मचारियों से छलावा है। इसको लेकर पूरे देश में गुस्सा है, इसलिये सरकार एनपीएस, यूपीएस को खत्म कर हुबहू ओपीएस बहाल करें। पत्र में उन्होंने यूपीएस की तमाम खामियां भी उजागर की हैं। ट्रेडिंग कराने में आईटी सेल प्रभारी अभिनव सिंह राजपूत, दानिश इमरान, कुलदीप सैनी, देवेंद्र सिंह, वेद प्रकाश आर्यन, सीपी राव, विनायक चौबे का योगदान रहा। राष्ट्रीय सचिव डॉ. नीरजपति त्रिपाठी ने कहा कि देश के शिक्षक और कर्मचारी यूपीएस से सहमत नहीं है। एनपीएस से भी यूपीएस खराब है। ये कर्मचारियों, शिक्षकों और अधिकारियों से बहुत बड़ा धोखा है। पूरी जिंदगी की 10 प्रतिशत की कमाई काट वापस नहीं किया जा रहा है। पुरानी पेंशन ही सुरक्षा की मजबूत कड़ी है।


पुरानी पेंशन की मांग को लेकर अभियान आज से

29 अगस्त 2024
लखनऊ । नेशलन मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की ऑनलाइन हुई बैठक में 29 अगस्त से आंदोलन चलाने पर सहमति जताई गई। राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु की अध्यक्षता में हुई बैठक में सभी ने कहा कि ओपीएस से कम कुछ स्वीकार नहीं है। पुरानी पेंशन बहाली के लिए नए सिरे से अभियान चलाने का फैसला लिया गया। इसके खिलाफ 29 अगस्त को सोशल मीडिया पर अभियान चलाया जाएगा।

अभी तक न्यू पेंशन स्कीम का विरोध करते हुए पुरानी पेंशन बहाली की मांग पुरजोर तरीके से की जा रही थी। अब नई पेंशन स्कीम यूपीएस का विरोध शुरू हो रहा है। एनएमओपीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा कि सरकार हूबहू पुरानी पेंशन बहाल करे, क्योंकि देश का शिक्षक व कर्मचारी यूपीएस से सहमत नही है। एनपीएस से भी खराब यूपीएस है। ऐसे शिक्षक कर्मचारियों अधिकारियों के साथ बहुत बड़ा धोखा है। पूरी जिंदगी की 10 प्रतिशत की कमाई उसका काट करके वापस भी नहीं किया जा रहा है।

पुरानी पेंशन सुरक्षा की मजबूत कड़ीः पुरानी पेंशन सामाजिक सुरक्षा की मजबूत कड़ी है और असल में सामाजिक सुरक्षा पुरानी पेंशन से ही संभव है। ऐसे में प्रधानमंत्री से पुनः मांग की गई है कि पुरानी पेंशन बहाल करें। बैठक में राष्ट्रीय महासचिव स्थित प्रज्ञा, अमरीक सिंह, वी. शांताराम, सुखजीत सिंह, परमानंद डेहरिया आदि मौजूद रहे।


छह चरणों में सिलसिलेवार आंदोलन की रणनीति तैयार

1. 29 अगस्त को अखिल भारतीय कम्पेन ट्विटर हैंडल एक्स पर नो एनपीएस, नो यूपीएस पोस्ट करेंगे

2 . एनपीएस और यूपीएस के खिलाफ 2 से 6 सितंबतर तक काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज कराएंगे

3. 15 सितंबर को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक दिल्ली में आयोजित करके आंदोलन को धार देंगे

4. 26 सितंबर सभी जिला मुख्यालयों पर एनपीएस, यूपीएस के खिलाफ देश भर में प्रदर्शन की तैयारी

5. पुरानी पेंशन बहाली नहीं होने पर अक्तूबर माह में ओपीएस को लेकर दिल्ली में राष्ट्रीय अधिवेशन

6. ओपीएस पर नवंबर-दिसंबर में संसद भवन दिल्ली का घेराव करने को लेकर योजना बनाई जाएगी



UPS : यूनिफाइड पेंशन स्कीम का देशव्यापी विरोध करेंगे शिक्षक और कर्मचारी, NMOPS की बैठक में बनी आंदोलन की रणनीति

आज एक्स पर अभियान, 2 से 6 सितंबर तक काली पट्टी बांधकर करेंगे काम


लखनऊ। प्रदेश के शिक्षक कर्मचारी संगठनों ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) का विरोध किया है। नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) की बुधवार को हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की ऑनलाइन बैठक में देशव्यापी संघर्ष के लिए कार्यक्रम तय किए गए।


एनएमओपीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा कि एनपीएस की तरह यूपीएस भी कर्मचारियों के साथ छलावा है। इससे कर्मचारियों में गुस्सा है। बैठक में सभी ने कहा कि हमें हूबहू ओपीएस चाहिए, न उससे कम न उससे ज्यादा। हमारा संघर्ष पुरानी पेंशन की बहाली तक जारी रहेगा।

 महासचिव स्थित प्रज्ञा ने कहा कि आंदोलन के क्रम में हम 29 अगस्त को एक्स पर नो एनपीएस, नो यूपीएस, ओनली ओपीएस का अभियान चलाएंगे। इस क्रम में 02 से 06 सितंबर तक देश भर में शिक्षक- कर्मचारी काली पट्टी बांधकर शिक्षण व कार्यालय का काम करेंगे।  15 सितंबर को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक दिल्ली में होगी।


 डॉ. नीरज पति त्रिपाठी ने बताया कि 26 सितंबर को शिक्षक-कर्मचारी जिला मुख्यालयों पर एनपीएस-यूपीएस के खिलाफ देश भर में प्रदर्शन करेंगे। इसके बाद भी सरकार ओपीएस बहाल नहीं करती तो अक्तूबर में दिल्ली में राष्ट्रीय अधिवेशन और नवंबर-दिसंबर में संसद के घेराव की रणनीति बनाई जाएगी



पीडब्ल्यूडी मिनिस्टीरियल एसोसिएशन ने यूपीएस को नकारा 

लखनऊ। उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग मिनिस्टीरियल एसोसिएशन की जवाहर भवन में हुई बैठक में पदाधिकारियों सहित प्रांतीय कार्यकारिणी के सदस्यों ने यूपीएस को नकार दिया। इसमें तय किया गया कि अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के नेतृत्व में पुरानी पेंशन लागू करने के आंदोलन को और अधिक मजबूत किया जाएगा। बैठक में एसोसिएशन के सरंक्षक पुनीत त्रिपाठी, सहसंरक्षक कमल अग्रवाल, अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कमलेश मिश्रा, उत्तर प्रदेश फेडरेशन ऑफ मिनिस्ट्रीयल सर्विसेज एसोसिएशन के संरक्षक नरेंद्र प्रताप सिंह मौजूद रहे। व्यूरो

Wednesday, August 28, 2024

योग्य उम्मीदवार को छात्रवृत्ति देने से नहीं कर सकते इनकार – हाईकोर्ट

योग्य उम्मीदवार को छात्रवृत्ति देने से नहीं कर सकते इनकार – हाईकोर्ट 


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि योग्य उम्मीदवार की छात्रवृत्ति को इस आधार पर नहीं रोका जा सकता है कि वित्तीय वर्ष समाप्त हो गया है या बजट खत्म हो गया है। कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए समाज कल्याण विभाग प्रयागराज को तीन माह के भीतर योजना के तहत स्वीकार्य छात्रवृत्ति का भुगतान करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति मनीष कुमार ने पुलस्त तिवारी की याचिका पर अधिवक्ता रामानुज तिवारी व अधिवक्ता अखिलेन्द्र सिंह को सुनने के बाद यह आदेश दिया।


इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एमएससी फूड टेक्नोलॉजी की पढ़ाई करने वाले छात्र पुलस्त तिवारी ने यूपी छात्रवृत्ति योजना 2023-24 के तहत आवेदन किया था। छात्रवृत्ति नहीं मिलने पर पूछताछ किया तो पता चला कि अयोध्या की रहने वाली एक छात्रा को छात्रवृत्ति दी गई है, जिन्होंने अपने आवेदन में याची के हाईस्कूल के रोल नंबर का उपयोग किया था। 


याची वकील ने कहा कि याची की ओर से कोई गलती नहीं है। इसलिए उसे छात्रवृत्ति के अनुदान से वंचित नहीं किया जा सकता है। प्रदेश सरकार के अधिवक्ता का कहना था कि याची छात्रवृत्ति के लिए पात्र है। अनजाने में याची के हाईस्कूल के रोल नंबर का उपयोग करने वाली छात्रा को छात्रवृत्ति दे दी गई। अधिकारियों के समक्ष दिक्कत यह है कि वित्तीय वर्ष 31मार्च 2024 को समाप्त हो गया है और बजट भी खत्म हो गया है। इसलिए याची को छात्रवृत्ति नहीं दी जा सकती है। 


कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि योग्य छात्र की चत्रवृत्ति को बजट समाप्त होने या वित्तीय वर्ष समाप्त होने पर नहीं रोका जा सकता है

एक और फैसला : दो वर्ष की मैटरनिटी लीव की अनिवार्यता गलत – हाईकोर्ट, देखें कोर्ट ऑर्डर

एक और फैसला : दो वर्ष की मैटरनिटी लीव की अनिवार्यता गलत – हाईकोर्ट
 

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मैटरनिटी लीव के लिए दो वर्ष गैप की अनिवार्यता को आधार बनाकर छुट्टी देने से इनकार करने के बीएसए रामपुर के आदेश को रद्द कर दिया है। 

कोर्ट ने आदेश रद्द करते हुए याची को 180 दिन का मातृत्व अवकाश देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने इस अवधि का वेतन देने का भी निर्देश दिया है। 

यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने कुशल राणा की याचिका पर सुनवाई के बाद दिया है। याचिका में बीएसए रामपुर के आदेश को चुनौती दी गई थी।


UPS से संतुष्ट नहीं दिख रहे उत्तर प्रदेश के शिक्षक और कर्मचारी

पुरानी पेंशन के लिए संगठनों का जारी रहेगा संघर्ष

लखनऊ। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद व विशिष्ट बीटीसी वेलफेयर एसोसिएशन ने कहा है कि लंबे आंदोलन और पुरानी पेंशन की बहाली की मांग पर एनपीएस को यूनिफाइड पेंशन योजना (यूपीएस) में बदलना लंबे आंदोलन का ही परिणाम है। इसी तरह आगे चलकर पुरानी पेंशन भी मिलेगी।

कर्मचारी नेताओं ने कहा कि पूर्व में शिक्षक-कर्मचारी के संयुक्त व चरणबद्ध आंदोलनों के परिणामस्वरूप पीएम मोदी और एनजेसीए (नेशनल ज्वाइंट कमेटी ऑफ एक्शन) के केंद्रीय नेतृत्व से वार्ता हुई है। निश्चित ही यह कदम पुरानी पेंशन योजना बहाली के लिए सकारात्मक संदेश है। उम्मीद है कि अब पुरानी पेंशन बहाली का सकारात्मक हल निकलेगा। एनपीएस को यूपीएस में बदलकर पीएम ने अभी खिड़की खोली है। इस सकारात्मक रुख से पुरानी पेंशन के दरवाजे भी खुलने के संकेत हैं। 

विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष व राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के चेयरमैन संतोष तिवारी ने कहा कि हमें तो पुरानी पेंशन ही चाहिए। इससे इतर कुछ भी स्वीकार नहीं है। अन्य योजना लाकर कर्मियों को भ्रमित न किया जाए। 



UPS से संतुष्ट नहीं दिख रहे उत्तर प्रदेश के शिक्षक और कर्मचारी

लखनऊ । केंद्र सरकार द्वारा लागू यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) से उत्तर प्रदेश के राज्यकर्मी संतुष्ट नहीं दिख रहे हैं। कर्मचारी नेता और संगठन अब भी पुरानी पेंशन को ही बेहतर बताते हुए उसे लागू किए जाने की मांग कर रहे हैं। कर्मचारी नेताओं को यूपीएस में कई खामियां नजर आ रही हैं। 

इंडियन पब्लिक सर्विस इम्पलाईज फेडरेशन के उप महासचिव अतुल मिश्रा ने कहा यूपीएस से देश के कर्मचारी संतुष्ट नहीं हैं। करोड़ों कर्मचारियों की मांग पुरानी पेंशन योजना लागू करने के मुद्दे पर दो अक्तूबर को आंदोलन करने का संकल्प लिया जाएगा। केंद्र सरकार द्वारा यूपीएस की घोषणा के बाद इप्सेस की दिल्ली राज्य इकाई ने 12 सितंबर को संसद पर प्रदर्शन करने का ऐलान किया है।


सचिवालय संघ अध्यक्ष ने गिनाई यूपीएस की खामियांः 
उत्तर प्रदेश सचिवालय संघ के अध्यक्ष अर्जुन देव भारती ने कहा है कि यूपीएस की घोषणा करने के बाद भी केंद्र सरकार कर्मचारियों को खुश करने में नाकाम रही है। पुरानी पेंशन योजना में अंतिम वेतन भुगतान का 50 फीसदी पेंशन दिए जाने का प्राविधान है जबकि यूपीएस में अंतिम 12 महीने के वेतन के औसत का 50 फीसदी पेंशन दिए जाने की बात कही गई है। 

दूसरी आपत्ति सेवा अवधि को लेकर है। पुरानी पेंशन में 20 साल की सेवा को पूरे पेंशन का आधार माना गया है जबकि यूपीएस में 25 साल की सेवा को मानक बनाया गया है। सबसे बड़ी आपत्ति यह है कि ओपीएस में पेंशनर्स को महंगाई में राहत मिलने की व्यवस्था है जबकि यूपीएस में मुद्रा स्फिति सूचकांक को आधार बनाया गया है। यह कर्मचारी हित में नहीं है। ओपीएस में ग्रेच्युटी की गारंटी थी जबकि यूपीएस में ग्रेच्युटी को पेंचीदा बना दिया गया है। यूपीएस में सरकारी कर्मचारियों के भविष्य को बाजार की ताकतों के भरोसे छोड़ दिया गया है।


राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष यूपीएस से संतुष्ट

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी का कहना है कि उनकी मांग थी कि कर्मचारियों को शेयर मार्केट से वापस किया जाए। सेवानिवृत्ति के सम आखिरी मूल वेतन का आधार पेंशन दिया जाए और महंगाई भत्ता दिया जाए। यह तीनों मांगे मान ली गई हैं। मृत्यु हो जाने पर भी अच्छी धनराशि दिए जाने का इंतजाम किया गया है। 10 फीसदी जो वेतन से कह रहा है उसका कैलकुलेशन अभी किया जाना है, यह मांग जारी रहेगी।



पुरानी पेंशन बहाली के लिए अभी खिड़की खुली अब दरवाजा खुलने का इंतजार, कर्मचारी संगठनों ने आंदोलन को जारी रखने का किया आह्वान

लखनऊ। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद व विशिष्ट बीटीसी शिक्षक संघ ने कहा है कि लंबे आन्दोलन और प्रधानमंत्री की चुप्पी के बाद पुरानी पेंशन की बहाली की मांग पर एनपीएस को यूपीएस में बदलना लंबे आन्दोलन का ही परिणाम है। इसी तरह आगे चलकर पुरानी पेंशन भी मिलेगी।

कर्मचारी नेताओं ने कहा कि पूर्व में शिक्षक कर्मचारी के संयुक्त व चरणबद्ध आन्दोलनों के परिणामस्वरूप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एनजेसीए के केंद्रीय नेतृत्व से वार्ता हुई है। निश्चित ही यह कदम पुरानी पेंशन योजना बहाली के लिए सकारात्मक संदेश है। उम्मीद है कि अब पुरानी पेंशन बहाली का सकारात्मक हल अवश्य निकलेगा। एनपीएस को यूपीएस में बदलकर प्रधानमंत्री ने अभी खिड़की को ही खोला है। मगर इस सकारात्मक रुख से पुरानी पेंशन के दरवाजे खुलने का संकेत भी मिल चुका है। 

विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर ऐसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष व राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के चेयरमैन संतोष तिवारी ने कहा है कि हम सबको हूबहू पुरानी पेंशन ही चाहिए। इससे इतर कोई भी पेंशन स्वीकार नही है। परिषद ने पुरानी पेंशन बहाली को लेकर 2013 में लखनऊ से दिल्ली तक साइकिल यात्रा तक निकाली है।

उन्होंने कहा कि सरकार पुरानी पेंशन बहाली पर ही विचार करे। अन्य योजना लाकर शिक्षक व कर्मचारियों को भ्रमित ना किया जाए हमारी एक ही मांग है पुरानी पेंशन हूबहू पुरानी पेंशन।



UPS के विरोध में कर्मचारी शिक्षक संगठन, पुरानी पेंशन के लिए लड़ाई जारी रखने का ऐलान 

संगठनों का आरोप, एनपीएस और यूपीएस के नाम पर गुमराह कर रही सरकार

लखनऊ। अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने एनपीएस के स्थान पर यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) को शिक्षकों व कर्मचारियों के दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा कि सरकार शिक्षक कर्मचारियों को एनपीएस और यूपीएस के नाम पर गुमराह कर उनका शोषण कर रही है।

उन्होंने कहा कि शिक्षकों कर्मचारियों पुरानी पेंशन से कुछ भी कम नहीं चाहिए। उसे पुरानी पेंशन बहाली से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। महामंत्री डॉ. नीरजपति त्रिपाठी ने कहा कि पुरानी पेंशन व्यवस्था को जल्द बहाल किया जाना चाहिए। इसके लिए संघर्ष जारी रहेगा।


उधर यूनाइटेड टीचर्स एसोशिएशन के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र सिंह राठौर ने भी यूनिफाइड पेंशन स्कीम का विरोध किया है। कहा, जब सांसदों और विधायकों को ओपीएस मिल रही है तो शिक्षकों और कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देने में इतना अड़ंगा क्यों लगाया जा रहा है। हम लड़ेंगे और अंतिम दिन तक पुरानी पेंशन के लिए संघर्ष करेंगे। वहीं विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के प्रांतीय मीडिया प्रभारी विनीत कुमार सिंह ने भी इसे कर्मचारियों के साथ बड़ा धोखा बताया।


इप्सेफ दो अक्तूबर से कर्मचारी सत्याग्रह के लिए प्रतिबद्ध

पुरानी पेंशन बहाली, स्थायी व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सतीश पांडेय ने वेतन आयोग न्यूनतम वेतन का गठन की मांग

लखनऊ। इंडियन पब्लिक सर्विस एम्पलाइज फेडरेशन (इप्सेफ) पुरानी पेंशन बहाली, स्थाई राष्ट्रीय वेतन आयोग के गठन, आउटसोर्स कर्मचारी की सेवा सुरक्षा तथा न्यूनतम वेतन आदि मांगों को लेकर दो अक्तूबर से कर्मचारी सत्याग्रह शुरू करेगा। इप्सेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीपी मिश्रा ने बताया कि उपरोक्त मांगों का ज्ञापन रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को कई बार भेजा गया है। उन्होंने आश्वासन दिया था कि इप्सेफ की मांगों पर मा प्रधानमंत्री से बातकर निराकरण कराएंगे। इस संबंध में कार्मिक सचिव से वार्ता हुई थी। पेंशन बहाली समिति का गठन भी हुआ परंतु उसकी संस्तुतियों के बारे में कोई निर्णय नहीं किया गया। 

संगठन के महासचिव प्रेमचन्द बताया कि पिछला वेतन आयोग 2 वर्ष पहले ही गठित हो गया था जिसका लाभ 1 जनवरी 2016 से लागू कर दिया गया था। उसी तरह आठयों वेतन आयोग भी 2 वर्ष पूर्व अर्थात 2024 में गठित होना चाहिए। उप महासचिव अतुल मिश्रा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शशि कुमार मिश्रा, सुरेश रावत ने कहा कि उत्तर प्रदेश में डेलीवेजेस कर्मचारियों के नियमितीकरण की नीति बन्नाई जानी चाहिए। इप्सेफ नेताओं ने देश भर के करोड़ों कर्मचारियों से अपील की इन मांगों के समर्थन में दो अक्टूबर को आंदोलन करने का संकल्प करेंगे और आगे के आंदोलन में पूरी भागीदारी करेंगे। 


ऊर्जा क्षेत्र के कर्मियों को मिले पुरानी पेंशन : दुबे

लखनऊ। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद सम्मानजनक जीवन यापन देने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल का स्वागत किया है। वहीं फेडरेशन ने प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर अनुरोध किया है कि ऊर्जा क्षेत्र के कर्मचारियों और इंजीनियरों के लिए भी पुरानी पेंशन की व्यवस्था लागू की जाए। फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे एवं सचिव पी रत्नाकर राव ने रविवार को जारी बयान में कहा कि यूनिफाइड पेंशन स्कीम पुरानी पेंशन स्कीम का विकल्प नहीं है। राज्य बिजली बोर्ड के विघटन के बाद भर्ती होने वाले कर्मचारियों को पावर सेक्टर में पेंशन से महरूम कर दिया गया है। ब्यूरो


फार्मासिस्ट फेडरेशन : हूबहू बहाल हो पुरानी पेंशन

लखनऊ। फार्मासिस्ट फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील कुमार यादव एवं महामंत्री अशोक कुमार ने कहा कि पुरानी पेंशन योजना को हूबहू बहाल किया जाए। इसके अलावा अन्य कोई विकल्प मान्य नहीं है। ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस के प्रदेश अध्यक्ष विजय विद्रोही ने कहा कि नई स्कीम में कोई गुणात्मक परिवर्तन नहीं है। ऐसे में पुरानी पेंशन जारी की जाए। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने कहा कि पीएम का कदम पुरानी पेंशन योजना बहाली के लिए सकारात्मक संदेश है। अभी खिड़की खुली है, लेकिन दरवाजा खुलने का इंतजार है। महामंत्री शिवबरन सिंह यादव ने कहा कि पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए। प्रदेश मिनिस्ट्रीयल कलेक्टेट कर्मचारी संघ अध्यक्ष सुशाल कुमार त्रिपाठी ने कहा कि सरकार का गजट आने के बाद इस प्रकरण में सभी सेवा संघों को आमसभा की जाएगी। 

69000 शिक्षक भर्ती में नए पद न जोड़ने की बेरोजगार युवाओं की मांग

69000 शिक्षक भर्ती में नए पद न जोड़ने की बेरोजगार युवाओं की मांग


प्रयागराज : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के हालिया आदेश के बाद पैदा हुई परिस्थितियों के मद्देनजर बेरोजगार अभ्यर्थियों ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग में ज्ञापन देकर 69000 शिक्षक भर्ती में नए पद न जोड़ने की मांग की।


अभ्यर्थियों का कहना है कि पिछले छह साल से नई भर्ती नहीं आई हैं। जो भी रिक्त पद हैं उन पर डीएलएड बेरोजगारों का हक है। ऐसे में आरक्षण विसंगति के कारण 69000 शिक्षक भर्ती में पूर्व में चयनित और वर्तमान में बाहर हो रहे अभ्यर्थियों को समायोजित करने के लिए कोई ऐसा कदम न उठाया जाए जिससे डीएलएड बेरोजगारों का अहित हो।

आयोग के उपसचिव डॉ. शिवजी मालवीय की अनुपस्थिति में अभ्यर्थियों रजत सिंह, अशोक दूबे, सुनील यादव, राहुल यादव, लवकुश मौर्य, रुद्रांश कुमार व विपुल सिंह ने कर्मचारी अभिषेक उपाध्याय को ज्ञापन सौंपा।

प्रदेश के राजकीय कॉलेजों की अनुपयोगी जमीन पाठ्येत्तर गतिविधियों के लिए प्रयोग की जा सकेगी, माध्यमिक शिक्षा विभाग के प्रस्ताव पर कैबिनेट की मुहर

प्रदेश के राजकीय कॉलेजों की अनुपयोगी जमीन पाठ्येत्तर गतिविधियों के लिए प्रयोग की जा सकेगी, माध्यमिक शिक्षा विभाग के प्रस्ताव पर कैबिनेट की मुहर 

राजकीय कॉलेजों की खाली पड़ी भूमि पर बन सकेंगे मिनी स्टेडियम

दूसरे विभाग कर सकेंगे निवेश व निर्माण, आय का आधा हिस्सा भी मिलेगा



लखनऊ । प्रदेश के राजकीय इंटर व हाईस्कूल कॉलेजों की अनुपयोगी जमीन अब छात्रों की पाठ्येत्तर गतिविधियों के लिए प्रयोग की जा सकेगी। इस जमीन पर दूसरे विभाग अपने निवेश से मिनी स्टेडियम, प्ले ग्राउंड, उद्यान नर्सरी आदि खोल सकेंगे। वहीं, होने वाली आय संबंधित विभाग व विद्यालय को आधी-आधी दी जाएगी। इससे जुड़े माध्यमिक शिक्षा विभाग के प्रस्ताव पर मंगलवार को कैबिनेट ने मुहर लगा दी।


प्रस्ताव
प्रस्ताव के अनुसार राजकीय हाईस्कूल व इंटर की खाली जमीनों पर अतिक्रमण हो रहा है। इसलिए यह तय किया गया कि दूसरे विभागों से या पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर विद्यार्थियों के लिए उपयोगी कार्य व गतिविधियों का आयोजन किया जाए।

इससे एक तरफ आय का प्रबंध संस्था के लिए भी होगा और जमीन का सदुपयोग भी होगा। अब खाली पड़ी जमीन पर मिनी स्टेडियम, डिजिटल लाइब्रेरी, ऑनलाइन परीक्षा केंद्र, वोकेशनल केंद्र, प्ले स्कूल, नक्षत्रशाला, नर्सरी आदि शुरू की जा सकेगी। 

इसके लिए आवश्यक दिशा- निर्देश जिला स्तरीय कमेटी तय करेगी। डीएम की अध्यक्षता में अंतरविभागीय समिति की बैठक होगी। इससे दोनों विभाग की 50-50 फीसदी आय होगी। वहीं यहां बनने वाली चीजों का स्कूल के बच्चे निशुल्क प्रयोग कर सकेंगे।


69000 शिक्षक भर्ती: हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अनारक्षित वर्ग की ओर से सुप्रीम कोर्ट में तीन याचिकाएं दाखिल

69000 शिक्षक भर्ती: हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अनारक्षित वर्ग की ओर से सुप्रीम कोर्ट में तीन याचिकाएं दाखिल
 

लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती को लेकर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के कैविएट दाखिल करने के बाद अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थी भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। अभ्यर्थियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दायर करते हुए अपना पक्ष सुनने के लिए अपील की गई हैं। एक अभ्यर्थी की तरफ से तो दो चयनित अभ्यर्थी (शिक्षकों) की ओर से दाखिल की गई हैं। 

अभ्यर्थी विनय पांडेय ने बताया कि पूर्व में भी सुप्रीम कोर्ट ने एक ही भर्ती में दो बार आरक्षण न देने की बात कही है। हम इसे लेकर ही अपील कर रहे हैं कि एक ही भर्ती में कितनी बार आरक्षण दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास होगा कि तीनों याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हो।



69 हजार शिक्षकों की भर्ती का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के फैसले को सामान्य वर्ग के चयनित उम्मीदवार द्वारा दी गई है चुनौती 

नई दिल्ली । उत्तर प्रदेश में 69 हजार सहायक शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण नियमों का पालन नहीं करने संबंधी विवाद अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। शीर्ष अदालत में इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई है, जिसके तहत 69 हजार शिक्षकों की नियुक्ति रद्द करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को नई मेरिट लिस्ट जारी करने का आदेश दिया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ द्वारा 13 अगस्त को आदेश पारित किया गया था। सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ सामान्य वर्ग के चयनित उम्मीदवार द्वारा चुनौती दी गई है। 

याचिका में कहा गया कि सम्पूर्ण चयन प्रक्रिया पारदर्शी थी। चयन प्रक्रिया उत्तर प्रदेश लोक सेवा (एससी, एसटी और ओबीसी के आरक्षण) अधिनियम, 1994 और उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षक नियमावली 1981 के प्रावधानों के अनुरूप थी, जिसके तहत ओबीसी को 27%, एससी के लिए 21% व एसटी के लिए 2% आरक्षण दिया गया है।

 याचिकाकर्ता रवि सक्सेना ने याचिका में कहा कि 25 सितम्बर 2018 के शासनादेश के अनुसार दिव्यांगजनों को 4 फीसदी, स्वतंत्रता सेनानी के आश्रितों को 2 फीसदी, पूर्व सैनिकों को 5 फीसदी और महिलाओं को 20 फीसदी आरक्षण भी संबंधित अधिनियम के तहत दिया गया है। ऐसी स्थिति में सरकार द्वारा जारी मेरिट लिस्ट दोबारा तैयार करने की कोई जरूरत नहीं है।



69000 शिक्षक भर्ती मामला: सामान्य वर्ग के अचयनित अभ्यर्थियों के बाद चयनित अभ्यर्थी भी पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

शिक्षक भर्ती मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में बनाई गई मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया था. अब, चयनित अभ्यर्थी रवि सक्सेना ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है.

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में कई साल से कानूनी पचड़े में पड़ी 69 हजार शिक्षकों की भर्ती केस में सुप्रीम कोर्ट में केविएट दाखिल करने वाले चयनित अभ्यर्थियों ने अब अर्जी दाखिल कर दी है. अचयनित अभ्यर्थियों के सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के बाद अब सामान्य वर्ग के वे अभ्यर्थियों ने भी अदालत का दरवाजा खटखटाया है, जिनका चयन हो चुका है. लेकिन अब इनको भी अपनी नौकरी खटाई में पड़ने का खतरा लग रहा है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में बनाई गई मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया था. अब, चयनित अभ्यर्थी रवि सक्सेना ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है. 


लखनऊ बेंच ने क्या आदेश दिया था?
पीठ ने तीन महीने में नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया था. हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सामान्य वर्ग चयनित और अचयनित दोनों ही वर्ग के अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं. दो दिन पहले ही अचयनित जनरल वर्ग के अभ्यर्थियों विनय पांडेय और शिवम पांडेय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के शिक्षक भर्ती मेरिट लिस्ट रद्द करने से आंदोलित शिक्षक सड़क पर उतर आए. प्रदर्शन के दौरान लाठी चार्ज भी हुआ. इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ के आदेश को रोकने के लिए दाखिल इस याचिका में कहा गया है, 'उत्तर प्रदेश सरकार 69,000 शिक्षक भर्ती की मूल चयन सूची ना बनाई जाए, इससे सामान्य वर्ग के छात्रों का अहित होगा.' 

सिंगल जज की बेंच के आदेश पर हाई कोर्ट की खंडपीठ के आदेश के मुताबिक, सरकार अगर मूल चयन सूची बनाती है, तो 19 हजार गलत तरह से लगाए गए शिक्षक इस भर्ती की सूची से बाहर होंगे. हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के समक्ष 19,000 सीटों पर आरक्षण घोटाले का केस लड़ रहे स्पेशल अपील 172/2023 के मुख्य पैरवीकार भास्कर सिंह और सुशील कश्यप ने पहले से ही शक जता दिया था कि सरकार की हीला-हवाली की वजह से यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक आया है. आरोप है कि सरकार लिस्ट बनाने में बेवजह देरी कर रही है.

'आरक्षण नियमावली का हुआ उल्लंघन'
शिक्षक भर्ती में ओबीसी वर्ग को 27% जगह मिली है, जबकि एससी वर्ग के अभ्यार्थियों को 3.86% जगह मिली है. इसमें 21% की जगह सिर्फ 16.2% आरक्षण मिला है. शिक्षक भर्ती में बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 तथा आरक्षण नियमावली 1994 का घोर उल्लंघन हुआ है.

सरकार ने इस भर्ती में 19000 सीटों पर आरक्षण का घोटाला करके इस भर्ती में ऐसे 19000 अभ्यर्थियों का चयन कर लिया है, जिन्हें इस भर्ती प्रक्रिया में होना ही नहीं चाहिए था. जिन ओबीसी-एससी के अभ्यर्थियों को इस भर्ती प्रक्रिया में शामिल होना चाहिए था. वह पिछले 4 साल से न्याय के लिए धरना प्रदर्शन करते हुए नेताओं के यहां जाकर न्याय की गुहार लगा रहे हैं. मंत्रियों के जनता दरबार में प्रार्थना पत्र देने, मंत्री, विधायक, सांसद आदि से मिलकर न्याय पाने की हर जुगत लगा चुके हैं. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 13 अगस्त को 69000 शिक्षक भर्ती की पूरी लिस्ट को रद्द करते हुए बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 और आरक्षण नियमावली 1994 का पालन करते हुए 3 माह के अंदर पूरी लिस्ट को मूल चयन सूची के रूप में बनाने के आदेश दिए थे. 

Tuesday, August 27, 2024

यूपी बोर्ड में छठी कक्षा से बच्चों को रोजगारपरक शिक्षा देने की तैयारी, नई शिक्षा नीति के तहत किए जा रहे कई बदलाव

यूपी बोर्ड में छठी कक्षा से बच्चों को रोजगारपरक शिक्षा देने की तैयारी, नई शिक्षा नीति के तहत किए जा रहे कई बदलाव

 क्रेडिट के आधार पर होगी विद्यार्थियों की ग्रेडिंग

प्रयागराज। यूपी बोर्ड के विद्यालयों में छठवीं से ही रोजगारपरक शिक्षा देने की तैयारी है। 12वीं तक की पढ़ाई में उसे किसी न किसी व्यावसायिक कोर्स में हुनरमंद बना दिया जाएगा। ताकि, वह 12वीं पास होने के बाद अपना रोजगार शुरू कर सके।

नई शिक्षा नीति 2020 और नेशनल कैरीकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) के अंतर्गत पाठ्यक्रम में बदलाव किया जा रहा है। इसमें सबसे बड़ा बदलाव व्यावसायिक शिक्षा के स्तर पर हो रहा है। उद्देश्य है कि हर बच्चे को किसी न किसी क्षेत्र में हुनरमंद बनाया जाए। हुनरमंद बनाने के लिए बच्चे को छठवीं से ही उसकी जानकारी दी जाए। छठवीं से 1। वीं तक बच्चे को तीन वर्ग में छावसायिक शिक्षा दी जाएगी।  


इसमें इन विषयों के बारे छठवीं से 10वीं तक बेसिक शिक्षा दी जाएगी। उसके बाद 11वीं और 12वीं में इसमें से किसी एक विषय में विशेषज्ञता की पढ़ाई कराई जाएगी। व्यावसायिक विषय के अंतर्गत दसवीं तक 31 और इंटरमीडिएट मे 44 विषय हैं। एनसीईआरटी के स्तर पर इन विषयों का पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है।

अगले महीने इसको लेकर पंडित सुंदरलाल शर्मा केंद्रीय व्यावसायिक शिक्षा संस्थान भोपाल में कार्यशाला होने वाली है। सभी व्यावसायिक विषयों के लिए वहीं से पाठ्यक्रम तैयार हो रहा है। तैयारी पूरी होने के बाद उसे यूपी बोर्ड समेत देश के अन्य बोर्ड में लागू कर दिया जाएगा।



माध्यमिक शिक्षा परिषद्  इंटर में यह है व्यावसायिक विषय

फल एवं खाद्य संरक्षण, पाक शास्त्र, परिधान एवं सज्जा, धुलाई तथा रंगाई, जीवन रूपों के साथ कार्य करने के लिए पाकशास्त्र, कंफेक्शनरी, मधुमक्खी पालन, पौधशाला, खाद्य संरक्षण, फल संरक्षण, फसल सुरक्षा आदि पढ़ाया जाएगा। मशीनरी वर्ग में आटोमोबाइल, आइटी, प्लंबर, इलेक्ट्रिशियन, सोलर सिस्टम, मोबाइल रिपेयरिंग, टेक्सटाइल डिजाइन, फोटोग्राफर, परिधान रचना एवं सज्जा, आशुलिपिक, टाइपिंग, मुद्रण, रेडियो एवं टेलीविजन, बुनाई तकनीक और सिलाई उनकी रुचि के अनुसार सिखाई जाएगी। 

इसके अलावा सेवा प्रदाता वर्ग में हेल्थ केयर, खुदरा बेकिंग एवं कंफेक्सनरी, टेक्सटाइल डिजाइनिंग, बुनाई तकनीक, पुस्तकालय विज्ञान, रंगीन फोटोग्राफी, रेडियो एंड टेलीविजन, आटोमोबाइल, मुद्रण, मुधमक्खी पालन, सिलाई, फसल सुरक्षा सेवा, एकाउंटेंसी, बैंकिंग, आशुलिपिक, टंकण, घरेलू विद्युत उपकरणों की मरम्मत, खुदरा व्यापार, सुरक्षा, मोबाइल रिपेयररिंग, पर्यटन, आइटी, हेल्थ केयर, शिशु प्रबंधन, मेडिकल लेनोटरी, कुलाल विज्ञान (मिट्टी के बर्तन बनाना), डेयरी प्रौद्योगिकी, रेशम कीट पालन, बीजोत्पादन, भूमि संरक्षण, विपणन एवं विक्रय कला, सहकारिता, बीमा, कृत्रिम अंग अवयव तकनीक, इंब्राइडरी, हँड ब्लाक प्रिंटिंग एवं विजुटेबल ड्राइंग, मेटल क्राफ्ट, कंप्यूटर तकनीक एवं मेंटीनेंस।

व्यापार, सुरक्षा, आपदा प्रबंधक, पुस्तकालय विज्ञान, धुलाई रंगाई, बैंकिंग, एकाउंटेंसी और पर्यटन व आतिथ्य के बारे में पढ़ाया जाएगा।

छठी से आठवीं तक के बच्चे सीखेंगे खेती व किसानी, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों ने तैयार की पुस्तक

छठी से आठवीं तक के बच्चे सीखेंगे खेती व किसानी, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों ने तैयार की पुस्तक


नई दिल्ली। कॉन्वेंट हो या सरकारी स्कूल, अब छठी कक्षा से 8वीं तक के बच्चे कृषि का पाठ पढ़ेंगे। बच्चों को बताया जाएगा कि जो फल या सब्जियां वे खाते हैं, उसे उगाया कैसे जाता है? दूध कैसे और कहां से आता है... ऐसे तमाम सवालों का न सिर्फ बच्चों को जवाब दिया जाएगा, बल्कि प्रयोग करके दिखाया भी जाएगा। बच्चे भी खुद से मनपसंद का पौधा लगाएंगे और खेती की पूरी प्रक्रिया समझेंगे।


भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के वैज्ञानिकों ने स्कूली बच्चों को प्रशिक्षित करने के लिए पुस्तक भी तैयार की है। तीनों कक्षाओं के लिए अलग-अलग पुस्तक है। इसमें कृषि की प्रारंभिक शिक्षा से जुड़ी हर जानकारी है।

इसके लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने शताया कि खेती-किसानी को लोग हेय दृष्टि से देखते हैं। किसान भी नहीं चाहते कि उनके बच्चे खेती करें। इसी धारणा को बदलने के लिए यह कदम उठाया गया है।


खेती में व्यापक संभावनाएं
डॉ. हिमांशु पाठक का कहना है कि आधुनिक तौर-तरीके से खेती करें तो इससे अच्छा और फायदेमंद पेशा कोई दूसरा नहीं मिलेगा। कृषि शिक्षा खेती-किसानी तक सीमित नहीं रख सकते। इसमें व्यापक संभावनाएं हैं। स्टार्टअप्स से लेकर खाद्य प्रसंस्कृत कंपनियों और शिक्षण संस्थानों तक। हर जगह कृषि के जानकारों की जरूरत होती है। इसीलिए कृषि शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है।



🔴 चार फायदे होंगे

■बच्चों को फलों, फसलों और सब्जियों की सामान्य जानकारी मिल पाएगी।
■ खेती और किसानों को लेकर आने वाली पीढ़ी का नजरिया बदलेगा।
■ रोजगार के नए रास्ते खुलेंगे।
■ हर क्षेत्र के लोग कृषि से जुड़ेंगे तो नवाचार बढ़ेगा।


खेतों तक जाएंगे बच्चे, पशुपालन भी सीखेंगे

आईसीएआर के डिप्टी डायरेक्टर जनरल (कृषि शिक्षा) डॉ. आरसी अग्रवाल ने बताया कि तैयार पुस्तकों में कृषि की सभी ब्रांच से जुड़ी सामान्य जानकारी देने की कोशिश हुई है। पशुपालन, जंगल, फलों और सब्जियों से जुड़ी जानकारी भी दी गई है। मिट्टी की गुणवत्ता के बारे में भी बताया गया है।

 डॉ. अग्रवाल के अनुसार, बच्चों को किताबी शिक्षा ही नहीं दी जाएगी, बल्कि खेतों तक लाया जाएगा। उन्हें विभिन्न फसलों की खेती दिखाई जाएगी। पूरी प्रक्रिया के बारे में बताया जाएगा। आधुनिक तौर-तरीकों से भी रूबरू कराया जाएगा। वे पशुपालन, मुर्गीपालन भी सीखेंगे।

69000 शिक्षक भर्ती के आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी दो सितंबर को घेरेंगे मुख्यमंत्री आवास, हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार जल्द नई सूची जारी करने की मांग

69000 शिक्षक भर्ती के आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी दो सितंबर को घेरेंगे मुख्यमंत्री आवास

हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार जल्द नई सूची जारी करने की मांग

लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी लगातार धरने पर बैठे हुए हैं। इन अभ्यर्थियों ने अब दो सितंबर को मुख्यमंत्री आवास घेरने व महाधरने का आह्वान किया है।

ओबीसी और एससी अभ्यर्थियों की मांग है कि प्रदेश सरकार इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के आदेश का पालन करे। जिसके तहत सरकार को भर्ती की नई चयन सूची जारी करनी है। मगर अधिकारियों के ढीले रवैये के कारण अभी तक चयन सूची जारी नहीं की गई। इससे धरनारत आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों में बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों के प्रति भारी आक्रोश है।

आंदोलन का नेतृत्व कर रहे अमरेन्द्र सिंह पटेल, विजय प्रताप, विक्रम यादव, धनंजय गुप्ता व अन्नू पटेल ने बताया कि ओबीसी, एससी समाज के अनेक संगठनो ने भी उनका समर्थन देने का एलान किया है। वहीं ईको गार्डेन में उनका धरना निरंतर जारी है। 



24 अगस्त 2024
निदेशालय से हटाए गए धरना दे रहे आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी, अब ईको गार्डन में धरने पर बैठे, कहा- नौकरी का आदेश मिलने तक धरना जारी रखेंगे


बेसिक शिक्षा निदेशालय पर प्रदर्शन कर रहे आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को शुक्रवार को पुलिस ने यहां से हटाकर ईको गार्डन भेज दिया। 


लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती में हाईकोर्ट के आदेश को लागू करने व नियुक्ति देने की मांग को लेकर बेसिक शिक्षा निदेशालय पर प्रदर्शन कर रहे आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को शुक्रवार को पुलिस ने यहां से हटा दिया। 


पुलिस भर्ती परीक्षा का हवाला देते हुए पुलिस ने अभ्यर्थियों को विधिक नोटिस दिया और बस से ईको गार्डन भेजा। अभ्यर्थी यहां भी अपना धरना जारी रखे हुए हैं। नोटिस में कहा गया कि निदेशालय के पास ही राजकीय इंटर कॉलेज निशातगंज में पुलिस भर्ती परीक्षा आयोजित की जा रही है।

परीक्षा के दौरान अभ्यर्थियों के प्रदर्शन से बाधा पैदा होती है तो नियमानुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही पुलिस ने अभ्यर्थियों को फिलहाल यहां से धरना समाप्त करने को कहा।

अभ्यार्थियों ने कहा कि जब तक विभाग की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती व नियुक्ति को लेकर आदेश नहीं जारी हो जाता, तब तक विरोध-प्रदर्शन जारी रहेगा।

Monday, August 26, 2024

NPS पूरी तरह लागू नहीं, UPS पर संशय, 19 वर्ष बाद भी यूपी के हजारों शिक्षकों के वेतन से नहीं हो रही कटौती

NPS पूरी तरह लागू नहीं, UPS पर संशय, 19 वर्ष बाद भी यूपी के हजारों शिक्षकों के वेतन से नहीं हो रही कटौती


प्रयागराज :  केंद्र सरकार ने कर्मचारियों के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) को मंजूरी तो दे दी है लेकिन यह भी हकीकत है कि राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) 19 साल बाद भी पूरी तरह से लागू नहीं हो सकी है। ऐसे में यूपीएस के लागू होने को लेकर कर्मचारियों में संशय की स्थिति बनी हुई है।


 शिक्षा विभाग के अफसरों की लापरवाही का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि प्रयागराज में बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में एनपीएस से आच्छादित 9893 शिक्षकों-कर्मचारियों में से 2911 का प्रान (परमानेंट रिटासरमेंट एकाउंट नंबर) आज तक आवंटित नहीं हो सका है।


जिन 6982 शिक्षकों-कर्मचारियों के प्रान आवंटित है उनमें से भी 1830 के अंशदान की कटौती शुरू नहीं हो सकी है। सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में भी सैकड़ों शिक्षकों व कर्मचारियों के प्रान आवंटित नहीं है। कुछ जिलों को छोड़कर एडेड कॉलेजों से संबद्ध प्राइमरी और सहायता प्राप्त संस्कृत विद्यालयों के शिक्षकों-कर्मियों के अंशदान की कटौती आज तक शुरू नहीं हो सकी है। 2017 में शासनादेश जारी होने के सात साल बाद भी एनपीएस के तहत अग्रिम धन निकासी की सुविधा नहीं मिल सकी है।


पुरानी पेंशन योजना से यूपीएस की तुलना नहीं

प्रयागराज : उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (ठकुराई गुट) ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) का विरोध किया है। प्रदेश महामंत्री लालमणि द्विवेदी ने कहा है कि ओपीएस से तुलना नहीं की जा सकती है। ओपीएस में वेतन से जीपीएफ में 10 प्रतिशत अंशदान की सुनिश्चित ब्याज के साथ वापसी है जबकि यूपीएस वेतन से होने वाली 10 फीसदी कटौती की वापसी पर मौन है। 

ओपीएस में पूर्ण पेंशन (वेतन का 50 प्रतिशत) 20 वर्ष की सेवा पर है, जबकि यूपीएस में 25 वर्ष की सेवा पर है। ओपीएस में ग्रेच्युटी प्रति छमाही सेवा पर एक माह के वेतन का 25 प्रतिशत है, जबकि यूपीएस में 10 फीसदी की बात की गई है। ओपीएस में कर्मचारी की मृत्यु पर आश्रित को 10 वर्ष तक कर्मचारी के अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत मिलता है, जबकि यूपीएस में 30 फीसदी देने की बात कही गई है।


एनपीएस का शासनादेश लागू होने के 19 साल बाद भी इसे कर्मचारियों ने पूरी तरह स्वीकार नहीं किया और न ही विभाग उसमें संशोधन कर पाया है। अब यूपीएस को एक अप्रैल 2025 से लागू किया जा रहा है। सरकार एनपीएस को बदलकर ओपीएस क्यों नहीं कर सकती। कर्मचारियों के लिए केवल ओपीएस ही हितकारी है। देवेंद्र कुमार श्रीवास्तव, जिला अध्यक्ष प्राथमिक शिक्षक संघ

इंस्पायर अवॉर्ड के लिए उत्तर प्रदेश से सर्वाधिक 40 हजार नामांकन, 15 सितंबर तक किया जा सकता है आवेदन

इंस्पायर अवॉर्ड के लिए उत्तर प्रदेश से सर्वाधिक 40 हजार नामांकन, 15 सितंबर तक किया जा सकता है आवेदन


लखनऊ। विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से दिए जाने वाले इंस्पायर अवॉर्ड के लिए वर्ष 2024-25 में सर्वाधिक 40 हजार से ज्यादा नामांकन यूपी से हुए हैं। एक जुलाई से शुरू हुई नामांकन प्रक्रिया 15 सितंबर तक चलेगी।


इंस्पायर (इनोवेशन इन साइंस परस्यूट फॉर इंस्पायर्ड रिसर्च) अवॉर्ड का उद्देश्य छात्रों को विज्ञान के प्रति जागरूक और प्रोत्साहित करना है। ये पुरस्कार 10 से 15 वर्ष तथा कक्षा 6 से 10 के छात्रों को दिया जाता है। एक स्कूल से अधिकतम पांच नवाचार पेश किए जा सकते हैं।


 इसके लिए हर विद्यालयों में आइडिया बॉक्स लगाए गए हैं। इसमें विद्यार्थी अपने नवाचार व आइडिया को जमा कर सकते हैं। विद्यालय स्तर से पांच उत्कृष्ट आइडिया का चयन कर पोर्टल पर अपलोड किया जाता है।

जिला स्तर पर एक इसके लिए एक मोटिवेशनल अध्यापक (विज्ञान) को नामित किया गया है। अवॉर्ड के लिए हेल्पलाइन नंबर व ईमेल भी जारी किए गए हैं। इसकी विस्तृत जानकारी विद्यालय स्तर पर भी प्राप्त की जा सकती है।



राजस्थान दूसरे और कर्नाटक तीसरे स्थान पर

23 अगस्त तक के आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान 25 हजार नामांकन के साथ दूसरे स्थान पर है। 20 हजार से अधिक नामांकन के साथ कर्नाटक तीसरे स्थान पर है। चौथे स्थान पर मध्य प्रदेश, पांचवें पर छत्तीसगढ़, छठवें पर झारखंड, सातवें पर जम्मू-कश्मीर, आठवें पर उत्तराखंड, नौवें स्थान पर ओडिसा व दसवें स्थान पर बिहार है।


सरप्लस शिक्षकों की सूची में गड़बड़ी, भेजा संशोधित डाटा, कई जिलों में गड़बड़ी करने के आरोपितों पर कार्रवाई

सरप्लस शिक्षकों की सूची में गड़बड़ी, भेजा संशोधित डाटा, कई जिलों में गड़बड़ी करने के आरोपितों पर कार्रवाई

आवश्यकता वाले विद्यालयों में किया जाना है समायोजन


प्रयागराज : बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में छात्र-शिक्षक अनुपात (30:1) रखने के लिए शिक्षकों के समायोजन की प्रक्रिया चल रही है। इसके तहत शिक्षक की आवश्यकता वाले विद्यालयों की सूची एवं सरप्लस शिक्षकों की सूची बीएसए के लागिन पर 16,17 अगस्त को प्रदर्शित की गई तो कुछ के डाटा सही होने पर प्रश्न उठ गए। 


ऐसे 3,207 विद्यालयों की सूची महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने जांच के लिए भेजी थी। गड़बड़ी मिलने पर संशोधित डाटा अपलोड करने के लिए सचिव को कई बीएसए ने पत्र भेजे हैं। साथ ही त्रुटि के दोषियों पर कार्रवाई किए जाने की भी जानकारी दी है।


नियमानुसार 30 छात्र संख्या तक एक शिक्षक नियुक्त होना चाहिए। छात्र संख्या 31 होने पर दो शिक्षकों की नियुक्ति का मानक है। 60 संख्या तक दो शिक्षक नियुक्त रहेंगे। इसी क्रम में अधिक छात्र संख्या होने पर शिक्षकों की तैनाती होना चाहिए। 


इसके विपरीत कुछ जिलों के अनेक विद्यालयों में 30 छात्र संख्या से एक अधिक अंकित होने पर एक शिक्षक सरप्लस की सूची में आने से बच गए तो कुछ में छात्र संख्या एक कम होने पर एक शिक्षक सरप्लस की सूची में आ गए।


 अयोध्या के बीएसए ने सचिव परिषद को मानव संपदा पोर्टल पर ऐसी ही गड़बड़ी पर संशोधित डाटा अपडेट करने के लिए पत्र भेजा है। कहा है, कार्य में शिथिलता बरतने पर संबंधित शिक्षक की एक वार्षिक वृद्धि अस्थायी रूप से रोकी गई है।


 इसी तरह गोरखपुर, झांसी सहित कुछ और जिलों में कार्रवाई की गई है। झांसी के बीएसए ने संबंधित खंड शिक्षा अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी कर मानव संपदा पोर्टल पर उनकी ई-सर्विस पंजिका में अंकित किया है।

Sunday, August 25, 2024

जानिये! स्कूलों को लेकर हिंदुजा ग्रुप द्वारा संचालित Road to School प्रोजेक्ट क्या है? क्या उक्त प्रोजेक्ट से शिक्षकों की नौकरियों को भविष्य में कोई खतरा हो सकता है?

जानिये!  स्कूलों को लेकर हिंदुजा ग्रुप द्वारा संचालित Road to School प्रोजेक्ट क्या है?  क्या उक्त प्रोजेक्ट से शिक्षकों की नौकरियों को भविष्य में कोई खतरा हो सकता है? 



"Road to School" प्रोजेक्ट का परिचय

"Road to School" प्रोजेक्ट हिंदुजा ग्रुप की कंपनी अशोक लीलैंड द्वारा संचालित एक पहल है, जिसका उद्देश्य भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना है। यह प्रोजेक्ट सरकारी स्कूलों के साथ मिलकर बच्चों को बेहतर शिक्षा, स्वच्छता, और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच प्रदान करता है। इस पहल के तहत, अशोक लीलैंड ने न केवल शैक्षणिक सामग्री और तकनीकी सहायता प्रदान की है, बल्कि शिक्षकों को प्रशिक्षण और बच्चों के समग्र विकास के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन भी किया है।



प्रोजेक्ट की मुख्य विशेषताएं:

1. गुणवत्ता सुधार: यह प्रोजेक्ट शिक्षकों और छात्रों के लिए शैक्षिक गुणवत्ता सुधारने पर ध्यान केंद्रित करता है, जिसमें शिक्षकों को आधुनिक शिक्षण विधियों में प्रशिक्षण दिया जाता है।

2. बुनियादी ढांचे का विकास: स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं जैसे कि लाइब्रेरी, कंप्यूटर लैब, और स्मार्ट क्लासरूम का निर्माण करना।

3. छात्रों की भलाई: छात्रों के स्वास्थ्य, स्वच्छता, और पोषण पर ध्यान देने के लिए स्वास्थ्य शिविरों और पोषण कार्यक्रमों का आयोजन।

4.  समुदाय की भागीदारी: स्थानीय समुदायों और अभिभावकों को शिक्षण प्रक्रिया में शामिल करना ताकि बच्चे की पढ़ाई में निरंतरता बनी रहे।


सरकारी शिक्षकों पर प्रभाव का आंकलन:

सरकारी शिक्षकों की नौकरियों पर "Road to School" प्रोजेक्ट का सीधा असर होने की संभावना कम है, क्योंकि यह प्रोजेक्ट सरकारी स्कूलों के साथ मिलकर काम करता है, न कि उनकी जगह लेने के लिए। इसके विपरीत, इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य शिक्षकों को और अधिक कुशल और प्रभावी बनाना है, ताकि वे छात्रों को बेहतर शिक्षा दे सकें। 

हालांकि, एक दीर्घकालिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो इस तरह की निजी भागीदारी और सुधार योजनाएं शिक्षा के निजीकरण की दिशा में एक कदम मानी जा सकती हैं। यदि भविष्य में इस प्रकार की योजनाओं का विस्तार होता है और निजी कंपनियों की भूमिका बढ़ती है, तो यह संभव है कि शिक्षा व्यवस्था में कुछ बदलाव आएं, जिनका असर सरकारी शिक्षकों की भूमिका पर पड़ सकता है। 

फिर भी, वर्तमान में "Road to School" प्रोजेक्ट का मुख्य लक्ष्य सरकारी शिक्षा प्रणाली को सहयोग देना और उसकी गुणवत्ता में सुधार लाना है, न कि सरकारी शिक्षकों की नौकरियों को खतरे में डालना।

कक्षा 9 व 11 में ऑनलाइन पंजीकरण अब 10 सितंबर तक, माध्यमिक शिक्षा परिषद के प्रस्ताव पर शासन ने बढ़ाई तिथि

कक्षा 9 व 11 में ऑनलाइन पंजीकरण अब 10 सितंबर तक, माध्यमिक शिक्षा परिषद के प्रस्ताव पर शासन ने बढ़ाई तिथि


लखनऊ। शासन ने कक्षा 9 और 11 के छात्रों के पंजीकरण की तिथियों में संशोधन किया है। अब विद्यालयों के प्रधानाचार्यों को 10  सितंबर तक पंजीकरण शुल्क जमा करने और छात्रों के शैक्षिक विवरणों को अपलोड करने की अनुमति दी गई है। यह तिथि माध्यमिक शिक्षा परिषद प्रयागराज की मांग पर बढ़ाई गई है। ताकि कोई भी छात्र  पंजीकरण से वंचित न रहे।


माध्यमिक शिक्षा विभाग के उप सचिव संजय कुमार के अनुसार शैक्षिक सत्र 2024-25 में अब कक्षा 9 और 11 के छात्रों का पंजीकरण शुल्क 10 सितंबर तक जमा करने और छात्रों के शैक्षिक विवरणों को परिषद की वेबसाइट पर ऑनलाइन अपलोड करने की अनुमति दी गई है।


अपलोड प्रपत्रों की जांच 11 से 13 सितंबर के बीच होगी। इस दौरान किसी भी प्रकार का अपडेशन प्रतिबंधित रहेगा। यदि किसी विवरण में सुधार की जरूरत हो, तो प्रधानाचार्य 14 से 20 सितंबर के बीच इनमें आवश्यक संशोधन कर सकते हैं। इस अवधि के दौरान नए छात्रों का विवरण अपलोड या स्वीकार नहीं किया जाएगा, सिर्फ पहले से अपलोड विवरणों में ही संशोधन की अनुमति होगी।


उन्होंने कहा है कि सभी प्रधानाचार्यों को पंजीकृत अभ्यर्थियों की फोटोयुक्त नामावली और संबंधित कोष पत्र की एक प्रति 30 सितंबर तक डीआईओएस कार्यालय में जमा करनी होगी। इस संबंध में माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव भगवती सिंह ने भी सभी प्रधानाचायों को जरूरी निर्देश दिए हैं।



69000 शिक्षक भर्ती : समस्या के स्थायी समाधान में जुटी सरकार, ताकि फिर शिक्षक भर्ती में आरक्षण का मामला न बने चुनावी मुद्दा

69000 शिक्षक भर्ती : समस्या के स्थायी समाधान में जुटी सरकार, ताकि फिर शिक्षक भर्ती में आरक्षण का मामला न बने चुनावी मुद्दा


लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती मामला यूं तो चार साल से चर्चा में बना हुआ है, किंतु पिछले लोकसभा चुनाव में जिस तरह ओबीसी आरक्षण एक प्रमुख मुद्दा बना और आगामी विधानसभा उपचुनाव व 2027 के चुनाव में भी विपक्ष ओबीसी आरक्षण को अपना खास हथियार बनाने में लगा हुआ है। इसे देखते हुए ही शासन व अधिकारी छुट्टियों में भी बैठक कर खोज रहे इसके लिए रास्ता सरकार इस मुद्दे का स्थायी समाधान निकालने में जुट गई है। 

69000 शिक्षक भर्ती मामले में पूर्व में ही 6800 की सूची प्रस्तुत कर एक तरह से विभागीय अधिकारियों ने यह मान लिया था कि इस मामले में कहीं न कहीं चूक हुई है। इसके बाद भी इस मुद्दे का समाधान नहीं निकल सका। यही वजह रही कि अभ्यर्थियों के साथ-साथ समय-समय पर विपक्ष व भाजपा के सहयोगी दल भी इसके मुद्दे को उठाते रहे हैं। 

हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षक भर्ती की पुरानी सभी सूची रद्द करते हुए नए सिरे से सूची बनाने का आदेश दिया है तो प्रदेश सरकार इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट जाने की जगह स्थायी समाधान करने में जुट गई है, ताकि आगे फिर इस भर्ती में ओबीसी आरक्षण मुद्दा न बन सके। शासन की ओर से विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि इस मामले का स्थायी समाधान खोजा जाए। इसमें भी किसी भी युवा के भविष्य के साथ अन्याय न हो। विभागीय अधिकारी भी छुट्टियों में बैठक कर इसका रास्ता निकालने में जुटे हुए हैं।


69000 शिक्षक भर्ती : चयनितों के समायोजन पर माथापच्ची शुरु, 
नई सूची जारी होने में डेढ़ से दो महीने का लगेगा समय

दोनों पक्ष न हों प्रभावित, इस पर फोकस कर हो रहा काम 

प्रभावितों को कैबिनेट से विशेष प्रस्ताव लाकर कर सकते हैं समायोजित


लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती में इलाहाबाद हाईकोर्ट के हालिया आदेश के बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने नई सूची पर मंथन शुरू कर दिया है। आरक्षण के नियमों के अनुसार सूची तैयार करने के साथ ही विभाग इस पर ज्यादा माथापच्ची कर रहा है कि नई सूची बनने के बाद नौकरी कर रहे जो अभ्यर्थी प्रभावित होंगे, उनको किस तरह समायोजित किया जाए? सरकार और विभाग का फोकस इस बात पर है कि दोनों पक्ष प्रभावित न हो। इस कवायद को पूरा करने में डेढ़ से दो महीने का समय लगने की संभावना है।


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुरानी सभी सूची को रद्द करते हुए शिक्षक भर्ती की नए सिरे से सूची बनाने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बैठक कर विभाग को हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार कार्यवाही करने के निर्देश दिए। साथ ही यह भी कहा कि किसी के साथ अन्याय नहीं होगा। बेसिक शिक्षा विभाग ने इस पर तेजी से काम शुरू कर दिया है।


 विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार आरक्षण के नियमों के अनुसार नई सूची बनाने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस बारे में शासन स्तर के साथ-साथ विभाग के स्तर पर भी दो-तीन बैठकें हो चुकी हैं। नई सूची को नियमानुसार तैयार करने में अपेक्षाकृत ज्यादा दिक्कत नहीं होगी, किंतु इस सूची के बनने के बाद जो 6-7 हजार अभ्यर्थी प्रभावित होंगे, उनको किस तरह समायोजित किया जाएगा, इस पर ज्यादा माथापच्ची हो रही है।


चार साल नौकरी कर चुके इन अभ्यर्थियों के समायोजन के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई जाए, इसे लेकर शासन व विभाग के स्तर पर विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। विभाग अलग से कोई भर्ती निकालकर इनको समायोजित करता है तो उसमें भी नियमानुसार आरक्षण देना होगा। ऐसे में विभाग विशेष प्रावधान के तहत कैबिनेट से प्रस्ताव पास कराकर इनको समायोजित करने पर भी विचार कर रहा है।


इसके बाद भी कम नहीं हैं दिक्कतें

विभाग अगर चार साल से नौकरी कर रहे प्रभावित शिक्षकों को फिर से समायोजित करता है तो पहला सवाल यह खड़ा होता है कि इसमें आरक्षण का प्रावधान होगा या नहीं? या इनको कोई वेटेज दिया जाएगा। दूसरा बड़ा सवाल यह भी है कि क्या इन शिक्षकों की वरिष्ठता बनी रहेगी या नए सिरे से उनकी नौकरी शुरू होगी। इतना ही नहीं समायोजित शिक्षकों को फिर से जिलों का आवंटन होगा या वह पूर्व की जगह पर नौकरी करेंगे? इन सवालों के जवाब विभागीय अधिकारी खोजने में लगे हैं। यही वजह है कि पिछले चार साल से चर्चा का केंद्र बनी भर्ती में शासन व विभाग फूंक-फूंककर कदम रख रहा है।

विद्या समीक्षा केंद्र के जरिए माध्यमिक स्कूलों की ऑनलाइन निगरानी में 34 जिलों में मिली तमाम तरह की कमियां

विद्या समीक्षा केंद्र के जरिए माध्यमिक स्कूलों की ऑनलाइन निगरानी में 34 जिलों में मिली तमाम तरह की कमियां


लखनऊ । प्रदेश के माध्यमिक स्कूलों की लखनऊ स्थित विद्या समीक्षा केन्द्र के माध्यम से बीते 07 अगस्त से 21 अगस्त तक कराई गई ऑनलाइन मॉनिटरिंग में 34 जिलों में तमाम तरह की खामियां उजागर हुई है। ऑनलाइन मॉनिटरिंग में कई स्कूलों में कक्षाओं के दौरान शिक्षक नदारत मिले हैं तो कई विद्यालयों में समय सारणी के अनुसार कक्षाएं संचालित होते नहीं पाई गईं। कई स्कूलों में शिक्षक-शिक्षकाएं और स्टाफ मौजूद मिले लेकिन छात्र-छात्रायें मौजूद नहीं थे। 


ज्यादातर स्कूलों में शैक्षिक पंचांग का अनुपालन नहीं पाया गया जबकि कैलेण्डर में प्रयोग कक्षा का समय होने के बावजूद प्रयोगशालायें खाली पाई गई।


गौर करने वाली बात यह है कि ऑनलाइन मानिटरिंग के दौरान मिलने वाली खामियों के बारे में पूछताछ के लिए संबंधित विद्यालयों के प्रधानाचार्यों के या तो मोबाइल फोन रिसीव नहीं हुए या स्वीच ऑफ मिले। प्रदेश के 34 जिलों के ऐसे 64 स्कूलों में यह स्थिति पाये जाने पर माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने नाराजगी जताई है। 


इन जिलों के डीआईओएस और सम्बंधित मंडल के संयुक्त शिक्षा निदेशक (जेडी) को निर्देश दिए हैं कि ये खामियां दुरुस्त करें और टाइम टेबल के अनुसार नियमित पढ़ाई करवाना सुनुश्चित करें। साथ ही जहां खामियां पाई गई हैं, वहां जिम्मेदारी तय करते हुए कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए गये हैं। साथ ही उनसे एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट भी तलब की गई है।



सीसीटीवी से निगरानी

माध्यमिक शिक्षा विभाग ने अपने सभी स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे लगवाकर उनकी निगरानी की जिम्मेदारी लखनऊ स्थित विद्या समीक्षा केंद्र को सौंप रखी है। जहां शिक्षण कार्य ठीक से नहीं हो रहा होता या फिर कोई खामी दिखती है तो केंद्र से फोन करके निर्देश दिए जाते हैं। बीते 07 अगस्त से 21 अगस्त तक स्कूलों की ऑनलाइन मॉनीटरिंग की गई तो कई स्कूलों में तमाम तरह की खामियां पाई गईं।


 इसे दूर करने के लिए स्कूलों को जब फोन किया गया तो कई स्कूलों के प्रधानाचार्यों और शिक्षकों ने या तो फोन नहीं उठाया या फिर संतोषजनक जवाब नहीं दिया। इसे देखते हुए माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने सम्बंधित जिलों के डीआईओएस और संयुक्त शिक्षा निदेशक को पत्र लिखा है। कहा है कि सभी विद्यालय हर पाली की सूचनाएं ऑनलाइन फीड करें।

Saturday, August 24, 2024

5 सितंबर को इको गार्डन में धरना देने के बाद शिक्षामित्र 6 सितंबर से बेसिक शिक्षा निदेशालय का अनिश्चितकालीन घेराव करेंगे


5 सितंबर को इको गार्डन में धरना देने के बाद शिक्षामित्र 6 सितंबर से बेसिक शिक्षा निदेशालय का अनिश्चितकालीन  घेराव करेंगे


लखनऊ । उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ ने आगामी 6 सितम्बर से लखनऊ में बेसिक शिक्षा निदेशालय का अनिश्चितकाल तक घेराव करने का ऐलान किया है। 


संगठन के प्रदेश मंत्री कौशल कुमार सिंह ने बताया कि पिछले सात वर्षों से आर्थिक तंगी से जूझ रहे प्रदेश भर के करीब 1.42 लाख शिक्षामित्र मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक अपनी समस्या पंहुचाने एवं उसके अविलम्व समाधान के लिये 5 सितंबर शिक्षक दिवस के अवसर पर इको गार्डेन लखनऊ में धरना देंगे। उसके बाद 6 सितंबर से बेसिक शिक्षा निदेशालय पर समस्या का निराकरण होने तक अनिश्चित कालीन धरना प्रदर्शन पर बैठेंगे।

समायोजन की विसंगतियों के संबंध में RSM ने दिया ज्ञापन

समायोजन की विसंगतियों के संबंध में RSM  ने दिया ज्ञापन

Friday, August 23, 2024

बोर्ड परीक्षाओं की अवधि देश भर में हो सकती है एक समान, शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों के स्कूली शिक्षा बोर्डों के साथ शुरू की चर्चा

बोर्ड परीक्षाओं की अवधि देश भर में हो सकती है एक समानशिक्षा मंत्रालय ने राज्यों के स्कूली शिक्षा बोर्डों के साथ शुरू की चर्चा
 

बिहार में 12वीं की परीक्षा दस दिन में और पंजाब में होती है 63 दिन में

नई दिल्ली: एक देश, एक ही कक्षा लेकिन परीक्षाओं के - पैटर्न सभी राज्यों में अलग है। कोई दसवीं की बोर्ड परीक्षा अभी सिर्फ - आठ दिन में कराता है तो कोई इसे  34 दिन में कराता है। ऐसी ही कुछ स्थिति बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं को लेकर है। बिहार इसे दस दिन में कराता है तो पंजाब में यह 63 दिन में होती है। फिलहाल सभी  राज्यों के स्कूली शिक्षा बोर्डों की दसवीं व बारहवीं की परीक्षाओं की अवधि में एकरूपता लाने शिक्षा मंत्रालय ने पहल तेज की है। राज्यों के साथ इसे लेकर विमर्श शुरू  किया गया है।


माना जा रहा है कि इस पहल से कोई भी राज्य दूसरे राज्य की बोर्ड परीक्षाओं की गुणवत्ता पर सवाल  नहीं खड़ा कर सकेगा। साथ ही छात्रों को भी फटाफट या परीक्षा की लंबी  अवधि से छुटकारा मिलेगा। वैसे भी विशेषज्ञों की मानें तो परीक्षाओं की अवधि ज्यादा लंबी होने से छात्रों में तनाव बढ़ता है।


 शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों के स्कूली शिक्षा बोडौँ के परीक्षा पैटर्न का अध्ययन करने के बाद यह पहल शुरू की है। नई  राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी स्कूली शिक्षा में एकरूपता लाने की पहल की गई है। इतना ही नहीं, मंत्रालय  ने परीक्षा के पैटर्न और मूल्यांकन - के तरीके में भी एकरूपता लाने की जरूरत बताई है।


मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों की माना है कि देश में एक ही कक्षा में पढ़ने वाले सभी छात्रों के पढ़ाई के स्तर को एक समान रखना है, तो जरूरी है कि सभी स्कूली शिक्षा बोर्ड मूल्यांकन के तरीके में भी एकरूपता लाएं।


शिक्षा मंत्रालय ने इसके साथ ही केंद्रीय बोर्ड यानी सीबीएसई के परीक्षा पैटर्न में बदलाव की दिशा में पहल शुरू की है। जिसमें अगले साल से दसवीं व बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं को जेईई मेन की तर्ज पर साल में दो बार कराने की तैयारी है। 


मंत्रालय का मानना है कि इससे छात्रों पर बोर्ड परीक्षा को लेकर दबाव कम होगा। यदि एक परीक्षा में वह बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाए है, तो वह दूसरी परीक्षा में हिस्सा लेकर उसे सुधार सकते है। इसके साथ सीबीएसई की बोर्ड परीक्षाओं की अवधि को अधिकतम महीने भर के भीतर रखने का भी सुझाव है। मौजूदा समय में दसवीं की बोर्ड परीक्षा सीबीएसई 34 दिन में कराती है, जबकि बारहवीं की 49 दिन में कराती है।

69000 शिक्षक भर्ती का अगला अखाड़ा बनेगा सुप्रीम कोर्ट, एक ही भर्ती में कितनी बार आरक्षण का सवाल उठाकर अनारक्षित चयनित कोर्ट जाने की तैयारी में, आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने भी दाखिल की कैविएट

69000 शिक्षक भर्ती का अगला अखाड़ा बनेगा सुप्रीम कोर्ट, एक ही भर्ती में कितनी बार आरक्षण का सवाल उठाकर अनारक्षित चयनित कोर्ट जाने की तैयारी में, आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने भी दाखिल की कैविएट


69000 शिक्षक भर्ती में चयनित अभ्यर्थियों (शिक्षकों) ने अपना दर्द बयां किया। कहा, आखिर एक ही भर्ती में कितनी बार आरक्षण दिया जाएगा। सरकार इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट करे। हम लोग नियमानुसार चयनित होकर चार साल से नौकरी कर रहे हैं। अगर हमें बाहर किया जाएगा तो हम कहां जाएंगे?


चयनित अभ्यर्थी रॉबिन सिंह ने कहा कि भर्ती में चयन का पहला आधार टीईटी थी। इसमें सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी 90 नंबर व ओबीसी 82 नंबर के शामिल हुए। इस तरह उन्हें 8 नंबर की छूट मिली। दूसरा आधार असिस्टेंट टीचर रिक्रूटमेंट एग्जाम (एटीआरई) रहा है। इसमें सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी 97 नंबर पर और ओबीसी के 90 नंबर पर चयनित हुए। यहां भी उन्हें 7 नंबर की छूट मिली।

अंतिम चयन में भी ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों को आरक्षण दिया गया। वे अपने मूल पदों के साथ अनारक्षित श्रेणी में भी 12 हजार से ज्यादा चयनित हुए हैं। जबकि पूर्व में ही यह कहा गया है कि एक भर्ती में एक ही बार आरक्षण का लाभ दिया जाना चाहिए। ऐसे में आरक्षण का लाभ दो बार न दिया जाए व सरकार को पुरानी सूची की रक्षा करनी चाहिए।



सुप्रीम कोर्ट पहुंचे आरक्षित अभ्यर्थी :

 इलाहाबाद हाईकोर्ट के नए सिरे से सूची बनाने के आदेश के बाद सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में हैं। इस बीच बृहस्पतिवार को आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की है। उनके वकील ने मांग की है कि इस मामले में किसी भी विधिक कार्यवाही से पहले आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का पक्ष भी सुना जाए।

69000 शिक्षक भर्ती : आमने-सामने आए धरना दे रहे आरक्षित-अनारिक्षत वर्ग के अभ्यर्थी, विपरीत परिस्थिति से बचने के लिए पुलिस बीच में दीवार बनकर खड़ी रही

69000 शिक्षक भर्ती  : आमने-सामने आए धरना दे रहे आरक्षित-अनारिक्षत वर्ग के अभ्यर्थी, विपरीत परिस्थिति से बचने के लिए पुलिस बीच में दीवार बनकर खड़ी रही


लखनऊ
69000 teacher recruitment case: हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद 69000 शिक्षक भर्ती मामले में अब आरक्षित और अनारिक्षत वर्ग के अभ्यर्थी आमने-सामने आ गए हैं। आरक्षित अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट भी जा सकते हैं। 


69000 शिक्षक भर्ती को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के हालिया आदेश के बाद पक्ष और विपक्ष का विरोध-प्रदर्शन व्यापक रूप ले रहा है। आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी पहले से ही बेसिक शिक्षा निदेशालय पर धरना दे रहे हैं, बृहस्पतिवार को चयनित अनारक्षित श्रेणी के अभ्यर्थी भी वहां पहुंच गए। दोनों पक्ष आमने-सामने धरने पर बैठकर नारेबाजी करने लगे। किसी विपरीत परिस्थिति से बचने के लिए पुलिस बीच में दीवार बनकर खड़ी रही। हालांकि, महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा से वार्ता में आश्वासन के बाद अनारक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों ने धरना समाप्त कर दिया।


सुबह दस बजे ही बड़ी संख्या में प्रदेश भर से चयनित अनारक्षित अभ्यर्थी (शिक्षक) एक दिन की सीएल लेकर निदेशालय पहुंच गए। इससे एससीईआरटी निदेशालय से आगे तक पूरा रास्ता बंद हो गया। पुलिस ने निदेशालय का मुख्य व साइड गेट बंद करवा दिया। इस बीच दोनों पक्ष आमने-सामने बैठकर नारेबाजी करने लगे तो पुलिस ने बीच में रस्सा लगाकर स्थिति संभाली। चयनित अभ्यर्थी चयन सूची से छेड़छाड़ न करने, सुप्रीम कोर्ट से मार्गदर्शन लेने व एक भर्ती में दोहरा आरक्षण न देने की मांग कर रहे थे।


सीएम योगी का फ्लैक्स हाथ में उठाए अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थी आप ही नियोक्ता, आप ही हमारे संरक्षक न्याय दो-न्याय दो..., एक ही नारा एक ही नाम, जय श्रीराम जय श्रीराम के नारे लगा रहे थे। साथ ही काबिलियत पर नौकरी पाए हैं, समायोजन की भीख मांगने नहीं आए हैं... लिखी तख्तियां लिए हुए थे। इस बीच पुलिस शिक्षकों से शांति की अपील करती रही। शाम को इन अभ्यर्थियों की महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा से मुलाकात हुई। अभ्यर्थी सर्वेश प्रताप सिंह, रोबिन, प्रत्यूष मिश्र ने बताया की महानिदेशक ने कहा कि अभी शासन से कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं मिला है। सभी विकल्पों पर मंथन चल रहा है। किसी पक्ष के साथ अन्याय नहीं होगा। इसके बाद शिक्षकों ने प्रदर्शन समाप्त कर दिया।


आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी तीसरे दिन भी डटे रहे
आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट के आदेश को लागू करने और नियुक्ति देने के लिए बृहस्पतिवार को तीसरे दिन भी धरना जारी रखा। अभ्यर्थी जल्द से जल्द अदालत के निर्णय को लागू करने की समय सारिणी जारी करने की मांग कर रहे हैं। धरने की अगुवाई कर रहे विजय यादव ने बताया कि हाइकोर्ट के फैसले और मुख्यमंत्री के निर्णय के बाद उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद है, पर बेसिक शिक्षा के अधिकारियों पर भरोसा नहीं है। इसलिए जल्द से जल्द हाइकोर्ट के फैसले के अनुसार लिस्ट जारी की जाए। उन्होंने कहा कि जब तक लिस्ट जारी नहीं होती आंदोलन जारी रहेगा।

सबके साथ न्याय होगा
हाईकोर्ट के आदेश का विभाग अध्ययन कर रहा है। किसी भी युवा के भविष्य के साथ अन्याय नहीं होगा। सबके साथ न्याय होगा। शिक्षकों व अन्य अभ्यर्थियों से धरना समाप्त करने की अपील है।- बेसिक शिक्षा विभाग

 
देर रात धरना स्थल से उठाए गए और सुबह फिर पहुंचे अभ्यर्थी
69000 teacher recruitment case: Reserved and unreserved category candidates came face to face, gate closed du
बेसिक शिक्षा निदेशालय में धरना। - फोटो : अमर उजाला
निशातगंज स्थित बेसिक शिक्षा निदेशालय के बाहर मंगलवार से 69 हजार शिक्षक अभ्यर्थियों का धरना जारी है। अभ्यर्थी अपनी मांगों के समर्थन में देर रात तक धरने पर बैठै रहे। बारिश व अन्य समस्याओं को देखते हुए पुलिस ने सख्ती की। बस से सभी को बादशाह नगर स्टेशन पहुंचाया, जहां अभ्यर्थी रात भर रहे। वहीं सुबह फिर से अभ्यर्थी धरना स्थल पर पहुंच गए। अभ्यर्थियों की मांग है कि उन्हें शांतिपूर्ण धरना करने दिया जाए।

हालांकि देर शाम अभ्यर्थियों ने शिक्षा महानिदेशक कंचन वर्मा से मुलाकात की। उन्होंने शासन के निर्देशानुसार समस्याओं का त्वरित निस्तारण करने का आश्वासन दिया है। अभ्यर्थियों ने कहा कि कोर्ट ने 69 हजार शिक्षक भर्ती मूल चयन सूची रद्द करते हुए सरकार को तीन महीने के अंदर आरक्षण नियमों का पालन करते हुए नई सूची जारी करने का आदेश दिया है। लेकिन, सरकार ने अभी तक कोई काम शुरू नहीं किया है केवल एक मीटिंग की है। हमारी मांग है कि चयन संबंधित प्रक्रिया का कार्यक्रम शेड्यूल जारी करें।
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Thursday, August 22, 2024

यूपी बोर्ड: 10वीं-12वीं के पंजीकरण की तिथि पांच सितंबर तक बढ़ी, फीस कोषागार में जमा करने की अंतिम 31 अगस्त तक बढ़ाई गई

यूपी बोर्ड: 10वीं-12वीं के पंजीकरण की तिथि पांच सितंबर तक बढ़ी, फीस कोषागार में जमा करने की अंतिम 31 अगस्त तक बढ़ाई गई 


प्रयागराज । यूपी बोर्ड ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा 2025 के लिए पंजीकरण की अंतिम तिथि पांच सितंबर तक बढ़ा दी है। सचिव भगवती सिंह की ओर से जारी सूचना के मुताबिक 10 अगस्त के बाद प्रति छात्र 100 रुपये विलंब शुल्क के साथ फीस चालान के माध्यम से कोषागार में जमा करने की अंतिम 31 अगस्त तक बढ़ाई गई है। 

परीक्षा शुल्क की सूचना तथा छात्र-छात्राओं के शैक्षिक विवरण वेबसाइट पर अपलोड करने की अंतिम तिथि पांच सितंबर होगी। उसके बाद छह से 10 दिसंबर तक प्रधानाचार्य वेबसाइट पर ऑनलाइन अपलोड विवरण की चेकलिस्ट प्राप्त कर छात्र-छात्राओं के नाम, माता- पिता का नाम, जन्मतिथि, विषय, फोटो आदि को चेक करेंगे। इस दौरान वेबसाइट पर किसी प्रकार का अपडेशन प्रतिबंधित रहेगा।


परीक्षा वर्ष 2025 के कक्षा-10 एवं 12 के संस्थागत / व्यक्तिगत अभ्यर्थियों के परीक्षा आवेदन पत्र ऑनलाइन अपलोड कराये जाने के सम्बन्ध में





31 अगस्त तक यूपी बोर्ड परीक्षा फार्म भरने की बढ़ सकती है तिथि, प्रस्ताव शासन को भेजा गया

20 अगस्त 2024
प्रयागराज : यूपी बोर्ड के विद्यालय कक्षा नौ व 11 में प्रवेश लेने और कक्षा 10 व 12 की बोर्ड परीक्षा का फार्म भरने से वंचित रह गए छात्र-छात्राओं को एक मौका मिल सकता है। प्रवेश लेने और परीक्षा फार्म भरने की अंतिम तिथि पांच अगस्त बीत जाने पर कई प्रधानाचार्यों ने तिथि बढ़ाने की मांग की थी। छात्र हित में यूपी बोर्ड ने तिथि बढ़ाने का प्रस्ताव शासन को भेजा है। अनुमति मिलने पर अंतिम तिथि 31 अगस्त तक बढ़ाई जाएगी।


यूपी बोर्ड ने वर्ष 2025 की हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट की परीक्षाओं में सम्मिलित होने वाले संस्थागत एवं व्यक्तिगत परीक्षार्थियों के आवेदन पत्र माध्यमिक शिक्षा परिषद की वेबसाइट upmsp.edu.in पर आनलाइन अपलोड करने की समय सारिणी जारी की थी। इसके अनुसार कक्षा 10 व 12 में प्रवेश लेने एवं बोर्ड परीक्षा शुल्क जमा करने की अंतिम तिथि पांच अगस्त तक प्राप्त शुल्क कोषागार में जमा किए जाने की सूचना तथा छात्र-छात्राओं के शैक्षिक विवरण को वेबसाइट पर 16 अगस्त तक अपलोड किया जाना था। 


कुछ विद्यालय ओटीपी नहीं मिलने के कारण परीक्षा शुल्क की सूचना और छात्र- छात्राओं को विवरण अपलोड नहीं कर सके। यूपी बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने बताया कि तिथि बढ़ाने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है।

बेटियों से पढ़ाई में भेदभाव पर नतीजों में उनका ही दबदबा, 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा को लेकर कराए गए अध्ययन से मिली जानकारी

10वीं और 12वीं में 65 लाख से अधिक विद्यार्थी हुए फेल 

बेटियों से पढ़ाई में भेदभाव पर नतीजों में उनका ही दबदबा 

10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा को लेकर कराए गए अध्ययन से मिली जानकारी

विज्ञान विषयों की ओर भी बच्चियों का बढ़ा रुझान


नई दिल्ली। देशभर में बीते साल 10वीं और 12वीं में 65 लाख से अधिक विद्यार्थी फेल हो गए। राज्य बोर्डों में असफल छात्रों की संख्या अधिक दर्ज की गई। वहीं, दोनों कक्षाओं में ओपन स्कूल का प्रदर्शन भी खराब रहा। 2023 में 56 राज्य शिक्षा बोर्ड व तीन राष्ट्रीय बोर्ड के कक्षा 10-12 के नतीजों के विश्लेषण से पता चला कि सरकारी स्कूलों से 12वीं की परीक्षा में लड़कियां अधिक शामिल हुईं, पर निजी स्कूलों व सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में लड़के ज्यादा शामिल हुए। 


सरकारी स्कूलों में बेटियों की ज्यादा संख्या, जबकि निजी स्कूलों में बेटों की ज्यादा तादाद देश में लड़कियों के प्रति अभिभावकों के भेदभाव को दिखाती है। इसके बावजूद, बेटियों ने पास प्रतिशत में छात्रों को बहुत पीछे छोड़ दिया। शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, निजी स्कूलों में 12वीं में बेटियों का पास प्रतिशत 87.5 फीसदी रहा, जबकि छात्रों में यह 75.6 फीसदी ही था। 


निजी स्कूलों में 9 लाख छात्र फेल हुए, जबकि छात्राएं करीब 4 लाख ही फेल हुईं। स्कूलों में छात्राओं का उत्तीर्ण प्रतिशत छात्रों से छह फीसदी अधिक रहा। शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, कक्षा 10 के करीब 33.5 लाख विद्यार्थी अगली कक्षा में नहीं पहुंच सके। इनमें 5.5 लाख तो परीक्षा में शामिल ही नहीं हुए, जबकि 28 लाख असफल रहे। उच्चतर माध्यमिक स्तर पर सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) कम होने का यह बड़ा कारण है। 


इसी तरह, 12वीं के करीब 32.4 लाख छात्रों ने ग्रेड पूरा नहीं किया। इनमें से 5.2 लाख परीक्षा में शामिल नहीं हुए, जबकि 27.2 लाख असफल रहे। छात्रों के समग्र प्रदर्शन में पिछले वर्ष की तुलना में गिरावट आई है। यह परीक्षा के विस्तृत पाठ्यक्रम के कारण हो सकता है। सरकारी स्कूलों से बोर्ड परीक्षाओं में छात्रों के बजाय अधिक छात्राएं शामिल हुईं। हालांकि सभी तरह के स्कूलों में पास प्रतिशत में लड़कियों का दबदवा है, वह ज्यादा संख्या में उत्तीर्ण हुईं। 


केंद्रीय बोर्ड में विफलता दर कम, राज्य बोर्डों में अधिक

कक्षा 10 में, केंद्रीय बोर्ड में छात्रों की विफलता दर 6 प्रतिशत थी, जबकि राज्य बोडों में यह 16 प्रतिशत से कहीं अधिक थी। 12वीं कक्षा में, केंद्रीय बोर्ड में विफलता दर 12 प्रतिशत है, जबकि राज्य बोर्ड में 18 प्रतिशत है।


फेल होने वालों में सबसे अधिक मध्य प्रदेश, बिहार और यूपी बोर्ड के छात्र 

दसवीं कक्षा में फेल होने वाले छात्रों की संख्या सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश बोर्ड में थी, उसके बाद बिहार व उत्तर प्रदेश हैं, जबकि 12वीं में सर्वाधिक फेल होने वाले विद्यार्थी उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश में हैं।



सरकारी स्कूलों में पढ़ रहीं ज्यादातर बेटियां प्रदर्शन में अव्वल

नई दिल्लीः बेटियों को पढ़ाने में समाज का नजरिया भले ही बेटों के मुकाबले अब भी कमतर या दोयम दर्जे का है, लेकिन पढ़ाई में वे बेटों से हर स्तर पर अव्वल हैं। इसका अंदाजा देशभर की 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों के आंकड़ों से लगाया जा सकता है। अकेले दसवीं की परीक्षा में शामिल हुए कुल 1.73 करोड़ बच्चों में 91.7 लाख लड़के हैं, जबकि लड़कियों की संख्या 81.8 लाख है। इनमें ज्यादातर बेटियां सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाली हैं, वहीं ज्यादातर लड़‌के निजी स्कूलों में पढ़ने वाले हैं।

यही ट्रेंड 12 वीं में भी है। यह बात अलग है कि परीक्षा में पास होने वाले बच्चों में लड़कियों का प्रदर्शन लड़कों से बेहतर है। वर्ष 2023 में 10वीं की बोर्ड परीक्षा में जहां 83 प्रतिशत लड़के पास हुए, वहीं 86.9 प्रतिशत लड़‌कियां पास हुईं। देशभर के सभी शिक्षा बोडों की 10वीं व 12वीं के परीक्षा परिणाम को लेकर सरकार की ओर से कराए गए एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है। इसके अनुसार, बेटियों का प्रदर्शन 10वीं की तरह 12वीं की बोर्ड परीक्षा में भी बेहतर रहा है। वर्ष 2023 की 12वीं की बोर्ड परीक्षा में पास होने वाले बच्चों में बेटों के पास होने का प्रतिशत 78.9 था, जबकि बेटियों के पास होने का प्रतिशत 86.3 था। खास बात यह है कि बोर्ड परीक्षाओं में बेटियों ने अपना प्रदर्शन सरकारी, निजी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल सभी में बेटों से अच्छा ही रखा है।

रिपोर्ट के मुताबिक लड़कियों की पढ़ाई के ट्रेंड में भी बदलाव आया है। पहले उनकी रुचि जहां मानविकी विषयों को लेकर ज्यादा रहती थी, वहीं अब उनका रुझान विज्ञान विषयों की ओर बढ़ा है। वर्ष 2022 में देशभर में 12वीं के स्तर पर विज्ञान विषयों की पढ़ाई करने वालों में इनकी संख्या जहां 42 प्रतिशत थी, वहीं 2023 में यह संख्या बढ़कर 43 प्रतिशत हो गई है। वहीं मानविकी विषयों की पढ़ाई में 2022 में जहां उनकी संख्या 40 प्रतिशत थी, 2023 में वह घटकर 39 प्रतिशत हो गई है। कामर्स विषयों में पढ़ाई करने का रुझान भी घटा है। यह 2022 में 14 प्रतिशत था, जबकि 2023 में घटकर 13 प्रतिशत पर आ गया है।

17 राज्यों में छात्रों के 10वीं में फेल होने की संख्या घटी, 11 में बढ़ी बोर्ड परीक्षाओं को लेकर कराए गए इस अध्ययन में छात्रों की पढ़ाई में भी सुधार देखने को मिला है। 10वीं की बोर्ड परीक्षा में मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश व जम्मू-कश्मीर जैसे 17 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में छात्रों के फेल होने की संख्या 2022 के मुकाबले कम हुई है। हालांकि, झारखंड, पंजाब, हरियाणा, नई दिल्ली जैसे 11 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे भी रहे हैं, जहां 10वीं में छात्रों के फेल होने की संख्या 2022 के मुकाबले बढ़ी है।

 वहीं 12वीं की बोर्ड परीक्षा में यह ट्रेंड बदला हुआ दिखा। बिहार, उत्तराखंड सहित देश के सिर्फ सात राज्यों में फेल होने वाले छात्रों की संख्या घटी है, जबकि मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा जैसे 22 राज्यों में फेल होने वाले छात्रों की संख्या वर्ष 2022 के मुकाबले बढ़ गई है। सरकार ने बोर्ड परीक्षाओं को लेकर यह अध्ययन वर्ष 2022 और वर्ष 2023 के आंकड़ों के आधार पर किया है।