यूपी में फार्मेसी कॉलेजोें को झटका 50 फीसदी से अधिक सीटें खाली, प्रदेश के कॉलेजों की डीफार्मा की आधी सीटों पर भी छात्रों ने प्रवेश लेने में नहीं दिखाई रुचि
● अभी कुल 2045 फार्मेसी कॉलेज हैं उत्तर प्रदेश में
● नए या सीधे प्रवेश के लिए भी कोई संभावना नहीं बची
● फार्मेसी को छोड़ सभी ब्रांच में समय से हुई काउंसलिंग
● 25 से 35 फीसदी सीटों पर ही कई संस्थानों पर प्रवेश
सीट नहीं भरने के प्रमुख पांच कारण
1. फार्मेसी कॉलेजों के प्रकरण कोर्ट में लम्बित होना
2. फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) की तरफ से कॉलेजों को एनओसी में देरी
3. साल खराब होने के डर की वजह से छात्रों ने विश्वविद्यालयों में संचालित डीफार्मा में अधिक शुल्क पर लिया प्रवेश
4. परिषद को सिर्फ पीसीआई की एनओसी की वजह से काउंसलिंग में देरी नही करनी चाहिए थी
5. काउंसलिंग में देरी से बड़ी संख्या में छात्रों का फार्मेसी छोड़ दूसरे कोर्स में प्रवेश लेना
लखनऊ : प्रदेश भर के फार्मेसी कॉलेजों को बड़ा झटका लगा है। सबसे ज्यादा डिमांड में रहने वाले डिप्लोमा इन फार्मेसी (डी-फार्मा) की सीटे कॉलेज वाले नहीं भर पाए। प्रदेश भर के 2045 कॉलेजों में पचास फीसदी सीटे खाली रह गई हैं। वहीं बड़ी संख्या में कॉलेज ऐसे भी हैं। जहां सिर्फ 25 से 35 फीसदी ही सीटे भर पायी हैं।
प्राविधिक शिक्षा परिषद के अन्तर्गत डीफार्मा डिप्लोमा कराया जाता है। प्रदेश भर 2045 फार्मेसी कॉलेज हैं। जहां सत्र 2024- 25 में 1, 10, 832 डीफार्मा की सीट हैं। इस सत्र में प्रवेश के लिए काउंसलिंग प्रक्रिया ही दिसम्बर माह में शुरू हो सकी और चार चरण की काउंसलिंग के बाद सिर्फ 52,865 सीट ही भर सकी हैं। जबकि अब नए प्रवेश या सीधे प्रवेश की भी कोई संभावना नही बची है क्योंकि आगामी सत्र के लिए प्रवेश आवेदन हो चुके हैं। पॉलीटेक्निक के सत्र 2024-25 फार्मेसी को छोड़ सभी ब्रांच में काउंसलिंग समय से हुई और प्रवेश प्रक्रिया भी लेकिन फार्मेसी के कुछ मामले कोर्ट में लम्बित होने की वजह फार्मेसी की प्रवेश काउंसलिंग प्रवेश परीक्षा के रिजल्ट जारी होने के बाद शुरू नही हो सकी। संयुक्त शिक्षा प्रवेश परिषद ने 22 अक्तूबर से काउंसलिंग शुरू करनी चाहिए लेकिन कोर्ट स्टे लगने के बाद 22 अक्तूबर से भी काउंसलिंग नहीं शुरू हो सकी और काफी जद्दोजहद के बाद दो दिसम्बर से काउंसलिंग शुरू हुई और तीन जनवरी तक चार चरणों में पूरी की गई। तब तक देर हो चुकी थी और पचास फीसदी से अधिक सीट खाली रह गईं।
डीफार्मा में पचास फीसदी से अधिक सीटे खाली रह गई है। इसका मुख्य कारण फार्मेसी कॉलेजों के मामले में कोर्ट में लम्बित होना रहा। कोर्ट में मामले में कॉलेजों की ओर से ही दाखिल किए गए थे। इसी कारण काउंसलिंग शुरू होने में देर हुई। जिसका असर भी पड़ा।
संजीव सिंह, सचिव, संयुक्त प्रवेश परीक्षा (पॉलिटेक्निक) उत्तर प्रदेश
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