हाईकोर्ट का बीएसए को निर्देश: सहायक अध्यापक नियुक्ति से पहले बतौर शिक्षामित्र के रूप में की गई सेवा भी जोड़ने पर करें विचार
प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सिद्धार्थनगर जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) को सहायक अध्यापक नियुक्ति से पहले की गई सेवा को वरिष्ठता निर्धारण में शामिल करने की मांग पर विचार करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव ने 48 सहायक अध्यापकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है। याचिकाकर्ताओं ने सहायक अध्यापक बनने से पहले शिक्षामित्र के रूप में की गई सेवा को वरिष्ठता निर्धारण में जोड़ने की मांग की थी।
याचिकाकर्ताओं में रामराज चौधरी और 47 अन्य जूनियर बेसिक स्कूलों के सहायक अध्यापक शामिल हैं, जिन्होंने यह याचिका दायर की थी। उन्होंने तर्क दिया कि शिक्षामित्र के रूप में उनके द्वारा दी गई सेवा को नियुक्ति के समय वरिष्ठता सूची में शामिल नहीं किया गया, जिससे उन्हें वरिष्ठता के लाभ से वंचित किया गया है। याचिका में कहा गया कि सहायक अध्यापक बनने से पहले उनकी की गई सेवा का मूल्यांकन किया जाना चाहिए और इसे उनकी वरिष्ठता में जोड़ा जाना चाहिए।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि बेसिक शिक्षा अधिकारी को नियमानुसार इस मांग पर विचार करना चाहिए और इसे सुलझाने के लिए अगले दो माह के भीतर निर्णय लेना होगा। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में नियमों और प्रावधानों के अनुसार कार्यवाही की जानी चाहिए।
यह निर्णय 48 सहायक अध्यापकों के लिए महत्वपूर्ण है, जो अपनी सेवा अवधि को वरिष्ठता में जोड़ने की उम्मीद कर रहे हैं। अगर बेसिक शिक्षा अधिकारी सहायक अध्यापक बनने से पहले की सेवा को वरिष्ठता निर्धारण में शामिल करने के पक्ष में निर्णय लेते हैं, तो इसका असर इन शिक्षकों की पदोन्नति और वेतनमान और पुरानी पेंशन पर भी पड़ सकता है।
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