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Friday, January 31, 2025

बर्थ सर्टिफिकेट और आधार के फेर में अटका 'अपार', 50 फीसदी से भी कम विद्यार्थियों की बनी अपार ID, जिम्मेदार समस्याओं का हल देने के स्थान पर शिक्षकों को वेतन रोकने का नोटिस देने में जुटे

बर्थ सर्टिफिकेट और आधार के फेर में अटका 'अपार', 50 फीसदी से भी कम विद्यार्थियों की बनी अपार ID,  जिम्मेदार समस्याओं का हल देने के स्थान पर शिक्षकों को वेतन रोकने का नोटिस देने में जुटे 


लखनऊ । आधार कार्ड और बर्थ सर्टिफिकेट के फेर में बच्चों के 'अपार' (Automated Permanent Academic Account Registry) आईडी नहीं बन पा रहे हैं। अभी तक प्रदेश में 50 फीसदी छात्रों के ही 'अपार' आईडी बन पाए हैं। बेसिक स्कूलों में 30 जनवरी तक यह आईडी बना लिए जाने चाहिए थे। ऐसा न होने पर शिक्षकों को वेतन रोकने के नोटिस भेजे गए हैं। कई जिलों में तो बीएसए ने वेतन रोकने के आदेश भी दे दिए हैं। वहीं सरकारी और निजी स्कूलों को भी नोटिस दिए गए हैं।




केंद्र सरकार के निर्देश पर 'वन नेशन, वन स्टूडेंट आईडी' योजना के तहत हर छात्र के शैक्षणिक ब्योरे को डिजिटल तौर पर सुरक्षित रखने के मकसद से अपार आईडी बनाए जा रहे है। इसको लेकर राज्य सरकारों पर भी दबाव है।

ये हैं दिक्कतें

■ जन्मप्रमाण पत्र के अभाव में आधार कार्ड नहीं बना।
■ स्कूल रिकॉर्ड और आधार में नाम अलग-अलग मिले।
■ कुछ छात्रों के आधार कार्ड में लिंग गलत लिखा है।
■ स्कूल रिकॉर्ड और आधार में जन्म तिथि में अंतर है।
■ कुछ बच्चों ने बिना नाम कटवाए दूसरे स्कूलों में दाखिला लिया। दोनों जगह नाम होने से आईडी नहीं बन पा रहा है।


अपडेट के लिए परेशान अभिभावक

अभिभावकों की सबसे बड़ी परेशानी जन्म प्रमाण पत्र और आधार अपडेट करने को लेकर है। राजाजीपुरम के अनूपमणि अपने पुत्र रुद्र का आधार अपडेट कराने गए तो बताया गया कि जन्म प्रमाण पत्र मैनुअल है। डिजिटल प्रमाण पत्र चाहिए। निगम में बताया गया कि तहसील से एफिडेविट बनाने के बाद ही जन्म प्रमाण पत्र बन पाएगा।


स्कूल और आधार के ब्योरे में अंतर

प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन के अध्यक्ष विनय सिंह बताते है कि कई छात्रों के स्कूल के रजिस्टर में और आधार में जन्म तिथि अलग-अलग है। ज्यादातर के पास जन्म प्रमाण पत्र भी नहीं है। है तो आधार और जन्म प्रमाण पत्र में अंतर है।


अनिवार्य नहीं आधार

अपार आईडी के लिए भी केंद्र सरकार ने आधार की अनिवार्यता की बात नहीं कही है लेकिन सरकारी और निजी स्कूलों में आधार अनिवार्य तौर पर मांगा जा रहा है। बिना आधार के अपार आईडी नहीं बना रहे। आधार बनवाने और उसे अपडेट करवाने के लिए लाइनें लग रही है। इसी वजह से सबसे ज्यादा दिक्कत आ रही है।

रिश्वत लेते डीआईओएस ऑफिस बिजनौर का बाबू गिरफ्तार

रिश्वत लेते डीआईओएस ऑफिस बिजनौर का बाबू गिरफ्तार 

शिकायतकर्ता का कर रहे थे मानसिक उत्पीड़न


बिजनौर। एंटी करप्शन मुरादाबाद की टीम द्वारा बाबू देवेंद्र सिंह चौहान को दस हजार की रिश्वत लेते पकड़ने के बाद से डीआईओएस कार्यालय में हड़कंप मचा गया।

शिकायतकर्ता राधेश्याम ने कहा कि देवेंद्र कुमार की प्रबंधक से मिलीभगत थी और दवाब बनाकर मानसिक प्रताड़ित कर रहे थे। बताया कि देवेन्द्र कुमार 80 हजार किस्तों के रूप में ले चुके और 50 हजार की मांग कर रहे थे। गुरुवार को दस हजार रुपये देने थे। जिसके बाद एंटी करप्शन मुरादाबाद की टीम का दरवाजा खटखटाया। उनके कार्यालय में गया और दस हजार रुपये दे दिए। 500-500 के नोट थे। जैसे ही वह गिन रहे थे टीम ने आकर उन्हें दबोच लिया।


ये था मामला: राधेयश्याम आर्य कन्या इंटर कालेज नजीबाबाद चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं। 20 अप्रैल 2022 को प्रबंधक और प्रधानाचार्य ने झूठे आरोप लगाकर सस्पेंड करा दिया था। इसी के सम्बंध में पूर्व डीआईओएस ने जांच करा कर वेतन बहाली के आदेश कर दिए थे। जिसे लेकर मैनेजमेंट कोर्ट चला गया। इसके बाद कोर्ट ने डीआईओएस को आदेशित किया कि प्रकरण को पुन: संज्ञान में लेकर इनकी मदद की जाए तो डीआईओएस ने मेरे पक्ष में आदेश कर दिया।

 जब आदेश लेकर कार्यभार ग्रहण करने के लिए उपस्थित हुआ तो भी ज्वाइन नहीं कराया और मैनेजमेंट दोबारा कोर्ट चले गए। वेतन बहाली और ज्वाइन कराने के नाम पर बाबू देवेंद्र सिंह चौहान रिश्वत की मांग कर रहे थे।


साहब से तो बात करा दो

टीम ने जब बीएसए कार्यालय पर पहुंचकर प्रधान सहायक देवेन्द्र सिंह चौहान को रिश्वत लेते पकड़ा तो वह रोने लगा। रोते हुए कहा कि साहब से तो बात करा दो। वह एंटी करप्शन टीम की गाड़ी में बैठने से पहले डीआईओएस से बात करने के लिए मान मनोव्वल कर रहा था, लेकिन उनकी बात किसी ने नहीं सुनी।

बेसिक शिक्षकों और शिक्षामित्रों के तबादलों की प्रक्रिया पर लगा ग्रहण, शासनादेश के एक माह बाद भी नहीं जारी हुआ कार्यक्रम


बेसिक शिक्षकों और शिक्षामित्रों के तबादलों की प्रक्रिया पर लगा ग्रहण,  शासनादेश के एक माह बाद भी नहीं जारी हुआ कार्यक्रम

31 जनवरी 2025
लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों का जिले के अंदर परस्पर तबादले व एक से दूसरे जिले में परस्पर तबादले की प्रक्रिया एक महीने बाद भी नहीं शुरू हो पाई है। शिक्षामित्रों के समायोजन की प्रक्रिया भी आगे नहीं बढ़ पाई है। इससे शिक्षक व शिक्षामित्र खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।

प्रदेश में परस्पर व सामान्य तबादला जाड़े व गर्मी की छुट्टी में करने का पूर्व में निर्देश दिया गया है। इसके तहत 2023 में शुरू हुई तबादले की प्रक्रिया जनवरी 2024 में पूरी की गई। करीब एक साल बाद जिले के अंदर तबादले का शासनादेश बीती 27 दिसंबर व जिले के बाहर तबादले का शासनादेश सात जनवरी को जारी किया गया था। इसके बाद 10 जनवरी तक शिक्षकों का डाटा अपडेट करने का निर्देश दिया गया।

पर, स्थिति ये है कि जिले के अंदर परस्पर तबादले की प्रक्रिया बेसिक शिक्षा विभाग नहीं शुरू कर सका है। वहीं, शिक्षकों को एक से दूसरे जिले में परस्पर तबादले का भी इंतजार है। शिक्षकों का कहना है कि एक तो विभाग हर छह महीने में होने वाली प्रक्रिया को एक साल बाद शुरू कर रहा है। अब उसे भी टरकाया जा रहा है।

शिक्षकों का कहना है कि शासनादेश जारी करने में जाड़े की छुट्टी बीत गई, अब प्रक्रिया पूरी करने में गर्मी की छुट्टी बीत जाएगी। विभाग को गर्मी की छुट्टियों से पहले सभी औपचारिकता पूरी करनी चाहिए ताकि छुट्टी के दौरान शिक्षकों को रिलीव और जॉइन कराया जा सके। शिक्षकों ने बताया कि विभाग में इस पर कोई जानकारी भी नहीं दे रहा है।


बेसिक शिक्षा विभाग शिक्षकों के साथ छल कर रहा है। एक-एक प्रक्रिया पूरी करने में छह- छह महीने लगेंगे तो शिक्षक को तबादले के लिए काफी लंबा इंतजार करना पड़ेगा। जल्दी ही प्रक्रिया पूरी कर गर्मी की छुट्टियों में तबादले का लाभ शिक्षकों को देना चाहिए। - डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष, उप्र प्राथमिक शिक्षक संघ

परस्पर तबादले का शासनादेश जारी होने के बाद शिक्षकों का डाटा अपडेट करने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। इसकी सूचनाएं जिलों से मांगी गई हैं। उच्च स्तर पर वार्ता करके आगे का कार्यक्रम जल्द जारी किया जाएगा। - सुरेंद्र तिवारी, सचिव, बेसिक शिक्षा परिषद




पारस्परिक अन्तर्जनपदीय तबादला आदेश ठंडे बस्ते में, शासनादेश जारी हुए 18 दिन बीते बेसिक शिक्षा विभाग अब तक समय सारणी तक जारी नहीं कर सका

28 जनवरी 2025
लखनऊ । प्राइमरी शिक्षकों के जिले के बाहर पारस्परिक स्थानांतरण का आदेश अब ठंडे बस्ते में जाता दिख रहा है। शिक्षकों के पारस्परिक स्थानांतरण को लेकर शासनादेश के जारी हुए 18 दिन बीत चुके हैं परन्तु बेसिक शिक्षा विभाग अब तक समय सारणी तक जारी नहीं कर सका है। परिषदीय शिक्षक प्रक्रिया प्रारंभ होने में हो रही इस देरी से काफी परेशान हैं।


 गत वर्ष जून 2023 में पारस्परिक स्थानांतरण प्रक्रिया प्रारंभ हुई थी और साल भर बाद जून 2024 में पूर्ण हो सकी थी। इस बार यदि आवेदन प्रक्रिया समय पर शुरू हो जाती, तो शिक्षकों को इस ग्रीष्मावकाश में अपने वांछित जनपद में जाने का मौका मिल सकता है लेकिन समय सारिणी जारी न होने से शिक्षकों में निराशा की स्थिति बनी हुई है। गत वर्ष 1398 जोड़ों यानी करीब 2800 शिक्षकों को इसका लाभ मिला था।


शासनादेश जारी होने के ढ़ाई सप्ताह से अधिक समय के व्यतीत होने के बाद भी विभाग में कोई कवायद शुरू नहीं होने के पीछे विभागीय अधिकारियों की लापरवाही को माना जा रहा है। क्योंकि बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों के नाम सर्कुलर जारी कर कहा था कि परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक-शिक्षिकाओं के अन्तः जनपदीय पारस्परिक स्थानांतरण की कार्यवाही राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र, लखनऊ द्वारा विकसित सॉफ्टवेयर के माध्यम से ऑनलाइन सम्पादित किया जाना है लिहाजा मानव सम्पदा पोर्टल पर शिक्षकों के विवरण मसलन, पदनाम, जन्मतिथि, मोबाइल नम्बर, नियुक्ति तिथि आदि विवरण को संशोधित व अपडेट किए जाने की कार्यवाही हरहाल में 10 जनवरी तक पूर्ण कर ली जाए लेकिन आधे से भी अधिक जिलों में इस दिशा में कोई कार्य ही नहीं हो सके है। ऐसे में पारस्परिक तबादले की प्रक्रिया लटकती नजर आ रही है।

■ 18 दिन बाद भी नहीं बनी समय सारिणी

■ परिषदीय शिक्षक प्रक्रिया में देरी से परेशान

यूपी बोर्ड: गुलाबी रंग की कॉपी पर 10वीं और भूरे रंग की कॉपी पर 12 वीं की देंगे परीक्षार्थी

यूपी बोर्ड: गुलाबी रंग की कॉपी पर 10वीं और भूरे रंग की कॉपी पर 12 वीं की देंगे परीक्षार्थी

31 जनवरी 2025
लखनऊ। यूपी बोर्ड की परीक्षाओं में इस्तेमाल होने वाली कॉपियों का रंग इस बार अलग-अलग होगा। 10वीं की परीक्षा देने वालों को गुलाबी व 12वीं के परीक्षार्थियों को भूरे रंग की कॉपी मिलेगी। ये कॉपियां जिलों में पहुंच चुकी हैं और राजकीय इंटर कॉलेजों में रखी जा रही हैं। जल्द ही इन्हें परीक्षा केंद्रों पर भेजा जाएगा। कॉपियों के पेज पर परिषद का चिह्न भी बना होगा।

 माध्यमिक शिक्षा परिषद ने नकल रोकने के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। कॉपियों के रंग में बदलाव किया है। हाईस्कूल की कॉपी के पेज तीन और इंटर की कॉपी के पेज 10 पर परिषद का मोनोग्राम बनाया गया है, ताकि कॉपियों में कोई हेराफरी न हो सके।

शिक्षकों और कर्मचारियों को उत्तर पुस्तिकाओं के मिलान में लगाया गया है। परीक्षा केंद्र में परीक्षार्थियों की संख्या के अनुसार कॉपियों के बंडल बनाए जा रहे हैं। 24 फरवरी से शुरू होने जा रही यूपी बोर्ड की परीक्षा।




12 फरवरी से भेजे जाएंगे यूपी बोर्ड परीक्षा के प्रश्नपत्र, परीक्षा के दौरान छुट्टी में भी जिला नहीं छोड़ेंगे डीआईओएस 

19 जनवरी 2025
प्रयागराज : 24 फरवरी से शुरू हो रही यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा के लिए प्रश्नपत्रों को 12 फरवरी से जिलों को भेजना शुरू होगा और 16 फरवरी तक सभी जिलों में प्रश्नपत्र पहुंचा दिए जाएंगे। माध्यमिक शिक्षा निदेशक और यूपी बोर्ड के सभापति डॉ. महेन्द्र देव ने सभी मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों, मंडलीय उप शिक्षा निदेशकों और जिला विद्यालय निरीक्षकों को 16 जनवरी को निर्देश भेजे हैं। अपरिहार्य कारणों से प्रश्नपत्र निर्धारित तिथि के एक-दो दिन पहले या बाद में भी पहुंच सकते हैं।


निदेशक ने डीआईओएस को निर्देश दिया है कि परीक्षा जैसे महत्वपूर्ण एवं अतिसंवेदनशील कार्य को देखते हुए परीक्षा अवधि के दौरान अवकाश तिथियों पर भी जिला मुख्यालय न छोड़ें। साथ ही कार्ययोजना बनाकर जिले में प्रश्नपत्र पहुंचने के तीन दिन पूर्व ही कंट्रोल रूम स्थापित करते हुए ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित कराएं कि जिला मुख्यालय या डीआईओएस कार्यालय पर हर समय कोई न कोई राजपत्रित अधिकारी अवश्य रहे। परीक्षा अवधि में विशेष परिस्थिति में ही वैकल्पिक व्यवस्था करते हुए अवकाश स्वीकृत किया जाए। जिला प्रशासन से अनुरोध करके डीआईओएस प्रश्नपत्रों के सील्ड कार्टन बॉक्स पहुंचने के पहले ही उसकी सुरक्षा के लिए आवश्यकतानुसार सशस्त्रत्त् पुलिस बल की व्यवस्था सुनिश्चित कर लें। प्रश्नपत्रों के पहुंचते ही उन्हें सुरक्षित स्थान पर पुलिस अभिरक्षा में रखवाया जाए। प्रश्नपत्रों के बॉक्स जिस कमरे में रखे जाएं उसमें लगे दरवाजे, खिड़की व कुंडी आदि की जांच कर लें तथा वहां दीमक, चूहों, नमी, वर्षा आदि से सुरक्षा की व्यवस्था सुनिश्चित कर लें। प्रश्नपत्रों की गोपनीयता व सुरक्षा के लिए जिला मुख्यालय एवं वितरण के बाद परीक्षा केंद्र पर प्रश्नपत्र पहुंचने के तीन दिन पहले से स्ट्रांग रूम स्थापित कर लिया जाए तथा 24 घंटे सातों दिन सीसीटीवी कैमरा क्रियाशील रखा जाए। कैमरे की रिकार्डिंग कम से कम छह महीने तक सुरक्षित रखी जाए और आवश्यकता पड़ने पर बोर्ड को उपलब्ध कराना होगा। पेपरलीक की आशंका को समाप्त करने के लिए परीक्षा केंद्रों पर प्रश्नपत्रों की प्राप्ति की तिथि से ही आवश्यकता के अनुसार टीम गठित कर उसकी निगरानी की व्यवस्था की जाएगी।


नकल की तो नहीं जंचेगी उत्तरपुस्तिका

प्रयागराज : यूपी बोर्ड की 24 फरवरी से शुरू हो रही हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा के दौरान कोई छात्र या छात्रा नकल करते पकड़ा गया तो उसकी कॉपी नहीं जांची जाएगी। एक करोड़ का जुर्माना या जेल की सजा नकल करवाने वालों पर ही लागू होगी। सचिव भगवती सिंह ने साफ किया है कुछ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तथा अवांछित तत्व भ्रामक सूचनाएं प्रसारित कर रहे हैं कि उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) अधिनियम-2024 के तहत अनुचित साधन का प्रयोग करने वाले परीक्षार्थियों को आर्थिक जुर्माना तथा कारावास की सजा दी जाएगी। संशोधित नियमावली में यह प्रावधान है कि जुर्माना या दंड उन परीक्षार्थियों पर लागू नहीं होंगे जो शैक्षणिक, तकनीकी, व्यावसायिक या अन्य योग्यता प्राप्त करने के लिए सार्वजनिक परीक्षा में सम्मिलित हो रहे हैं।

Thursday, January 30, 2025

यूपी बोर्ड ने हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा कार्य से जुड़े लोगों के लिए 'क्या करें और क्या न करें' संबंधी गाइडलाइन जारी की

परीक्षा से पहले सेक्टर मजिस्ट्रेट करेंगे केंद्रों का निरीक्षण व समीक्षा

किसी भी दशा में बालिकाओं की तलाशी नहीं लेंगे पुरुष अध्यापक व कर्मचारी

यूपी बोर्ड ने हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा कार्य से जुड़े लोगों के लिए 'क्या करें और क्या न करें' संबंधी गाइडलाइन जारी की

29 जनवरी 2025
प्रयागराज। यूपी बोर्ड ने हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा कार्य से जुड़े लोगों के लिए 'क्या करें और क्या न करें' संबंधी गाइडलाइन जारी की है। बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने सभी मंडलीय व उप शिक्षा निदेशकों को पत्र भेजकर निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित कराने को कहा है।

सेक्टर मजिस्ट्रेट को परीक्षा से पूर्व केंद्रों का निरीक्षण कर परीक्षा की सभी आवश्यक तैयारियों की समीक्षा करनी होगी। यह भी देखना होगा कि केंद्रों में लगे सीसीटीवी कैमरे और वायस रिकॉर्डर ठीक ढंग से काम कर रहे हैं या नहीं। वहीं, संवदेनशील व अतिसंवेदनशील केंद्रों का सघन रूप से निरीक्षण करना होगा। परीक्षा शुरू होने व समाप्त होने पर परीक्षा केंद्र के पास असामाजिक तत्व इकट्ठा न होने पाए।

वहीं, स्टेटिक मजिस्ट्रेट को अपनी निगरानी में परीक्षा शुरू होने से पहले प्रश्नपत्र का लिफाफा खुलवाना होगा। साथ ही सिटिंग प्लान व 50 फीसदी बाह्य कक्ष निरीक्षकों की उपस्थिति की जांच करनी होगी। परीक्षा के बाद सीसीटीवी कैमरे और वायस रिकॉर्डर को सुरक्षित रखवाना होगा।

वहीं, केंद्र व्यवस्थापकों की जिम्मेदारी होगी कि तीन दिन पहले स्ट्रॉन्ग रूम स्थापित कर लिए जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि सीसीटीवी कैमरे 24 घंटे क्रियाशाली रहे। यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि किसी भी दशा में पुरुष अध्यापक या कर्मचारी बालिका परीक्षाओं की तलाशी नहीं लेंगे।



यूपी बोर्ड परीक्षा में निरीक्षण दल से बदसलूकी पड़ेगी भारी, होगी जेल

यूपी बोर्ड : निरीक्षण दल के सदस्यों को प्रलोभन देने पर भी होगा जुर्माना और कारावास

माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने नकल विहीन परीक्षा के लिए जारी किए निर्देश

28 जनवरी 2025
प्रयागराज। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा के दौरान निरीक्षण दल से बदसलूकी भारी पड़ेगी। ऐसा करने पर उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) अधिनियम, 2024 की धारा-13 (4) के तहत कारावास और जुर्माना होगा। माध्यमिक शिक्षा निदेशक महेंद्र देव ने प्रश्नपत्रों की गोपनीयता, शुचिता बनाए रखने और नकलविहीन परीक्षा कराने के लिए केंद्रों के निरीक्षण के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए हैं। 

किसी निरीक्षण दल के किसी सदस्य, पर्यवेक्षी कर्मचारी, अधिकारी या सहयोजित किसी व्यक्ति को धमकी, उत्प्रेरणा, प्रलोभन, बाधा या बल प्रयोग से प्रभावित करने या प्रभावित करने करने का प्रयास करने पर जुर्माना व कारावास की सजा होगी। परीक्षा से संबंधित किसी कार्य या किसी कर्तव्य के पालन का कार्य सौंपे जाने पर किसी व्यक्ति द्वारा जानबूझकर उपेक्षा की जाती है और इससे प्रश्नपत्र का प्रकटन हो सकता है या परीक्षा का संचालन प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो सकता है, ऐसी स्थिति में कारावास व जुर्माना होगा।

साथ ही बोर्ड परीक्षा में परीक्षा से संबंधित किसी कार्य या किसी कर्तव्य के पालन का कार्य सौंपे जाने पर किसी व्यक्ति द्वारा जानबूझकर किसी कार्य या कर्तव्य की उपेक्षा की जाती है और इससे प्रश्नपत्र का प्रकटन हो सकता है या परीक्षा का संचालन प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो सकता है, ऐसी स्थिति में भी अधिनियम की धारा-14 के तहत कारावास व जुर्माना होगा।

इसके अलावा किसी परीक्षा केंद्र पर निरीक्षण के दौरान सार्वजनिक परीक्षा के संचालन में किसी प्रकार की अनियमितता एवं अनुचित साधन के प्रयोग की स्थिति पाए जाने पर संबंधित के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई जाएगी और केंद्र व्यवस्थापक व कक्ष निरीक्षकों को कार्य से हटा दिया जाएगा।

निरीक्षण के दौरान यह भी देखा जाएगा कि बोर्ड परीक्षा के संचालन से संबंधित कार्य कोई व्यक्ति निर्धारित समय से पहले प्रश्नपत्रों का वितरण करता है या पेपर खोलता है, जिससे पेपर वायरल हो सका है, ऐसी स्थिति में उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। 


इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से होगी आख्या की पुष्टि

महेंद्र देव ने कहा है कि नकलविहीन परीक्षा के लिए केंद्रों पर कंप्यूटर प्रणाली, सीसीटीवी कैमरे, वॉयस रिकॉर्डर, वेबकास्टिंग के लिए राउटर लगाने की व्यवस्था की गई है। ऐसे में केंद्र पर पाई जाने वाली अनियमितता व सामूहिक नकल की स्थिति में निरीक्षण दल अपनी आख्या प्रेषित करने से पहले इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से भी इसका मिलान कर ले, ताकि बाद में कोई विवाद न हो। आख्या की पुष्टि ऑनलाइन डिवाइस से ही होगी।




यूपी बोर्ड परीक्षा केंद्रों में तीन सदस्यीय दस्ता गेट पर करेगा जांच

19 जनवरी 2025
प्रयागराज : यूपी बोर्ड की हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षा 2025 के दौरान परीक्षा केंद्र परिसर में प्रवेश के पूर्व ही प्रवेश द्वार पर परीक्षार्थियों की तलाशी लिए जाने के लिए आंतरिक निरीक्षक दस्ते का गठन करने के निर्देश दिए गए हैं। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को निर्देशित किया है कि परीक्षाओं में अनुचित साधन प्रयोग (नकल) रोकने, परीक्षाओं की शुचिता, पवित्रता, गुणवत्ता एवं विश्वसनीयता तथा विधि-व्यवस्था बनाए रखने के लिए तीन सदस्यीय दस्ते गठित किए जाएंगे।

आंतरिक निरीक्षण दस्ते में एक महिला अध्यापिका सहित तीन सदस्य रखे जाएंगे। केंद्र व्यवस्थापक यह सुनिश्चित करेंगे कि आंतरिक निरीक्षण दस्ते में उस विषय के अध्यापक न लगाए जाएं, जिस विषय की परीक्षाएं आयोजित हो रही हो। जिला प्रशासन के सहयोग से आंतरिक निरीक्षण दस्ते के सदस्य परीक्षार्थियों की व्यापक रूप से तलाशी लेंगे। केंद्रों पर पुरुष सदस्य बालिकाओं की तलाशी नहीं लेंगे।



यूपी बोर्ड : नकल करते पकड़े गए तो नहीं होगा कॉपी का मूल्यांकन, सचिव ने स्पष्ट की स्थिति

18 जनवरी 2025
प्रयागराज। यूपी बोर्ड की परीक्षाएं 24 फरवरी से शुरू हो रही हैं। बोर्ड ने नकल रोकने के तमाम इंतजाम किए हैं। यदि कोई परीक्षार्थी अनुचित साधनों का प्रयोग करते हुए पाया जाता है तो उसकी उत्तरपुस्तिका का मूल्यांकन नहीं किया जाएगा। यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह का कहना है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म व आवांछित तत्वों द्वारा भ्रामक सूचनाएं प्रसारित की जा रहीं हैं कि उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) अधिनियम-2024 के प्रावधानों तहत अनुचित प्रावधान प्रयोग करने वाले परीक्षार्थियों को आर्थिक जुर्माना व कारावास की सजा दी जाएगी। सचिव ने स्पष्ट किया है कि सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) अधिनियम-2024 यूपी बोर्ड की परीक्षाओं पर लागू नहीं होता है।





अधिनियम में वार्णित है कि जुर्माना या सजा से संबंधित उपबंध उन परीक्षार्थियों पर लागू नहीं होंगे, जो शैक्षणिक, तकनीकी, व्यावसायिक या अन्य योग्यता प्राप्त करने के लिए किसी सार्वजनिक परीक्षा में शामिल हो रहे हैं। इस तरह की भ्रामक सूचनाओं का संज्ञान न लिया जाए। ऐसी भ्रामक सूचनाएं प्रसारित करने वालों के खिलाफ विधिक कार्रवाई की जाएगी।


CBSE Single Girl Child Scholarship: सिंगल गर्ल चाइल्ड स्कॉलरशिप के लिए आवेदन की लास्ट डेट बढ़ी, अब 8 फरवरी तक करें अप्लाई

CBSE Single Girl Child Scholarship: सिंगल गर्ल चाइल्ड स्कॉलरशिप के लिए आवेदन की लास्ट डेट बढ़ी, अब 8 फरवरी तक करें अप्लाई


28 जनवरी 2025
CBSE Scholarship 2025: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने सिंगल गर्ल चाइल्ड स्कॉलरशिप के लिए आवेदन की अंतिम तिथि को आगे बढ़ा दिया है. अब छात्राएं इसके लिए 8 फरवरी तक रजिस्ट्रेशन कर सकती हैं. पहले अप्लाई करने की लास्ट डेट 10 जनवरी थी.

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने सिंगल गर्ल चाइल्ड स्कॉलरशिप के लिए अप्लाई करने की लास्ट डेट को आगे बढ़ा दिया है. अब इसके लिए 8 फरवरी तक आवेदन किए जा सकते हैं. रजिस्ट्रेशन सीबीएसई की आधिकारिक वेबसाइट cbse.gov.in पर जाकर करना होगा. इस संबंध में बोर्ड ने नोटिस जारी किया है.

स्कूलों को आवेदन की सत्यापन प्रक्रिया 15 फरवरी 2025 तक पूरी करनी होगी. पहले आवेदन की अंतिम तिथि 10 जनवरी थी, लेकिन इसे बढ़ाकर 8 फरवरी कर दिया गया है. इस स्कॉलरशिप योजना के तहत, वे छात्राएं जो अपनी माता-पिता की एकमात्र संतान हैं और जिन्होंने कक्षा 10वीं की परीक्षा में कम से कम 70% अंक प्राप्त किए हैं, उन्हें हर महीने 1000 रुपये मिलते हैं. यह स्कॉलरशिप दो साल तक दी जाती है.


स्कॉलरशिप के लिए योग्यता व शर्तें
यह स्कॉलरशिप मेरिट के आधार पर दी जाती है, जो कि CBSE कक्षा 10वीं की परीक्षा के परिणामों पर आधारित होती है. इसके लिए छात्रा को कक्षा 10वीं में कम से कम 70% अंक प्राप्त होने चाहिए और वह वर्तमान में कक्षा 11वीं या 12वीं में पढ़ाई कर रही हो. साथ ही छात्रा का ट्यूशन शुल्क कक्षा 11वीं और 12वीं के लिए प्रति माह 2500 रुपए से अधिक नहीं होना चाहिए.

कितनी होनी चाहिए पारीवारिक आय?
यह स्कॉलरशिप सीबीएसई बोर्ड में पढ़ने वाले केवल भारतीय छात्राओं के लिए है. इसके अलावा केवल वे छात्राएं पात्र हैं, जिन्होंने 2024 में कक्षा 10वीं की परीक्षा पास की है और उनके परिवार की वार्षिक आय 8 लाख रुपए तक होनी चाहिए. इस स्कॉलरशिप के दौरान छात्रा को स्कूल या अन्य संस्थाओं द्वारा अतिरिक्त छूट मिल सकती है.

अगर छात्रा कक्षा 11वीं में सफलतापूर्वक पास करती है, तो स्कॉलरशिप को एक और साल के लिए नवीनीकरण (renewal) मिलेगा, जिसके लिए उसे कम से कम 50% अंक लाने होंगे. अगर छात्रा विषय बदलती है, स्कूल बदलती है या पढ़ाई बीच में छोड़ देती है, तो स्कॉलरशिप के नवीनीकरण के लिए पहले बोर्ड से अनुमति लेनी होगी. इसके अलावा, स्कॉलरशिप का नवीनीकरण छात्रा के अच्छे आचरण और नियमित उपस्थिति पर भी निर्भर करेगा.

इन छात्रों के लिए ट्यूशन शुल्क की सीमा निर्धारित की गई है. कक्षा 11वीं और 12वीं के लिए शैक्षिक वर्ष में उनका ट्यूशन शुल्क प्रति माह 2,500 रुपए से ज्यादा नहीं होना चाहिए. NRI (नॉन-रेजिडेंट इंडियन) छात्रों के लिए ट्यूशन शुल्क की सीमा 6,000 रुपए प्रति माह है.




CBSE Single Girl Child Scholarship 2024 के लिए अब 10 जनवरी तक करें आवेदन, सीबीएसई ने बढ़ाई अंतिम तिथि 


🔴 आधिकारिक वेबसाइट cbse.gov.in पर करें आवेदन
🔴 10 जनवरी, 2025 तक है अप्लाई करने का मौका
🔴 पहले 23 दिसंबर, 2024 थी आवेदन की अंतिम तिथि

27 दिसंबर 2024
नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने सिंगल गर्ल चाइल्ड स्कॉलरशिप 2024 के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि को आगे बढ़ा दिया है। नई तिथि के अनुसार, अब छात्राएं इस छात्रवृत्ति के लिए 10 जनवरी, 2025 तक आवेदन कर सकते हैं। सीबीएसई बोर्ड ने आवेदन करने के साथ वर्ष 2023 के लिए भी नवीनीकरण की लास्ट डेट को आगे दस जनवरी, 2025 ही कर दिया है।

इसलिए, जिन छात्राओं को आवेदन करना है और जिन्हें इस स्कॉलरशिप के लिए रिन्यूअल करना है, वे दोनों ही ऐसा कर सकते हैं। अप्लाई करने के लिए स्टूडेंट्स को आधिकारिक वेबसाइट cbse.gov.in पर जाकर आवेदन करना होगा। साथ ही, स्कूलों द्वारा इस छात्रवृत्ति आवेदन का सत्यापन करने के लिए 17 जनवरी, 2025 निर्धारित की गई है। बता दें कि इससे पहले आवेदन करने की अंतिम तिथि 23 दिसंबर, 2025 थी।


CBSE Single Child Scholarship 2024 Eligibility Criteria: सीबीएसई सिंगल गर्ल चाइल्ड स्कॉलरशिप के लिए ये मांगा है एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया

सीबीएसई सिंगल गर्ल चाइल्ड स्कॉलरशिप के लिए आवेदन करने वाली छात्राओं को दसवीं कक्षा में की परीक्षा में 60% या अधिक अंक प्राप्त करना होंगे। साथ ही सीबीएसई से संबंद्ध स्कूलों में कक्षा 12 या 11 में अध्ययनरत होना आवश्यक है। साथ ही एनआरआई आवेदक भी इस स्कॉलरशिप के लिए पात्र हैं। हालांकि, इनके लिए ट्यूशन फीस अधिकतम 6,000 रुपये प्रति माह होनी चाहिए।


CBSE Single Child Scholarship 2024: सीबीएसई सिंगल गर्ल चाइल्ड स्कॉलरशिप के लिए ऐसे करें ऑनलाइन आवेदन 

सीबीएसई सिंगल गर्ल चाइल्ड स्कॉलरशिप के लिए आवेदन करने वाले छात्राओं को सबसे पहले आधिकारिक वेबसाइट cbse.gov.in पर जाना होगा। अब, होमपेज पर 'सिंगल गर्ल चाइल्ड स्कॉलरशिप X-2024 REG' पर क्लिक करें और फिर एप्लिकेशन लिंक पर क्लिक करें। अब यह चुनें कि नया आवेदन जमा करना है या फिर साल 2023 के आवेदन पत्र को नवीनीकरण करना करना है।आवेदन पत्र भरें, संबंधित डॉक्यूमेंट्स अपलोड करें और आवेदन सबमिट करने से पहले एक बार क्रॉस चेक करें। इसके बाद भविष्य के संदर्भ के लिए आवेदन पत्र डाउनलोड करें और प्रिंट कर लें।

इसके इतर बात करें तो सीबीएसई बोर्ड की ओर से दसवीं और बारहवीं की परीक्षाएं 15 फरवरी, 2025 से शुरू हो रही हैं। परीक्षा के लिए हाल ही में टाइमटेबल जारी किया जा चुका है। वहीं, अब परीक्षार्थियों को प्रवेश पत्र जल्द ही उपलब्ध करा दिए जाएंगे। ज्यादा जानकारी के लिए वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।



24 नवंबर 2024
CBSE "सिंगल गर्ल चाइल्ड छात्रवृत्ति योजना" अंतर्गत 23 दिसम्बर तक मांगे गए नए और नवीनीकरण हेतु आवेदन, देखें नोटिफिकेशन और जारी विस्तृत निर्देश 


🔴 आवेदन लिंक


CBSE PRE EXAMINATION Tele Counselling बोर्ड परीक्षा को लेकर बच्चों के तनाव को दूर करेगी टेली परामर्श सेवा, सीबीएसई एक फरवरी से निशुल्क प्री परीक्षा टेली काउंसलिंग करेगा शुरू

CBSE PRE EXAMINATION Tele Counselling 
बोर्ड परीक्षा को लेकर बच्चों के तनाव को दूर करेगी टेली परामर्श सेवा, सीबीएसई एक फरवरी से निशुल्क प्री परीक्षा टेली काउंसलिंग करेगा शुरू

टोल फ्री नंबर 1800-11-8004 पर मिलेंगे परीक्षा की तैयारी के टिप्स


नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 10वीं व 12वीं की फरवरी में शुरू होने वाली बोर्ड परीक्षाओं का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। ऐसे में बोर्ड बच्चों में परीक्षा से पूर्व होने वाले तनाव को कम करने, परीक्षा की तैयारी के टिप्स देने, समय प्रबंधन की तकनीक सिखाने के लिए निशुल्क प्री परीक्षा टेली काउंसलिंग सेवा शुरू करने जा रहा है।


एक फरवरी से शुरू होने वाली इस सेवा का लाभ छात्र और अभिभावक चार अप्रैल तक ले सकते हैं। सीबीएसई ने इसके लिए नाईवीआरएस टोल फ्री नंबर 1800-11-8004 जारी किया है। इस पर चौबीस घंटे हिंदी व अंग्रेजी में तनाव मुक्त परीक्षा तैयारी के टिप्स, समय प्रबंध तकनीक की जानकारी मिलेगी। इसके माध्यम से छात्र प्रिंसिपल, काउंसलरों से अपने सवालों के जवाब ले सकते हैं।

वहीं, टेली काउंसलिंग सेवा पर सीबीएसई के देश व विदेश स्थित स्कूलों के बच्चों के लिए 66 प्रशिक्षित प्रोफेशनल्स उपलब्ध रहेंगे, जिसमें प्रिंसिपल, काउंसलर, मनोवैज्ञानिक, स्पेशल एजुकेटर शामिल हैं।

अब आवेदन पत्र में अनिवार्य एंटी रैगिंग कॉलम, विद्यार्थियों को दाखिले में शपथपत्र भी देना होगा, सभी उच्च शिक्षण संस्थानों पर लागू, उल्लघंन पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान, रैगिंग रोकने में नाकाम और झूठी जानकारी देने पर नियमों के तहत कार्रवाई होगी

अब आवेदन पत्र में अनिवार्य एंटी रैगिंग कॉलम, विद्यार्थियों को दाखिले में शपथपत्र भी देना होगा, सभी उच्च शिक्षण संस्थानों पर लागू, उल्लघंन पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान

रैगिंग रोकने में नाकाम और झूठी जानकारी देने पर नियमों के तहत कार्रवाई होगी


नई दिल्ली। उच्च शिक्षण संस्थानों में दाखिला आवेदन पत्र में अनिवार्य एंटी रैगिंग कॉलम होगा। इसमें छात्र रैगिंग गतिविधियों में शामिल न होने का शपथ पत्र देंगे तो संस्थान कैंपस में ऐसे घटनाओं को किसी भी तरह बर्दाश्त (जीरो टॉलरेंस) नहीं करने की जानकारी देंगे।

केंद्र सरकार की एंटी रैगिंग दिशा-निर्देश आईआईटी, एनआईटी, मेडिकल, इंजीनियरिंग समेत सभी उच्च शिक्षण संस्थानों पर लागू होंगे, यदि कोई उल्लघंन करता है तो फिर सख्त कार्रवाई का भी प्रावधान है। खास बात यह है कि पहली बार कुलपति, निदेशक और रजिस्ट्रार की जिम्मेदारी तय की गई है।


यूजीसी ने उच्च शिक्षण संस्थानों में रैगिंग रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसमें लिखा है कि रैगिंग एक कानूनी जुर्म है। कैंपस में इस तरह की घटनाओं को किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उच्च शिक्षण संस्थानों में एंटी रैगिंग कमेटी गठित करें। छात्रों, शिक्षकों और कर्मियों को जागरूक करें। इसके लिए यूजीसी ने छोटे-छोटे वीडियो बनाकर भी दिए हैं। 


डिपार्टमेंट, क्लासरूम, एडमिशन सेंटर, रेस्ट रूम, कैंटीन, हॉस्टल, कॉमन रूम समेत अन्य सभी जगहों पर सीसीटीवी लगाने होंगे। यदि कोई उच्च शिक्षण संस्थान नियमों के तहत रैगिंग रोकने पर काम नहीं करता है और झूठी जानकारी देता है तो यूजीसी रेग्यूलेशन के नियमों के तहत सख्त कार्रवाई होगी। इसमें मान्यता रदद, जुर्माना से लेकर कोर्स की मंजूरी वापिस लेने का भी प्रावधान है।


आत्महत्या, हत्या मामले में कमेटी करेगी जांचः कैंपस आत्महत्या, हत्या समेत अन्य मामलों की जांच के लिए कमेटी गठित की जाएगी। यह कमेटी पूरी रिपोर्ट यूजीसी को भी देगी। यदि किसी मामले में पुलिस जांच होती है तो ऐसे मामलों में लीगल एडवाइजर को भी शामिल किया जाएगा। इसके अलावा पहली बार कुलपति, निदेशक और रजिस्ट्रार को रैगिंग रोकने की जिम्मेदारी तय की गई है। यदि वे ऐसा करने में नाकाम रहते हैं तो यूजीसी नियमों के तहत सख्त कार्रवाई होगी।


ऑनलाइन दाखिले में ईमेल पर शपथपत्रः उच्च शिक्षण संस्थानों में ऑनलाइन दाखिले होते हैं। इसलिए छात्रों को ऑनलाइन ही हर साल शपथपत्र देना होगा। इसमें लिखा होगा कि वे ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होंगे। इसमें छात्र का पंजीकरण नंबर भी लिखा होगा। आपार आईडी बनने के बाद शपथपत्र में यह नंबर लिखा होगा।

Wednesday, January 29, 2025

प्रदेश स्तर पर वर्ष 2025-26 में आयोजित होने वाले राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में केन्द्रीय प्रशिक्षण शिविरों हेतु खिलाड़ियों को चयनित किये जाने एवं केन्द्रीय प्रशिक्षण शिविर के दौरान अन्तिम चयन / ट्रायल्स में छात्रावास में प्रवेश दिये जाने हेतु खिलाड़ियों के चयन हेतु गठित चयन समितियों के सदस्यों की सूची जारी

प्रदेश स्तर पर वर्ष 2025-26 में आयोजित होने वाले राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में केन्द्रीय प्रशिक्षण शिविरों हेतु खिलाड़ियों को चयनित किये जाने एवं केन्द्रीय प्रशिक्षण शिविर के दौरान अन्तिम चयन / ट्रायल्स में छात्रावास में प्रवेश दिये जाने हेतु खिलाड़ियों के चयन हेतु गठित चयन समितियों के सदस्यों की सूची जारी


वर्ष 2025-26 में सूचीबद्ध खेलों में बालक/बालिकाओं के आवासीय कीड़ा छात्रावासों में प्रवेश हेतु प्रशिक्षण शिविर दिनांक 02 से 16 अप्रैल 2025 तक (15 दिवसीय) होगा संचालित

12 वर्ष से कम आयु के बालक / बालिकाओं की जिम्नास्टिक एवं तैराकी तथा अन्य खेलों में 15 वर्ष से कम आयु के बालक/बालिकाओं के जिला / मण्डल स्तरीय ट्रायल्स एवं प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिता तथा केन्द्रीय प्रशिक्षण शिविर का संचालन वर्ष 2024-25।

उपर्युक्त विषय की ओर आपका ध्यान आकृष्ट करते हुए सूचित करना है कि वर्ष 2025-26 में सूचीबद्ध खेलों में बालक/बालिकाओं के आवासीय कीड़ा छात्रावासों में प्रवेश हेतु प्रोबेबुल्स के केन्द्रीय प्रशिक्षण शिविर दिनांक 02 अप्रैल, 2025 से 16 अप्रैल, 2025 तक (15 दिवसीय) निम्नवत् कार्यक्रमानुसार संचालित कराये जाने का निर्णय लिया गया है।


यूपी में फार्मेसी कॉलेजोें को झटका 50 फीसदी से अधिक सीटें खाली, प्रदेश के कॉलेजों की डीफार्मा की आधी सीटों पर भी छात्रों ने प्रवेश लेने में नहीं दिखाई रुचि

यूपी में फार्मेसी कॉलेजोें को झटका 50 फीसदी से अधिक सीटें खाली, प्रदेश के कॉलेजों की डीफार्मा की आधी सीटों पर भी छात्रों ने प्रवेश लेने में नहीं दिखाई रुचि

● अभी कुल 2045 फार्मेसी कॉलेज हैं उत्तर प्रदेश में

● नए या सीधे प्रवेश के लिए भी कोई संभावना नहीं बची

● फार्मेसी को छोड़ सभी ब्रांच में समय से हुई काउंसलिंग

● 25 से 35 फीसदी सीटों पर ही कई संस्थानों पर प्रवेश




सीट नहीं भरने के प्रमुख पांच कारण

1. फार्मेसी कॉलेजों के प्रकरण कोर्ट में लम्बित होना

2. फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) की तरफ से कॉलेजों को एनओसी में देरी

3. साल खराब होने के डर की वजह से छात्रों ने विश्वविद्यालयों में संचालित डीफार्मा में अधिक शुल्क पर लिया प्रवेश

4. परिषद को सिर्फ पीसीआई की एनओसी की वजह से काउंसलिंग में देरी नही करनी चाहिए थी

5. काउंसलिंग में देरी से बड़ी संख्या में छात्रों का फार्मेसी छोड़ दूसरे कोर्स में प्रवेश लेना

लखनऊ : प्रदेश भर के फार्मेसी कॉलेजों को बड़ा झटका लगा है। सबसे ज्यादा डिमांड में रहने वाले डिप्लोमा इन फार्मेसी (डी-फार्मा) की सीटे कॉलेज वाले नहीं भर पाए। प्रदेश भर के 2045 कॉलेजों में पचास फीसदी सीटे खाली रह गई हैं। वहीं बड़ी संख्या में कॉलेज ऐसे भी हैं। जहां सिर्फ 25 से 35 फीसदी ही सीटे भर पायी हैं।

प्राविधिक शिक्षा परिषद के अन्तर्गत डीफार्मा डिप्लोमा कराया जाता है। प्रदेश भर 2045 फार्मेसी कॉलेज हैं। जहां सत्र 2024- 25 में 1, 10, 832 डीफार्मा की सीट हैं। इस सत्र में प्रवेश के लिए काउंसलिंग प्रक्रिया ही दिसम्बर माह में शुरू हो सकी और चार चरण की काउंसलिंग के बाद सिर्फ 52,865 सीट ही भर सकी हैं। जबकि अब नए प्रवेश या सीधे प्रवेश की भी कोई संभावना नही बची है क्योंकि आगामी सत्र के लिए प्रवेश आवेदन हो चुके हैं। पॉलीटेक्निक के सत्र 2024-25 फार्मेसी को छोड़ सभी ब्रांच में काउंसलिंग समय से हुई और प्रवेश प्रक्रिया भी लेकिन फार्मेसी के कुछ मामले कोर्ट में लम्बित होने की वजह फार्मेसी की प्रवेश काउंसलिंग प्रवेश परीक्षा के रिजल्ट जारी होने के बाद शुरू नही हो सकी। संयुक्त शिक्षा प्रवेश परिषद ने 22 अक्तूबर से काउंसलिंग शुरू करनी चाहिए लेकिन कोर्ट स्टे लगने के बाद 22 अक्तूबर से भी काउंसलिंग नहीं शुरू हो सकी और काफी जद्दोजहद के बाद दो दिसम्बर से काउंसलिंग शुरू हुई और तीन जनवरी तक चार चरणों में पूरी की गई। तब तक देर हो चुकी थी और पचास फीसदी से अधिक सीट खाली रह गईं।

डीफार्मा में पचास फीसदी से अधिक सीटे खाली रह गई है। इसका मुख्य कारण फार्मेसी कॉलेजों के मामले में कोर्ट में लम्बित होना रहा। कोर्ट में मामले में कॉलेजों की ओर से ही दाखिल किए गए थे। इसी कारण काउंसलिंग शुरू होने में देर हुई। जिसका असर भी पड़ा।

संजीव सिंह, सचिव, संयुक्त प्रवेश परीक्षा (पॉलिटेक्निक) उत्तर प्रदेश

एआरपी पदों पर कार्यरत शिक्षकों को थोड़ी राहत, हाईकोर्ट ने कहा, विज्ञापन जारी करने से पहले प्रत्यावेदनों पर लें निर्णय, देखें कोर्ट ऑर्डर

एआरपी पदों पर कार्यरत शिक्षकों को थोड़ी राहत, हाईकोर्ट ने कहा, विज्ञापन जारी करने से पहले प्रत्यावेदनों पर लें निर्णय


लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने एकेडमिक रिसोर्स पर्सन (एआरपी) के मामले में बेसिक शिक्षा के अपर मुख्य सचिव को आदेश दिया कि एआरपी पद पर पूर्व में कार्यरत शिक्षकों के पुनः आवेदन करने हेतु प्रत्यावेदनों पर जल्द निर्णय लें। न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की एकल पीठ ने यह आदेश सुशील कुमार द्विवेदी, विवेक तिवारी व अन्य कर्मियों की याचिका पर दिया।

याचियों की ओर से कहा गया कि 10 अक्तूबर 2024 को शासनादेश जारी कर तीन साल से कार्यरत लगभग चार हजार एआरपी को आगे होने वाली परीक्षा में शामिल होने से रोका गया है, जोकि कानून की मंशा के खिलाफ है। कोर्ट ने मामले में याचियों को तीन दिन में प्रत्यावेदन देने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि एआरपी पदों के लिए नया विज्ञापन जारी करने से पहले, विभाग को वर्तमान कर्मचारियों के प्रत्यावेदनों पर निर्णय लेना होगा। 

कोर्ट ऑर्डर 👇 







ARP : पूर्व में कार्यरत एआरपी की नए आवेदन हेतु आवेदन करने की अनुमति देने हेतु हाईकोर्ट में दायर याचिका खारिज, 

मामला तीन दिनों के अंदर संबंधित उच्च अधिकारी के पास प्रस्तुत करने और संबंधित द्वारा विधि अनुसार निर्णय लेने का आदेश   

23 जनवरी 2025

कोर्ट ने निर्देश दिया है कि मामला तीन दिनों के अंदर संबंधित उच्च अधिकारी के पास प्रस्तुत किया जाए। अधिकारी को कानून के अनुसार, पूरी ईमानदारी और निष्पक्षता से एक सप्ताह के भीतर निर्णय लेना होगा। कोर्ट ने यह सुनिश्चित किया है कि उनकी किसी भी टिप्पणी का निर्णय पर सीधा प्रभाव न पड़े।


कोर्ट आदेश का अर्थ निम्नलिखित है:


🔴 कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के बेसिक शिक्षा विभाग के Additional Chief Secretary/Principal Secretary (मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव) को निर्देश दिया है कि वे संबंधित मामले में तीन दिनों के भीतर आवश्यक कार्रवाई करें।  

🔴 इसके बाद, जवाबदेह अधिकारी (Respondent No. 1) को एक सप्ताह के भीतर मामले का निर्णय लेना होगा।

🔴 निर्णय लेने के दौरान, संबंधित अधिकारी को कानून के अनुसार कार्य करना होगा।  

🔴 कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि निर्णय लेने में इस आदेश में की गई टिप्पणियों का प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। यानी निर्णय स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से लिया जाना चाहिए, न कि कोर्ट की किसी विशेष टिप्पणी से प्रभावित होकर।  


कोर्ट ने निर्देश दिया है कि मामला तीन दिनों के अंदर संबंधित उच्च अधिकारी के पास प्रस्तुत किया जाए। अधिकारी को कानून के अनुसार, पूरी ईमानदारी और निष्पक्षता से एक सप्ताह के भीतर निर्णय लेना होगा। कोर्ट ने यह सुनिश्चित किया है कि उनकी किसी भी टिप्पणी का निर्णय पर सीधा प्रभाव न पड़े।


🔵 कोर्ट ऑर्डर 👇 


शिक्षामित्रों के लंबे अवकाश के मामले में सख्ती, मांगा जवाब

शिक्षामित्रों के लंबे अवकाश के मामले में सख्ती, मांगा जवाब

28 जनवरी 2025
लखनऊ। लंबे समय से अवैतनिक अवकाश लेकर बच्चों की पढ़ाई प्रभावित कर रहे शिक्षामित्रों के मामले में समग्र शिक्षा अपर राज्य परियोजना निदेशक ने मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक से रिपोर्ट मांगी है। राजधानी सहित मंडल के सीतापुर, लखीमपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली के 270 शिक्षामित्र अवकाश पर हैं। 

अब अपर राज्य परियोजना निदेशक एकता सिंह ने मंडल के एडी बेसिक श्याम किशोर तिवारी से रिपोर्ट मांगी है। एडी बेसिक श्याम किशोर तिवारी ने भी सभी बीएसए से शिक्षामित्रों का अवकाश के रिकॉर्ड सहित पूरा ब्योरा मांगा है। 

विभागीय अधिकारियों के मुताबिक शिक्षामित्रों के अवैतनिक अवकाश का विकल्प नहीं है ऐसे में शिक्षामित्र बिना किसी ठोस कारण के अवकाश लेते हैं तो इससे स्कूल की व्यवस्था पर असर पड़ता है। बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होती है। बता दें कि कई शिक्षामित्रों को लेकर प्रधानाध्यापकों कहना था कि वह कम मानदेय के चलते अवकाश लेकर दूसरे कार्यों में लगे रहते हैं।




लंबी छुट्टी का ठोस आधार न मिला तो शिक्षामित्र होंगे सेवामुक्त, मांगा ब्योरा 

मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक ने छह जनपदों से शिक्षामित्रों का मांगा ब्योरा

17 जनवरी 2025
लखनऊ । सभी छह जनपदों में लगातार अवकाश पर चल रहे शिक्षामित्रों का ब्योरा मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक ने तलब किया है। इनके लगातार अवकाश लेने का आधार भी मांगा गया है। अगर ठोस आधार नहीं मिला तो शिक्षामित्र सेवामुक्त किए जाएंगे। इन शिक्षामित्रों के अवकाश पर रहने से 50 हजार बच्चों की थी। अमर उजाला ने बुधवार को खबर प्रकाशित कर इस मुद्दे को उठाया था। इसके बाद विभाग ने ऐसे शिक्षामित्रों की सूची बेसिक शिक्षा अधिकारियों से मांगी है। बीएसए ने खंड शिक्षा अधिकारियों से इस संबंध में रिपोर्ट मंगानी शुरू कर दी है।


पढ़ाई  प्रभावित हो रही 

लखनऊ सहित सीतापुर, लखीमपुर, हरदोई, उन्नाव और रायबरेली के सरकारी विद्यालयों के 270 शिक्षामित्र लगातार अवकाश पर हैं। ये दूसरे कामों में लगे हैं।प्रधानाध्यापकों का कहना है कि इससे स्कूलों में पढ़ाई व्यवस्था प्रभावित हो रही है और बच्चों का नुकसान हो रहा है।


11 माह का मिलता है मिलता मानदेय

प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के महामंत्री कौशल कुमार सिंह कहते हैं कि शिक्षामित्रों को 10 हजार रुपये महीना के हिसाब से 11 महीने का मानदेय मिलता है। इतने में इनके परिवार का पेट नहीं पलता है। 31 दिसंबर से 14 जनवरी और 01 से 14 जून की छुट्टी में मानदेय कट जाता है। मानदेय बढ़े तो शिक्षामित्र मन से काम करेंगे।


लखनऊ 42
हरदोई 71
रायबरेली 36
सीतापुर - 45
उन्नाव- 28
लखीमपुर खीरी - 48

शिक्षामित्रों के अवैतनिक अवकाश का नहीं है नियम

"शिक्षामित्रों के अवैतनिक अवकाश का नियम नहीं है। लगातार अवकाश पर रहने का यदि ठोस कारण नहीं मिला तो ऐसे शिक्षामित्र सेवा से बाहर किए जाएंगे। मंडल के सभी जनपदों के बीएसए से रिपोर्ट मांगी गई है।" श्याम किशोर तिवारी एडी बेसिक लखनऊ मंडल




महीनों से लंबे अवकाश पर हैं शिक्षामित्र, अवैतनिक अवकाश के सहारे चल रही नौकरी, जानिए क्यों? 

15 जनवरी 2025
लखनऊ। सरकारी स्कूलों में तैनात शिक्षामित्र लंबे समय तक अवैतनिक अवकाश लिए हैं। इससे विद्यालयों में स्टाफ की भी कमी रहती है। लखनऊ सहित हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर, उन्नाव, रायबरेली सभी जगह एक जैसी स्थिति है। इस संबंध में प्रधानाध्यापकों की ओर से विभाग में सूचना भी दी गई है, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। इसका सीधा असर विद्यालय की व्यवस्था पर पड़ रहा है।


पूरे मंडल में करीब 12 हजार शिक्षामित्र हैं। इसमें 270 लंबे समय से अवकाश पर हैं। जानकारों का कहना है कि लंबे समय तक अवैतनिक अवकाश पर रहने वाले शिक्षामित्र दूसरे कामों में लगे हैं। इनका मानना है कि किसी तरह से नौकरी चलती रहे, ताकि आगे सरकार उनके लिए कोई बेहतर विकल्प निकाले या फिर मानदेय में बढ़ोतरी करे तो उसका लाभ उन्हें मिल सके। मौजूदा समय में उन्हें जो मानदेय मिलता है, उससे ज्यादा वह दूसरे काम करके कमा लेते हैं।

नहीं बढ़ा मानदेय, मजबूर हैं शिक्षामित्र

25 जुलाई 2017 को शिक्षा मित्रों को कोर्ट के आदेश से सहायक अध्यापक पद से मूल पद पर भेज दिया गया था। तब से अब तक ये 10 हजार रुपये महीने मानदेय पा रहे हैं। इस बारे में प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के महामंत्री कौशल कुमार सिंह कहते हैं कि शिक्षामित्र मजबूरी में अवैतनिक अवकाश पर जाकर दूसरे कार्य करने के लिए मजबूर हैं।


अवकाश पर गए जनपदवार शिक्षामित्र


मंडल के सभी जनपदों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों से स्कूल व शिक्षामित्रों के नाम से सूची मांगी गई है, जो शिक्षामित्र इस तरह से बार-बार अवकाश ले रहे हैं उनकी सेवा समाप्त की जाएगी। - श्याम किशोर तिवारी, एडी बेसिक लखनऊ मंडल


सीएमओ का प्रमाणपत्र पेश करने पर ही मिलेगी यूपी बोर्ड परीक्षा ड्यूटी से छुट्टी

सीएमओ का प्रमाणपत्र पेश करने पर ही मिलेगी यूपी बोर्ड परीक्षा ड्यूटी से छुट्टी

■ बोर्ड के सचिव ने परीक्षा के लिए दिए निर्देश

■ शिक्षकों की ड्यूटी लगाने की प्रक्रिया शुरू


प्रयागराज :  124 फरवरी से प्रस्तावित 10वीं-12वीं की बोर्ड परीक्षा के लिए यूपी बोर्ड ने शिक्षकों व प्रधानाचार्यों की ड्यूटी लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यूपी बोर्ड ने हर साल की तरह साफ किया है कि उन्हीं शिक्षकों और प्रधानाचार्यों को चिकित्सकीय अवकाश मिलेगा जो मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करेंगे।


सचिव भगवती सिंह की ओर से जारी पत्र में लिखा है कि बोर्ड परीक्षा में प्रायः यह देखा गया है कि कुछ प्रधानाचार्य व अध्यापक केंद्र व्यवस्थापक एवं कक्ष निरीक्षक का कार्य नहीं करना चाहते हैं और अस्वस्थता प्रमाणपत्र प्रस्तुत कर छुट्टी ले लेते हैं। इससे जिला विद्यालय निरीक्षक को परीक्षा केंद्रों पर केंद्र व्यस्थापक व कक्ष निरीक्षकों की नियुक्ति में कठिनाई का सामना करना पड़ता है।

बोर्ड परीक्षाओं के सफल संचालन के मद्देनजर यह तय किया गया है कि परीक्षा शुरू होने से पूर्व जो प्रधानाचार्य, अध्यापक, कर्मचारी चिकित्सकीय अवकाश के लिए आवेदन करें, उन्हें जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी के पास उनकी अस्वस्थता की पुष्टि कराने और चिकित्सा आवेदन पत्र को प्रति हस्ताक्षरित कराने के लिए भेजा जाए। सीएमओ की ओर से जारी प्रमाणपत्र के आधार पर ही चिकित्सकीय अवकाश स्वीकृत किया जाए।

सचिव ने सभी सीएमओ से अनुरोध किया है कि बोर्ड परीक्षा शुरू होने के पूर्व यदि कोई प्रधानाचार्य, अध्यापक, कर्मचारी अस्वस्थता प्रमाणपत्र के लिए आवेदन करता है, तो संबंधित कार्मिक को प्रमाणपत्र जारी करने से पहले उसका सम्यक परीक्षण कर लिया जाए कि चिकित्सकीय अस्वस्थता प्रमाण पत्र देना आवश्यक है या नहीं, क्योंकि परीक्षा का कार्य अत्यंत आवश्यक एवं समयबद्ध है।

यूपी बोर्ड : हर जिले में 5 फीसदी स्कूलों में प्रैक्टिकल की होगी रैंडम जांच, गड़बड़ी मिलने पर की जाएगी सख्त कार्रवाई

यूपी बोर्ड : हर जिले में 5 फीसदी स्कूलों में प्रैक्टिकल की होगी रैंडम जांच, गड़बड़ी मिलने पर की जाएगी सख्त कार्रवाई

■ विद्यालय में संसाधन न होने पर दूसरे स्कूल में होगी परीक्षा

प्रयागराज । यूपी बोर्ड की इंटरमीडिएट की प्रयोगात्मक परीक्षाएं एक फरवरी से शुरू होंगी। यूपी बोर्ड की ओर से प्रत्येक जिले के पांच फीसदी विद्यालयों में प्रयोगात्मक परीक्षा की औचक जांच कराई जाएगी। इसमें किसी प्रकार की गड़बड़ी मिलने पर संबंधित के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को प्रयोगात्मक परीक्षा से संबंधित दिशा-निर्देश भेजे हैं।


लिखा है कि प्रयोगात्मक परीक्षा के लिए विद्यालय में प्रयोगशाला, आवश्यक उपकरण एवं सामग्री का अभाव होने पर किसी दूसरे निकटतम संसाधनयुक्त विद्यालय में प्रयोगात्मक परीक्षाएं कराई जाए और इसकी सूचना समय से संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को भी दी जाए। राजकीय विद्यालय में संसाधनों के अभाव के लिए डीआईओएस स्वयं जिम्मेदार होंगे।

सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में संसाधनों की कमी होने पर डीआईओएस संबंधित विद्यालय के प्रबंधक व प्रधानाचार्य के विरुद्ध सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे। वित्तविहीन विद्यालयों में यह स्थिति आने पर पर विद्यालय की मान्यता वापस निरस्त कर दी जाएगी।

 इंटर की प्रयोगात्मक परीक्षाएं प्रथम चरण में एक से आठ फरवरी और दूसरे चरण में नौ से 16 फरवरी तक कराई जाएगी। सचिव ने वॉयस रिकॉर्डर युक्त सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में ही प्रयोगात्मक परीक्षाएं कराने के निर्देश दिए हैं। वाह्य परीक्षकों को मोबाइल ऐप के उपयोग से जिओ लाकेशनयुक्त बच्चों के ग्रुप फोटो और उसी दिन पोर्टल पर अंक अपलोड करने होंगे। 

आंतरिक परीक्षकों को भी अपने विद्यालय की लॉग-इन आईडी से यूपी बोर्ड की वेबसाइट पर प्रयोगात्मक परीक्षा के अंक उसी दिन अनिवार्य रूप से अपलोड करने होंगे। प्रयोगात्मक परीक्षा के पर्यवेक्षण के लिए सेक्टर मजिस्ट्रेट भी नियुक्त किए जाएंगे।

स्कूलों में सुरक्षा उपायों का मुआयना कराने के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई अब 5 मार्च को


स्कूलों में सुरक्षा उपायों का मुआयना कराने के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई अब 5 मार्च को

29 जनवरी 2025
लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने प्रदेश के 1,41000 स्कूलों की सुरक्षा का मुआयना कराने के मामले में अगली सुनवाई 5 मार्च को नियत की है। 

इससे पहले हुई सुनवाई पर कोर्ट ने सुप्रीमकोर्ट के दिशानिर्देशों को 14 साल से लागू न किए जाने पर सख्त रुख अपनाया था। कोर्ट ने मामले में राज्य सरकार से कार्ययोजना में आगे हुई प्रगति का ब्योरा हलफनामे पर अगली सुनवाई की तिथि 24 जनवरी को पेश करने का आदेश दिया था।

 पहले इस मामले में हाईकोर्ट ने, सुप्रीमकोर्ट द्वारा अविनाश मेहरोत्रा के मामले में दिए गए सुरक्षा संबंधी दिशा निर्देशों को लागू करने का आदेश दिया था। वकीलों के आग्रह पर कोर्ट ने अब इस मामले को 5 मार्च को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है। 



स्कूलों में सुरक्षा उपायों की निगरानी के मामले में हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

24 दिसंबर 2024
लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने प्रदेश के 1.41 लाख स्कूलों की सुरक्षा उपायों की निगरानी न कराने के मामले में राज्य सरकार से 24 जनवरी तक जवाब मांगा है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को 14 वर्ष से लागू न करने पर सख्ती दिखाई है। इससे पहले हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के अविनाश मेहरोत्रा मामले में दिए गए फैसले को लागू करने को कहा था।

हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के न्यायमूर्ति आलोक माथुर व न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश 24 साल पुरानी उस पीआईएल पर दिया है। इसमें गोमती रिवर बैंक रेजीडेंट्स ने आवासीय क्षेत्रों में मानकों के विपरीत चल रहे स्कूलों का मुद्दा उठाया था।

याचिका में 16 स्कूलों की सूची में जापलिंग रोड के सीएमएस समेत अन्य स्कूलों के नाम हैं। पहले कोर्ट ने प्रदेश के स्कूलों की सेफ्टी ऑडिट रिपोर्ट तलब की थी। राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता कुलदीपपति त्रिपाठी ने अदालत को बताया कि प्रदेश के 1.41 लाख स्कूलों का मुआयना किया जाना है।


बतौर केस प्रदेश के पांच स्कूलों का निरीक्षण कराने का आदेश : इसी मामले में सुनवाई के समय न्यायमित्र अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार की ओर से बनाई गई कार्य योजना के परीक्षण के लिए बतौर उदाहरण पांच स्कूलों में निरीक्षण कराया जाना उचित होगा। इसके तहत कोर्ट ने बाराबंकी, अयोध्या, कमालपुर शामली, बिस्वा सीतापुर के राजकीय इंटर कालेजों समेत प्राथमिक विद्यालय किशोरपुरा मऊरानीपुर झांसी का निरीक्षण चार सप्ताह में राज्य सरकार की गठित समिति से करवाने का आदेश दिया। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत इन शैक्षणिक संस्थानों का निरीक्षण कर अगली सुनवाई पर रिपोर्ट पेश करने को कहा है।




स्कूली इमारतों की जांच को लेकर कोई प्रगति नहीं होने पर हाईकोर्ट हैरान

23 दिसम्बर 2024
लखनऊ । स्कूली 121 बच्चों की सुरक्षा को लेकर चल रहे एक मामले की सुनवायी के दौरान, हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा है कि यह स्पष्ट है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2009 में दिए गए दिशा-निर्देशों के बावजूद प्रदेश में स्कूलों के निरीक्षण के सम्बंध में कोई प्रगति नहीं हुई है और न ही सुरक्षा के लिहाज से स्कूली इमारतों का कोई निरीक्षण हुआ है। 

न्यायालय ने कहा कि हम हैरान हैं कि इसके बावजूद राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण कैसे कह रहा है कि उत्तर प्रदेश में इस विषय पर काफी काम किया है। यह टिप्पणियां न्यायमूर्ति आलोक माथुर व न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने गोमती रिवर बैंक रेजीडेंट्स की ओर से वर्ष 2020 में दाखिल की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया है। उक्त याचिका में शहर के आवासीय क्षेत्रों में चल रहे स्कूलों का मुद्दा खास तौर पर उठाया गया है।

शहर के 100 से अधिक स्कूलों के भवन जर्जर

शहर में 100 से अधिक प्राइमरी और माध्यमिक स्कूलों के भवन जर्जर हैं। पीडब्ल्यूडी की सर्वे रिपोर्ट में शहर यह भवन जर्जर पाये गए थे। इनमें 36 स्कूल माध्यमिक स्कूल हैं। अन्य 64 प्राइमरी स्कूल हैं। सबसे अधिक माल और बीकेटी के 40 स्कूल के भवन हैं। कई स्कूलों के जर्जर भवन में हादसे की डर से बच्चों को दूसरे स्कूलों में शिफ्ट कर दिया गया है। बीकेटी के 17 और मॉल के 23 स्कूल के जर्जर भवन शामिल शामिल हैं।



हाईकोर्ट ने मांगा स्कूलों में सुरक्षा उपायों पर प्रगति का ब्योरा

03 दिसंबर 2024
लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने प्रदेश के 1,41000 स्कूलों की सुरक्षा का मुआयना कराने के मामले में सुप्रीमकोर्ट के दिशानिर्देशों को लागू करने के मामले में राज्य सरकार और न्यायमित्र अधिवक्ता से प्रगति का ब्योरा पेश करने का आदेश दिया है। 

मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी। इसके पहले आठ नवंबर की सुनवाई में हाईकोर्ट ने सुप्रीमकोर्ट द्वारा अविनाश मेहरोत्रा के मामले में दिए गए सुरक्षा संबंधी दिशा निर्देशों को लागू करने का आदेश दिया था। न्यायमूर्ति आलोक माथुर और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश गोमती रिवर बैंक रेजिडेंट्स की और से वर्ष 2020 में दाखिल जनहित याचिका पर दिया। इसमें शहर के आवासीय क्षेत्रों में मानकों का उल्लंघन कर चल रहे स्कूलों का मुद्दा उठाया गया है। 

मामले में कोर्ट ने प्रदेश के स्कूलों की सेफ्टी ऑडिट रिपोर्ट तलब की थी। राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता कुलदीप पति त्रिपाठी ने कोर्ट को बताया कि स्कूलों का मुआयना किया जाना है।


लखनऊ में छोटे बच्चों को स्कूल परिसर से लाने-ले जाने के मामले में मांगी प्रगति रिपोर्ट : हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के आदेश पर लखनऊ में कक्षा 5 तक के छोटे बच्चों की स्कूल परिसर से लाने-ले जाने के मामले में स्कूलों से बातचीत जारी है। हाईकोर्ट ने इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता से प्रगति का ब्योरा तलब किया है। वरिष्ठ अधिवक्ता जय दीप नारायण माथुर ने कोर्ट को बताया कि वह कई स्कूलों के संपर्क में हैं और इनके प्राधिकारियों से सकारात्मक बातचीत हो रही है। शैक्षणिक परिसरों के बाहर व भीतर विद्यार्थियों की यातायात समेत सुरक्षा व्यवस्था सुधारने को कदम उठाए जा रहे हैं। कोर्ट ने अगली सुनवाई पर 16 दिसंबर को उनसे प्रगति का ब्योरा पेश करने को कहा है। 



सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2009 में दिए गए दिशा-निर्देशों के बावजूद स्कूलों में 14 वर्षों से सुरक्षा मानकों का निरीक्षण नहीं होने पर हाईकोर्ट खफा

09 नवंबर 2024
लखनऊ । स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर चल रहे एक मामले की सुनवाई के दौरान, हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पाया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2009 में दिए गए दिशा-निर्देशों के बावजूद प्रदेश में स्कूलों का पिछले 14 वर्षों से निरीक्षण नहीं किया गया है। न्यायालय ने इस पर अप्रसन्नता जाहिर करते हुए, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के पिछले दो वर्षों के 'मिनट्स ऑफ मीटिंग्स' को तलब कर लिया है। 


न्यायालय ने कहा कि यदि हम पाते हैं कि आपदा प्राधिकरण ने शीर्ष अदालत के आदेश के बावजूद, इस सम्बंध में कुछ भी नहीं किया है तो यथोचित आदेश पारित किया जाएगा। मामले की अगली सुनवायी 11 नवंबर को होगी।


यह आदेश न्यायमूर्ति आलोक माथुर व न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने गोमती रिवर बैंक रेजीडेंट्स की ओर से वर्ष 2020 में दाखिल की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया है।


उक्त याचिका में शहर के आवासीय क्षेत्रों में चल रहे स्कूलों का मुद्दा खास तौर पर उठाया गया है। सुनवायी के दौरान न्यायालय ने अविनाश मेहरोत्रा मामले में शीर्ष अदालत द्वारा वर्ष 2009 में दिए गए दिशानिर्देशों को लागू करने पर जोर दिया है। पिछली सुनवाई में पारित आदेश के अनुपालन में राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि प्रदेश में कुल लगभग 1.41 लाख स्कूल हैं, जिनका निरीक्षण करने में लगभग आठ माह का समय लग जाएगा।


सिर्फ तीन स्कूलों ने दी पिक-ड्रॉप की सुविधा

इसी मामले की पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने हजरतगंज व राजभवन के पास के स्कूलों को कक्षा 5 तक के बच्चों को स्कूल परिसर में ही पिक- ड्रॉप की सुविधा देने का आदेश दिया था। इस बार उपस्थित रहे, डीसीपी यातायात प्रबल प्रताप सिंह ने कोर्ट को बताया कि तीन स्कूलों ने इस आदेश का पालन किया है। इस पर न्यायालय ने मामले में न्यायमित्र नियुक्त अधिवक्ता जेएन माथुर को बाकी के स्कूल प्रबंधन से बात करने का जिम्मा दिया है।

Tuesday, January 28, 2025

आज पूरे देश के शिक्षक व कर्मचारी UPS का अपने कार्यस्थल पर विरोध करेंगे

आज पूरे देश के शिक्षक व कर्मचारी UPS का अपने कार्यस्थल पर विरोध करेंगे


लखनऊ। नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति के आह्वान पर 28 जनवरी को पूरे देश के शिक्षक व कर्मचारी यूपीएस का अपने कार्यस्थल पर विरोध करेंगे। साथ ही यूपीएस व न्यू पेंशन स्कीम समाप्त करने की मांग करेंगे। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा कि यूपीएस को लेकर शिक्षकों कर्मचारियों में काफी आक्रोश है।


वह लंबे समय से एनपीएस को समाप्त कर ओपीएस लागू करने की मांग कर रहे हैं। किंतु सरकार ने एनपीएस को समाप्त न कर देश के शिक्षकों-कर्मचारियों पर जबरन यूपीएस थोप दिया, इसलिए एनएमओपीएस कल पूरे देश मे यूपीएस का अपने कार्यस्थल पर विरोध करेगा।

संगठन के राष्ट्रीय महासचिव स्थित प्रज्ञा ने कहा कि एनपीएस घोटाला है, तो यूपीएस महाघोटाला है, एनपीएस धोखा है, तो यूपीएस महाधोखा है। एनपीएस और यूपीएस किसी भी तरह से शिक्षक कर्मचारी हित में नहीं है। इसलिए पूरे देश में इसको लेकर आक्रोश है और लगातार पुरानी पेंशन की मांग कर है, क्योंकि सामाजिक सुरक्षा का सबसे बेहतर व्यवस्था पुरानी पेंशन है। 

यूपी बोर्ड ने 1416 शिक्षकों व प्रधानाचार्यों को किया डिबार, बोर्ड परीक्षा से संबंधित सभी कार्यों से अलग रखने का निर्देश

यूपी बोर्ड ने 1416 शिक्षकों व प्रधानाचार्यों को किया डिबार, बोर्ड परीक्षा से संबंधित सभी कार्यों से अलग रखने का निर्देश


प्रयागराज। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद ने प्रदेश के 1416 शिक्षकों व प्रधानाचार्यों को डिबार करते हुए उनके नामों की लिस्ट जारी कर दी है। यह लिस्ट जिला विद्यालय निरीक्षकों को प्रेषित करते हुए निर्देश जारी किए गए हैं कि इन शिक्षकों व प्रधानाचार्यों को बोर्ड परीक्षा से संबंधित कार्यों से अलग रखा जाए। किसी भी दशा में इनसे परीक्षा संबंधी कार्य न लिया जाए।


यूपी बोर्ड की पिछली परीक्षाओं में कर्तव्यों का पालन न करने व कार्यों में लापरवाही बरतने के कारण यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने इन 1416 शिक्षकों व प्रधानाचार्यों को डिबार किया है। इनमें प्रयागराज के 158 शिक्षक भी शामिल हैं।

सचिव भगवती सिंह की ओर से सूची जारी कर निर्देश दिए गए हैं कि डिबार शिक्षकों व प्रधानाचायों को यूपी बोर्ड परीक्षा 2025 से संबंधित सभी कार्यों से अलग रखा जाए।

यह भी कहा गया है कि अगर ऐसे शिक्षक या प्रधानाचार्य परीक्षा के लिए निर्धारित परीक्षा केंद्र पर केंद्र व्यवस्थापक या सहायक केंद्र व्यवस्थापक के रूप में नियुक्त किए गए हों तो उनकी जगह विद्यालय के किसी अन्य वरिष्ठ शिक्षक की ड्यूटी लगा दी जाए।

सचिव ने निर्देशों का गंभीरता से पालन करने को कहा है, ताकि बाद में कोई विवाद न हो। सचिव ने चेतावनी दी है कि इस मामले में कोई लापरवाही होती है तो संबंधित के विरुद्ध नकल निवारण अधिनियम 2024 सहित संगत धाराओं व विभागीय नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी, जिसकी पूरी जिम्मेदारी संबंधित अधिकारी की होगी।