DISTRICT WISE NEWS

अंबेडकरनगर अमरोहा अमेठी अलीगढ़ आगरा इटावा इलाहाबाद उन्नाव एटा औरैया कन्नौज कानपुर कानपुर देहात कानपुर नगर कासगंज कुशीनगर कौशांबी कौशाम्बी गाजियाबाद गाजीपुर गोंडा गोण्डा गोरखपुर गौतमबुद्ध नगर गौतमबुद्धनगर चंदौली चन्दौली चित्रकूट जालौन जौनपुर ज्योतिबा फुले नगर झाँसी झांसी देवरिया पीलीभीत फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूं बरेली बलरामपुर बलिया बस्ती बहराइच बागपत बाँदा बांदा बाराबंकी बिजनौर बुलंदशहर बुलन्दशहर भदोही मऊ मथुरा महराजगंज महोबा मिर्जापुर मीरजापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मेरठ मैनपुरी रामपुर रायबरेली लखनऊ लख़नऊ लखीमपुर खीरी ललितपुर वाराणसी शामली शाहजहाँपुर श्रावस्ती संतकबीरनगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुलतानपुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस हापुड़

Wednesday, August 14, 2024

अब स्कूल से विश्वविद्यालय तक भारतीय ज्ञान परंपरा पर जोर, हर स्तर पर जगाई जाएगी पुरातन भारतीय ज्ञान की अलख, UGC ने पाठ्यक्रम भी तय किया

अब स्कूल से विश्वविद्यालय तक भारतीय ज्ञान परंपरा पर जोरहर स्तर पर जगाई जाएगी पुरातन भारतीय ज्ञान की अलख, UGC ने पाठ्यक्रम भी तय किया

• एक वर्ष में 10 हजार शिक्षकों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य, जल्द ही मास्टर ट्रेनर होंगे तैयार


नई दिल्ली: स्कूल से जुड़ी पढ़ाई हो या फिर इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट या अंतरिक्ष विज्ञान जैसी उच्च शिक्षा की पढ़ाई, छात्रों को अब हर स्तर पर भारतीय ज्ञान परंपरा से रूबरू कराया जाएगा। शिक्षा मंत्रालय ने इस मुहिम को तेजी से बढ़ाने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। सभी पाठ्यक्रमों में इससे जुड़ी विषय-वस्तु को शामिल करने के साथ ही शिक्षण संस्थानों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को इसके लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।


यूजीसी ने फिलहाल भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित एक पाठ्यक्रम भी डिजाइन किया है। इसमें महाभारत काल में कृषि और सिंचाई जैसी व्यवस्था, खगोल विज्ञान की वैदिक अवधारणाएं, वैदिक गणित, प्राचीन भारत की सुश्रुत संहिता में वर्णित की गई प्लास्टिक, मोतियाबिंद सर्जरी, रामायण काल में कृषि व सिंचाई की तकनीक आदि विषयवस्तु को भी प्रमुखता से जगह दी है। साल भर में दस हजार शिक्षकों को भारतीय ज्ञान परंपरा में प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए मौजूदा समय में मास्टर ट्रेनर तैयार करने का काम किया जा रहा है।


शिक्षा मंत्रालय ने इसके साथ ही भारतीय ज्ञान परंपरा से जुड़ी विषय-वस्तु तैयार करने के लिए अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े देश के करीब 11 संस्थानों के साथ करार भी किया है। इसमें काउंसिल आफ साइंसटिफिक एंड इंडस्ट्रीयल रिसर्च (सीएसआइआर), सीएसआइआर से जुड़ी संस्था ट्रेडिशनल नालेज डिजिटल लाइब्रेरी, डिपार्टमेंट आफ साइंसटिफिक एडं इंडस्ट्रीयल रिसर्च (डीएसआइआर), आइआइएम संबलपुर, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली, श्री वेंकटेश्वरा वैदिक विश्वविद्यालय तिरुपति, आइआइटी खड़गपुर आदि शामिल हैं। शिक्षा के क्षेत्र में भारतीय ज्ञान परंपरा पर यह जोर नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आने के बाद दिया गया है। पूरी व्यवस्था को भारत केंद्रित बनाने पर फोकस है।


शिक्षा मंत्रालय ने बनाया एक अलग डिवीजन

भारतीय ज्ञान परंपरा को आगे बढाने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने अलग से एक डिवीजन भी बनाया है, जोकि शिक्षा के क्षेत्र में इससे जुड़ी गतिविधियों को बढ़ाने में तेजी से जुटा है। इसके साथ ही स्कूलों व उच्च शिक्षण संस्थानों में खेल व गतिविधियां आगे बढ़ाने की पहल की गई है, जो भारत केंद्रित हैं। इसका असर भी दिखने लगा है। हाल ही में स्कूली शिक्षा के लिए एनसीईआरटी की ओर से तैयार की गई तीसरी व छठीं कक्षा की नई पाठ्यपुस्तकों में भारतीयता से जुड़ी विषय वस्तु की भरमार है। इनकी कहानियां भी भारतीय समाज के ताने- बाने से जुड़ी हैं। शिक्षा मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक इस मुहिम में शिक्षकों के प्रशिक्षण पर भी जोर है ताकि छात्रों को पढ़ाने के दौरान वह उन्हें भारतीय जुड़ाव पैदा करने वाली विषय वस्तु से जोड़े। साथ ही उदाहरण भी भारत केंद्रित हो।

No comments:
Write comments