प्रदेश के राजकीय कॉलेजों की अनुपयोगी जमीन पाठ्येत्तर गतिविधियों के लिए प्रयोग की जा सकेगी, माध्यमिक शिक्षा विभाग के प्रस्ताव पर कैबिनेट की मुहर
दूसरे विभाग कर सकेंगे निवेश व निर्माण, आय का आधा हिस्सा भी मिलेगा
लखनऊ । प्रदेश के राजकीय इंटर व हाईस्कूल कॉलेजों की अनुपयोगी जमीन अब छात्रों की पाठ्येत्तर गतिविधियों के लिए प्रयोग की जा सकेगी। इस जमीन पर दूसरे विभाग अपने निवेश से मिनी स्टेडियम, प्ले ग्राउंड, उद्यान नर्सरी आदि खोल सकेंगे। वहीं, होने वाली आय संबंधित विभाग व विद्यालय को आधी-आधी दी जाएगी। इससे जुड़े माध्यमिक शिक्षा विभाग के प्रस्ताव पर मंगलवार को कैबिनेट ने मुहर लगा दी।
प्रस्ताव
प्रस्ताव के अनुसार राजकीय हाईस्कूल व इंटर की खाली जमीनों पर अतिक्रमण हो रहा है। इसलिए यह तय किया गया कि दूसरे विभागों से या पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर विद्यार्थियों के लिए उपयोगी कार्य व गतिविधियों का आयोजन किया जाए।
इससे एक तरफ आय का प्रबंध संस्था के लिए भी होगा और जमीन का सदुपयोग भी होगा। अब खाली पड़ी जमीन पर मिनी स्टेडियम, डिजिटल लाइब्रेरी, ऑनलाइन परीक्षा केंद्र, वोकेशनल केंद्र, प्ले स्कूल, नक्षत्रशाला, नर्सरी आदि शुरू की जा सकेगी।
इसके लिए आवश्यक दिशा- निर्देश जिला स्तरीय कमेटी तय करेगी। डीएम की अध्यक्षता में अंतरविभागीय समिति की बैठक होगी। इससे दोनों विभाग की 50-50 फीसदी आय होगी। वहीं यहां बनने वाली चीजों का स्कूल के बच्चे निशुल्क प्रयोग कर सकेंगे।
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