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Monday, January 6, 2025

उच्च शिक्षण संस्थानों में NEP के अमल को परखेगा UGC, यूजीसी ने जारी किया मसौदा, 49 बिंदुओं पर देना होगा जवाब

उच्च शिक्षण संस्थानों में NEP के अमल को परखेगा UGC, यूजीसी ने जारी किया मसौदा, 49 बिंदुओं पर देना होगा जवाब

• रैंकिंग जारी होगी इसी आधार पर संस्थानों को वित्तीय मदद देने में दी जाएगी प्राथमिकता


नई दिल्ली: उच्च शिक्षण संस्थानों को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अमल में ढुलमुल रवैया अपनाना अब महंगा पड़ेगा। इसका असर आने वाले दिनों में न सिर्फ उनकी रैंकिंग पर पड़ेगा बल्कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से मिलने वाली वित्तीय मदद पर भी इसका असर दिख सकता है। उन्हें दी जाने वाली वित्तीय मदद में कटौती या फिर वित्तीय मदद की प्राथमिकता से बाहर रखा जा सकता है। 


फिलहाल यूजीसी ने देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में नीति के अमल को परखने को लेकर एक मसौदा जारी किया है। इसके तहत सभी संस्थानों को नीति से जुड़े 49 बिंदुओं पर जवाब देना होगा। यूजीसी ने यह कदम तब उठाया है, जब कई संस्थानों में एनईपी के अमल को लेकर अपेक्षा अनुरूप प्रगति नहीं दिख रही थी। 


इससे देश में उच्च शिक्षण संस्थानों के बीच एकरूपता प्रभावित हो रही है। यानी कोई एनईपी के तहत क्रेडिट फ्रेमवर्क वाले कोर्स को शुरू कर रहा है तो कोई यूजीसी के बार-बार के निर्देशों के बाद अभी भी पुराने ढर्रे पर ही चल रहा है। इसका असर छात्रों पर पड़ रहा है क्योंकि उन्हें शिक्षा से जुड़े सुधारों का लाभ समय से नहीं मिल रहा है। इस मसौदे के आधार पर उच्च शिक्षण संस्थानों को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) की ग्रेड प्रदान करने में भी मदद मिलेगी। 


फिलहाल यूजीसी नीति के अमल से जुड़े इस मसौदे पर सभी उच्च शिक्षण संस्थानों से 30 दिनों के भीतर सुझाव देने को कहा गया है। इसके बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। यूजीसी के मुताबिक नीति को परखने के लिए इस क्रम में संस्थानों से कुल 49 बिंदुओं पर जानकारी मांगी गई है। इस दौरान 30 बिंदु सभी उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए, 13 बिंदु विश्वविद्यालय और स्वायत्त कालेजों के लिए व छह बिंदु सिर्फ विश्वविद्यालयों के लिए हैं।



नीति से जुड़े इन प्रमुख बिंदुओं पर उच्च शिक्षण संस्थानों की होगी परख

यूजीसी ने उच्च शिक्षण संस्थानों में नीति के अमल को परखने का जो फार्मूला तैयार किया है, उनमें उच्च शिक्षण संस्थानों को बताना है कि उन्होंने इसे लागू किया है या नहीं? लागू करने वाले को एक अंक मिलेगा। फिलहाल अमल में जिन प्रमुख बिंदुओं को शामिल किया गया है, वह हैं- क्या संस्थान में शिक्षकों के 75 प्रतिशत स्थायी पद भरे हुए हैं या नहीं? 

शिक्षक-छात्र अनुपात का क्या वह पालन कर रहे हैं? प्रोफेसर आफ प्रैक्टिस के तहत पद भरे गए हैं या नहीं? क्या नई नीति के तहत किसी भी कोर्स में कभी भी दाखिला लेने और छोड़ने की व्यवस्था को लागू किया गया है? संस्थान ने क्या नीति  के तहत क्रेडिट फ्रेमवर्क को लागू किया है? संस्थान ने क्या अपने यहां एनईपी सारथी की नियुक्ति की है? उद्योगों के साथ मिलकर उन्होंने क्या कोई इंटर्नशिप और अप्रेंटिसशिप प्रोग्राम शुरू किया है?

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