छात्रों को मोबाइल, लैपटॉप से दूर रखने का तरीका सीखेंगे शिक्षक, मनोविज्ञानशाला प्रदेश के शिक्षकों के लिए तैयार कर रही है एकाग्रता बढ़ाने वाली गाइड
प्रयागराज । छात्र- छात्राओं को स्मार्टफोन, कंप्यूटर, टैबलेट, टीवी और सोशल मीडिया से दूर रखने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। माध्यमिक कक्षाओं में पढ़ने वाले 14 से 18 वर्ष के छात्र-छात्राओं को डिजिटल डिटॉक्स (एक तय समय के लिए मोबाइल, लैपटॉप आदि से दूर रखने के लिए) शिक्षकों की गाइड तैयार कर रहे हैं। मनोविज्ञानशाला की निदेशक उषा चंद्रा ने बताया कि गाइड बनने के बाद शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा और उसके बाद ये शिक्षक कक्षाओं में विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से बच्चों को रचनात्मकता की ओर प्रेरित करेंगे।
गतिविधि एकः पर्यावरण (40 मिनट)
शिक्षक विद्यार्थियों को स्कूल मैदान का भ्रमण कराएंगे ताकि वह प्रकृति से निकटता महसूस कर सकें। उनसे गमलों में पौधे लगवाएंगे और कुछ दल बनाकर पूरे साल निश्चित संख्या में पौधों की देखरेख का प्रोजेक्ट देंगे। अच्छे तरीके से देखभाल करने वाले बच्चों को प्रोत्साहन के रूप में प्रमाणपत्र वगैरह भी दे सकते हैं।
गतिविधि दोः एकाग्रता (40 मिनट)
सबसे पहले शिक्षक ब्लैकबोर्ड पर कैंची, गोंद, कागज, सुतली, दफ्ती और रंग के नाम लिखेंगे। उसके बाद विद्यार्थियों से पूछेंगे कि आंख बंद करके मन को एकाग्र करते हुए चिंतन करें कि इन चीजों का उपयोग करके वह क्राफ्ट से जुड़ी कौन कौन सी ची बना सकते हैं। उसके बाद उन्हें सामग्री देकर वस्तुएं बनवाएंगे और अपनी बनाई चीजों का प्रदर्शन करेंगे। इस गतिविधि में दूसरों और स्वयं की बनाई चीजों की सराहना करना सीखेंगे।
गतिविधि तीनः आओ किताब पढ़ें (40-45 मिनट)
शिक्षक छात्र-छात्राओं को लाइब्रेरी में ले जाएंगे और उन्हें अपनी रुचि के अनुसार पुस्तक, पत्रिका या अखबार चुनने को कहें। प्रत्येक विद्यार्थी को प्रेरित करें कि कम से कम एक कहानी या लेख ध्यानपूर्वक पढ़ें। अगले दिन विद्यार्थी से पढ़े हुए लेख या कहानी को सुनाने को कहें। शिक्षक विद्यार्थियों को प्रतिदिन अखबार पढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे।
गतिविधि चारः समय का सदुपयोग (30-35 मिनट)
इसमें शिक्षक विद्यार्थियों को कुछ समय आंख बंद करके शांति की मुद्रा में बैठने के लिए कहेंगे। उसके बाद सादा कागज वितरित कर लिखने को कहेंगे कि प्रतिदिन कितना समय स्क्रीन अर्थात सोशल मीडिया पर व्यतीत करते हैं। थोड़ा समय देकर उनके नॉन डिजिटल शौक या रुचि का कक्षा में प्रदर्शन भी कराएंगे। उनसे पूछेंगे कि मनपसंद काम करके कैसा लगा और स्क्रीन से दूर रहने के लिए प्रेरित करेंगे।
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