DISTRICT WISE NEWS

अंबेडकरनगर अमरोहा अमेठी अलीगढ़ आगरा इटावा इलाहाबाद उन्नाव एटा औरैया कन्नौज कानपुर कानपुर देहात कानपुर नगर कासगंज कुशीनगर कौशांबी कौशाम्बी गाजियाबाद गाजीपुर गोंडा गोण्डा गोरखपुर गौतमबुद्ध नगर गौतमबुद्धनगर चंदौली चन्दौली चित्रकूट जालौन जौनपुर ज्योतिबा फुले नगर झाँसी झांसी देवरिया पीलीभीत फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूं बरेली बलरामपुर बलिया बस्ती बहराइच बागपत बाँदा बांदा बाराबंकी बिजनौर बुलंदशहर बुलन्दशहर भदोही मऊ मथुरा महराजगंज महोबा मिर्जापुर मीरजापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मेरठ मैनपुरी रामपुर रायबरेली लखनऊ लख़नऊ लखीमपुर खीरी ललितपुर वाराणसी शामली शाहजहाँपुर श्रावस्ती संतकबीरनगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुलतानपुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस हापुड़

Saturday, December 7, 2024

भाषा विश्वविद्यालय से मदरसे ले सकेंगे कामिल और फाजिल पाठ्यक्रमों के लिए मान्यता, शासन स्तर पर हो रहा विचार

भाषा विश्वविद्यालय से मदरसे ले सकेंगे कामिल और फाजिल पाठ्यक्रमों के लिए मान्यता, शासन स्तर पर हो रहा विचार


लखनऊ। मदरसे भविष्य में कामिल और फाजिल पाठ्यक्रमों के लिए मान्यता ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय से ले सकेंगे। इसके लिए शासन स्तर पर विचार हो रहा है। लेकिन, इन पाठ्यक्रमों की मान्यता लेने वाले मदरसों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के उच्च शिक्षा के मानक पूरे करने होंगे।


उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद अधिनियम-2004 और संबंधित नियमावली में संशोधन किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने फैसले में कहा है कि बारहवीं कक्षा से आगे कामिल और फाजिल का प्रमाणपत्र देने वाले मदरसों को मान्यता नहीं दी जा सकती। क्योंकि, उच्च शिक्षा यूजीसी अधिनियम के तहत संचालित होती है, इसलिए यूपी मदरसा अधिनियम और संबंधित नियमावली से कामिल और फाजिल पाठ्यक्रमों के संबंध में किए गए प्रावधान हटाए जाएंगे। 


शासन के सूत्रों के मुताबिक, कामिल और फाजिल पाठ्यक्रमों को लेकर मंथन चल रहा है। इन पाठ्यक्रमों के संचालन की मान्यता उच्च शिक्षा विभाग ही दे सकता है। इसलिए इन पाठ्यक्रमों को भाषा विवि से जोड़ने पर विचार हो रहा है। 



मदरसा अधिनियम में संशोधन करेगी प्रदेश सरकार, अधिनियम के दायरे से बाहर की जाएंगी कामिल और फाजिल की डिग्रियां

मदरसा अधिनियम और नियमावली सिर्फ बारहवीं कक्षा तक ही सीमित रहेगी, शासन स्तर पर तैयार किया जा रहा प्रस्ताव


लखनऊ। प्रदेश सरकार उप्र मदरसा शिक्षा परिषद अधिनियम - 2004 में संशोधन करेगी। इस अधिनियम के दायरे से कामिल (स्नातक) और फाजिल (स्नातकोत्तर) डिग्रियां बाहर की जाएंगी। इसके लिए शासन स्तर पर प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।


सुप्रीम कोर्ट के हाल ही में दिए गए फैसले में मदरसा शिक्षा परिषद अधिनियम की सांविधानिक वैधता को बरकरार रखा गया है। उससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मदरसा अधिनियम को असांविधानिक करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए कहा था कि यूपी मदरसा अधिनियम के सभी प्रावधान संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करते हैं।


साथ ही अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि बारहवीं कक्षा से आगे कामिल और फाजिल का प्रमाणपत्र देने वाले मदरसों को मान्यता नहीं दी जा सकती। क्योंकि, उच्च शिक्षा यूजीसी अधिनियम के तहत संचालित होती है। वहीं, उप्र मदरसा शिक्षा परिषद अधिनियम-2004 में परिषद की शक्तियां बताई गई हैं। इसमें कहा गया है कि मदरसा बोर्ड मुंशी, मौलवी, आलिम, कामिल और फाजिल पाठ्यक्रमों की परीक्षाओं का संचालन करेगा।


इस एक्ट के आधार पर ही उत्तर प्रदेश अशासकीय अरबी और फारसी मदरसा मान्यता, प्रशासन और सेवा  विनियमावली, 2016 तैयार की गई थी। अब शासन सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए मदरसा अधिनियम और नियमावली में से कामिल और फाजिल पाठ्यक्रमों के बारे में दिए गए सभी प्रावधान हटाएगा। यह अधिनियम और नियमावली सिर्फ बारहवीं कक्षा तक ही सीमित रहेगी।

No comments:
Write comments