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Saturday, October 12, 2024

सूबे के 76% स्कूलों में खेल शिक्षक नहीं, सेना से रिटायर होने वाले अग्निवीर बनेंगे खेल शिक्षक

सूबे के 76% स्कूलों में खेल शिक्षक नहीं, सेना से रिटायर होने वाले अग्निवीर बनेंगे खेल शिक्षक


लखनऊ। अगले वर्ष सेना से रिटायर होने वाले प्रदेश के अग्निवीरों को माध्यमिक स्कूलों में खेल शिक्षक पद पर रखे जाने पर सरकार विचार कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर शासन ने माध्यमिक शिक्षा विभाग से इस बारे में सुझाव मांगा है। 

विभाग के सुझाव के बाद प्रस्ताव पर कैबिनेट से मंजूरी ली जाएगी। फिलहाल माध्यमिक शिक्षा विभाग प्रदेश में खेल टीचरों के मंजूर पदों के सापेक्ष रिक्त पदों के आंकड़े जुटाने में लग गया है। प्रदेश के करीब 740 माध्यमिक स्कूलों में एक भी खेल शिक्षक नहीं है। 620 से अधिक माध्यमिक स्कूलों में करीब 2400 छात्रों पर मात्र एक खेल शिक्षक है।



लखनऊ । प्रदेश में 76 फीसदी स्कूलों में गेम टीचर नहीं हैं, जहां हैं वहां मानक के अनुसार नहीं हैं। यह स्थिति तब है जबकि 10वीं और 12वीं कक्षा की परीक्षाओं में हर विद्यार्थी को स्पोर्ट्स की 50-50 अंकों के थ्यौरी और आंतरिक परीक्षा अनिवार्य रूप से उत्तीर्ण करना होता है।

सरकार ने इसी बात को ध्यान में रखकर अभी से अग्निवीरों के लिए प्रदेश में सरकारी नौकरी में भी बेहतर समायोजन की सम्भावना तलाशनी शुरू कर दी है। 


इसी परिप्रेक्ष्य में यूपी पुलिस और पीएसी के बाद अब स्कूलों में स्पोर्टस टीचर के पद पर भी अग्निवीरों को समायोजित करने की सम्भावना खोजी जा रही है। चूंकि अग्निवीरों को सेना में शारीरिक दक्षता (फिजिकल ट्रेनिंग) और खेल-कूद का उच्च स्तरीय प्रशिक्षण (ट्रेनिंग) मिलता है लिहाजा सरकार माध्यमिक स्कूलों में पीटी अथवा स्पोर्टस टीचर के पदों पर अग्निवीरों को नियुक्त करना चाहती है।

इससे सरकार के दो काम आसान हो जाएंगे। पहला अग्निवीरों का समायोजन का रास्ता साफ हो जाएगा। वहीं स्कूलों को प्रशिक्षित गेम, पीटी या स्पोर्टस टीचर मिल जाएंगे।


कोर्ट की फटकार के बाद जागी सरकारः

स्कूलों में खेलकूद की कोई सुविधा नहीं होने तथा स्पोर्टस टीचर का पद रिक्त रहने या मानक के हिसाब से बेहद कम संख्या में होने का मामला कोर्ट में उठाया गया था। कोर्ट ने इसके लिए सरकार को फटकार लगाई।

इसके बाद शासन से लेकर विभागीय स्तर पर हुई कवायद के बाद यह सुझाव दिया गया कि जिन स्कूलों में खेल के मैदान नहीं हैं, वहां पास के पार्कों या खाली पड़ी सरकारी भूमि को स्कूलों को खेलकूद के लिए आवंटित कर दिया जाए। साथ ही खेल शिक्षक के पदों को संविदा अथवा आउटसोर्सिंग से शीघ्र भरा जाए।

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