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Saturday, September 21, 2024

मोबाइल ऐप से बच्चों की निपुणता के आंकलन के तरीकों पर उठ रहे गंभीर सवाल

मोबाइल ऐप से बच्चों की निपुणता के आंकलन के तरीकों पर उठ रहे गंभीर सवाल


बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा कक्षा 1 से 3 के बच्चों का आकलन मोबाइल ऐप ‘निपुण लक्ष्य’ के जरिए किया जा रहा है, जिस पर अभिभावकों और शिक्षकों द्वारा गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। जब बच्चों की पढ़ाई किताबों और कार्य पुस्तिकाओं के माध्यम से होती है, तो फिर आकलन मोबाइल ऐप के जरिए क्यों किया जा रहा है, यह सवाल अभिभावकों के बीच चर्चा का विषय बन गया है।


डिजिटल टेस्टिंग या किताबों से आकलन?

बेसिक शिक्षा विभाग ने बच्चों को निपुण बनाने के लिए तीन चरणों में आकलन योजना तैयार की है, जिसमें पहला चरण अगले माह आयोजित होना है। चयनित स्कूलों में टेस्ट की तैयारियां भी तेज हो गई हैं। हालांकि, इस पूरी प्रक्रिया ने अभिभावकों के बीच असमंजस पैदा कर दिया है। उनका मानना है कि बच्चों का मूल्यांकन किताबों से होना चाहिए, क्योंकि उनकी पढ़ाई भी उन्हीं से होती है। इसके अलावा, मोबाइल स्क्रीन के जरिए आकलन बच्चों की मानसिकता पर गलत प्रभाव डाल सकता है।


क्या मोबाइल से बच्चों का अभ्यास पर्याप्त है?

शिक्षक जब कक्षा में बच्चों को मोबाइल ऐप के माध्यम से पढ़ाते हैं, तो हर बच्चे को पर्याप्त समय नहीं मिल पाता। अगर शिक्षक प्रतिदिन पांच से दस बच्चों को मोबाइल पर अभ्यास कराते हैं, तब भी एक महीने में एक बच्चे को आधा घंटा भी पूरा समय नहीं मिल पाता। इसके परिणामस्वरूप, आकलन के दौरान बच्चों को कठिनाई का सामना करना पड़ता है, क्योंकि वे ऐप पर पर्याप्त अभ्यास नहीं कर पाते हैं। सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर बच्चों का आकलन किताबी अभ्यास से क्यों नहीं कराया जा रहा?


अभिभावकों की चिंता: मोबाइल का बच्चों पर असर

अभिभावक खुलकर सवाल कर रहे हैं कि जब बच्चों को स्कूल में पढ़ाई किताबों से कराई जाती है, तो फिर मोबाइल ऐप से उनका आंकलन क्यों किया जा रहा है? मोबाइल का बच्चों पर दूरगामी प्रभाव हो सकता है, और अभिभावकों का कहना है कि बच्चों को मोबाइल स्क्रीन से दूर रखना ही बेहतर है। किताबों से मूल्यांकन ज्यादा प्रासंगिक और सुरक्षित प्रतीत होता है।


बच्चों की निपुणता या डिजिटल निर्भरता?

बच्चों की निपुणता के लिए बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा शुरू किया गया यह ऐप क्या वास्तव में सही दिशा में है या फिर यह सिर्फ बच्चों को तकनीक पर निर्भर बना रहा है? यह सवाल अब शिक्षकों और अभिभावकों के मन में गूंज रहा है। क्या शिक्षा के नाम पर बच्चों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ढकेलना उचित है? इन सवालों का जवाब न केवल शिक्षा विभाग को देना होगा, बल्कि बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेना होगा।




मोबाइल से परिषदीय बच्चों के आकलन पर उठे सवाल, बेसिक शिक्षा विभाग में निपुण लक्ष्य ऐप से होता आकलन

चयनित स्कूलों में निपुण टेस्ट के लिए तैयारियां तेज

बेसिक शिक्षा विभाग में कक्षा एक से तीन तक के बच्चों का आकलन मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए किए जाने पर सवाल खड़े हो रहे हैं। अभिभावकों का कहना है कि जब विभाग बच्चों को पढ़ने के लिए किताबें देता है और स्कूल में बच्चों की पढ़ाई भी किताबों व कार्य पुस्तिकाओं के द्वारा होती है तो फिर उनका मूल्यांकन किताबों की बजाए मोबाइल ऐप द्वारा क्यों किया जाता है?


बेसिक शिक्षा विभाग में बच्चों को निपुण बनाने के लिए कार्य योजना बनाई गई है। तीन चरणों में बच्चों का निपुण आंकलन किया जाना है। पहला चरण अगले माह आयोजित होगा। इस चरण के लिए चयनित स्कूलों में निपुण टेस्ट के लिए तैयारियां तेज हो गई हैं। 


तैयारियों के बीच कई तरह के सवाल भी खड़े हो गए हैं। अभिभावकों ने पूछा है कि आखिर हमारे बच्चों का आंकलन किताबों के द्वारा क्यों नहीं कराया जा रहा है। इससे बच्चों पर खराब प्रभाव पड़ेगा।


बच्चे कितना कर पाते हैं अभ्यास?

सवाल उठाए जा रहे हैं कि कक्षा कक्ष में कक्षा एक से तीन तक के बच्चों को मोबाइल ऐप से पढ़ने का कितना अभ्यास कर पाता है। शिक्षक अपने मोबाइल से यदि प्रतिदिन पांच से दस बच्चों को पढ़ने का अभ्यास कराता है तो भी प्रत्येक बच्चे को पूरे माह में आधा घंटा समय भी नहीं मिल पाता होगा। ऐप से पर्याप्त अभ्यास न होने पर आकलन के दौरान बच्चे कठिनाई का अनुभव महसूस करते हैं।


किताबों से क्यों नहीं कराते है आकलन?

अभिभावक प्रश्न करते हैं कि जब हमारे बच्चों को स्कूल में किताबों से पढ़ाया जाता है तो फिर किताबों के द्वारा ही उनका आंकलन किया जाना चाहिए। मोबाइल स्क्रीन से तो बच्चों को वैसे भी दूर रखा जाना चाहिए।

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