महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व के पर्वों के अवकाश रद्द किए जाने पर सवाल उठाते सीएम योगी से PSPSA ने ज्ञापन के जरिए पर्वों के महत्त्व को रेखांकित करते हुए अवकाश की पुनः बहाली की मांग की
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बेसिक शिक्षा परिषद के अंतर्गत घोषित अवकाशों में कई महत्वपूर्ण धार्मिक पर्वों के अवकाश रद्द किए जाने पर समाज और शिक्षकों में गहरा असंतोष व्याप्त है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संबोधित PSPSA के ज्ञापन में शिक्षकों और अभिभावकों ने इन पर्वों के महत्त्व को रेखांकित करते हुए इन पर अवकाश की पुनः बहाली की मांग की है।
ज्ञापन में यह बताया गया कि मौनी अमावस्या, होली भैयादूज, नाग पंचमी, अनंत चतुर्दशी, और पितृ विसर्जन अमावस्या जैसे पर्वों पर पहले अवकाश घोषित किए जाते थे। हालांकि, वर्तमान में इन पर्वों के अवकाश रद्द कर दिए गए हैं, जिसके कारण शिक्षक और विद्यार्थी अपने धार्मिक, पारिवारिक और सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करने में असमर्थ हो रहे हैं।
शिक्षकों का कहना है कि इन पर्वों के माध्यम से बच्चों को भारतीय संस्कृति और परंपराओं से जोड़ा जाता था। मौनी अमावस्या जैसे पर्वों पर गंगा स्नान, दान और मौन व्रत की प्रथा सदियों से चली आ रही है। वहीं, पितृ विसर्जन अमावस्या पर पिंडदान और नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना जैसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों के लिए समय चाहिए।
अधिकारियों द्वारा इन अवकाशों को रद्द करने को समाज सरकार की "सनातन विरोधी" छवि से जोड़ रहा है। शिक्षकों ने यह सवाल भी उठाया कि जब एक संत मुख्यमंत्री की सरकार में धार्मिक पर्वों की उपेक्षा हो रही है, तो इसे दुर्भावना के सिवाय और क्या कहा जा सकता है?
संगठन ने यह भी आरोप लगाया कि अधिकारियों ने अवकाश रद्द करने से पहले न तो पर्वों का महत्व समझा और न ही समाज के सुझाव लिए। ज्ञापन में मांग की गई है कि इन अधिकारियों की पृष्ठभूमि की जांच होनी चाहिए और यह देखा जाए कि कहीं यह निर्णय सरकार की छवि खराब करने की साजिश तो नहीं।
शिक्षकों ने 2025 की अवकाश तालिका में इन पर्वों को पुनः शामिल करने की मांग की है। साथ ही, 2015 से 2019 और 2024 की अवकाश तालिकाओं को आधार बनाकर इन छुट्टियों की महत्ता को रेखांकित किया है।
परिषदीय विद्यालयों में भारतीय संस्कृति से संबंधित प्रमुख पर्वों के अवकाश को पुनः घोषित करने के संदर्भ में PSPSA ने सीएम योगी से की मांग
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