GPF की कटौती न होने पर पेंशन से वंचित नहीं कर सकते – हाईकोर्ट, तीन माह के अंदर पेंशन और बकाया भुगतान करने का दिया आदेश
हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी कर कानपुर नगर के सेवानिवृत्त कर्मचारी का तीन माह के अंदर पेंशन और बकाया भुगतान करने का दिया आदेश
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि जीपीएफ (सामान्य भविष्य निधि) की कटौती न होने के आधार पर कर्मचारी को पेंशन से वंचित नहीं कर सकते। पेंशन के लिए जीपीएफ कटौती शर्त नहीं है। इसकी कटौती नहीं किए जाने के लिए कर्मचारी ज़िम्मेदार नहीं है।
यह टिप्पणी कर न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की अदालत ने कानपुर नगर के सेवानिवृत्त कर्मचारी का तीन माह के अंदर पेंशन व बकाया भुगतान करने का आदेश दिया है।
एमएम अली मेमोरियल हायर सेकेंडरी स्कूल में उदय नारायण साहू सहायक अध्यापक एलटी ग्रेड पर नियुक्त हुए थे। आठ नवंबर 2004 को कार्यभार ग्रहण कर लिया। जिला विद्यालय निरीक्षक ने 17 मार्च 2005 को आदेश पारित कर वेतन भुगतान की मंजूरी देने से इन्कार कर दिया।
उदय नारायण ने 2005 में याचिका दाखिल की। इस पर कोर्ट ने 23 जुलाई 2009 को डीआईओएस को याची के मामले पर पुनर्विचार का निर्देश दिया।
कोर्ट के आदेश पर डीआईओएस ने 23 जुलाई 2009 से याची को वेतन भुगतान की मंजूरी दे दी। याची ने 2011 में एक और याचिका दाखिल की।
ज्वाइनिंग की तिथि आठ नवंबर 2004 से वेतन का भुगतान करने की मांग की। कोर्ट के आदेश पर डीआईओएस ने ज्वाइनिंग तिथि से वेतन जारी करने का आदेश जारी कर दिया। हालांकि, इस दौरान वेतन का भुगतान करते समय जीपीएफ में उनके योगदान के लिए कोई कटौती नहीं की गई थी।
याची 31 मार्च 2023 को सेवानिवृत्त हो गया, लेकिन उसे पेंशन का भुगतान नहीं किया गया है। याची ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी। डीआईओएस ने अपना व्यक्तिगत हलफनामा दायर कर कहा कि याची के वेतन से जीपीएफ की कोई कटौती नहीं की गई। ऐसे में पेंशन देय नहीं है।
कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि नियमानुसार पेंशन के लिए जीपीएफ कटौती शर्त नहीं है। ऐसे में वेतन से जीपीएफ कटौती नहीं किए जाने के आधार पर सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन नहीं रोकी जा सकती।
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