पदोन्नति में देरी से प्रभारी बनाने की परंपरा बढ़ी, शिक्षाधिकारियों की भी पदोन्नति लटकी, 198 में 88 पद खाली
• शिक्षा निदेशक के सृजित चार पदों में से तीन पर प्रभारी तैनात
• अपर शिक्षा निदेशक स्तर के 12 पदों में से आठ पर कार्यवाहक
प्रयागराज : बेसिक और माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ाई पर सरकार का विशेष जोर है। स्कूलों में पढ़ाई की आनलाइन मानीटरिंग कराई जा रही है। शिक्षाधिकारी निरीक्षण कर सेल्फी भेज रहे हैं, लेकिन पढ़ाई व्यवस्था ठीक कराने, विभागीय कार्य व समस्याएं समय पर निपटाने 5 का जिन पर दायित्व है, उनकी बहुत कमी है।
स्थिति यह है कि , शिक्षा विभाग में समूह 'क' के न सृजित 198 पदों में से 88 रिक्त हैं। उन पर प्रभारी नियुक्त हैं। इनमें प्रदेश स्तर के भी पद हैं। इतना ही न नहीं, प्रदेश स्तर के दो-दो पद तक व एक ही अधिकारी के पास है। कार्य की अधिकता से जहां विभागीय कामकाज में देरी होती है, वहीं 5 अधिकारियों में समय से पदोन्नति न मिलने पर निराशा है।
विभागीय व्यवस्था में शिक्षा निदेशक के चार पद सृजित हैं, जिनमें शिक्षा निदेशक माध्यमिक, बेसिक, राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) और साक्षरता हैं। इनमें से सिर्फ माध्यमिक निदेशक पूर्णकालिक हैं। शेष तीन पदों पर प्रभारी कार्यरत हैं।
इसी तरह अपर शिक्षा निदेशक (एडी) स्तर के 12 पद प्रदेश में सृजित हैं। इनमें एक पद कैंप कार्यालय लखनऊ तथा एक पद शिक्षा निदेशालय मुख्यालय प्रयागराज में है। इसके अलावा एडी राजकीय, पत्राचार, सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद प्रयागराज, महिला शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा, सीमैट निदेशक, सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी (पीएनपी), साक्षरता और संयुक्त सचिव शासन का पद है। इनमें सिर्फ चार पदों पर अपर शिक्षा निदेशक नियुक्त हैं। शेष आठ पद प्रभारियों के भरोसे हैं।
प्रदेश स्तर के इन पदों में एडी राजकीय के पास एडी पत्राचार का तथा एडी माध्यमिक के पास सचिव बेसिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश का प्रभार है। मंडल स्तर के पदों पर भी अधिकारियों की कमी है। मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक के 22 पद सृजित हैं। इनमें जेडी अर्थ, जेडी महिला शिक्षा तथा दो पद कैंप कार्यालय में हैं, जिनमें एक बेसिक व एक माध्यमिक में है। शेष 18 पद मंडल मुख्यालय में हैं। इनमें भी पांच पदों पर प्रभारी कार्य कर रहे हैं।
मंडलीय उप शिक्षा निदेशक (डीडीआर) स्तर के प्रदेश में सृजित 108 पदों में 31 खाली हैं, जिस पर प्रभारियों को तैनाती मिली है। पदोन्नति में देरी से जहां प्रभारी बनाने की परंपरा बढ़ी है, वहीं कार्य संचालन और समस्या निस्तारण पर भी असर पड़ रहा है।
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