प्रदेशभर में निःशुल्क पाठ्य पुस्तक वितरण की होगी उच्च स्तरीय जांच
लखनऊ : चालू शैक्षिक सत्र में सरकारी प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों के सभी विद्यार्थियों को निश्शुल्क दी जाने वाली पाठ्यपुस्तकें मिलीं या नहीं, इसकी जांच कराई जाएगी। अगले वर्ष फरवरी तक इस प्रकरण की जांच पूरी की जाएगी। अगले वर्ष एक अप्रैल को शुरू होने वाले नए शैक्षिक सत्र के पहले ही दिन सभी छात्रों को मुफ्त किताबें मिल जाएं, इसके लिए व्यवस्था बनाई जाएगी। विधान परिषद में शिक्षक दल के ध्रुव कुमार त्रिपाठी के सवाल पर सरकार की ओर से यह आश्वासन दिया गया।
विद्यार्थियों को निःशुल्क पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराने के लिए चालू वित्तीय वर्ष में लगभग 515 करोड़ रुपये का बजट है। ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने सिद्धार्थ नगर के ब्लाक संसाधन केंद्र, बांसी के कर्मचारियों द्वारा बीती 15 अक्टूबर को 4,133 सरकारी किताबें आठ हजार रुपये में बेचे जाने और इस मामले में खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) व दो कर्मचारियों को गिरफ्तार कर जेल भेजे जाने का मुद्दा उठाया।
कहा कि बीईओ की गिरफ्तारी को अब उप जिलाधिकारी नौगढ़ अवैधानिक बता रहे हैं। ऐसे में अपराध करने वाले अधिकारी को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। कर्मचारियों ने यह स्वीकार किया है कि कुल आठ हजार रुपये में किताबें बेची गईं। छह हजार रुपये बीईओ व एक-एक हजार रुपये दोनों कर्मचारियों ने लिए।
इस पर विधान परिषद के सभापति कुंवर मानवेन्द्र सिंह ने बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह को निर्देश दिए कि वह अगले बजट सत्र से पहले पाठ्यपुस्तक वितरण की उच्च स्तरीय जांच और पुस्तक वितरण का सत्यापन कराएं। मंत्री ने कहा कि वह जांच व सत्यापन का कार्य पूरा कर सदन को अवगत कराएंगे।
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