बेसिक शिक्षा के सभी मोबाइल एप का समायोजन संभव नहीं, अपर राज्य परियोजना निदेशक ने बताए कारण
लखनऊ। परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों की ओर से उपयोग किए जाने वाले विभागीय सभी एप का एक जगह समायोजन आसान नहीं है। अपर राज्य परियोजना निदेशक रोहित त्रिपाठी ने कहा कि अलग-अलग प्रकार के ये एप शिक्षकों की ही सुविधा के लिए हैं, जो उनका समय बचाते हैं। साथ में विभाग के चक्कर लगाने से भी बचते हैं।
उन्होंने बताया कि इनमें से तीन-चार एप ही शिक्षकों को रोज इस्तेमाल करने होते हैं। उसमें प्रेरणा, मानव संपदा और डीबीटी का एप शामिल हैं। बाकी साल में एक बार ही चलाने होते हैं। वहीं मर्जर न होने की सबसे बड़ी वजह यह है कि मानव संपदा एप एनआईसी ने, प्रेरणा एप यूपी डेस्को ने और दीक्षा एप केंद्र सरकार ने बनाया है।
शिक्षकों ने एप का मुद्दा उठाया था। उन्होंने बताया कि वह अपने निजी मोबाइल में विभागीय एक दर्जन से अधिक एप का इस्तेमाल करते हैं। इससे उनका मोबाइल हैंग होता है और पढ़ाई भी प्रभावित होती है। शिक्षकों ने कहा था कि हम व्यवस्था का विरोध नहीं कर रहे, लेकिन सरलता होनी चाहिए।
ये हैं एप और उनके काम
रीड एलॉग: हिंदी, अंग्रेजी, भाषा के लिए।
निपुण : कक्षा 1,2,3 के बच्चों का शैक्षिक आकलन
प्रेरणा : निशुल्क सामग्री के बजट भेजने का काम
पीएफएमएस : विद्यालय विकास राशि का हिसाब
दीक्षा : पढ़ाने और टीचर को ट्रेनिंग
समर्थ : दिव्यांग छात्रों की उपस्थिति व ट्रैकिंग
प्रेरणा यूपी डॉट इन विद्यालय और छात्रों का डाटा
एनआईएलपी : निरक्षर व्यक्तियों की पहचान
शारदा : ड्रॉपआउट बच्चों का नामांकन
संपर्क स्मार्ट: भाषा का विकास करने करने के लिए
एम स्थापना: अवकाश लेने व वेतन के लिए
एप से आसान हुए शिक्षकों के कार्य
टेक्निकल तौर पर सभी एप का मर्जर एक साथ संभव नहीं है। यह व्यवस्था आने से शिक्षकों के सभी काम आसान हुए हैं। एप के इस्तेमाल से थोड़ा मोबाइल में स्पेस की जरूरत तो पड़ती ही है। रही बात हैंग होने की तो टैबलेट का वितरण हम पहले ही कर चुके हैं। ~ रोहित त्रिपाठी, अपर राज्य परियोजना निदेशक
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