पांच रुपये में पोषण फिर बनेगा शिक्षकों के लिए बड़ी चुनौती
लखनऊ, अगस्त 2024: बेसिक स्कूलों में बच्चों के लिए मिड-डे मील के साथ सप्ताह में एक दिन पोषक आहार देने की योजना का स्वागत हो सकता था, लेकिन यह अब शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों के लिए तनाव और असंतोष का कारण बन गई है। नवंबर 2024 से मार्च 2025 तक चलने वाली इस योजना के तहत विद्यार्थियों को भुना चना, गजक, चिक्की, बाजरे के लड्डू, रामदाना के लड्डू और लाई के लड्डू दिए जाने हैं, लेकिन समस्या यह है कि प्रति बच्चा 50 ग्राम सामग्री के लिए मात्र पांच रुपये का बजट तय किया गया है।
शिक्षकों का कहना है कि इस मामूली बजट में सुपरफूड्स जैसी पोषक सामग्री देना व्यावहारिक नहीं है। मौजूदा महंगाई को देखते हुए, गजक की कीमत 300 से 500 रुपये प्रति किलो, चिक्की 200 रुपये प्रति किलो, और रामदाना के लड्डू भी महंगे दरों पर बिक रहे हैं। पांच रुपये में 50 ग्राम पोषण सामग्री की मांग करना, जब बाजार में इन वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं, शिक्षकों के लिए असंभव साबित हो रहा है।
एक प्रधानाध्यापक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "यह योजना कागज पर तो बहुत अच्छी दिखती है, लेकिन वास्तविकता में इसे लागू करना असंभव है। हमें समझ नहीं आता कि इस बजट में बच्चों को पोषक आहार कैसे दिया जाए।"
शिक्षाधिकारियों को भी प्रधानाध्यापकों की इस परेशानी से अवगत करा दिया गया है। हालांकि, उच्च अधिकारियों की ओर से अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि योजना की घोषणा करते समय व्यावहारिकता को नज़रअंदाज़ किया गया, जिससे अब स्कूल प्रशासन और शिक्षक मुश्किल में फंस गए हैं।
पीएम पोषण योजना का उद्देश्य बच्चों के शरीर में पोषक तत्वों की कमी को दूर करना है, लेकिन सवाल उठता है कि अगर सही तरीके से यह पोषण नहीं पहुंचाया जा सका, तो योजना का उद्देश्य अधूरा रह जाएगा। अब देखना यह है कि सरकार इस स्थिति को कैसे संभालती है, क्योंकि शिक्षकों की स्थिति दिन-ब-दिन अधिक कठिन होती जा रही है।
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