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Thursday, October 31, 2024

समाज कल्याण के सर्वोदय विद्यालयों में संविदा पर रखें जाएंगे सेवानिवृत्त शिक्षक


समाज कल्याण के सर्वोदय विद्यालयों में संविदा पर रखें जाएंगे सेवानिवृत्त शिक्षक


शिक्षकों की कमी से जूझ रहे समाज कल्याण विभाग के जय प्रकाश नारायण सर्वोदय विद्यालयों अब संविदा पर सेवानिवृत शिक्षक स्कूलों में तैनात होंगे।  इन स्कूलों  में छात्रों को शिक्षा से लेकर अन्य सभी सुविधा निशुल्क दी जाती है। लंबे समय से स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती नहीं हुई है। ऐसे में अब शासन ने स्कूलों में संविदा पर शिक्षक तैनात करने की योजना बनाई है।

संविदा में तैनात टीजीटी (प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक) कक्षा छह से 10 तक पढ़ाते हैं। इनको मानदेय के रूप में 34,125 रुपये और पीजीटी (पोस्ट ग्रेजुएट टीचर) जो कक्षा 11 से 12 तक छात्रों को पढ़ाएंगे। इनको 35,700 रुपये का मानदेय दिया जाएगा। 



समाज कल्याण द्वारा संचालित सर्वोदय विद्यालयों में रखे जाएंगे सेवानिवृत्त शिक्षक, भर्ती प्रक्रिया शुरु, आवासीय विद्यालयों की संख्या 94 से बढ़कर हुई 100


लखनऊ। प्रदेश में समाज कल्याण एवं जनजातीय विकास विभाग की ओर से संचालित जय प्रकाश नारायण सर्वोदय विद्यालयों की संख्या 94 से बढ़कर 100 हो गई है। इन विद्यालयों में निशुल्क शिक्षा, छात्रावास, पाठ्य सामग्री और यूनिफॉर्म की सुविधा भी दी जा रही है। इन विद्यालयों में राज्य सरकार की सेवा से सेवानिवृत 570 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया भी चल रही है, ताकि उच्च गुणवत्ता की शिक्षा छात्रों को दी जा सके। 


इन शिक्षकों में जो टीजीटी (प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक) कक्षा 6 से 10 तक पढ़ाते हैं, उनके लिए मानदेय 34,125 रुपये और पीजीटी (पोस्ट ग्रेजुएट टीचर) जो कक्षा 11 से 12 तक पढ़ाते हैं, उनके लिए 35,700 रुपये का मानदेय निर्धारित किया गया है। 


जय प्रकाश नारायण सर्वोदय विद्यालयों में 60  प्रतिशत स्थान अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों के लिए, 25 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों और 15 प्रतिशत सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए आरक्षित है। वर्तमान में 58 जिलों में कुल 100 सर्वोदय विद्यालय संचालित हो रहे हैं, जिसमें 31 सर्वोदय बालिका विद्यालय और 69 सर्वोदय बालक विद्यालय शामिल हैं। इनमें से 45 विद्यालयों में आवासीय सुविधाओं का विस्तार भी किया जा रहा है।


नीट और जेईई की निशुल्क कोचिंग भी
गरीब छात्राओं का डॉक्टर और इंजीनियर बनने का सपना अब योगी सरकार के प्रयास से साकार हो रहा है। प्रदेश के सर्वोदय विद्यालयों में पढ़ने वाली प्रतिभावान छात्राओं को अब नीट और जेईई की निशुल्क कोचिंग दी जा रही है। इसके तहत मिर्जापुर के मड़िहान में विशेष रूप से एक कोचिंग सेंटर की शुरुआत की गई है, जहां 40 मेधावी छात्राओं को निशुल्क कोचिंग की सुविधा दी जा रही है। 


छात्रों की संख्या में साल दर साल बढ़ोतरी
पिछले कुछ वर्षों में सरकार की इस योजना के चलते छात्रों की संख्या में साल दर साल बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2018-19 में जहां यह संख्या 32429 थी, वहीं 2024-25 में यह बढ़कर 35000 से अधिक हो चुकी है। प्रदेश में सर्वोदय आवासीय विद्यालयों की संख्या अब 100 तक पहुंच गई है, जिसमें हाल ही में छह नए विद्यालय खोले गए हैं।

Wednesday, October 30, 2024

जूनियर एडेड भर्ती पूरी कराने की मांग को लेकर धनतेरस के दिन भी धरना रहा जारी

जूनियर एडेड भर्ती पूरी कराने की मांग को लेकर धनतेरस के दिन भी धरना रहा जारी

29 अक्टूबर 2024
प्रयागराज। धनतेरस के दिन भी जूनियर एडेड विद्यालयों में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पूरी करने की मांग को लेकर अभ्यर्थी शिक्षा निदेशालय परिसर में डटे रहे। अभ्यर्थियों का धरना  जारी रहा। मंगलवार को अभ्यर्थियों ने एडी बेसिक कामता राम पाल से मुलाकात की। उन्होंने आश्वासन दिया कि प्रक्रिया चल रही है और भर्ती पूरी की जाएगी।

शिक्षकों की भर्ती का विज्ञापन 2021 में आया था। इसकी परीक्षा हो गई और परिणाम आ गया। उसके बाद मेरिट के आधार पर काउंसलिंग के जरिये अभ्यर्थियों का चयन होना था लेकिन प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी। अफसरों ने बताया कि आरक्षण तय न होने के कारण भर्ती प्रक्रिया रुकी है।

अभ्यर्थी ज्ञानवेंद्र सिंह ने बताया कि अफसरों की लापरवाही से यह भर्ती रुकी है। इससे पहले वह बेसिक शिक्षा निदेशक से भी मिल चुके हैं। फिलहाल एडी बेसिक के आश्वासन से उनको उम्मीद है कि भर्ती प्रक्रिया जल्द शुरू होगी। धरना देने वालों में प्रदेश अध्यक्ष दुर्गविजय सिंघानिया, अंकित रावत, अभिमन्यु, सुधीर तिवारी रहे। 



जूनियर एडेड शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों ने कार्यालय घेरा, मिला आश्वासन

24 अक्टूबर 2024
प्रयागराजः चयन मेरिट सूची जारी कर नियुक्ति देने की मांग को लेकर नौ दिन से शिक्षा निदेशालय में धरना दे रहे जूनियर एडेड शिक्षक भर्ती के सफल अभ्यर्थियों ने 10वें दिन गुरुवार को अपर शिक्षा निदेशक (बेसिक) कार्यालय के गेट पर धरना दिया।

नारेबाजी करते हुए अभ्यर्थियों ने भर्ती को लेकर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की। अपर निदेशक कामता राम पाल ने बाहर आकर अभ्यर्थियों से वार्ता की। आश्वासन दिया कि भर्ती प्रक्रिया जल्द पूरी की जाएगी। गुरुवार को कई जिलों के महिला व पुरुष अभ्यर्थी मांगों से संबंधित तख्तियां व पोस्टर लेकर धरने पर बैठे। शुरू में तो वह जहां नौ दिन से बैठकर धरना दे रहे थे, वहीं बैठे



बिना ठोस आश्वासन के धरने से नहीं हटेंगे जूनियर एडेड अभ्यर्थी, 24 अक्टूबर को वृहद धरने की चेतावनी 

23 अक्तूबर 2024
प्रयागराजः अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) जूनियर हाईस्कूल शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में सफल अभ्यर्थी चयन मेरिट सूची के क्रम में नियुक्ति की मांग को लेकर शिक्षा निदेशालय में धरने पर बैठे हैं। तीन वर्ष पुरानी भर्ती अब तक पूरी न होने से अभ्यर्थियों में नाराजगी है। अभ्यर्थियों - ने कहा है कि जब तक नियुक्ति दिए जाने के संबंध में ठोस आश्वासन नहीं दिया जाता, वह धरने से नहीं हटेंगे। इसके साथ ही अभ्यर्थियों में 24 अक्टूबर को वृहद धरने की चेतावनी दी है।


धरना दे रहे अभ्यर्थी ज्ञानवेंद्र सिंह ने बताया कि अलग-अलग दिनों में प्रदेश के अलग-अलग जिलों से आकर अभ्यर्थी आठ दिन से धरना दे रहे हैं, लेकिन अधिकारी उनकी मांग नहीं सुन रहे हैं। ऐसे में अभ्यर्थियों ने 24 अक्टूबर को शिक्षा निदेशालय में इस भर्ती की लिखित परीक्षा में सफल 43 हजार से अधिक अभ्यर्थियों से अधिक संख्या में पहुंचने को कहा है। 


बताया कि मामले में शासन ने एक माह में तीन बार महानिदेशक स्कूल शिक्षा से रिपोर्ट मांगी, लेकिन उसके संबंध में जानकारी नहीं दी जा रही कि रिपोर्ट भेजी गई या नहीं। धरने में रश्मि, पूजा, किरण, साधना, सुधीर तिवारी, रजनीश मिश्र, सुनील कनौजिया आदि सम्मिलित हुए।

बायोमीट्रिक प्रमाणीकरण के बाद ही मिलेगी छात्रवृत्ति

बायोमीट्रिक प्रमाणीकरण के बाद ही मिलेगी छात्रवृत्ति

प्रधानाचार्य को भी ऑनलाइन कराना होगा प्रमाणीकरण


लखनऊ । बायोमीट्रिक प्रमाणीकरण के बाद ही विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति मिल सकेगी। शासन के आदेश के बाद समाज कल्याण विभाग ने नियम का अनुपालन कराना शुरू कर दिया। कॉलेज लॉगिन चालू कर विद्यालय में विद्यार्थियों का बायोमीट्रिक प्रमाणीकरण किया जा रहा है।

शासन की ओर से छात्रवृत्ति के लिए पंजीकरण की अंतिम तिथि 31 दिसंबर निश्चित की गई है। एक जुलाई से आवेदन की प्रक्रिया शुरू की गई थी। 31 दिसंबर तक पंजीकरण करा चुके विद्यार्थियों को पांच जनवरी तक आवेदन की हार्डकापी विद्यालय में जमा करनी होगी। आवेदन में सुधार के लिए 29 जनवरी से पांच फरवरी तक मौका दिया जाएगा।


मार्च माह से छात्रवृत्ति की धनराशि जारी होना शुरू हो जाएगी। हालांकि इस बार उन्हीं विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति का लाभ मिल सकेगा, जिनका बायोमीट्रिक प्रमाणीकरण होगा।

बायोमीट्रिक प्रमाणीकरण को अनिवार्य कर दिया गया है। फर्जीवाड़े पर लगाम लगाने के लिए शासन की ओर से नया नियम जारी किया गया है। प्रमाणीकरण न होने पर विद्यार्थी छात्रवृत्ति से वंचित हो जाएंगे।

बायोमीट्रिक प्रमाणीकरण न होने पर आवेदन निरस्त कर दिया जाएगा। समाज कल्याण विभाग कार्यालय में कॉलेज के प्रधानाचार्य को भी बायोमीट्रिक प्रमाणीकरण कराना होगा।

उसके बाद कॉलेज संचालक विद्यालय की लॉगिन के माध्यम से विद्यार्थियों का बायोमीट्रिक प्रमाणीकरण करेंगे। बायोमीट्रिक प्रमाणीकरण के लिए केवाईसी अनिवार्य किया गया है। नए नियम के लागू होने से फर्जीवाड़े पर लगाम लग सकेगा।

यूपी बोर्ड की मान्यता समिति ने 324 आवेदनों में रद्द किए 224 आवेदन, 103 की संस्तुति

यूपी बोर्ड की मान्यता समिति ने 324 आवेदनों में रद्द किए 224 आवेदन, 103 की संस्तुति


प्रयागराज। यूपी बोर्ड मान्यता समिति की बैठक में मान्यता के लिए आए आवेदनों में से 224 को रद्द कर दिया गया है। जबकि 103 की संस्तुति समिति ने कर दी है। अब शासन के अनुमोदन के बाद इनको मान्यता मिलेगी। वहीं, मान्यता के लिए सर्वाधिक 112 आवेदन मेरठ से आए थे।


हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की मान्यता के लिए यूपी बोर्ड के पास 327 आवेदन आए थे। इसमें से सबसे अधिक मेरठ क्षेत्र से 112 आवेदन आए थे। उसके बाद प्रयागराज क्षेत्र से 84, वाराणसी से 61, गोरखपुर से 42 और बरेली से 28 आवेदन आए थे। 


इन आवेदनों की प्राथमिक जांच हुई। जांच के बाद माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव भगवती सिंह की अध्यक्षता में मान्यता समिति की बैठक हुई। बैठक में मानक न पूरे होने पर 224 आवेदन रद्द कर दिए गए। जबकि 103 आवेदनों को समिति ने  संस्तुत कर दिया है। 

Tuesday, October 29, 2024

जीएसटी-रॉयल्टी के विवाद में नहीं छप सकी थीं किताबें, नए सत्र में विद्यार्थियों को समय से मिलेंगी किताबें, मार्च अंत तक सभी जिलों में पहुंच जाएंगी यूपी बोर्ड की किताबें

जीएसटी-रॉयल्टी के विवाद में नहीं छप सकी थीं किताबें, नए सत्र में विद्यार्थियों को समय से मिलेंगी किताबें, मार्च अंत तक सभी जिलों में पहुंच जाएंगी यूपी बोर्ड की किताबें

■ माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने प्रदेश सरकार से मांगी अनुमति 


प्रयागराज । यूपी बोर्ड से जुड़े 27 हजार से अधिक स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा नौ से 12 तक के एक करोड़ से अधिक छात्र- छात्राओं को 2025-26 सत्र में समय से किताबें मिलेंगी। 2024-25 सत्र में किताबें न छपने से बोर्ड के अफसर खासे चिंतित हैं और नए सत्र के लिए अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं। माध्यमिक शिक्षा निदेशक और बोर्ड के सभापति डॉ. महेन्द्र देव ने एनसीईआरटी से किताबों का कॉपीराइट मांगने के लिए शासन से अनुमति मांगी है।


सूत्रों के अनुसार एनसीईआरटी को वर्ष 2021 की रॉयल्टी और जीएसटी का दो करोड़ से अधिक रकम प्रदेश सरकार देने को तैयार हो गई है। इस मामले में हाईकोर्ट दायर याचिका का अंतिम फैसला आने पर यदि प्रकाशक रॉयल्टी-जीएसटी की रकम देते हैं तो उसे सरकार अपने पास रख लेगी। 

कोरोना काल में किताबें नहीं बिकने से नुकसान के कारण रॉयल्टी और जीएसटी देने में असमर्थता जताते हुए प्रकाशकों ने हाईकोर्ट में याचिका कर दी थी। यह मामला अब तक हाईकोर्ट में लंबित है। 2021 की रॉयल्टी और जीएसटी नहीं मिलने पर एनसीईआरटी ने इस साल किताबों के प्रकाशन का अधिकार देने से इनकार कर दिया था। 

किताबें नहीं छपने के कारण बोर्ड की भी काफी किरकिरी हुई थी। ऐसे में नए सत्र के लिए अभी से तैयारियां तेज हो गई हैं। बोर्ड सचिव भगवती सिंह का कहना है कि कोशिश है कि नए सत्र में एक अप्रैल को ही बच्चों के हाथ में नई किताबें पहुंच जाए।


हर बार जुलाई में बाजार में पहुंचती थीं किताबें

पिछले सालों में यूपी बोर्ड की एनसीईआरटी आधारित सस्ती किताबों के लिए टेंडर की प्रक्रिया फरवरी-मार्च में शुरू होती थी और किताबें जुलाई में बाजार तक पहुंचती थीं। तब तक बच्चे निजी प्रकाशकों की किताबें खरीद चुके होते थे क्योंकि शैक्षणिक सत्र एक अप्रैल से ही शुरू हो जाता है। इस बार बोर्ड के अफसरों ने अभी से प्रक्रिया शुरू कर दी है ताकि समय से बच्चों को किताबें मिल जाएं।

प्रोजेक्ट अलंकार में समाप्त होगी 300 छात्र की बाध्यता, 50 साल से कम पुराने स्कूलों को भी सहायता देंगे

प्रोजेक्ट अलंकार में समाप्त होगी 300 छात्र की बाध्यता, 50 साल से कम पुराने स्कूलों को भी सहायता देंगे

■ शिक्षा निदेशालय की ओर से शासन को भेजा गया प्रस्ताव


प्रयागराज । प्रदेश के शासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में 300 से कम छात्रसंख्या होने के बावजूद आधारभूत सुविधाओं के लिए उन्हें प्रोजेक्ट अलंकार के तहत आर्थिक सहायता दी जाएगी। यही नहीं 50 साल से कम पुराने स्कूलों को भी योजना के तहत संवारा जाएगा। इन प्रतिबंधों के कारण कई स्कूलों में आधारभूत संसाधन विकसित नहीं हो पा रहे थे। इस पर कुछ कॉलेजों के प्रबंधकों और प्रधानाचार्यों के अनुरोध पर शिक्षा निदेशालय की ओर से शासन को नियमों में छूट का प्रस्ताव भेजा है।


माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव की ओर से 30 जून को शासन को भेजे प्रस्ताव में 300 से कम छात्र संख्या वाले विद्यालय जिनके भवन अत्यधिक जर्जर अवस्था में हैं, उनको भी योजना में शामिल करने का अनुरोध किया गया है। जिन विद्यालयों की मान्यता की अवधि 50 वर्ष पूर्ण नहीं हो रही है उनको भी अनुदान देने का प्रस्ताव दिया गया है। अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक सुरेन्द्र कुमार तिवारी ने बताया कि सरकार की अनुमति मिलने के बाद संशोधित नियमों के अंतर्गत सांसद, विधायक और जनप्रतिनिधियों की ओर से सहायता राशि भी सीधे कॉलेजों को मिल सकेगी।


75 प्रतिशत सरकार देती है अनुदान

प्रोजेक्ट अलंकार के तहत चयनित सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में आधारभूत सुविधाओं के लिए अनुमानित बजट का 75 प्रतिश सरकार देती है और 25 प्रतिशत संस्था प्रबंधन को देना होता है। कॉलेज 25 प्रतिशत की धनराशि सांसद-विधायक निधि से, बड़ी कंपनियों के कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) के मद से और पुरा छात्रों, क्षेत्र के गणमान्य/प्रतिष्ठित लोगों, जनप्रतिधियों, किसी व्यक्ति या संस्था से प्राप्त कर सकते हैं।


संशोधन संग यूपी बोर्ड परीक्षा में आएगा AI, कमेटी ने यूपी बोर्ड के ड्राफ्ट में संशोधन का दिया सुझाव

संशोधन संग यूपी बोर्ड परीक्षा में आएगा AI, कमेटी ने यूपी बोर्ड के ड्राफ्ट में संशोधन का दिया सुझाव


प्रयागराज : हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षा-2025 में प्रश्नपत्रों की निगरानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) के जरिये कराने के लिए यूपी बोर्ड के बनाए प्रारूप (ड्राफ्ट) में कुछ संशोधन का सुझाव गठित कमेटी ने दिया है। यूपी बोर्ड परीक्षा में केंद्रों के स्ट्रांग रूमों की अहर्निश निगरानी एआइ के जरिये कराने की दिशा में शासन ने एक कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी की सोमवार को लखनऊ में हुई बैठक में यूपी बोर्ड के ड्राफ्ट पर चर्चा हुई। जिन बिंदुओं पर कमेटी ने संशोधन का सुझाव दिया है, उसके अनुरूप संशोधन कर यूपी बोर्ड नया ड्राफ्ट तैयार कर महानिदेशालय को भेजेगा। 


शासन स्तर से मंजूरी मिलने के साथ ही प्रश्नपत्रों की सुरक्षा के लिए एआइ स्ट्रांग रूमों की निगरानी के लिए  बैठक में दिए कमेटी के सुझाव के अनुरूप प्रारूप संशोधित कर यूपी बोर्ड फिर भेजेगा तैयार हो जाएगा। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल परीक्षा-2025 के लिए 27,40,151 तथा इंटरमीडिएट में 26,98,446 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। इस तरह कुल 54,38,597 परीक्षार्थी सम्मिलित होंगे। वर्ष 2024 की परीक्षा में 8265 केंद्र बनाए गए थे, जिनके स्ट्रांग रूमों की निगरानी यूपी बोर्ड ने पहली बार मुख्यालय एवं सभी पांच क्षेत्रीय कार्यालयों में कमांड एंड कंट्रोल रूम बनाकर रात-दिन निगरानी कराई थी। 


2025 की परीक्षा में केंद्र घटाने की तैयारी के साथ प्रश्नपत्रों की सुरक्षा के लिए सभी केंद्रों के स्ट्रांग रूमों की निगरानी एआइ से कराने की तैयारी यूपी बोर्ड ने की है, लेकिन इसमें 25 करोड़ रुपये खर्च को ज्यादा मानते हुए कम खर्च के प्रस्ताव के साथ सचिव भगवती सिंह ने पिछले दिनों एक ड्राफ्ट भेजा था। साथ ही छह हजार विद्यालयों में लगे सीसीटीवी, राउटर, ब्राडबैंड की क्षमता और ब्रांड आदि का विवरण भेजने के साथ सुझाव दिया था कि इसका उपयोग कर एआइ कंपनी/एजेंसी खर्च कम ले। 


सरकारी एजेंसी ने सत्यापन कर बताया था कि उपकरण एजेंसी द्वारा उपयोग किए जाने योग्य हैं। जहां के उपकरणों में गड़बड़ी हो, वहां एजेंसी अपने संसाधन लगा सकती है। शासन स्तर से गठित की गई कमेटी ने बोर्ड के ड्राफ्ट के प्रत्येक बिंदुओं पर विचार-विमर्श कर सुझाव दिया। अब संशोधित ड्राफ्ट जल्द भेजा जाएगा, ताकि शासन से मंजूरी मिलने के साथ तैयारी की जा सके।




AI के साथ-साथ बैकअप प्लान भी रखेगा यूपी बोर्ड

प्रयागराज : हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षा-2025 के केंद्रों के स्ट्रांग रूमों में प्रश्नपत्रों की सुरक्षा व्यवस्था में जुटा यूपी बोर्ड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) के साथ आफलाइन व्यवस्था यानी बैकअप प्लान भी रखेगा। किन्हीं कारणों से केंद्रों पर एआइ से कमांड कंट्रोल रूम में लगी वीडियो वाल/ कंप्यूटर स्क्रीन पर लाइव फीड नहीं मिलने पर संबंधित केंद्र से इसका अलर्ट संदेश मिलेगा। इसके बाद यूपी बोर्ड की आफलाइन टीम सक्रिय कर दी जाएगी। इस तरह परीक्षा केंद्र के स्ट्रांग रूम तक किसी अनधिकृत व्यक्ति का पहुंचना आसान नहीं होगा।


यूपी बोर्ड एक साथ दो मोर्चे पर काम कर रहा है। एक तरफ परीक्षा केंद्रों के निर्धारण में हर जिलों में विद्यालयों की आधारभूत सूचनाओं का अपने क्षेत्रीय कार्यालय की टीम से भौतिक सत्यापन करा रहा है। जिन विद्यालयों में निर्धारित मानक के अनुरूप व्यवस्था नहीं मिली यानी कि गलत सूचना उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की वेबसाइट पर अपलोड की गई है, वहां उसे ठीक कराने के निर्देश यूपी बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने दिए हैं।


 भौतिक सत्यापन करने निकली बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालयों की टीमें संबंधित जनपदों के डीआइओएस को सत्यापन रिपोर्ट मिली कमियां ठीक कराने के लिए दे रही हैं, ताकि अपूर्ण मानक वाले विद्यालय केंद्र न बनने पाएं। दूसरी ओर, प्रश्नपत्रों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी कार्य तेज कर दिया है।



यूपी बोर्ड की परीक्षाओं में गड़बड़ी रोकेगा AI, हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा-2025 में AI के उपयोग के लिए बोर्ड को मिले हैं 25 करोड़ रुपये

• सचिव ने विद्यालयों में लगे सीसीटीवी कैमरे आदि का सदुपयोग कर खर्च कम करने का भेजा था प्रस्ताव


प्रयागराज : हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षा-2025 में प्रश्नपत्रों की सुरक्षा के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) के उपयोग पर 25 करोड़ रुपये खर्च को देख पीछे हट रहा यूपी बोर्ड अब कम खर्च के अपने प्रस्ताव पर सहमति बन जाने पर तैयार हो गया है। इस मामले पर अगले सप्ताह बैठक होने वाली है, जिसमें हर पहलू पर विचार-विमर्श के बाद प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा। मंजूरी मिलने पर यूपी बोर्ड परीक्षा के सभी केंद्रों पर एआइ की व्यवस्था की जाएगी। 


इस व्यवस्था से परीक्षा केंद्रों के स्ट्रांग रूम में अनधिकृत रूप से घुसने की कोशिश करने पर यूपी बोर्ड मुख्यालय प्रयागराज और लखनऊ के कमांड कंट्रोल रूम के साथ अधिकारियों के पास अलर्ट संदेश पहुंच जाएगा।


प्रश्नपत्र लीक होने की घटनाओं को देखते हुए शासन वर्ष 2025 में होने वाली यूपी बोर्ड की परीक्षा में एआइ माध्यम से प्रश्नपत्रों की सुरक्षा व्यवस्था करने के लिए 25 करोड़ रुपये पहले ही जारी कर चुका है। बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने प्रश्नपत्रों की सुरक्षा में हर वर्ष 25 करोड़ रुपये व्यय को अधिक माना। ऐसे में उन्होंने प्रदेश के करीब छह हजार विद्यालयों में लगे इन्फ्रास्ट्रक्टचर यानी सीसीटीवी कैमरे, राउटर, डीवीआर, ब्राडबैंड आदि का विवरण जिला विद्यालय निरीक्षकों से जुटाया। उसके बाद महानिदेशालय को प्रस्ताव भेजा कि यदि विद्यालयों में लगे इन उपकरणों का भी उपयोग करते हुए एआइ व्यवस्था करने वाली कंपनी कम खर्च ले तो इस तकनीक का उपयोग किया जा सकता है।


 शासन स्तर पर सरकारी एजेंसी ने बताया कि इन उपकरणों का उपयोग किया जा सकता है। जहां-जहां जो उपकरण गुणवत्ता युक्त नहीं होंगे, उसे कार्यदायी एजेंसी बदल सकेगी। इस रिपोर्ट के बाद बोर्ड परीक्षा में एआइ के उपयोग की तैयारी शुरू कर दी गई है। इसके लिए समिति गठित की जाएगी, जिसकी अगले सप्ताह में दीपावली से पहले लखनऊ में बैठक होगी। इसके बाद प्रस्ताव भेजकर शासन से मंजूरी ली जाएगी।

8,000 पंचायतों में 10 एकड़ का सीएम मॉडल कंपोजिट स्कूल, प्री-प्राइमरी से लेकर इंटरमीडिएट तक की होगी पढ़ाई

8,000 पंचायतों में 10 एकड़ का सीएम मॉडल कंपोजिट स्कूल,  प्री-प्राइमरी से लेकर इंटरमीडिएट तक की होगी पढ़ाई

कंप्यूटर लैब और स्मार्ट क्लास जैसी आधुनिक सुविधाएं होंगी, सीएम माडल कंपोजिट स्कूल में कौशल विकास केंद्र भी होंगे

10 एकड़ में बनेगा हर एक स्कूल, 27 स्कूलों की डीपीआर हो चुकी है तैयार


लखनऊ: प्रदेश की आठ हजार न्याय पंचायतों में मुख्यमंत्री (सीएम) माडल कंपोजिट स्कूल स्थापित किए जाएंगे। 10 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में बनने वाले इन स्कूलों में पढ़ाई की अत्याधुनिक सुविधाएं मिलेंगी। प्री-प्राइमरी से लेकर इंटरमीडिएट तक की शिक्षा यहां दी जाएगी। अत्याधुनिक विज्ञान एवं गणित लैब, कंप्यूटर लैब व स्मार्ट क्लास इत्यादि की सुविधाएं इन विद्यालयों में दी जाएंगी। विद्यार्थियों को गर्मा-गर्म मिड डे मील खिलाने के लिए केंद्रीय रसोई घर भी बनाया जाएगा।

प्रत्येक जिले में सीएम माडल कंपोजिट स्कूल बनाने के लिए जमीन को चिह्नित करने का काम शुरू कर दिया गया है। सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे खाली भूमि को जल्द सी चिह्नित करें। 27 विद्यालयों की डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) भी तैयार कर ली गई है। यहां जल्द निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा। उप्र जल निगम की निर्माण इकाई कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेज, उप्र आवास विकास परिषद व उप्न समाज कल्याण निर्माण निगम लिमिटेड इत्यादि को निर्देश दिए गए हैं कि तय समय पर अपना निर्माण कार्य पूरा करें। विद्यालय भवन भूकंपरोधी व ग्रीन बिल्डिंग मानकों के अनुरूप बनाया जाएगा। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की ओर से बेसिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि वह विद्यालय निर्माण कार्यों की टीम बनाकर निगरानी करें।


मुख्यमंत्री माडल कंपोजिट स्कूलों के परिसर में विद्यार्थियों को कौशल विकास की ट्रेनिंग देने की भी व्यवस्था होगी। यहां कौशल विकास केंद्र खोले जाएंगे। विद्यार्थियों के लिए डिजिटल लाइब्रेरी, परीक्षा कक्ष और स्टेडियम की भी सुविधा होगी। स्टेडियम के माध्यम से विभिन्न खेलों में अच्छे खिलाड़ी तैयार करने की कोशिश की जाएगी।



27 सीएम मॉडल कंपोजिट स्कूलों की डीपीआर तैयार, स्थापना की प्रक्रिया तेज

प्री-प्राइमरी से 12वीं तक की होगी पढ़ाई, मिलेंगी आधुनिक शिक्षण सुविधाएं

प्रदेश की 8000 न्याय पंचायतों में बनेंगे सीएम मॉडल कंपोजिट स्कूल

लखनऊ। प्रदेश में सभी को उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलाने के लिए चल रही कवायद में प्रदेश सरकार ने सीएम मॉडल कंपोजिट स्कूल की स्थापना की प्रक्रिया तेज कर दी है। 8000 न्याय पंचायतों में स्थापित होने वाले सीएम मॉडल कंपोजिट स्कूल काफी उपयोगी होंगे। इसके तहत 27 स्कूलों की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की गई है।


सीएम कंपोजिट स्कूलों की स्थापना को लेकर उच्च स्तर से मॉनिटरिंग भी की जा रही है। हाल ही में मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने इससे संबंधित बैठक में बेसिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग को आवश्यक निर्देश दिए।

स्कूलों के निर्माण कार्य में तेजी लाने के लिए कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेस (उप्र जल निगम), उत्तर प्रदेश प्रोजेक्ट कॉर्पोरेशन लिमिटेड, उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद तथा समाज कल्याण निर्माण निगम लिमिटेड समेत सभी कार्यदायी संस्थाओं को निर्देश दिए गए हैं। स्कूलों के निर्माण के लिए कई अन्य जिलों में डीएम की ओर से भूमि का चिह्नांकन किया जा रहा है।

परिसर के लिए चिह्नित क्षेत्र के अतिरिक्त खाली भूमि का प्रयोग कौशल विकास केंद्र, डिजिटल लाइब्रेरी, परीक्षा केंद्र, स्टेडियम आदि के निर्माण में होगा। हर स्कूल का परिसर 10 एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में होगा। यहां आधुनिक शिक्षण सुविधाएं होंगी। 


छात्रों का होगा समग्र विकास
 बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने बताया कि इन स्कूलों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप विकसित किया जाएगा। इससे छात्रों का समग्र विकास होगा। इन स्कूलों में आधुनिक विज्ञान व गणित प्रयोगशाला, स्मार्ट क्लास, कंप्यूटर लैब और एक केंद्रीकृत रसोई जैसी सुविधाएं होंगी। यहां प्री प्राइमरी से लेकर 12वीं तक की शिक्षा मिलेगी।

पिता पेंशनभोगी तो भी सेवारत मां की मौत पर बेटी को दें अनुकंपा नियुक्ति, हाईकोर्ट ने मुरादाबाद के बीएसए के आदेश को रद्द कर नया पारित करने को कहा

पिता पेंशनभोगी तो भी सेवारत मां की मौत पर बेटी को दें अनुकंपा नियुक्ति, हाईकोर्ट ने मुरादाबाद के बीएसए के आदेश को रद्द कर नया पारित करने को कहा

देखें कोर्ट ऑर्डर 

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि पिता पेंशनभोगी है, तब भी सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत मां की मौत पर बेटी अनुकंपा नियुक्ति की हकदार है। कोर्ट ने यह टिप्पणी कर मुरादाबाद के बीएसए के आदेश को रद्द कर छह सप्ताह के भीतर नया पारित करने के लिए कहा है।

यह आदेश प्रकाश पाडिया की अदालत ने मुरादाबाद की फरहा नसीम की याचिका पर दिया। दो नवंबर 2023 को सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत रहीं नसीम की मां शहाना बी की मौत हो गई थी। नसीम ने बीएसए के समक्ष अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया। नसीम की बहनें सहायक शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं।

वहीं, पिता सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन प्राप्त कर रहे हैं। ऐसे में याची को कोई वित्तीय संकट नहीं है। इन्हीं दो बिंदुओं को आधार बना बीएसए के 12 जून 2024 के आदेश से अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन को खारिज कर दिया गया।



HIGH COURT OF JUDICATURE AT ALLAHABAD
Neutral Citation No. - 2024:AHC:154724
Court No. - 7
Case :- WRIT - A No. - 13350 of 2024

Petitioner :- Kumari Farha Naseem
Respondent :- State Of Up And 2 Others
Counsel for Petitioner :- Kamal Kumar Kesherwani
Counsel for Respondent :- Akanksha Sharma,C.S.C.

Hon'ble Prakash Padia,J.
1. Heard learned counsel for the petitioner, learned Standing Counsel for the respondent no.1, Ms. Akanksha Sharma, learned counsel for the respondents no.2 & 3 and perused the records.
2. The order dated 12.06.2024 passed by the respondent no.3-District Basic Education Officer, Moradabad by which the claim for compassionate appointment of the petitioner has been rejected, is under challenged in the present writ petition.
3. The facts in brief as contained in the writ petition is that mother of the petitioner namely Smt. Shahana Bi while working on the post of Assistant Teacher died on 02.11.2023. After her death petitioner submitted online application for compassionate appointment, copy of which is appended as annexure-5 to the writ petition. It is stated in paragraph 11 of the writ petition that other family members of the petitioner has given no objection certificate along-with notary affidavit in favour of the petitioner before the District Basic District Basic Education Officer, Moradabad/respondent no.3 in which they have stated that if the appointment is offered to the petitioner they have no objection.
4. It is argued by counsel for the petitioner that wholly illegally without considering relevant aspect of the matter claim for compassionate appointment has been rejected by the District Basic Education Officer, Moradabad/respondent no.3 vide its order dated 12.06.2024 on the following grounds (1) the sisters of the petitioner are working as Assistant Teacher but their marital status is not on record (2) petitioner's father was retired employee and getting pension, hence petitioner has no financial stress.
5. It is stated in paragraph 13 of the writ petition that father of the petitioner namely Nasim Ahmad was working in the District Court, Sambhal at Chandausi, who retired from service on 30.10.2018 after attaining age of superannuation and is getting pension, so there is no dispute about the employment of the petitioners' father prior to death of her mother hence impugned order passed by the respondent no.3 is not sustainable in the eyes of law. In so far as second ground taken regarding marital status of the sisters of the petitioner is concerned, it is stated that both the sisters were married prior to death of their mother and enquiry in this regard was conducted by the authorities in which
is found that they have been married prior to death of their mother. It is further argued that in case sisters of the petitioner are working somewhere else it will not effect the consideration of the appointment of petitioner on compassionate ground. He placed reliance upon judgement and order dated 09.02.2016 passed in Special Appeal Defective No.73 of 2016 (Kr. Vanshika Nigam Vs. State of U.P. and 3 others) Neutral Citation No. - 2016:AHC:24233-DB. The order dated 09.02.2016 reads as follows :-
"The mother of the appellant was a Staff Nurse employed in a government hospital. It is not in dispute that she died in harness on 22 February 2014. The appellant sought compassionate appointment, but her application was rejected by the Chief Medical Superintendent on 11 May 2015 on the ground that the appellant did not fall within the purview of the Uttar Pradesh Recruitment of Dependent of Government Servant Dying-in-Harness Rules, 1974. No specific reason was adduced in the order of the Chief Medical Superintendent as to why the appellant did not fulfill the requirements of the Rules of 1974.
The learned Single Judge has proceeded on the basis that since the father of the appellant is a retired employee and is alive, this would be deemed to mean that the appellant is dependent upon her father.
We are not in agreement with the view which has been expressed by the learned Single Judge. An inference to the effect that the appellant is dependent upon her father cannot be drawn merely on the basis that her father is alive. During the course of the hearing, it is an agreed position that the father of the appellant was a Class-III employee in the Nagar Nigam and he has since retired and is in receipt of the pension. The adequacy of the means and resources available with the father and the issue of dependency have to be considered by the competent authority. The order of the competent authority was clearly a non-speaking order. Hence, the learned Single Judge ought to have remanded the proceedings back to the competent authority for fresh consideration after due consideration of all the relevant facts and circumstances.
We, accordingly, allow the special appeal and set aside the impugned order dated 23 November 2015. We direct the competent authority to reconsider the application submitted by the appellant after duly keeping in mind all the relevant circumstances as mandated by the Rules of 1974.
The special appeal is, accordingly, disposed of. There shall be no order as to costs."

6. He further placed reliance upon a judgement and order dated 09.11.2021 passed in Writ A No.14123 of 2021 (Shobhit Saxena Vs. State of U.P. and 2 others) Neutral Citation No. - 2021:AHC:132764. He also placed reliance upon the order dated 26.07.2024 passed in Writ A No.8787 of 2024 (Pramod Kumar Vs. State of U.P. and 2 others) Neutral Citation No. - 2024:AHC:120155.
7. From perusal of the record, it is clear that the claim for compassionate appointment of the petitioner was rejected on two grounds, namely (1) the sisters of the petitioner are working as Assistant Teacher but their marital status is not on record (2) petitioner's father was retired employee and getting pension hence petitioner has no financial stress.
8. From perusal of the record as well as the law laid down by this Court in the case of Kr. Vanshika Nigam (supra), both the aforesaid grounds are not sustainable in the eyes of law.
9. In this view of the matter, the order dated 12.06.2024 passed by the District Basic Education Officer, Moradabad/respondent no.3 is liable to be set aside and the same is hereby set aside.
10. The respondent no.3 is directed to pass fresh order strictly in accordance with law most expeditiously and preferably within a period of six weeks from the date of production of certified copy of this order.

Order Date :- 23.9.2024

दिवाली की छुट्टी पर पेंच, 01 नवंबर को खुलेंगे माध्यमिक स्कूल, शिक्षकों में नाराजगी, सीएम को लिखा पत्र

माध्यमिक शिक्षकों ने मांगा एक  नवंबर को अवकाश


 लखनऊ : राजकीय व अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों ने एक नवंबर को गोवर्धन पूजा का अवकाश मांगा है। माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से जारी शैक्षिक कैलेंडर के अनुसार 30 अक्टूबर को छोटी दीपावली, 31 अक्टूबर को - दीपावली और फिर दो नवंबर को गोवर्धन पूजा व तीन नवंबर को भैया दूज का अवकाश है।

उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कुमार त्रिपाठी व महामंत्री नरेन्द्र कुमार वर्मा ने - मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर एक - नवंबर को शिक्षकों का अवकाश - घोषित करने की मांग की है। गोवर्धन पूजा वाले दिन लिखने-पढ़ने का कार्य नहीं किया जाता। बड़ी संख्या - में दूसरे जिलों में कार्यरत शिक्षक - त्योहार मनाने घर जाते हैं। छुट्टियों के बीच एक दिन के लिए वह कैसे विद्यालय आएंगे? ऐसे में अवकाश घोषित करने की मांग की गई है।



दिवाली की छुट्टी पर पेंच, 01 नवंबर को खुलेंगे माध्यमिक स्कूल, शिक्षकों में नाराजगी, सीएम को लिखा पत्र


लखनऊ। परिषदीय स्कूलों में 30 अक्तूबर से तीन नवंबर तक दिवाली, गोवर्धन पूजा व भैया दूज आदि की छुट्टियां हैं, लेकिन माध्यमिक स्कूलों में सिर्फ 30-31 अक्तूबर को ही अवकाश है। एक नवंबर (शुक्रवार) को माध्यमिक विद्यालय खुलेंगे और दो को फिर गोवर्धन पूजा की छुट्टी है। इसे लेकर शिक्षकों में नाराजगी है। 


दरअसल, 30 अक्तूबर से तीन नवंबर तक लगातार त्योहार हैं। इससे न सिर्फ बेसिक, बल्कि कई विश्वविद्यालयों ने भी 30 अक्तूबर से तीन नवंबर तक छुट्टी घोषित कर रखी है। पर, एक नवंबर को माध्यमिक विद्यालय खुले हैं। इस दिन कार्तिक अमावस्या है। शिक्षकों व अभिभावकों का कहना है कि बीच में एक दिन स्कूल खुलने से बाहर जाने वाले लोग दिवाली पर अपने घर नहीं जा पाएंगे। ऐसे में एक नवंबर को भी छुट्टी घोषित की जाए।

उप्र. माध्यमिक शिक्षक संघ (शर्मा गुट) के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कुमार त्रिपाठी ने सीएम को पत्र लिखकर एक नवंबर को छुट्टी घोषित करने की मांग की है। वहीं, माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने कहा कि छुट्टियां सरकारी कैलेंडर के अनुसार निर्धारित हैं। अभी एक नवंबर की छुट्टी को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। 

4512 एडेड माध्यमिक विद्यालयों में अधिकतर के प्रबंधक हुए बेलगाम, आधा दर्जन शिक्षकों की सेवा समाप्त और सैकड़ों का इंक्रीमेंट रोका

4512 एडेड माध्यमिक विद्यालयों में अधिकतर के प्रबंधक हुए बेलगाम, आधा दर्जन शिक्षकों की सेवा समाप्त और सैकड़ों का इंक्रीमेंट रोका

■ एक महीने में दो दर्जन शिक्षक निलंबित, सेवा सुरक्षा का पता नहीं

■ पहले निलंबन पर चयन बोर्ड से करते थे अपील,  चयन बोर्ड की नियमावली समाप्त होने से पैदा हुआ संकट

■ नवगठित आयोग में शिक्षकों की सेवा सुरक्षा का कोई प्रावधान नहीं


केस 1 
इंदिरा गांधी इंटरमीडिएट कॉलेज जाम्हा मऊआइमा  की सहायक अध्यापिका कृष्णा कुमारी को प्रबंध समिति ने 14 अक्तूबर को निलंबित कर दिया। उन पर कर्तव्यों की उपेक्षा, प्रधानाचार्य से दुर्व्यवहार आदि के आरोप हैं।

केस 2
हरदोई के श्री देव दरबार इंटर कॉलेज में प्रभारी प्रधानाचार्य रमाशंकर पाठक को 15 अक्तूबर को निलंबित कर दिया गया जबकि बीएन इंटर कॉलेज हरदोई के सहायक अध्यापक जगन्नाथ प्रसाद की सेवा समाप्त कर दी गई।


प्रयागराज । ये तो सिर्फ कुछ उदाहरण हैं। पिछले एक महीने के अंदर पूरे प्रदेश में सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के तकरीबन दो दर्जन शिक्षकों को निलंबित किया गया यही नहीं सैकड़ों शिक्षकों का इंक्रीमेंट रोक दिया गया है। चिता की बात है कि इनकी कोई सुनवाई नहीं है।

पहले उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में शिक्षकों कार्रवाई के खिलाफ अपील का एक फोरम था लेकिन उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के गठन दिया गया है। पीड़ित शिक्षकों की ओर से जिला विद्यालय निरीक्षकों या उप शिक्षा निदेशकों से अपील की जा रही है।


सेवा सुरक्षा के लिए मुख्यमंत्री से की अपील

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश त्रिपाठी ने 18 अक्तूबर को मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर शिक्षकों की सेवा सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है। 

उन्होंने लिखा है कि उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम 2023 सम्बन्धित विधेयक 11 अगस्त, 2023 विधान मंडल के दोनों सदनों से पारित होने के बाद अधिनियम बन गया है। इसके बाद से उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम 1982 स्वतः निरसित हो गया है। 

चयन बोर्ड अधिनियम के निरसित होने के कारण माध्यमिक शिक्षकों की पदोन्नति सम्बन्धी धारा 12 एवं 18 तथा सेवा शर्तों सम्बन्धी धारा 21 स्वतः समाप्त हो गयी है। शिक्षकों की सेवा शर्तों को आयोग की अधिकारिता सीमा से बाहर रखा गया है। इसके कारण शिक्षक अर्हता पूरी होने के बाद भी पदोन्नति से वंचित हो रहे हैं।

16 हजार मृतक आश्रितों को है सम्मानजनक नौकरी का इंतजार, मृतक आश्रित कोटे से चपरासी बने कर्मी कर रहे हैं उच्च पद की मांग

16 हजार मृतक आश्रितों को है सम्मानजनक नौकरी का इंतजार, मृतक आश्रित कोटे से चपरासी बने कर्मी कर रहे हैं उच्च पद की मांग

■ बीटेक, एलएलबी, एमबीए, बीसीए, पीएचडी डिग्रीधारी बने हैं चपरासी


प्रयागराज । बेसिक शिक्षा परिषद के उच्च प्राथमिक स्कूलों में मृतक आश्रित कोटे के तहत नियुक्त प्रदेशभर के लगभग 16 हजार उच्च योग्यताधारी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को सम्मानजनक नौकरी का इंतजार है। शासन ने विभिन्न जिलों में परिचारक (चपरासी) के पद पर कार्यरत बीटेक, एलएलबी, एमबीए, बीसीए, पीएचडी जैसे डिग्रीधारी कर्मचारियों को डीएलएड का प्रशिक्षण कराकर और उन्हें टीईटी में शामिल होने का मौका देते हुए शिक्षक पद पर नियुक्त करने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग को नीति बनाने के निर्देश 16 मार्च 2023 को दिए थे। जिस पर अफसरों ने 17 अप्रैल 2023 को एक प्रस्ताव बनाकर भेजा था।

उससे संबंधित कुछ सूचनाएं शासन ने मांगी थी जो उपलब्ध नहीं कराई गई। 16 जुलाई 2024 को प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा की अध्यक्षता में हुई बैठक में भी सूचना उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग ने जानकारी नहीं दी। 27 सितंबर को फिर से रिमाइंडर भेजा गया, लेकिन कोई प्रगति नहीं हुई। प्रदेश में 26 जुलाई 2011 को आरटीई लागू होने के बाद से परिषदीय प्राथमिक हो गया। जिन मृतक आश्रितों के पास यह अर्हता थी उन्हें तो शिक्षक पद पर नियुक्ति दे दी गई, लेकिन तमाम डीएलएड पास मृतक आश्रितों को टीईटी अर्हता न होने के कारण चतुर्थ श्रेणी के पद पर ज्वाइन करना पड़ा। बाद में उन्होंने टीईटी पास कर भी ली

मुख्य सचिव की हुई बैठक के डेढ़ साल बाद भी उच्च योग्यताधारी मृतक आश्रित कर्मचारियों के शिक्षक पद पर समायोजन के संबंध समुचित कार्रवाई नहीं हो सकी है। लगता है कि बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों को इन कार्मिकों की मांग से कोई वास्ता नहीं है। ~ जुबेर अहमद, प्रदेश अध्यक्ष, मृतक आश्रित शिक्षणेत्तर कर्मचारी संघ



सम्मानजनक नौकरी के इंतजार में मृतक आश्रितहजारों उच्च योग्यताधारी चतुर्थ श्रेणी में कार्यरत

बीटेक, एमबीए, बीसीए, डिग्रीधारी बने हैं चपरासी


प्रयागराज । बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में मृतक आश्रित कोटे के तहत नियुक्त उत्तर प्रदेश के लगभग 16 हजार उच्च योग्यताधारी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को सम्मानजनक नौकरी का इंतजार है। 


शासन ने विभिन्न जिलों में परिचारक के पद पर कार्यरत बीटेक, एलएलबी, एमबीए, बीसीए, पीएचडी जैसे डिग्रीधारी कर्मचारियों को डीएलएड का प्रशिक्षण कराकर और उन्हें टीईटी में शामिल होने का मौका देते हुए शिक्षक पद पर नियुक्त करने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग को नीति बनाने के निर्देश 16 मार्च 2023 को दिए थे। 


जिस पर अफसरों ने 17 अप्रैल 2023 को एक प्रस्ताव बनाकर भेजा था। कुछ सूचनाएं शासन ने मांगी थी जो उपलब्ध नहीं कराई गई। 16 जुलाई 2024 को प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा की अध्यक्षता में हुई बैठक में भी सूचना उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए थे।

Monday, October 28, 2024

माध्यमिक विद्यालयों को गोद लेकर संवारेंगे शिक्षा विभाग निदेशालय और जिला स्तर के शिक्षाधिकारी

माध्यमिक विद्यालयों को गोद  लेकर संवारेंगे शिक्षा विभाग निदेशालय और जिला स्तर के शिक्षाधिकारी

जिला स्तर पर एक विद्यालय गोद लेंगे अधिकारी, सुधारेंगे व्यवस्थाएं


राजकीय माध्यमिक विद्यालयों की दशा सुधारने के लिए विभाग ने नई कवायद शुरू की है। विभाग ने तय किया है कि निदेशालय व जिला स्तर के अधिकारी कक्षा छह से 12वीं तक के एक-एक विद्यालय गोद लेंगे। वे इन विद्यालयों में सभी सुविधाएं उपलब्ध कराकर उन्हें आदर्श बनाएंगे।


शासन और माध्यमिक शिक्षा विभाग राजकीय माध्यमिक विद्यालयों को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। इसी क्रम में अब अधिकारी हाईस्कूल और इंटर के विद्यालयों को गोद लेकर बुनियादी सुविधाएं बेहतर करेंगे। 


महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने संबंधित अधिकारियों को पत्र भेजकर कहा कि निदेशालय स्तर के अधिकारी निदेशालय या उसके आसपास विद्यालयों की दशा सुधारने के लिए उसे गोद लेने 
के लिए एक विद्यालय का चयन करेंगे। मंडल स्तर के अधिकारी अपने मंडल या पास के जिले के विद्यालय व जिला स्तर के अधिकारी अपने जिले के एक विद्यालय का चयन करेंगे।


 अधिकारी ऐसे विद्यालयों को गोद लेंगे, जहां मूलभूत सुविधाओं की जरूरत हो। गोद लिए गए विद्यालयों की कमियों को केंद्र, राज्य व स्थानीय स्तर की योजनाओं से दूर कराएंगे। साथ ही प्रोजेक्ट अलंकार जैसी योजनाओं को भी प्रभावी कराएंगे।

संस्कृत विद्यालयों में रिक्त पदों को जल्द भरा जाएगा, मुख्यमंत्री ने वाराणसी से संस्कृत विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति योजना शुरू की

संस्कृत विद्यालयों में रिक्त पदों को जल्द भरा जाएगा, मुख्यमंत्री ने वाराणसी से संस्कृत विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति योजना शुरू की

गुरुकुल परंपरा का पालन करने वाले संस्कृत विद्यालयों को ही मिलेगा अनुदान, सीएम योगी का ऐलान 

सीएम ने वाराणसी से किया छात्रवृत्ति योजना का शुभारंभ

69 हजार 195 संस्कृत विद्यार्थियों के लिए वजीफा वितरण शुरू

प्रथमा से आचार्य तक 69,195 विद्यार्थियों को 586 लाख रुपये की छात्रवृत्ति जारी की

संस्कृत के स्कूल-कालेजों में रिक्त पदों पर अध्यापकों की नियुक्ति का निर्देश दिया


वाराणसी । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को घोषणा की कि संस्कृत विद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरा जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि जिन स्थानों पर अब तक शिक्षक नहीं हैं, वहां मानदेय के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति होगी और उनके अनुभव को वरीयता दीजाएगी।

मुख्यमंत्री ने सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित समारोह में प्रदेश के संस्कृत विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति योजना का शुभारंभ किया। योगी ने मंच से 12 संस्कृत छात्रों को डेमो चेक देकर प्रदेश के 69,195 संस्कृत विद्यार्थियों को पांच करोड़ 86 लाख की छात्रवृत्ति वितरण कार्यक्रम की शुरुआत की। 

मुख्यमंत्री ने गुरुकुल पद्धति के आवासीय संस्कृत विद्यालयों को पुनर्स्थापित करने का भी संकल्प लिया। बोले, गुरुकुल की तरह छात्रों के लिए निःशुल्क छात्रावास व भोजन की व्यवस्था करने वाले संस्थानों को सरकार मान्यता देकर अनुदान देगी। 

विद्यार्थियों का खुले अकाउंटः योगी ने योजना का महत्व बताते हुए कहा, पहले संस्कृत के 300 छात्रों को ही छात्रवृत्ति मिलती थी, उसमें भी आयु सीमा तय थी, अब हमारी सरकार ने इसे सभी छात्रों तक पहुंचाने का संकल्प लिया है। राज्य सरकार बीएचयू में संस्कृत के विशिष्ट शोध को प्रोत्साहित कर रही है। 


गुरुकुल परंपरा का पालन करने वाले संस्कृत विद्यालयों को ही मिलेगा अनुदान : मुख्यमंत्री

योगी ने संस्कृत छात्रवृत्ति का किया शुभारंभ, शोधार्थियों को भी सहायता का भरोसा

जागरण संवाददाता, वाराणसीः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को काशी से संस्कृत छात्रवृत्ति योजना का शुभारंभ किया। उन्होंने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित समारोह में प्रथमा (कक्षा छह) से आचार्य (स्नातकोत्तर) तक के प्रदेश के 69,195 विद्यार्थियों के खाते में 586 लाख रुपये की धनराशि छात्रवृत्ति आनलाइन स्थानांतरित की। इनमें विश्वविद्यालय के 36 विद्यार्थी शामिल हैं। उन्होंने मंच पर 12 विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति प्रदान भी की। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब निश्शुल्क छात्रावास व भोजन की सुविधा उपलब्ध कराते हुए गुरुकुल परंपरा को जीवित रखने वाले संस्कृत विद्यालयों को ही सरकारी अनुदान मिलेगा। 


इसका उद्देश्य यह है कि संस्कृत के विद्यार्थियों की पढ़ाई पैसे के अभाव में बाधित न हो।  प्रदेश सरकार ने 23 वर्षों के बाद संस्कृत छात्रवृत्ति योजना में संशोधन किया है। छात्रवृत्ति की दरों में बढ़ोतरी करते हुए पात्रता की शर्तों को भी शिथिल किया गया है। पहली बार प्रथमा स्तर (कक्षा-छह से आठ तक) से छात्रवृत्ति का प्रविधान किया गया है। छात्रों के अभिभावकों की आय सीमा का प्रतिबंध भी खत्म किया गया है। 

मुख्यमंत्री ने समारोहको संबोधित करते हुए गुरुकुल परंपरा को पुनर्जीवित करने वाले संस्थानों को खोलने का आह्वान किया और कहा कि सरकार ऐसे विद्यालयों को तत्काल मान्यता देगी।  इनमें अध्यापकों की नियुक्ति की स्वतंत्रता होगी। संस्कृत विद्यालयों, महाविद्यालयों से रिक्त पदों पर योग्य और अनुभवी लोगों की नियुक्ति करने के साथ वैकल्पिक व्यवस्था के तहत मानदेय पर शिक्षकों की तत्काल भर्ती करने का निर्देश दिया। 


संस्कृत में शोध को बढ़ाने की आवश्यकता बताते हुए कहा कि सरकार संस्कृत के शोधार्थियों के लिए जल्द छात्रवृत्ति शुरू करने जा रही है। अच्छे शोध पर दो-तीन वर्ष छात्रवृत्ति दी जाएगी, ताकि शोधार्थी भारतीय संस्कृति के मूल तत्व को दुनिया के सामने ला सकें। मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी तक संस्कृत के 300 बच्चों को ही छात्रवृति मिलती थी। संस्कृत भाषा की क्यों उपेक्षा की गई, समझ से परे है। 


सरकार ने छात्रवृत्ति का पैसा, दरों व पात्रता की शर्तों को शिथिल करते हुए प्रदेश में कुल 1,265 संस्कृत विद्यालयों व महाविद्यालयों में प्रथमा से आचार्य तक पंजीकृत 1,21,977 विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति प्रदान करने के लिए दस करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की है।


मुख्यमंत्री ने महर्षि अरविंद का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने संस्कृत एवं संस्कृत साहित्य को भारत का सबसे बड़ा खजाना बताया था। संस्कृत देववाणी नहीं वैज्ञानिक भाषा भी है। कंप्यूटर के लिए संस्कृत भाषा को सबसे उपयुक्त पाया गया है। यह अत्याधुनिक तकनीक व कृत्रिम बौद्धिकता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का आधार भी बन सकती है, लेकिन इसके लिए शोध की आवश्यकता होगी। आज प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत की सभ्यता, संस्कृति उठ खड़ी हुई है। सर्वांगीण विकास का पक्षघर हर व्यक्ति संस्कृत के विकास का भी पक्षधर है। 


काशी फिर से सांस्कृतिक, आध्यात्मिक चेतना का केंद्र बने, इस दिशा में हम सभी को प्रयास करने की जरूरत है। इस क्रम में उन्होंने प्राच्य विद्या के संरक्षण व संवर्धन में जुटे संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय का पूर्ण सहयोग करने का भरोसा जताते हुए कार्ययोजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। इस मौके पर उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने भी संबोधित किया।


Sunday, October 27, 2024

10 नवंबर को 378 केंद्रों पर होगी राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति की परीक्षा, तीन घंटे में देने होंगे 180 प्रश्नों के जवाब

10 नवंबर को 378 केंद्रों पर होगी राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति की परीक्षा

1,57,013 छात्रों ने किया आवेदन, तीन घंटे में देने होंगे 180 प्रश्नों के जवाब


प्रयागराज। राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति की परीक्षा 10 नवंबर को प्रदेशभर में 378 केंद्रों पर होगी। अगले हफ्ते इसका प्रवेश पत्र जारी कर दिया जाएगा। इसमें सफल होने वाले को इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई के लिए प्रतिमाह एक हजार रुपये छात्रवृत्ति दी जाएगी।


आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के मेधावी बच्चों को छात्रवृत्ति देने के लिए यह योजना शुरू की गई थी। आठवीं में पढ़ाई करने वाले बच्चों ने इसके लिए आवेदन किया है। पांच अगस्त से 28 सितंबर तक 1,57,013 छात्र-छात्राओं ने आवेदन किया है। पिछले वर्ष इससे अधिक आवेदन आए थे। इसमें से प्रदेशभर के 15,143 बच्चों को मेरिट और आरक्षण के आधार पर प्रतिमाह एक हजार रुपये छात्रवृत्ति दी जाएगी। 


यह छात्रवृत्ति नौंवी से 12वीं तक मिलेगी। इसकी आवेदन प्रक्रिया पूरी होने के बाद केंद्र बनाने का क्रम शुरू हो गया था। परीक्षा नियामक प्राधिकारी (पीएनपी) इसकी परीक्षा कराएगा। जिला विद्यालय निरीक्षकों की सहमति पर प्रदेश के सभी जिलों में चार से पांच केंद्र बनाए गए हैं।


यह परीक्षा तीन घंटे की होगी। सुबह 10 से दोपहर एक बजे तक होने वाली परीक्षा में सामान्य ज्ञान, गणित और सामाजिक विज्ञान के प्रश्न पूछे जाएंगे।


इस बार ओएमआर सीट में भरने होंगे गोले

पिछले वर्ष तक प्रश्न का उत्तर टिक लगाकर देना होता था। इस बार ओएमआर शीट में उत्तर देना होगा। इसमें काली या नीली पेन से गोला भरना होगा। पहली बार यह बदलाव किया गया है। इसके लिए बच्चों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। प्रशिक्षण के लिए मनोविज्ञानशाला के प्रवक्ताओं को लगाया गया है।

यूपी : छह जिलों में बनेंगे स्पेशल एजुकेशन जोन, शीर्ष 50 रैंकिंग वाले विवि और विदेशी विवि खोलेंगे कैंपस

यूपी : छह जिलों में बनेंगे स्पेशल एजुकेशन जोन, शीर्ष 50 रैंकिंग वाले विवि और विदेशी विवि खोलेंगे कैंपस

• अयोध्या, गोरखपुर, आगरा, गौतमबुद्ध नगर व बुंदेलखंड का एक जिला भी

• प्री-नर्सरी से विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा एक ही जगह पर सुलभ होगी

• 47 जिले ऐसे भी हैं जहां एक भी सरकारी या निजी विवि नहीं


लखनऊ : प्रदेश में अब लखनऊ सहित छह जिलों में स्पेशल एजुकेशन जोन (एसईजेड) बनाए जाएंगे। इन एसईजेड में एक ही जगह पर प्री-प्राइमरी से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक की शिक्षा मिल सकेगी। प्रत्येक एसईजेड में आठ निजी विश्वविद्यालय व अन्य संस्थान खोले जाएंगे। यूपी में विद्यार्थियों को प्रदेश में ही उच्चकोटि की शिक्षा दिलाने के लिए यह पहल की जा रही है। अभी 47 ऐसे जिले हैं जहां एक भी सरकारी या निजी विश्वविद्यालय नहीं है।


प्रत्येक मंडल में एक विश्वविद्यालय स्थापित करने के बाद अब एक जिला एक विश्वविद्यालय का लक्ष्य तय किया गया है। लखनऊ की तर्ज पर जिन अन्य जिलों में एसईजेड स्थापित किए जाने का निर्णय लिया गया है, उनमें अयोध्या, गोरखपुर, आगरा, गौतमबुद्ध नगर के अलावा बुंदेलखंड का झांसी या चित्रकूट में से कोई एक जिला होगा।


 उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय के मुताबिक उच्च शिक्षा प्रोत्साहन नीति-2024 में कई तरह के प्रोत्साहन की व्यवस्था है। नीति के तहत निजी व विदेशी संस्थानों को प्रदेश में अपना कैंपस खोलने पर कई तरह की छूट दी जाएगी। लखनऊ में मोहान रोड पर 785 एकड़ में स्पेशल एजुकेशन जोन स्थापित किया जाएगा। यहां 173 एकड़ जमीन पर कार्य भी शुरू हो चुका है। 


वहीं अयोध्या में एसईजेड के लिए कृषि विभाग आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की जमीन उपलब्ध कराएगा। आगरा में एसईजेड की स्थापना के लिए आरबीएस कालेज की खाली भूमि का उपयोग किया जाएगा। गौतमबुद्ध नगर में गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय की जमीन का उपयोग किया जाएगा। वहीं गोरखपुर और बुंदेलखंड में एसईजेड के लिए जमीन चिह्नित किए जाने का कार्य चल रहा है।



शीर्ष 50 रैंकिंग वाले विवि और विदेशी विश्वविद्यालय खोलेंगे कैंपस

नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआइआरएफ) रैंकिंग के शीर्ष 50 विश्वविद्यालय और विदेशी विश्वविद्यालय यूपी में अपना कैंपस खोलेंगे। उन्हें जमीन व स्टांप शुल्क में छूट दी जाएगी। इन्हें कई अन्य तरह की भी छूट दी जाएगी। इससे यूपी के छात्रों को प्रदेश में ही बेहतर शिक्षा हासिल करने का विकल्प मिल सकेगा। उन्हें मैनेजमेंट, इंजीनियरिंग के साथ- साथ अन्य रोजगारपरक पाठ्यक्रमों में पढ़ाई करने का अवसर मिलेगा।

डीएलएड में प्रवेश के लिए 3,25,440 ने पूरी की रजिस्ट्रेशन के जरिए दावेदारी

डीएलएड में प्रवेश के लिए 3,25,440 ने पूरी की रजिस्ट्रेशन के जरिए दावेदारी


प्रयागराज : डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजूकेशन (डीएलएड) प्रशिक्षण वर्ष 2024 के लिए 3,25,440 अभ्यर्थियों ने बढ़ी तिथि के क्रम में रजिस्ट्रेशन के सापेक्ष शुल्क जमा कर फाइनल प्रिंट आउट लेने की प्रक्रिया पूरी की। आनलाइन रजिस्ट्रेशन तो 3,54,904 अभ्यर्थियों ने किए, लेकिन इसमें से 27,663 अभ्यर्थियों ने तय तिथि तक शुल्क जमा नहीं किए।


 उत्तर प्रदेश परीक्षा नियामक प्राधिकारी (पीएनपी) की ओर से प्रदेश में कुल 2,31,000 सीटों पर प्रवेश के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया 25 अक्टूबर की मध्य रात्रि में पूरी हो गई। काउंसिलिंग के साथ प्रवेश लेने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए पीएनपी सचिव अनिल भूषण चतुर्वेदी की ओर से राज्य स्तरीय मेरिट जारी की जाएगी। 

रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया 18 सितंबर से शुरू की गई थी। अंतिम तिथि नौ अक्टूबर तक रजिस्ट्रेशन करने के क्रम में शुल्क जमा करने की अंतिम तिथि नौ अक्टूबर तय थी।

धनतेरस पर्व पर अवकाश की मांग ने पकड़ा जोर

जिलों से उठ रही धनतेरस पर्व पर अवकाश की मांग 


प्रयागराज: धनतेरस पर्व पर शिक्षकों और विभिन्न शिक्षक संघों ने अवकाश घोषित करने की मांग जोर पकड़ती जा रही है। जिले भर के शिक्षक इस पर्व को पारिवारिक आस्था और धार्मिक श्रद्धा के साथ मनाते हैं, और ऐसे में अवकाश न मिलने से उनकी असुविधा बढ़ रही है। जिले के सुदूर इलाकों से आकर कार्यरत शिक्षक धनतेरस के दिन अपने परिवारों से दूर रहते हैं, जो कि इस महत्वपूर्ण त्योहार का महत्व कम करता प्रतीत होता है। 

धनतेरस, दीपावली उत्सव का प्रारंभिक दिन है, जिसे हिन्दू धर्म में विशेष मान्यता प्राप्त है। इस दिन सोने, चांदी, बर्तन, और अन्य वस्तुओं की खरीदारी शुभ मानी जाती है। घर-परिवार के साथ इस दिन को बिताने की परंपरा सदियों पुरानी है। लेकिन, जब स्कूलों में अवकाश नहीं होता, तब शिक्षक इस पर्व से वंचित रह जाते हैं। 


त्योहारों का सांस्कृतिक महत्व सिर्फ धार्मिक गतिविधियों तक सीमित नहीं है, बल्कि परिवार और समाज से जुड़े रीति-रिवाजों का निर्वाह भी इसमें शामिल होता है। इस दिन शिक्षकों का अपने घर परिवार से दूर रहना उन्हें सामाजिक और भावनात्मक रूप से प्रभावित करता है।


विद्यालयों में कम उपस्थिति की समस्या
धनतेरस के दिन स्कूलों में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति भी काफी कम रहती है। अधिकांश छात्र और उनके अभिभावक भी इस दिन खरीदारी और अन्य पारंपरिक गतिविधियों में व्यस्त रहते हैं। शिक्षक संघों का कहना है कि यदि बच्चों की उपस्थिति इस दिन कम रहती है तो स्कूलों का संचालन बेकार ही हो जाता है। ऐसे में यह उपयुक्त होगा कि इस दिन को अवकाश घोषित कर दिया जाए ताकि शिक्षक और विद्यार्थी दोनों ही पर्व को अपने परिवारों के साथ मना सकें।

शिक्षक संघों का ज्ञापन और मांग
कई जिलों में शिक्षक संघों ने इस मुद्दे पर जिलाधिकारी और शासन को पत्र लिखकर अवकाश की मांग की है। उनका तर्क है कि जहां अन्य त्यौहारों पर अवकाश मिलते हैं, वहीं धनतेरस जैसे महत्वपूर्ण पर्व को अवकाश तालिका में स्थान न मिलने से धार्मिक असंतोष की भावना जन्म ले रही है। शिक्षक संघों ने इस मांग के समर्थन में तर्क दिया है कि शिक्षा विभाग को इस मांग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करना चाहिए और इस दिन अवकाश घोषित कर सभी शिक्षकों को राहत प्रदान करनी चाहिए। 

हालांकि, अब तक इस मामले पर शिक्षा विभाग या शासन की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है। शिक्षकों की मांग है कि जल्द ही इस पर निर्णय लेकर धनतेरस पर्व पर अवकाश की घोषणा की जाए ताकि सभी शिक्षक अपने परिवार के साथ इस शुभ दिन का आनंद उठा सकें। 

उ0प्र0 विद्यालय निरीक्षक संघ उ0प्र0 का प्रान्तीय अधिवेशन/निर्वाचन(चुनाव) कराये जाने हेतु आगामी तिथि 23 व 24 नवम्बर निर्धारित किये जाने के संबंध में


कार्यालय आदेश उ0प्र0 विद्यालय निरीक्षक संघ उ0प्र0 का प्रान्तीय अधिवेशन/निर्वाचन(चुनाव) कराये जाने हेतु आगामी तिथि 23 व 24 नवम्बर निर्धारित किये जाने के संबंध men




विद्यालय निरीक्षक संघ के निर्वाचन की दृष्टिगत प्रतिभाग करने वाले सदस्य खंड शिक्षा अधिकारियों (BEOs) को 26 अक्टूबर को मिलेगा विशेष अवकाश 


Saturday, October 26, 2024

शिक्षामित्रों के मानदेय को बढ़ाने, शिक्षक बनाये जाने, महिला शिक्षामित्रों को उनके ससुराल में स्थानान्तरण किये जाने के मामले में IGRS पर देखें बेसिक शिक्षा परिषद का जवाब

शिक्षामित्रों के मानदेय को बढ़ाने, शिक्षक बनाये जाने, महिला शिक्षामित्रों को उनके ससुराल में स्थानान्तरण किये जाने के मामले में IGRS पर देखें बेसिक शिक्षा परिषद का जवाब


राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के विद्यार्थी अंग्रेजी भाषा में करेंगे बेहिचक संवाद, अंग्रेजी में संवाद के लिए होंगे विभिन्न प्रयोग

राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के विद्यार्थी अंग्रेजी भाषा में करेंगे बेहिचक संवाद, अंग्रेजी में संवाद के लिए होंगे विभिन्न प्रयोग


राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में छात्र-छात्राएं अंग्रेजी भाषा में बेहिचक संवाद कर सकेंगे। इसके लिए उप्र एवलिन प्रोग्राम फॉर यूथ (यूपीपे) लागू किया रहा है। राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनरत कक्षा नौ से 12वीं तक के विद्यार्थियों में अंग्रेजी भाषा बोलने व समझने की दक्षता बढ़ाने के लिए प्रयास किया जा रहा है। इस कार्यक्रम को विद्यार्थी में प्रभावी संचार कौशल, व्यक्तित्व विकास, निर्णय लेने के साथ बढ़ते अवसरों और सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने व सशक्त बनाने के लिए तैयार किया गया है। अंग्रेजी भाषा में दक्षता से विद्यार्थियों को उनकी अकादमिक गतिविधियों में बेहतर समझ और उत्कृष्टता मिलेगी।


 जिन विषयों को अंग्रेजी माध्यम से ही पढ़ाया जाता है, अंग्रेजी भाषा के कौशल से उन विषयों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। कॅरिअर के नए अवसरों में सहायक आज की वैश्विक दुनिया में अंग्रेजी में दक्षता आवश्यक हो गई है। वैश्विक संपर्क में सहायक अंग्रेजी में संवाद करने की दक्षता विद्यार्थियों को संपूर्ण विश्व के साथ जोड़ने में मदद करेगी।


अंग्रेजी में संवाद के लिए होंगे विभिन्न प्रयोग

कक्षा नौ से 12वीं तक के विद्यार्थियों के अंग्रेजी में संवाद कौशल को बेहतर करने के लिए कई तरह के प्रयोग किए जाएंगे। इसके लिए छात्र-छात्राओं को रोज नए शब्द सिखाए जाएंगे। साथ ही उसका अर्थ बताते हुए वाक्य प्रयोग और बोलचाल में उसे प्रयोग करना सिखाया जाएगा। अंग्रेजी भाषा की हिचक खत्म करने के लिए सहपाठी छाेटे-छोटे समूह बनाकर आपस में संवाद करेंगे। 

वहीं, अंग्रेजी भाषा में नाटक प्रस्तुतीकरण का आयोजन किया जाएगा। जिसमें नाटक का विषय विद्यार्थी स्वयं सोच सकेंगे। या फिर किसी अंग्रेजी के प्रेरणादायी नाटक को इसमें शामिल किया जाएगा। एक्सटेम्पोर प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। जिसमें एक बाक्स में कई टॉपिक पर आधारित पर्चियां रखी जाएंगी। विद्यार्थी एक पर्ची उठाकर उस पर दो मिनट अपने विचार प्रस्तुत करेगा। इसी के साथ अंग्रेजी के पैराग्राफ पढ़ने, घटनाओं के प्रस्तुतीकरण, प्रार्थना स्थल पर अंग्रेजी में कविता पाठ आदि का आयोजन किया जाएगा।

2026 इंटरमीडिएट यूपी बोर्ड परीक्षा से ग्रेडिंग प्रणाली लागू करने की तैयारी, हाईस्कूल में पहले से ही किया जा चुका है लागू


2026 इंटरमीडिएट यूपी बोर्ड परीक्षा से ग्रेडिंग प्रणाली लागू करने की तैयारी, हाईस्कूल में पहले से ही किया जा चुका है लागू


प्रयागराज : हाईस्कूल में ग्रेडिंग प्रणाली लागू कर चुका यूपी बोर्ड अब इंटरमीडिएट में भी इसे लागू करने की दिशा में कार्य कर रहा है। इससे विद्यार्थी अधिक अंक हासिल करने की दौड़ में शामिल होने के बजाय विषय में समझ बढ़ाने की ओर अग्रसर होंगे।


 ग्रेडिंग प्रणाली लागू होने पर कम अंक मिलने पर मन में उपजने वाली हीनभावना में कमी आएगी। इसके लिए हाईस्कूल की तरह इंटरमीडिएट की परीक्षा में छात्र-छात्राओं के प्रदर्शन के आधार पर नौ तरह के ग्रेड प्रदान किए जाएंगे। उनके अंकपत्र में विषयवार प्राप्त अंकों का योग अंकित नहीं किया जाएगा। शासन से मंजूरी मिलने के बाद इसे वर्ष 2026 की परीक्षा से लागू किया जा सकता है।


बोर्ड का मानना है कि हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा में परीक्षार्थियों में अच्छे अंक पाने की होड़ रहती है। अच्छे अंक पाने वालों में उत्साह रहता है, जबकि कम अंक पाने वाले छात्र-छात्राओं को इस बात का मलाल रहता है कि उन्हें कम अंक हासिल हुए हैं। इस मलाल को कम करने तथा हाईस्कूल की तरह एकरूपता लाने के लिए यह प्रयास शुरू किया गया है। 


ग्रेडिंग व्यवस्था में इंटरमीडिएट के अंकपत्र की डिजायन में भी परिवर्तन किया जाएगा। अंकपत्र में हाईस्कूल की तरह परीक्षा में विषयवार मिले अंक अंकित रहेंगे, लेकिन प्राप्त अंकों का योग नहीं लिखा होगा। नई व्यवस्था में निर्धारित किए गए नौ ग्रेडों में परीक्षार्थी को परीक्षा में 91 से 100 तक अंक मिलने पर अंकपत्र में 'ए-1' ग्रेड अंकित किया जाएगा।

जूनियर कक्षाओं में बदलेगा कृषि विज्ञान का पाठ्यक्रम, गणित और विज्ञान में भी बदलेगी शब्दावली

जूनियर कक्षाओं में बदलेगा कृषि विज्ञान का पाठ्यक्रम, गणित और विज्ञान में भी बदलेगी शब्दावली


प्रयागराज। जूनियर कक्षाओं में पढ़ाए जाने वाले कृषि विज्ञान विषय  का पाठ्यक्रम बदलेगा। पाठ्यक्रम में बदलाव के प्रथम चरण की कार्यशाला शुक्रवार को राज्य विज्ञान - शिक्षा संस्थान में हुई। चार चरणों में कार्यशाला के बाद पाठ्यक्रम तैयार होगा। नए सत्र से बदला हुआ पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। अगले चरण की वर्कशॉप नवंबर में होगी।


नई शिक्षा नीति के अंतर्गत सभी विषयों में बदलाव किया जा रहा है। इसी क्रम में छह से आठ तक की कक्षाओं में कृषि विज्ञान के पाठ्यक्रम में बदलाव शुरू हो गया है।

इसके लिए 21 से 25 अक्तूबर तक कार्यशाला चली। इसमें महाविद्यालयों के प्रोफेसर, इंटर कॉलेजों के प्रवक्ता और अन्य कृषि व उद्यान विशेषज्ञों को बुलाया गया। प्रवक्ता सुदामा प्रसाद ने बताया कि कृषि के पाठ्यक्रम में बदलाव की जरूरत थी। अब कृषि में आधुनिक तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। पहले की किताबों में पारंपरिक खेती का विस्तृत वर्णन था। नई किताबें रोजगारपरक बनाई जा रही हैं। इसमें खेती में तकनीक का प्रयोग, जैविक खेती, व्यावसायिक खेती आदि के पाठ्यक्रम में काफी परिवर्तन किया जा रहा है। 

अब छात्रों को व्यवसायपरक शिक्षा देनी है। उसी के अनुसार पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है। यह बदलाव बेसिक शिक्षा परिषद की पुरानी किताबों में किया जाएगा। जनवरी तक सभी कार्यशाला पूरी करके मार्च तक किताब तैयार करनी है। नए सत्र से किताब बच्चों के हाथ में पहुंच जाएगी।


गणित और विज्ञान में भी बदलेगी शब्दावली

यूपी बोर्ड के बाद बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में भी एनसीईआरटी की किताबों को चरणबद्ध तरीके लागू किया जा रहा है। इस बार एनसीईआरटी ने कक्षा छह की किताबों में बदलाव किया है। यह किताब अगले वर्ष बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में लागू होगी। इससे पहले गणित और विज्ञान की किताबों को यूपी के परिवेश में बदला जा रहा है। उसकी शब्दावली में बदलाव किया जा रहा है। इस बदलाव के लिए राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान में कार्यशाला हुई है।

बेसिक शिक्षकों का पारस्परिक तबादला फिर अटका, पारस्परिक स्थानांतरण के आवेदन के लिए अब तक पोर्टल को खोला तक नहीं गया

बेसिक शिक्षकों का पारस्परिक तबादला फिर अटका, पारस्परिक स्थानांतरण के आवेदन के लिए अब तक पोर्टल को खोला तक नहीं गया है

05 माह बचे शिक्षण सत्र समाप्त होने में कर्मचारियों में बेचैनी, 20 हजार शिक्षकों का स्थानांतरण हो सका था पिछले सत्र में


लखनऊ ।  शिक्षकों की पारस्परिक स्थानांतरण प्रक्रिया इस बार फिर से लटक सकती है। शिक्षण सत्र समाप्त होने में बमुश्किल पांच माह बचे हैं लेकिन पारस्परिक स्थानांतरण के आवेदन के लिए अब तक पोर्टल को खोला तक नहीं गया है। पिछले वर्ष ही अन्तः जनपदीय पारस्परिक तबादले के लिए माह में पोर्टल के माध्यम से आवेदन लिए गए थे और इस साल जनवरी में ऐसे पात्र करीब 20 हजार शिक्षकों का स्थानांतरण हो सका था। इस बार अब तक पोर्टल ही नहीं खोला जा सका है।


शासनादेश के अनुसार एक शैक्षिक सत्र में दो बार पारस्परिक तबादले होंगे। पिछले वर्ष ग्रीष्मावकाश में शुरू की गई स्थानांतरण प्रक्रिया शीत अवकाश में जाकर पूरी हो सकी थी। ऐसे में शीत अवकाश में होने वाले तबादले के लिए अब तक आवेदन की प्रक्रिया शुरू नहीं होने के कारण शीत अवकाश में स्थानांतरण प्रक्रिया के लटकने की आशंका व्यक्त की जाने लगी है। शिक्षकों की माने तो अन्तः जनपदीय तबादले हों  या खोला जा सका है। शासनादेश के अनुसार एक शैक्षिक सत्र में दो बार पारस्परिक तबादले होंगे। पिछले वर्ष ग्रीष्मावकाश में शुरू अन्तर्जनपदीय स्थानांतरण दोनों कार्य बेसिक शिक्षा विभाग में तय समय पर पूरी नहीं होती।


पिछले साल दो सत्र में एक बार ही तबादलाः पिछला अन्तः जनपदीय तबादला प्रक्रिया ग्रीष्म अवकाश के बाद जुलाई 2023 में शुरू हुई और जनवरी 2024 में पूरी होकर करीब 20 हजार शिक्षकों के तबादले की सूची जारी हुई। शासनादेश है कि शिक्षकों के पारस्परिक स्थानांतरण एक शैक्षिक सत्र में दो बार यानि ग्रीष्म अवकाश और शीत अवकाश के दौरान होगी। इस व्यवस्था के पीछे शैक्षिक सत्र के दौरान स्थानांतरण होने पर विद्यालीय शिक्षा व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंक़ा व्यक्त की गई थी जो उचित भी था।


शिक्षक लगातार कर रहे पोर्टल खोलने की मांग

पारस्परिक तबादले में शासन व विभागीय स्तर पर हो रही लापरवाही से शिक्षकों के साथ-साथ उनके संगठनों में भी काफी रोष है। उनकी मांग है कि पारस्परिक तबादला नीति का पूरी तरह से पालन होना चाहिए। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष निर्भय सिंह कहते हैं कि शासन स्तर से जिले के अंदर से वर्ष भर पारस्परिक स्थानांतरण की अनुमति होने के बाद बेसिक शिक्षा के बहुत से शिक्षक प्रतिदिन 60 से 70 किलोमीटर की दूरी तय कर स्कूल जा रहे है।

Friday, October 25, 2024

देश के स्कूलों में शिक्षकों की संख्या में सुधार, लेकिन आठ लाख से अधिक पद रिक्त; जल्द भरने के राज्यों को दिए गए निर्देश

देश के स्कूलों में शिक्षकों की संख्या में सुधार, लेकिन आठ लाख से अधिक पद रिक्त; जल्द भरने के राज्यों को दिए गए निर्देश


शिक्षा मंत्रालय वैसे भी स्कूलों में शिक्षकों के खाली पदों को भरने के लिए विगत कई वर्षों से राज्यों पर लगातार दबाव बनाए हुए है। इसका असर यह रहा है कि कई राज्यों में पहले से स्थिति में सुधार हुआ है। लेकिन अभी भी बिहार उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश झारखंड गुजरात बंगाल छत्तीसगढ़ जैसे राज्य ऐसे हैं जहां शिक्षकों के बड़ी संख्या में पद रिक्त हैं।


🔴 शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों को इन्हें जल्द भरने के दिए निर्देश

🔴 प्राइमरी स्तर पर सबसे अधिक सात लाख पद रिक्त


नई दिल्ली। देशभर के स्कूलों में नए शैक्षणिक सत्र से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत तैयार नई पाठ्य पुस्तकों को पढ़ाने की तैयारी के बीच शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों से शिक्षकों के खाली पदों को जल्द भरने के लिए कहा है।

मंत्रालय ने राज्यों से यह आग्रह उस समय किया है, जब देश में पहले के मुकाबले स्कूलों में शिक्षकों की संख्या में सुधार हुआ है, लेकिन अभी भी आठ लाख से अधिक पद खाली हैं। इनमें सबसे अधिक पद प्राइमरी स्तर पर पढ़ाने वाले शिक्षकों के हैं। जिनकी संख्या करीब सात लाख है।


शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों को इन्हें जल्द भरने के दिए निर्देश
शिक्षा मंत्रालय वैसे भी स्कूलों में शिक्षकों के खाली पदों को भरने के लिए विगत कई वर्षों से राज्यों पर लगातार दबाव बनाए हुए है। इसका असर यह रहा है कि कई राज्यों में पहले से स्थिति में सुधार हुआ है। लेकिन, अभी भी बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, गुजरात, बंगाल, छत्तीसगढ़ जैसे राज्य ऐसे हैं, जहां शिक्षकों के बड़ी संख्या में पद रिक्त हैं।

मंत्रालय ने राज्यों को शिक्षकों के खाली पदों को भरने के लिए लिखी चिट्ठी में राज्यों से प्रत्येक स्कूल में छात्र- शिक्षक अनुपात को भी ठीक रखने के निर्देश दिए हैं। मंत्रालय का कहना है कि इससे स्कूलों में शिक्षा का स्तर बेहतर हो सकेगा। साथ ही राज्य के प्रदर्शन में भी सुधार दिखेगा।

डिजिटलाइजेशन पर फिर खोला मोर्चा, जनपदों में छात्रों की उपस्थिति और अन्य कार्य डिजिटल माध्यम से कराए जाने के लिए दबाव बनाने का प्राथमिक शिक्षक संघ ने किया विरोध

डिजिटलाइजेशन पर फिर खोला मोर्चा, जनपदों में छात्रों की उपस्थिति और अन्य कार्य डिजिटल माध्यम से कराए जाने के लिए दबाव बनाने का प्राथमिक शिक्षक संघ ने किया विरोध


लखनऊ: बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में डिजिटल प्रक्रिया (डिजिटलाइजेशन) के खिलाफ शिक्षक संघ ने एक बार फिर मोर्चा खोल दिया है। संगठन के अध्यक्ष सुशील कुमार पाण्डेय द्वारा मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन को संबोधित ज्ञापन में यह मांग उठाई गई है कि जनपदीय अधिकारियों द्वारा शिक्षकों पर छात्र-छात्राओं की उपस्थिति और अन्य कार्य डिजिटल माध्यम से कराए जाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है, जो कि जुलाई 2024 के निर्देशों के विपरीत है।

ज्ञापन में इस बात का उल्लेख किया गया है कि 16 जुलाई 2024 को प्रदेश के विभिन्न जिलों में डिजिटल प्रक्रियाओं पर पूर्ण रूप से रोक लगाने का निर्देश जारी किया गया था। इसके बावजूद अयोध्या, सुल्तानपुर, अमेठी, बलरामपुर जैसे जनपदों में शिक्षकों पर डिजिटल प्रक्रिया के तहत कार्य करवाने का दबाव डाला जा रहा है। संगठन ने इस दबाव के चलते शिक्षकों के बीच बढ़ रहे रोष का हवाला देते हुए बताया कि इससे प्रदेश के कई विद्यालयों में पठन-पाठन की प्रक्रिया बाधित हो रही है।

शिक्षकों ने डिजिटल प्रक्रिया की चुनौतियों को लेकर पहले भी विरोध जताया था, जिसमें ग्रामीण और सुदूर क्षेत्रों के विद्यालयों में समुचित संसाधनों की कमी और कार्य संचालन में आने वाली दिक्कतें प्रमुख रूप से सामने आई थीं। शिक्षक संघ का कहना है कि बिना पर्याप्त संसाधनों और प्रशिक्षण के इस प्रक्रिया को लागू करना शिक्षकों और छात्रों दोनों के लिए हानिकारक साबित हो रहा है।

शिक्षक संघ ने मुख्य सचिव से मांग की है कि वे पुनः इस मुद्दे पर सख्त निर्देश जारी करें ताकि डिजिटल प्रक्रिया पर पूरी तरह से रोक लगाई जा सके और शिक्षकों के बीच उत्पन्न हो रहे भय और असंतोष को समाप्त किया जा सके।



दिनांक 16 जुलाई 2024 के क्रम में बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में डिजिटल प्रक्रिया (डिजिटलाइजेशन) पर पूर्ण रोक लगाए जाने के बावजूद विभिन्न जनपदों में जनपदीय व विभागीय अधिकारियों द्वारा परिषदीय विद्यालयों में डिजिटल प्रक्रिया के तहत छात्र -छत्राओं की उपस्थिति व विद्यालय में अन्य कार्य को डिजिटल कार्य किए जाने संबंधी निर्देश पर पूर्ण रोक लगाए जाने के संबंध में।



बच्चे पढ़ेंगे अक्कड़-बक्कड़ और जानेंगे बनारसी पान, बाटी-चोखा व रासलीला, एनसीईआरटी की कक्षा 6 से 8 तक की हिंदी व संस्कृत की किताब में होगा उत्तर प्रदेश के परिवेश अनुरूप बदलाव

बच्चे पढ़ेंगे अक्कड़-बक्कड़ और जानेंगे बनारसी पान, बाटी-चोखा व रासलीला, एनसीईआरटी की कक्षा 6 से 8 तक की हिंदी व संस्कृत की किताब में होगा उत्तर प्रदेश के परिवेश अनुरूप badlaav  


वाराणसी। बच्चे कक्षा छह की हिंदी की पुस्तक मल्हार में अक्कड़-बक्कड़ से लेकर बनारसी पान और बाटी चोखा को भी पढ़ेंगे। तीज-त्योहार के साथ यहां के कठघोड़वा, धोबिया नृत्य और रासलीला-रामलीला के बारे में भी जानेंगे। पुस्तक में साहित्यकारों के साथ क्रांतिकारियों के नामों का भी उल्लेख मिलेगा। 


एनसीईआरटी की कक्षा 6 से 8 तक की हिंदी व संस्कृत की पुस्तकों को उत्तर प्रदेश में भी लागू करने की तैयारी है। राज्य हिंदी संस्थान को उत्तर प्रदेश शैक्षिक परिदृश्य आवश्यकताओं और परिवेश अनुरूप इसमें बदलाव करने की जिम्मेदारी मिली है। इसलिए इसमें संस्कृति, कला व त्योहार आदि को जोड़ा जा रहा है। 


संस्थान की निदेशक चंदना रामइकबाल यादव ने बताया कि इसपर कार्यशालाओं व संगोष्ठियों में मंथन चल रहा है। विभिन्न जिलों के डायट प्रवक्ता व माध्यमिक विद्यालयों के हिंदी के शिक्षकों के बीच चर्चा के बाद बदलाव किए गए हैं। उन्होंने बताया कि अगले माह तक इसे उत्तर प्रदेश राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद लखनऊ को भेजा जाएगा।

Thursday, October 24, 2024

इंटर कॉलेजों के अतिथि प्रवक्ता को भी दीपावली से पहले मानदेय का आदेश

इंटर कॉलेजों के अतिथि प्रवक्ता को भी दीपावली से पहले मानदेय का आदेश 


लखनऊ। प्रदेश के शासकीय एवं अशासकीय सहायता प्राप्त इंटर कालेजों के अतिथि प्रवक्ताओं व विषय विशेषज्ञों को भी दीपावली से पूर्व अक्तूबर के मानदेय का भुगतान करने के निर्देश जारी किए गए हैं। माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने इस संबंध में बुधवार को सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों के नाम आदेश जारी कर दिया है।


 इसमें कहा गया है कि 31 अक्तूबर को दीपावली, दो नवम्बर को गोवर्धन पूजा एवं तीन नवम्बर को भैया दूज के कारण सार्वजनिक अवकाश को देखते हुए अक्तूबर माह के वेतन एवं मानदेय का भुगतान 30 अक्तूबर तक किये जाने के आदेश शासन ने जारी किए हैं।

शिक्षकों की सेवानिवृत्ति तिथि 30 जून करने की मांग, नहीं मिल पा रहा वेतन वृद्धि का लाभ

शिक्षकों की सेवानिवृत्ति तिथि 30 जून करने की मांग, नहीं मिल पा रहा वेतन वृद्धि का लाभ 


लखनऊ। बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में सेवानिवृत्ति की तिथि पूर्व की भांति 30 जून करने की मांग की गई है। जो वर्तमान में 31 मार्च (सत्र के अंत में) है। विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन ने इसके लिए प्रदेश सरकार को पत्र भेजा है। 


एसोसिएशन के प्रांतीय मीडिया प्रभारी विनीत कुमार सिंह ने कहा कि सत्र 2013-14 तक परिषदीय शिक्षक 30 जून को रिटायर होते थे। क्योंकि उस समय सत्र एक जुलाई से 30 जून तक चलता था। सत्र 2014-15 से सत्र 31 मार्च को समाप्त होने लगा। इससे अब परिषदीय शिक्षक 31 मार्च को सेवानिवृत हो जाते हैं।

 यही वजह है कि इस तिथि व सत्र के बाद के शिक्षकों को नोशनल वेतन वृद्धि का लाभ नहीं मिल पाता है। ऐसे में राज्य कर्मचारियों की भांति शिक्षकों की सेवानिवृत्ति तिथि 30 जून रखी जाए। 

नेपाल से सटे अमान्य मदरसों की फंडिंग की जांच करेगी ATS, सत्यापन में 491 गैर मान्यता प्राप्त मदरसे गए थे पाए

नेपाल से सटे अमान्य मदरसों की फंडिंग की जांच करेगी ATS, सत्यापन में 491 गैर मान्यता प्राप्त मदरसे गए थे पाए

निदेशक ने जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को भेजा पत्र


बहराइचः नेपाल सीमा से सटे अमान्य मदरसों की फंडिंग की जांच अब आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) करेगी। एक वर्ष पूर्व कराए गए सत्यापन में 491 गैर मान्यता प्राप्त मदरसे मिलने के बाद एटीएस को उनकी जांच सौंप दी गई है। नेपाल सीमा से सटे जिले में अल्पसंख्यक विभाग के पास मान्यता प्राप्त 290 और सहायता प्राप्त 11 मदरसों का ब्योरा था।


सितंबर 2023 में शासन के निर्देश पर गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सत्यापन शुरू किया गया। सैकड़ों मदरसे 30 से 35 वर्ष से बिना मान्यता के चल रहे थे। इन मदरसों को मिलने वाली फंडिंग का ब्योरा मांगा गया तो अवामी चंदे की बात कहकर संचालकों ने किनारा कर लिया। शासन ने जांच एसआइटी को सौंपी थी। 

एसआइटी ने रिपोर्ट में मदरसों की फंडिंग की स्थिति स्पष्ट न होने के कारण इनको बंद करने की सिफारिश की। इसके बाद अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की निदेशक जे. रीभा ने 21 अक्टूबर को जिला मुख्यालय को पत्र भेजकर बताया है कि एटीएस के एडीजी ने पत्र भेजते हुए सूची उपलब्ध कराई है। 

मदरसे के संचालन और अब तक उनके पंजीकरण न होने समेत अन्य बिंदुओं की जांच में एटीएस के आइजी को सहयोग देने के निर्देश जारी किए गए हैं।

बिना मान्यता प्राप्त मदरसों की संख्या काफी ज्यादा है। जांच में इन्हें फंड देने वालों के नाम सामने आएंगे। बता दें कि प्रदेश के सभी 75 जिलों में करीब 4000 गैर मान्यता प्राप्त मदरसे हैं। इनमें 495 अकेले बहराइच में चल रहे हैं।


चीन, पाकिस्तान से फंडिंग की आशंका 

जिले में नेपाल की खुली सीमा करीब 110 किलोमीटर लंबी है। ऐसे में यहां सीमावर्ती क्षेत्र में बिना मान्यता के चलने वाले मदरसों की संख्या काफी ज्यादा है। यहां बीते दिनों ऐसे मामले भी सामने आए थे, जिनमें नेपाल से लेकर चीन व पाकिस्तान तक से फंडिंग की बात बताई गई थी। हालांकि, जांच एजेंसियों ने इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की थी। अब एटीएस के स्तर से होने वाली जांच में बड़ा खुलासा होने की संभावना है। इसके बाद बड़ी कार्रवाई हो सकती है। (संवाद)

ARP एसोसिएशन ने बेसिक शिक्षा मंत्री को ज्ञापन सौंपा, कार्यप्रणाली संबंधी मुद्दों और समस्याओं के समाधान का मिला आश्वासन

ARP एसोसिएशन ने बेसिक शिक्षा मंत्री को ज्ञापन सौंपा, कार्यप्रणाली संबंधी मुद्दों और समस्याओं के समाधान का मिला आश्वासन


लखनऊ: एआरपी एसोसिएशन के शिष्टमंडल ने बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह से मुलाकात कर अपनी विभिन्न समस्याओं पर चर्चा की। प्रदेश अध्यक्ष सर्वेश शुक्ल के नेतृत्व में हुए इस संवाद में एआरपी के कार्यप्रणाली संबंधी मुद्दों को प्रमुखता से उठाया गया। शिष्टमंडल ने ज्ञापन सौंपते हुए, अपनी चुनौतियों और कार्य में आ रही अड़चनों पर मंत्री को विस्तार से अवगत कराया।

मंत्री संदीप सिंह ने आश्वासन दिया कि एआरपी की समस्याओं पर गंभीरता से विचार किया जाएगा और उनके समाधान के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे। 



बेसिक शिक्षा मंत्री से मिले एआरपी, ज्ञापन सौंपकर समस्याओं से कराया अवगत 

एआरपी एसोसिएशन के शिष्टमंडल ने मंगलवार को बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह से मुलाकात की। प्रदेश अध्यक्ष सर्वेश शुक्ल के नेतृत्व में शिष्टमंडल ने मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा व अपनी समस्याओं से अवगत कराया। मंत्री ने उनकी समस्याओं के निराकरण का आश्वासन दिया। प्रतिनिधिमंडल में प्रयागराज से अरविंद मिश्र और अनुरागिनी सिंह भी शामिल रहीं।


प्रयागराज : एआरपी एसोसिएशन ने बेसिक  एकेडमिक रिसोर्स पर्सन (एआरपी) एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के शिष्टमंडल ने बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह से मुलाकात कर अपनी समस्याओं को लेकर ज्ञापन सौंपा। इस मुलाकात का नेतृत्व एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष सर्वेश शुक्ल ने किया, जिसमें प्रदेश के विभिन्न अंचलों और जनपदों से आए पांच-पांच एआरपी ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। शिष्टमंडल के सदस्यों ने मंत्री को एआरपी कार्यप्रणाली और उससे जुड़ी विभिन्न समस्याओं के बारे में शिक्षा राज्य मंत्री को सौंपा ज्ञापन विस्तार से जानकारी दी।

 प्रदेश महामंत्री ने एआरपी की मौजूदा चुनौतियों और उनकी कार्यप्रणाली में आ रही अड़चनों पर प्रकाश डाला। मंत्री संदीप सिंह ने समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया। प्रयागराज से आए एआरपी सदस्यों ने अपनी तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत कर मंत्री को अवगत कराया, वहीं अन्य जिलों जैसे अलीगढ़, देवरिया, रामपुर, ललितपुर, झांसी, सिद्धार्थनगर, बस्ती, लखनऊ, और रायबरेली से आए प्रतिनिधियों ने भी अपनी समस्याओं को मंत्री के समक्ष रखा।



नए ARP चयन में पूर्व से कार्यरत रहे  एआरपी को पुनः आवेदन का अवसर प्रदान करने की मांग हेतु ज्ञापन

लखनऊ, 18 अक्टूबर 2024: उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग के एकेडमिक रिसोर्स पर्सन (ए०आर०पी०) के नवीन चयन प्रक्रिया के संदर्भ में विवाद गहराता जा रहा है। ए०आर०पी० के अध्यक्ष, दिलीप सिंह पटेल, के नेतृत्व में विभाग के कई सदस्यों ने महानिदेशक, स्कूल शिक्षा, उत्तर प्रदेश, को ज्ञापन प्रस्तुत किया। इस ज्ञापन में मांग की गई है कि तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा कर चुके ए०आर०पी० कर्मियों को आगामी चयन प्रक्रिया में आवेदन करने का अवसर दिया जाए।


ज्ञापन में विशेष रूप से दिनांक 10 अक्टूबर 2024 को जारी शासनादेश के बिंदु संख्या-03 का उल्लेख किया गया है, जिसमें कहा गया है कि तीन वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद कोई भी ए०आर०पी० पुनः इस पद के लिए आवेदन करने का अधिकारी नहीं होगा। ए०आर०पी० कर्मियों का मानना है कि यह निर्देश नैसर्गिक न्याय के विपरीत है, क्योंकि उन्होंने निपुण भारत मिशन और अन्य सरकारी योजनाओं के तहत कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं और उनके अनुभव को दरकिनार करना उचित नहीं है।


मुख्य मांगें:

- ज्ञापन में पूर्व से कार्यरत ए०आर०पी० कर्मियों को भी नवीन चयन प्रक्रिया में शामिल होने का अधिकार दिए जाने की अपील की गई है।

- कर्मियों का दावा है कि निपुण भारत मिशन के तहत वे पहले ही आवश्यक प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं, और उनके अनुभव को अनदेखा करना अन्यायपूर्ण होगा।


आगे की रणनीति:

यदि विभाग की ओर से इस ज्ञापन पर सकारात्मक निर्णय नहीं लिया जाता, तो ए०आर०पी० कर्मी भविष्य में इस मुद्दे को लेकर और बड़े स्तर पर विरोध की योजना बना सकते हैं या उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं।