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Monday, September 30, 2024

अक्तूबर से 'मिशन शक्ति' के पांचवें चरण के तहत 10 लाख बालिकाओं को आत्मरक्षा और जीवन कौशल का देंगे प्रशिक्षण, विद्यालयों में नियमित चलेंगी यह गतिविधियां

अक्तूबर से 'मिशन शक्ति' के पांचवें चरण के तहत 10 लाख बालिकाओं को आत्मरक्षा और जीवन कौशल का देंगे प्रशिक्षण, विद्यालयों में नियमित चलेंगी यह गतिविधियां


36,772 बालिकाओं को वितरित किए जाएंगे सेनेटरी पैड

विद्यालयों में करियर काउंसलिंग सत्र का आयोजन भी होगा


लखनऊ। महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन के लिए प्रदेश सरकार अक्तूबर से 'मिशन शक्ति' के पांचवें चरण की शुरुआत करेगी। मई 2025 तक चलने वाले इस चरण में जागरूकता अभियान और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।


इस दौरान 10 लाख बालिकाओं को आत्मरक्षा और जीवन कौशल का प्रशिक्षण मिलेगा। जिससे वे आत्मनिर्भर और सशक्त बन सके। इसके तहत नवंबर में विद्यालयों में विशेष शिविर का आयोजन होगा।

पीएमश्री योजना के तहत चयनित 167 विद्यालयों में में करियर काउंसलिंग के सत्र भी चलेंगे। ताकि बेटियां अपने करियर को लेकर सजग हो। इसी क्रम में विद्यालयों में बालिकाओं को सेनेटरी पैड वितरित्त करेंगे। इसी तरह नवरात्रि में 3 से 10 अक्तूबर तक विद्यालयों में विभिन्न कार्यक्रम बालिकाओं में आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए किए जाएंगे।

 प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों के नेतृत्व में बाल अधिकार, घरेलू हिंस्य, यौन शोषण, छेड़छाड़ और गुड-टच, बैड टच जैसे मुद्दों पर बेटियों को जागरूक किया जाएगा। इसके साथ ही रैलियों और रोचक गतिविधियों के माध्यम से हेल्पलाइन नंबर और बाल विवाह के खतरों की जानकारी भी दी जाएगी। 

पीएमश्री योजना के तहत चयनित 167 विद्यालयों में मीना मेला और करियर काउंसलिंग सत्र आयोजित किए जाएंगे। ताकि बालिका शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाई जाएगी। बालिकाओं को माहवारी स्वच्छता और जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरुक किया जाएगा।


विद्यालयों में नियमित चलेंगी यह गतिविधियां

बालिका शिक्षा के प्रति जागरूकता के लिए सेमिनार व जागरूकता कार्यक्रम

बाल संसद और बाल सभा का आयोजन होगा, इसमें लड़के लड़कियों को बराबर जिम्मेदारी दी जाएंगी।

उच्य प्राथमिक विद्यालयों में नियमित रूप से माहवारी स्वच्छता पर चर्चा होगी।

शिक्षक अभिभावक संघ की बैठक में विधिक साक्षरता, पॉक्सो एक्ट और बाल विवाह जैसे मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाई जाएगी।

बालिका दिवस और महिला दिवस पर वाद-विवाद प्रतियोगिता, रैली, प्रभात फेरी और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

केजीबीवी की बालिकाओं को खेलकूद, स्काउट गाइड और एनसीसी का प्रशिक्षण दिया जाएगा।


कानूनी अधिकारों से होंगी परिचित

अप्रैल-मई 2025 में बच्चों को उनके कानूनी अधिकारों, जैसे शिक्षा का अधिकार, पॉक्सो एक्ट, बाल विवाह और घरेलू हिंसा से संबंधित कानूनों के बारे में जागरूक किया जाएगा।

Sunday, September 29, 2024

स्कूल स्तर पर ही अच्छे फुटबॉलर बनेंगे छात्र, उत्तर प्रदेश में फुटबॉल को बढ़ावा देने के लिए सरकार की अहम पहल

स्कूल स्तर पर ही अच्छे फुटबॉलर बनेंगे छात्र, उत्तर प्रदेश में फुटबॉल को बढ़ावा देने के लिए सरकार की अहम पहल


लखनऊ: उत्तर प्रदेश में फुटबॉल को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने अहम पहल की है। अब स्कूली स्तर पर ही छात्रों को अच्छे फुटबॉलर और कोच बनाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए प्रदेश सरकार ने सुपर स्पोर्ट्स इंटरनेशनल के प्रमुख फुटबॉल कोचिंग प्लेटफार्म 'सुपरकोच' के साथ साझेदारी की है। इस पहल के तहत ‘द गेम चेंजर प्रोजेक्ट’ के माध्यम से प्रदेश में फुटबॉल के विकास का व्यापक कार्यक्रम शुरू किया जाएगा।


प्रोजेक्ट के तहत पहले चरण में प्राथमिक स्कूलों के फिजिकल एजुकेशन (पीई) शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी, झांसी और मेरठ जैसे पांच जिलों में यह प्रक्रिया पूरी की गई है। अगले चरणों में जमीनी स्तर पर खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने और क्षेत्रीय फुटबॉल लीग के आयोजन की योजना है।


इस प्रोजेक्ट का सबसे बड़ा उद्देश्य प्रदेश के 1.35 करोड़ प्राथमिक स्कूलों के बच्चों को फुटबॉल की ओर आकर्षित करना और उन्हें यूरोपीय फुटबॉल अकादमियों की तर्ज पर प्रशिक्षित करना है। 


स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष दीपक कुमार ने बताया कि यह साझेदारी न केवल खेल प्रतिभा को विकसित करेगी, बल्कि शारीरिक शिक्षा को भी मजबूत बनाएगी। इस प्रोजेक्ट के सफल क्रियान्वयन से उत्तर प्रदेश फुटबॉल का एक बड़ा केंद्र बन सकता है।



स्कूल स्तर पर ही अच्छे फुटबॉलर बनेंगे छात्र, द गेम चेंजर प्रोजेक्ट के तहत फुटबॉल के विकास पर होगा काम

प्रमुख फुटबॉल कोचिंग प्लेटफॉर्म सुपरकोच के साथ हुआ समझौता


लखनऊ। प्रदेश में अब स्कूली स्तर पर ही छात्रों को अच्छा फुटबॉलर बनाया जाएगा। न सिर्फ खिलाड़ी विद्यालय स्तर पर ही कोच भी तैयार किए जाएंगे। इसके लिए प्रदेश सरकार ने प्रमुख फुटबॉल कोचिंग प्लेटफॉर्म सुपरकोच के साथ समझौता किया है। जो द गेम चेंजर प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश में जमीनी स्तर पर फुटबॉल विकास कार्यक्रम शुरू करेगा।

सुपर स्पोर्ट्स इंटरनेशनल द्वारा विकसित इस प्लेटफॉर्म के तहत परिषदीय स्कूलों में फुटबॉल के क्षेत्र में प्रतिभा की पहचान करना, कोच और खिलाड़ियों के विकास पर ध्यान केंद्रित करना है। इसके माध्यम से प्रदेश को फुटबॉल का सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने का प्रयास किया जाएगा। इसके लिए परिषदीय विद्यालय एक प्रशिक्षण केंद्र के रूप में काम करेंगे। जहां खिलाड़ियों को यूरोपीय अकादमियों की तरह प्रशिक्षित किया जाएगा।


स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और माध्यमिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने कहा कि सुपरकोच के साथ यह साझेदारी स्कूलों में खेल और शारीरिक शिक्षा को बढ़ावा देगी। 


इस तरह होगा चरणबद्ध काम

पहले चरण में सुपरकोच एप से प्राथमिक स्कूलों में फिजिकल एजुकेशन (पीई) के शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया है। सुपरकोच टीम ने पांच जिलों लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी, झांसी, मेरठ को कवर किया है। दूसरे चरण में योग्य कॅरिअर कोच पीई शिक्षकों के साथ मिलकर जमीनी स्तर पर फुटबॉल प्रशिक्षण को बेहतर बनाएंगे। तीसरे में वरिष्ठ खिलाड़ियों की पहचान की जाएगी, उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा। इन्हें प्रारंभिक कोच के रूप में भर्ती किया जाएगा। चौथे में क्षेत्रीय स्तर पर फुटबॉल लीग और टूर्नामेंट आयोजित किए जाएंगे। इनमें सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों की राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए खोज की जाएगी, ताकि उन्हें बेहतर अवसर मिल सके।



प्राथमिक विद्यालयों के 1.35 करोड़ बच्चे खेलेंगे फुटबाल

प्राथमिक विद्यालयों के 1.35 करोड़ बच्चों की फुटबाल खेलने की प्रतिभा को निखारा जाएगा। प्रदेश सरकार इन बच्चों को फुटबाल खेलना सिखाएगी। स्कूली स्तर पर फुटबाल को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने सुपर स्पोर्ट्स इंटरनेशनल की प्रमुख फुटबाल कोचिंग प्लेटफार्म सुपरकोच के साथ साझेदारी की है। द गेम चेंजर प्रोजेक्ट के तहत प्राथमिक स्कूलों में फुटबाल प्रतिभा की पहचान की जाएगी।

सुपरकोच के सहयोग से प्राथमिक स्कूलों में फुटबाल प्रशिक्षण केंद्र विकसित किया जाएगा। यहां बच्चों को यूरोपीय अकाडमी में सफल साबित हुए तरीकों का उपयोग करके प्रशिक्षित किया जाएगा।

इस प्रोजेक्ट के तहत शारीरिक शिक्षा के शिक्षकों को सुपरकोच एप का उपयोग करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि राज्य भर में फुटबाल प्रशिक्षण के लिए एक मानकीकृत और संगठित दृष्टिकोण सुनिश्चित किया जा सके। स्कूल गेम्स फेडरेशन आफ इंडिया के अध्यक्ष और अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने कहा कि सुपरकोच के साथ यह साझेदारी फुटबाल प्रतिभा को विकसित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

26 साल से बकाया वेतन पाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे बेसिक शिक्षक को मिला इंसाफ, मय ब्याज मिलेंगे सवा करोड़ रुपये

अधिकारियों पर उठ रहे सवाल! जब 2002 में ही कोर्ट ने वेतन भुगतान का आदेश दिया था, तो इसे 2023 तक क्यों टाला गया? 

26 साल तक कानूनी लड़ाई लड़ने वाले बेसिक शिक्षक को अंततः हाईकोर्ट से मिला इंसाफ


बेसिक शिक्षा विभाग की लेटलतीफी और गैरजिम्मेदाराना रवैए ने एक शिक्षक को 26 साल तक कानूनी लड़ाई लड़ने पर मजबूर कर दिया। यह मामला केवल एक व्यक्ति के अधिकारों का हनन नहीं है, बल्कि यह सरकारी व्यवस्था की संवेदनहीनता और अधिकारियों की उदासीनता का एक ज्वलंत उदाहरण है।

लक्ष्मण प्रसाद कुशवाहा, जो मृतक आश्रित कोटे में 1994 से बिना वेतन के सेवा दे रहे थे, को 88 लाख रुपये ब्याज सहित सवा करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश हाईकोर्ट ने दिया है। सवाल यह है कि जब 2002 में ही कोर्ट ने वेतन भुगतान का आदेश दिया था, तो इसे 2023 तक क्यों टाला गया? क्या यह अधिकारियों की जिम्मेदारी नहीं थी कि वे समय पर न्यायालय के आदेश का पालन करें?



26 साल से बकाया वेतन पाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे बेसिक शिक्षक को मिला इंसाफ, मय ब्याज मिलेंगे सवा करोड़ रुपये

अधिकारियों की लेटलतीफी से शिक्षक को 88 लाख ब्याज अदा करेगी सरकार

30 सितम्बर तक भुगतान नहीं करने पर बेसिक शिक्षा निदेशक पर निर्मित होगा अवमानना का आरोप


प्रयागराज। इलाहावाद हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा निदेशक को 26 साल से बकाया वेतन पाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे शिक्षक का भुगतान एक हफ्ते में करने का निर्देश दिया है। ऐसा करने से विफल रहने पर 30 सितंबर को अदालत में अवमानना की कार्यवाही के लिए हाजिर रहने का आदेश दिया है।

हैरान कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों की लेटलतीफी की वजह से सरकार को ब्याज के रूप में 88 लाख रुपये भुगतान करना पड़ेगा। यह आदेश न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय की अदालत ने बलिया के जूनियर हाईस्कूल के शिक्षक लक्ष्मण प्रसाद कुशवाहा की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।


याची की नियुक्ति मृतक आश्रित कोटे में दो जुलाई 1994 से जूनियर हाईस्कूल बलिया में हुई थी। तब से यह बिना वेतन के पढ़ा रहा था। हाईकोर्ट ने 22 अप्रैल, 2002 को याचिका मंजूर करके बीएसए को नियमित वेतन भुगतान का निर्देश दिया। साथ ही नौ प्रतिशत ब्याज के साथ बकाये वेतन का भुगतान तीन माह में करने का निर्देश दिया था। लेकिन, तत्कालीन बीएसए ने आदेश का पालन नहीं किया।


याची ने एक अन्य याचिका 2009 में भी दाखिल की। उस पर भी मय व्याज बकाये वेतन का भुगतान करने का आदेश हुआ। इसके बावजूद भुगतान नहीं हुआ। मजबूर शिक्षक ने 2009 में अवमानना याचिका दाखिल की, जो 14 साल बाद आज भी लंबित है। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने शिक्षा विभाग से जवाबी हलफनामा मांगा था। आदेश के अनुपालन में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, बलिया और बेसिक शिक्षा विभाग वित्त नियंत्रक व्यक्तिगत हलफनामे दाखिल कर बताया कि रिट कोर्ट के आदेश के अनुपालन के संदर्भ में बेसिक शिक्षा निदेशक को याची के बकाये 1,25,92,090/-रुपये स्वीकृत करने के लिए पत्र लिखा गया है। इसमें वेतन का बकाया और बकाया राशि पर ब्याज भी शामिल है।


कोर्ट ने पाया कि निदेशक की स्वीकृति का अभाव में एक तरफ 14 साल से याची कानूनी लड़ाई लड़ रहा है। दूसरी ओर याची को मिलने वाली धनराशि का ब्याज 88 लाख रुपये से ऊपर जा चुका है। कोर्ट ने हैरानी जताई कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण सरकार याची को 88 लाख रुपये का भुगतान करेगी। यह भुगतान देश के करदाताओं के रुपयों से होगा। 


कोर्ट ने बेसिक शिक्षा निदेशक को 30 सितंबर तक याची का पूरा बकाया व्याज सहित भुगतान कर हलफनामा दाखिल करने निर्देश दिया है। अनुपालन न करने पर निर्धारित तारीख पर अवमानना का आरोप निर्मित कराने के लिए अदालत के हाजिर रहने का आदेश दिया है।

CBSE की 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा में तीसरी आंख से होगी निगरानी, वर्ष 2025 में होने वाली बोर्ड परीक्षाओं के लिए परीक्षा केंद्र पर सीसीटीवी कैमरे लगाने के निर्देश

CBSE की 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा में तीसरी आंख से होगी निगरानी, वर्ष 2025 में होने वाली बोर्ड परीक्षाओं के लिए परीक्षा केंद्र पर सीसीटीवी कैमरे लगाने के निर्देश


नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की वर्ष 2025 में आयोजित होने वाली दसवीं व बारहवीं की पर इस बार तीसरी आंख से नजर रखी जाएगी। बोर्ड ने परीक्षा सेंटर बनाए जाने वाले स्कूलों के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य कर दिया है। स्कूल में सीसीटीवी कैमरे की सुविधा नहीं होने पर उस स्कूल में परीक्षा केंद्र नहीं बनाया जाएगा। परीक्षाएं निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से आयोजित की जा सकें, इसके लिए यह फैसला किया गया है।


सीबीएसई भारत और 26 अन्य देशों के स्कूलों में दसवीं व बारहवीं के करीब 44 लाख विद्यार्थियों के लिए परीक्षाओं को आयोजित करेगा। इन परीक्षाओं के आयोजन के लिए लगभग 8000 स्कूलों को परीक्षा केंद्र बनाया जाएगा।


ऐसे में बोर्ड ने फैसला किया है कि परीक्षा केंद्र बनाए जाने वाले स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे की सुविधा होनी चाहिए। यदि किसी स्कूल में सीसीटीवी की सुविधा नहीं है, तो उस स्कूल को परीक्षा केंद्र नहीं बनाया जाएगा। सीसीटीवी कैमरे की रिकॉर्डिंग को भी सुरक्षित रखने के निर्देश दिए हैं।


बोर्ड के परीक्षा नियंत्रक डॉ. संयम भारद्वाज की ओर से इस संबंध में स्कूलों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। डॉ. भारद्वाज के अनुसार परीक्षाएं सुचारू और निष्पक्ष रूप से आयोजित की जाएं, इसके लिए सोचीएसई द्वारा सीसीटीवी नीति विकसित की गई है। उन्होंने सभी स्कूलों को निर्देश दिया है कि ये नीति के अनुसार अपने स्कूलों में सीसीटीवी लगवाना सुनिश्चित करें। इस नीति का मुख्य उद्‌देश्य बोर्ड परीक्षाओं के दौरान अनुचित व्यवहार (नकल के मामलों) का पता लगाकर उनका समाधान करना है।


स्कूलों को निर्देश दिया गया है कि कैमरे इस तरह से लगाने चाहिए जिससे कि परीक्षा केंद्र के प्रवेश, निकास द्वार और परीक्षा डेस्क सहित सभी क्षेत्र अच्छे से दिखाई दें। सीसीटीवी कैमरों के संबंध में छात्रों और शिक्षकों को पहले से बताया जाएगा और इसकी जानकारी केंद्र पर नोटिस के रूप में भी लगाई जाएगी।

माध्यमिक के शिक्षक/ शिक्षणेत्तर कर्मियों को नोशनल इंक्रीमेंट जुड़ते हुए पेंशन और ग्रैच्युटी का लाभ दिए जाने का आदेश जारी

यूपी के डेढ़ लाख सेवानिवृत्त शिक्षकों और कर्मियों को वेतनवृद्धि का लाभ

पहली जुलाई से मूल वेतन के तीन प्रतिशत की वृद्धि, शिक्षा विभाग ने जारी किया आदेशपारिवारिक पेंशनरों को भी इसका लाभ मिलेगा।


लखनऊ। वर्ष 2006 से 2014 के बीच 30 जून को रिटायर हुए प्रदेश के डेढ़ लाख से अधिक शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मियों को नोशनल वेतन वृद्धि का लाभ मिलेगा। इसके तहत संबंधित अवधि (नौ वर्षों) के दौरान 30 जून को रिटायर हुए शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मियों को पहली जुलाई से उनके मूल वेतन का तीन प्रतिशत वेतन वृद्धि का लाभ मिलेगा। इससे प्रतिमाह डेढ़ से चार हजार रूपये तक इनके पेंशन बढ़ जायेंगे। पारिवारिक पेंशनरों को भी इसका लाभ मिलेगा।

इस संबंध में शासन के आदेश पर शिक्षा विभाग ने आदेश जारी कर दिया है। इस आदेश का वास्तविक लाभ 12 जून 2024 से मिलेगा और इससे जुड़े किसी भी प्रकार के एरियर का कोई भुगतान नहीं होगा। आदेश के अनुसार यह नई व्यवस्था पहली जनवरी 2006 से प्रभावी छठा वेतन आयोग के अनुक्रम में लागू की गई है। आयोग की संस्तुति थी कि वार्षिक वेतन वृद्धि पहली जुलाई से दी जायेगी। ऐसे में शिक्षक हों या शिक्षणेत्तर कर्मचारी दोनो को ही इसका लाभ मिलेगा बस शर्त यह है कि 30 जून से अगले 30 जून के मध्य न्यूनतम छह माह (180 दिन) काम किया हो।

कोर्ट का था निर्देश
रिटायर शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मियों को एक नोशनल वेतनवृद्धि जोड़ते हुए पेंशन एवं ग्रेच्युटी का लाभ दिए जाने का आदेश बीते 23 अप्रैल को इलाहाबाद उच्चन्यायालय की लखनऊ पीठ ने जारी की थी। इसी परिप्रेक्ष्य में पहले शासन फिर शिक्षा विभाग ने आदेश जारी किया है।

पूर्व में 30 जून को ही रिटायर होते थे शिक्षक
पूर्व में पहली जुलाई से 30 जून तक शैक्षिक सत्र होता था लिहाजा शिक्षकों को पूरे सत्र का लाभ मिलता था और वे 30 जून को ही रिटायर होते थे। यह व्यवस्था वर्ष 2014 तक चली। 31 मार्च 2015 से शैक्षिक सत्र पहली अप्रैल से प्रारम्भ होने लगा। एक जनवरी 2016 से सातवां वेतन आयोग की संस्तुतियां लागू हुई उसमें शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के लिए पहली जुलाई और पहली जनवरी को वर्ष में दो बार वेतन वृद्धि की व्यवस्था लागू हो गई।

संगठनों ने किया स्वागत
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ ने इस आदेश का स्वागत किया है। संगठन के वरिष्ठ शिक्षक नेता ओम प्रकाश त्रिपाठी का कहना है कि उनका संगठन लम्बे समय से इसकी मांग कर रहा था। अब सरकार ने उसे पूरा किया है।

ग्रेच्यूटी पर भी लाभ
33 साल की सेवा पर साढ़े सोलह महीने का मूल वेतन तथा महंगाई भत्ते की राशि को जोड़कर जो धनराशि होती है वह ग्रेच्यूटी की राशि होती है। ऐसे में साढ़े सोलह माह के एक वेतन वृद्धि के आधार पर ग्रेच्यूटी की राशि भी बढ़ जायेगी जिसका लाभ पेंशनरों को अलग से मिलेगा। शिक्षक 60 वर्ष पर रिटायर होते हैं उन्हें ही ग्रेच्यूटी लाभ मिलता है लिहाजा वेतन वृद्धि व ग्रेच्यूटी की राशि में वृद्धि का लाभ भी 60 वर्ष पर सेवानिवृत होने वाले शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मियों को मिलेगा।



माध्यमिक के शिक्षक/ शिक्षणेत्तर कर्मियों को नोशनल इंक्रीमेंट जुड़ते हुए पेंशन और ग्रैच्युटी का लाभ दिए जाने का आदेश जारी

Saturday, September 28, 2024

यूपी बोर्ड : प्रबंधकों के सगे संबंधियों के विद्यालय नहीं बनेंगे परीक्षा केंद्र

यूपी बोर्ड : प्रबंधकों के सगे संबंधियों के विद्यालय नहीं बनेंगे परीक्षा केंद्र

ऐसे विद्यालयों में नकल कराने की आती थी शिकायतें, नकल विहीन परीक्षा के लिए कर रहे उपाय


प्रयागराज। यूपी बोर्ड को हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा कराने के लिए केंद्र बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। विद्यालयों से आवेदन ले लिए गए हैं। इस बार प्रबंधकों के सगे संबंधियों के विद्यालय परीक्षा केंद्र नहीं बनेंगे।

पिछले दिनों यूपी बोर्ड ने केंद्र बनाने की गाइड लाइन जारी की थी। नकलविहीन परीक्षा कराने के लिए केंद्र बनाने के साथ ही उसके उपाय शुरू हो गए हैं। कई निजी विद्यालयों के प्रबंधकों पर नकल कराने के आरोप लगते रहे हैं। प्रदेश में कई ऐसे वित्तविहीन विद्यालय हैं, जिनके प्रबंधक एक ही परिवार या उनके रिश्तेदारों के हैं। परीक्षा के दौरान वह विद्यालय केंद्र बनते हैं, फिर इन स्कूलों के विद्यार्थियों का केंद्र इन्हीं प्रबंधकीय वाले विद्यालयों में बन जाता है। ऐसे विद्यालयों में अक्सर नकल की शिकायत आती है लेकिन बोर्ड उनको केंद्र बनाने से नहीं रोक पा रहा था।

बोर्ड का नियम है कि एक ही प्रबंधक वाले दो विद्यालय आपस में केंद्र नहीं बनाए जाएंगे। लेकिन प्रबंधक बदले होने पर वह केंद्र बन जाते थे। ऐसे में इस बार एक ही परिवार के प्रबंधन वाले विद्यालयों की भी सूची बनाई जाएगी। विभागीय अधिकारियों और एलआईयू से भी इसकी रिपोर्ट ली जाएगी। अमूमन केंद्र के कुछ लोगों की मिलीभगत से नकल होती है। इस बार ऐसे संदिग्धों को चिहिनत किया जाएगा। यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने बताया कि परीक्षा केंद्र बनाने में हर स्तर पर सतर्कता बरती जाएगी।

उन्होंने बताया कि विद्यालयों में जितने बच्चे पढ़ते हैं, उससे ज्यादा की परीक्षा कराने के लिए प्रधानाचार्य मांग करते हैं, अब ऐसा नहीं होगा। जिस विद्यालय में जितने बच्चे होंगे, उससे ज्यादा का केंद्र नहीं बनाया जाएगा। सड़क के दो तरफ निर्मित विद्यालयों को भी केंद्र नहीं बनाया जाएगा।



यूपी बोर्ड : प्रबंधकीय विवाद वाले विद्यालय नहीं बनेंगे परीक्षा केंद्र, 25 सितंबर से शुरू होगी केंद्र निर्धारण की प्रक्रिया

अधिकतम 2000 विद्यार्थियों का बनाया जाएगा केंद्र

प्रयागराज। यूपी बोर्ड हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा के लिए केंद्र निर्धारण की प्रक्रिया 25 सितंबर से शुरू हो जाएगी। नकल विहीन परीक्षा कराने के लिए केंद्र निर्धारण में काफी सतर्कता बरती जाएगी। यूपी बोर्ड ने केंद्र निर्धारण की नियमावली जारी कर दी है।

इस वार प्रबंधकीय विवाद वाले विद्यालयों को केंद्र नहीं बनाया जाएगा। इसके अलावा विद्यालयों के मध्य परीक्षार्थियों का पारस्परिक आवंटन नहीं किया जाएगा।

केंद्र निर्धारण की प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। इसके लिए कमेटी बना दी गई है। प्रत्येक केंद्र पर कम से 250 और अधिकतम 2000 परीक्षार्थी आवंटित किए जाएंगे। केंद्र बनाते समय यह देखा जाएगा कि एक परीक्षार्थी के लिए 20 वर्गफीट क्षेत्रफल होना चाहिए। इसी मानक के अनुसार परीक्षार्थियों का आवंटन किया जाएगा। पिछले वर्ष अधिकतम 1500 परीक्षार्थियों पर केंद्र बनाए गए थे। इस बार परीक्षार्थी की संख्या बढ़ाई गई, इससे केंद्रों की संख्या कम हो सकती है।

नकल रोकने के उपाय के क्रम में विवादित एडेड विद्यालयों को केंद्र नहीं बनाया जाएगा। प्रदेश में 4512 एडेड विद्यालय हैं। इसमें से करीब पांच सौ के विवाद कोर्ट तक पहुंच चुके हैं। इसके अलावा हर जिले में पांच से दस विद्यालयों के प्रबंधक और प्रधानाचार्य के विवाद डीआईओएस स्तर पर लंबित हैं। 

बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने बताया कि एक ही प्रबंधक वाले विद्यालय के छात्र-छात्राओं का केंद्र उसके अधीन संचालित दूसरे विद्यालय में नहीं बनाया जाएगा। बालिका विद्यालयों में बालकों का सेंटर नहीं बनाया जाएगा। बालकों का केंद्र 12 किमी तक बनाया जाएगा। विषय परिस्थितियों में इसकी दूरी 15 किमी तक हो सकती है। बालिकाओं का केंद्र अधिकतम सात किमी किमी दूर बनाया जाएगा।


प्रश्न पत्रों की सुरक्षा के रहेंगे कड़े इंतजाम
केंद्र निर्धारण के समय ही प्रश्न पत्रों की सुरक्षा के इंतजाम कर दिए जाएंगे। विद्यालय के प्रवेश द्वार, प्रत्येक कक्ष, प्रश्नों और उत्तर पुस्तिकाओं को रखने वाले कमरे में वायर रिकॉर्डिंग वाला सीसीटीवी अनिवार्य है। प्रधानाचार्य कक्ष से अलग वायस रिकॉर्डिंग, नाइट विजन युक्त सीसीटीवी वाला सुरक्षित स्ट्रांग रूम होना चाहिए। प्रत्येक विद्यालय से हाईस्पीड इंटरनेट कनेक्टीविटी भी जरूरी है। सीसीटीवी के डीवीआर में रिकार्डिंग क्षमता 30 दिनों की होनी चाहिए।




यूपी बोर्ड | हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की केंद्र निर्धारण नीति में अहम बदलाव, एक केंद्र पर अधिकतम दो हजार छात्र देंगे परीक्षा

 पिछले साल 1500 परीक्षार्थियों के आवंटन का था नियम

किमी परिधि में 12 आने वाले विद्यालयों में केंद्र निर्धारित होगा प्रतिशत से अधिक दिव्यांगता वालों का भी सात किमी में केंद्र होगा 


प्रयागराज। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा 2025 में एक केंद्र पर अधिकतम दो हजार छात्र-छात्राएं परीक्षा देंगे। पिछले साल अधिकतम 1200 छात्रसंख्या आवंटित करने का नियम था। लेकिन, अधिक धारण क्षमता वाले राजकीय और सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में इससे छूट देते हुए अधिकतम 1500 छात्र- छात्राओं का परीक्षा केंद्र बनाने का प्रावधान किया गया था।


बोर्ड के सचिव भगवती सिंह की ओर से जिला विद्यालय निरीक्षकों को भेजी गई केंद्र निर्धारण नीति में अधिक धारण क्षमता वाले राजकीय, सहायता प्राप्त और वित्तविहीन स्कूलों में अधिकतम 2000 छात्र- छात्राओं का केंद्र बनाने का प्रावधान किया गया है। माना जा रहा है कि इससे परीक्षा केंद्रों की संख्या में कमी आएगी और बोर्ड परीक्षा की निगरानी में सहूलियत भी होगी। परीक्षा केंद्रों पर न्यूनतम छात्रसंख्या पिछले साल की तरह 250 ही है।


शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र की बालिकाएं, जिन्हें स्वकेंद्र की सुविधा नहीं है, उन्हें अधिकतम सात किलोमीटर की दूरी में परीक्षा केंद्र आवंटित किया जाएगा। 40 प्रतिशत से अधिक दिव्यांगता वाले परीक्षार्थियों को भी अधिकतम सात किलोमीटर दूरी में परीक्षा केंद्र आवंटित किया जाएगा। छात्रों का परीक्षा केंद्र 12 किलोमीटर की परिधि में आने वाले विद्यालयों में निर्धारित किया जाएगा। विषम भौगोलिक परिस्थिति एवं विद्यालय की अनुपलब्धता के दृष्टिगत हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट के परीक्षार्थियों को निकटस्थ 15 किलोमीटर की परिधि में परीक्षा केंद्र आवंटित किया जा सकता है।


राजकीय-एडेड कॉलेजों की अर्हता प्रमाणित कराएंगे

माध्यमिक शिक्षा परिषद वर्ष 2025 की बोर्ड परीक्षा के लिए राजकीय और सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों की अर्हता भी प्रमाणित कराई जाएगी। वर्ष 2024 की परीक्षाओं के लिए सॉफ्टवेयर से निर्धारित ऐसे राजकीय एवं अशासकीय सहायता प्राप्त परीक्षा केंद्र, जिन्हें जनपद स्तरीय केंद्र निर्धारण समिति ने परीक्षा केंद्र सूची से निरस्त किया है एवं इस वर्ष अनर्हता सूची में सम्मिलित (राजकीय एवं अशासकीय सहायता प्राप्त) परीक्षा ऑनलाइन भेजकर उनकी अर्हता केंद्रों की अलग-अलग सूची डीआईओएस को को प्रमाणित कराया जाएगा।

अब तीन श्रेणी में ही होंगे संस्कृत विद्यालय, अनुदानित संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों व महाविद्यालयों के शिक्षकों को बड़ी राहत

अब तीन श्रेणी में ही होंगे संस्कृत विद्यालय, अनुदानित संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों व महाविद्यालयों के शिक्षकों को बड़ी राहत


लखनऊ। शासन ने प्रदेश के 500 अनुदानित संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों व महाविद्यालयों के शिक्षकों को बड़ी राहत दी है। एक तरफ जहां संस्कृत विद्यालयों की तीन श्रेणी करने का निर्णय किया है, वहीं छात्र संख्या के आधार पर दी जा रही वेतन विसंगति को भी दूर करते हुए, सभी को निर्धारित वेतनमान देने की स्वीकृति दी है। 


अब विद्यालयों की तीन श्रेणियां संस्कृत प्राथमिक विद्यालय, संस्कृत माध्यमिक विद्यालय व संस्कृत महाविद्यालय ही होगी। वहीं 1974 के वर्गीकरण को समाप्त करते हुए 2010 के वर्गीकरण के अनुसार ही सभी को निर्धारित वेतन दिए जाने का भी निर्णय लिया है। 

डीजीएसई कार्यालय की सुस्ती से मृतक आश्रित कर्मियों की समस्याओं का समाधान लंबित, शासन ने तीसरी बार भेजा अनुस्मारक

डीजीएसई कार्यालय की सुस्ती से मृतक आश्रित कर्मियों की समस्याओं का समाधान लंबित, शासन ने तीसरी बार भेजा अनुस्मारक


लखनऊ, 28 सितंबर 2024
उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग में मृतक आश्रित के रूप में नियुक्त चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की समस्याओं के निराकरण को लेकर शासन द्वारा लगातार निर्देश जारी किए जा रहे हैं, परंतु समस्याओं का समाधान अभी भी लंबित है। इस संदर्भ में शासन ने तीसरी बार अनुस्मारक भेजते हुए संबंधित जानकारी और प्रस्ताव त्वरित रूप से मांगा है।

शासन के पत्र क्रमांक 1/448504/2023 और 1/499049/2024, दिनांक 14 दिसंबर 2023 और 19 फरवरी 2024, के अंतर्गत संबंधित अधिकारियों से एक सप्ताह के भीतर आख्या उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए थे। इसके बावजूद, अब तक यह सूचना शासन तक नहीं पहुंच पाई है। 

उल्लेखनीय है कि मृतक आश्रित चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की मांगों और समस्याओं के समाधान हेतु प्रमुख सचिव, बेसिक शिक्षा विभाग की अध्यक्षता में 16 जुलाई 2024 को एक बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक के कार्यवृत्त के अनुसार, समस्याओं का त्वरित निराकरण करने के निर्देश दिए गए थे। इसके बावजूद, शासन को संबंधित आख्या अभी तक प्राप्त नहीं हुई है।

शासन ने अब इस प्रकरण पर गंभीरता दिखाते हुए 27 सितंबर 2024 को तीसरी बार अनुस्मारक जारी किया है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि सभी संबंधित अधिकारियों को 02 कार्यदिवस के भीतर आख्या और प्रस्ताव शासन को प्रस्तुत करने होंगे। 

सूत्रों के अनुसार, इस मुद्दे के लंबित होने के कारण कई चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है, जिससे कर्मियों में असंतोष व्याप्त है। 

अब देखना होगा कि इस बार शासन के सख्त रुख के बाद क्या बेसिक शिक्षा विभाग त्वरित कार्रवाई कर इन कर्मियों की समस्याओं का समाधान करता है या यह मुद्दा और लंबित रहेगा। 


Friday, September 27, 2024

माध्यमिक में इंचार्ज को नियमित प्रधानाध्यापक जैसा वेतन दिए जाने की आहट, हाईकोर्ट ने दो माह में भुगतान का निर्देश दिया था

माध्यमिक में इंचार्ज को नियमित प्रधानाध्यापक जैसा वेतन दिए जाने की आहटहाईकोर्ट ने दो माह में भुगतान का निर्देश दिया था

1320 प्रभारी प्रधानाध्यापकों को न्याय की उम्मीद


लखनऊ । प्रभारी प्रधानाध्यापकों को जल्द ही नियमित प्रधानाध्यापक के बराबर वेतन मिलेगा। के बीते मई में हाईकोर्ट के निर्देश को मानने के लिए सरकार सैद्धांतिक रूप से सहमत हो गई है।

कोर्ट ने समान कार्य के लिए समान वेतन देने के निर्देश दिए हैं। इसी परिप्रेक्ष्य में शासन ने माध्यमिक शिक्षा विभाग से प्रस्ताव भी मांगा है। इससे विगत दो वर्षों से सरकारी और सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों में कार्य कर रहे करीब 1320 प्रभारी प्रधानाध्यापकों को न्याय की उम्मीद बढ़ गई है। 


अब तक माध्यमिक शिक्षा आयोग द्वारा चयनित प्रधानाचार्यों को ही उनके पद के लिए अनुमन्य वेतन दिया जा रहा है, जबकि वर्ष 2011 के बाद से आयोग की ओर से इस पद कोई नियुक्ति नहीं किए जाने कारण सेवानिवृत होने वाले प्रधानाध्यापकों की जगह पर विद्यालयों में वरिष्ठतम शिक्षक को प्रभारी प्रधानाचार्य बनाए जाने का सिलसिला जारी है। 


नतीजा बिना पद के समान वेतन के उनके मूल पद का वेतन देकर कार्य कराये जाने को शिक्षक संगठनों की ओर से भी लगातार अन्याय पूर्ण बताया जा रहा है। साथ ही समान कार्य के लिए समान वेतन के सामान्य सिद्धांत के अधिकारों के भी खुले उल्लंघन की संज्ञा दी जा रही थी। संगठनों की ओर से विभागीय अधिकारियों के समक्ष भी कई बार मसला उठाते हुए कहा गया कि विद्यालयों में प्रभारी प्रधानाचार्यों से वे समस्त कार्य समान रूप से लिए जा रहे हैं जो नियमित प्रधानाध्यापक से लिए जाते हैं। इस प्रकार विभाग प्रवक्ता पद के वेतन से प्रिंसिपल पद का कार्य ले रहा है जो नैसर्गिक न्याय के विपरीत है।


04 माह पूर्व हाईकोर्ट के निर्देश पर अमल करेगी सरकार

कुछ प्रभारी प्रधानाध्यापक इस मामले को लेकर कोर्ट चले गये। चार माह पूर्व इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस प्रकाश माड़िया ने सौरभ पांडेय एवं 35 अन्य के मामले में आदेश पारित करते हुए सरकार को कहा कि दो माह में एरियर सहित नियमित प्रधानाध्यापक के पद का वेतन नियमानुसार भुगतान करें। कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हुए शासन ने अब विभाग से प्रस्ताव मांगा है। इस संबंध में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (पांडेय गुट) के वरिष्ठ शिक्षक नेता ओम प्रकाश त्रिपाठी ने इस प्रकारण में शीघ्र कदम उठाने की मांग की है।

'जलवायु परिवर्तन' के दुष्प्रभावों के प्रति प्रदेश के उच्च प्राथमिक/कंपोजिट विद्यालय तथा कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों के विद्यार्थी किए जाएंगे जागरूक

'जलवायु परिवर्तन' के दुष्प्रभावों के प्रति प्रदेश के उच्च प्राथमिक/कंपोजिट विद्यालय तथा कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों के विद्यार्थी किए जाएंगे जागरूक
 
जलवायु परिवर्तन, पोषण, स्वास्थ्य, जीवन कौशल और सशक्तिकरण जैसे पहलुओं से होंगे रूबरू


लखनऊ, 26 सितम्बर। वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन एक गंभीर और अत्यधिक संवेदनशील मुद्दा बन गया है, जिससे दुनिया भर के देश प्रभावित हो रहे हैं। इसके बढ़ते प्रभावों और भविष्य में होने वाले खतरों से निपटने के लिए कई देश और राज्य अपने-अपने स्तर पर ठोस कदम उठा रहे हैं। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने एक नई पहल शुरू की है, जो कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय (केजीबीवी) की छात्राओं को न सिर्फ जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूक करेगी बल्कि सुझाये गये उपायों को उनके व्यवहार में भी शामिल करने प्रेरित भी करेगी। 


28 सितम्बर 2024 से 15 फरवरी 2025 तक चलने वाले इस विशेष कार्यक्रम का उद्देश्य छात्राओं को जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों और उसके समाधान के बारे में जागरूक करना है। इस कार्यक्रम में विशेषज्ञों और छात्राओं के बीच सीधा संवाद स्थापित कराया जाएगा, ताकि बालिकाएं न केवल इस समस्या को समझें, बल्कि इसके समाधान के लिए अपने दैनिक जीवन में भी सकारात्मक बदलाव ला सकें।


विभिन्न सत्रों में मिलेगा मार्गदर्शन
 इस पहल के अंतर्गत, यूनिसेफ के सहयोग से मीना मंच और केजीबीवी की छात्राओं व सुगमकर्ताओं के साथ जागरूकता सत्रों की एक श्रृंखला आयोजित की जाएगी, जो मीना मंच की गतिविधियों के साथ संयोजित रहेंगे। इन सत्रों का आयोजन ऑनलाइन माध्यम से होगा। कार्यक्रम के विशेषज्ञों में से एक डॉ. अनीता भटनागर जैन (सेवानिवृत्त आईएएस) इन सत्रों के दौरान बालिकाओं के साथ सीधा संवाद करेंगी।


 सत्र के दौरान छात्राओं को विभिन्न टास्क दिए जाएंगे, जिनका संकलन गूगल फॉर्म के माध्यम से किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य बालिकाओं में जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ उन्हें व्यवहारिक रूप से सक्षम बनाना है, ताकि वे जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों का सामना कर सकें और अपने जीवन कौशल को सशक्त कर सकें।


व्यवहार में सतत विकास की भावना विकसित करने का है प्रयास
 छात्राओं को विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन से बचने के उपायों को आत्मसात करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। यह पहल आने वाली पीढ़ियों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने और उनके व्यवहार में सतत विकास की भावना विकसित करने के प्रयासों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।


जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मिलेगी मदद
 योगी सरकार का यह कदम न केवल छात्राओं में बल्कि समाज के व्यापक वर्गों में भी जागरूकता फैलाने में सहायक साबित हो सकता है, जिससे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद मिलेगी।                                         

अब करियर काउंसिलिंग में छात्रों के साथ मौजूद रहेंगे अभिभावक, सभी राजकीय माध्यमिक स्कूलों में की जा रही है शुरुआत

अब करियर काउंसिलिंग में छात्रों के साथ मौजूद रहेंगे अभिभावक, सभी राजकीय माध्यमिक स्कूलों में की जा रही है शुरुआत

• छह विशेष पीटीएम आयोजित कर दी जाएगी जानकारी

लखनऊ : राजकीय माध्यमिक स्कूलों में अब करियर काउंसिलिंग में छात्रों के साथ उनके अभिभावकों को भी बुलाया जाएगा। छात्र की क्षमता और उसकी रुचि के अनुसार किस क्षेत्र में करियर बनाना उसके लिए उचित रहेगा इसकी जानकारी अभिभावकों को दी जाएगी। इसके लिए विद्यालयों में वर्ष भर में छह विशेष अभिभावक- शिक्षक बैठक (पीटीएम) आयोजित की जाएंगी। 


अभिभावक अपने बच्चों पर मन-मर्जी न थोपें इसलिए भी यह पहल की जा रही है। राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा (माध्यमिक) कंचन वर्मा की ओर से इसके लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। सभी 2,302 राजकीय माध्यमिक स्कूलों में पंख कार्यक्रम के तहत यह विशेष पीटीएम प्रत्येक महीने के द्वितीय शनिवार को आयोजित होगी। अगर उस दिन अवकाश है तो चौथे शनिवार को इसे आयोजित किया जाएगा।


 प्रत्येक विद्यालय को इसके लिए छह हजार रुपये की धनराशि भी दी गई है। इसके अलावा स्कूलों में करियर हब भी बनाए जाएंगे। करियर मेला भी आयोजित किया जाएगा। करियर हब के लिए प्रत्येक स्कूल को नौ हजार रुपये दिए गए हैं। सभी स्कूलों में करियर हब के लिए एक विशेष कक्ष तैयार किया जाएगा। इस कक्ष में प्रोजेक्टर, कंप्यूटर, लैपटाप व स्मार्ट मोबाइल फोन के माध्यम से विद्यार्थियों को करियर काउंसलर के वीडियो दिखाए जाएंगे। 


विज्ञान, गणित, मानविकी, वाणिज्य व कला इत्यादि वर्गों में आगे करियर संवारने के लिए कौन-कौन से अवसर हैं, इसके लिए अलग से चार्ट लगाकर प्रदर्शित किया जाएगा। विद्यालयों में करियर क्लब का भी गठन किया जाएगा। इसमें नोडल शिक्षक के साथ-साथ कक्षा नौ व 11 में सर्वोच्च स्थान लाने वाले विद्यार्थी के अभिभावक शामिल होंगे। कक्षा नौ से 12 तक के चार छात्र जो करियर काउंसिलिंग में रुचि रखते हैं उन्हें शामिल किया जाएगा। 


स्कूलों में करियर मेला भी लगाया जाएगा। प्रत्येक विद्यालय को इसके लिए पांच हजार रुपये की धनराशि दी गई है। इसमें करियर से संबंधित जानकारी विशेषज्ञ देंगे। डाक्टर, इंजीनियर, आइएएस व पीसीएस अधिकारियों को भी आमंत्रित कर छात्रों को करियर बनाने की टिप्स दी जाएगी। यूनिसेफ की मदद से माध्यमिक शिक्षा विभाग ने पंख कार्यक्रम शुरू किया है।

शिक्षामित्रों को जल्द मिलेगा मूल विद्यालय में वापसी का विकल्प, प्रमुख सचिव ने शिक्षामित्र संघ के पदाधिकारियों को दिया आश्वासन

शिक्षामित्रों को जल्द मिलेगा मूल विद्यालय में वापसी का विकल्प, प्रमुख सचिव ने शिक्षामित्र संघ के पदाधिकारियों को दिया आश्वासन


लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों में तैनात शिक्षामित्रों को जल्द मूल विद्यालय में वापसी का विकल्प मिलेगा। यह आश्वासन प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा डॉ. एमकेएस सुंदरम ने प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के पदाधिकारियों को दिया है। उन्होंने बताया कि इसकी प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी।


प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा से बृहस्पतिवार को संघ पदाधिकारियों ने विधानसभा स्थित कार्यालय में मुलाकात की। उनका नेतृत्व कर रहे शिक्षक एमएलसी श्रीचंद शर्मा ने बताया कि शिक्षामित्रों को घर से काफी दूर जाना पड़ता है। उन्हें मानदेय भी कम मिलता है। ऐसे में शिक्षामित्रों को मूल विद्यालय वापस जाने और महिला शिक्षामित्रों को ससुराल के पास के विद्यालय आवंटित किया जाए। 

इस पर प्रमुख सचिव ने सकारात्मक कार्रवाई का आश्वासन दिया। इसी तरह शिक्षामित्रों के मानदेय में वृद्धि व चिकित्सा सुविधा देने के मुद्दे पर प्रमुख सचिव ने शासन स्तर पर वार्ता कर जल्द सकारात्मक कार्रवाई का आश्वासन दिया।

इस दौरान उप्र. प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष शिवकुमार शुक्ला, प्रदेश महामंत्री सुशील कुमार, प्रदेश मंत्री अरविंद वर्मा, कोषाध्यक्ष रमेश मिश्रा उपस्थित थे। 

पुरानी पेंशन के लिए सड़क पर उतरे देश भर में शिक्षक-कर्मचारी, NPS-UPS को बताया धोखा, आक्रोश मार्च में दिखी संगठनों की एकजुटता

पुरानी पेंशन के लिए सड़क पर उतरे देश भर में शिक्षक-कर्मचारी, NPS-UPS को बताया कर्मचारियों के साथ धोखा, आक्रोश मार्च में दिखी संगठनों की एकजुटता 


लखनऊ। नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) के आह्वान पर बृहस्पतिवार को शिक्षकों और कर्मचारियों ने देशभर में आक्रोश मार्च निकालकर अपना विरोध दर्ज कराया।


संगठनों एनपीएस-यूपीएस वापस लेने और पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग की। मार्च में रेलवे, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सिंचाई, पीडब्ल्यूडी और नगर निगम समेत कई विभागों के कर्मचारी शामिल हुए। जिला मुख्यालयों पर हुए प्रदर्शन में कर्मचारियों व शिक्षकों ने एनपीएस और यूपीएस को धोखा बताते हुए जमकर नारेबाजी की। मार्च में महिला कर्मचारी अपने परिवार के साथ शामिल हुई।


लखनऊ में एनएमओपीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु के नेतृत्व में हजरतगंज स्थित बीएन सिंह की प्रतिमा से शहीद स्मारक तक आक्रोश मार्च निकाला गया। इसमें प्रदेश के विभिन्न संगठनों के नेता, शिक्षक और कर्मचारियों ने भाग लिया। विजय ने कहा कि सरकार ने एनपीएस लाकर कर्मचारियों-शिक्षकों को धोखा किया है। यूपीएस तो कर्मचारियों के साथ महाधोखा है। इसलिए सरकार पुरानी पेंशन बहाल करे।

Thursday, September 26, 2024

उच्च शिक्षा में बड़े बदलाव की तैयारी, वर्ष 2035 तक बंद होंगे यूपी में संबद्ध महाविद्यालय

उच्च शिक्षा में बड़े बदलाव की तैयारी, वर्ष 2035 तक बंद होंगे यूपी में संबद्ध महाविद्यालय


लखनऊ। नई शिक्षा नीति 2020 के तहत उच्च शिक्षा के तहत बड़े बदलाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं। इसके तहत विश्वविद्यालयों से संबद्ध महाविद्यालयों की व्यवस्था समाप्त कर दी जाएगी और उसकी जगह स्वायत्तशासी (आटोनामस) और संघटक महाविद्यालयों ले लेंगे। संघटक महाविद्यालयों का प्रशासनिक नियंत्रण विश्वविद्यालयों के पास रहेगा।


प्रदेश में मौजूदा समय में महज 15 महाविद्यालय आटोनामस हैं। इसमें से केवल सात ही ऐसे हैं, जो उच्च शिक्षा विभाग के अधीन संचालित हैं। इन सात महाविद्यालयों में चार सहायता प्राप्त
और तीन स्ववित्तपोषित हैं। प्रदेश का एक भी राजकीय महाविद्यालय आटोनामस नहीं है। 


शासन ने अब महाविद्यालयों को आटोनामस बनाने के लिए एक नई पहल की है। शासन के निर्देश पर उच्च शिक्षा निदेशालय ने सभी राजकीय महाविद्यालयों के प्राचार्यों से नई शिक्षा नीति के अनुसार यूजीसी-आटोनामस कॉलेज योजना में आवेदन करने को कहा है। निदेशालय ने स्पष्ट किया है कि नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार 2035 के बाद संबद्ध महाविद्यालयों की व्यवस्था समाप्त हो जाएगी और सिर्फ आटोनामस एवं संघटक महाविद्यालय ही चलन में रहेंगे।

अब खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) भी बन सकेंगे GIC के प्रधानाचार्य, शासन ने बनाई पदोन्नति की नियमावली, स्वीकृति के लिए UPPSC को भेजा, विरोध भी हुआ शुरू

अब खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) भी बन सकेंगे GIC के प्रधानाचार्य, शासन ने बनाई पदोन्नति की नियमावली, स्वीकृति के लिए UPPSC को भेजा, विरोध भी हुआ शुरू


प्रयागराज। बेसिक शिक्षा परिषद में तैनात खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) भी अब पदोन्नत होकर राजकीय इंटर कॉलेजों (जीआईसी) के प्रधानाचार्य बन सकते हैं। इसके लिए शासन से नियमावली तैयार कर दी गई है। उसे स्वीकृति के लिए उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) को भेजा गया है। स्वीकृति मिलने के बाद पदोन्नति की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। 


जीआईसी में प्रधानाचार्य का पद राजपत्रित होता है। इसके 50 प्रतिशत सीधी भर्ती से भरे जाते हैं। प्रधानाचार्यों की भर्ती पीसीएस के साथ होती है और ग्रेड पे- 5400 का होता है। इसके अलावा 50 प्रतिशत पद पदोन्नति से भरने का नियम है, लेकिन पिछले एक दशक से यह विवादित है, इसलिए पदोन्नति प्रक्रिया ठप है।


शुरू हो गया नियमावली का विरोध

प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नति के लिए बनाई गई नियमावली का विरोध शुरू हो गया है। राजकीय शिक्षक संघ के अध्यक्ष रामेश्वर पांडेय ने बताया कि सीआई से आई बनने के बाद प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नति मिलती थी, वह भी 17 प्रतिशत, अब सीधे बेईओ को इस पद पर पदोन्नति देना गलत है। 

बीईओ ग्रेड पे 4800 का होता है। यह प्रवक्ता के बराबर है। प्रवक्ता से हेडमास्टर में परोन्नति होने के बाद वह अगले चरण में वह प्रधानाचार्य बन पाते हैं, जबकि बीईओ को इसका लाभ एक ही प्रमोशन पर देने की तैयारी है। संगठन इसका विरोध करेण। 

उन्होंने बताया कि बीईओ का पद निरीक्षण केडर का है और प्रधानाचार्य शिक्षण कैडर का है। इसलिए उनका प्रमोशन इस पद पर नहीं होना चाहिए। 

Wednesday, September 25, 2024

माध्यमिक विद्यालयों में प्रार्थना सभा में अखबार की खबरों पर होगी चर्चा, निदेशक ने शैक्षणिक कार्य के लिए जारी किए निर्देश

माध्यमिक विद्यालयों में प्रार्थना सभा में अखबार की खबरों पर होगी चर्चा, माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने शैक्षणिक कार्य के लिए जारी किए निर्देश


लखनऊ। प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ाई से पहले होने वाली प्रार्थना सभा में अब हर दिन के अखबारों में छपी खबरों पर चर्चा होगी। साथ ही प्रतिज्ञा, सुविचार व प्रश्नमंच का आयोजन होगा। इतना ही नहीं प्रमुख समाचार व सवाल-जवाब को हर दिन विद्यालय के ब्लैक बोर्ड व नोटिस बोर्ड पर अलग-अलग विद्यार्थियों से लिखवाया भी जाएगा।


माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से सुबह आयोजित की जाने वाली प्रार्थना सभा को लेकर विस्तृत निर्देश जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा है कि पहले घंटे में पढ़ाई से पहले 15 मिनट की प्रार्थना सभा का आयोजन करना अनिवार्य है। इसमें प्रमुख समाचार, प्रतिज्ञा, सुविचार, प्रश्नमंच व राष्ट्रगान का आयोजन किया जाएगा। राष्ट्र का गौरव देने वाली नई घटनाओं से विद्यार्थियों को परिचित कराया जाएगा।


माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने कहा है कि सुविचार, प्रमुख समाचार, प्रश्न मंच के सवाल-जवाब ब्लैब बोर्ड, नोटिस बोर्ड पर हर दिन अलग-अलग विद्यार्थियों से लिखवाया जाए। नया सवेरा कार्यक्रम में हर सप्ताह दो शिक्षाधिकारी प्रार्थना सभा में शामिल होकर छात्रों से अनुशासन, कॅरियर, जीवन मूल्यों पर चर्चा करेंगे। केंद्र व राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं की विद्यार्थियों को जानकारी दी जाएगी।


माध्यमिक शिक्षा निदेशक की ओर से सभी मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक, उप शिक्षा निदेशक व डीआईओएस को जारी निर्देश में इसका अनुपालन सुनिश्चित कराने को कहा है। साथ ही यह भी कहा है कि इस आदेश का कड़ाई से अनुपालन कराने के साथ ही इसकी कार्यवाही का समय-समय पर खुद पर्यवेक्षण भी करें। 

शिक्षामित्र अवधि की सेवा जोड़कर अध्यापकों ने मांगी पुरानी पेंशन, 28 मार्च 2005 से पूर्व शिक्षामित्र रहे, बाद में नियुक्त हुए परिषदीय सहायक अध्यापक

शिक्षामित्र अवधि की सेवा जोड़कर अध्यापकों ने मांगी पुरानी पेंशन

28 मार्च 2005 से पूर्व शिक्षामित्र रहे, बाद में नियुक्त हुए परिषदीय सहायक अध्यापक

इस अवधि से पूर्व के विज्ञापन पर बाद नियुक्ति पाने वालों को मिलनी है ओपीएस


प्रयागराज : 28 मार्च 2005 के पूर्व के विज्ञापन पर एक अप्रैल 2005 या इसके बाद नियुक्ति पाए शिक्षकों/कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) से आच्छादित किए जाने के राज्य सरकार के निर्णय के बाद बड़ी संख्या में शिक्षा मित्रों ने भी ओपीएस की मांग की है। 


यह मांग उन शिक्षामित्रों ने की है, जो 28 मार्च 2005 से पूर्व शिक्षा मित्र के पद पर कार्यरत थे और अब सहायक अध्यापक प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने अपने शिक्षा मित्र के सेवाकाल को जोड़कर ओपीएस का लाभ दिए जाने की मांग की है।


बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में शिक्षा मित्रों के नियुक्ति की प्रक्रिया 2001 से लेकर 2007 तक चली। 2009 में हाई कोर्ट के आदेश से शिक्षा मित्रों की नियुक्ति बंद कर दी गई। इस बीच नियुक्ति पा चुके शिक्षा मित्र सरकार के समय-समय के निर्णय के क्रम में प्रशिक्षण पाकर भर्ती प्रक्रिया से सहायक अध्यापक बन गए। इसके विरुद्ध बीएड प्रशिक्षितों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। 25 जुलाई 2017 को दिए गए सुप्रीम कोर्ट के आदेश से उन्हें हटा दिया गया। इससे 1,37,000 शिक्षा मित्र प्रभावित हुए।


इनके लिए बाद में शिक्षक भर्ती आई, जिसमें बड़ी संख्या में शिक्षा मित्र सहायक अध्यापक बन गए। इसमें ऐसे भी शिक्षा मित्र हैं, जो 2001 से 28 मार्च 2005 के बीच नियुक्त हुए थे। अब सहायक अध्यापक बन चुके इन शिक्षा मित्रों ने 28 मार्च 2005 से पूर्व की अपनी सेवा को जोड़कर ओपीएस से आच्छादित किए जाने की मांग की है।


ओपीएस न मिलने पर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे 
उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने बताया कि उनके साथ कई लोग 28 मार्च 2005 के पूर्व शिक्षा मित्र नियुक्त हुए। सरकार के निर्णय के क्रम में बीटीसी किया, सहायक अध्यापक बने, फिर हटाए गए। सरकार के आदेश से भर्ती में शामिल होकर पुनः शिक्षक बने। इस तरह सरकार ने जैसा-जैसा कहा, वैसा- वैसा करते रहे। इसमें शिक्षा मित्रों की कोई गलती नहीं है।

स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा के लिए केंद्र के दिशा-निर्देश लागू करें राज्य : सुप्रीम कोर्ट

स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा के लिए केंद्र के दिशा-निर्देश लागू करें राज्य : सुप्रीम कोर्ट


नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा पर केंद्र के दिशा-निर्देशों को लागू करने का निर्देश दिया। साथ ही शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ समन्वय करने और दिशा-निर्देशों के कार्यान्वयन की निगरानी करने का निर्देश दिया है।


महाराष्ट्र के बदलापुर सहित कुछ स्कूलों में बच्चों के साथ हाल ही में हुईं यौन उत्पीड़न की घटनाओं के मद्देनजर एक गैर सरकारी संगठन ने आवेदन दायर कर देशभर के शैक्षणिक संस्थानों में बच्चों की सुरक्षा पर केंद्र के दिशा-निर्देशों को लागू करने की मांग की थी।


जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि केंद्र ने स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा पर दिशा-निर्देश अधिसूचित किए हुए हैं। पीठ ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह इसकी प्रतियां मुख्य सचिवों या समकक्ष अधिकारियों को भेजे। गैर सरकारी संगठन 'बचपन बचाओ आंदोलन' की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एचएस फुल्का ने शीर्ष अदालत को अवगत कराया कि केवल पांच राज्यों ने बच्चों की सुरक्षा के लिए केंद्र के दिशा निर्देशों को लागू किया है।


बच्चों की सुरक्षा से समझौता

बचपन बचाओ आंदोलन की ओर से कहा गया कि बच्चों की सुरक्षा से समझौता किया जा रहा है। उन्हें राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के परामर्श से मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) की ओर से तैयार दिशा-निर्देशों को अधिसूचित करने में राज्यों, केंद्र शासित प्रदेश सरकारों की विफलता के कारण यौन शोषण और हमलों का शिकार होना पड़ रहा है।

याचिका में कहा गया कि महाराष्ट्र के बदलापुर में हाल ही में हुई दुखद घटना आंखें खोलने वाली है, जिसमें दो स्कूली छात्राओं के साथ एक स्टाफ सदस्य ने दुष्कर्म किया। जो दर्शाती है कि स्कूल प्रबंधन बच्चों के जीवन की रक्षा करने में बुरी तरह विफल रहा है।

Tuesday, September 24, 2024

2700 शिक्षकों की वेतनवृद्धि लटकाने पर 82 BEO पर कार्रवाई की लटकी तलवार, नोटिस जारी कर मांगी गई अमल रिपोर्ट

2700 शिक्षकों की वेतनवृद्धि लटकाने पर 82 BEO पर कार्रवाई की लटकी तलवार, नोटिस जारी कर मांगी गई अमल रिपोर्ट


🔴 27 सौ शिक्षकों का मामले को लटका रखा है
🔴 शिक्षकों के वेतन वृद्धि को रोकने का मामला
🔴 जुलाई से ही बढ़ना था वेतन, अब तक नहीं बढ़ा
🔴 हर महीने की पांच तारीख को देनी होगी अमल रिपोर्ट


24 सितम्बर 2024
लखनऊ । शिक्षकों के वेतन वृद्धि को रोकने वाले 82 बीईओ पर निलंबन की तलवार लटक गई है। शासन ने ऐसे सभी बीईओ (खण्ड शिक्षा अधिकारी) के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है, जिन्होंने एक जिले से दूसरे जिले में स्थान्तरित होकर गए 2700 शिक्षकों की वेतन वृद्धि संबंधी मामले को अब तक लटका कर रखा है।

दरअसल विधान परिषद में शिक्षक दल के नेता ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने इस मामले को मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाते हुए तत्काल शिक्षकों के वेतन वृद्धि के आदेश जारी कराने की मांग की थी। मुख्यमंत्री सचिवालय ने मामले को गम्भीरता से लेते हुए तत्काल अद्यतन जानकारी मांगी थी। इसी परिप्रेक्ष्य में शासन ने विभाग से इसकी विस्तृत जानकारी तलब की।

विभाग ने जब संबंधित बीईओ से पूछताछ की तो ज्यादातर बीईओ ने वेतन वृद्धि संबंधी पत्रावलियों को लंबित रहने का मुख्य कारण रिकॉर्ड मिलान न हो पाने को बताया। शासन ने उनके इस तर्क से असहमति जताते हुए कहा कि सभी की सेवा पुस्तिकाएं ऑनलाइन हैं, लिहाजा इस जवाब को कतई संतोषजनक नहीं माना जा सकता। ऐसे में शासन ने नई नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर संबंधित सभी बीईओ से जवाब मांगने के निर्देश दिए हैं। 

बताया जाता है कि साल भर से अधिक समय तक चली लंबी प्रक्रिया के बाद पिछले वर्ष सरकार ने प्राइमरी स्कूलों के 2700 शिक्षकों का बीते जून माह में एक जिले से दूसरे जिले में परस्पर तबादला किया था। नियमानुसार जुलाई में ऐसे सभी शिक्षक जिनके खिलाफ किसी प्रकार की कोई कार्रवाई लम्बित नहीं है, उन्हें वेतन वृद्धि का लाभ दिया जाता है। स्थानांतरित होकर नए जिलों में पहुंचे शिक्षकों का वेतन वृद्धि जुलाई तो क्या अगस्त के वेतन में भी जुड़कर नहीं आई, जिससे शिक्षकों के बीच बेचैनी बढ़ी।

उन्होंने इस बारे में खण्ड शिक्षा अधिकारियों से पूछताछ शुरू की। कुछ ने तो इसके लिए अपने क्षेत्र के खण्ड शिक्षा अधिकारी को आवेदन पत्र तक दिया लेकिन आनाकानी जारी रही। अलबत्ता कुछ खण्ड शिक्षा अधिकारियों की ओर से यह जवाब भी मिला है कि अभी शिक्षकों के रिकार्ड का मिलान किया जा रहा है।


शिक्षकों की वेतन वृद्धि लटकाने वाले 82 बीईओ को कार्यवाई की नोटिस

लखनऊ : शिक्षकों की वेतन वृद्धि लटकाने के मामले में 82 खंड शिक्षा अधिकारियों (बीईओ) को कारण बताओ नोटिस जारी की गई है। परिषदीय प्राथमिक स्कूलों व उच्च प्राथमिक स्कूलों के करीब 2,700 शिक्षकों की वेतन वृद्धि जुलाई से ही होनी थी लेकिन दस्तावेज के मिलान व अन्य अडंगा लगाकर यह उनकी वेतन वृद्धि अभी तक रोके हुए हैं। ऐसे में शासन में शिकायत होने के बाद अब इनके खिलाफ नोटिस जारी की गई है और आगे निलंबन की तलवार इन पर लटक गई है। 

विधान परिषद में शिक्षक दल के नेता ध्रुव कुमार त्रिपाठी की ओर से इस मामले पर मुख्यमंत्री कार्यालय से शिकायत की थी कि शिक्षकों को वेतन वृद्धि का करीब 2,700 शिक्षकों की नहीं हो पाई वेतन वृद्धि लाभ नहीं मिल पा रहा। एक जिले है से दूसरे जिले में परस्पर स्थानांतरित होकर गए शिक्षकों को यह लाभ देने में सत्यापन के नाम पर परेशान किया जा रहा है और मामला लटकाया जा रहा है। 

फिलहाल बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से इस पर संबंधित जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी गई तो दस्तावेज का सत्यापन न हो पाना मुख्य कारण बताया गया। सेवा पुस्तिकाएं आनलाइन होने के कारण यह जवाब संतोषजनक नहीं माना गया।



अन्तर्जनपदीय तबादला होकर आए शिक्षकों को अब वेतन वृद्धि का इंतजार

सर्विस बुक ऑनलाइन इंक्रीमेंट , फिर भी लगाने में आनाकानी कर रहे बीईओ

09 सितंबर 2024
लखनऊ : डेढ़ साल चली लंबी प्रक्रिया के बाद दूसरे जिलों से तबादला होकर आए बेसिक शिक्षकों को अभी तक इंक्रीमेंट का इंतजार कर रहे हैं।


जून में प्रदेश के करीब 2,700 शिक्षकों के अंतरजनपदीय म्यूचुअल तबादले पूरे हो गए थे। जुलाई में सबका इंक्रीमेंट लगता है। तबादला होकर आए शिक्षकों का अगस्त तक का वेतन आ गया लेकिन इंक्रीमेंट लगकर नहीं आया। 


कई शिक्षकों ने अप्लीकेशन लिखकर इंक्रीमेंट लगाने की मांग की है। इसके बावजूद बीईओ इसमें आनाकानी कर रहे हैं। शिक्षकों का कहना है कि बीईओ जिस जिले से आए हैं, वहां से रेकॉर्ड का मिलान करने की बात कह रहे हैं जबकि सभी शिक्षकों की सर्विस बुक ऑनलाइन हैं। तुरंत सभी रेकॉर्ड का मिलाने किया जा सकता है। 


बाराबंकी से लखनऊ के माल ब्लॉक में प्राथमिक विद्यालय लोधई में शिक्षक निर्भय सिंह ने बताया कि वह बीईओ को अप्लीकेशन भी लिख चुके हैं लेकिन अभी तक इंक्रीमेंट नहीं लगा। बहराइच से गोंडा के प्राथमिक विद्यालय कुंडरी खेमपुर में तबादला होकर आए शिक्षक पवन मिश्र और रचना राय ने भी बताया कि अभी तक उनका इंक्रीमेंट नहीं लगा। अभी उनके रेकॉर्ड मंगाकर मिलान करने की बात अधिकारी कह रहे हैं। 


बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल ने बताया कि स्पष्ट निर्देश हैं कि जुलाई में सभी का इंक्रीमेंट लग जाना चाहिए। यदि कहीं से भी इस तरह की शिकायत है तो तुरंत कार्रवाई की जाएगी।

राजर्षि टंडन मुक्त विवि में सेमेस्टर प्रणाली समाप्त कर वार्षिक परीक्षा प्रणाली लागू, प्रोजेक्ट प्रणाली की जगह असाइनेंट व्यवस्था लागू

राजर्षि टंडन मुक्त विवि में सेमेस्टर प्रणाली समाप्त कर वार्षिक परीक्षा प्रणाली लागू, प्रोजेक्ट प्रणाली की जगह असाइनेंट व्यवस्था लागू


वाराणसी । राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय ने अपनी शिक्षा पद्धति में कई महत्वपूर्ण फेरबदल किए हैं। सेमेस्टर प्रणाली समाप्त कर वार्षिक परीक्षा प्रणाली लागू कर दी है। अब यहां पंजीकृत होने वाले छात्र- छात्राओं को प्रोजेक्ट प्रणाली की जगह केवल असाइनमेंट व्यवस्था का पालन करना होगा। वहीं, प्रवेश की अंतिम तिथि अब 30 सितंबर 2024 कर दी गई है।


 राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति ने छात्रों की सुविधाओं को ध्यान रखते हुए सेमेस्टर प्रणाली समाप्त की है। अब जुलाई 2024 सत्र में प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राओं को वर्ष में केवल एक बार परीक्षा देनी पड़ेगी। यूजीसी से डिस्टेंस मोड के विद्यार्थियों के लिए नई शिक्षा नीति 2020 में लागू सेमेस्टर प्रणाली से छूट देने की अनुमति मिली है। 


राज्य में मुक्त विश्वविद्यालय एकमात्र शिक्षण संस्था है जहां वार्षिक  परीक्षा प्रणाली लागू होगी। जुलाई सत्र से पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स में प्रोजेक्ट प्रणाली भी समाप्त की गई है। अब छात्रों को केवल पेपर के अनुसार असाइनमेंट जमा करने होंगे। क्षेत्रीय समन्वयक ने कहा कि छात्रों की सुविधाओं का ध्यान रखते हुए विभिन्न प्रावधान किए गए हैं ताकि वे तनाव से मुक्त होकर वर्ष में केवल एक बार परीक्षा दे सकें। 


राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने छात्रों को सुविधा के लिए हाल ही में 'एकलव्य' एप का विमोचन किया है। इस एप को डाउनलोड कर छात्र-छात्राएं विश्वविद्यालय एवं अपने विषय से संबंधित जानकारी कर सकते हैं। मुक्त विवि के क्षेत्रीय कार्यालय वाराणसी सहित जौनपुर, गाजीपुर, चंदौली, सोनभद्र, मिर्जापुर एवं भदोही जिले के लगभग ढाई सौ अध्ययन केंद्र में 13000 विद्यार्थी अध्यनरत है।

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Monday, September 23, 2024

अवकाश लंबित रखा तो BEO का होगा निलंबन, गड़बड़ी की आशंका पर DGSE ने पत्र जारी कर लंबित अवकाशों के संबंध में मांगा स्पष्टीकरण

अवकाश लंबित रखा तो BEO का होगा निलंबन, गड़बड़ी  की आशंका पर DGSE ने पत्र जारी कर लंबित अवकाशों के संबंध में मांगा स्पष्टीकरण 


लखनऊ। महानिदेशक स्कूल शिक्षा श्रीमती कंचन वर्मा द्वारा सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर लंबित अवकाशों के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा गया है। मुख्यमंत्री कार्यालय से मानव संपदा पोर्टल की नियमित समीक्षा की जा रही है।


 गौरतलब है कि बहुत से खण्ड शिक्षा अधिकारियों के द्वारा सीसीएल और मैटरनिटी अवकाशों को धनवसूली के बाद ही अग्रसारित किया जाता है।


 इसके साथ ही महानिदेशक महोदया ने आकस्मिक अवकाशों को अवकाश के दिन से अधिक लंबित रखने वाले खण्ड शिक्षा अधिकारियों की सूची जारी करते हुए स्पष्टीकरण तलब किया है। 


पत्र में लंबित अवकाशों को लेकर गड़बड़ी की आशंका जाहिर की गयी है और कहा गया है कि अवकाशों में खेल मिलने पर खण्ड शिक्षा अधिकारियों की सूची मुख्यमंत्री कार्यालय भेजी जाएगी।

69000 भर्ती विवाद के बीच उछला ईडब्ल्यूएस आरक्षण का मुद्दा, जानिए पूरा मामला

69000 भर्ती विवाद के बीच उछला ईडब्ल्यूएस आरक्षण का मुद्दा, जानिए पूरा मामला


प्रयागराज । परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण विवाद के कारण नए सिरे से पूरी चयन सूची बनाने के हाईकोर्ट के डबल बेंच के आदेश का मामला अभी थमा भी नहीं था कि इस भर्ती में ईडब्ल्यूएस का मुद्दा उछल गया है। 


इस भर्ती में आर्थिक रूप से पिछड़े (ईडब्ल्यूएस) अभ्यर्थियों ने 10 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। अभ्यर्थियों का कहना है कि 69000 भर्ती के लिए सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा (एटीआरई) की अधिसूचना परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने एक दिसंबर 2018 को जारी की थी।


प्रदेश सरकार इसी तिथि से भर्ती प्रक्रिया शुरूमानकर ईडब्ल्यूएस वर्ग को आरक्षण का लाभ नहीं दे रही है, जबकि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रामशरण मौर्या बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के केस में माना है कि एटीआरई एक पात्रता परीक्षा है जो किसी भी उम्मीदवार के उत्तीर्ण होने पर नौकरी की गारंटी नहीं देता है। भर्ती तब से शुरू मानी जाएगी जब जिला आवेदन प्रक्रिया शुरू होगी क्योंकि प्राथमिक शिक्षक का पद जिला स्तरीय भर्ती का है। 


सामान्य वर्ग प्रतियोगी छात्र मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष धर्मेद्र मिश्र का कहना है कि इस लिहाज से ईडब्ल्यूएस को आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए क्योंकि 69000 शिक्षक भर्ती का विज्ञापन बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव ने 25 मई 2020 को जारी किया था और संविधान में 103वें संशोधन के बाद केंद्र सरकार ने 12 जनवरी 2019 को ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू किया था और यूपी में 18 फरवरी 2019 में यह लागू हुआ था।


आज होनी है सुनवाई 
हालांकि हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने यह याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद ईडब्ल्यूएस वर्ग के अभ्यर्थियों ने डबल बेंच में अपील की। 17 सितंबर को सुनवाई के दौरान बेसिक शिक्षा परिषद के अधिवक्ता ने जब बात कही की 69000 भर्ती का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और 23 सितंबर को अगली सुनवाई होनी है तो डबल बेंच ने सुनवाई टाल दी। डबल बेंच में इस मामले की सुनवाई अब 16 अक्तूबर को रखी गई है।

तदर्थ शिक्षकों, शिक्षामित्रों और अनुदेशकों पर लेंगे सकारात्मक निर्णय, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने शिक्षकों की विभिन्न समस्याओं को लेकर की बैठक

तदर्थ शिक्षकों, शिक्षामित्रों और अनुदेशकों पर लेंगे सकारात्मक निर्णय,  डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने शिक्षकों की विभिन्न समस्याओं को लेकर की बैठक 


लखनऊ। विधान परिषद सभापति के निर्देश पर बेसिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षा विभाग के शिक्षकों की समस्याओं पर नेता सदन व उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या की अध्यक्षता में शनिवार शाम को बैठक हुई। इसमें तदर्थ शिक्षकों के वेतन, तैनाती व शिक्षामित्रों के मानदेय मामले में सकारात्मक निर्णय लेने पर सहमति बनी।

बैठक में शिक्षक विधायक राज बहादुर सिंह चंदेल व स्नातक विधायक देवेंद्र प्रताप सिंह ने अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों (एडेड कॉलेजों) के तदर्थ शिक्षकों के संबंध में 9 नवंबर 2023 के आदेश को वापस लेने की बात कही। कहा कि इससे सरकार पर अलग से वित्तीय भार नहीं पड़ेगा।

ऐसे में इस मुद्दे पर एक माह के अंदर निर्णय लेने की सहमति बनी। बैठक में 22 मार्च 2016 के आदेश के तहत विनियमित हुए शिक्षकों को पेंशन नहीं देने का मुद्दा उठाया। शिक्षक विधायक ने कहा कि इस पर तदर्थ, अर्हकारी सेवाएं जोड़ने के लिए कहा गया पर नहीं किया गया। उप मुख्यमंत्री ने इसका कारण पूछा। इस पर भी एक महीने में निर्णय देने पर सहमति बनी।

बैठक में शिक्षक नेताओं ने वर्ष 1981 से 2020 तक 40000 शिक्षकों-कर्मचारियों की विजिलेंस (सतर्कता) जांच का मुद्दा उठाया। इस पर कहा गया कि जिसकी शिकायत होती है, उसे बुलाकर पूछा जाए। अनावश्यक सभी शिक्षक कर्मचारियों को परेशान न किया जाए। एमएलसी ने बताया कि राज्य शिक्षा सेवा चयन आयोग में सेवा सुरक्षा, दंड प्रक्रिया, निलंबन, अनुमोदन की नियमावली नहीं बनी। इस पर अपर मुख्य सचिव ने कहा कि यह नियमावली बन रही है।

बैठक में परिषदीय विद्यालयों में तैनात शिक्षामित्रों व अनुदेशकों का हर साल महंगाई के अनुसार मानदेय बढ़ाने का मुद्दा उठाया गया। काफी चर्चा के बाद इसके लिए फॉर्मूला तैयार करने व निर्णय लेने पर सहमति बनी। बैठक में शिक्षक विधायक श्रीचंद शर्मा, ध्रुव कुमार त्रिपाठी आदि उपस्थित थे।



तदर्थ शिक्षकों व शिक्षा मित्रों पर लेंगे सकारात्मक निर्णय

विधान परिषद सभापति के निर्देश पर बेसिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षा विभाग के शिक्षकों की समस्याओं पर नेता सदन व उप मुख्यमंत्री केशव मौर्या की अध्यक्षता में शनिवार को बैठक हुई। इसमें तदर्थ शिक्षकों के वेतन, तैनाती व शिक्षा मित्रों के मानदेय मामले में सकारात्मक निर्णय लेने पर सहमति बनी।

बैठक में शिक्षक विधायक राज बहादुर सिंह चंदेल व स्नातक विधायक देवेंद्र प्रताप सिंह ने अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय (एडेड कॉलेजों) के तदर्थ शिक्षकों के संबंध में 9 नवम्बर 2023 के आदेश को वापस लेने की बात कही। क्योंकि उसके बाद वेतन देने के लिए न्यायालय द्वारा निर्णय दिये जा रहें हैं किंतु विभाग इस पर कोई आदेश नही दे रहा है। उप मुख्यमंत्री ने पूछा कि ऐसे कितने लोग हैं। शिक्षक विधायक ने कहा कि लगभग 1200 लोग ही बचे है। इससे सरकार पर अलग से वित्तीय भार अलग से नहीं पड़ेगा। इस पर एक माह के अंदर निर्णय लेने की सहमत बनी ।

बैठक में 22 मार्च 2016 के आदेश के तहत विनियमित हुए शिक्षकों को पेंशन नहीं देने का मुद्दा उठाया। शिक्षक विधायक ने कहा कि इस पर तदर्थ, अर्हकारी सेवाएं जोड़ने के लिए कहा गया पर नहीं किया गया। उप मुख्यमंत्री ने इसका कारण पूंछा। इस पर भी एक महीने में निर्णय देने पर सहमत बनी।

बैठक में शिक्षक नेताओं ने वर्ष 1981 से 2020 तक 40000 शिक्षकों- कर्मचारियों की बिजलेंस (सर्तकता) जांच का मुद्दा उठाया। इस पर कहा गया कि जिसकी शिकायत होती है, उसे बुलाकर पूंछा जाए। अनावश्यक सभी शिक्षक - कर्मचारियों को न परेशान किया जाए। यह भी मांग की गई कि इस संबंध में शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) इस संबंध में पत्र भी जारी करें।

 एमएलसी ने बताया कि राज्य शिक्षा सेवा चयन आयोग में सेवा सुरक्षा, दंड प्रक्रिया, निलंबन, अनुमोदन की नियमावली नहीं बनी। इस पर अपर मुख्य सचिव ने कहा कि यह नियमावली बन रही है उसमे चयन बोर्ड नियमावली-1998 की धारा 12,18 व 21 जोड़ने पर सहमत बनी।

Sunday, September 22, 2024

12 अक्टूबर से पहले विद्यार्थियों के खाते में पहुंचेगी संस्कृत छात्रवृत्ति

12 अक्टूबर से पहले विद्यार्थियों के खाते में पहुंचेगी संस्कृत छात्रवृत्ति

समयसारिणी के अनुसार आफलाइन आवेदनों पर कार्यवाही के निर्देश, छात्रवृत्ति के लिए 75% उपस्थिति व 50% अंक अनिवार्य


प्रयागराज : प्रदेश में संस्कृत विद्यालयों व महाविद्यालयों में पढ़ने वाले प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं में संस्कृत पढ़ने की रुचि बनाए रखने एवं उच्च शिक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य से छात्रवृत्ति योजना में किए गए बदलाव से अधिक विद्यार्थी लाभान्वित होंगे। 21 दिसंबर 2001 से लागू संस्कृत छात्रवृत्ति योजना वर्तमान में अनुकूल न होने पर इसमें बदलाव इस तरह किए गए कि कई बंधन खत्म हो गए हैं। नई व्यवस्था में दो किस्तों में छात्रवृत्ति दी जानी है। इस अनुरूप पहली किस्त 12 अक्टूबर से पहले विद्यार्थियों के खाते में भेजने के निर्देश माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने दिए हैं। इसके लिए निरीक्षक संस्कृत पाठशालाएं पवन कुमार श्रीवास्तव को नोडल अधिकारी बनाया गया है।


छात्रवृत्ति देने के लिए 50,000 आय सीमा, हर कक्षा में मेरिट क्रम में सीमित संख्या होने से कम छात्र छात्राओं को छात्रवृत्ति मिल पाती थी। अब प्रथमा की कक्षाओं छह, सात, आठ के मेधावी छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति उपलब्ध कराए जाने के दायरे में लाया गया है। अभी सीमित संख्या निर्धारित होने के कारण पूर्व मध्यमा (कक्षा 9, 10), उत्तर मध्यमा (कक्षा 11, 12), शास्त्री और आचार्य को मिलाकर 280 विद्यार्थियों को ही छात्रवृत्ति मिलती थी।


 उप निदेशक संस्कृत रामाज्ञा कुमार के अनुसार, नई व्यवस्था में न्यूनतम 50 प्रतिशत प्राप्तांक और 75 प्रतिशत उपस्थिति वाले सभी छात्र छात्राओं को बढ़ी दर से छात्रवृत्ति दी जाएगी। उन्होंने छात्रवृत्ति पाने की परिधि में आ रहे सभी छात्र-छात्राओं के आफलाइन आवेदन अंतिम तिथि 25 सितंबर तक उपलब्ध कराने के को की अप्रैल तक सितंबर निर्देश दिए हैं।


इसकी मानीटरिंग कर रहे नोडल अधिकारी पवन कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि आवेदन के लिए प्रारूप भेजा गया है, ताकि आवेदन करने में किसी को परेशानी न हो। इसमें बैंक खाता का विवरण भी उपलब्ध कराना अनिवार्य है, जिसमें बैंक का नाम, खाता संख्या, आइएफएससी, शाखा और खाताधारक का मोबाइल नंबर हो।


इसे प्रधानाचार्य/प्राचार्य संस्था की मुहर के साथ हस्ताक्षर कर प्रमाणित करेंगे। जिस वर्ष के लिए छात्र-छात्रा छात्रवृत्ति की प्रथम किस्त प्रदान जानी है, उस वर्ष की कक्षा में से अगस्त की 15 तारीख की उपस्थिति की गणना कर सत्यापन होगा। द्वितीय किस्त के लिए से जनवरी की उपस्थिति की गणना करनी होगी। छात्रवृत्ति की दूसरी किस्त होली के पूर्व खाते में भेजी जाएगी।

डीआईओएस, प्रधानाचार्यों की लापरवाही से आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति योजना में सफल 17,616 मेधावियों की छात्रवृत्ति रुकी

डीआईओएस, प्रधानाचार्यों की लापरवाही से आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति योजना में सफल 17,616 मेधावियों की छात्रवृत्ति रुकी

शिक्षा मंत्रालय के अफसरों ने कहा 30 सितंबर तक प्रक्रिया करें पूरा


प्रयागराज। प्रदेशभर के 17,616 गरीब मेधावियों की छात्रवृत्ति जिला विद्यालय निरीक्षकों (डीआईओएस) और प्रधानाचार्यों की लापरवाही से रुकी हुई है। आवेदनों पर वह ध्यान ही नहीं दे रहे हैं। शुक्रवार को लखनऊ में शिक्षा मंत्रालय के अफसरों ने सभी डीआईओएस की बैठक बुलाई। इसमें कहा गया कि प्रक्रिया को 30 सितंबर तक हर हाल में पूरा कर दें।


आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के मेधावियों की मदद के लिए एक दशक पहले आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति योजना शुरू की गई थी। इस छात्रवृत्ति के लिए सातवीं में 55 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण विद्यार्थी आवेदन करते हैं। इस वर्ष पांच अगस्त से पांच सितंबर तक आवेदन लिए गए। इसकी परीक्षा 10 नवंबर को कराई जाएगी।

इसमें सफल होने वालों को नौवीं से लेकर उच्च शिक्षा की पढ़ाई तक के लिए प्रति माह एक हजार रुपये छात्रवृत्ति दी जाएगी। हर वर्ष इसमें हजारों बच्चे सफल होते हैं लेकिन डीआईओएस और प्रधानाचार्यों की लापरवाही से बच्चों को इसका लाभ नहीं मिलता है। 

सफल विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति पाने के लिए नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल (एनएसपी) पर आवेदन करना होता है। जिस विद्यालय में बच्चा पढ़ता है, उसके आवेदन को वहां के प्रधानाचार्य ऑनलाइन सत्यापित करते हैं। उसके बाद डीआईओएस सत्यापित करते हैं और फिर केंद्र सरकार से छात्रवृत्ति की धनराशि खाते में भेज दी जाती है। 


किस जिले में कितने मामले लंबित
प्रयागराज में डीआईओएस के पास रीन्यू वाले 444 व नए 218 और प्रधानाचार्यों के पास 250 मामले लंबित हैं। डीआईओएस और प्रधानाचार्यों के पास आगरा में क्रमशः 49 और 139, गाजीपुर में 178 और 153, गोरखपुर में 113 और 226, हरदोई में 40 और 202, जौनपुर में 61 मामले लंबित हैं।

Saturday, September 21, 2024

मोबाइल ऐप से बच्चों की निपुणता के आंकलन के तरीकों पर उठ रहे गंभीर सवाल

मोबाइल ऐप से बच्चों की निपुणता के आंकलन के तरीकों पर उठ रहे गंभीर सवाल


बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा कक्षा 1 से 3 के बच्चों का आकलन मोबाइल ऐप ‘निपुण लक्ष्य’ के जरिए किया जा रहा है, जिस पर अभिभावकों और शिक्षकों द्वारा गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। जब बच्चों की पढ़ाई किताबों और कार्य पुस्तिकाओं के माध्यम से होती है, तो फिर आकलन मोबाइल ऐप के जरिए क्यों किया जा रहा है, यह सवाल अभिभावकों के बीच चर्चा का विषय बन गया है।


डिजिटल टेस्टिंग या किताबों से आकलन?

बेसिक शिक्षा विभाग ने बच्चों को निपुण बनाने के लिए तीन चरणों में आकलन योजना तैयार की है, जिसमें पहला चरण अगले माह आयोजित होना है। चयनित स्कूलों में टेस्ट की तैयारियां भी तेज हो गई हैं। हालांकि, इस पूरी प्रक्रिया ने अभिभावकों के बीच असमंजस पैदा कर दिया है। उनका मानना है कि बच्चों का मूल्यांकन किताबों से होना चाहिए, क्योंकि उनकी पढ़ाई भी उन्हीं से होती है। इसके अलावा, मोबाइल स्क्रीन के जरिए आकलन बच्चों की मानसिकता पर गलत प्रभाव डाल सकता है।


क्या मोबाइल से बच्चों का अभ्यास पर्याप्त है?

शिक्षक जब कक्षा में बच्चों को मोबाइल ऐप के माध्यम से पढ़ाते हैं, तो हर बच्चे को पर्याप्त समय नहीं मिल पाता। अगर शिक्षक प्रतिदिन पांच से दस बच्चों को मोबाइल पर अभ्यास कराते हैं, तब भी एक महीने में एक बच्चे को आधा घंटा भी पूरा समय नहीं मिल पाता। इसके परिणामस्वरूप, आकलन के दौरान बच्चों को कठिनाई का सामना करना पड़ता है, क्योंकि वे ऐप पर पर्याप्त अभ्यास नहीं कर पाते हैं। सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर बच्चों का आकलन किताबी अभ्यास से क्यों नहीं कराया जा रहा?


अभिभावकों की चिंता: मोबाइल का बच्चों पर असर

अभिभावक खुलकर सवाल कर रहे हैं कि जब बच्चों को स्कूल में पढ़ाई किताबों से कराई जाती है, तो फिर मोबाइल ऐप से उनका आंकलन क्यों किया जा रहा है? मोबाइल का बच्चों पर दूरगामी प्रभाव हो सकता है, और अभिभावकों का कहना है कि बच्चों को मोबाइल स्क्रीन से दूर रखना ही बेहतर है। किताबों से मूल्यांकन ज्यादा प्रासंगिक और सुरक्षित प्रतीत होता है।


बच्चों की निपुणता या डिजिटल निर्भरता?

बच्चों की निपुणता के लिए बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा शुरू किया गया यह ऐप क्या वास्तव में सही दिशा में है या फिर यह सिर्फ बच्चों को तकनीक पर निर्भर बना रहा है? यह सवाल अब शिक्षकों और अभिभावकों के मन में गूंज रहा है। क्या शिक्षा के नाम पर बच्चों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ढकेलना उचित है? इन सवालों का जवाब न केवल शिक्षा विभाग को देना होगा, बल्कि बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेना होगा।




मोबाइल से परिषदीय बच्चों के आकलन पर उठे सवाल, बेसिक शिक्षा विभाग में निपुण लक्ष्य ऐप से होता आकलन

चयनित स्कूलों में निपुण टेस्ट के लिए तैयारियां तेज

बेसिक शिक्षा विभाग में कक्षा एक से तीन तक के बच्चों का आकलन मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए किए जाने पर सवाल खड़े हो रहे हैं। अभिभावकों का कहना है कि जब विभाग बच्चों को पढ़ने के लिए किताबें देता है और स्कूल में बच्चों की पढ़ाई भी किताबों व कार्य पुस्तिकाओं के द्वारा होती है तो फिर उनका मूल्यांकन किताबों की बजाए मोबाइल ऐप द्वारा क्यों किया जाता है?


बेसिक शिक्षा विभाग में बच्चों को निपुण बनाने के लिए कार्य योजना बनाई गई है। तीन चरणों में बच्चों का निपुण आंकलन किया जाना है। पहला चरण अगले माह आयोजित होगा। इस चरण के लिए चयनित स्कूलों में निपुण टेस्ट के लिए तैयारियां तेज हो गई हैं। 


तैयारियों के बीच कई तरह के सवाल भी खड़े हो गए हैं। अभिभावकों ने पूछा है कि आखिर हमारे बच्चों का आंकलन किताबों के द्वारा क्यों नहीं कराया जा रहा है। इससे बच्चों पर खराब प्रभाव पड़ेगा।


बच्चे कितना कर पाते हैं अभ्यास?

सवाल उठाए जा रहे हैं कि कक्षा कक्ष में कक्षा एक से तीन तक के बच्चों को मोबाइल ऐप से पढ़ने का कितना अभ्यास कर पाता है। शिक्षक अपने मोबाइल से यदि प्रतिदिन पांच से दस बच्चों को पढ़ने का अभ्यास कराता है तो भी प्रत्येक बच्चे को पूरे माह में आधा घंटा समय भी नहीं मिल पाता होगा। ऐप से पर्याप्त अभ्यास न होने पर आकलन के दौरान बच्चे कठिनाई का अनुभव महसूस करते हैं।


किताबों से क्यों नहीं कराते है आकलन?

अभिभावक प्रश्न करते हैं कि जब हमारे बच्चों को स्कूल में किताबों से पढ़ाया जाता है तो फिर किताबों के द्वारा ही उनका आंकलन किया जाना चाहिए। मोबाइल स्क्रीन से तो बच्चों को वैसे भी दूर रखा जाना चाहिए।

तदर्थ अध्यापकों के नियमितीकरण की योजना पेश करे सरकार : हाईकोर्ट

शिक्षकों को नियमित करने की ठोस योजना बनाएं | हाईकोर्ट

■ अगस्त 1993 से दिसंबर 2000 के बीच नियुक्त तदर्थ अध्यापकों के नियमितीकरण का मामला

■ हाईकोर्ट ने कहा, योजना नहीं तो 27 सितंबर को हाजिर हों अपर मुख्य सचिव माध्यमिक


प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सात अगस्त 1993 से दिसंबर 2000 के बीच नियुक्त एक हजार से अधिक अस्थायी अध्यापकों को नियमित करने की ठोस योजना पेश करने का समय दिया है। कोर्ट ने कहा कि योजना के साथ हलफनामा दाखिल नहीं हुआ तो अपर मुख्य सचिव माध्यमिक लखनऊ 27 सितंबर को सुनवाई के समय हाजिर हों।

यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने विनोद कुमार श्रीवास्तव की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। अपर महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 2000 से पहले के तदर्थ अध्यापकों का वेतन रोकने के नौ नवंबर 2023 के शासनादेश को संशोधित कर एक सप्ताह में नया शासनादेश जारी किया जाएगा। सभी को वेतन दिया जाएगा। अपर महाधिवक्ता ने माना कि क्षेत्रीय चयन समिति ने नियमितीकरण को लेकर दी गई अध्यापकों की अर्जी पर विचार करते समय कुछ तकनीकी गलती की है। उन्होंने कहा कि सरकार कंक्रीट प्लान लाएगी। 

याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आरके ओझा और वरिष्ठ अधिक्ता वीके सिंह का कहना था कि प्रकरण चयन समिति को वापस भेजा जाए, ताकि वह कानून के तहत नई संस्तुति भेजे। समिति ने शासनादेश के आधार पर कानून की अनदेखी कर निर्णय लिया था। अपर महाधिवक्ता ने कहा कि इसकी जरूरत नहीं है, सरकार खुद ही कदम उठा रही है।

कोर्ट ने कहा कि लंबे समय से सुनवाई चल रही है। कोर्ट में ब्लैक एंड ह्वाइट कुछ भी पेश नहीं किया गया। सरकार एक सप्ताह में हलफनामा दाखिल कर कंक्रीट प्लान पेश करे। इससे पहले सरकार की ओर से कहा गया था कि सरकार इन अध्यापकों को वेतन देने पर भी विचार कर रही है, लेकिन पहले नियमितीकरण पर निर्णय ले लिया जाए।



तदर्थ अध्यापकों के नियमितीकरण की योजना पेश करे सरकार : हाईकोर्ट

27 सितंबर तक हलफनामा न दिया तो अपर मुख्य सचिव माध्यमिक को अदालत में होना होगा पेश

प्रयागराज। इलाहाबाद हाइकोर्ट ने यूपी सरकार को सात अगस्त 1993 से दिसंबर 2000 के बीच नियुक्त एक हजार से अधिक क अस्थायी/तदर्थ अध्यापकों को ते नियमित करने का ठोस प्लान पेश करने को कहा है। हाईकोर्ट ने कहा है कि प्लान के साथ हलफनामा दाखिल नहीं हुआ तो अपर मुख्य सचिव माध्यमिक । को 27 सितंबर को सुनवाई के समय हाजिर होना होगा।


यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने विनोद कुमार श्रीवास्तव की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। अपर महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि 2000 से पहले के तदर्थ अध्यापकों का वेतन रोकने के 9 नवंबर 2023 के शासनादेश को संशोधित कर एक हफ्ते में नया शासनादेश जारी किया जाएगा। सभी को वेतन दिया जाएगा।

अपर महाधिवक्ता ने माना कि रिजनल चयन समिति ने अध्यापकों के नियमितीकरण को लेकर दी गई अर्जी पर विचार करते समय कुछ तकनीकी गलती की है। याची के अधिवक्ता का कहना था कि प्रकरण चयन समिति को वापस भेजा जाए ताकि वह कानून के तहत नई संस्तुति भेजें। समिति ने शासनादेश के आधार पर कानून की अनदेखी कर निर्णय लिया था। इसपर अपर महाधिवक्ता ने कहा कि सरकार खुद ही कदम उठा रही है। 

कोर्ट में कुछ भी पेश नहीं किया
कोर्ट ने कहा लंबे समय से सुनवाई चल रही, सरकार ने कोर्ट में कुछ भी पेश नहीं किया गया। एक हफ्ते में हलफनामा दाखिल कर प्लान पेश करे। इससे पहले सरकार की तरफ से कहा गया था कि सरकार इन अध्यापकों को वेतन देने पर विचार कर रही है लेकिन, पहले नियमितीकरण पर निर्णय ले लिया जाए। 

याची के वकील ने कहा सरकार केवल 33 जी (8) को ही देख रही है जबकि उसे 33 जी की पूरी स्कीम पर विचार करना चाहिए। धारा 33 जी ए को लेकर सरकार भ्रमित है। कहा गया कि कोर्ट ने अंतरिम आदेश से अध्यापकों को वेतन देने व सेवा जारी रखने का निर्देश दिया है। इसके बावजूद सरकार ने 8 नवंबर 2023 से वेतन भुगतान रोक रखा है। जबकि, आदेश के खिलाफ विशेष अपील व एसएलपी खारिज हो चुकी है।

छात्रवृत्ति फर्जीवाड़ा रोकने को आधार आधारित हाजिरी, छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति में फर्जीवाड़ा रोकने की कवायद

जिलों से बायोमीट्रिक हाजिरी की व्यवस्था वाले संस्थानों की जानकारी मांगी, 

छात्रवृत्ति फर्जीवाड़ा रोकने को आधार आधारित हाजिरी, छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति में फर्जीवाड़ा रोकने की कवायद


लखनऊ । प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की ओर से संचालित छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति में फर्जीवाड़ा रोकने के लिए अब आधार आधारित बायोमीट्रिक हाजिरी अनिवार्य करने की तैयारी चल रह रही है। शासन स्तर पर समीक्षा के बाद अब सभी जिलों से ऐसी संस्थाओं की सूची मांगी गई, जिनमें अभी तक बायोमीट्रिक हाजिरी की व्यवस्था नहीं की गई है। 


कक्षा नौ से लेकर उच्चशिक्षा तक के प्रदेश में संचालित सभी शासकीय, सहायता प्राप्त और मान्यता प्राप्त वित्त विहीन विद्यालयों में पढ़ने वाले अन्य पिछड़ा वर्ग (अल्पसंख्यक पिछड़े वर्ग को छोड़कर) के विद्यार्थियों को वार्षिक आय के आधार पर इस योजना का लाभ मिलता है। इसमें छात्र के माता- पिता या अभिभावक की वार्षिक आय दो लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। 


अभी तक केवल यही अनिवार्य है कि छात्र का बैंक खाता आधार सीडेड हो तथा मोबाइल नंबर आधार लिंक्ड हो। पात्र छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति प्रबंधन प्रणाली की वेबसाइट (scholarship.up.gov.in) पर आनलाइन आवेदन करना होता है। साथ ही अंतिम रूप से सबमिट आवेदन के प्रिंटआउट के साथ आय, जाति, आधार व आधार सीडेड बैंक खाते का विवरण एवं शैक्षिक अभिलेख शिक्षण संस्थान में जमा करना होता है। अब इसमें बायोमीट्रिक हाजिरी की शर्त भी जोड़ी जाएगी। 


जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी अन्य शर्तों के साथ बायोमीट्रिक हाजिरी की रिपोर्ट देखने के बाद ही आवेदन को आनलाइन अग्रसारित करेंगे। शासन के निर्देश पर पिछड़ा वर्ग कल्याण निदेशालय ने दशमोत्तर छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति योजना के तहत समूह-एक के पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत और आवेदन करने वाले छात्रों की शैक्षणिक सत्र 2024-25 के संदर्भ में बायोमीट्रिक हाजिरी या फेशियल आथेंटिकेशन की समीक्षा शुरू की है।


पूछा, किन संस्थानों में नहीं है व्यवस्था

बायोमीट्रिक हाजिरी से संबंधित कार्यवाही की जिम्मेदारी श्रीट्रान इंडिया को सौंपी गई है। निदेशालय ने सभी जिला पिछडा वर्ग कल्याण अधिकारियों से यह जानकारी मांगी है कि जिला स्तर पर कुल कितने संस्थानों ने अभी तक बायोमीट्रिक हाजिरी की शुरुआत नहीं की है? यह सूचना कारण सहित मांगी गई है।

एलटी ग्रेड से 55 प्रतिशत और प्रवक्ता संवर्ग से 45 प्रतिशत के अनुपात में राजकीय इंटर कॉलेज के 320 शिक्षकों और शिक्षिकाओं की पदोन्नति प्रधानाध्यापक पद पर होगी

एलटी ग्रेड से 55 प्रतिशत और प्रवक्ता संवर्ग से 45 प्रतिशत के अनुपात में राजकीय इंटर कॉलेज के 320 शिक्षकों और शिक्षिकाओं की पदोन्नति प्रधानाध्यापक पद पर होगी


प्रयागराज । उत्तर प्रदेश शैक्षिक अध्यापन (अधीनस्थ राजपत्रित) सेवा नियमावली 1993 के तहत एलटी स्रोत से 55 प्रतिशत और प्रवक्ता संवर्ग से 45 प्रतिशत के अनुपात में राजकीय इंटर कॉलेज के 320 शिक्षकों और शिक्षिकाओं की पदोन्नति प्रधानाध्यापक राजकीय हाईस्कूल के पद पर होगी।


माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव ने आठ अक्तूबर को शिविर कार्यालय लखनऊ में 11:30 बजे से चयन समिति की बैठक बुलाई है। निदेशक की अध्यक्षता में गठित समिति में अपर शिक्षा निदेशक बेसिक कामताराम पाल और संयुक्त शिक्षा निदेशक महिला सदस्य के रूप में शामिल हैं। पदोन्नति के लिए 303 महिला और 17 शिक्षक अर्ह हैं। 


महिलाओं की संख्या अधिक है क्योंकि पूर्व में पदोन्नत शिक्षिकाओं के कार्यभार ग्रहण न करने के कारण उनकी पदोन्नति निरस्त कर दी गई है। कई शिक्षकों ने भी कार्यभार ग्रहण नहीं किया है लेकिन उनकी पदोन्नति निरस्त नहीं होगी। पदोन्नति सूची में शामिल कुछ शिक्षकों की सीआर निदेशालय नहीं पहुंची है।

नियम विरुद्ध नियुक्ति और कोर्ट में झूठा बयान देने के चलते मऊ के डीआईओएस निलंबित

नियम विरुद्ध नियुक्ति और कोर्ट में झूठा बयान देने के चलते मऊ के डीआईओएस निलंबित

बलिया में तैनाती के दौरान भर्ती में की थी गड़बड़ी


लखनऊ। नियम विरुद्ध नियुक्ति करने तथा कोर्ट में झूठा बयान देने सहित कई अन्य आरोपों में बलिया के तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) रमेश संह को शासन ने निलंबित कर दिया गया है। शुक्रवार शाम को इस संबंध में आदेश जारी हो गया है।


जिला विद्यालय निरीक्षक मऊ रमेश सिंह के खिलाफ 10 सितंबर को शासन में कई तरह की शिकायतें की गईं। शासन ने रमेश संह के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई के निर्देश देने के साथ त्राराणसी के संयुक्त शिक्षा निदेशक राम शरण सिंह को पूरे प्रकारण की जांच के निर्देश दिए। जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि रमेश सिंह पर लगे ज्यादातर आरोप सही हैं।


उन पर आरोप है कि बलिया के जिला विद्यालय निरीक्षक के रूप में कार्य करते समय पद का दुरुपयोग किया। बलिया के चौरा स्थित अन्नू राय इंटर कालेज में पदोन्नति से भरे जाने वाले पदों पर नियम विरुद्ध तरीके से नियुक्ति कर दी। मानव संपदा पोर्टल पर जरूरी सूचनाएं भी साझा नहीं की। एक अन्य मामले में कोर्ट में झूठी बयानबाजी की, जिस पर कोर्ट ने उन पर कड़ी टिप्पणी की थी। इस तरह के कई अन्य शिकायतों के बाद शासन ने कार्रवाई के निर्देश दिए थे।


रमेश सिंह के विरुद्ध आरोप पत्र शीघ्र जारी करने के भी निर्देश दिए थे। जांच रिपोर्ट व जांच अधिकारी की संस्तुति के बाद शुक्रवार को रमेश सिंह को निलंबित कर दिया गया है। उन्हें निलंबन अवधि में शिक्षा निदेशालय प्रयागराज से संबद्ध किया गया है। पूरेमामले की विस्तृत जांच के लिए माध्यमिक शिक्षा परिषद सचिव भगवती सिंह को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है।