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Wednesday, October 9, 2024

सेवा सुरक्षा की कमी से प्रबंधकों की मनमानी शुरू, एडेड माध्यमिक शिक्षकों की नौकरी अब पहले की तरह सुरक्षित नहीं जानिए क्यों?

सेवा सुरक्षा की कमी से प्रबंधकों की मनमानी शुरू, एडेड माध्यमिक शिक्षकों की नौकरी अब पहले की तरह सुरक्षित नहीं जानिए क्यों?

लखनऊ: प्रदेश के एडेड माध्यमिक शिक्षकों की नौकरी अब पहले की तरह सुरक्षित नहीं रह गई है। शिक्षा सेवा चयन आयोग की नई नियमावली में सेवा सुरक्षा का जिक्र न होने के कारण शिक्षकों को अपनी नौकरियों से हाथ धोने का डर सताने लगा है। पहले, जब माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड था, तो नियमों में सेवा सुरक्षा की स्पष्ट व्यवस्था थी। लेकिन अब नए आयोग में यह प्रावधान गायब है, जिसका फायदा उठाकर कई कॉलेजों के प्रबंधक शिक्षकों पर मनमाने ढंग से कार्रवाई कर रहे हैं।

माध्यमिक शिक्षक संघ (शर्मा गुट) के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. आरपी मिश्र ने हरदोई के वीएन इंटर कॉलेज में एक शिक्षक जगन्नाथ प्रसाद के निलंबन और फिर सेवा समाप्ति का उदाहरण दिया। इसी तरह, गोरखपुर में भी कई शिक्षकों के खिलाफ बिना उचित प्रक्रिया का पालन किए कार्रवाई की गई है। संघ के अन्य नेताओं का कहना है कि प्रबंधक अब मनमाने ढंग से शिक्षकों पर शिकंजा कस रहे हैं, और बिना सेवा सुरक्षा के, शिक्षक खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं।

शिक्षा निदेशक का बयान
माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने स्पष्ट किया कि इंटरमीडिएट ऐक्ट के तहत सेवा सुरक्षा पहले से लागू है, लेकिन चयन बोर्ड के खत्म होने से शिक्षकों को मिलने वाली अतिरिक्त सुरक्षा अब खत्म हो गई है। अब प्रबंधक DIOS से अनुमोदन लेकर शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं, जिससे शिक्षकों की स्थिति कमजोर हो गई है।

प्रबंधकों की मनमानी का आरोप
एडेड कॉलेजों के शिक्षक संगठन यह आरोप लगा रहे हैं कि प्रबंधक इस नियमावली का फायदा उठाकर बिना सही प्रक्रिया के शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं। नए आयोग में सेवा सुरक्षा का प्रावधान न होने के कारण शिक्षकों की नौकरियां असुरक्षित हो गई हैं, जिससे शिक्षकों में असंतोष बढ़ता जा रहा है।

क्या है असल समस्या?
एडेड माध्यमिक विद्यालयों का संचालन 1921 के इंटरमीडिएट ऐक्ट के तहत होता है, लेकिन 1982 में चयन बोर्ड की स्थापना के बाद सेवा सुरक्षा से जुड़े नए प्रावधान लागू किए गए थे। अब आयोग बनने के बाद इन प्रावधानों का न होना, शिक्षकों के लिए बड़ा संकट बन चुका है, जिसका प्रबंधक लाभ उठा रहे हैं। 

समाधान की मांग
शिक्षक संघ ने आयोग से अपील की है कि सेवा सुरक्षा का प्रावधान दोबारा जोड़ा जाए, ताकि शिक्षकों के खिलाफ प्रबंधकों की मनमानी पर रोक लगाई जा सके और शिक्षकों की नौकरियां सुरक्षित रह सकें। 

इस रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षकों की वर्तमान स्थिति अत्यधिक असुरक्षित हो गई है और अब यह देखना होगा कि शासन इस दिशा में क्या कदम उठाता है।



तो सुरक्षित नहीं रह गई एडेड माध्यमिक शिक्षकों की नौकरी! प्रबंधकों ने शुरू की शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई, 

शिक्षा सेवा चयन आयोग की नियमावली में सेवा सुरक्षा का नहीं किया गया जिक्र , संगठन लगा रहे मनमानी का आरोप


लखनऊ : शिक्षा सेवा चयन आयोग वनने के वाद प्रदेश के एडेड माध्यमिक शिक्षकों को अपनी नौकरी जाने का डर सताने लगा है। इसकी वजह यह है कि पहले जव माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन वोर्ड था तो उसकी नियमावली में सेवा सुरक्षा का प्रावधान था। नए आयोग की नियमावली में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। एडेड शिक्षकों का दावा है कि इसका फायदा उठाते हुए प्रदेश के कई कॉलेजों में प्रबंधकों ने शिक्षकों पर मनमाने ढंग से कार्रवाई शुरू कर दी है।


एडेड शिक्षकों का कहना है कि आयोग की नियमावली में भर्तियों के वारे में तो नियम वनाए गए हैं, लेकिन सेवा सुरक्षा संबंधी कोई प्रावधान नहीं है। इसी का फायदा उठाकर प्रबंधतंत्र मनमानी कर रहे हैं।


 माध्यमिक शिक्षक संघ (शर्मा गुट) के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. आरपी मिश्र वताते हैं कि हरदोई के वीएन इंटर कॉलेज में पहले शिक्षक जगन्नाथ की प्रसाद को निलंवित किया। फिर 30 सितंबर को सेवा समाप्त कर दी गई। माध्यमिक शिक्षक संघ (पांडेय गुट) के प्रांतीय मंत्री ओम प्रकाश त्रिपाठी बताते हैं कि गोरखपुर में भी कुछ शिक्षकों पर प्रबंधतंत्र ने इसी तरह मनमानी कार्रवाई की है।


इंटरमीडिएट ऐक्ट में सेवा सुरक्षा की सुविधा पहले से है। वह अब भी लागू है। DIOS की अनुमति से ही कोई कार्रवाई हो सकती है। उसकी अपील की भी व्यवस्था है। हां, शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से अतिरिक्त सेवा सुरक्षा थी, वह अब नहीं है, क्योंकि बोर्ड ही नहीं रहा। - डॉ. महेंद्र देव, माध्यमिक शिक्षा निदेशक


क्या है असल समस्या?

एडेड इंटर कॉलेज इंटरमीडिएट ऐक्ट 1921 के नियम-कानूनों से संचालित होते हैं। उसके बाद समय-समय पर उनमें संशोधन हुआ और नए प्रावधान लागू होते हैं। एडेड कॉलेजों में नियुक्ति अधिकारी प्रबंधक होते हैं। इंटर मीडिएट ऐक्ट में उनको ही कार्रवाई का अधिकार भी था, लेकिन इसके लिए DIOS से अनुमोदन शर्त भी थी। तब भी शिक्षकों पर बहुत कार्रवाई होती थी। प्रबंधक DIOS से आसानी से अनुमोदन करवा लेते थे।

 इसके बाद 1982 में माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड बना। नियुक्तियां वहां से होने लगीं। बोर्ड की नियमावली में धारा 21 के तहत सेवा सुरक्षा भी प्रदान की गई। कहा गया कि बोर्ड के पूर्व अनुमोदन बिना की गई कोई भी कार्रवाई विधि शून्य होगी। अब शिक्षा से संबंधित सभी विभागों में नियुक्ति के लिए आयोग बन गया है। उसमें सेवा सुरक्षा के संबंध में कोई जिक्र नहीं है। इसी का फायदा उठाकर प्रबंधकों ने कार्रवाई शुरू कर दी हैं।

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