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Thursday, September 5, 2024

शिक्षामित्र अपनी आवाज़ बुलंद करने के लिए आज से लखनऊ के इको गार्डन में धरना देने के लिए होंगे इकट्ठा, सरकार की तरफ से ठोस प्रतिक्रिया नहीं मिली तो 6 सितंबर से होगा निदेशालय का अनिश्चितकाल घेराव

शिक्षामित्र अपनी आवाज़ बुलंद करने के लिए आज से लखनऊ के इको गार्डन में धरना देने के लिए होंगे इकट्ठा,

सरकार की तरफ से ठोस प्रतिक्रिया नहीं मिली तो 6 सितंबर से होगा निदेशालय का अनिश्चितकाल घेराव 


आज से पूरे प्रदेश के 1.42 लाख शिक्षामित्र भी लखनऊ में डालेंगे डेरा

पांच सितंबर से प्रदेशभर के 1.42 लाख शिक्षामित्र भी लखनऊ में डेरा डालेंगे। मानदेय बढ़ाने व नियमितीकरण के लिए उप्र. प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष शिव कुमार शुक्ला ने बताया कि ईको गार्डन में सुबह 10 बजे से तब तक अभ्यर्थी धरने पर रहेंगे, जब तक मांग पूरी नहीं होती। आदर्श समायोजित शिक्षक-शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से बेसिक शिक्षा निदेशालय में धरना दिया जाएगा।


लखनऊ । 5 सितंबर 2024 — उत्तर प्रदेश में 1.42 लाख शिक्षामित्र अपनी आवाज़ बुलंद करने के लिए आज से लखनऊ के इको गार्डन में धरना देने के लिए इकट्ठा हो रहे हैं। शिक्षक दिवस के मौके पर, जहाँ पूरे देश में शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है, वहीं उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्र आर्थिक कठिनाइयों से जूझते हुए अपनी न्यायपूर्ण माँगों के लिए संघर्ष की राह पर हैं। इन शिक्षामित्रों की पीड़ा और संघर्ष सरकार से समाधान की प्रतीक्षा में अब उग्र रूप ले रही है। इको गार्डन की इस आवाज़ में न केवल शिक्षा प्रणाली की खामियों का जिक्र है, बल्कि उस जुझारूपन की भी गूंज है जिसे वर्षों से अनदेखा किया जा रहा है।


प्रदेश भर के शिक्षामित्रों का यह आंदोलन आज मात्र धरने के रूप में नहीं, बल्कि अपनी अस्तित्व की लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया है कि अगर आज, 5 सितंबर को उनकी आवाज़ नहीं सुनी गई, तो कल, 6 सितंबर से यह संघर्ष अनिश्चितकालीन घेराव में तब्दील हो जाएगा। संगठन के प्रदेश मंत्री कौशल कुमार सिंह ने आंदोलन की अगुवाई करते हुए यह चेतावनी दी है कि जब तक उनकी माँगें पूरी नहीं होंगी, वे बेसिक शिक्षा निदेशालय का घेराव करते रहेंगे।


आर्थिक तंगी और संघर्ष की दास्तान

शिक्षामित्रों की वर्तमान स्थिति चिंताजनक है। पिछले सात वर्षों से वे वेतन कटौती और अन्य वित्तीय समस्याओं से जूझ रहे हैं। कई शिक्षामित्र ऐसे हैं, जिनके पास जीवन-यापन के लिए पर्याप्त साधन नहीं बचे हैं। उनका मानना है कि सरकार ने उन्हें वादों में उलझाए रखा, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इस स्थिति में शिक्षामित्रों के पास कोई विकल्प नहीं बचा, सिवाय संघर्ष के।

शिक्षामित्रों की दलीलें अत्यधिक भावुक और व्यक्तिगत हैं। एक शिक्षामित्र का कहना है, “हमारे पास ना तो वेतन में वृद्धि का आश्वासन है, ना स्थाई नौकरी का। हम हर दिन अपने परिवारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन हमारी पुकार सरकार तक नहीं पहुंच रही है।”

शिक्षामित्रों के इस आंदोलन की जड़ें बहुत गहरी हैं। सरकार द्वारा दी गई अस्थायी नौकरी और उस पर लगे हुए वेतन की कमी ने उनके जीवन में निरंतर आर्थिक संघर्ष पैदा किया है। जब एक शिक्षक आर्थिक रूप से कमजोर होता है, तो उसकी शिक्षा देने की क्षमता भी प्रभावित होती है। यही वजह है कि शिक्षामित्र अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं, जो किसी भी शिक्षण प्रणाली का अहम हिस्सा होते हैं।


धरना की तैयारी और उम्मीदें

शिक्षामित्रों के इस आंदोलन को लेकर प्रदेशभर के लोग उत्सुकता से देख रहे हैं। 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के मौके पर धरना देना शिक्षामित्रों का एक प्रतीकात्मक कदम है। यह सरकार को यह संदेश देने का प्रयास है कि जब देशभर में शिक्षक सम्मानित हो रहे हैं, तब उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्र अपनी पहचान और अधिकारों के लिए सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं। धरने के दौरान शिक्षामित्रों द्वारा प्रदर्शन किए जाने वाले नारों और पोस्टरों से यह साफ संदेश दिया जाएगा कि वे अब और इंतजार नहीं कर सकते।

इस धरने का मुख्य उद्देश्य सरकार को उनकी समस्याओं का तत्काल समाधान करने के लिए मजबूर करना है। शिक्षामित्रों का कहना है कि उनकी माँगें बहुत स्पष्ट हैं – आर्थिक स्थिति में सुधार, वेतन में वृद्धि, और स्थायी नौकरी की सुरक्षा। वे चाहते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व्यक्तिगत रूप से उनकी समस्याओं पर ध्यान दें और जल्द से जल्द समाधान प्रस्तुत करें।


कल से अनिश्चितकालीन घेराव की धमकी

अगर 5 सितंबर के धरने के बावजूद सरकार की तरफ से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं मिलती है, तो 6 सितंबर से बेसिक शिक्षा निदेशालय का घेराव अनिश्चितकाल तक जारी रहेगा। इस घेराव की तैयारी पहले ही हो चुकी है, और शिक्षामित्रों का कहना है कि जब तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होता, वे पीछे नहीं हटेंगे। 

कौशल कुमार सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हमने सात साल इंतजार किया है। अब और नहीं। हम चाहते हैं कि हमारी समस्याओं का समाधान तुरंत किया जाए। यदि ऐसा नहीं होता, तो हम अनिश्चितकाल तक धरना जारी रखेंगे।”


सरकार के सामने चुनौती

सरकार के लिए यह समय एक बड़ी चुनौती का है। एक तरफ शिक्षक दिवस पर पूरे देश में शिक्षक सम्मानित हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्र आर्थिक और सामाजिक समस्याओं से जूझ रहे हैं। सरकार को न केवल इस आंदोलन को शांतिपूर्ण ढंग से संभालने की जरूरत है, बल्कि उन्हें समाधान भी प्रस्तुत करना होगा जो शिक्षामित्रों की उम्मीदों को पूरा कर सके।

आज से शुरू हो रहा यह धरना सिर्फ लखनऊ का मामला नहीं है, बल्कि यह प्रदेश के हर कोने में गूंजने वाली आवाज़ है। जब तक शिक्षामित्रों की समस्याओं का समाधान नहीं होता, तब तक यह आंदोलन यूँ ही चलता रहेगा, और शायद यह शिक्षा व्यवस्था के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा कर दे।

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