ECCE एजुकेटर की नियुक्ति की प्रक्रिया आरंभ होने से पहले ही आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का विरोध शुरु
उत्तर प्रदेश। समग्र शिक्षा व पीएमश्री योजना के तहत राज्यभर में प्री-प्राइमरी ECCE एजुकेटर की नियुक्ति की प्रक्रिया आरंभ की जानी है, लेकिन इससे पहले प्रदेशभर के आंगनबाड़ी केंद्रों में कार्यरत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने आक्रोश व्यक्त करते हुए इन पदों पर अपनी नियुक्ति की मांग को लेकर मोर्चा खोल दिया है। उनका कहना है कि उनके पास बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा देने और उनके समग्र विकास के लिए वर्षों का अनुभव है, फिर भी उन्हें नजरअंदाज करना उनके साथ अन्याय होगा।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि वे दशकों से तीन से छह साल के बच्चों को शिक्षा प्रदान कर रही हैं और ईसीसीई (प्रारंभिक बाल्यकाल देखभाल और शिक्षा) का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुकी हैं। ऐसे में, जब वे स्नातक और परास्नातक योग्यता भी रखती हैं, तो उन्हें इन पदों पर प्राथमिकता न देना सरकार की गलत नीति और उनके साथ क्रूर मजाक है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का आरोप है कि उन्हें केंद्र सरकार से महज 4500 रुपये और राज्य सरकार से 1500 रुपये का मानदेय देकर उनके वर्षों के अनुभव और मेहनत का अनादर किया जा रहा है। यह मानदेय किसी भी सूरत में उनके जीवन यापन के लिए पर्याप्त नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उन्हें ईसीसीई एजुकेटर पदों पर प्राथमिकता नहीं दी गई, तो वे बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करने से भी पीछे नहीं हटेंगी।
राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ ने प्रदेश के मुख्यमंत्री समेत सभी जिम्मेदार अधिकारियों को पत्र भेजकर इस अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार ने उनकी मांगों को अनसुना किया, तो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सड़कों पर उतरकर अपना हक छीनने के लिए मजबूर होंगी।
यह विरोध अब सिर्फ एक मांग नहीं, बल्कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की गरिमा और अधिकारों की लड़ाई बन चुका है। प्रदेशभर में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने सरकार को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि वे अपने अनुभव और योग्यता के साथ कोई समझौता नहीं करेंगी और न्याय के लिए संघर्ष करती रहेंगी।
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