विधान परिषद में ₹25 हजार महीना वेतन देने की मांग पर सरकार का जवाब – वित्तविहीन माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों के वेतन का दायित्व प्रबंधतंत्र का
विधान परिषद में शिक्षक एमएलसी ने 25 हजार रुपये महीना वेतन देने की उठाई थी मांग
लखनऊ। माध्यमिक शिक्षा के वित्तविहीन विद्यालयों के शिक्षकों को 25 हजार रुपये महीना वेतन देने का मुद्दा सोमवार को विधान परिषद में शिक्षक एमएलसी ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने उठाया। उन्होंने कहा कि पूरी योग्यता होने के बाद भी शिक्षक बदहाली व भुखमरी के कगार पर हैं। लगभग 2600 विद्यालयों के तीन लाख शिक्षक उपेक्षा का शिकार हैं।
इसके जवाब में माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी ने कहा कि निर्धारित सेवा शर्तों के अनुसार इन शिक्षकों की परिलब्धियों का भुगतान प्रबंध तंत्र करेगा। प्रबंधतंत्र भुगतान निजी स्त्रोत से करेगा, यह सरकार का दायित्व नहीं है।
इस पर नेता प्रतिपक्ष लालबिहारी यादव ने कहा कि यह जवाब असांविधानिक है। नए बदलाव में अंशकालिक शिक्षक रहे ही नहीं, वह पूर्णकालिक हो चुके हैं। एमएलसी डॉ. आकाश अग्रवाल ने वित्तविहीन विद्यालयों को मान्यता देने के लिए जारी नियमावली को नियमों के विपरीत बताया। कहा कि जमीन और जमानत राशि के मानक न्यायोचित नहीं हैं। एमएलसी राजबहादुर सिंह चंदेल ने कहा कि पहले से चल रही संस्थाओं को उच्चीकृत करने के लिए मानक शिथिल किए जाएं।
इस पर माध्यमिक शिक्षा मंत्री ने कहा कि वित्तविहीन विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए मान्यता शर्त में संशोधन किया गया है। एनईपी-2020 के अनुसार विद्यालयों में खेलकूद के मैदान जरूरी हैं। 10वीं कक्षा में शारीरिक व व्यायाम शिक्षा देने के लिए जमीन जरूरी है। ऐसे में नई नियमावली में किसी तरह के संशोधन की कोई जरूरत नहीं है।
एमएलसी ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने प्रदेश के अरबी-फारसी मदरसों में प्रभावी सेवा नियमावली को दोषपूर्ण व शिक्षकों के हित के विपरीत बताया। उन्होंने इंटर शिक्षा अधिनियम में निलंबन की अवधि 60 दिन करने और संस्कृत पाठशालाओं को संसाधनयुक्त बनाने के लिए शिक्षकों को वेतन की समानता व असहायिक संस्कृत पाठशालाओं को अनुदान सूची पर लेने की मांग की। इसे अधिष्ठाता ने सरकार को आवश्यक कार्यवाही के लिए भेज दिया।
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