माध्यमिक में भी कमजोर बच्चों का होगा चिह्निकरण, चलेंगी उपचारात्मक कक्षाएं
माध्यमिक स्कूलों में उपचारात्मक शिक्षण कार्य शुरू होगा। कक्षाओं के ऐसे बच्चों का चयन किया जाएगा, जिन्हें विषय समझने में दिक्कत आ रही है। यह प्रक्रिया हर विषय की कक्षा में की जाएगी। ताकि पढ़ाई में कमजोर बच्चे भी बेहतर तरीके से विषयों को समझकर पढ़ाई कर सकें। इसके लिए विषयवार शिक्षकों का उपचारात्मक कक्षाओं के संचालन के लिए प्रशिक्षण भी दे दिया गया है।
पढ़ाई में कमजोर विद्यार्थियों को अब अन्य बच्चों की बराबरी में लाने का प्रयास किया जाएगा। इसके लिए माध्यमिक स्कूलों में उपचारात्मक कक्षाओं का संचालन किया जाएगा। इसके लिए राज्य परियोजना निदेशक कंचन वर्मा ने सभी जिले के डीआईओएस को निर्देश भी जारी किए हैं। स्कूलों में उपचारात्मक कक्षाओं का संचालन करने से पहले विषयवार शिक्षकों का प्रशिक्षण दिया गया है। शिक्षकों का प्रशिक्षण सत्र पूरा होने के बाद यह शिक्षक पढ़ाई में कमजोर छात्रों के लिए स्कूलों अतिरिक्त उपचारात्मक कक्षाओं का आयोजन करेंगे।
25 फीसदी कमजोर विद्यार्थियों का होगा चयन
उपचारात्मक कक्षाओं के लिए 25 फीसदी विद्यार्थियों का चयन किया जाएगा। उपचारात्मक कक्षाओं के लिए कक्षा नौ से इंटर तक के ऐसे विद्यार्थियों का शामिल किया जाएगा, जो अधिकांश कक्षा से अनुपस्थित या बीमार रहा हो, जिनके सीखने की गति थोड़ा धीमी हो अथवा आत्मविश्वास की कमी या स्वयं का आकलन न कर सकता हो।
इन विषयों के लिए लगेंगी उपचारात्मक कक्षाएं
उपचारात्मक कक्षाओं के लिए कक्षा नौ व दस के लिए विज्ञान, गणित, हिंदी व अंग्रेजी विषय को शामिल किया गया है, जबकि कक्षा 11 व 12 के लिए गणित, अंग्रेजी, रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान व जीव विज्ञान को शामिल किया गया है।
रोजाना चलेंगी कक्षाएं
प्रशिक्षण पाने वाले शिक्षकों को स्कूलों में कमजोर विद्यार्थियों को दूसरे बच्चों की बराबरी में लाने के लिए कक्षाओं का आयोजन करना होगा। इसके लिए रोजाना विद्यालय समय में ही कक्षाओं का आयोजन किया जाएगा।
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