DISTRICT WISE NEWS

अंबेडकरनगर अमरोहा अमेठी अलीगढ़ आगरा इटावा इलाहाबाद उन्नाव एटा औरैया कन्नौज कानपुर कानपुर देहात कानपुर नगर कासगंज कुशीनगर कौशांबी कौशाम्बी गाजियाबाद गाजीपुर गोंडा गोण्डा गोरखपुर गौतमबुद्ध नगर गौतमबुद्धनगर चंदौली चन्दौली चित्रकूट जालौन जौनपुर ज्योतिबा फुले नगर झाँसी झांसी देवरिया पीलीभीत फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूं बरेली बलरामपुर बलिया बस्ती बहराइच बागपत बाँदा बांदा बाराबंकी बिजनौर बुलंदशहर बुलन्दशहर भदोही मऊ मथुरा महराजगंज महोबा मिर्जापुर मीरजापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मेरठ मैनपुरी रामपुर रायबरेली लखनऊ लख़नऊ लखीमपुर खीरी ललितपुर वाराणसी शामली शाहजहाँपुर श्रावस्ती संतकबीरनगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुलतानपुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस हापुड़

Saturday, November 30, 2024

ऑस्ट्रेलिया ने 16 साल से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर लगाया बैन

ऑस्ट्रेलिया ने 16 साल से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर लगाया बैन


ऑस्ट्रेलिया सोलह साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध लगाने वाला पहला देश बन गया है. ऑस्ट्रेलियाई संसद द्वारा पारित इस क़ानून का उद्देश्य युवाओं को ऑनलाइन गतिविधियों से मानसिक स्वास्थ्य को होने वाले संभावित नुकसान से बचाना है.


नई दिल्ली: ऑस्ट्रेलिया 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया मंच पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध लगाने वाला पहला देश बन गया है. ऑस्ट्रेलियाई संसद द्वारा पारित इस ऐतिहासिक कानून का उद्देश्य युवाओं को ऑनलाइन गतिविधियों से मानसिक स्वास्थ्य को होने वाले संभावित नुकसान से बचाना है.


टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, आस्ट्रेलियाई सीनेट ने गुरुवार (28 नवंबर) को इस विधेयक को 19 के मुकाबले 34 मतों से पारित कर दिया. इससे पहले प्रतिनिधि सभा ने बुधवार (27 नवंबर) को 13 के मुकाबले 102 मतों से इस कानून को मंजूरी दे दी थी.


इस संबंध में प्रधान मंत्री एंथनी अल्बानीज़ ने कहा कि ये कानून ऑनलाइन गतिविधियों से होने वाले नुकसान से चिंतितअभिभावकों का समर्थन करता है.


अल्बानीज़ ने संवाददाताओं से आगे कहा, ‘अब ऐसे मंचों पर यह सुनिश्चित करने की सामाजिक ज़िम्मेदारी है कि हमारे बच्चों की सुरक्षा उनकी प्राथमिकता है.’


ऑस्ट्रेलिया के सोशल मीडिया कानून के प्रमुख प्रावधान:

आयु सत्यापन: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कम उम्र के यूजर्स को उनकी सेवाओं तक पहुंचने से रोकने के लिए जिम्मेदार होंगे.

सख्त दंड: जो कंपनियां आयु सत्यापन जरूरतों का पालन करने में असफल रहती हैं, उन्हें 50 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर तक के भारी जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है.

छूट: मैसेजिंग ऐप्स, ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म और शैक्षणिक सेवाओं को इस प्रतिबंध से छूट दी जाएगी.


फेसबुक, टिकटॉक अन्य ने कार्यान्वयन पर चिंता जताई

मालूम हो कि इस कानून में नियमों का उल्लंघन करने वाले युवाओं या अभिभावकों के लिए कोई दंड नहीं है. सोशल मीडिया कंपनियां भी यूजर्स को उनकी उम्र का आकलन करने के लिए डिजिटल आईडी सहित सरकारी पहचान प्रदान करने के लिए बाध्य नहीं कर सकेंगी.

सोशल मीडिया मंचों के पास इस बात पर विचार करने के लिए एक साल का समय है कि वे प्रतिबंध को कैसे लागू कर सकते हैं.

मेटा प्लेटफ़ॉर्म, जो फेसबुक और इंस्टाग्राम का मालिक है, ने कहा कि इस कानून को ‘जल्दबाजी’ में लाया गया है.

ज्ञात हो कि इस कानून को लेकर कई सोशल मीडिया मंचों ने शिकायत की थी कि ये अव्यवहारिक होगा. मेटा ने सीनेट से कम से कम जून 2025 तक इंतज़ार करने का आग्रह किया था, जब सरकार द्वारा आयु आकलन टेक्नोलॉजी का मूल्यांकन यह साफ़ करेगा कि छोटे बच्चों को कैसे बाहर रखा जा सकता है.

मेटा ने कहा,  ‘स्वाभाविक रूप से हम ऑस्ट्रेलियाई संसद द्वारा तय किए गए कानूनों का सम्मान करते हैं. हालांकि, हम उस प्रक्रिया के बारे में चिंतित हैं, जिसने सबूतों पर उचित विचार किए बिना कानून को जल्दबाजी में पारित कर दिया.’

वहीं, स्नैपचैट ने एक बयान में कहा, ‘हालांकि, इस कानून को व्यवहार में कैसे लागू किया जाएगा, इसके बारे में कई सवाल हैं, जिनका जवाब नहीं हैं, हम गोपनीयता को संतुलित करने वाले दृष्टिकोण को विकसित करने में मदद करने के लिए 12 महीने की कार्यान्वयन अवधि के दौरान सरकार और ईसेफ्टी कमिश्नर के साथ मिलकर काम करेंगे. सुरक्षा और व्यावहारिकता के साथ हमेशा की तरह स्नैप ऑस्ट्रेलिया में सभी लागू कानूनों और विनियमों का अनुपालन करेगा.’

कार्यवाहक प्रधानाचार्य को वेतन देने से इंकार करने के हतप्रभ करने वाले कन्नौज DIOS के आदेश पर हाईकोर्ट की रोक

कार्यवाहक प्रधानाचार्य को वेतन देने से इंकार करने के हतप्रभ करने वाले कन्नौज DIOS के आदेश पर हाईकोर्ट की रोक


■ पुराना शिक्षा कानून समाप्त, नया प्रभावी नहीं 
■ वेतन सरकार देगी, बोर्ड आयोग से सरोकार नहीं


प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि उप्र माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड अधिनियम समाप्त हो चुका है और नए शिक्षा चयन बोर्ड का अभी क्रियान्वयन नहीं हो सका है, इसलिए कार्यकारी प्रधानाचार्य को वेतन से इनकार करने का जिला विद्यालय निरीक्षक कन्नौज का आदेश हतप्रभ करने वाला है।


कोर्ट ने कहा कि याची को वेतन भुगतान सरकार को करना है। इससे शिक्षा बोर्ड या आयोग से कोई सरोकार नहीं है। इसी के साथ कोर्ट ने जिला विद्यालय निरीक्षक का गत 26 सितंबर का आदेश विधि विरुद्ध करार देते हुए निरस्त कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने आदर्श शिक्षा सदन इंटर कॉलेज अलीपुर सौरिख के कार्यकारी प्रधानाचार्य विनोद कुमार यादव की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।


याची के अधिवक्ता अनुराग शुक्ल का कहना था कि याची वरिष्ठतम अध्यापक है। नियमानुसार प्रधानाचार्य का पद रिक्त होने पर उसे चार्ज सौंपा गया। बाद में डीआईओएस हस्ताक्षर प्रमाणित किया और वह कार्यरत है। याची ने कार्यकारी प्रधानाचार्य के पद का वेतन भुगतान करने की अर्जी दी। डीआईओएस ने अर्जी को यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि पुराना कानून समाप्त हो गया है।

बेसिक शिक्षा विभाग के वरिष्ठ सहायक 40 हजार की घूस लेते गिरफ्तार, इटावा में विजिलेंस ने रंगे हाथ पकड़ा, सीसीटीवी फुटेज जारी कर बीएसए ने बताया निर्दोष


बेसिक शिक्षा विभाग के वरिष्ठ सहायक 40 हजार की घूस लेते गिरफ्तार, इटावा में विजिलेंस ने रंगे हाथ पकड़ा, सीसीटीवी फुटेज जारी कर बीएसए ने बताया निर्दोष


इटावा के बेसिक शिक्षा कार्यालय के वरिष्ठ सहायक को विजिलेंस टीम ने रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा। विजिलेंस टीम बाबू को लेकर कार्यालय से रवाना हो गई। आरोपी बाबू को लेकर विजिलेंस टीम शहर के थानों को छोड़कर ग्रामीण क्षेत्र के थाना बकेवर पहुंची है।


हालांकि इस मामले पर बेसिक शिक्षा अधिकारी आरोपी बाबू का पक्ष लेते हुए नजर आए। शिक्षक द्वारा करीब 40 हजार रुपए की रिश्वत देने की बात बताई जा रही है। बता दें कि इन्स्पेक्टर सीमा सिंह अपनी 12 सदस्यीय विजिलेंस टीम के साथ कानपुर से आई थी। 40 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए पकड़ा है।

 
जानकारी के मुताबिक इटावा बेसिक शिक्षा विभाग के वरिष्ठ सहायक शिवकुमार को आज एक मामले में 40 हजार रूपए का रिश्वत लेते हुए विजिलेंस की टीम ने रंगे हाथ धर दबोचा। विजिलेंस टीम की इस कार्रवाई से विभाग में हड़कंप मच गया है।


BSA ने सीसीटीवी फुटेज जारी कर बताया निर्दोष

बताया जा रहा है कि जसवंतनगर के बनकटी में तैनात शिक्षक विनय कुमार त्रिपाठी की शिकायत पर विजिलेंस टीम ने वरिष्ठ सहायक को रिश्वत लेते हुए पकड़ा है। बेसिक शिक्षा अधिकारी राजेश कुमार ने कार्यालय के अंदर का सीसीटीवी वीडियो जारी करते हुए वरिष्ठ सहायक रिश्वत के आरोपी शिवकुमार को निर्दोष बता रहे हैं। इस मामले को लेकर डीएम से मिलने पहुंचे हैं।


कार्यालय में मौजूद सस्पेंड प्रधानाध्यापक उदय नारायण तिवारी ने बताया कि जिस वरिष्ठ सहायक को आज टीम के द्वारा पकड़ा गया है। वह बेहद भ्रष्ट व्यक्ति हैं। बिना रिश्वत के कोई भी कार्य नहीं करते हैं।


BSA बोले-जांच के कारण रची साजिश

बेसिक शिक्षा अधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि शिक्षक विनय कुमार त्रिपाठी ने विजिलेंस टीम को शिकायत की है। उसके खिलाफ वरिष्ठ सहायक शिव कुमार जांच कर रहे थे। जिसके चलते यह साजिश रची गई। हालांकि सीसीटीवी में बाबू को रिश्वत देने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन उन्होंने रुपए फेंक दिए यह दिखाई दे रहा हैं।


नौकरियों के लिए मानक डिग्री के बराबर होंगी एडीपी-ईडीपी, मेधावी छात्र चार वर्षीय स्नातक डिग्री अधिकतम दो सेमेस्टर पहले कर सकेंगे हासिल


नौकरियों के लिए मानक डिग्री के बराबर होंगी एडीपी-ईडीपीमेधावी छात्र चार वर्षीय स्नातक डिग्री अधिकतम दो सेमेस्टर पहले कर सकेंगे हासिल

छात्र स्नातक की अवधि घटा-बढ़ा सकेंगे, यूजीसी का बड़ा ऐलान 


नई दिल्ली । उच्च शिक्षण संस्थानों में स्नातक की पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिए यूजीसी ने गुरुवार को बड़ा ऐलान किया। जल्द ही छात्रों को डिग्री प्रोग्राम की मानक अवधि की बजाय पढ़ाई की अवधि कम करने या बढ़ाने का विकल्प मिलेगा।


यूजीसी ने इसी हफ्ते एक बैठक में त्वरित डिग्री प्रोग्राम (एडीपी) और विस्तारित डिग्री कार्यक्रम (ईडीपी) की पेशकश के लिए एसओपी को मंजूरी दी। मसौदा मानदंडों को अब हितधारकों की प्रतिक्रिया के लिए सार्वजनिक पटल पर रखा जाएगा।


सिर्फ कार्यक्रम की अवधि में हो सकेगा परिवर्तन जगदीश कुमार ने कहा कि परिवर्तन कार्यक्रम की अवधि में होगा। छात्रों के पास पहले सेमेस्टर या दूसरे सेमेस्टर के अंत में एडीपी चुनने का विकल्प होगा, आगे नहीं। एडीपी वाले छात्र सेमेस्टर शुरू होने पर अतिरिक्त क्रेडिट लेंगे। पहले सेमेस्टर के बाद शामिल होते हैं, तो दूसरे सेमेस्टर से अतिरिक्त क्रेडिट लेंगे। तीन-वर्षीय या चार-वर्षीय स्नातक में अवधि अधिकतम दो सेमेस्टर तक बढ़ेगी। इसके अनुसार, छात्र हर सेमेस्टर में कम क्रेडिट अर्जित कर सकते हैं।


यूजीसी अध्यक्ष जगदीश कुमार ने बताया कि डिग्रियों में एक स्व-निहित नोट का उल्लेख होगा कि एक मानक अवधि में जरूरी एकेडमिक जरूरतों को छोटी या विस्तारित अवधि में पूरा किया गया है। साथ ही इसे शैक्षणिक, भर्ती उद्देश्यों के लिए मानक अवधि की डिग्री के बराबर माना जाएगा।


उन्होंने कहा, एडीपी के तहत छात्रों को प्रति सेमेस्टर अतिरिक्त क्रेडिट अर्जित करके तीन साल या चार साल का पाठ्यक्रम कम समय में पूरा करने का विकल्प मिलेगा, जबकि ईडीपी में प्रति सेमेस्टर कम क्रेडिट अर्जित करके पाठ्यक्रम की अवधि बढ़ाने का विकल्प मिलेगा।


नौकरियों के लिए मानक डिग्री के बराबर होंगी एडीपी-ईडीपी

नई दिल्ली। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नए नियम के अनुसार त्वरित डिग्री कार्यक्रम (एडीपी) व विस्तारित डिग्री कार्यक्रम (ईडीपी) के तहत मिलने वाली डिग्री नौकरियों के लिए मानक डिग्री के बराबर होगी। सरकारी विभागों, निजी संस्थानों के अलावा यूपीएससी, एसएससी भी एडीपी और ईडीपी को सामान्य डिग्री की तरह मान्य मानेंगे, ताकि किसी भी छात्र को आवेदन के समय पात्रता मापदंड में दिक्कत न हो।

यूजीसी अध्यक्ष के मुताबिक, एडीपी मेधावी छात्रों को प्रति सेमेस्टर अतिरिक्त क्रेडिट प्राप्त कर 3-4 साल की डिग्री कम समय में पूरी करने का मौका देता है। एडीपी का विकल्प चुनने वाले छात्र पहले सेमेस्टर या फिर दूसरे सेमेस्टर की समाप्ति पर डिग्री पूरी करने की अवधि में बदलाव का चयन कर सकते हैं। इसके बाद अनुमति नहीं मिलेगी। जो एडीपी चुनेंगे, उनको एडिशन क्रेडिट मिलेंगे। 


डिग्री इस तरह मिलेगी : मेधावी छात्रों को डिग्री के लिए दीक्षांत समारोह में डिग्री अवार्ड का इंतजार नहीं करना होगा। उनको पहले डिग्री दे दी जाएगी।


■ जल्दी या धीमी गति से कोर्स पूरा करने वाले छात्रों की डिग्री पर एक स्पेशल नोट लिखा होगा। इसमें इस बात का जिक्र होगा कि छात्र ने डिग्री कितने समय में पूरी की है। जैसे चार वर्षीय डिग्री प्रोग्राम में लिखा होगा कि छात्र ने छह या सात सेमेस्टर में कोर्स पूरा किया है, वैसे यह आठ सेमेस्टर में पूरी होती है। ऐसे ही तीन साल वाले में पांच सेमेस्टर में पूरा किया है। जबकि कुल छह सेमेस्टर होते हैं।

BEO Arrested: कबाड़ी के यहां किताब की बिक्री मामले में बीईओ गिरफ्तार

BEO Arrested: कबाड़ी के यहां किताब की बिक्री मामले में बीईओ गिरफ्तार


सिद्धार्थनगर। बांसी कोतवाली की पुलिस ने परिषदीय विद्यालय की पुस्तकों को कबाड़ी से बेचने के मामले शुक्रवार को पांचवें आरोपी खंड शिक्षा अधिकारी बांसी अखिलेश सिंह को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद उन्हें जेल भेज दिया है।


बताते चलें कि 15 अक्तूबर परिषदीय विद्यालय की पुस्तक बेचने के मामले में कोतवाली पुलिस ने दो कबाड़ी और दो खंड शिक्षा अधिकारी बांसी के कार्यालय सहायक कुल चार लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। 


बच्चों को पढ़ने के लिए निशुल्क पुस्तकें उपलब्ध कराई गई कक्षा एक से आठ तक की पुस्तक खंड शिक्षा अधिकारी बांसी के कार्यालय में पड़ी थी। जिसे विद्यालयों में न भेजकर अतिरिक्त आमदनी के लिए कबाड़ी के हाथ बेच दिया था। 15 अक्तूबर को मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने एक पिकअप से कक्षा एक से आठ तक की 8 क्विंटल किताबों को ले जाते समय कबाड़ी को पकड़ा था।


पकड़े गए कबाड़ी कस्बे के शास्त्रीनगर वार्ड निवासी अंकित कसेरा व प्रतीक कसेरा उर्फ गोपाल और खंड शिक्षा अधिकारी बांसी कार्यालय सहायक शहाबुद्दीन पुत्र मो इस्लाम निवासी नेउरी थाना मिश्रौलिया व अनुचर रामजस निवासी प्रतापनगर कस्बा बांसी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। 


इसमें पांचवें आरोपी के रूप में बीईओ थे। पुलिस उनकी गिरफ्तारी के लिए लगी थी। शुक्रवार को मौके पर पहुंचकर दबोच लिया। इस संबंध में कोतवाल बांसी राम कृपाल शुक्ल ने बताया कि पांचवें आरोपी खंड शिक्षा अधिकारी बांसी अखिलेश सिंह को गिरफ्तार कर न्यायालय भेज दिया गया है।

Friday, November 29, 2024

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की पहल पर ढाई साल में 12,021 छात्रों ने किया यूपी के राजभवन का शैक्षिक भ्रमण

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की पहल पर ढाई साल में 12,021 छात्रों ने किया यूपी के राजभवन का शैक्षिक भ्रमण


लखनऊ: बीते ढाई वर्षों में राजभवन का शैक्षिक भ्रमण 12,021 विद्यार्थी कर चुके हैं। 71 स्कूलों के ये छात्र यहां सांस्कृतिक धरोहरों और इतिहास के बारे में जानकारी ले चुके हैं। कोई भी विद्यालय पूर्व में सूचना देकर सप्ताह में किसी भी दिन राजभवन का शैक्षिक भ्रमण अपने विद्यार्थियों को करा सकता है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की पहल पर अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर 21 जून 2022 को इसकी शुरुआत की गई थी। तभी से सुबह नियमित योगाभ्यास भी यहां लोगों को कराया जा रहा है।


राजभवन में शैक्षिक भ्रमण के दौरान छात्रों को ऐतिहासिक व सांस्कृतिक महत्व वाले कई स्थानों के अवलोकन का अवसर प्राप्त हुआ। राज्यपाल की इस अभिनव पहल से बच्चों को न केवल शैक्षिक अनुभव प्राप्त हो रहा है बल्कि उन्हें समृद्ध शैक्षिक अनुभव भी प्राप्त हो रहा है। इन छात्रों के साथ-साथ डेढ़ लाख लोग हर वर्ष राजभवन का भ्रमण कर यहां की प्राकृतिक सुंदरता व स्वच्छ वातावरण का आनंद ले रहे हैं।

मदरसों से एनसीईआरटी की किताबें गायब, ढाई महीने से जवाब न मिलने पर मंत्री जी खफा

मदरसों से एनसीईआरटी की किताबें गायब, ढाई महीने से जवाब न मिलने पर मंत्री जी खफा


लखनऊ । प्रदेश के मदरसों में एनसीईआरटी की किताबों का वितरण अचानक रोक दिया गया। इसकी जानकारी मिलने पर अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओपी राजभर ने नाराजगी जताते हुए 9 सितंबर 2024 को अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इसकी रिपोर्ट तलब की, लेकिन करीब ढाई माह से अधिक समय बीतने के बाद भी जवाब नहीं दिया गया है।


प्रदेश में वर्ष 2017 में भाजपा सरकार बनने के बाद गठित प्रगतिवादी मदरसा बोर्ड ने 15 मई 2018 को मदरसों में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू करने का आदेश दिया था। इसका शासनादेश 30 मई 2018 को जारी हुआ। 


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सभी मान्यताप्राप्त व अनुदानित मदरसों में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू करने का आदेश दिया था। इस पर अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने तीन साल तक एनसीईआरटी किताबें वितरित कीं, लेकिन वर्ष 2023 में बिना उच्चस्तरीय अनुमोदन लिए इसे रोक दिया गया।


दबाव में पीछे किए कदम : मदरसा शिक्षा परिषद के अध्यक्ष डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद की अध्यक्षता में 18 जनवरी 2023 को हुई बैठक में बेसिक शिक्षा विभाग की तरह एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू करने पर सहमति बनी थी।


मदरसों में एनसीईआरटी की किताबों का वितरण रोक दिया गया है। इस पर जवाब मांगा है। - ओमप्रकाश राजभर, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री

निदेशक तक पहुंचा प्राचार्यों और प्रबंधकों में बढ़ी तनातनी का मामला, 2019 के विज्ञापन के तहत 290 प्राचार्यों को मिली थी नियुक्ति, अब तक 100 का इस्तीफा

निदेशक तक पहुंचा प्राचार्यों और प्रबंधकों में बढ़ी तनातनी का मामला, 2019 के विज्ञापन के तहत 290 प्राचार्यों को मिली थी नियुक्ति,  अब तक 100 का इस्तीफा



प्रयागराज। अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में प्रबंधकों व प्राचार्यों के बीच तनातनी बढ़ गई है। इस मसले पर प्रदेशभर के 70 प्रचार्यों ने बृहस्पतिवार को उत्तर प्रदेश प्राचार्य परिषद के बैनर तले उच्च शिक्षा निदेशक से मिलकर अपनी शिकायत दर्ज कराई और ज्ञापन सौंपा।


प्राचार्यों ने उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमित भारद्वाज को बताया कि वर्ष 2019 के विज्ञापन संख्या-49 के तहत अशासकीय महाविद्यालयों में प्राचार्यों के 290 पदों पर भर्ती की गई थी। तीन साल पहले सभी प्राचार्यों को नियुक्ति भी मिल गई। लेकिन, इस दौरान प्रचार्यों को प्रबंधन की मनमानी के कारण काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।


प्राचार्य परिषद की ओर से कई बार उचित फोरम पर समस्याओं को रखा गया। लेकिन, अभी तक समाधान की बात सामने नहीं आई। उत्तर प्रदेश के विभिन्न महाविद्यालयों में प्रबंध तंत्र द्वारा अनेकों प्राचार्यों को अवैध तरीके से नोटिस देकर निलंबित व बर्खास्त कर दिया गया। प्राचार्यों को इस्तीफे के लिए मजबूर किया गया। अब तक 100 प्राचार्य प्रबंधन की मनमानी के कारण इस्तीफा देकर अपने मूल पद पर वापस जा चुके हैं।


हाल ही में गाजियाबाद, ललितपुर एवं कानपुर के प्रतिष्ठित महाविद्यालयों के प्राचायों को प्रबंधन ने मनमानी करते हुए निलंबित कर दिया। गाजियाबाद के एक कॉलेज के मामले में उच्च शिक्षा निदेशक व कुलपति के हस्तक्षेप के बाद भी कॉलेज प्रबंधन मनमानी पर अड़ा है। जबकि, कुलपति ने कॉलेज प्रबंधन को निर्देश दिए हैं कि प्राचार्य का निलंबन वापस लिया जाए और उन्हें पद की जिम्मेदारी सौंपी जाए।


प्राचार्यों ने कहा कि प्रबंधन उन्हें शासन की मंशा के अनुरूप काम करने से रोक रहा है। निदेशक से मांग की गई कि प्राचार्यों के निलंबन को रोकने के लिए विश्वविद्यालय अधिनियम/परिनियम को संशोधित किया जाए और निलंबन पर कुलपति की संस्तुति मिलने पर ही उसे प्रभावी माना जाए। निदेशक के सामने कुछ अन्य मांगें भी रखी गई। जो प्राचार्य मातृ संस्था से अवकाश लेकर प्राचार्य पद पर आए हैं, उन्हें पांच वर्ष के लिए असाधारण अवकाश दिया जाए।


राजकीय की जगह अशासकीय कॉलेजों में भी कर्मचारियों को आउटसोर्सिंग पर रखने के लिए बजट आवंटित किया जाए। निदेशक डॉ. अमित भारद्वाज ने प्राचार्यों की मांग पर त्वरित कार्यवाही का आश्वासन दिया। प्राचार्यों ने कहा कि मांगें पूरी नहीं हुई तो अब राज्यपाल से मिलेंगे।


इस मौके पर प्रो. विवेक द्विवेदी, प्रो. ब्रजेंद्र सिंह, प्रो. मुकेश, प्रो. रणंजय, प्रो. अनूप, प्रो. निवेदिता मलिक, प्रो.अलका रानी, प्रो. प्रदीप पांडेय, प्रो. ब्रजेश जायसवाल रहे।

शिक्षा विभाग करेगा अटल जी की प्रेरणा को छात्रों तक पहुंचाने का प्रयास, व्याख्यान और काव्य गोष्ठियों के जरिए बच्चों को दी जाएगी प्रेरणा

उत्तर प्रदेश में अटल बिहारी बाजपेई की जन्म शताब्दी वर्ष मनाने की व्यापक तैयारी, शिक्षण संस्थाओं में होगा अटल जी के आदर्शों का प्रचार-प्रसार 

शिक्षा विभाग करेगा अटल जी की प्रेरणा को छात्रों तक पहुंचाने का प्रयास, व्याख्यान और काव्य गोष्ठियों के जरिए बच्चों को दी जाएगी prerana 


भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के शताब्दी वर्ष (25 दिसंबर 2024 से 25 दिसंबर 2025) के आयोजन को लेकर राज्य के सभी शिक्षा विभागों में तैयारियां शुरू हो गई हैं। इस वर्ष के दौरान अटल जी की जन्मशती के उपलक्ष्य में विविध गतिविधियों का आयोजन होगा। विशेष रूप से बेसिक शिक्षा विभाग ने छात्रों में उनकी प्रेरणादायक जीवनगाथा और आदर्शों का प्रचार-प्रसार करने के लिए कई कार्यक्रमों की योजना बनाई है।  



बेसिक शिक्षा विभाग की योजनाएं: 
बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित किए जाने वाले मुख्य कार्यक्रमों में निम्नलिखित शामिल हैं:  

1. व्याख्यान और काव्य गोष्ठियां
   - अटल जी के जीवन और कृतित्व पर केंद्रित प्रेरणादायक व्याख्यान और कविताओं का आयोजन किया जाएगा।  

2. निबंध और पोस्टर प्रतियोगिताएं
   - अटल जी के आदर्शों और उपलब्धियों पर आधारित निबंध और पोस्टर प्रतियोगिताओं में छात्र अपनी रचनात्मकता प्रदर्शित करेंगे।  

3. क्विज और संवाद
   - छात्रों के बीच अटल जी के व्यक्तित्व और राजनीति से संबंधित क्विज और संवाद सत्र आयोजित किए जाएंगे।  

4. रैलियां और नाट्य मंचन
   - विद्यालयों में जागरूकता फैलाने के लिए रैलियों और नाटकों का आयोजन होगा।  

5. पोस्टर और बैनर प्रदर्शन
   - सभी विद्यालयों में अटल जी के जीवन पर आधारित पोस्टर और बैनर प्रदर्शित किए जाएंगे।  




उच्च शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा विभाग के निर्देश: 
उच्च और माध्यमिक शिक्षा विभाग भी इसी तर्ज पर व्याख्यान, काव्य गोष्ठी, निबंध प्रतियोगिता, रैली, क्विज, वाद-विवाद, संवाद, पोस्टर प्रतियोगिता, और नाट्य मंचन जैसे कार्यक्रम आयोजित करेंगे।  

प्राविधिक शिक्षा विभाग का योगदान:
प्राविधिक शिक्षा विभाग के तहत तकनीकी शिक्षण संस्थानों में छात्रों के बीच अटल जी के जीवन से जुड़ी गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा।  

संवेदनशीलता और शिक्षा का समन्वय 
बेसिक शिक्षा विभाग ने प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में इन कार्यक्रमों को विशेष प्राथमिकता देते हुए छात्रों और शिक्षकों के लिए आकर्षक और शिक्षाप्रद बनाने पर जोर दिया है।  

इस प्रकार, सभी शिक्षा विभागों का प्रयास होगा कि श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के प्रेरणादायक व्यक्तित्व से नई पीढ़ी को परिचित कराकर उनके आदर्शों को आत्मसात किया जाए।  




Thursday, November 28, 2024

69000 शिक्षक भर्ती में नहीं हो पाई सुनवाई, अगली डेट 10 दिसम्बर को सुनवाई संभावित

69000 शिक्षक भर्ती में नहीं हो पाई सुनवाई, अगली डेट 10 दिसम्बर को सुनवाई संभावित 


28 नवंबर 2024
लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी। इस पर अभ्यर्थियों ने निराशा जताई है। अभी अगली सुनवाई की प्रस्तावित तिथि 10 दिसंबर है, हालांकि इससे पहले भी सुनवाई संभावित है। अभ्यर्थियों ने एक बार फिर से प्रदेश सरकार से इस मामले में पहल करने की मांग की है।

आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने बताया कि आज प्रस्तावित सुनवाई अपरिहार्य कारणों से नहीं हो सकी। उन्होंने कहा कि अभ्यर्थियों का न्याय की उम्मीद बढ़ती जा रही है। वहीं भास्कर सिंह व सुशील कश्यप ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में सिर्फ 2000 आरक्षण प्रभावित अभ्यर्थी ही याची बने हैं। ऐसे में प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह 10 दिसंबर को होने वाली सुनवाई में याची लाभ का प्रस्ताव प्रस्तुत करे। ताकि इस मामले का निस्तारण हो सके।

उन्होंने कहा कि वह एक से तीन दिसंबर तक ई-मेल भेजकर राष्ट्रपति, मुख्य न्यायाधीश आदि से जल्द से जल्द इस मामले की सुनवाई की अपील करेंगे। दूसरी तरफ अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की लड़ाई लड़ रहे विनय पांडेय ने कहा कि जल्द ही इस मामले में सुनवाई होने की उम्मीद है। 



69000 शिक्षक भर्ती की सुप्रीम कोर्ट में नहीं हो सकी सुनवाई, अब 27 नवंबर को होगी अगली सुनवाई 

21 नवंबर 2024
लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती मामले की बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी थी। किंतु कतिपय कारणों से यह सुनवाई नहीं हो सकी। इससे अभ्यर्थियों में निराशा है। सुनवाई की अगली तिथि 27 नवंबर लगी है। 69000 शिक्षक भर्ती मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 13 अगस्त को पुरानी सभी सूची को निरस्त करते हुए आरक्षण नियमों के अनुसार नई सूची बनाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद चयनित अभ्यर्थी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट चले गए। 


69000 शिक्षक भर्ती की सुप्रीम कोर्ट में अब 27 नवंबर को होगी सुनवाई

लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती मामले की बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हो पाई। इससे अभ्यर्थियों में निराशा है। अब 27 नवंबर सुनवाई होगी। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 13 अगस्त को पुरानी सभी सूची को निरस्त करते हुए आरक्षण नियमों के अनुसार नई सूची बनाने के निर्देश दिए थे। 
इसके बाद चयनित अभ्यर्थी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट चले गए। जहां मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने हाईकोर्ट की डबल बेंच के आदेश पर नौ सितंबर को सुनवाई के बाद रोक लगा दी थी। आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने कहा कि 23 सितंबर के बाद से लगातार डेट मिल रही है। इससे अभ्यर्थियों में निराशा है।

चयनित वर्ग के अभ्यर्थियों का नेतृत्व कर रहे विनय पांडेय ने कहा कि अब 27 नवंबर को होने वाली सुनवाई में न्याय की उम्मीद है। 



69000 शिक्षक भर्ती की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज,  सुनवाई पर टिकी अभ्यर्थियों की उम्मीद 

20 नवम्बर 2024
लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती मामले की बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। इससे अभ्यर्थियों को उम्मीद है कि उनके मामले में निर्णय होगा और उन्हें जल्द न्याय मिलेगा। पिछले कई तारीखों पर सुनवाई नहीं हो सकी है, इससे प्रभावित अभ्यर्थी निराश हैं। पहले सुनवाई की प्रस्तावित तिथि 19 नवंबर थी जो अब बदलकर 20 नवंबर को हो गई है।

69000 शिक्षक भर्ती मामले में 13 अगस्त को लखनऊ हाईकोर्ट की डबल बेंच ने नई सूची बनाकर आरक्षण नियमों का पालन करते हुए नई सूची जारी करने का निर्देश दिया था। इसे अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थीयों के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

वहीं आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी सरकार से इसका पालन किए जाने के लिए मांग कर रहे थे। किंतु इस पर निर्णय नहीं हो सका और अब इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है।

आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने लखनऊ हाईकोर्ट के डबल बेंच के आदेश पर नौ सितंबर को सुनवाई के बाद रोक लगा दी थी। साथ ही 23 सितंबर को अगली सुनवाई की तिथि तय की थी। लेकिन इस तिथि को सुनवाई नहीं हो सकी। फिर 15 अक्तूबर और 12 नवंबर की तिथि लगी। किंतु इस दिन भी सुनवाई नहीं हो सकी। इसको लेकर अभ्यर्थी निराश हैं।




कल नहीं हो सकी सुनवाई, 69000 शिक्षक भर्ती मामले में अब 19 नवंबर को होगी सुनवाई

13 नवंबर 2024
लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ में यह सुनवाई होनी थी। लेकिन, समयाभाव के कारण केस की सुनवाई नहीं हो सकी। वहीं अगली तिथि 19 नवंबर प्रस्तावित की गई है।

69000 शिक्षक भर्ती : आज भी नहीं हो सकी सुनवाई

लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच में आज इस मामले पर सुनवाई होनी थी। अगली तिथि 19 नवंबर प्रस्तावित की गई है। आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी इस भर्ती में आरक्षण में गड़बड़ी के आरोप लगा रहे हैं। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के पक्ष में निर्णय देते हुए पुरानी सभी सूची निरस्त करते हुए नई सूची जारी करने के निर्देश दिए थे। इसे लेकर चयनित वर्ग के अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट चले गए हैं।



69000 शिक्षक भर्ती की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज

11 नवम्बर 2024
लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई मंगलवार 12 नवंबर को होगी। यह सुनवाई 15 नवंबर को प्रस्तावित थी। सुनवाई पहले होने के कारण आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने सोमवार को बैठक कर आगे की रणनीति बनाई। साथ ही उम्मीद जताई कि उन्हें जल्द ही न्याय मिलेगा। 


सुप्रीम कोर्ट में यह मामला अक्तूबर से चल रहा है। सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने इस मामले की एक सुनवाई हुई है। इसके बाद से इस पर डेट लग रही है। दिवाली से पहले इस मामले में अगली तिथि 15 नवंबर को प्रस्तावित हुई थी। किंतु अब यह 12 नवंबर को ही लग गई है।


 पिछड़ा दलित संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कश्यप व प्रदेश संरक्षक भास्कर सिंह ने बैठक में कहा कि वह 2020 से इस मामले की लड़ाई लड़ रहे हैं। 

Tuesday, November 26, 2024

One Nation One Subscription: वन नेशन-वन सब्सक्रिप्शन योजन को मंजूरी, डेढ़ करोड़ छात्रों को मिलेगा लाभ; विस्तार से जानिए क्या है ये योजना

वन नेशन-वन सब्सक्रिप्शन योजन को मंजूरी, डेढ़ करोड़ छात्रों को मिलेगा लाभ; विस्तार से जानिए क्या है ये योजना


केंद्र सरकार ने देशभर के छात्रों को बड़ी सौगात दी है। सोमवार को केंद्रीय कैबिनेट ने वन नेशन-वन सब्सक्रिप्शन स्कीम को हरी झंडी दे दी है। मोदी सरकार आने वाले तीन सालों में छह हजार करोड़ रुपये इस योजना पर खर्च करेगी। अटल इनोवेशन मिशन के नए चरण को भी मंजूरी दी गई है। वन नेशन-वन सब्सक्रिप्शन स्कीम से शिक्षण संस्थानों को जोड़ा जाएगा।


🔴  इनोवेशन की राह से हटेंगी भाषाई दिक्कतें।
🔴  अटल इनोवेशन मिशन का नया चरण शुरू।
🔴  देश में 30 नए इनोवेशन सेंटर होंगे स्थापित।


नई दिल्ली। सरकार ने शोध और इनोवेशन को रफ्तार देने के लिए दो और नई घोषणाएं की हैं। इनमें पहला छात्रों-शिक्षकों तक दुनियाभर के शोध पत्रों और जर्नल की पहुंच को आसान बनाने के लिए वन नेशन-वन सब्सक्रिप्शन स्कीम है। इसके चलते छात्रों को अब दुनियाभर के शोध पत्रों और जर्नल की तलाश के लिए भटकना नहीं होगा, बल्कि उन्हें यह सारा कुछ एक जगह पर ही मिल जाएगा। इस स्कीम पर अगले तीन सालों में छह हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे।


अटल इनोवेशन मिशन का नया चरण शुरू
दूसरा बड़ा एलान अटल इनोवेशन मिशन के नए चरण को शुरू करने को लेकर है। इसके तहत 30 ऐसे नए इनोवेशन सेंटर स्थापित होंगे, जिसमें भाषा का कोई बंधन नहीं होगा। यानी कोई भी छात्र यहां स्थानीय भाषा में भी काम कर सकेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुआई में सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इन दोनों पहलों से छात्रों और युवाओं को शोध व इनोवेशन के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।


शिक्षण संस्थानों को जोड़ा जाएगा
उन्होंने बताया कि वन नेशन-वन सब्सक्रिप्शन स्कीम से देश के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों और शोध संस्थानों को जोड़ा जाएगा। इस स्कीम के तहत उन्हें दुनियाभर के सभी शोध पत्र व जर्नल मुहैया कराए जाएंगे। इसमें कुल 30 प्रमुख अंतरराष्ट्रीय पत्रिका प्रकाशकों को शामिल किया गया है। इन प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित लगभग 13,000 ई-पत्रिकाएं अब 6,300 से अधिक सरकारी उच्च शिक्षा संस्थानों व केंद्र सरकार के अनुसंधान एवं विकास संस्थानों के लिए सुलभ होंगी।


अटल इनोवेशन मिशन पर खर्च होंगे 2,750 करोड़
अश्विनी वैष्णव ने बताया कि कैबिनेट ने इसके साथ ही अटल इनोवेशन मिशन के नए चरण को भी शुरू करने की मंजूरी दी है। इसके तहत देश में 30 नए ऐसे इनोवेशन सेंटर खोले जाएंगे, जहां किसी भी स्थानीय भाषा के छात्र आकर इनोवेशन से जुड़ा काम कर सकते हैं। इस मिशन पर सरकार 2,750 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर व पूर्वोत्तर के राज्यों में भी करीब एक हजार नए इनोवेशन लैब स्थापित किए जाएंगे। इस मिशन के तहत इनोवेशन की ब्रांडिंग भी की जाएगी।

जूनियर हाईस्कूलों में चयन प्रक्रिया जल्द, सीएम योगी ने दिया आश्वासन, शासन ने महानिदेशक स्कूल शिक्षा को भेजा पांचवां रिमाइंडर

जूनियर हाईस्कूलों में चयन प्रक्रिया जल्द, सीएम ने दिया आश्वासन, शासन ने महानिदेशक स्कूल शिक्षा को भेजा पांचवां रिमाइंडर

प्रधानाध्यापक के 390 व सहायक अध्यापक के 1507 पदों पर तीन साल से अटकी है भर्ती


प्रयागराज। अशासकीय सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों में प्रधानाध्यापक व सहायक अध्यापक के पदों पर भर्ती के लिए लिखित परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों की नियुक्ति प्रक्रिया जल्द शुरू होगी। सोमवार को गोरखपुर में जनता दरबार में गुहार लगाने पहुंचे प्रतियोगी छात्रों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह आश्वासन दिया। वहीं, नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने के लिए शासन ने महानिदेशक स्कूल शिक्षा को पांचवां रिमाइंड भेज कर प्रस्ताव मांगा है।


जूनियर एडेड शिक्षक भर्ती का विज्ञापन 2021 में आया था, जिसके तहत प्रधानाध्यापक के 390 व सहायक अध्यापक के 1507 पदों पर भर्ती होनी थी। इसके लिए अक्तूबर 2021 में परीक्षा कराई गई और नवंबर 2021 में परिणाम भी आ गया। हालांकि परिणाम में गड़बड़ी को लेकर कई अभ्यर्थी न्यायालय चले अभ्यर्थियों की नियुक्ति प्रक्रिया बीच में ही रोक दी गई।


उच्च न्यायालय ने 15 फरवरी 2024 को समस्त रिट खारिज करते हुए भर्ती का मार्ग प्रशस्त कर दिया। लेकिन, अब आरक्षण नीति स्पष्ट न होने से चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति अटकी हुई है। लिखित परीक्षा में 43 हजार से अधिक अभ्यर्थी सफल हुए थे, जिन्हें काउंसलिंग में शामिल होना है। काउंसलिंग के बाद चयनित अभ्यर्थियों की अंतिम लिस्ट जारी की जाएगी।


नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने के लिए शासन की ओर से चार बार महानिदेशक स्कूल शिक्षा को पत्र भेजा जा चुका है। ये पत्र तीन अक्तूबर 2024, आठ अक्तूबर, 18 अक्तूबर व आठ नवंबर को प्रेषित किए गए थे। विशेष सचिव यतींद्र कुमार की ओर से महानिदेशक स्कूली शिक्षा को पांचवां रिमाइंडर भेजकर प्रस्ताव शासन को तत्काल उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है, ताकि नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की जा सके।


अभ्यर्थी आरोप लगा रहे हैं कि निदेशक बेसिक शिक्षा और एडी बेसिक की लापरवाही के कारण प्रस्ताव अटका हुआ है। इस मसले पर जूनियर एडेड शिक्षक भर्ती संघर्ष समिति की टीम गोरखपुर में जनता दरबार के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिली और उन्हें समस्या बताई। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है कि यह भर्ती उनके संज्ञान में है और जल्द पूरी होगी।


इसके पहले भी नागेंद्र पांडेय (प्रदेश अध्यक्ष) के नेतृत्व में अभ्यर्थी जनता दरबार गोरखपुर और लखनऊ में मुख्यमंत्री से मिल चुके है, लेकिन सोमवार को पहली बार एक ही दिन में दो बार जूनियर एडेड शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थी मुख्यमंत्री मिले। प्रदेश अध्यक्ष नागेंद्र पांडेय का कहना है कि आरक्षण के नाम पर अफसरों ने भर्ती को उलझाकर रखा है। रिजल्ट के तीन साल बाद भी अभ्यर्थी नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं।



जूनियर एडेड भर्ती के लिए सीएम योगी से लगाई गुहार

प्रयागराज। प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों में शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों ने सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गोरखपुर में जनता दरबार में मुलाकात कर नियुक्ति की गुहार लगाई।


कहा कि भर्ती का विज्ञापन 2021 में आया था जिसकी परीक्षा अक्तूबर 2021 में हुई एवं परिणाम नवंबर 2021 में आया। उसके बाद आपत्तियों के निस्तारण के लिए अभ्यर्थियों से प्रत्यावेदन मांगे गए जिनमें लगभग 500 अभ्यर्थियों के प्रत्यावेदन में से 132 सही पाए गए। इसके सुधार के लिए शासन ने एक समिति गठित की और सभी ओएमआर शीट का पुनः मूल्यांकन हुआ।


 जिसके कारण लगभग 3200 अभ्यर्थी और फेल हो गए और दोबारा फेल अभ्यर्थी कोर्ट चले गए। हाईकोर्ट ने 15 फरवरी 2024 को सभी याचिकाएं खारिज करते हुए भर्ती का मार्ग प्रशस्त कर दिया। किंतु अधिकारियों की लापरवाही के कारण आरक्षण की विसंगतियां अभी तक दूर नहीं हो पा रही हैं। 


जूनियर एडेड शिक्षक भर्ती संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष नागेंद्र पांडेय ने बताया कि चार बार रिमाइंडर के बावजूद भर्ती रुकी हुई है।

बेसिक शिक्षा के सभी मोबाइल एप का समायोजन संभव नहीं, अपर राज्य परियोजना निदेशक ने बताए कारण

बेसिक शिक्षा के सभी मोबाइल एप का समायोजन संभव नहीं, अपर राज्य परियोजना निदेशक ने बताए कारण


लखनऊ। परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों की ओर से उपयोग किए जाने वाले विभागीय सभी एप का एक जगह समायोजन आसान नहीं है। अपर राज्य परियोजना निदेशक रोहित त्रिपाठी ने कहा कि अलग-अलग प्रकार के ये एप शिक्षकों की ही सुविधा के लिए हैं, जो उनका समय बचाते हैं। साथ में विभाग के चक्कर लगाने से भी बचते हैं।


उन्होंने बताया कि इनमें से तीन-चार एप ही शिक्षकों को रोज इस्तेमाल करने होते हैं। उसमें प्रेरणा, मानव संपदा और डीबीटी का एप शामिल हैं। बाकी साल में एक बार ही चलाने होते हैं। वहीं मर्जर न होने की सबसे बड़ी वजह यह है कि मानव संपदा एप एनआईसी ने, प्रेरणा एप यूपी डेस्को ने और दीक्षा एप केंद्र सरकार ने बनाया है।


शिक्षकों ने एप का मुद्दा उठाया था। उन्होंने बताया कि वह अपने निजी मोबाइल में विभागीय एक दर्जन से अधिक एप का इस्तेमाल करते हैं। इससे उनका मोबाइल हैंग होता है और पढ़ाई भी प्रभावित होती है। शिक्षकों ने कहा था कि हम व्यवस्था का विरोध नहीं कर रहे, लेकिन सरलता होनी चाहिए।


ये हैं एप और उनके काम

रीड एलॉग: हिंदी, अंग्रेजी, भाषा के लिए।
निपुण : कक्षा 1,2,3 के बच्चों का शैक्षिक आकलन
प्रेरणा : निशुल्क सामग्री के बजट भेजने का काम
पीएफएमएस : विद्यालय विकास राशि का हिसाब
दीक्षा : पढ़ाने और टीचर को ट्रेनिंग
समर्थ : दिव्यांग छात्रों की उपस्थिति व ट्रैकिंग
प्रेरणा यूपी डॉट इन विद्यालय और छात्रों का डाटा
एनआईएलपी : निरक्षर व्यक्तियों की पहचान
शारदा : ड्रॉपआउट बच्चों का नामांकन
संपर्क स्मार्ट: भाषा का विकास करने करने के लिए
एम स्थापना: अवकाश लेने व वेतन के लिए


एप से आसान हुए शिक्षकों के कार्य

टेक्निकल तौर पर सभी एप का मर्जर एक साथ संभव नहीं है। यह व्यवस्था आने से शिक्षकों के सभी काम आसान हुए हैं। एप के इस्तेमाल से थोड़ा मोबाइल में स्पेस की जरूरत तो पड़ती ही है। रही बात हैंग होने की तो टैबलेट का वितरण हम पहले ही कर चुके हैं। ~ रोहित त्रिपाठी, अपर राज्य परियोजना निदेशक

शिक्षक बने शिक्षामित्रों को है पुरानी पेंशन मिलने की उम्मीद, हाईकोर्ट ने प्रत्यावेदन पर तीन महीने में निर्णय का दिया आदेश

शिक्षक बने शिक्षामित्रों को है पुरानी पेंशन मिलने की उम्मीद, हाईकोर्ट ने प्रत्यावेदन पर तीन महीने में निर्णय का दिया आदेश

28 मार्च 2005 के पहले नियुक्त शिक्षामित्रों को लाभ की उम्मीद 


प्रयागराज । बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक बने शिक्षामित्रों को भी पुरानी पेंशन का लाभ मिल सकता है। एक अप्रैल 2005 से पूर्व विज्ञापित और उसके बाद नियुक्त शिक्षकों और कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का विकल्प देने के प्रदेश सरकार के फैसले के बाद रमेश चन्द्र और 166 अन्य की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी।


 शिक्षामित्रों का तर्क है कि उनका चयन भी एक अप्रैल 2005 से पहले निकले विज्ञापन के आधार पर हुआ था। उसके बाद टीईटी और बाद में कोर्ट और हाईकोर्ट ने विभिन्न आदेशों में स्पष्ट किया है सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा पास करने के बाद सहायक अध्यापक के पद पर नियमित नियुक्ति हुई। लिहाजा पूर्व में की गई उनकी सेवाओं को जोड़ते हुए उन्हें भी पुरानी पेंशन का लाभ दिया जाए। 


इस मामले की सुनवाई के दौरान 19 नवंबर को हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव सुरेन्द्र कुमार तिवारी को निर्देशित किया है कि शिक्षामित्र के रूप में की गई सेवा को जोड़ने के संबंध में प्रत्यावेदन का निस्तारण प्राथमिकता के आधार पर तीन महीने में किया जाए।


सुप्रीम कोर्ट मार्च 2005 से पहले से संविदा पर कार्यरत ऐसे कर्मचारी जो बाद में स्थायी हो गए हैं, उन्हें संविदा को सेवा को जोड़ते हुए पुरानी पेंशन का लाभ दिया जाए।  इसी क्रम में शिक्षामित्र से शिक्षक के पद चयनित हम लोगों की मांग है कि प्रदेश सरकार हमें पुरानी पेंशन का लाभ दें।
- ललित मोहन सिंह, शिक्षामित्र से सहायक अध्यापक बने


27 फरवरी से 12 मार्च तक होंगी संस्कृत बोर्ड की परीक्षाएं, हाईस्कूल, कक्षा 11 व 12 का परीक्षा कार्यक्रम जारी

27 फरवरी से 12 मार्च तक होंगी संस्कृत बोर्ड की परीक्षाएं, हाईस्कूल, कक्षा 11 व 12 का परीक्षा कार्यक्रम जारी, 56,728 विद्यार्थियों ने कराया पंजीकरण, तैयारियां तेज


लखनऊ: उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद का परीक्षा कार्यक्रम सोमवार को जारी कर दिया गया। पूर्व मध्यमा द्वितीय (हाईस्कूल), उत्तर मध्यमा प्रथम (कक्षा 11) और उत्तर मध्यमा द्वितीय (कक्षा 12) की परीक्षाएं अगले वर्ष 27 फरवरी से 12 मार्च तक आयोजित की जाएंगी।


उप्र माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद के सचिव शिव लाल के मुताबिक परीक्षाएं कुल नौ दिनों में संपन्न कराई जाएंगी। परीक्षाएं दो पालियों में होंगी। पहली पाली में सुबह 8:30 से 11:45 बजे तक पूर्व मध्यमा द्वितीय व उत्तर मध्यमा प्रथम की परीक्षाएं होंगी। दूसरी पाली में दोपहर दो से शाम 5:15 बजे तक परीक्षाएं होंगी। 


उन्होंने बताया कि परीक्षा में कुल 56728 विद्यार्थी पंजीकृत हैं। इनमें 41,960 बालक और 14,768 बालिकाएं शामिल हैं। पूर्व मध्यमा द्वितीय में 24,583 विद्यार्थियों ने पंजीकरण कराया है जिनमें 18,403 लड़के और 6,180 लड़कियां हैं। उत्तर मध्यमा प्रथम में 19,724 विद्यार्थी पंजीकृत हैं जिनमें 14,549 बालक व 5,175 बालिकाएं शामिल हैं। उत्तर मध्यमा द्वितीय में 12,421 विद्यार्थियों ने पंजीकरण कराया है जिनमें 9008 बालक और 3413 बालिकाएं हैं।


यूपी बोर्ड की ही तर्ज पर इस बार संस्कृत बोर्ड के भी परीक्षा केंद्रों का निर्धारण किया जा रहा है। ऐसे विद्यालय जहां सीसीटीवी कैमरे और वायस रिकार्डर हैं, उन्हें ही परीक्षा केंद्र बनाने में प्राथमिकता दी जा रही है। राजकीय माध्यमिक स्कूलों को परीक्षा केंद्र बनाने में प्राथमिकता दी जा रही है। फिर अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों और अंत में वित्तविहीन स्कूलों को परीक्षा केंद्र बनाया जाएगा। नकलचियों पर शिकंजा कसने की पूरी तैयारी की जा रही है।

Monday, November 25, 2024

Be Alert: कक्षा 10वीं और 12वीं के पाठ्यक्रम को 15% घटाने और चुनिंदा विषयों में ओपन बुक परीक्षा आयोजित करने की खबरों को CBSE ने बताया भ्रामक

Be Alert: कक्षा 10वीं और 12वीं के पाठ्यक्रम को 15% घटाने और चुनिंदा विषयों में ओपन बुक परीक्षा आयोजित करने की खबरों को CBSE ने बताया भ्रामक


लखनऊः केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने 2025 की बोर्ड परीक्षा के लिए कक्षा 10वीं और 12वीं के पाठ्यक्रम को 15 प्रतिशत घटाने और चुनिंदा विषयों में ओपन बुक परीक्षा आयोजित करने की खबरों को भ्रामक बताया है।


 बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि इस तरह का कोई भी नीतिगत निर्णय नहीं लिया गया है और न ही इस संबंध में कोई आधिकारिक सूचना जारी की गई है। 


हाल ही में कुछ आनलाइन पोर्टलों और समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों के बाद छात्रों और अभिभावकों के बीच भ्रम की स्थिति पैदा हो गई थी। 


बोर्ड ने इन खबरों का खंडन करते हुए स्पष्ट किया कि सीबीएसई अपनी परीक्षा प्रणाली और आंतरिक मूल्यांकन प्रणाली में किसी भी बदलाव की जानकारी केवल अपनी आधिकारिक वेबसाइट या परिपत्रों के माध्यम से ही साझा करता है। सीबीएसई ने जनसामान्य को सलाह दी है कि वे ऐसी भ्रामक खबरों पर ध्यान न दें।

यूपी बोर्ड ने मांगी तीन वर्ष के प्रायोगिक परीक्षकों की रिपोर्ट

यूपी बोर्ड ने मांगी तीन वर्ष के प्रायोगिक परीक्षकों की रिपोर्ट


प्रयागराज । वर्ष 2025 की लिखित परीक्षा की तिथि घोषित करने के साथ ही यूपी बोर्ड ने इंटरमीडिएट की प्रायोगिक परीक्षा को लेकर भी तैयारी तेज कर दी है। बिना किसी विसंगति के पारदर्शी ढंग से प्रायोगिक परीक्षा संपन्न कराने के लिए यूपी बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने पिछले तीन वर्ष की प्रायोगिक परीक्षा में लगाए गए उन परीक्षकों की रिपोर्ट क्षेत्रीय कार्यालयों से मांगी है, जिनके खिलाफ परीक्षा संबंधी की गई शिकायतें जांच में सही मिली हैं। इसमें ड्यूटी पर न जाने एवं परीक्षा के दौरान किसी तरह की गड़बड़ी करने वालों के नाम मांगे गए हैं। रिपोर्ट मिलने के बाद यूपी बोर्ड उनकी ड्यूटी लगाने को लेकर निर्णय लेगा।


इंटरमीडिएट की प्रायोगिक परीक्षा की तिथि अभी घोषित नहीं की गई है, लेकिन आयोजन के लिए परीक्षकों की ड्यूटी लगाने के पूर्व यूपी बोर्ड उनका विवरण ठीक कराने में जुटा है, ताकि उन्हीं परीक्षकों की ड्यूटी लगे, जो विद्यालयों में संबंधित विषय पढ़ाते हों। कई बार शिकायतें आती हैं कि प्रायोगिक परीक्षा के विषय से भिन्न विषय के शिक्षक की ड्यूटी परीक्षक के रूप में लग गई है।


 ये भी शिकायतें आती रही हैं कि परीक्षक संबंधित केंद्र पर पहुंचे ही नहीं। साथ ही पूर्णांक से अधिक अंक दिए जाने की भी कुछ शिकायतें बोर्ड को पहले मिल चुकी हैं। ऐसे में वर्ष 2025 की प्रायोगिक परीक्षा के लिए ड्यूटी लगाने के पहले यूपी बोर्ड 2022, 2023 एवं 2024 की प्रायोगिक परीक्षा में परीक्षक के रूप में नियुक्त शिक्षकों की रिपोर्ट जुटा रहा है। 


क्षेत्रीय कार्यालय जांच रिपोर्ट के आधार पर ऐसे शिक्षकों की सूची तैयार कर रहा है, जिनके विरुद्ध तीन वर्ष की प्रायोगिक परीक्षा को लेकर आई शिकायतें जांच में सही मिली हैं। बोर्ड का जोर इस परीक्षा को पारदर्शी और शुचितापूर्ण ढंग से संपन्न कराना है, इसलिए परीक्षकों की रिपोर्ट के आधार पर ड्यूटी लगाने की योजना तय की गई है।

डीएलएड सेमेस्टर परीक्षा में निगरानी तंत्र पर लगा प्रश्नचिह्न, मऊ और गाजीपुर के एक-एक केंद्र पर बोलकर नकल कराए जाने का सामने आया मामला

डीएलएड सेमेस्टर परीक्षा में निगरानी तंत्र पर लगा प्रश्नचिह्न, मऊ और गाजीपुर के एक-एक केंद्र पर बोलकर नकल कराए जाने का सामने आया मामला


प्रयागराज । डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजूकेशन (डीएलएड) सेमेस्टर की परीक्षा में मऊ और गाजीपुर के एक-एक केंद्र पर बोलकर नकल कराए जाने के मामले में वहां के पर्यवेक्षक एवं निगरानी दल की कार्यशैली पर भी प्रश्न उठ रहे हैं। सामूहिक नकल का यह मामला परीक्षा वर्ष 2024 के दौरान गणित और विज्ञान विषय की परीक्षा में आया है, जिसका परीक्षाफल रोक दिया गया है। दोनों केंद्रों की परीक्षा के मामले में अंतिम निर्णय परीक्षा नियामक समिति की बैठक में लिया जाएगा, लेकिन निगरानी तंत्र भी कठघरे में है।


डीएलएड प्रथम एवं तृतीय सेमेस्टर की परीक्षाएं आठ से 14 अगस्त तक प्रदेश भर में कराई गई थीं। परीक्षा संपन्न होने के बाद केंद्रों से उत्तरपुस्तिकाओं को बंडल भेजना था, लेकिन मऊ जिले के एक केंद्र की करीब 350 उत्तरपुस्तिकाओं का बंडल परीक्षा के 10 दिन बाद मूल्यांकन के लिए भेजा गया। 


ऐसे में मामला संदिग्ध मानते हुए उत्तर प्रदेश परीक्षा नियामक प्राधिकारी (पीएनपी) सचिव अनिल भूषण चतुर्वेदी ने जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) के प्राचार्य से पूछताछ की तो बताया गया कि एक बंडल छूट गया था। नकल की आशंका के प्रश्न पर केंद्र की ओर से शुचितापूर्ण परीक्षा होना बताया गया। ऐसे में पीएनपी सचिव ने गणित विषय के विशेषज्ञों से संबंधित उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन कराया तो सामूहिक नकल कराए जाने की स्थिति सामने आई।


इसी तरह गाजीपुर की गणित और विज्ञान विषय की करीब 500 उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन करने वाले केंद्र ने सामूहिक नकल की रिपोर्ट के साथ मामले में निर्णय लेने के लिए पीएनपी कार्यालय को उत्तरपुस्तिकाओं का बंडल भेज दिया है। यहां प्रश्न यह भी है कि शुचितापूर्ण परीक्षा संपन्न कराने का जिम्मेदार निगरानी तंत्र कहां था। कक्ष में लगे सीसीटीवी के क्रियाशीलता की भी परख हो रही है। दिसंबर के पहले सप्ताह में समिति की बैठक में परीक्षा को लेकर निर्णय लिया जा सकता है।

Sunday, November 24, 2024

CBSE "सिंगल गर्ल चाइल्ड छात्रवृत्ति योजना" अंतर्गत 23 दिसम्बर तक मांगे गए नए और नवीनीकरण हेतु आवेदन, देखें नोटिफिकेशन और जारी विस्तृत निर्देश

CBSE "सिंगल गर्ल चाइल्ड छात्रवृत्ति योजना" अंतर्गत 23 दिसम्बर तक मांगे गए नए और नवीनीकरण हेतु आवेदन, देखें नोटिफिकेशन और जारी विस्तृत निर्देश 



🔴 आवेदन लिंक


यूपी बोर्ड : साढ़े तीन करोड़ कॉपियों पर होगी परीक्षा, 22 फरवरी से शुरू होगी 10वीं और 12वीं के विद्यार्थियों की परीक्षा

यूपी बोर्ड : साढ़े तीन करोड़ कॉपियों पर होगी परीक्षा, 22 फरवरी से शुरू होगी 10वीं और 12वीं के विद्यार्थियों की परीक्षा


प्रयागराज । उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से बोर्ड परीक्षा 22 फरवरी से शुरू होगी। परीक्षा की तैयारी को मूर्तिरूप देने में बोर्ड अफसर जुट गए हैं। तकरीबन साढ़े तीन से पौने चार करोड़ उत्तर पुस्तिका पर बोर्ड परीक्षा होगी।


परीक्षा में नकल पर अंकुश लगाने के लिए यूपी बोर्ड उत्तर पुस्तिकाओं पर बार कोड लगाने जा रहा है। इससे उत्तर पुस्तिकाओं की रेंडम चेकिंग की जा सकेगी। इस बार भी परीक्षार्थियों को रंगीन उत्तर पुस्तिकाएं मिलेंगी। उत्तर पुस्तिका के कवर पेज पर अंकित विवरण का रंग बदला गया है। इस परिवर्तन से पुरानी उत्तर पुस्तिका पर बाहर से लिखवाकर जमा कराने की गुंजाइश नहीं रहेगी।



बोर्ड मुख्यालय की ओर से दिसंबर के प्रथम सप्ताह से जिलों को उत्तर पुस्तिका भेजी जाएगीं। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के लिए पंजीकृत 54,38,597 परीक्षार्थियों में से 28,90,454 छात्र और 25,24,065 छात्राएं हैं। हाईस्कूल में 27,41,674 विद्यार्थी पंजीकृत हैं। इंटर में 26,90,845 विद्यार्थी पंजीकृत हैं।



अपत्तियां निस्तारण के बाद बढ़ सकते हैं केंद्र

बोर्ड की ओर से 7657 केंद्रों पर परीक्षा कराने का प्रस्ताव जिलों को भेज दिया गया है। इसमें 940 राजकीय, 3512 सहायता प्राप्त (एडेड) के साथ ही 3205 वित्तविहीन कॉलेज शामिल हैं। जिला विद्यालय निरीक्षकों के स्तर से परीक्षा केंद्र पर आपत्तियों के निस्तारण के बाद केंद्रों की संख्या बढ़ सकती है।

Saturday, November 23, 2024

यूपी में नवनिर्मित व निर्माणाधीन 71 कॉलेजों को राजकीय महाविद्यालयों के रूप में चलाने की तैयारी, 2556 पदों पर होगी भर्ती

यूपी में नवनिर्मित व निर्माणाधीन 71 कॉलेजों को राजकीय महाविद्यालयों के रूप में चलाने की तैयारी, 2556 पदों पर होगी भर्ती

सामान्य शुल्क में यहां विद्यार्थियों को मिलेगी गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा


लखनऊ। प्रदेश सरकार की ओर से नवनिर्मित व निर्माणाधीन 71 कॉलेजों को राजकीय महाविद्यालयों के रूप में चलाया जाएगा। यहां पर सामान्य शुल्क में उच्च शिक्षा के अवसर मिलने के साथ ही 2,556 पदों पर भर्ती भी होगी। उच्च शिक्षा विभाग के इस प्रस्ताव पर शुक्रवार को कैबिनेट ने मुहर लगा दी है।


उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने बताया कि वर्तमान में 171 राजकीय महाविद्यालय चल रहे हैं। इसी क्रम में 71 अन्य महाविद्यालयों में से 17 को राज्य विश्वविद्यालयों के संघटक महाविद्यालयों के रूप में चलाया जा रहा है। जबकि शेष बनकर लगभग तैयार हैं। अब इन सभी 71 महाविद्यालयों का संचालन सरकार करेगी। यह सभी राजकीय महाविद्यालय के रूप में चलेंगे और यहां पर सभी सुविधाएं व शुल्क भी राजकीय महाविद्यालयों वाले लगेंगे। उन्होंने बताया कि इन महाविद्यालयों का पूरा विकास खर्च सरकार वहन करेगी।


इन महाविद्यालयों में कला, वाणिज्य व विज्ञान संकाय की पढ़ाई शुरू की जाएगी। इसके लिए प्राचार्य के 71, असिस्टेंट प्रोफेसर के 1136, तृतीय श्रेणी कर्मचारियों के 639 व चतुर्थ श्रेणी के 710 पदों पर भर्ती की जाएगी। इसमें 1846 पद सृजित किया जाएगा जबकि चतुर्थ श्रेणी के 710 पद संविदा पर भरे जाएंगे।


मंत्री ने बताया कि इससे जहां उच्च शिक्षा में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ेगी, वहीं शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। प्रदेश में अभी 11.70 लाख जनसंख्या पर एक राजकीय महाविद्यालय चल रहे हैं। इसके बाद इसमें सुधार होगा और 8.26 लाख की आबादी पर एक राजकीय महाविद्यालय होगा। इससे वर्ष 2035 तक सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) 50 फीसदी के लक्ष्य को पाने में आसानी होगी। 



बिजनौर में विवेक विश्वविद्यालय के संचालन को अनुमति

लखनऊ। प्रदेश में निजी विश्वविद्यालयों को संचालन में प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इसी क्रम में शुक्रवार को कैबिनेट ने बिजनौर में निजी क्षेत्र के विवेक विश्वविद्यालय के संचालन को अनुमति दे दी है। इसके लिए उच्च शिक्षा विभाग की ओर से संचालन प्राधिकारपत्र जारी करने पर कैबिनेट ने सहमति दी है। मंत्री ने बताया कि हमने हर मंडल में एक सरकारी विश्वविद्यालय का लक्ष्य पूरा किया है। अगले पांच साल में हर जिले में एक-एक विश्वविद्यालय खोलने का लक्ष्य है। 

यूपी बोर्ड ने जारी की डिबार किए गए विद्यालयों की सूची, परीक्षा केंद्र बनाने के लिए किए गए हैं प्रतिबंधित

यूपी बोर्ड ने जारी की डिबार किए गए विद्यालयों की सूची, परीक्षा केंद्र बनाने के लिए किए गए हैं प्रतिबंधित

🙆 प्रयागराज में 43 स्कूल 

22 नवम्बर 2024
मेरठ। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट बोर्ड परीक्षा के डिबार किए गए स्कूलों की सूची जारी हो गई है। इसमें मेरठ जनपद का कोई स्कूल शामिल नहीं है, लेकिन मेरठ मंडल के अन्य जनपदों के छह स्कूल डिबार किए गए हैं।


माध्यमिक शिक्षा परिषद प्रयागराज की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की 2025 की बोर्ड परीक्षाएं 24 फरवरी से शुरू होंगी। अब परीक्षा केंद्रों को अंतिम रूप देने का कार्य चल रहा है। परिषद ने 2025 की बोर्ड परीक्षाओं के लिए डिबार किए गए स्कूलों की सूची जारी कर दी है।


मेरठ डीआईओएस कार्यालय को भेजी गई सूची में मेरठ जनपद का कोई विद्यालय शामिल नहीं है, जबकि यूपी बोर्ड के मेरठ क्षेत्रीय कार्यालय के अंतर्गत आने वाले जिलों में आगरा में 14, फिरोजाबाद में चार, हाथरस व मैनपुरी में एक एक, मथुरा में दो, एटा में पांच स्कूल डिबार किए गए हैं।

सबसे ज्यादा अलीगढ़ में 32 स्कूल डिबार हुए हैं। सहारनपुर जनपद में तीन, बागपत व बुलंदशहर में एक-एक और गौतमबुद्ध नगर जिले में चार स्कूल डिबार किए गए हैं। प्रदेश में सबसे ज्यादा 43 स्कूल प्रयागराज में परीक्षा केंद्र बनाने के लिए प्रतिबंधित किए गए हैं।

इन स्कूलों को दो से लेकर चार वर्ष तक परीक्षा केंद्र बनाने के लिए प्रतिबंधित किया गया है। डिबार किए गए स्कूलों को परीक्षा केंद्र बनाने पर संबंधित जिलों के जिला विद्यालय निरीक्षकों को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।



यूपी बोर्ड : 45 जिलों के 259 विद्यालय हुए डिबार

प्रयागराज के सर्वाधिक 43 स्कूलों को बोर्ड परीक्षा से किया गया वंचित

19 नवंबर 2024
प्रयागराज। माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) ने 45 जनपदों के 259 स्कूलों को डिबार कर दिया गया है। इसमें सर्वाधिक 43 विद्यालय प्रयागराज के हैं। कई स्कूलों को दो से चार साल तो कुछ को सदैव के लिए बोर्ड परीक्षा से डिबार किया गया है। बोर्ड ने डिबार केंद्रों की सूची सूबे के सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को भेज दी है। हिदायत दी गई है कि डिबार सूची में शामिल किसी भी विद्यालय को परीक्षा केंद्र न बनाया जाए, अन्यथा संबंधित डीआईओएस जिम्मेदार होंगे।


 प्रयागराज के सर्वाधिक 43, अलीगढ़ के 32, आगरा के 14, फिरोजाबाद के चार, हाथरस और मैनपुरी के एक-एक, मथुरा के दो, एटा के पांच, बागपत और बुलंदशहर के एक-एक, गौतमबुद्धनगर के चार, सहारनपुर के तीन, मुरादाबाद के तीन, अमरोहा के दो, रामपुर और बरेली के एक-एक, बदायूं के चार, पीलीभीत के एक, संभल और लखीमपुर खीरी के दो-दो, सीतापुर के तीन, लखनऊ के 11, उन्नाव के एक, रायबरेली के दो, कानपुर के सात, फर्रुखाबाद, इटावा और प्रतापगढ़ के एक-एक, फतेहपुर के दो, कौशाम्बी के तीन, अयोध्या के एक, आजमगढ़ के चार, मऊ के दो, बलिया के 15, जौनपुर के पांच, गाजीपुर के 19, बाराणसी के बाराबंकी के दो, बलरामपुर, बस्ती गोण्डा के एक-एक, गोरखपुर के दस, कुशीनगर के आठ और बहराइच के एक स्कूल को बोर्ड ने ब्लैक लिस्ट किया है।


स्ट्रांग रूम की चाबी न होने पर भी डिबार

नकलविहीन और शुचितापूर्ण परीक्षा को लेकर बोर्ड ने सख्ती की है। सामूहिक नकल जैसे गंभीर आरोप में तो स्कूलों को डिबार किया ही गया है, स्ट्रांग रूम की चाबी स्टैटिक मजिस्ट्रेट के पास नहीं होने पर भी स्कूलों को केंद्र बनाने से रोक दिया गया है। प्रयागराज में केदारनाथ जायसवाल इंटर कॉलेज नैनी, कमला स्मारक इंटर कॉलेज नैनी और राजरानी इंटर कॉलेज शंकरगढ़ को 2026 तक के लिए डिबार किया गया है।


एआई की मदद से होगी प्रश्न पत्रों की सुरक्षा

प्रश्नपत्रों की सुरक्षा के लिए इस बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित कैमरे प्रयोग किए जाएंगे। प्रश्न पत्रों को रखने के बाद परीक्षा केंद्र का स्ट्रांग रूम लॉक कर दिया जाएगा। वहां लगाए गए एआई आधारित कैमरे में इसे खोले जाने का समय दर्ज रहेगा, यह सूचना भी दर्ज होगी कि इसे खोलते वक्त कितने लोगों की मौजूद रहेंगे। इसे लॉक करने का समय भी दर्ज रहेगा। इससे भिन्न स्थिति बनने पर यूपी बोर्ड मुख्यालय एवं शिविर कार्यालय लखनऊ में बने राज्यस्तरीय कंट्रोल रूम की एलईडी पर अलर्ट फ्लैश होने लगेगा।

यूपी बोर्ड परीक्षा से पहले अब ऑनलाइन इम्तिहान, राजकीय विद्यालयों का परिणाम सुधारने के लिए की गई पहल

यूपी बोर्ड परीक्षा से पहले अब ऑनलाइन इम्तिहान, राजकीय विद्यालयों का परिणाम सुधारने के लिए की गई पहल

■ कक्षा नौ से 12 वीं तक के विद्यार्थियों की दिसंबर में होगी परीक्षा

■ ऑनलाइन परीक्षा में सिर्फ गणित और विज्ञान से पूछे जाएंगे प्रश्न


प्रयागराज । बोर्ड परीक्षा में सूबे के राजकीय विद्यालयों का प्रदर्शन सुधारने की कवायद राज्य परियोजना कार्यालय ने शुरू कर दी है। यूपी बोर्ड परीक्षा से पहले कक्षा 9 से 12वीं तक के छात्र- छात्राओं को पहली बार ऑनलाइन परीक्षा देनी होगी। गणित और विज्ञान विषय की ऑनलाइन परीक्षा होगी। यह परीक्षा 12 दिसंबर से प्रस्तावित है। इसके बाद रिपोर्ट कार्ड दिया जाएगा। कमजोर विद्यार्थियों की एक माह बाद फिर से परीक्षा कराई जाएगी। इस संबंध में अपर राज्य परियोजना निदेशक समग्र शिक्षा माध्यमिक ने सभी डीआईओएस को पत्र जारी कर निर्देश दिया है।


राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनरत कक्षा 9 से 12वीं तक के विद्यार्थियों के शैक्षिक स्तर का आकलन करने, सीखने के परिणामों में वृद्धि करने तथा उनकी अंतिम परीक्षाओं की तैयारी को सशक्त बनाने के लिए यह परीक्षा आयोजित की जाएगी। कक्षा 9-10वीं में गणित एवं विज्ञान और 11वीं व 12वीं में गणित, भौतिक, रसायन एवं जीव विज्ञान विषय की परीक्षा कराई जाएगी। आईआईटी, जेईई और नीट की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन विशेष परीक्षा भी प्रस्तावित है।


शिक्षकों का 25 तक होगा पंजीकरण

परीक्षा के लिए प्रधानाचार्य और शिक्षक 25 नवंबर तक पंजीकरण कर सकते हैं। विद्यार्थियों का पंजीकरण 26 से 30 नवंबर तक https://gov.embibe.com/uttarpradesh/student/in-hi/ पर होगा।


घर से भी दे सकेंगे परीक्षा

ऑनलाइन परीक्षा विद्यार्थी घर से भी दे सकेंगे। विद्यार्थी विद्यालय परिसर स्थित कम्प्यूटर लैब अथवा घर में उपलब्ध उपकरणों के माध्यम से परीक्षा दे सकेंगे। सभी विद्यालय के संबंधित विषय के शिक्षकों की जिम्मेदारी होगी कि उनके विषय के सभी विद्यार्थी परीक्षा में शामिल हों।


यह है कार्यक्रम

12 दिसंबर को कक्षा नौ व 10 की गणित, कक्षा 11-12 की भौतिक विज्ञान, 13 दिसंबर को कक्षा 9-10 की विज्ञान, कक्षा 11-12 की रसायन विज्ञान, 14 दिसंबर को कक्षा 11-12 गणित व जीव विज्ञान, 15 दिसंबर को कक्षा 11-12 आईआईटी, जेईई और नीट की परीक्षा होगी।


एक सप्ताह में रिजल्ट, कमजोर छात्र के लिए अतिरिक्त कक्षा

परीक्षा सम्पन्न होने के एक सप्ताह के अंदर विद्यार्थी की रिपोर्ट तैयार की जाएगी। जिसमें उनके अंक, कमजोर और सुदृढ़ विषयों का समावेश होगा। यह रिपोर्ट संबंधित विद्यालय से साझा की जाएगी। कमजोर छात्र की एक माह तक अतिरिक्त कक्षाएं चलाकर उसे दोबारा परीक्षा में शामिल होने के योग्य तैयार किया जाए। पुनः परीक्षा के बाद विद्यार्थी की प्रगति का मूल्यांकन किया जाएगा।

Thursday, November 21, 2024

शिक्षकों का प्रोन्नति कोटा बहाल होगा, हाईस्कूल में एलटी और प्रवक्ता ग्रेड के 50% पद प्रोन्नति से भरे जाएंगे

शिक्षकों का प्रोन्नति कोटा बहाल होगा हाईस्कूल में एलटी और प्रवक्ता ग्रेड के 50% पद प्रोन्नति से भरे जाएंगे 

■ नियमों के अनुसार पद भरने का शासन ने लिया निर्णय


लखनऊ । हाईस्कूलों में शिक्षकों के पदोन्नति का कोटा फिर से बहाल किया जाएगा। सरकार जल्द ही इस दिशा में कदम उठाने जा रही है। इसके तहत एलटी एवं प्रवक्ता ग्रेड के 50% पदों को पदोन्नति से भरे जाने के नियम लागू किए जाएंगे।


उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा आयोग के गठन के बाद से दोनों संवर्गों में पदोन्नत कोटे से भरे जाने वाले पदों पर पदोन्नति नहीं हो रही है। दोनों संवर्गों में पदोन्नति से भरे जाने वाले 10 हजार से अधिक पद खाली हैं। इससे स्कूलों में नियमित शिक्षण कार्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। ऐसे में पूर्व के माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग के नियमों के अनुसार ही फिलहाल पदोन्नति कोटे के पदों को भरने का शासन स्तर पर निर्णय किया गया है। 


जानकारों की माने तो पूर्व के माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग के अधिनियम तीन की धारा 12 में संयुक्त शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय समिति के जरिए शिक्षकों की पदोन्नति के लिए चयन का प्रावधान है। 


इसी अधिनियम की धारा 18-1 के तहत कार्यवाहक संस्था प्रधानाध्यापकों का दो महीने से रिक्त पदों पर वरिष्ठ शिक्षक की तदर्थ आधार पर प्रोन्नत कर अनुमोदन एवं नियमित प्रधानों के समान ही वेतन तक देने के भी नियम हैं। लगभग दो वर्षों से एलटी ग्रेड और प्रवक्ता ग्रेड में 50% पदोन्नति कोटे में पदोन्नतियां नहीं हो पा रही हैं

यूपी बोर्ड की तर्ज पर संस्कृत बोर्ड की परीक्षाओं के लिए तय होंगे केंद्र, माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद ने जारी की नीति


यूपी बोर्ड की तर्ज पर होंगी संस्कृत विद्यालयों की परीक्षाएं


संस्कृत विद्यालयों की परीक्षाएं अब यूपी बोर्ड की तर्ज पर होंगी। यूपी बोर्ड की तरह अब संस्कृत विद्यालयों को ही परीक्षा केंद्र बनाया जाएगा। संस्कृत विद्यालय में सुविधा न होने पर किसी महाविद्यालय अथवा एडेड स्कूल को केंद्र बनाने की पहल होगी।

शासन ने इस बार परीक्षा में सख्ती की है। फैसला लिया गया है कि इस बार की परीक्षाएं संस्कृत विद्यालय में ही होंगी। इसके लिए इनको ही सेंटर बनाया जाएगा। बता दें कि संस्कृत स्कूलों में संसाधन का अभाव है। ऐसे में इन स्कूलों को परीक्षा केंद्र न बनाकर निजी स्कूल को केंद्र बनाया जाता रहा है। इस बार इसपर अंकुश लगेगा।

 संस्कृत स्कूलों की बोर्ड परीक्षा को लेकर अभी तिथियों की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन संभावना है कि यूपी बोर्ड परीक्षा के दौरान ही संस्कृत विद्यालयों की बोर्ड परीक्षा होगी। इस बार स्कूलों में सीसीटीवी, वॉइस रिकॉर्डर, हाईस्पीड इंटरनेट, फर्नीचर आदि का होना जरूरी है।



यूपी बोर्ड की तर्ज पर संस्कृत बोर्ड की परीक्षाओं के लिए तय होंगे केंद्र, माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद ने जारी की नीति


लखनऊ। प्रदेश में अब संस्कृत बोर्ड की परीक्षाओं के लिए भी यूपी बोर्ड की तर्ज पर परीक्षा केंद्रों का निर्धारण होगा। इसके लिए माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद ने परीक्षा केंद्र निर्धारण नीति जारी की है। इसमें भी परीक्षा केंद्रों के लिए पहली प्राथमिकता राजकीय विद्यालयों को दी जाएगी।


प्रदेश में संस्कृत शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है। 16 नए राजकीय संस्कृत विद्यालय खोलने की प्रक्रिया चल रही है। यही नहीं, कई जॉब ओरिएंटेड कोर्स भी शुरू किए गए हैं। अब इसकी बोर्ड परीक्षाओं में भी सख्ती शुरू की गई है। माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद ने इसकी शुरुआत केंद्र निर्धारण से कर दी है।


परिषद के अनुसार परीक्षा केंद्र निर्धारण के लिए जिला विद्यालय निरीक्षक खुद या अपने अधीनस्थ राजपत्रित पदाधिकारियों की टीमों का गठन कर विद्यालयों का सत्यापन कराएंगे। इसमें सीसीटीवी कैमरे, वायस रिकॉर्डर, राउटर, डीवीआर, हाईस्पीड इंटरनेट कनेक्शन, डबल लॉक अलमारी, बाउंड्रीवाल, क्लास रूम फर्नीचर आदि देखेंगे।


परीक्षा के लिहाज से सुरक्षा मानकों की भी जांच की जाएगी। परिषद निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने कहा है कि परीक्षा केंद्र निर्धारण में राजकीय संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके बाद एडेड संस्कृत विद्यालय, राजकीय इंटर कॉलेज और एडेड माध्यमिक विद्यालयों को केंद्र बनाया जाएगा।


बहुत जरूरी होने पर ही बेहतर संसाधन वाले वित्तविहीन संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों को केंद्र बनाया जाएगा। हालांकि इसमें यह ध्यान रखा जाएगा, जो विद्यालय यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए केंद्र बने होंगे, वहां पर संस्कृत परीक्षा के केंद्र नहीं बनेंगे।

डेढ़ लाख शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाएगी सरकार, हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार की ओर से दी गई जानकारी

शिक्षामित्रों को सम्मानजनक मानदेय देने के लिए वित्त विभाग की सहमति का इंतजार

डेढ़ लाख शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाएगी सरकार, हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार की ओर से दी गई जानकारी

■ अवमानना याचिका पर एकल पीठ कर रही सुनवाई 

■ बढ़े मानदेय के लिए वित्त विभाग को भेजी रिपोर्ट


20 नवम्बर 2024
प्रयागराज। प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में काम कर रहे लगभग डेढ़ लाख शिक्षामित्रों का मानदेय सरकार बढ़ा सकती है। राज्य सरकार की ओर से वित्त विभाग को इस संबंध में पत्र भेजा गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में शिक्षामित्रों को सम्मानजनक मानदेय दिए जाने को लेकर दाखिल अवमानना याचिका पर सरकार की ओर से यह जानकारी दी गई है।


मंगलवार को सुनवाई के दौरान राज्य के वकील ने कोर्ट को बताया कि लगभग एक लाख पचास हजार शिक्षामित्रों के मानदेय वृद्धि से सरकारी खजाने पर काफी भार पड़ेगा इसलिए वित्त विभाग को सहमति के लिए रिपोर्ट भेजी गई है। वाराणसी के विवेकानंद की अवमानना याचिका पर न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की पीठ सुनवाई कर रही है।


याची के अधिवक्ता सत्येंद्र चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि 2023 में शिक्षामित्रों को समान कार्य के समान वेतन की मांग करते हुए एक याचिका दाखिल की गई थी। याचिका निस्तारित करते हुए न्यायालय ने कहा था कि शिक्षामित्रों को दिया जाने वाला मानदेय काफी कम है। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया था कि एक समिति का गठन किया जाए। वित्तीय इंडेक्स के अनुसार जीवन जीने के लिए एक सम्मानजनक मानदेय निर्धारित किया जाए। इस आदेश का पालन नहीं किए जाने पर अवमानना याचिका दाखिल की गई है। 


सरकारी वकील ने कोर्ट को अवगत कराया कि कोर्ट के 12 जनवरी 2024 के आदेश के अनुपालन में शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति बनाई गई थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को नौ अगस्त 2024 को सौंप दी है। वित्तीय बोझ को देखते हुए वित्त विभाग को रिपोर्ट भेजी गई है।




शिक्षामित्रों को सम्मानजनक गुजारा भत्ता नहीं देने संबंधी अवमानना याचिका पर आज होगी सुनवाई

14 नवंबर 2024
प्रयागराज। हाईकोर्ट में शिक्षामित्रों को सम्मानजनक गुजारा भत्ता न देने संबंधी अवमानना याचिका पर बृहस्पतिवार को सुनवाई होगी। 


न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की अदालत वाराणसी के विवेकानंद की अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही है। याची के अधिवक्ता सत्येंद्र चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि 2023 में शिक्षामित्रों को समान कार्य के समान वेतन की मांग करते हुए एक याचिका दाखिल की गई थी। 


याचिका निस्तारित करते हुए न्यायालय ने कहा था कि शिक्षामित्रों को भुगतान की जाने वाली मानदेय राशि न्यूनतम है। राज्य को निर्देश दिया था कि एक समिति का गठन किया जाए। वित्तीय इंडेक्स के अनुसार जीवन जीने के लिए एक सम्मान जनक मानदेय निर्धारित किया जाए। इस आदेश का पालन नहीं किए जाने पर अवमानना याचिका दाखिल की गई है। 

CBSE ने 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा की तारीखों का किया ऐलान, 15 फरवरी से एग्जाम, देखें जारी डेटशीट

CBSE ने 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा की तारीखों का किया ऐलान, 15 फरवरी से एग्जाम, देखें जारी डेटशीट


केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा की तारीखों का ऐलान कर दिया है. 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं 15 फरवरी से होंगी. इसे लेकर सीबीएसई ने शेड्यूल जारी किया है. इसके साथ ही स्कूलों को परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों की लिस्ट केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को सौंपने को कहा गया है.


बता दें कि सीबीएसई ने अपनी वेबसाइट cbse.gov.in पर 10वीं और 12वीं क्लास की बोर्ड परीक्षा 2025 की डेटशीट जारी की है. शेड्यूल के मुताबिक परीक्षाएं 15 फरवरी से शुरू होंगी. 10वीं की परीक्षाएं 18 मार्च को समाप्त होंगी, जबकि 12वीं क्लास की परीक्षाएं 4 अप्रैल तक चलेंगी. 


शेड्यूल के अनुसार 10वीं की परीक्षा 15 फरवरी से शुरू होंगी और पहला पेपर अंग्रेजी का होगा. वहीं, 12वीं कक्षा का 15 फरवरी को एंटरप्रेन्योरशिप का एग्जाम होगा, जबकि 17 फरवरी को फिजिकल एजुकेशन का एग्जाम है.


सीबीएसई ने जारी की गाइडलाइंस

सीबीएसई ने सब्जेक्ट स्पेसिफिक गाइडलाइंस जारी की हैं, जिसमें सब्जेक्ट कोड, क्लास स्पेसिफिकेशन, थ्योरी और प्रैक्टिकल के लिए अधिकतम अंक, प्रोजेक्ट वर्क, इंटरनल असेस्मेंट और आंसर शीट के फॉर्मेट जैसी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है. परीक्षाओं के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए स्कूलों को इन निर्देशों का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया गया है.


छात्र यहां देख सकते हैं सैंपल क्वेश्चन पेपर्स

छात्र सीबीएसई एकेडमिक वेबसाइट cbseacademic.nic.in पर 10वीं और 12वीं के लिए सैंपल क्वेश्चन पेपर्स देख सकते हैं. ये छात्रों को लेटेस्ट क्वेश्चन फ़ॉर्मेट्स, मार्किंग और परीक्षा पैटर्न से परिचित कराने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, ताकि वे अपनी बोर्ड परीक्षाओं के लिए प्रभावी ढंग से तैयारी कर सकें.


सीबीएसई मार्कशीट में जारी रहेंगे ये बदलाव 

सीबीएसई डिस्टिंक्शन न देने या टॉपर्स की घोषणा न करने की अपनी नीति जारी रखेगा. 2024 की तरह, 2025 की कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षा देने वाले छात्रों को समग्र डिवीजन, डिस्टिंक्शन या कुल अंकों का प्रतिशत नहीं मिलेगा.