तदर्थ शिक्षकों के प्रकरण में लापरवाही बरत रहे अधिकारियों पर होगी कार्रवाई, सवा साल बाद भी विनियमितिकरण पर स्थिति नहीं हुई साफ
लखनऊ : अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक स्कूलों के तदर्थ शिक्षकों के विनियमितिकरण के प्रकरण में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ अब कार्रवाई शुरू की जाएगी। शासन की ओर से माध्यमिक शिक्षा निदेशक डा. महेन्द्र देव को पत्र लिखकर इस मामले में सख्त नाराजगी जताई गई है। मंडलीय समितियों में शामिल शिक्षाधिकारियों को चिह्नित कर कार्रवाई शुरू करने का आदेश दिया गया है।
विशेष सचिव, माध्यमिक शिक्षा कृष्ण कुमार गुप्त की ओर से भेजे गए पत्र में लिखा गया है कि शासन के संज्ञान में आया है कि विनियमितिकरण के कतिपय प्रकरणों पर मंडलीय समिति ने अभी तक कोई विचार नहीं किया है। ऐसे में कई तदर्थ शिक्षकों को लगातार वेतन का भुगतान किया जा रहा है। शिक्षकों के प्रत्यावेदन को एक महीने के भीतर निस्तारित करने के निर्देश दिए गए थे। करीब सवा साल बीतने के बावजूद भी कोई निर्णय नहीं लिया गया।
ऐसे में मंडलीय अपर शिक्षा निदेशकों की जवाबदेही तय करते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाए। ऐसे अपर निदेशकों की सूची मांगी गई है। दरअसल नौ नवंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तदर्थ शिक्षकों की सेवाएं समाप्त की गईं थी। ऐसे योग्य तदर्थ शिक्षक जिनकी वर्ष 2000 से पूर्व
एडेड माध्यमिक स्कूलों में भर्ती हुई थी उनका विनियमितिकरण कर दिया था। ऐसे 1,164 शिक्षकों को नियमित किया गया था। यह खाली पदों के सापेक्ष नियमित हुए थे। वहीं दूसरी ओर वर्ष 2000 के बाद प्रबंधकों द्वारा मनमाने ढंग से भर्ती करीब 946 शिक्षकों में से कई को बाहर कर दिया गया है, लेकिन तमाम ऐसे भी हैं जो लगातार वेतन पा रहे हैं। ऐसे में अभी तक स्थिति स्पष्ट न होने से ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है और तमाम शिक्षक प्रदर्शन कर रहे हैं। वरिष्ठ शिक्षक नेता ओम प्रकाश त्रिपाठी ने मांग की है कि सभी तदर्थ शिक्षकों को नियमित किया जाए। क्योंकि यह वर्षों से स्कूलों में सेवाएं दे रहे हैं।
तदर्थ शिक्षकों के मामले में लापरवाही पर शासन सख्त, नियमितीकरण व वेतन भुगतान के लिए काफी दिनों से संघर्ष कर रहे शिक्षक
लखनऊ। प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों में वर्ष 2000 तक के नियुक्त तदर्थ शिक्षकों के नियमितीकरण व वेतन भुगतान करने के मामले में लापरवाही पर शासन सख्त है। शासन ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक से इस मामले में लापरवाही बरतने वाले मंडलीय समिति के अधिकारियों को चिह्नित कर उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही का प्रस्ताव मांगा है।
माध्यमिक शिक्षा विभाग के विशेष सचिव कृष्ण कुमार गुप्त ने वर्ष 2000 तक के तदर्थ शिक्षकों को जो नियमानुसार नियुक्त किए गए हैं के मामले में नियमितिकरण के प्रकरणों के निस्तारण के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही प्रकरण के निस्तारण की तिथि तक उनका वेतन भुगतान करने का निर्देश दिया गया है।
शासन के संज्ञान में आया है कि इस प्रकरणों में मंडलीय समिति द्वारा अभी तक विचार नहीं किया गया है। कार्यवाही न होने से संबंधित तदर्थ शिक्षकों को राजकोष से लगातार भुगतान किया जा रहा है। इससे संबंधित मामले एक महीने में निस्तारित हो जाना चाहिए था। ऐसे में क्यों न लापरवाही करने वाली मंडलीय समिति से ही वेतन की वसूली की जाए। उन्होंने जल्द से जल्द नियमितीकरण के लंबित प्रकरणों के बारे में जानकारी मांगी है।
उन्होंने कहा कि वेतन कार्य सत्यापन के साथ ही आहरित होने के बाद भी अभी तक क्यों नहीं किया गया, इसकी भी जानकारी दी जाए। साथ ही इसमें लापरवाही करने वाले अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही का भी प्रस्ताव दिया जाए। शासन के इस पत्र से विभागीय अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है।
माध्यमिक शिक्षा : विनियमितीकरण के प्रकरणों के सम्बन्ध में कोर्ट आर्डर के अनुपालन के सम्बंध में
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