बेसिक शिक्षकों के ग्रेच्युटी भुगतान में देरी पर हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी, देखें कोर्ट ऑर्डर और समझें पूरा मामला (लगातार अपडेटेड)
(नोट: प्रकरण पर जानकारियां एकत्र करने का प्रयास जारी है, इसलिए पोस्ट / न्यूज में कुछ बदलाव हो सकता है)
अलीगढ़। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सेवानिवृत बेसिक शिक्षकों के बकाए भुगतान में देरी को लेकर राज्य सरकार और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, अलीगढ़ पर सख्त टिप्पणी की है। मामले की सुनवाई माननीय न्यायमूर्ति विक्रम डी. चौहान की एकल पीठ ने की।
मामला सेवानिवृत्त शिक्षक सैयद मोहम्मद असलम और अन्य से जुड़ा है, जिन्होंने 2020 में बकाया ग्रेच्युटी राशि के भुगतान का आदेश प्राप्त किया था। इस आदेश को अपील में भी 2022 में पुष्टि मिली। बावजूद इसके, संबंधित विभाग ने अब तक उक्त आदेश को चुनौती देने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
सुनवाई के दौरान, राज्य सरकार की ओर से पेश स्थायी अधिवक्ता ने अदालत को सूचित किया कि जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, अलीगढ़ के तीन बैंक खातों को 26 अक्तूबर 2024 को अटैच कर दिया गया है। इस पर कोर्ट ने सवाल किया कि विभाग 2020 से अब तक निष्क्रिय क्यों रहा। अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अधिकारी "गहरी नींद से जागे हैं" और अब आदेश को चुनौती देने की बात कर रहे हैं।
अदालत ने विभाग की निष्क्रियता पर असंतोष प्रकट किया और आदेश दिया कि 10 लाख रुपये की बकाया राशि दो सप्ताह के भीतर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के पास जमा की जाए। यह धनराशि राष्ट्रीयकृत बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट के रूप में रखी जाएगी। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 5 फरवरी 2025 की तिथि तय की है।
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