स्कूलों में मासिक धर्म स्वच्छता की जमीनी स्थिति जाने केंद्र सरकार, सुप्रीम कोर्ट ने कहा-नीति लागू करने से पहले सभी पहलुओं पर गौर करे
17 नवंबर 2024
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से स्कूलों में मासिक जनरल पहलुओं पर गौर करें और अगली सुनवाई तक स्थिति स्पष्ट करें। पीठ ने अगली सुनवाई 3 दिसंबर तय कर सरकार ने स्कूल जाने वाली लड़कियों के लिए मासिक धर्म स्वच्छता के संबंध में राष्ट्रीय नीति तैयार की है। नीति में दृष्टिकोण, आपत्तियों, लक्ष्य, नीति घटकों, वर्तमान कार्यक्रमों और अंत में हितधारकों के नियमों और जिम्मेदारियों के बारे में बात की गई है। एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि नीति के उचित और प्रभावी कार्यान्वयन के लिए अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
एएसजी ने शीर्ष अदालत को बताया कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के साथ समन्वय करके उनकी संबंधित कार्ययोजना तैयार करेगा। जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि मासिक धर्म धर्म स्वच्छता की जमीनी स्थिति पर गौर करने को कहा है।
शीर्ष अदालत ने केंद्र कोई भी नीति लागू करने से पहले इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से उजागर किए गए पहलुओं को स्पष्ट करने का सुझाव दिया। जस्टिस जेबी पारदीवाला व जस्टिस पंकज मिथल की पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर ऐश्वर्या भाटी से कहा कि वह याचिकाकर्ता के उठाए स्वच्छता नीति के सभी पहलुओं को व्यापक तरीके से तैयार किया जाए। सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों की छात्राओं के लिए नीति को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके।
वहीं याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि केंद्र की तैयार की गई नीति किसी भी तरह से याचिका में मांगी गई राहतों का ख्याल नहीं रखती है। इसके अलावा, नीति दस्तावेजों में जिन आंकड़ों पर भरोसा किया गया है, उनमें स्पष्ट विसंगतियां हैं।
स्कूली छात्राओं के लिए मासिक धर्म स्वच्छता पर नीति को की मंजूरी, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दी जानकारी
कहा, नीति का उद्देश्य छात्राओं को जागरूक करना व उनके दृष्टिकोण में बदलाव लाना
12 नवम्बर 2024
नई दिल्ली। स्कूलों में छात्राओं के बीच मासिक धर्म को लेकर जागरूकता फैलाने और उनके दृष्टिकोण व व्यवहार में बदलाव लाने के उद्देश्य से सरकार ने मासिक धर्म स्वच्छता पर एक नीति तैयार की है। इस नीति को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंजूरी भी दे दी है। केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी दी।
सरकार ने शीर्ष अदालत के 10 अप्रैल, 2023 के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने यह नीति तैयार की है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने 2 नवंबर को इसे मंजूरी भी दे दी है। शीर्ष अदालत एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें केंद्र, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कछा 6 से 12 तक की छात्राओं को मुफ्त सैनिटरी पैड मुहैया कराने के साथ ही सभी सरकारी, सहायता प्राप्त और आवासीय स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग शौचालय का प्रावधान सुनिश्चित करने का आदेश देने की मांग की गई है।
केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत में दायर हलफनामे में कहा है कि इस नीति का उद्देश्य स्कूली व्यवस्था में मासिक धर्म स्वच्छता को मुख्यधारा में लाना है, ताकि छात्राओं के बीच जानकारी, दृष्टिकोण और व्यवहार में बदलाव को बढ़ावा दिया जा सके।
मासिक धर्म को लेकर उनकी हिचक को दूर किया जा सके जो अक्सर स्वतंत्रता, गतिशीलता और दैनिक गतिविधियों में भागीदारी के रास्ते में बाधा बनती है। इसमें कहा गया है कि नीति में इस मुद्दे पर सर्वेक्षण के माध्यम से मूल्यांकन का प्रावधान किया गया है, ताकि मासिक धर्म स्वच्छता उत्पादों के बीच अंतर को दूर किया जा सके।
गलत सामाजिक मानदंडों को दूर करना लक्ष्य...
केंद्र ने कहा है कि इस नीति का उद्देश्य नुकसानदेह सामाजिक मानदंडों को खत्म करना और सुरक्षित मासिक धर्म स्वच्छता प्रथाओं को बढ़ावा देना है। इसके अलावा, मासिक धर्म अपशिष्ट के पर्यावरण-अनुकूल प्रबंधन को भी सुनिश्चित करना है। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस पंकज मिथल की पीठ मंगलवार को इस मामले में सुनवाई करने वाली है।
97.5% स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग शौचालय
केंद्र सरकार ने इससे पहले शीर्ष अदालत को बताया था कि देश के 97.5 फीसदी स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था है। इनमें सरकारी, सहायता प्राप्त और निजी स्कूल शामिल हैं। दिल्ली, गोवा और पुडुचेरी में 100 फीसदी स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था है। इसके अलावा, पश्चिम बंगाल में 99.9 फीसदी, उत्तर प्रदेश में 98.8 फीसदी, सिक्किम, गुजरात और पंजाब में 99.5 फीसदी स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग शौचालय हैं। इस मामले में पूर्वोत्तर के राज्य पीछे हैं और वहां छात्राओं के लिए अलग शौचालय की कमी है।
10 लाख स्कूलों में बनवाए गए शौचालय
केंद्र ने यह भी बताया कि 10 लाख से अधिक सरकारी स्कूलों में लड़कों के लिए 16 लाख और लड़कियों के बलिए 17.5 लाख शौचालयों का निर्माण कराया गया है। इसके अलावा, सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में भी छात्रों के लिए 2.5 लाख और छात्राओं के लिए 2.9 लाख शौचालयों का निर्माण कराया गया है।
No comments:
Write comments