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Friday, February 7, 2025

Academic Resource Person (ARP) : देखें एआरपी चयन विज्ञप्ति

Academic Resource Person (ARP) : देखें एआरपी चयन विज्ञप्ति

(सभी जनपदों से निकलने वाली आगामी ARP भर्ती विज्ञप्तियां इसी पोस्ट में अपडेट की जाएंगी।)


फॉर्म 





सहारनपुर 

अमरोहा

श्रावस्ती 

देवरिया

वाराणसी 

हरदोई

भदोही




फतेहपुर 

अम्बेडकरनगर

सोनभद्र 


औरैया 

इटावा 

बरेली

जौनपुर 


अमेठी 



संतकबीरनगर

लखनऊ 



कुशीनगर 

बलरामपुर 

जनपद:  झांसी
जनपद :गोरखपुर

जनपद: एटा

जालौन

सुल्तानपुर








Primary Ka Master Salary Stop: अधिकार नहीं फिर भी रोक रहे शिक्षकों का वेतन, 'अपार आईडी' बनाने में शिथिलता का आरोप लगा बीएसए और डीआईओएस विधि विरूद्ध रोक रहे महीने भर का वेतन

Primary Ka Master Salary Stop: अधिकार नहीं फिर भी रोक रहे शिक्षकों का वेतन,  'अपार आईडी' बनाने में शिथिलता का आरोप लगा बीएसए और डीआईओएस विधि विरूद्ध रोक रहे महीने भर का वेतन




लखनऊ। बेसिक शिक्षा अधिकारी हों या जिला विद्यालय निरीक्षक दोनों में से किसी को भी शिक्षकों के महीने भर का वेतन रोकने का अधिकार नहीं है। फिर भी इन दोनों संवर्ग के अधिकारियों ने अलग-अलग जिलों में 'अपार आईडी' बनाने के कार्यों में शिथिलता का आरोप लगा शिक्षकों के दिसम्बर का वेतन रोक दिया है।

शिक्षा अधिकारियों के इस कदम का शिक्षक जगत में न सिर्फ विरोध हो रहा हैं बल्कि आलोचनाएं भी खूब हो रही है। अब स्कूल महानिदेशक कंचन वर्मा ने निर्देश दिए हैं कि अब बीएसए कोई कार्रवाई न करें। गौर करने वाली बात यह है कि जिले स्तर के शिक्षाधिकारियों को ऐसे कदम उठाने से रोकने के लिए शासन ने आदेश भी जारी कर रखे हैं।


इन जिलों में रोका वेतन

जानकारी के अनुसार अब तक प्रदेश के 24 जिलों में वहां के बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने अपने जिले के शिक्षकों के वेतन रोकने के आदेश जारी किए हैं। इसमें (बीएसए) ने मऊ, आजमगढ़, बलिया, चित्रकूट, प्रयागराज, भदोही, कुशीनगर, देवरिया, अयोध्या, मैनपुरी, बागपत, मेरठ, कानपुर देहात, कानपुर नगर, कौशाम्बी, रामपुर, बलरामपुर, बरेली, लखनऊ आदि के नाम शामिल हैं।


न ऐसी कार्रवाई की जरूरत और न ही नियम में व्यवस्था है। परिषदीय विद्यालयों में 80% से अधिक अपार आईडी बन गए हैं।
- कंचन वर्मा, महानिदेशक, स्कूल शिक्षा

यूपी बोर्ड परीक्षा 2025 : 17 जिले अतिसंवेदनशील घोषित, होगी विशेष निगरानी


यूपी बोर्ड परीक्षा 2025 : 17 जिले अतिसंवेदनशील घोषित,  होगी विशेष निगरानी

07 जनवरी 2025
प्रयागराज। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटर की परीक्षाओं के मद्देनजर प्रयागराज समेत 17 जिलों को अतिसंवेदनशील घोषित किया गया है। परीक्षा के दौरान इन जिलों के केंद्रों की विशेष निगरानी की जाएगी।

मुख्य सचिव की ओर से प्रमुख सचिव गृह (गोपन) को पत्र जारी कर अतिसंवेदनशील जिलों में विशेष निगरानी एवं सतर्कता बरतने को कहा गया है। बीते वर्षों में यूपी बोर्ड की परीक्षा के दौरान सामूहिक नकल, अनियमितता व प्रश्नपत्र वायरल होने के कारणों से कराई गई पुनः परीक्षा के आधार पर 17 जनपदों को अतिसंवेदनशील चिह्नित किया गया है।

अतिसंवेदनशील जिलों में प्रयागराज के अलावा आगरा, मथुरा, बागपत, अलीगढ़, मैनपुरी, एटा, हरदोई, आजमगढ़, बलिया, मऊ, कौशाम्बी, चंदौली, जौनपुर, गाजीपुर, देवरिया व गोंडा शामिल है।

मुख्य सचिव ने नकल माफिया व असामाजिक तत्वों के खिलाफ भी कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए कहा है। यूपी बोर्ड की परीक्षाएं 24 फरवरी से 12 मार्च तक आयोजित की जाएंगी। यूपी बोर्ड ने 24 फरवरी को हाईस्कूल की हिंदी एवं इंटरमीडिएट की हिंदी व सामान्य हिंदी, एक मार्च को हाईस्कूल की गणित व इंटर की नागरिक शास्त्र, तीन मार्च को हाईस्कूल की संस्कृत व इंटरमीडिएट की गणित व जीव विज्ञान की परीक्षा को संवेदनशील माना गया है।

इसके अलावा चार मार्च को हाईस्कूल की विज्ञान व इंटर की अर्थशास्त्र, पांच मार्च को इंटर की इतिहास, छह मार्च को भौतिक विज्ञान, सात मार्च को हाईस्कूल की अंग्रेजी, आठ मार्च को हाईस्कूल की गृह विज्ञान व इंटर की रसायन विज्ञान व समाजशास्त्र, 10 मार्च को हाईस्कूल की चित्रकला और इंटर की भूगोल, 11 मार्च को हाईस्कूल की सामाजिक विज्ञान व इंटर की संस्कृत और 12 मार्च को इंटर की अंग्रेजी की परीक्षा को संवेदनशील माना गया है।

मुख्य सचिव की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि इन परीक्षाओं के दौरान अतिसंवेदनशील जिलों में विशेष सतर्कता बरती जाए। बोर्ड परीक्षा की संवेदनशीलता के मद्देनजर सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि अपनी अध्यक्षता में बैठक कर नकल विहीन परीक्षाएं शांतिपूर्ण ढंग से कराने और प्रश्नपत्रों की सुरक्षा सहित अन्य आवश्यक व्यवस्थाओं की समीक्षा कर लें।




यूपी बोर्ड : प्रैक्टिकल के अंक अपलोड करने में फंस गए परीक्षक, मोबाइल नंबर गलत या बंद होने से दिक्कत

 06 जनवरी 2025
प्रयागराज : यूपी बोर्ड इंटरमीडिएट की प्रायोगिक परीक्षा में पहली बार एप के माध्यम से अंक अपलोड करने में हो रही परेशानी को देखते हुए परीक्षकों के सही मोबाइल नंबर क्षेत्रीय कार्यालय को अतिशीघ्र उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। स्कूलों को बोर्ड की वेबसाइट पर परीक्षकों के मोबाइल नंबर अपलोड करने थे। कई स्कूलों के प्रधानाचार्यों ने त्रुटिपूर्ण मोबाइल नंबर अपलोड कर दिए। कुछ परीक्षकों के मोबाइल नंबर बदल चुके हैं।


प्रैक्टिकल के अंक अपलोड करने में समस्या होने पर जानकारी हुई। इस पर सचिव भगवती सिंह ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को निर्देश दिया है कि त्रुटिपूर्ण अंकित करने या मोबाइल नंबर सक्रिय न होने के कारण मोबाइल एप/पोर्टल पर लॉगिन करते समय ओटीपी प्राप्त न होने के कारण लॉगिन नहीं हो पा रहा है तो संबंधित विद्यालय से पुष्टि कर क्षेत्रीय कार्यालय को परीक्षक का सही मोबाइल नंबर अतिशीघ्र उपलब्ध करा दिया जाए, ताकि संबंधित परीक्षक का मोबाइल नंबर संशोधित किया जा सके।


सभी डीआईओएस से गलत एवं सही मोबाइल नंबर का विवरण भी मांगा गया है। पहले चरण की प्रयोगात्मक परीक्षाएं प्रयागराज समेत आठ मंडलों में आठ फरवरी तक आयोजित की जाएगी, जिसके लिए 9977 परीक्षक लगाए गए हैं। वहीं, नौ से 16 फरवरी तक दूसरे चरण की प्रयोगात्मक परीक्षाओं के लिए 9504 परीक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है।

विपक्ष शासित 6 राज्यों को UGC के नए नियम मंजूर नहीं, पास किया प्रस्ताव

विपक्ष शासित 6 राज्यों को UGC के नए नियम मंजूर नहीं, पास किया प्रस्ताव

हिमाचल, झारखंड, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना व कर्नाटक ने किया विरोध, कहा-राज्यों की भूमिका स्पष्ट नहीं, वापस लें


बंगलूरू। विपक्ष शासित छह राज्यों ने यूजीसी विनियम 2025 के मसौदे का कड़ा विरोध किया है। हिमाचल प्रदेश, झारखंड, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना और कर्नाटक ने संयुक्त प्रस्ताव पास कर इसे वापस लेने की मांग की है। मसौदे में विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों व शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति व पदोन्नति के लिए न्यूनतम योग्यताएं और उच्च शिक्षा में मानकों के रखरखाव के लिए उपाय शामिल हैं। बंगलूरू में इन राज्यों के उच्च शिक्षा मंत्रियों ने बैठक कर यूजीसी के मसौदा नियमावली, 2025 के खिलाफ 15 सूत्री प्रस्ताव पारित किया।


राज्यों ने कहा कि यूजीसी के मसौदा नियमों में राज्य अधिनियमों के तहत स्थापित सार्वजनिक विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति में राज्य सरकारों की भूमिका स्पष्ट नहीं की गई है। यह संघीय व्यवस्था में राज्य के वैध अधिकारों का हनन है। प्रस्ताव में कहा गया है कि ये नियम कुलपतियों के चयन के लिए खोज सह-चयन समितियों के गठन में राज्यों के अधिकारों को गंभीर रूप से सीमित करते हैं। 


राज्यों ने कहा कि गैर शैक्षणिक व्यक्तियों को कुलपति नियुक्त करने से संबंधित प्रावधान को वापस लिया जाना चाहिए। यह भी कहा कि कुलपतियों की नियुक्ति के लिए योग्यता, कार्यकाल और पात्रता पर गंभीरता से पुनर्विचार की जरूरत है क्योंकि ये उच्च शिक्षा के मानकों पर असर डालते हैं। 


कई प्रावधानों पर गंभीरता से पुनर्विचार की जरूरत

अकादमिक प्रदर्शन सूचक (एपीआई) मूल्यांकन प्रणाली को हटाने और नई प्रणाली लागू करने से उच्च स्तर का विवेकाधिकार प्राप्त होगा और इसका पुनर्मूल्यांकन किया जाना चाहिए। प्रस्ताव में सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति से संबंधित कई प्रावधानों पर गंभीरता से पुनर्विचार की आवश्यकता है, जिनमें संबंधित मुख्य विषय में बुनियादी डिग्री की आवश्यकता नहीं होने से संबंधित प्रावधान भी शामिल हैं। यह भी कहा कि मसौदे के उल्लंघन के परिणामों से संबंधित प्रावधान कठोर, अत्यधिक, अलोकतांत्रिक हैं।


नियमों पर प्रतिक्रिया देने की समयसीमा बढ़ाई

यूजीसी ने भर्ती एवं पदोन्नति मानदंडों के मसौदे पर प्रतिक्रिया देने की समयसीमा 28 फरवरी तक बढ़ा दी है। पहले हितधारकों को 5 फरवरी तक फीडबैक भेजना था। यूजीसी सचिव मनीष जोशी ने कहा कि हितधारकों से मिले अनुरोधों पर समयसीमा बढ़ाने का फैसला लिया गया। यूजीसी ने पिछले महीने (विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों और शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति और पदोन्नति के लिए न्यूनतम योग्यताएं और उच्च शिक्षा में मानकों के रखरखाव के उपाय) विनियम, 2025 का मसौदा जारी किया था। यह 2018 के दिशानिर्देशों का स्थान लेगा।


निजी संस्थानों को मिलेगा बढ़ावा प्रस्ताव

में कहा गया कि मसौदा नियम और ग्रेडिंग मापदंड निजी संस्थानों को बढ़ावा देने के लिए तैयार किए गए हैं तथा सरकारी-सार्वजनिक संस्थानों के कल्याणकारी पहलू की अनदेखी की गई है। राज्यों ने कहा कि बुनियादी स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश परीक्षा को अनिवार्य बनाना जीईआर बढ़ाने व समावेशी शिक्षा प्रदान करने में एक बड़ी बाधा है।

शिक्षक की नियुक्ति वरिष्ठता में प्रोबेशन अवधि बाधक नहीं – हाईकोर्ट

शिक्षक की नियुक्ति वरिष्ठता में प्रोबेशन अवधि बाधक नहीं – हाईकोर्ट 


प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बालेश्वर दास केस के फैसले के हवाले से कहा कि प्रोबेशन अवधि सफलता पूर्वक पूरी होने के बाद कर्मचारी मूल नियुक्ति तिथि से नियमित नियुक्त माना जाएगा। इस तरह याची से पहले रजनीश कुमार की नियुक्ति होने के कारण वह वरिष्ठ होगा। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने डॉ योगेन्द्र पाल की याचिका पर सुनवाई के बाद दिया है। साथ ही कुंवर रुकुम सिंह वैदिक इंटर कॉलेज नगला पूर्वी बदायूं के दो अध्यापकों के वरिष्ठता विवाद को लेकर दाखिल याचिका खारिज कर दी है।


याची का कहना था कि वह 13 सितंबर 1998 को लेक्चरर पद पर प्रोन्नत किया गया। विपक्षी को 20 अप्रैल 1998 से प्रोबेशन पर नियुक्ति दी गई। प्रोबेशन अवधि 20 अप्रैल 1999 को पूरी हुई। विपक्षी कार्यवाहक प्रधानाचार्य रजनीश के अधिवक्ता अनुराग शुक्ल का तर्क था कि याची 13 सितंबर 1998 को नियुक्त हुआ और विपक्षी 20 अप्रैल 1998 की तिथि से लेक्चरर नियुक्त हुआ। इसमें प्रोबेशन अवधि बाधक नहीं होगी।

Thursday, February 6, 2025

अनियमितताओं की शिकायत पर उन्नाव जिले की बीईओ निलंबित, देखें आदेश

अनियमितताओं की शिकायत पर उन्नाव जिले की बीईओ निलंबित, देखें आदेश







उन्नाव : बीईओ के भ्रष्टाचार पर अब डायट प्राचार्य को जांच
19 जनवरी 2025

उन्नाव। नवाबगंज ब्लॉक में तैनात खंड शिक्षा अधिकारी इन्द्रा देवी की मुश्किलें फिर बढ़ गई है। जिला पंचायत सदस्य सरला लोधी के बाद अब अनु. मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष आशीष कुमार रावत की शिकायत पर महानिदेशक ने डायट प्राचार्य को मामले की जांच कराने के निर्देश दिए। जिस पर प्राचार्य ने वरिष्ठ प्रवक्ता प्रसनजीत और अमित रॉय को जांच के लिए नामित किया है। 

अखिल भारतीय पासी समाज महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष, महाराजा बिजली पासी यूथ बिगे्रड के प्रदेश संयोजक और अनु. मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष इंजी. आशीष कुमार रावत ने अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा के अलावा शासन स्तर पर कई अफसरों को शिकायत की थी। आरोप लगाया था कि बीआरसी भवन के मरम्मत व सौंदर्यीकरण के लिए आई लगभग सात लाख पांच हजार की धनराशि का मानक के विपरीत गुणवत्ता विहीन प्रयोग कर आनन-फानन में बिना किसी जनप्रतिनिधि के बुलाए उद्घाटन कर लिया गया। एक सहचर बीईओ की मिलीभगत से बिना कार्यालय आए महीनों के हस्ताक्षर पंजिका पर करता है और उसके द्वारा इस दौरान बिना किसी स्वीकृत अवकाश के वेतन भी निकाला जाता है। 

बीईओ द्वार शिक्षकों को बीआरसी से पुस्तकों को ले जाने का दबाव बनाया जाता है। जबकि इसका मद शासन से तय है। इसके अलावा तमाम अनियमितताएं बरती जा रही है। जिस पर महानिदेशक कार्यालय से जांच के निर्देश दिए गए है। इससे पहले जिपं सदस्य की शिकायत पर शिक्षा निदेशक बेसिक उप्र शिक्षा निरीक्षण अनुभाग प्रयागराज डॉ. ब्रजेश मिश्र ने मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक बेसिक, कानपुर मंडल राजेश वर्मा से जांच कराई थी। जिसकी रिपोर्ट भी भेजे जाने के दावे किए जा चुके है। शिकायतकर्ता ने बताया कि संगठन के पदाधिकारियों के जरिए शिकायत मिली थी।


पत्र आया है जिस पर मामले की जांच के लिए डायट के वरिष्ठ प्रवक्ता प्रसनजीत और प्रवक्ता अमित रॉय को जांच सौंपी है। एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट लेकर भेज दी जाएगी।
एसपी सिंह, प्राचार्य जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान

अपार आईडी के लिए अवकाश के दिन लिए गए कार्य के बदले शिक्षकों को प्रतिकर अवकाश प्रदान करने की जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ की मांग

अपार आईडी के लिए अवकाश के दिन लिए गए कार्य के बदले शिक्षकों को प्रतिकर अवकाश प्रदान करने की जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ की मांग 

06 फरवरी 2025




अपार आईडी जनरेशन संबंधी समस्याओं के निस्तारण की मांग के साथ कतिपय जनपदों में अवकाश में स्कूल खोलने के बदले अवकाश की मांग के साथ PSPSA ने उठाया मुद्दा 

03 फरवरी 2025


उत्तर प्रदेश के 13 लाख निरक्षरों को बनाया जाएगा साक्षर

उत्तर प्रदेश के 13 लाख निरक्षरों को बनाया जाएगा साक्षर


लखनऊ। राजधानी सहित उत्तर प्रदेश में 13 लाख निरक्षरों को साक्षरता एवं वैकल्पिक शिक्षा निदेशालय ने चिह्नित किया है। इन सभी को शिक्षित किया जाएगा। ये जानकारी बुधवार को साक्षरता एवं वैकल्पिक शिक्षा निदेशालय के निदेशक भगवती सिंह ने दी।

कानपुर रोड स्थित साक्षरता निकेतन में आयोजित उल्लास मेले के दौरान उन्होंने बताया कि नवभारत साक्षरता कार्यक्रम के तहत सर्वे एप से करीब 13 लाख निरक्षर और 1.50 लाख वालंटियर चिह्नित किए गए हैं।

पांच लाख निरक्षरों को साक्षर किया गया है। कार्यक्रम में नवसाक्षर सुजाता व भोपाल ने अपने जीवन में आए सकारात्मक बदलाव को साझा किया। इस मौके पर शिक्षा महानिदेशक कंचन वर्मा, इंडिया लिट्रेसी बोर्ड के निदेशक संध्या तिवारी, एससीईआरटी के निदेशक गणेश कुमार और बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल, एडीबेसिक श्याम किशोर तिवारी, बीएसए राम प्रवेश उपस्थित रहे।


निरक्षर व्यक्ति नहीं उठा पाता सुविधाओं का लाभ : संदीप

बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि निरक्षर व्यक्ति अपनी बात स्पष्ट रूप से नहीं रख पाता है। वो केंद्र एवं राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का भी लाभ नहीं उठा पाता है। शिक्षा व्यक्ति के विकास के रास्ते खोलने के साथ रोजगार के अवसर मुहैया कराती है।

स्टॉल पर दी गई जानकारी

नवभारत साक्षरता कार्यक्रम की गतिविधियों की जानकारी देने के लिए स्टॉल भी लगाए गए, जहां प्रदेश के 15 वर्ष से अधिक आयु के निरक्षर को साक्षर करने के लिए चलाए जा रहे नव भारत साक्षरता कार्यक्रम की विभिन्न गतिविधियों को प्रदर्शित किया गया। स्कूल शिक्षा महानिदेशक कंचन वर्मा ने कहा कि सरकार का प्रयास है कि सभी को साक्षर किया जाए।

प्रत्येक माह NPS की धनराशि राज्यांश सहित संबंधित माह के वेतन के साथ ही सभी संबंधित के प्रान खाते में जमा करने का शिक्षा निदेशक माध्यमिक का पत्र जारी

वेतन के साथ अब NPS कटौती का बिल भी कोषागार भेजना होगा, माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने जारी किए सभी DIOS को इसके लिए निर्देश

लखनऊ। प्रदेश के अशासकीय (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों-कर्मचारियों का एनपीएस अंशदान काटने के बाद भी कई महीने तक खाते में न भेजने का मामला पिछले दिनों प्रकाश में आया था। इसके बाद भी जिला स्तर पर अधिकारी लापरवाही कर रहे हैं। इस पर सख्ती करते हुए माध्यमिक शिक्षा विभाग ने सभी डीआईओएस से कहा है कि वे अब हर महीने संबंधित कर्मचारी के वेतन बिल के साथ ही एनपीएस राशि कटौती का बिल भी कोषागार भेजेंगे।

प्रदेश के एडेड माध्यमिक विद्यालयों में एक अप्रैल 2005 के बाद नियुक्त शिक्षकों-कर्मचारियों के लिए नई पेंशन योजना (एनपीएस) लागू है। इसमें शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के वेतन से 10 फीसदी राशि काटकर व 10 फीसदी राजकीय अंशदान को शामिल करते हुए प्रान खाते में भेजने की व्यवस्था है। वर्तमान में राजकीय अंशदान 14 फीसदी कर दिया गया है।

पिछले दिनों शिक्षकों-कर्मचारियों ने कई महीने तक यह राशि कटौती के बाद भी निर्धारित खाते में न भेजने का आरोप लगाया था। विरोध-प्रदर्शन भी हुआ। जांच में यह मामला सही पाया गया था। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने सभी डीआईओएस से कहा है कि शिक्षकों-शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के हर महीने के वेतन बिल के साथ ही उनके वेतन से 10 फीसदी राशि की कटौती व 14 फीसदी राजकीय अंशदान का बिल भी कोषागार में भेजा जाए। 



प्रत्येक माह NPS की धनराशि राज्यांश सहित संबंधित माह के वेतन के साथ ही सभी संबंधित के प्रान खाते में जमा करने का शिक्षा निदेशक माध्यमिक का पत्र जारी



Wednesday, February 5, 2025

स्वीकृत पदों पर नियुक्ति न करना शिक्षा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन : हाईकोर्ट

शिक्षकों की कमी एक समस्या है लेकिन इस पर लंबे समय तक ध्यान न दिया जाना अधिकारियों की लापरवाही है – जागरण संपादकीय 


किसी विद्यालय में प्रधानाध्यापक ही न हो तो उस विद्यालय की शैक्षिक गुणवत्ता का सहज अनुमान लगाया जा सकता है, लेकिन जब हाई कोर्ट के संज्ञान के बाद भी स्पष्ट कार्रवाई न की जाए तो इससे शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को लेकर संदेह पैदा होता है। ऐसे में उच्च न्यायालय की यह चिंता उचित है कि प्रधानाचार्यों और सहायक अध्यापकों की अनुपलब्धता के कारण छात्र परेशान हैं। 

राज्य सरकार के अधिकारियों के बीच कई बैठकों के बावजूद कोई निर्णय नहीं लिया गया। न्यायालय की यह टिप्पणी बांदा के अतर्रा स्थित विद्यालय में ढाई वर्ष से प्रधानाध्यापक व दो सहायक शिक्षकों के रिक्त चल रहे पदों को लेकर है, जिस पर शिक्षा अधिकारियों की अनदेखी के बाद विद्यालय प्रबंध समिति ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की है।

बांदा के विद्यालय का प्रकरण संदर्भ भर है, वास्तविकता यह है कि प्रदेश में अनेक ऐसे विद्यालय हैं, जहां निर्धारित अनुपात में शिक्षक नहीं हैं। यह इसलिए भी गंभीर है कि शिक्षा को मौलिक अधिकार का दर्जा प्राप्त है और किसी भी स्वस्थ समाज के लिए शिक्षा अनिवार्यता भी है। शिक्षकों की कमी एक समस्या है, लेकिन इस पर लंबे समय तक ध्यान न दिया जाना अधिकारियों की लापरवाही है। यह शिक्षा की गुणवत्ता से भी समझौता है जिस पर अविलंब ध्यान देने की आवश्यकता है।



स्वीकृत पदों पर नियुक्ति न करना शिक्षा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन : हाईकोर्ट

बांदा के कृषि औद्योगिक विद्यालय की याचिका पर हाईकोर्ट ने की टिप्पणी

रिक्तियां न भरे जाने को लेकर दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट की टिप्पणी


प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि यह सभी जानते हैं कि पूरे उत्तर प्रदेश में प्रधानाचार्य और सहायक अध्यापकों की कमी से छात्र परेशान हैं। शिक्षा का अधिकार एक मौलिक अधिकार है। इसके बाद भी प्रतिवादी अधिकारी रिक्त पदों को न भरकर मौलिक अधिकार का उल्लंघन कर रहे हैं। न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की पीठ ने यह टिप्पणी कृषि औद्योगिक विद्यालय और एक अन्य की ओर रिक्त पदों को भरने को लेकर दाखिल याचिका पर की।


कोर्ट ने कहा कि वर्तमान मामले में यह स्पष्ट है कि संस्थान के बार-बार अनुरोध के बावजूद आज तक अधिकारियों ने प्रधानाध्यापक और सहायक अध्यापक के पदों को भरने के लिए आवश्यक आदेश पारित नहीं किए। बांदा स्थित कृषि औद्योगिक विद्यालय में एक प्रधानाध्यापक, दो सहायक अध्यापक, एक क्लर्क और दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पद जून 2022 से रिक्त हैं। स्वीकृत पदों पर नियुक्ति न किए जाने से व्यथित होकर विद्यालय की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।

न्यायालय को बताया गया कि राज्य सरकार ने महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा, उत्तर प्रदेश को स्पष्ट रिपोर्ट या प्रस्ताव का अनुरोध करते हुए पत्र भेजा है। इसके बाद भी आज तक कोई प्रस्ताव नहीं भेजा गया। इसका संज्ञान लेते हुए एकल जज ने महानिदेशक को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने में हुई देरी के संबंध में दस दिनों के भीतर व्यक्तिगत हलफनामा राज्य सरकार को देने का निर्देश दिया। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी नियत की है।



शिक्षकों की कमी से छात्रों की परेशानी पर हाईकोर्ट ने की तल्ख टिप्पणी

प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में शिक्षकों की कमी पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि यूपी में यह सर्वविदित तथ्य है कि प्रधानाचार्यों और सहायक अध्यापकों की अनुपलब्धता के कारण छात्र परेशान हैं। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने कृषि औद्योगिक विद्यालय एएयू अतर्रा बांदा की प्रबंध समिति ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए की है।

याचिका स्वीकृत पदों के अनुसार शैक्षिक और गैर-शैक्षिक कर्मचारियों की नियुक्तियां न किए जाने को लेकर दाखिल की गई है। याचिका के अनुसार स्कूल में एक प्रधानाध्यापक, दो सहायक अध्यापक, एक क्लर्क और दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पद जून 2022 से रिक्त हैं।

कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार के अधिकारियों के बीच कई बैठकों के बावजूद अब तक कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है। पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने हेडमास्टर और शिक्षकों की नियुक्ति की समय सीमा को लेकर अस्पष्टता की ओर इशारा किया था। तब कोर्ट ने विशेष रूप से टिप्पणी की थी कि बड़ी संख्या में रिक्तियों के कारण राज्य की शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता हो रहा है और इस मुद्दे के समाधान में कोई प्रगति नहीं हुई है। सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि राज्य सरकार ने महानिदेशक बेसिक शिक्षा को स्पष्ट रिपोर्ट या प्रस्ताव के लिए शासन के पत्र भेजे जाने के बावजूद अब तक ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं भेजा है।

इस तथ्य का संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के महानिदेशक बेसिक शिक्षा से राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने में हुई देरी के संबंध में दस दिन के भीतर व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने को कहा है। साथ ही मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 फरवरी की तारीख लगाई है।

बोर्ड का गठन न होने से अटका मदरसा अधिनियम में कामिल (स्नातक) और फाजिल (स्नातकोत्तर) की डिग्रियां हटाने का संशोधन, शासन को प्रस्ताव भेजने से पहले मदरसा बोर्ड का लेना होगा अनुमोदन

बोर्ड का गठन न होने से अटका मदरसा अधिनियम में कामिल (स्नातक) और फाजिल (स्नातकोत्तर) की डिग्रियां हटाने का संशोधन, शासन को प्रस्ताव भेजने से पहले मदरसा बोर्ड का लेना होगा अनुमोदन

05 फरवरी 2025
लखनऊ। उप्र. मदरसा शिक्षा बोर्ड का गठन न होने से मदरसा शिक्षा परिषद अधिनियम-2004 में संशोधन अटक गया है। इसके तहत कामिल (स्नातक) और फाजिल (स्नातकोत्तर) की डिग्रियां इस अधिनियम के दायरे से बाहर की जानी हैं। शासन को संशोधन प्रस्ताव भेजने से पहले मदरसा शिक्षा बोर्ड से अनुमोदन लेना अनिवार्य होता है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मदरसा अधिनियम को असांविधानिक करार दिया था। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई तो शीर्ष कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यूपी मदरसा अधिनियम के सभी प्रावधान संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करते हैं। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि बारहवीं कक्षा से आगे कामिल और फाजिल का प्रमाणपत्र देने वाले मदरसों को मान्यता नहीं दी जा सकती। क्योंकि, उच्च शिक्षा यूजीसी अधिनियम के तहत संचालित होती है।

अधिनियम के दायरे से बाहर की जानी हैं कामिल और फाजिल की डिग्रियां

बता दें कि उप्र. मदरसा शिक्षा परिषद अधिनियम-2004 में बोर्ड की शक्तियां बताई गई हैं। इसमें कहा गया है कि मदरसा बोर्ड मुंशी, मौलवी, आलिम, कामिल और फाजिल पाठ्यक्रमों की परीक्षाओं का संचालन करेगा। इस एक्ट के आधार पर ही उप्र. अशासकीय अरबी और फारसी मदरसा मान्यता, प्रशासन और सेवा विनियमावली, 2016 तैयार की गई थी। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मद्देनजर यूपी में मदरसा अधिनियम और नियमावली में संशोधन होना है।

शासन के सूत्र बताते हैं कि संशोधनों का प्रस्ताव पहले मदरसा बोर्ड से पास होगा। वर्तमान में वहां न तो कोई अध्यक्ष है और न ही सदस्य। बोर्ड के निवर्तमान अध्यक्ष और चारों सदस्यों का कार्यकाल अक्तूबर में ही समाप्त हो चुका है। इसलिए बोर्ड के इन पदों पर तैनाती के बाद ही संशोधन प्रस्ताव की गाड़ी आगे बढ़ पाएगी।




मदरसों में अब कामिल (स्नातक) और फाजिल (परास्नातक) की नहीं होगी पढ़ाई, मदरसा शिक्षा परिषद ने जारी किया आदेश

दोनों डिग्रियों की भाषा विश्वविद्यालय से संबद्धता पर नहीं हुआ निर्णय

दोनों पाठ्यक्रमों के 37000 विद्यार्थियों के भविष्य को लेकर असमंजस बना

03 फरवरी 2025
लखनऊ। मदरसों में अब कामिल (स्नातक) और फाजिल (परास्नातक) की कक्षाएं नहीं संचालित होंगी। मदरसा शिक्षा परिषद ने इस संबंध में आदेश जारी किए हैं। हालांकि, पहले से पढ़ रहे विद्यार्थियों पर अब तक शासन स्तर पर कोई निर्णय नहीं हुआ है। ऐसे में करीब 37000 छात्र-छात्राओं के भविष्य पर असमंजस बना है।


उप्र. मदरसा शिक्षा परिषद की कामिल और फाजिल की डिग्री को यूजीसी से मान्यता नहीं है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इन डिग्रियों को असांविधानिक घोषित कर दिया था। इसके बाद मदरसा शिक्षा परिषद ने दोनों पाठ्यक्रमों में नए प्रवेश पर रोक लगा दी थी। इन डिग्रियों की भाषा विश्वविद्यालय से संबद्धता का मामला शासन से तय होने के बाद पढ़ रहे विद्यार्थियों के भविष्य पर फैसला होना था, लेकिन इस निर्णय से पहले ही कक्षाएं बंद करने का निर्णय हो गया है।

रजिस्ट्रार आरपी सिंह ने सभी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को पत्र भेज कर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट से डिग्री असांविधानिक घोषित होने के बाद मदरसों में कामिल और फाजिल का पठन-पाठन या अध्यापन नहीं किया जा सकता है। दोनों पाठ्यक्रमों की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों का मामला हाईकोर्ट में है। कोर्ट के निर्णय के बाद इस पर फैसला होगा। संवाद



37000 विद्यार्थियों के भविष्य पर खतरा

मदरसा परिषद से मान्यता प्राप्त और अनुदानित 16460 मदरसों में कामिल प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष में करीब 28000 और फाजिल के प्रथम व द्वितीय वर्ष में करीब 9000 विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं। मदरसा एजुकेशनल एक्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद दोनों पाठ्यक्रमों के 37000 विद्यार्थियों के भविष्य को लेकर असमंजस बना हुआ है।

Tuesday, February 4, 2025

बजट में शिक्षामित्रों व अनुदेशकों के मानदेय बढ़ाने की घोषणा की मांग

बजट में शिक्षामित्रों व अनुदेशकों के मानदेय बढ़ाने की घोषणा की मांग


लखनऊ। प्रदेश में जल्द ही नए वित्तीय वर्ष का बजट पास किया जाएगा। उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ ने प्रदेश सरकार से नए वित्तीय वर्ष के बजट में शिक्षामित्रों व अनुदेशको के मानदेय वृद्धि की घोषणा करने की मांग की है।


संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा की प्राथमिक विद्यालयों मे 1.32 लाख शिक्षामित्र व जूनियर विद्यालयों मे तैनात 27 हजार अनुदेशकों की हालत कम मानदेय के कारण बहुत ही खराब हो चुकी है। कम मानदेय की वजह से वे अपने बच्चों की पढ़ाई व माता-पिता का उचित इलाज भी नहीं करा पा रहे है। मानदेय बढ़ाने के लिए पिछले साल मंत्री व उच्च अधिकारियों के साथ कई बार बैठक भी हुई किंतु अभी तक कोई नतीजा सामने नहीं आया।

उन्होंने कहा कि जहां स्थाई शिक्षकों व कर्मचारियों के लिए 8वां पे कमीशन का एलान हो चुका है। वहीं उनके ही बराबर काम करने वाले उसी विद्यालय में कार्यरत शिक्षामित्रों व अनुदेशकों के मानदेय में कई साल से एक रुपये भी नहीं हो रही है। प्रदेश सरकार मानदेय बढ़ाने की घोषणा करे, ताकि दोनों वर्ग समानता से जीवन जी सके। 

यूपी मदरसा बोर्ड की परीक्षा समय सारिणी जारी, जानिए कब से होंगी मुंशी-मौलवी और आलिम की परीक्षा - MADRASA BOARD EXAM SCHEDULE

यूपी मदरसा बोर्ड की परीक्षा समय सारिणी जारी, जानिए कब से होंगी मुंशी-मौलवी और आलिम की परीक्षा - MADRASA BOARD EXAM SCHEDULE

परीक्षा के दौरान पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सभी केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे. परीक्षा में लगभग 90 हजार छात्र-छात्राएं होंगे शामिल


लखनऊ:उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद ने 2025 में होने वाली मुंशी (सेकेण्डरी फारसी), मौलवी (सेकेण्डरी अरबी) और आलिम (सीनियर सेकेंडरी अरबी/फारसी) परीक्षाओं की समय-सारणी जारी कर दी है. यह परीक्षाएं 17 से शुरू होकर 22 फरवरी तक चलेंगी.

मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार आरपी सिंह ने बताया कि परीक्षाएं दो पालियों में आयोजित की जाएंगी. पहली पाली सुबह 8:00 बजे से 11:00 बजे तक, जबकि दूसरी पाली दोपहर 2:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक होगी. हालांकि, शुक्रवार को केवल एक ही पाली में परीक्षा आयोजित की जाएगी. उन्होंने कहा कि मुंशी-मौलवी परीक्षाओं में कुल 6 प्रश्नपत्र होंगे, जबकि आलिम परीक्षा में 5 प्रश्नपत्र होंगे. परीक्षा में लगभग 90 हजार छात्र-छात्राएं शामिल होंगे.

मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार ने बताया कि परीक्षा केंद्रों की स्थापना की प्रक्रिया तेजी से चल रही है. परीक्षा के दौरान पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सभी केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे. इसके साथ ही मदरसा बोर्ड के अधिकारी लखनऊ से ऑनलाइन निगरानी करेंगे. परीक्षार्थियों के एडमिट कार्ड समय से पहले मदरसा बोर्ड के पोर्टल पर अपलोड कर दिए जाएंगे. यहां से छात्र-छात्राएं डाउनलोड कर सकेंगे. 

रजिस्ट्रार आरपी सिंह ने संबंधित सभी अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि परीक्षा के सफल संचालन के लिए समुचित तैयारियां सुनिश्चित की जाएं.

Gratuity: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षकों को रिटायरमेंट के बाद भी ग्रेच्युटी देने से इनकार करने वाले शासनादेश को किया रद्द

Gratuity: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षकों को रिटायरमेंट के बाद भी ग्रेच्युटी देने से इनकार करने वाले शासनादेश को किया रद्द 


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक सरकारी आदेश को इस हद तक रद्द कर दिया कि उसने उन शिक्षकों को ग्रेच्युटी देने से इनकार कर दिया, जिन्होंने कार्यकारी आदेश पर क़ानून की प्रधानता का हवाला देते हुए रिटायरमेंट की आयु से आगे जारी रखने का विकल्प चुना था। याचिका दायर की गई थी जिसमें 22.06.2018 के सरकारी आदेश के खंड 4 (1) को चुनौती दी गई थी और साथ ही याचिकाकर्ता को ग्रेच्युटी के दावे की अस्वीकृति के संचार को चुनौती दी गई थी। जीओ द्वारा, अतिरिक्त वर्षों तक काम करने वाले शिक्षकों के कारण ग्रेच्युटी से इनकार कर दिया गया था, जो उन्हें अधिक सेवा लाभ के हकदार थे।

 
यूनिवसटी कॉलेज रिटायर्ड टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन, लखनऊ और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विचार के लिए दो प्रश्न तैयार किए: क्या याचिकाकर्ता पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972 में कर्मचारियों की परिभाषा के तहत आते हैं, और क्या वे परिभाषा खंड द्वारा कवर किए जाने पर भी भुगतान से बाहर किए जाने के लिए उत्तरदायी थे। 

न्यायालय ने कहा कि एक वर्ग के रूप में शिक्षकों को 1972 के अधिनियम में संशोधन द्वारा कर्मचारियों की परिभाषा के तहत लाया गया था। यह संशोधन प्रकृति में पूर्वव्यापी था, और संशोधन अधिनियम द्वारा कवर किए गए सभी शिक्षकों को कवर करेगा। तदनुसार, यह माना गया कि शिक्षक 1972 के अधिनियम में कर्मचारियों की परिभाषा के अंतर्गत आएंगे। 

इलाहाबाद हाईकोर्ट इसके बाद, न्यायालय ने कहा कि पिछले सरकारी आदेश ने संशोधन अधिनियम के कारण शिक्षकों को कर्मचारियों की परिभाषा के दायरे में लाने के कारण सभी महत्व खो दिए थे। यूनिवर्सिटी कॉलेज मामले में न्यायालय ने अधिनियम की धारा 14 (नॉन-ऑब्स्टेंटे क्लॉज) का हवाला दिया, जिसमें यह कहा गया था कि अधिनियम के प्रावधान अन्य प्रावधानों के साथ असंगत होने के बावजूद लागू रहेंगे। यह उत्तरदाताओं का मामला नहीं था कि शिक्षकों को 1972 अधिनियम की धारा 5 के तहत प्रयोज्यता से छूट दी गई थी। तदनुसार, धारा 14 की अनिवार्य शर्तें स्वचालित रूप से लागू होंगी। 

यह भी देखा गया कि स्थापित कानून के अनुसार, क़ानून कार्यकारी आदेशों पर प्रबल होता है। इसलिए, न्यायालय ने माना था कि अतिरिक्त वर्षों की सेवा के बदले शिक्षकों द्वारा अपनी ग्रेच्युटी माफ करने का पहलू अप्रासंगिक हो जाएगा, क्योंकि स्वीकृति और निष्कासन के सिद्धांत क़ानून के खिलाफ लागू नहीं होते हैं। 

मामले के तथ्यों पर विचार करते हुए, जस्टिस मनीष माथुर ने कहा कि यूनिवर्सिटी कॉलेज में निर्णय को पूरी तरह से लागू माना गया था, एकमात्र अंतर यह था कि आयु में वृद्धि 60 से 62 वर्ष थी, जबकि यूनिवर्सिटी कॉलेज में यह 58 से 60 वर्ष थी। ग्रेच्युटी से इनकार दोनों मामलों में समान तर्क पर था। तदनुसार, याचिका को अनुमति दी गई। सरकारी आदेश और उसके बाद के संचार को रद्द कर दिया गया, उत्तरदाताओं ने याचिकाकर्ता को उसकी रिटायरमेंट की तारीख से भुगतान की तारीख तक इस तरह के बकाया पर 6% ब्याज के साथ ग्रेच्युटी का भुगतान करने का निर्देश दिया। 

आधार की कमियों की वजह से नहीं बन पा रही हैं अपार आईडी, जन्म प्रमाण पत्र बनने में भी दिक्कत, शिक्षक परेशान और जिम्मेदार नहीं दे पा रहे समाधान

आधार की कमियों की वजह से नहीं बन पा रही हैं अपार आईडी, जन्म प्रमाण पत्र बनने में भी दिक्कत, शिक्षक परेशान और जिम्मेदार नहीं दे पा रहे समाधान


बेसिक व माध्यमिक विद्यालयों में छात्रों की ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री (अपार) आईडी बनाने के लिए स्कूलों पर काफी दबाव है। इसके लिए रविवार को भी स्कूल व कार्यालय खोले गए, लेकिन अपार आईडी बनाने में सबसे बड़ी बाधा छात्रों व उनके अभिभावकों के आधार कार्ड हैं। इनमें कुछ के आधार नहीं हैं तो कुछ के आधार में कमियां हैं। इससे अपार आईडी बनने में दिक्कत आ रही है।

प्रदेश में चार फरवरी तक शत-प्रतिशत छात्रों की अपार आईडी बनाने का लक्ष्य है, लेकिन इसकी प्रगति ठीक नहीं है। शिक्षकों के मुताबिक छात्र के आधार में दर्ज नाम व पते से स्कूल के रिकॉर्ड में थोड़ा भी अंतर है तो अपार आईडी नहीं बन रही है। 


उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ (चंदेल गुट) के प्रदेश मंत्री संजय द्विवेदी ने कहा कि अपार आईडी बनाने से पहले आधार में संशोधन के लिए कैंप लगाना चाहिए जिससे ऐसी दिक्कतें न हों। उप्र. बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि आधार न होने व इसमें कमियों से काफी दिक्कतें हो रही हैं। इसके लिए भी शिक्षक पर ही दबाव बनाया जाता है।


यू-डायस में डाटा संशोधन का अधिकार प्रधानाचार्य को नहीं

विद्यालयों में एक दिक्कत यह भी आ रही है कि स्कूल स्तर पर यू-डायस में डाटा संशोधन का अधिकार प्रधानाचार्य को नहीं है। इसके लिए आवेदन भेजा जाता है और निदेशालय स्तर पर इसमें सुधार किया जाता है। इसमें काफी समय भी लगता है। 

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के निर्भय सिंह ने कहा कि बच्चों का नामांकन सिर्फ पहले क्लास में होता है। दूसरी व तीसरी क्लास में बच्चे का पुराना ही डाटा लिया जाता है। किसी भी तरह के संशोधन के लिए मैनुअल प्रस्ताव लिया जाता है और फिर निदेशालय इस पर कार्यवाही करता है। डाटा संशोधन का अधिकार प्रधानाचार्य को दिया जाना चाहिए।


जन्म प्रमाण पत्र बनने में भी दिक्कत

प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने महानिदेशक स्कूल शिक्षा को पत्र लिखकर कहा है कि तहसील व खंड विकास अधिकारी कार्यालय से छात्रों के जन्म प्रमाणपत्र समय से नहीं जारी हो रहे हैं। इससे अपार आईडी बनने में भी दिक्कत आ रही है। आधार कार्ड न होने से छात्रों को डीबीटी का लाभ भी नहीं मिल रहा है। बच्चों व अभिभावकों के आधार कार्ड व स्कूल डाटा में भी अंतर है। इन समस्याओं की तरफ ध्यान दिया जाए।

Monday, February 3, 2025

बेसिक टीचर्स क्रिकेट उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में आयोजित हो रहा 1st उत्तर प्रदेश टीचर प्रीमियर लीग (UPTPL-01), लगेगा प्रदेश भर के बेसिक शिक्षा कर्मी क्रिकेटरों का जमावड़ा

बेसिक टीचर्स क्रिकेट उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में आयोजित हो रहा 1st उत्तर प्रदेश टीचर प्रीमियर लीग (UPTPL-01), लगेगा प्रदेश भर के बेसिक शिक्षा कर्मी क्रिकेटरों का जमावड़ा 



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1st उत्तर प्रदेश टीचर प्रीमियर लीग
           (UPTPL) 2025
               ग्लोबल कप 
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बेसिक टीचर्स क्रिकेट उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में दिनांक 26 फरवरी 2025 से 02 मार्च 2025 के मध्य UPTPL-2025 का आयोजन बरेली शहर के GP ग्राउंड, रेलवे स्टेडियम रोड नंबर 04 एवं खलीफा खुसरो मैदान में आयोजित होगा।


जिसके मुख्य बिंदु निम्नवत है:-

01. बेसिक विभाग में कार्यरत समस्त कार्मिक उक्त आयोजन में प्रतिभाग के सकेंगे।(बेसिक विभाग की EHRMS कोड अनिवार्य)

02. प्रत्येक खिलाड़ी हेतु पंजीकरण शुल्क 1500/- रुपए एवं कप्तान बनने के इच्छुक खिलाड़ियों हेतु पंजीकरण शुल्क 2500/- रुपए होगा।(पंजीकरण फॉर्म PDF या Jpg फाइल के रूप में अलग से प्राप्त हो जाएगा।) (नीचे देखें)
अंतिम तिथि 10 फरवरी 2025

03. प्रत्येक टीम हेतु फ्रेंचाइजी आयोजन समिति निर्धारित करेगी।
अंतिम तिथि 11 फरवरी 2025

04. प्रत्येक टीम हेतु एक मेंटर आयोजन समिति निर्धारित करेगी।
अंतिम तिथि 12 फरवरी 2025

05. प्रत्येक टीम हेतु कप्तान का चयन उपलब्ध विकल्पों में से फ्रेंचाइजी - मेंटर एवं आयोजन समिति समेकित रूप से करेगी।
अंतिम तिथि 13 फरवरी 2025

06. प्रत्येक टीम का नाम आयोजन समिति - फ्रेंचाइजी - मेंटर - कप्तान समेकित रूप से सभी मिलकर निर्धारित करेंगे।
अंतिम तिथि 14 फरवरी 2025

07. जिस खिलाड़ी/कप्तान का चयन किसी टीम में अंतिम 16 में हो जाएगा,उसका पंजीकरण शुल्क 1500/- या 2500/- आयोजन समिति के पास जमा हो जाएगा एवं शेष का पंजीकरण शुल्क वापस हो जायेगा।

08. प्रत्येक फ्रेंचाइजी - मेंटर को 24000 प्वाइंट प्राप्त होंगे।जिसमें से प्रत्येक कप्तान की खरीद में 3000 प्वाइंट खर्च माने जाएंगे। शेष 21000 प्वाइंट से अन्य 15 खिलाड़ियों का चयन खुले ऑक्शन में करना होगा।

09. किसी खिलाड़ी के अंतिम 16 में चयन होने पर किसी धनराशि की प्राप्ति खिलाड़ी को न होगी।चयनित खिलाड़ियों का पंजीकरण शुल्क आयोजन समिति के पास जमा हो जाएगा।

10. प्रत्येक फ्रेंचाइजी को खिलाड़ी ऑक्शन में बोली हेतु प्रत्येक सफल बोली के बाद एक नियत प्वाइंट का लिफाफा प्राप्त होता जाएगा। कुल 16 लिफाफे प्वाइंट के प्राप्त होंगे।

यथा - प्रथम लिफाफा कप्तान चयन हेतु 3000 प्वाइंट
द्वितीय लिफाफा खिलाड़ी चयन हेतु 2500 प्वाइंट
तृतीय लिफाफा खिलाड़ी चयन हेतु 2500 प्वाइंट
चतुर्थ लिफाफा खिलाड़ी चयन हेतु 2500 प्वाइंट
पंचम लिफाफा खिलाड़ी चयन हेतु 2500 प्वाइंट
षष्ठ लिफाफा खिलाड़ी चयन हेतु 1000 प्वाइंट
......
......
......
षोडश लिफाफा खिलाड़ी चयन हेतु 1000 प्वाइंट
कुल 24000 प्वाइंट
             
          
          ऑक्शन टेबल
पसंद     Max खर्च   Max बोल 
1st कप्तान  3000    3000
2nd पसंद    5500    2500
3rd पसंद     8000    2500
4th पसंद   10500    2500
5th पसंद   13000    2500
6th पसंद   14000    1000
7th पसंद   14000    1000
8th पसंद  14000    1000
9th पसंद   14000    1000
10th पसंद 14000    1000
11th पसंद 14000    1000
12th पसंद 14000    1000
13th पसंद 14000    1000
14th पसंद 14000    1000
15th पसंद 14000    1000
16th पसंद 14000    1000
(प्रत्येक सफल बोली के बाद ही अगला प्वाइंट लिफाफा मिलेगा।)

11. प्रत्येक फ्रेंचाइजी को अधिकतम 24000 प्वाइंट से ही 16 खिलाड़ी चयनित करने होंगे।

12. प्रत्येक खिलाड़ी का बेस प्वाइंट स्तर 1000 प्वाइंट होगा एवं प्रत्येक बोली कम से कम 50 अंक से आगे बढ़ती हुई अधिकतम 2500 अंक तक जाएगी।

13. किसी खिलाड़ी हेतु 2500 प्वाइंट तक बोली जाने पर यदि एक से अधिक फ्रेंचाइजी टीम का दावा प्रस्तुत होता है तो खिलाड़ी हेतु क्वाइन उछाल के टीम निर्धारित होगी।

14. प्रत्येक कप्तान का बेस प्वाइंट स्तर 3000 प्वाइंट का ही होगा। एक ही कप्तान हेतु एक से अधिक दावा प्रस्तुत होने पर क्वाइन उछाल के टीम हेतु कप्तान का चयन होगा।

15. प्रत्येक फ्रेंचाइजी- मेंटर- कप्तान की समेकित जिम्मेदारी होगी कि 16 सदस्यीय टीम से प्रत्येक उपलब्ध खिलाड़ी को कुल 05 लीग में से कम से कम 02 लीग मैच अवश्य प्रतिभाग करने को प्राप्त हो।

16. प्रत्येक टीम को एक दिन में 20-20 ओवर के दो लीग मैच खेलने को होंगे।

17. प्रत्येक टीम को कुल 05लीग मैच खेलने को मिलेगे।

18. टेबल टॉप 04 टीम अगले चरण में प्रवेश करेगी।
टेबल टॉपर एवं टेबल 2nd टॉपर के मध्य क्वालीफायर प्रथम एवं टेबल 3rd प्लेस एवं 4th प्लेस के मध्य एलिमिनेटर खेला जाएगा।

19. क्वालीफायर प्रथम के लूजर एवं एलिमिनेटर के विनर के मध्य क्वालीफायर द्वितीय खेला जाएगा।

20. क्वालीफायर प्रथम विजेता एवं क्वालीफायर द्वितीय विजेता के मध्य ग्रैंड फिनाले का आयोजन होगा।



📢   समय सारिणी (प्रत्येक टीम हेतु)

26Feb 08:00AM to 11:30PM प्रथम लीग मैच
26Feb 01:00PM to 04:30PM द्वितीय लीग मैच

27Feb 08:00AM to 11:30PM तृतीय लीग मैच
27Feb 01:00PM to 04:30PM चतुर्थ लीग मैच

28Feb 08:00AM to 11:30PM पंचम लीग मैच
28Feb 01:00PM to 04:30PM एलिमिनेटर मैच

01March 08:00AM to 11:30PM Q1 मैच
01March 01:00PM to 04:30PM Q2मैच

02 March 2025 ग्रैंड फिनाले


आयोजक :-
नित्यानंद - केसी पटेल - अनवर हसनैन 
Mob Number 7017909190
बेसिक टीचर्स क्रिकेट उत्तर प्रदेश
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