UGC: पढ़ाई के साथ शारीरिक व मानसिक सेहत का भी रखना होगा ख्याल, यूजीसी ने उच्च शिक्षण संस्थानों की तय की जिम्मेदारी, मेंटल हेल्थ कोर्स जुड़ेंगे
मनोविशेषज्ञ स्ट्रेस दूर और इमोशनल स्पोर्ट पर काम करेंगे।
नई दिल्ली। उच्च शिक्षण संस्थानों के अधिकारियों को अब पढ़ाई के साथ छात्रों की शारीरिक, भावनात्मक व मानसिक सेहत का भी ख्याल रखना होगा। यह जिम्मेदारी प्रोफेसर स्तर के डीन या डायरेक्टर स्तर के अधिकारियों की होगी। कैंपस में छात्र सेवा केंद्र (एसएससी) खुलेंगे। फिजिकल फिटनेस और मेंटल हेल्थ पर काम होगा।
मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े किसी भी केस को गोपनीय रखना होगा। खास बात है कि सभी भाषाओं, धर्मो, सामाजिक विविधता का सम्मान सुनिश्चित और समलैंगिक पर खास ध्यान देना होगा।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों में शारीरिक फिटनेस, खेल, छात्रों के स्वास्थ्य, कल्याण, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक कल्याण को बढ़ावा देने के लिए पहले दिशा-निर्देश तैयार किए है।
छात्र सेवा केंद्र में सिंगल विंडो, हर छात्र का रिकॉर्ड
छात्र सेवा केंद्र होने पर एनआईआरएफ, नैक व एनबीए कुछ अंक या ग्रेड दे सकते हैं। यह सिंगल विंडो होगा। इसका प्रबंधन मनोविज्ञान, शारीरिक शिक्षा और खेल, मनोचिकित्सा, सामाजिक कार्य या समाजशारूत्र जैसे विषयों के प्रोफेसर के पद के बराबर निदेशक या डीन स्तर के अधिकारी करेंगे।
यदि किसी कॉलेज या संस्थान में ये विषय नहीं हैं, तो अन्य विश्वविद्यालय के विभागों के साथ मिलकर कर सकते हैं। सेंटर में महिला-पुरुष प्रोफेशनल ट्रेंड काउंसलर होंगे। यहां शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य परामर्शदाता, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ, शारीरिक-शारीरिक-मनोवैज्ञानिक के मूल्यांकन के लिए उपकरण भी रखने पड़ेंगे।
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