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Friday, February 28, 2025

केंद्र व्यवस्थापकों को पता नहीं कैसे खोलें स्ट्रांग रूम, अपर मुख्य सचिव के निरीक्षण में मिली कमी, सभी डीआईओएस को दिए निर्देश

केंद्र व्यवस्थापकों को पता नहीं कैसे खोलें स्ट्रांग रूम, अपर मुख्य सचिव के निरीक्षण में मिली कमी,  सभी डीआईओएस को दिए निर्देश


प्रयागराज। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा के पहले दिन 24 फरवरी को माध्यमिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने लखनऊ के परीक्षा केंद्रों पर पहली पाली में आयोजित हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट की परीक्षा का निरीक्षण किया। इस दौरान केंद्र व्यवस्थापक, वाह्य केंद्र व्यवस्थापक एवं स्टैटिक मजिस्ट्रेट प्रश्नपत्रों के सुरक्षित रख-रखाव के लिए बनाए गए स्ट्रांग रूम को खोलने की नवीन व्यवस्था से अनजान मिले। इसे गंभीरता से लेते हुए यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को निर्देश जारी किए हैं।

सचिव ने लिखा है कि 30 जनवरी को भेजे गए दिशा-निर्देश के बिन्दु संख्या नौ में स्पष्ट लिखा है कि स्ट्रांग रूम के दरवाजे की एक चाबी परीक्षा केंद्र पर तैनात स्टैटिक मजिस्ट्रेट की अभिरक्षा में सुरक्षित रखी जाएगी। स्टैटिक मजिस्ट्रेट की अनुपस्थिति विषयक आकस्मिकता/आपात स्थिति में ससमय परीक्षा प्रारम्भ कराने के लिए स्ट्रांग रूम के ताले की द्वितीय चाबी बाह्य केंद्र व्यवस्थापक के पास सुरक्षित रखी जाए, जिसका प्रयोग जिला विद्यालय निरीक्षक की अनुमति के बिना किसी सूरत में न किया जाए। ऐसी स्थिति में जिला विद्यालय निरीक्षक संबंधित स्टैटिक मजिस्ट्रेट का स्पष्टीकरण प्राप्त करने एवं सुसंगत कार्यवाही के लिए जिलाधिकारी के समक्ष पत्रावली प्रस्तुत करेंगे।

डीआईओएस यह सुनिश्चित करेंगे कि प्रश्नपत्रों को रखने के लिए बनाए गए स्ट्रांग रूम के ताले की दूसरी चाबी एक मजबूत क्लाथ लाइन लिफाफे में रखकर केंद्र व्यवस्थापक, बाह्य केंद्र व्यवस्थापक तथा स्टैटिक मजिस्ट्रेट के समक्ष सील बन्द कर बाह्य केंद्र व्यवस्थापक को दी जाए। यदि किसी आकस्मिक स्थितिवश स्टैटिक मजिस्ट्रेट अनुपस्थित होता है तब आवश्यकतानुसार डीआईओएस की अनुमति पर सीसीटीवी कैमरे के समक्ष सील बन्द लिफाफे से केंद्र व्यवस्थापक एवं बाह्य केंद्र व्यवस्थापक की उपस्थिति में चाबी निकलवाकर स्ट्रांग रूम को खुलवाएंगे। स्ट्रांग रूम को बन्द करने के बाद पुनः चाभी को लिफाफे में सील बन्द कराया जाए। स्पष्टता के लिए चित्रात्मक जानकारी भी भेजी गई है।


माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्य के पदों में अधिकारियों का कोटा बढ़ाने की तैयारी, शासन ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को दिए निर्देश, राजकीय माध्यमिक शिक्षक संघ ने जताई आपत्ति

माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्य के पदों में अधिकारियों का कोटा बढ़ाने की तैयारी, शासन ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को दिए निर्देश, राजकीय माध्यमिक शिक्षक संघ ने जताई आपत्ति

माध्यमिक शिक्षा विभाग उप्र शैक्षिक सेवा नियमावली 1992 में करेगा संशोधन


लखनऊ। प्रदेश में माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से उप्र शैक्षिक (सामान्य शिक्षा संवर्ग) सेवा नियमावली 1992 में संशोधन की तैयारी तेज कर दी गई है। शासन ने इसके तहत समूह ख (प्रधानाचार्य राजकीय इंटर कॉलेज) के पदों में पदोन्नति कोटा में बदलाव करने की तैयारी शुरू कर दी है।

इसमें अधिकारियों का कोटा पहले की अपेक्षा बढ़ाने का प्रस्ताव है। वहीं राजकीय शिक्षक संघ की ओर से इसका विरोध शुरू कर दिया गया है। माध्यमिक शिक्षा विभाग के विशेष सचिव उमेश चंद्र की ओर से हाल ही में माध्यमिक शिक्षा निदेशक को पत्र भेजकर कहा गया है कि वर्तमान में महिला शाखा के विद्यालयों के बढ़ने और निरीक्षण शाखा (अधिकारी संवर्ग) के पुनर्गठन होने के कारण संख्या और वेतनमान में भी अंतर आया है। ऐसे में समूह ख में पदोन्नति कोटे के पदों में पुरुष, महिला व निरीक्षण शाखा में कोटे का पुनर्निर्धारण किया जाना आवश्यक है।


उन्होंने कहा है कि इसके तहत पुरुष व महिला शाखा का कोटा 33 33 और निरीक्षण शाखा का कोटा 34 फीसदी करना उचित है, जो पूर्व में क्रमशः 61, 22 व 17 फीसदी है। ऐसे में इस बदलाव से अधिकारी संवर्ग का कोटा 17 से सीधे 34 फीसदी हो जाएगा। इस पर राजकीय शिक्षक संघ ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। संघ के प्रांतीय अध्यक्ष रामेश्वर प्रसाद पांडेय, प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष जेड आर खान आदि ने इसके विरोध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजा है।


उन्होंने कहा है कि उत्तर प्रदेश शैक्षिक संवर्ग समूह ख के पदों पर नियम विरुद्ध खंड शिक्षा अधिकारियों के लिए कोटा बढ़ाए जाने की तैयारी है। शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों द्वारा राजकीय शिक्षक-शिक्षिकाओं व राजकीय शिक्षक संघ को बिना सुने खंड शिक्षा अधिकारियों को 34 फीसदी का कोटा दिया जा रहा है। यह नियमानुसार ठीक नहीं है, क्योंकि शैक्षिक सामान्य शिक्षा संवर्ग के पदों में पदोन्नति के लिए खंड शिक्षा अधिकारियों का कोई कोटा निर्धारित नहीं है। इनको समूह ख के पदों पर पदोन्नत किया जाना सही नहीं है। लोकसेवा आयोग समूह ख के पदों पर चयन के लिए कम से कम तीन साल तक पढ़ाने का अनुभव मांगता है, जो खंड शिक्षा अधिकारियों के पास नहीं है। माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारी यह काम नियम विरुद्ध कर रहे हैं। ऐसे में राजकीय शिक्षक-शिक्षिकाओं के हितों की रक्षा नहीं हुई तो वे न्यायालय की शरण में जाने को बाध्य होंगे।


पुरानी नियमावली में संशोधन की जरूरत

माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने कहा कि 1992 में यह कोटा निर्धारित किया गया था। कई साल पहले की नियमावली में अब संशोधन की जरूरत है। संबंधित अधिकारियों और प्रधानाचार्य के पद लगभग बराबर हैं। महिला शाखा के विद्यालय बढ़ने से उनका कोटा भी बढ़ाया जाना प्रस्तावित है। इससे लगभग आठ साल से रुकी हुई पदोन्नति होगी और राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में 500 से अधिक प्रधानाचार्य मिलेंगे, जो कामकाज को सुचारू करने में सहयोगी होंगे।

वित्तविहीन विद्यालयों के शिक्षकों को बैंक खाते में भेजा जाए मानदेय, पर्यटन मंत्री के पत्र पर माध्यमिक शिक्षा विभाग ने जारी किया निर्देश

वित्तविहीन विद्यालयों के शिक्षकों को बैंक खाते में भेजा जाए मानदेय, पर्यटन मंत्री के पत्र पर माध्यमिक शिक्षा विभाग ने जारी किया निर्देश


लखनऊ। माध्यमिक शिक्षा के वित्तविहीन मान्यता प्राप्त विद्यालयों के शिक्षकों को प्रबंधतंत्र की ओर से नियमित व नियमानुसार वेतन नहीं दिया जा रहा है। भविष्य निधि व जीवन बीमा का भी लाभ नहीं मिल रहा है। ऐसी शिकायतों के दृष्टिगत पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह की ओर से लिखे गए पत्र पर माध्यमिक शिक्षा विभाग ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

मंत्री ने अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा को पत्र भेजकर कहा कि वित्तविहीन विद्यालयों में शिक्षकों के मानदेय भुगतान पूरे शैक्षिक सत्र के लिए नियमित रूप से किया जाए। यह राशि कुशल श्रमिकों के लिए निर्धारित मजदूरी से कम नहीं होनी चाहिए। भविष्य निधि व जीवन बीमा की योजनाओं का लाभ भी दिया जाए। मानदेय का भुगतान उनके बैंक खाते में या चेक से किया जाए। इसी क्रम में माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने सभी मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक को पत्र भेजकर कहा है कि इस व्यवस्था का अनुपालन सुनिश्चित किया जाए।

उप्र. माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश मंत्री संजय द्विवेदी ने कहा है कि विभाग अपने आदेश का पालन नहीं करा पा रहा है। शासनादेश का कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराया जाए। 95% निजी प्रबंधतंत्र स्ववित्तपोषित शिक्षकों को वेतन नकद दे रहे हैं। वह भी आधा-अधूरा। किसी भी विद्यालय में भविष्य निधि व जीवन बीमा की व्यवस्था नहीं है। 

अब एक ही नाम और संबद्धता से विद्यालय खोलने की अनुमति मिली, CBSE ने स्कूलों के संबद्धता मानदंडों में ढील दी

अब एक ही नाम और संबद्धता से विद्यालय खोलने की अनुमति मिली, CBSE ने स्कूलों के संबद्धता मानदंडों में ढील दी


नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने अपने स्कूलों के संबद्धता मानदंडों में ढील दी है। इसके तहत अब स्कूलों को समान नाम और संबद्धता संख्या के तहत नई शाखा खोलने की अनुमति मिल गई है। अधिकारियों ने बताया कि दोनों विद्यालयों को शैक्षणिक बुनियादी ढांचे के संदर्भ में अलग-अलग संसाधनों की व्यवस्था करनी होगी। अगर कोई छात्र शाखा स्कूल से मुख्य विद्यालय में दाखिला लेना चाहे तो यह प्रकिया निर्बाध होगी। नियमों के अनुसार इसे नया प्रवेश नहीं माना जाएगा।


अधिकारियों ने बताया कि मुख्य स्कूल में छठी कक्षा से 12वीं तक की कक्षाओं के संचालन की अनुमति दी गई है, जबकि शाखा स्कूल में प्री-प्राइमरी से पांचवी तक की कक्षाएं होंगी। सीबीएसई के सचिव हिमांशु गुप्ता ने बताया, दोनों विद्यालयों का प्रबंधन और स्वामित्व एक ही होगा और प्रशासनिक व शैक्षणिक प्रक्रिया भी एक ही होंगी। दोनों शाखाओं के लिए एक सामान्य वेबसाइट होगी और इस वेबसाइट में शाखा स्कूल के लिए एक अलग से एक भाग होगा। उन्होंने बताया, मुख्य विद्यालय दोनों शाखाओं के लिए प्रवेश का प्रबंधन करेगा और इसके खातों का भी रखरखाव करेगा। 

गुप्ता ने बताया कि दोनों विद्यालयों को अलग-अलग शिक्षण और गैर-शिक्षण से संबंधित कर्मचारियों की नियुक्तियां करनी होंगी तथा कर्मचारियों के वेतन भुगतान की जिम्मेदारी भी मुख्य स्कूल पर होगी। वर्तमान में सीबीएसई, शाखा स्कूल स्थापित करने की अनुमति नहीं देता है और एक ही समूह के प्रत्येक विद्यालय को अलग-अलग संबद्धता संख्या की जरूरत होती है। अब नए नियम आने से इन मानदंडों में बदलाव हो गया है। 



सीबीएसई : एक ही मान्यता पर खुल सकेंगे दो स्कूल

कानपुर। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद (सीबीएसई) ने एक बड़ा कदम उठाते हुए एक ही मान्यता पर दो स्कूल चलाने की अनुमति दे दी है। बशर्ते स्कूल का नाम और प्रबंधन एक ही हो। दूसरा स्कूल बाल वाटिका से कक्षा 05 तक ब्रांच स्कूल के नाम से संचालित किया जा सकेगा। मेन स्कूल का संचालन कक्षा 06 से 12 तक किया जा सकता है। बोर्ड सचिव हिमांशु गुप्ता ने आदेश जारी कर दिए हैं।

■ मुख्य स्कूल के नाम व प्रबंधन पर खोल सकेंगे ब्रांच

■ बाल वाटिका से कक्षा 05 तक चल सकेंगे यह ब्रांच स्कूल


संबद्ध स्कूलों के लिए जारी नोटिफिकेशन में स्पष्ट कर दिया गया है कि ब्रांच स्कूल के लिए आवेदन सारस पोर्टल के माध्यम से सत्र 2025-26 के लिए किया जा सकता है। ब्रांच स्कूल की शर्तें तय कर दी गई हैं। नए स्कूल के भौतिक व शैक्षिक मानक भी तय कर दिए गए हैं। 

एक ही मान्यता पर उसी नाम से स्कूल का संचालन अन्य स्थान पर किए जाने का फैसला एफलिएशन कमेटी की ने यह बड़ा निर्णय  बोर्ड ने लिया है। नोटिफिकेशन भी जारी हो गया है। इसका अध्ययन किया जा रहा है। स्कूलों के लिए यह महत्वपूर्ण फैसला है। अन्य शर्तों का अध्ययन किया जा रहा है।
- सरदार बलविंदर सिंह, स्थानीय कोआर्डिनेटर, सीबीएसई

बैठक में लिया गया था। इसके आधार पर मंगलवार को बोर्ड सचिव ने आदेश जारी कर दिया। संबद्धता के नए नियमों के तहत मुख्य स्कूल या मेन स्कूल उसे कहेंगे जिसकी मान्यता पहले से है।



CBSE ने एक ही नाम व संबद्धता संख्या से विद्यालयों को दी शाखा खोलने की अनुमति, मुख्य विद्यालय में छठी से बारहवीं तक की कक्षाएं चलेंगी और शाखा विद्यालय में प्री प्राइमरी से 5वीं तक की कक्षाएं होंगी


नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने अपने स्कूलों के संबद्धता मानदंडों में ढील दी है। इसके तहत अब स्कूलों को समान नाम और संबद्धता संख्या के तहत नई शाखा खोलने की अनुमति मिल गई है।

अधिकारियों ने बताया कि दोनों विद्यालयों को शैक्षणिक बुनियादी ढांचे के संदर्भ में अलग-अलग संसाधनों की व्यवस्था करनी होगी। अगर कोई छात्र शाखा स्कूल से मुख्य विद्यालय में दाखिला लेना चाहे तो यह प्रकिया निर्बाध होगी। नियमों के अनुसार इसे नया प्रवेश नहीं माना जाएगा।


अधिकारियों ने बताया कि मुख्य स्कूल में छठी कक्षा से 12वीं तक की कक्षाओं के संचालन की अनुमति दी गई है, जबकि शाखा स्कूल में प्री-प्राइमरी से पांचवी तक की कक्षाएं होंगी। सीबीएसई के सचिव हिमांशु गुप्ता ने बताया, दोनों विद्यालयों का प्रबंधन और स्वामित्व एक ही होगा और प्रशासनिक व शैक्षणिक प्रक्रिया भी एक ही होंगी। दोनों शाखाओं के लिए एक सामान्य वेबसाइट होगी और इस वेबसाइट में शाखा स्कूल के लिए एक अलग से एक भाग होगा।

उन्होंने बताया, मुख्य विद्यालय दोनों शाखाओं के लिए प्रवेश का प्रबंधन करेगा और इसके खातों का भी रखरखाव करेगा। गुप्ता ने बताया कि दोनों विद्यालयों को अलग-अलग शिक्षण और गैर-शिक्षण से संबंधित कर्मचारियों की नियुक्तियां करनी होंगी तथा कर्मचारियों के वेतन भुगतान की जिम्मेदारी भी मुख्य स्कूल पर होगी।

वर्तमान में सीबीएसई, शाखा स्कूल स्थापित करने की अनुमति नहीं देता है और एक ही समूह के प्रत्येक विद्यालय को अलग-अलग संबद्धता संख्या की जरूरत होती है। अब नए नियम आने से इन मानदंडों में बदलाव हो गया है। 

Thursday, February 27, 2025

यूपी बोर्ड परीक्षा कार्यों के लिए पारिश्रमिक दरें तय

यूपी बोर्ड परीक्षा कार्यों के लिए पारिश्रमिक दरें तय


प्रयागराज : यूपी बोर्ड परीक्षा कार्यों के लिए पारिश्रमिक दरें निर्धारित कर दी गई हैं। इसमें परीक्षा व संकलन केंद्रों के कार्य सम्मिलित हैं। बोर्ड के वरिष्ठ वित्त एवं लेखाधिकारी ने दरों की सूची तैयार की है। इसमें केंद्र व्यवस्थापकों को 100 रुपये प्रति पाली या 200 रुपये प्रतिदिन के अनुपात में देय होगा। इसी तरह अतिरिक्त केंद्र व्यवस्थापक को 60 रुपये प्रतिपाली या 120 रुपये प्रतिदिन, कक्ष निरीक्षक को 100 रुपये प्रतिदिन, लिपिक को 80 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से

दिया जाएगा। संकलन केंद्रों के मुख्य नियंत्रक को प्रतिदिन 75 रुपये, उप नियंत्रक को 60 रुपये, सह उप नियंत्रक को 55 रुपये, कोठारी को 50 रुपये की दर से भुगतान किया जाएगा। धनराशि का आवंटन क्षेत्रीय कार्यालयों की मांग के अनुसार किया जाएगा, जिसका भुगतान परिषद कार्यालयों द्वारा डीआइओएस को अग्रिम धनराशि के रूप में ई-पेमेंट के माध्यम से बजट आवंटन के निर्देशों के अनुसार किया जाएगा।


यूपी बोर्ड: केंद्र व्यवस्थापक व कक्ष निरीक्षक को 100-100 रुपये पारिश्रमिक, परीक्षा व संकलन केंद्रों के कर्मियों के लिए पारिश्रमिक दर पुनरीक्षित

प्रयागराज। यूपी बोर्ड की परीक्षा के दौरान केंद्रों व संकलन केंद्रों में तैनात कर्मचारियों-अधिकारियों के लिए पारिश्रमिक दर पुनरीक्षित की गई है। केंद्र व्यवस्थापक के लिए प्रतिपाली व कक्ष निरीक्षक के लिए प्रतिदिन 100 रुपये पारिश्रमिक तय किया गया है। बंडल वाहकों को एक पाली में 20 रुपये पारिश्रमिक मिलेगा।


माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से जारी पुनरीक्षित पारिश्रमिक दर के अनुसार अतिरिक्त केंद्र व्यवस्था के लिए प्रति पाली 60 रुपये व प्रतिदिन 120 रुपये तय किया गया है। लिपिक को 40 रुपये प्रति पाली व चतुर्थ श्रेणी कर्मी को 30 रुपये मिलेंगे।


संकलन केंद्रों में तैनात मुख्य नियंत्रक को 75 रुपये रोजाना व अधिकतम 1789 रुपये, उपनियंत्रक को 60 रोजाना व अधिकतम 1441, सह उपनियंत्रक को 55 रुपये रोजाना व अधिकतम 1520, कोठारी को 50 रुपये रोजाना व अधिकतम 1349, तृतीय श्रेणी कर्मी को 40 रुपये रोजाना व अधिकतम 928 और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को 20 रुपये प्रतिदिन व अधिकतम 648 रुपये पारिश्रमिक मिलेगा। 

प्रवीण योजना के तहत कक्षा नौ से 12 तक के विद्यार्थियों का कौशल विकास होगा, माध्यमिक के छात्र व्यावसायिक शिक्षा से बनेंगे दक्ष व आत्मनिर्भर

प्रवीण योजना के तहत कक्षा नौ से 12 तक के विद्यार्थियों का कौशल विकास होगा, माध्यमिक के छात्र व्यावसायिक शिक्षा से बनेंगे दक्ष व आत्मनिर्भर

1100 माध्यमिक स्कूलों में अभिरुचि के अनुसार कोर्स शुरू होंगे

853 माध्यमिक विद्यालयों में समग्र शिक्षा के तहत पहले से कोर्स चल रहे


लखनऊ। माध्यमिक स्कूलों में अब विद्यार्थियों की अभिरुचि के अनुसार व्यावसायिक शिक्षा मिलेगी। सरकार अगले शैक्षिक सत्र से पहले इसके लिए बकायदा स्कूलवार सर्वेक्षण कराएगी और जो विद्यार्थी व्यवसायिक शिक्षा से जुड़े जिस भी विषय को पढ़ना चाहेंगे, उन्हें उन्हीं विषयों की शिक्षा दी जाएगी। नए सत्र में सरकार प्रदेश के 1100 माध्यमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों की अभिरुचि के अनुसार व्यावसायिक शिक्षा का कोर्स शुरू करने जा रही है। इसके लिए तैयारियां अन्तिम चरण में है।


प्रवीण योजना के तहत सरकार माध्यमिक स्कूलों में अब नए सिरे से व्यावसायिक शिक्षा से जुड़े कोर्स की शुरुआत करने जा रही है, जो प्रदेश के ऐसे 1100 माध्यमिक विद्यालय, जहां अभी व्यवसायिक शिक्षा की पढ़ाई शुरू नहीं हो सकी है। इन विद्यालयों में सिरे से व्यवसायिक शिक्षा की पढ़ाई शुरू करने का मुख्य उद्देश्य माध्यमिक स्कूलों में कक्षा नौ से 12 तक के विद्यार्थियों को विभिन्न व्यावसायिक विषयों में महत्त्वपूर्ण कौशल प्रदान करना है ताकि वे 10 या 12 वीं कक्षा के बाद ही उद्यमिता के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकें।

 इसके तहत जिस विद्यार्थी की जिस ट्रेड में रुचि होगी, उसका उसी ट्रेड में नामांकन किया जाएगा। सर्वे में किसी स्कूल में एक ट्रेड के विद्यार्थी कम होंगे तो उस ट्रेड के विद्यार्थियों को उसी ट्रेड के अधिक संख्या वाले विद्यालयों से ऑनलाइन या अन्य किसी विधि से सम्बद्ध कर मनपसंद व्यवसायिक ट्रेड की शिक्षा दिलाई जाएगी। विभाग की ओर से इस बारे में स्कूलों में सर्वे कराया जा रहा है। सर्वे पूरा होते ही इस मामले में तैयार किए गए नए फार्मूले को विभाग सार्वजनिक करेगा।

 प्रदेश में अब तक समग्र शिक्षा के तहत 853 माध्यमिक विद्यालयों में पहले से व्यावसायिक शिक्षा का कोर्स संचालित किया जा रहा है। वहीं 892 सहायता प्राप्त एवं राजकीय स्कूलों में करीब एक दशक पूर्व शुरू हुई पुरानी व्यावसायिक शिक्षा योजना के तहत विद्यार्थियों को व्यवसायिक शिक्षा मुहैय्या कराई जा रही है।


ये विषय होंगे शामिल
एग्रीकल्चर, ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग, आईटी एण्ड आईटीईएस, प्लंबिंग, रिटेल, सिक्यूरिटी, इलेक्ट्रिकल वर्क, पावर, सोलर सिस्टम इंस्टॉलेशन, मोबाइल रिपेयरिंग, टेक्सटाइल डिजाइन, स्पोर्ट्स एण्ड फिजिकल एजुकेशन, ट्रांसपोर्टेशन एण्ड लॉजिस्टिक और वेयर हाउस, हेल्थ केयर, कंस्ट्रक्शन, टेलीकम्यूनिकेशन, इलेक्ट्रॉनिक्स एण्ड हार्डवेयर, फोटोग्राफी, गारमेंट डिजाइन और डेकोरेशन, रेडियो तथा टेलीविजन टेक्नोलॉजी एवं डिजिटल मार्केटिंग विषय के नाम मुख्य रूप से शामिल हैं।

CBSE Board Exam Twice A Year : साल में दो बार होंगी 10वीं की बोर्ड परीक्षाएं, पहला चरण फरवरी-मार्च में; सीबीएसई ने जारी किए नए नियम, मांगा 9 मार्च तक सुझाव

10वीं की CBSE बोर्ड परीक्षा अब साल में दो बार, छात्र दो बार परीक्षा दे सकेंगे या एक का चयन कर सकेंगे


नई दिल्ली ।  10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा के लिए सीबीएसई के मसौदा मानदंडों में पंजाबी विषय का उल्लेख नहीं है, जिस पर पंजाब के शिक्षा मंत्री ने कड़ी आपत्ति जताई है। दूसरी तरफ बोर्ड के अधिकारियों ने कहा कि यह सूची केवल सांकेतिक है और किसी भी विषय को हटाया नहीं जाएगा। इस बीच, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने मंगलवार को 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा साल में दो बार आयोजित करने के लिए मसौदा मानदंडों को मंजूरी दे दी। मसौदा मानदंड अब सार्वजनिक किया जाएगा। पक्षकार नौ मार्च तक अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं, जिसके बाद नीति को अंतिम रूप दिया जाएगा।

पंजाब के शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने आरोप लगाया कि नई नीति में पंजाबी को विषय सूची से हटाने का प्रयास किया गया है। उन्होंने दावा किया कि उनकी सरकार भाषा पर किसी भी हमले को बर्दाश्त नहीं करेगी। बैंस ने एक्स पर साझा किए गए एक वीडियो में कहा, हम सीबीएसई की नई परीक्षा पैटर्न योजना पर कड़ी आपत्ति जताते हैं, जिसके तहत पंजाबी को मिटाने का प्रयास किया गया है।

पंजाबी को पंजाब में मुख्य भाषा के रूप में नामित किया जाना चाहिए। इसके अलावा इसे देश के बाकी हिस्सों के लिए एक क्षेत्रीय भाषा के रूप में शामिल किया जाना चाहिए, क्योंकि यह कई राज्यों में बोली और पढ़ी जाती है। पंजाबी पर किसी भी तरह का हमला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

सीबीएसई ने स्पष्ट किया है कि इस प्रणाली के तहत कोई अलग से पूरक परीक्षा आयोजित नहीं की जाएगी। इसके बजाय, दूसरे चरण में उन छात्रों के लिए पूरक परीक्षा आयोजित की जाएगी जो अपने अंकों में सुधार करना चाहते हैं।


छात्र दो बार परीक्षा दे सकेंगे या एक का चयन कर सकेंगे
मसौदा मानदंडों के अनुसार, कक्षा 10 के छात्र 2026 से एक शैक्षणिक सत्र में दो बार सीबीएसई बोर्ड परीक्षा दे सकेंगे या दोनों में से एक का चयन कर सकेंगे। पहला चरण 17 फरवरी से छह मार्च तक तथा दूसरा चरण पांच से 20 मई के बीच आयोजित किया जाएगा।



CBSE Board Exam Twice A Year : साल में दो बार होंगी 10वीं की बोर्ड परीक्षाएं, पहला चरण फरवरी-मार्च में; सीबीएसई ने जारी किए नए नियम, मांगा 9 मार्च तक सुझाव

CBSE Board Exam Twice A Year: सीबीएसई बोर्ड ने कक्षा 10वीं के लिए साल में दो बार बोर्ड परीक्षाएं आयोजित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह बदलाव 2026 से लागू होगा।
 
CBSE: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने कक्षा 10वीं के छात्रों के लिए अपनी परीक्षा प्रणाली में एक बड़ा सुधार पेश किया है। बोर्ड के ताजा निर्णय के अनुसार, 2026 से सीबीएसई कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षाएं साल में दो बार आयोजित करेगा, जिससे छात्रों को अपना प्रदर्शन सुधारने का एक अतिरिक्त अवसर मिलेगा।


दो चरणों में होगी परीक्षा, पहला चरण फरवरी-मार्च में
नए स्वीकृत मसौदा दिशा-निर्देशों के अनुसार, कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षाएं दो चरणों में आयोजित की जाएंगी। पहला चरण फरवरी और मार्च के बीच होगा, जबकि दूसरा चरण मई में निर्धारित किया जाएगा। दोनों परीक्षाओं में पूरा पाठ्यक्रम शामिल होगा, जिससे छात्रों के ज्ञान और कौशल का व्यापक मूल्यांकन सुनिश्चित होगा।

नई परीक्षा रूपरेखा विषयों को सात समूहों में वर्गीकृत करती है: भाषा 1, भाषा 2, ऐच्छिक 1, ऐच्छिक 2, ऐच्छिक 3, क्षेत्रीय और विदेशी भाषाएं तथा शेष विषय।


प्रैक्टिकल और आंतरिक मूल्यांकन साल में केवल एक बार
नए नियमों के अनुसार, बोर्ड परीक्षाएं साल में दो बार आयोजित की जाएंगी, जबकि प्रैक्टिकल और आंतरिक मूल्यांकन साल में केवल एक बार ही आयोजित किए जाएंगे। 


इस नए ढांचे का उद्देश्य छात्रों को अधिक लचीलापन प्रदान करना और एकल वार्षिक परीक्षा से जुड़े दबाव को कम करना है। छात्रों को दोनों सत्रों में उपस्थित होने और अपनी तैयारी के लिए सबसे उपयुक्त सत्र चुनने का अवसर मिलेगा।


मई की परीक्षा के बाद जारी होगी मार्कशीट
बोर्ड ने यह भी निर्णय लिया है कि फरवरी-मार्च में पहली परीक्षा पूरी होने के बाद कोई अलग प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जाएगा। अधिकारी ने कहा कि अंतिम उत्तीर्ण प्रमाण पत्र और मार्कशीट मई की परीक्षा के बाद ही जारी की जाएगी। इस दस्तावेज में दोनों परीक्षा सत्रों में प्राप्त अंक (यदि उम्मीदवार दोनों में उपस्थित हुआ है) के साथ-साथ प्रत्येक विषय के लिए दो में से सर्वश्रेष्ठ अंक शामिल होंगे। 


9 मार्च तक जमा करें प्रतिक्रिया
आधिकारिक जानकारी के अनुसार, मसौदा मानदंड अब सार्वजनिक डोमेन में रखे जाएंगे और हितधारक 9 मार्च तक अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं, जिसके बाद नीति को अंतिम रूप दिया जाएगा। मसौदा मानदंडों के अनुसार, परीक्षा का पहला चरण 17 फरवरी से 6 मार्च तक आयोजित किया जाएगा, जबकि दूसरा चरण 5 से 20 मई तक आयोजित किया जाएगा। 

पहला चरण - 17 फरवरी से 6 मार्च
दूसरा चरण - 5 से 20 मई

बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "दोनों परीक्षाएं पूर्ण पाठ्यक्रम पर आयोजित की जाएंगी और उम्मीदवारों को दोनों संस्करणों में एक ही परीक्षा केंद्र आवंटित किए जाएंगे। आवेदन दाखिल करने के समय दोनों परीक्षाओं के लिए परीक्षा शुल्क बढ़ाया जाएगा और एकत्र किया जाएगा।" 

अधिकारी ने कहा, "बोर्ड परीक्षाओं का पहला और दूसरा संस्करण पूरक परीक्षाओं के रूप में भी काम करेगा और किसी भी परिस्थिति में कोई विशेष परीक्षा आयोजित नहीं की जाएगी।" 

अधिकारी ने कहा, "एक बार एलओसी फाइनल हो जाने के बाद, उम्मीदवारों को अपने विषय बदलने की अनुमति नहीं होगी। हालांकि, विषय चयन में कुछ लचीलापन है। यदि कोई उम्मीदवार अपने विषय विकल्पों को संशोधित करना चाहता है, तो वह पहली परीक्षा (फरवरी-मार्च) में एक विषय छोड़ सकता है और दूसरी परीक्षा (मई) में एक अलग विषय चुन सकता है। हालांकि, यदि कोई उम्मीदवार पहली परीक्षा में सभी विषयों को पूरा करता है, तो उसे दूसरी परीक्षा में फिर से उपस्थित होने पर विषयों का एक ही सेट लेना होगा।" 


वर्तमान में क्या है प्रणाली?
वर्तमान में, कक्षा 10वीं और 12वीं के लिए बोर्ड परीक्षाएं फरवरी और मार्च के बीच आयोजित की जाती हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान, सीबीएसई ने एक बार के उपाय के रूप में बोर्ड परीक्षाओं को दो सत्रों में विभाजित किया था। हालांकि, बोर्ड अगले वर्ष पारंपरिक वर्ष के अंत में परीक्षा प्रारूप पर लौट आया।
 
 
 

केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE), नई दिल्ली : सत्र 2025-26 से 10वीं कक्षा में दो बोर्ड में परीक्षाएं आयोजित करवाएं जाने से संबंधित ड्राफ्ट नीति जारी

नोट :  उपयुक्त ड्राफ्ट नीति पर 09 मार्च 2025 तक अपने सुझाव दे सकते हैं ताकि उपयुक्त ड्राफ्ट नीति को अंतिम रूप दिया जा सके।


सुझाव देने के लिए लिंक : https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSdT9UdeTML01fjWbSFPJyHyY5BOUWyPsIItqeVnZROkEEljyQ/viewform?pli=1


स्वीकार होने से पहले कर्मचारी को इस्तीफा वापस लेने का अधिकार –हाईकोर्ट

स्वीकार होने से पहले कर्मचारी को इस्तीफा वापस लेने का अधिकार –हाईकोर्ट 

यह टिप्पणी कोर्ट ने देवरिया के मोहम्मद हुसैन इंटर कॉलेज की प्रबंध समिति की याचिका पर की


प्रयागराज। हाईकोर्ट ने कहा, सक्षम प्राधिकारी की ओर से स्वीकार होने से पहले कर्मचारी को इस्तीफा वापस लेने का अधिकार है। इस टिप्पणी संग के मोहम्मद हुसैन इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य लियाकत अली को चार हफ्ते में कार्यभार सौंपने का आदेश दिया है।

 कोर्ट ने देवरिया करते हुए दिया। प्रबंध समिति को डीआईओएस के उस आदेश से असंतुष्ट थी, जिसमें लियाकत अली को कार्यभार सौंपने का निर्देश दिया था। लियाकत अली ने स्वास्थ्य कारणों से 17 अगस्त 2020 को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया था। इसे अनुमोदन को प्रबंध समिति ने डीआईओएस देवरिया को संदर्भित किया था। आवेदन लंबित रहने से पहले ही लियाकत अली ने छह मार्च 2021 को अपना इस्तीफा वापस लेने का आवेदन दे दिया। लेकिन, प्रबंध समिति ने इसे डीआईओएस को प्रेषित नहीं किया। लिहाजा, डीआईओएस ने इस्तीफा मंजूर कर लिया। 


पहले इस आदेश को लियाकत ने यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की अदालत ने देवरिया के मोहम्मद हुसैन इंटर कॉलेज, नवलपुर की प्रबंध समिति की ओर से जिला विद्यालय निरीक्षक के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने इस्तीफा वापसी के आवेदन पर विचार करने के लिए मामले को डीआईओएस के समक्ष वापस भेज दिया था। इसके बाद लियाकत का इस्तीफा अस्वीकार कर डीआईओएस ने प्रबंधतंत्र को निर्देशित किया कि वह प्रधानाचार्य को कार्यभार सौंपे। 


इसके खिलाफ प्रबंध तंत्र ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट के समक्ष प्रबंध तंत्र यह साबित करने में विफल रहा कि प्रधानाचार्य को कार्यवाही सौंपने से वह किस तरह पीड़ित है। साथ ही कोर्ट ने पाया कि समिति ने प्रधानाचार्य के इस्तीफा वापसी की बात डीआईओएस से छुपाई थी। कोर्ट ने प्रबंधतंत्र की याचिका खारिज कर दी। डीआईओएस को निर्देश दिया है कि यदि इस्तीफा वापसी के आवेदन पर किसी तरह की आपत्ति दाखिल की गई है तो उसे शीघ्र निस्तारित कर चार हफ्ते में प्रधानाचार्य को कार्यभार दिलाने की कार्यवाही करें।

Wednesday, February 26, 2025

शिक्षामित्रों का मानदेय नहीं बढ़ेगा, बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने विधान सभा में कहा, फिलहाल ऐसा विचार नहीं


शिक्षामित्रों का मानदेय नहीं बढ़ेगा, बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने विधान सभा में कहा, फिलहाल ऐसा विचार नहीं


लखनऊ। विधानसभा सत्र के छठे दिन शिक्षामित्रों को लेकर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया। बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने सपा विधायक द्वारा शिक्षामित्रों की तुलना पशु पालने वाले नौकर से किए जाने को शर्मनाक करार देते हुए कड़ी आपत्ति जताई।

मंत्री संदीप सिंह ने शिक्षा मित्रों के सम्मान और कल्याण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता भी दोहराई और कहा कि शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने का फिलहाल कोई विचार नहीं है। विपक्ष को इस गलती के लिए शिक्षामित्रों से सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।


शिक्षामित्रों को दें 40 हजार मानदेयः प्रतापगढ़ की रानीगंज विधानसभा से विधायक डॉ आरके वर्मा ने प्रश्न प्रहर में कहा कि शिक्षामित्रों को 40 हजार रुपये व अनुदेशकों को 30 हजार रुपये और रसोइयां को 20 हजार रुपये मानदेय दिया जाए। डॉ. वर्मा ने पूछा कि आप अपने नौकर को जो आपके कुत्तों की सैर करता है, उसे 30 हजार रुपये की तनख्वाह देते हो और जो शिक्षामित्र देश के नौनिहालों को देश का कर्णधार बनता है, उसे 10 हजार रुपये देते हैं। यह कहां का न्याय है। 


उन्होंने कहा कि छोटे बच्चों की बुनियादी शिक्षा को मजबूत करते हुए 24 वर्ष से शिक्षामित्र प्राथमिक विद्यालयों में न्यूनतम वेतन पर कार्य कर रहे हैं। महंगाई के दौर में कम वेतन पाने पर उनके परिवार चलाना मुश्किल हो गया है। डा. वर्मा द्वारा शिक्षामित्रों की तुलना पशुओं को टहलाने वाले नौकर से किए जाने पर सत्तापक्ष ने शोर-शराबा शुरू कर दिया।




शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने का कोई इरादा नहीं; संविदा कर्मी का मानदेय 20 हजार रुपए किए जाने की बजट घोषणा के बीच शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने के विषय में ठोस जवाब नहीं दे पाए बेसिक शिक्षा मंत्री 

22 फरवरी 2025
बजट सत्र के दौरान सपा MLC डॉ. मान सिंह के सवाल का जवाब देते हुए बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि शिक्षा मित्रों का वेतन बढ़ाए जाने का कोई इरादा नहीं है। संदीप सिंह ने कहा शिक्षा मित्र मानदेय आधारित संविदा कर्मी हैं। 

वहीं ध्रुव कुमार ने पूछा कि संविदा कर्मी का मानदेय 20 हजार रुपए किए जाने की घोषणा बजट में की गई है। शिक्षा मित्र को भी 20 हजार मिलेगा या नहीं? इस पर मंत्री ठोस जवाब नहीं पाए।

पूर्व DIOS और चार लिपिकों पर नियुक्ति पत्रावली गायब करने पर केस, 44 स्कूलों के 179 शिक्षक व कर्मचारियों को करोड़ों के भुगतान का आरोप

पूर्व DIOS और चार लिपिकों पर नियुक्ति पत्रावली गायब करने पर केस44 स्कूलों के 179 शिक्षक व कर्मचारियों को करोड़ों के भुगतान का आरोप


बलिया। जनपद के 44 स्कूलों के 179 शिक्षक-शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की नियुक्ति पत्रावली गायब करने के मामले में पूर्व डीआईओएस और चार लिपिकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।


जिला विद्यालय निरीक्षक देवेन्द्र कुमार गुप्ता की तहरीर पर सदर कोतवाली पुलिस ने तत्कालीन डीआईओएस रमेश सिंह, संजय कुमार कुंवर लिपिक, लिपिक अजय सिंह, उर्दू अनुवादक मैनुद्दीन, प्रधान लिपिक शिवानन्द तिवारी पर मुकदमा दर्ज किया है।


तहरीर के अनुसार, तत्कालीन डीआईओएस रमेश सिंह के दो वर्ष के कार्यकाल में 32 इंटर कॉलेज व 12 सांस्कृतिक माध्यमिक तथा अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में चार प्रवक्ता, 80 सहायक अध्यापक, चार लिपिक, 10 सहायक लिपिक और 81 परिचारक की फर्जी एवं अनियमित नियुक्ति कर राजकोष से करोड़ों का भुगतान किया गया।


माध्यमिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को भी इसकी रिपोर्ट की प्रेषित थी। पत्रावली के संबंध में पूछताछ करने पर संबंधित पटल सहायकों ने कार्यालय में मूल पत्रावली उपलब्ध नहीं होने की जानकारी दी।


इस पर वित्त एवं लेखाधिकारी माध्यमिक शिक्षा बलिया एवं लेखाकारों से उक्त भुगतान से संबंध में पूछताछ करने पर वेतन अनुमन्यता आदेश अधोहस्ताक्षरी को उपलब्ध कराया गया। प्राप्त अनुमन्यता आदेश के परीक्षण में यह पाया गया कि रमेश सिंह के साथ उक्त पटल सहायकों द्वारा आदेशों पर अपना लघु हस्ताक्षर किया गया है। बार-बार नोटिस देने पर 15 पत्रवालियां ही उपलब्ध कराई गईं। शेष अब तक उपलब्ध नहीं कराई गई है।


संयुक्त शिक्षा निदेशक आजमगढ़ मण्डल द्वारा मूल पत्रावली उपलब्ध नहीं होने की दशा में दोषी अधिकारी और कर्मचारी के विरुद्ध सुसंगत धाराओं के अन्तर्गत प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए निर्देशित किया है। कोतवाल योगेन्द्र बहादुर सिंह ने कहा कि शिकायत पर अधिकारी व कर्मचारियों पर मुकदमा दर्ज किया गया है। जांच की जा रही है।

नकल करते पकड़े गए विद्यार्थियों पर दर्ज नहीं होंगे आपराधिक केस लेकिन नकलचियों पर होगी कठोर कार्रवाई

नकल करते पकड़े गए विद्यार्थियों पर दर्ज नहीं होंगे आपराधिक केस लेकिन नकलचियों पर होगी कठोर कार्रवाई

मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों को जारी किया पत्र

प्रयागराज। यूपी बोर्ड की परीक्षा में नकल करते या अनुचित साधन का उपयोग करते हुए पकड़े जाने पर छात्र-छात्राओं पर आपराधिक मुकदमे नहीं लिखे जाएंगे। ऐसे विद्यार्थियों के संबंधित प्रश्नपत्र की कॉपी का मूल्यांकन नहीं करने समेत अन्य कार्रवाई की जाएगी।

प्रदेश सरकार की नई परीक्षा नीति में सुनियोजित तरीके से नकल कराने वाले तथा पेपर आउट कराने समेत अन्य गतिविधियों में लिप्त नकल माफिया के खिलाफ आपराधिक मुकदमा लिखाने के साथ कठोर कार्रवाई के प्रावधान किए गए हैं।


यह प्रावधान बोर्ड परीक्षा में भी लागू होंगे, लेकिन विद्यार्थियों पर आपराधिक मुकदमे नहीं लिखाए जाएंगे। बोर्ड के सचिव की ओर से मंगलवार को जारी पत्र में स्पष्ट किया गया है कि 15 जुलाई 2024 को लागू उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा अधिनियम के प्रावधान विद्यार्थियों पर लागू नहीं होंगे।

पत्र में यह भी लिखा गया है कि परीक्षार्थियों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए आपराधिक दायित्व से मुक्त रखा जाएगा लेकिन कोई छात्र-छात्रा अनुचित साधनों का उपयोग करते हुए पकड़ा जाता है तो संबंधित प्रश्न पत्र की उत्तर पुस्तिका का मूल्यांकन नहीं किया जाएगा। साथ ही अन्य कार्रवाई की जाएगी।

यूपी बोर्ड परीक्षा 2025: छात्रों की हर समस्याओं के समाधान के लिए 24×7 हेल्पलाइन सक्रिय, देखें पत्र

यूपी बोर्ड परीक्षा 2025: छात्रों की हर समस्याओं के समाधान के लिए 24×7 हेल्पलाइन सक्रिय, देखें पत्र 


प्रयागराज, 25 फरवरी 2025 – उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (UP Board) द्वारा वर्ष 2025 की हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षाओं को लेकर एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक सूचना जारी की गई है। परिषद ने परीक्षार्थियों से अपील की है कि वे परीक्षा का तनाव न लें और पूरी सहजता के साथ परीक्षा में शामिल हों।  

परिषद ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी परीक्षार्थी को विद्यालय द्वारा प्रवेश पत्र नहीं दिया जा रहा है या विषय, वर्ग एवं लिंग (जेण्डर) संबंधी त्रुटियों के कारण परीक्षा में सम्मिलित होने में बाधा उत्पन्न हो रही है, तो वे सीधे परिषद द्वारा संचालित हेल्पलाइन नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं। 24×7 संचालित इन हेल्पलाइन नंबरों – 1800-180-5310 एवं 1800-180-5312 – पर परीक्षार्थियों की समस्याओं का तत्काल समाधान किया जाएगा।  


विद्यालयों पर सख्ती, गड़बड़ी पर होगी कार्रवाई  
माध्यमिक शिक्षा परिषद ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि कोई भी संस्था या व्यक्ति किसी परीक्षार्थी को परीक्षा देने से रोकने में संलिप्त पाया जाता है, तो उसके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। परिषद ने कहा कि छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।  


छात्रों के लिए मददगार साबित होगी हेल्पलाइन  
इस कदम का छात्रों और अभिभावकों ने स्वागत किया है। परीक्षा के दौरान प्रवेश पत्र संबंधी गड़बड़ियों, विषय चयन की गलतियों और अन्य प्रशासनिक दिक्कतों को दूर करने के लिए यह हेल्पलाइन संजीवनी साबित हो सकती है।  

छात्रों से अपील की गई है कि वे परीक्षा के दौरान तनावमुक्त रहें** और किसी भी समस्या का सामना करने पर हेल्पलाइन का उपयोग करें। माध्यमिक शिक्षा परिषद ने भरोसा दिलाया है कि सभी परीक्षार्थियों को निष्पक्ष और परेशानी मुक्त परीक्षा देने का पूरा अवसर मिलेगा।


डीएलएड प्रशिक्षुओं के लिए बनी हिंदी की अधिकृत पुस्तक, प्रदेश भर के तीन हजार संस्थानों के प्रशिक्षुओं को मिलेगा लाभ

डीएलएड प्रशिक्षुओं के लिए बनी हिंदी की अधिकृत पुस्तक, प्रदेश भर के तीन हजार संस्थानों के प्रशिक्षुओं को मिलेगा लाभ

■ चारों सेमेस्टर के लिए विशेषज्ञों ने बनाई प्रमाणिक पुस्तक

■ डीएलएड पाठ्यक्रम पर आधारित हिंदी में किताबें तैयार


प्रयागराज । परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए अनिवार्य अर्हता डिप्लोमा इन एलिमेंटरी एजुकेशन (डीएलएड या पूर्व में बीटीसी) प्रशिक्षण के लिए पहली बार हिंदी विषय की अधिकृत पुस्तक लिखी गई है। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) लखनऊ के निर्देशन में राज्य हिंदी संस्थान वाराणसी ने डीएलएड के हिंदी पाठ्यक्रम के चारों सेमेस्टर पर आधारित प्रशिक्षण संदर्भ सामग्री का विकास किया है।

(डीएलएड प्रशिक्षुओं के लिए बनी हिन्दी की अधिकृत पुस्तक)

डीएलएड के अलग-अलग सेमेस्टर में सात से आठ विषयों की पढ़ाई होती है लेकिन अब तक किसी भी विषय की प्रामाणिक पाठ्यपुस्तक उपलब्ध नहीं है। हिंदी विषय की पुस्तक तैयार होने से प्रदेशभर के तकरीबन तीन हजार सरकारी और निजी प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षण लेने वाले लाखों प्रशिक्षुओं को फायदा होगा। अब तक प्रशिक्षु केवल गाइड या अनाधिकृत प्रकाशकों की किताबों आदि से ही पढ़ते थे। इनमें बहुत त्रुटियां होती थी।

जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में प्रवक्ता और लेखक मंडल में शामिल डॉ. प्रसून कुमार सिंह ने बताया कि इस पुस्तक में पाठ्यक्रम के अतिरिक्त प्रशिक्षण संप्राप्ति, गतिविधियां, व्याकरण को याद करने की कई युक्तियां, मॉडल प्रश्नपत्र, पाठ तथा शिक्षण योजना बनाने की विधि को शामिल किया गया है। पाठ्यपुस्तक के विकास में लगभग 10 कार्यशालाओं का आयोजन किया गया।


विधान परिषद में माध्यमिक शिक्षा निदेशक व डीआईओएस फिर तलब, समुचित उत्तर नहीं देने पर चार मार्च को बुलाए गए, सदन को गलत सूचना देने के आरोप में तलब हुए थे

विधान परिषद में माध्यमिक शिक्षा निदेशक व डीआईओएस फिर तलबसमुचित उत्तर नहीं देने पर चार मार्च को बुलाए गएसदन को गलत सूचना देने के आरोप में तलब हुए थे

26 फरवरी 2025
लखनऊ । विधान परिषद सभापति ने समुचित जवाब नहीं मिलने पर चार मार्च को फिर से अपने कक्ष में माध्यमिक शिक्षा निदेशक एवं रायबरेली के डीआईओएस को तलब किया है। दोनों अधिकारियों को चार मार्च को दोपहर चार बजे माध्यमिक शिक्षा विभाग के सचिव अथवा विशेष सचिव के साथ सभापति के कक्ष में उपस्थित होने को कहा गया है।


दरअसल, सदन को गलत सूचना देने के आरोप में माध्यमिक शिक्षा निदेशक व रायबरेली के डीआईओएस को विधान परिषद सभापति ने मंगलवार को अपने कक्ष में तलब किया था। दोनों अधिकारी आज सभापति के समक्ष शाम चार बजे उपस्थित हुए और अपनी बात रखी लेकिन सभापति द्वारा यह पूछे जाने पर कि पीठ से तीन-तीन बार आदेश दिए जाने के बाद भी उसका अनुपालन क्यों नहीं किया गया। इसका समुचित जवाब दोनों अधिकारियों की ओर से नहीं मिलने पर सभापति ने चार मार्च को फिर से दोनों को तलब किया है।


यह है मामला

रायबरेली के वसी नकवी नेशनल इंटर कालेज में 30 सितम्बर 1992 को प्रवक्ता (संस्कृत) के पद पर नियुक्त प्रदीप कुमार को 21 मई 2022 को निलम्बित कर दिया गया था। रायबरेली के डीआओएस द्वारा निलम्बन का पहले अनुमोदन कर दिया गया और फिर बाद में अनुमोदन को वापस ले लिया गया। इस दौरान 21 माह से प्रदीप को वेतन का भुगतान तक नहीं किया जा रहा है। 6 फरवरी 2024 को सदन में जब इस मामले को उठाया गया तब माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री द्वारा कहा गया कि फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्रों के आधार पर कूटरचित तरीके से नौकरी प्राप्त की गई थी।




गलत सूचना देने के आरोप में माध्यमिक शिक्षा निदेशक और रायबरेली के डीआईओएस विधान परिषद में तलब

सदन को गलत सूचना दी तो सभापति ने तलब किया,  बिना आधार सदन को सूचना देने पर कार्रवाई

22 फरवरी 2025
लखनऊ । सदन को गलत सूचना देने के आरोप में माध्यमिक शिक्षा निदेशक, रायबरेली डीआईओएस को विधान परिषद सभापति ने 25 फरवरी को अपने कक्ष में तलब किया है। दो वर्षों में सदन में चार बार उठ चुके प्रकरण को शुक्रवार को शिक्षक दल के ध्रुव त्रिपाठी ने फिर से उठाया।

ध्रुव ने कहा कि यह न सिर्फ सदन में असत्य एवं त्रुटिपूर्ण सूचना दिए जाने पर नियमों के उल्लंघन का प्रकरण है बल्कि सदन की प्रक्रिया-कार्य संचालन नियमावली के तहत औचित्य का प्रश्न भी बनता है। सभापति कुंवर मानवेन्द्र सिह ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक, रायबरेली डीआओएस को 25 फरवरी को कक्ष में हाजिर करने के निर्देश दिए।

ध्रुव ने कहा कि रायबरेली के वसी नकवी नेशनल कालेज में प्रवक्ता (संस्कृत) पर 30 सितम्बर 1992 को प्रदीप कुमार की तदर्थ नियुक्ति की गई थी। बाद में वरिष्ठता पर 29 दिसम्बर 2016 को तत्कालीन प्रबन्धक ने प्रदीप कुमार को कार्यवाहक प्रधानाचार्य बना दिया गया। वर्तमान प्रबन्धक ने 21 मई 2022 को प्रदीप को निलम्बित कर दिया। रायबरेली डीआईओएस द्वारा निलम्बन का पहले अनुमोदन कर दिया गया और बाद में अनुमोदन को वापस ले लिया गया।


माध्यमिक शिक्षा निदेशक और रायबरेली के डीआईओएस को किया तलब

लखनऊ। विधान परिषद के सभापति कुंवर मानवेंद्र प्रताप सिंह ने 25 फरवरी को माध्यमिक शिक्षा निदेशक और रायबरेली के जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) को अपने कार्यालय में तलब किया है। रायबरेली के वसी नकवी नेशनल इंटर कॉलेज के एक शिक्षक को वेतन न देने का मामला कई बार सदन में उठने के बावजूद कार्रवाई न होने पर उन्होंने नाराजगी जताई। कहा, मामले में अधिकारियों ने जवाब देना भी उचित नहीं समझा। उन्होंने सदन में तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि अफसर ढीठ हो चुके हैं। तय तिथि को इन अधिकारियों को अपने कक्ष में बुलाकर स्पष्टीकरण लेंगे।

शिक्षक दल के ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने सदन में यह मामला उठाते हुए कहा कि वसी नकवी नेशनल इंटर कॉलेज के शिक्षक प्रदीप कुमार का मामला कई बार सदन में उठ चुका है। उन्होंने 30 सितंबर 1992 को विद्यालय में संस्कृत प्रवक्ता के पद पर कार्यभार ग्रहण किया। 21 मई 2022 को उन्हें निलंबित किया गया। डीआईओएस की ओर से पहले निलंबन का अनुमोदन और फिर अनुमोदन वापस लिए जाने के बावजूद 21 माह से वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है।

सदन में सवाल उठने पर शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने कहा कि प्रदीप कुमार ने फर्जी शैक्षिक प्रमाणपत्रों के आधार पर कूटरचित तरीके से नौकरी प्राप्त को है। ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने शुक्रवार को ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिये मामला उठाते हुए कहा कि आज तक विभाग ने दस्तावेज फर्जी होने का कोई नोटिस नहीं दिया है। फरवरी 2024 में पीठ ने सरकार को निर्देश दिए कि सत्र के अंत तक गलत सूचना देने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करें। हैं। पीठ ने कहा कि अधिकारी उत्तर देना नहीं चाह रहे हैं। इसलिए अपने कार्यालय कक्ष में बुलाकर जवाब लेंगे। 

यूपी बोर्ड की परीक्षा करवाने में बेसिक शिक्षा की पढ़ाई हो रही प्रभावित

यूपी बोर्ड की परीक्षा करवाने में बेसिक शिक्षा की पढ़ाई हो रही प्रभावित


लखनऊ। प्रदेश में यूपी बोर्ड की परीक्षा शुरू हो गई है। इसमें कक्ष निरीक्षक समेत कई कामों के लिए परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों को भी तैनात किया गया है। देवरिया, कौशांबी, बांदा, अमेठी, हरदोई समेत कई जिलों में स्कूल ऐसे हैं, जहां सिर्फ एक शिक्षक ही बचे हैं। इसकी वजह से परिषदीय स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।


प्रदेश में यूपी बोर्ड की परीक्षाएं 24 फरवरी से 12 मार्च तक चलेंगी। परीक्षा में माध्यमिक के राजकीय व एडेड विद्यालयों के शिक्षकों की बतौर कक्ष निरीक्षक ड्यूटी लगी है। वहीं परिषदीय विद्यालयों के भी कई शिक्षकों को कक्ष निरीक्षक बनाया गया है। परीक्षा शुरू होने से पहले से इनका प्रशिक्षण चल रह है।

अब परीक्षाएं भी शुरू हो गई हैं। इसकी वजह से बड़ों (माध्यमिक विद्यालयों के छात्रों) की परीक्षा में छोटों (परिषदीय विद्यालयों के बच्चों) की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। जबकि मार्च के दूसरे-तीसरे सप्ताह में ही परिषदीय विद्यालयों की भी सालाना परीक्षा प्रस्तावित है। 

जानकारी के अनुसार बोर्ड परीक्षा में माध्यमिक के वित्तविहीन विद्यालयों के शिक्षकों की तो ड्यूटी लगाई जाती है, किंतु उसमें से काफी शिक्षक आते नहीं हैं। इसकी वजह से भी बेसिक के शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जाती है।

उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि बेसिक के लगभग 80 फीसदी शिक्षकों की ड्यूटी लगाने से शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है।

कई जगह सिर्फ एक ही शिक्षक के भरोसे पूरा विद्यालय चल रहा है। वहीं उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के निर्भय सिंह ने कहा कि बोर्ड परीक्षा ड्यूटी की वजह से बेसिक के शिक्षकों की ईएल और सीसीएल पर भी रोक लगा दी गई है। इससे काफी दिक्कत हो रही है। 

आउटसोर्सिंग चतुर्थ श्रेणी कर्मियों के लिए अब शैक्षिक योग्यता हाईस्कूल, शासनादेश जारी

आउटसोर्सिंग चतुर्थ श्रेणी कर्मियों के लिए अब शैक्षिक योग्यता हाईस्कूल, शासनादेश जारी

26 फरवरी 2025
लखनऊः अशासकीय सहायताप्राप्त (एडेड) माध्यमिक स्कूलों में चतुर्थ श्रेणी के पदों पर आउटसोर्सिंग से भर्ती के लिए अब आउटसोर्सिंग पर अभ्यर्थी की शैक्षिक योग्यता हाईस्कूल निर्धारित की गई है। अभी तक इन पदों पर भर्ती के लिए शैक्षिक योग्यता इंटरमीडिएट निर्धारित थी। जिस जिले का विद्यालय होगा, उसी जिले के स्थानीय निवासी को भर्ती किया जाएगा। आनलाइन पोर्टल के माध्यम से पारदर्शी ढंग से नियुक्ति प्रक्रिया पूरी की जाएगी। आउटसोर्सिंग पर चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की भर्ती के लिए संशोधित शैक्षिक अर्हता सहित अन्य बदलाव को लेकर विशेष सचिव, माध्यमिक शिक्षा उमेश चंद्र की ओर से शासनादेश जारी हो गया है




एडेड माध्यमिक स्कूलों में चतुर्थ श्रेणी आउटसोर्स कर्मियों की शैक्षिक योग्यता होगी हाईस्कूल

25 फरवरी 2025
लखनऊ : अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक स्कूलों में आउटसोर्सिंग के माध्यम से भर्ती किए जाने वाले चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की शैक्षिक योग्यता अब हाईस्कूल होगी। अभी इन पदों पर भर्ती की शैक्षिक योग्यता इंटरमीडिएट है। सोमवार को विधान परिषद में माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गुलाब देवी ने निर्दलीय राज बहादुर सिंह चंदेल व शिक्षक दल के नेता ध्रुव कुमार त्रिपाठी की ओर से पूछे गए सवाल के जवाब में यह जानकारी दी।


सवाल उठाया गया कि एडेड माध्यमिक स्कूलों में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की शैक्षिक योग्यता इंटरमीडिएट है। चतुर्थ श्रेणी में सफाई कर्मियों के भी पद शामिल हैं। किसी भी विभाग में इंटरमीडिएट शैक्षिक योग्यता नहीं है। फिर इन्हें तो पदोन्नति मिलेगी नहीं, ऐसे में अर्हता तय करने का क्या मतलब है। इंटर पास युवक सफाई नहीं करेगा, वह अपने मानदेय का कुछ हिस्सा देकर किसी अनपढ़ व्यक्ति से सफाई कराएगा। मंत्री गुलाब देवी ने कहा कि पहले साक्षरता दर कम थी। अब बढ़ी है, फिर भी हम शैक्षिक योग्यता इंटरमीडिएट से घटाकर हाईस्कूल कर रहे हैं। चतुर्थ श्रेणी में तमाम तकनीकी कार्य वाले पद भी हैं।

Tuesday, February 25, 2025

विधान परिषद : विषय विशेषज्ञों को पुरानी पेंशन देने पर विचार करेगी सरकार, सभापति ने दिया निर्देश

विधान परिषद : विषय विशेषज्ञों को पुरानी पेंशन देने पर विचार करेगी सरकार, सभापति ने दिया निर्देश


लखनऊ। विधान परिषद में नियम 105 के तहत एमएलसी ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने एडेड माध्यमिक विद्यालयों में 2002 से नियुक्त विषय विशेषज्ञों को नियमानुसार पुरानी पेंशन योजना का लाभ देने का मुद्दा उठाया।


उन्होंने बताया कि सपा सरकार ने इन 2200 विषय विशेषज्ञों को 2006 में समायोजित किया था। 2014 में इनको प्रशासनिक लाभभी दिया गया लेकिन विभागीय अधिकारी इनकी राह में रोड़ा बने हुए हैं। एमएलसी राजबहादुर चंदेल ने इसका समर्थन किया।

माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गुलाब देवी ने कहा कि इनकी तैनाती अल्पकालिक व संविदा पर हुई है। यह मानदेय पर रखे गए हैं, इनको पेंशन के दायरे में नहीं लाया जा सकता। इस पर सभापति ने सरकार को इस मामले पर विचार के निर्देश दिए। 

शिक्षकों की पुरानी पेंशन की मांग पर वित्त मंत्री से मिले शिक्षक विधायक, विशिष्ट बीटीसी 2004 शिक्षकों को पुरानी पेंशन दिलाने की मांग

शिक्षकों की पुरानी पेंशन की मांग पर वित्त मंत्री से मिले शिक्षक विधायक, विशिष्ट बीटीसी 2004 शिक्षकों को पुरानी पेंशन दिलाने की मांग 


शिक्षक विधायकों ने लखनऊ में वित्तमंत्री सुरेश खन्ना हो ज्ञापन सौंपा। जिसमें उन्होंने पुरानी पेंशन समेत कई मांगों को पूरा कराने की मांग की है। एमएलसी अरुण पाठक व डॉ. हरि सिंह ढिल्लो समेत कई शिक्षक विधायक ने सोमवार को वित्तमंत्री सुरेश खन्ना से मुलाकात की। 


उन्होंने कहा कि 2004 में यूपी सरकार ने प्राथमिक विद्यालयों में 46189 सहायक अध्यापकों के पदों को भरने के लिए शासनादेश जारी किया था, जिसमें 22 जनवरी 2004 का संशोधित विज्ञापन 22 फरवरी 2004 को प्रकाशित हुआ था। शासनादेश के माध्यम से चयनित अभ्यर्थियों का निर्धारित छह माह का प्रशिक्षण भी अगस्त 2004 में शुरू हो गया था। विभागीय देरी के कारण सहायक अध्यापकों की तैनाती दिसंबर 2005 व जनवरी 2006 में मिली। 2004 के बाद नियुक्ति का कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं किया गया।

2004 में जारी विज्ञापन के आधार पर ही लगभग 40 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती हुई थी, प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापकों की तैनाती 2004 में जारी मेरिट सूची के आधार पर की गई थी। इस नियुक्ति के लिए शिक्षा निदेशक बेसिक शिक्षा विभाग स्पष्ट किया है कि विज्ञापन प्रक्रिया एससीईआरटी द्वारा 2004 में हो चुकी है।

 ऐसी स्थिति में आवेदन पत्र मांगने के लिए नया विज्ञापन जारी करने की आवश्यकता नहीं है। 14 जनवरी 2004 एवं 22 जनवरी 2004 के सूचना में भी स्पष्ट  किया गया है कि प्रशिक्षण पूर्ण करने के बाद जब तक सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति नहीं दी जाएगी। तब तक 2500 रुपये प्रतिमाह स्टाइपेंड/मानदेय रहेगा। 

इन सभी तथ्यों से स्पष्ट है कि जारी विज्ञापन संपूर्ण भर्ती प्रक्रिया का हिस्सा था। जो नई पेंशन योजना/राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली लागू किए जाने संबंधी अधिसूचना से पहले जारी हुआ था। इसलिए पुरानी पेंशन का लाभ दिलाया जाए।



Monday, February 24, 2025

समय से स्कैनिंग और जांच के लिए तीन चरणों में भेजी जाएंगी यूपी बोर्ड परीक्षा की ओएमआर शीट

समय से स्कैनिंग और जांच के लिए तीन चरणों में भेजी जाएंगी यूपी बोर्ड परीक्षा की ओएमआर शीट


यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने निर्देश दिए हैं कि ओएमआर शीट तीन चरणों में संकलन केंद्र से क्षेत्रीय कार्यालय व क्षेत्रीय कार्यालय से संबंधित कंप्यूटर फर्मों को भेजी जाएंगी, ताकि समय से उनकी स्कैनिंग हो सके और परीक्षाफल निर्माण के समय सुविधा हो।

 24 फरवरी से तीन मार्च तक की परीक्षाओं की ओएमआर शीट चार मार्च को संकलन केंद्र से क्षेत्रीय कार्यालय व छह मार्च को क्षेत्रीय कार्यालय से कंप्यूटर फर्मों को उपलब्ध करा दी जाएंगी। वहीं, चार से नौ मार्च तक की परीक्षाओं की ओएमआर शीट 10 मार्च व 12 मार्च और 10 से 12 मार्च तक परीक्षाओं की ओएमआर शीट 16 व 18 मार्च को क्रमशः क्षेत्रीय कार्यालय व कंप्यूटर फर्मों को प्राप्त करा दी जाएंगी।


यूपी बोर्ड परीक्षा : प्रवेश पत्र के लिए पैसे मांगने की शिकायत पर दोषियों के खिलाफ होगी कार्रवाई

यूपी बोर्ड परीक्षा : प्रवेश पत्र के लिए पैसे मांगने की शिकायत पर दोषियों के खिलाफ होगी कार्रवाई 


कई परीक्षार्थियों ने माध्यमिक शिक्षा परिषद के मीडिया सेल को सोशल मीडिया के माध्यम शिकायत की है कि परीक्षा में बैठने या प्रवेश पत्र निर्गत करने के लिए उनसे अवैध धनराशि मांगी गई है। यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने निर्देश दिया कि बोर्ड परीक्षा में शामिल होने या विद्यालय से प्रवेश पत्र प्राप्त करने के लिए किसी प्रकार के अतिरिक्त शुल्क का प्रावधान नहीं है। शिकायत संज्ञान में आने पर जनपद के जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा संबंधित दोषी के विरुद्ध विधिक कार्रवाई की जाएगी।


यूपी बोर्ड परीक्षा: परीक्षार्थियों को हर पेज पर लिखना होगा रोल नंबर, मुख्य व सप्लीमेंट्री उत्तर पुस्तिका के हर पेज पर होगा क्रमांक

परीक्षार्थियों को हर पेज पर लिखना होगा रोल नंबर, मुख्य व सप्लीमेंट्री उत्तर पुस्तिका के हर पेज पर होगा क्रमांक, यूपी बोर्ड की परीक्षा में पहली बार प्रश्नपत्र में होगी केंद्रवार कोडिंग

प्रयागराज। आज से शुरू हो रहीं यूपी बोर्ड की दसवों और 12वीं की परीक्षा में शामिल होने वाले परीक्षार्थियों को उत्तर पुस्तिका के हर पृष्ठ पर रोल नंबर व उत्तर पुस्तिका क्रमांक अंकित करना होगा। यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने केंद्र व्यवस्थापकों को इसे अनिवार्य रूप से लागू कराने के निर्देश दिए हैं।

यूपी बोर्ड की परीक्षा में पहली बार मुख्य व सप्लीमेंट्री उत्तर पुस्तिकाओं में पृष्ठ संख्या का मुद्रण होगा और साथ ही पहली बार प्रश्नपत्र में केंद्रवार कोडिंग भी होगी। यूपी बोर्ड की परीक्षा में मंडल स्तर पर पहली बार मंडलीय पर्यवेक्षकों की नियुक्ति भी की गई है। सभी जनपदों व परीक्षा केंद्रों पर मुख्य विषय के लिए प्रश्नपत्रों के अतिरिक्त सेट की व्यवस्था भी पहली बार की गई है।

साथ ही पहली बार कक्ष निरीक्षकों की उपस्थिति माध्यमिक शिक्षा परिषद के पोर्टल पर ऑनलाइन दर्ज की जाएगी। हर परीक्षा केंद्र में दो केंद्र व्यवस्थापक होंगे, जिनमें एक आंतरिक व दूसरे बाह्य केंद्र व्यवस्थापक शामिल हैं। परीक्षा अवधि में केंद्र परिसर में मौजूद परीक्षार्थियों, कक्ष निरीक्षकों व कर्मचारियों के फोन या इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को गेट के पास एक बॉक्स में रखवाया जाएगा।

परीक्षा केंद्र के मुख्य द्वार पर सभी परीक्षार्थियों की सघन तलाशी ली जाएगी। बालिका परीक्षार्थियों की तलाशी केवल महिला अध्यापक द्वारा ली जाएगी। परीक्षा केंद्र पर ड्यूटी करने वाले कक्ष निरीक्षकों व कर्मचारियों के परिचय पत्र की जांच भी की जाएगी। परीक्षा केंद्र पर किसी अध्यापक, कक्ष निरीक्षक, आंतरिक केंद्र व्यवस्थापक, वाह्य केंद्र व्यवस्थापक का पाल्य परीक्षा में शामिल हो रहा है तो उसे परीक्षा कार्य से विरत करते हुए वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। 


यूपी बोर्ड ने जारी किया हेल्पलाइन नंबर

परीक्षा अवधि में छात्रों और अभिभावकों की समस्याओं के समाधान के लिए टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 18001806607 और 18001806608 सक्रिय किए गए हैं। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद प्रयागराज का हेल्पलाइन नंबर 18001805310 और 18001805312 रहेगा। इसके अलावा ईमेल, फेसबुक, एक्स हँडल और व्हाट्सएप नंबर-9250758324 के माध्यम से भी संपर्क किया जा सकता है।


यूपी बोर्ड : पिछले वर्ष की तुलना में इस बार 1566 अतिरिक्त सीसीटीवी कैमरे

प्रयागराज। यूपी बोर्ड के सचिव के अनुसार परीक्षा के सकुशल संचालन के लिए पिछले वर्ष की तुलना में इस बार 1566 अतिरिक्त सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। जनपद स्तर पर 75, क्षेत्रीय कार्यालय माध्यमिक शिक्षा परिषद स्तर पर पांच व राज्य स्तरीय तीन कंट्रोल रूम स्थापित किए गए हैं।

प्रदेशभर में बनाए गए 8140 परीक्षा केंद्रों में 50 फीसदी निजी विद्यालय हैं। केंद्रों में 576 सरकारी, 3447 एडेड व 4117 निजी विद्यालय शामिल हैं। हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के कुल परीक्षार्थियों में से 5330398 रेगुलर व 106835 व्यक्तिगत परीक्षार्थी हैं। हाईस्कूल में 2720978 रेगुलर व 11 238 व्यक्तिगत और इंटरमीडिएट में 2609420 रेगुलर व 95597 व्यक्तिगत परीक्षार्थी हैं।

Sunday, February 23, 2025

बच्चों को अनिवार्य शिक्षा न मिलने के जिम्मेदारों पर क्यों न की जाए कड़ी कार्रवाई : हाईकोर्ट


बच्चों को अनिवार्य शिक्षा न मिलने के जिम्मेदारों पर क्यों न की जाए कड़ी कार्रवाई : हाईकोर्ट

हाईकोर्ट ने अपर सचिव बेसिक शिक्षा उप्र से मांगा व्यक्तिगत हलफनामा

🔴 देखें कोर्ट ऑर्डर 👇 


22 फरवरी 2025
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि प्राइमरी स्कूलों में अध्यापकों के खाली पदों के चलते बच्चों को शिक्षा नहीं मिल पा रही है। यह उनके मौलिक अधिकार का हनन है। इसके जिम्मेदार अधिकारियों पर क्यों न कड़ी कार्रवाई की जाए।

यह टिप्पणी न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की अदालत ने बांदा के कृषि औद्योगिक विद्यालय की प्रबंध समिति की याचिका पर सुनवाई के दौरान की। इस संबंध में अपर सचिव बेसिक शिक्षा उप्र से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है। बांदा स्थित कृषि औद्योगिक विद्यालय कमेटी ने कहा कि एक समय था, जब विद्यालय में एक प्रधानाध्यापक व चार सहायक अध्यापक कार्यरत थे। वर्तमान में विद्यालय में न प्रधानाध्यापक हैं और न ही सहायक अध्यापक। 

15 नवंबर 2022 को भर्ती परिणाम घोषित किया गया था। हाईकोर्ट से उस पर रोक थी। लेकिन, वह याचिका भी 15 फरवरी 2024 को खारिज हो गई है। एक साल बीतने के बाद भी खाली पदों पर नियुक्ति नहीं हो सकी है। विद्यालय मान्यता प्राप्त व राज्य वित्त पोषित है। उसमें कोई भी सरकारी अध्यापक नहीं है। याची अधिवक्ता ने दलील दी कि सभी बाधाएं हटने के एक साल बाद भी खाली पदों को अभी तक भरा नहीं गया है। कोर्ट ने अपर सचिव से पूछा है कि लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों न की जाए। मामले की अगली सुनवाई 11 मार्च को होगी।




शिक्षकों की कमी एक समस्या है लेकिन इस पर लंबे समय तक ध्यान न दिया जाना अधिकारियों की लापरवाही है – जागरण संपादकीय 

05 फरवरी 2025
किसी विद्यालय में प्रधानाध्यापक ही न हो तो उस विद्यालय की शैक्षिक गुणवत्ता का सहज अनुमान लगाया जा सकता है, लेकिन जब हाई कोर्ट के संज्ञान के बाद भी स्पष्ट कार्रवाई न की जाए तो इससे शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को लेकर संदेह पैदा होता है। ऐसे में उच्च न्यायालय की यह चिंता उचित है कि प्रधानाचार्यों और सहायक अध्यापकों की अनुपलब्धता के कारण छात्र परेशान हैं। 

राज्य सरकार के अधिकारियों के बीच कई बैठकों के बावजूद कोई निर्णय नहीं लिया गया। न्यायालय की यह टिप्पणी बांदा के अतर्रा स्थित विद्यालय में ढाई वर्ष से प्रधानाध्यापक व दो सहायक शिक्षकों के रिक्त चल रहे पदों को लेकर है, जिस पर शिक्षा अधिकारियों की अनदेखी के बाद विद्यालय प्रबंध समिति ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की है।

बांदा के विद्यालय का प्रकरण संदर्भ भर है, वास्तविकता यह है कि प्रदेश में अनेक ऐसे विद्यालय हैं, जहां निर्धारित अनुपात में शिक्षक नहीं हैं। यह इसलिए भी गंभीर है कि शिक्षा को मौलिक अधिकार का दर्जा प्राप्त है और किसी भी स्वस्थ समाज के लिए शिक्षा अनिवार्यता भी है। शिक्षकों की कमी एक समस्या है, लेकिन इस पर लंबे समय तक ध्यान न दिया जाना अधिकारियों की लापरवाही है। यह शिक्षा की गुणवत्ता से भी समझौता है जिस पर अविलंब ध्यान देने की आवश्यकता है।



स्वीकृत पदों पर नियुक्ति न करना शिक्षा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन : हाईकोर्ट

बांदा के कृषि औद्योगिक विद्यालय की याचिका पर हाईकोर्ट ने की टिप्पणी

रिक्तियां न भरे जाने को लेकर दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट की टिप्पणी

04 फारवरी 2025
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि यह सभी जानते हैं कि पूरे उत्तर प्रदेश में प्रधानाचार्य और सहायक अध्यापकों की कमी से छात्र परेशान हैं। शिक्षा का अधिकार एक मौलिक अधिकार है। इसके बाद भी प्रतिवादी अधिकारी रिक्त पदों को न भरकर मौलिक अधिकार का उल्लंघन कर रहे हैं। न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की पीठ ने यह टिप्पणी कृषि औद्योगिक विद्यालय और एक अन्य की ओर रिक्त पदों को भरने को लेकर दाखिल याचिका पर की।


कोर्ट ने कहा कि वर्तमान मामले में यह स्पष्ट है कि संस्थान के बार-बार अनुरोध के बावजूद आज तक अधिकारियों ने प्रधानाध्यापक और सहायक अध्यापक के पदों को भरने के लिए आवश्यक आदेश पारित नहीं किए। बांदा स्थित कृषि औद्योगिक विद्यालय में एक प्रधानाध्यापक, दो सहायक अध्यापक, एक क्लर्क और दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पद जून 2022 से रिक्त हैं। स्वीकृत पदों पर नियुक्ति न किए जाने से व्यथित होकर विद्यालय की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।

न्यायालय को बताया गया कि राज्य सरकार ने महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा, उत्तर प्रदेश को स्पष्ट रिपोर्ट या प्रस्ताव का अनुरोध करते हुए पत्र भेजा है। इसके बाद भी आज तक कोई प्रस्ताव नहीं भेजा गया। इसका संज्ञान लेते हुए एकल जज ने महानिदेशक को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने में हुई देरी के संबंध में दस दिनों के भीतर व्यक्तिगत हलफनामा राज्य सरकार को देने का निर्देश दिया। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी नियत की है।



शिक्षकों की कमी से छात्रों की परेशानी पर हाईकोर्ट ने की तल्ख टिप्पणी

प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में शिक्षकों की कमी पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि यूपी में यह सर्वविदित तथ्य है कि प्रधानाचार्यों और सहायक अध्यापकों की अनुपलब्धता के कारण छात्र परेशान हैं। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने कृषि औद्योगिक विद्यालय एएयू अतर्रा बांदा की प्रबंध समिति ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए की है।

याचिका स्वीकृत पदों के अनुसार शैक्षिक और गैर-शैक्षिक कर्मचारियों की नियुक्तियां न किए जाने को लेकर दाखिल की गई है। याचिका के अनुसार स्कूल में एक प्रधानाध्यापक, दो सहायक अध्यापक, एक क्लर्क और दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पद जून 2022 से रिक्त हैं।

कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार के अधिकारियों के बीच कई बैठकों के बावजूद अब तक कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है। पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने हेडमास्टर और शिक्षकों की नियुक्ति की समय सीमा को लेकर अस्पष्टता की ओर इशारा किया था। तब कोर्ट ने विशेष रूप से टिप्पणी की थी कि बड़ी संख्या में रिक्तियों के कारण राज्य की शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता हो रहा है और इस मुद्दे के समाधान में कोई प्रगति नहीं हुई है। सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि राज्य सरकार ने महानिदेशक बेसिक शिक्षा को स्पष्ट रिपोर्ट या प्रस्ताव के लिए शासन के पत्र भेजे जाने के बावजूद अब तक ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं भेजा है।

इस तथ्य का संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के महानिदेशक बेसिक शिक्षा से राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने में हुई देरी के संबंध में दस दिन के भीतर व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने को कहा है। साथ ही मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 फरवरी की तारीख लगाई है।

यूपी बोर्ड परीक्षा की निगरानी करेंगे 90 राज्य स्तरीय पर्यवेक्षक, देखें मण्डलवार और जनपदवार तैनाती

यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए लगाए गए मंडलीय व जिला पर्यवेक्षक अपने-अपने जिलों में संस्कृत शिक्षा परिषद की परीक्षाओं के पर्यवेक्षण कार्य का भी संभालेंगे जिम्मा  
 

लखनऊ। यूपी बोर्ड के साथ ही 27 फरवरी से संस्कृत शिक्षा परिषद (बोर्ड) की भी परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। शासन ने यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए लगाए गए मंडलीय व जिला पर्यवेक्षकों को अपने-अपने जिलों में संस्कृत शिक्षा परिषद की परीक्षाओं के भी पर्यवेक्षण कार्य कराने की जिम्मेदारी दी है।

संस्कृत शिक्षा परिषद की परीक्षाएं 27 फरवरी से 12 मार्च के बीच होंगी। प्रदेश भर में बनाए गए 247 केंद्रों में 56,756 विद्यार्थी परीक्षा देंगे। परीक्षा की तीन स्तर पर निगरानी होगी। माध्यमिक शिक्षा विभाग के विशेष सचिव आलोक कुमार ने निर्देश दिया है कि संस्कृत शिक्षा परिषद की परीक्षाओं के लिए निर्धारित केंद्रों का निरीक्षण व पर्यवेक्षण भी माध्यमिक शिक्षा परिषद की परीक्षा के लिए बनाए गए जिला व मंडलीय पर्यवेक्षकों से कराया जाएगा। 

उन्होंने सभी संबंधित को अपने-अपने जिले व मंडल में संस्कृत परीक्षा की तैयारियों को भी देखने व इसमें आवश्यक सुधार के लिए व्यवस्थाएं करने के निर्देश दिए हैं। बता दें कि यह मंडलीय पर्यवेक्षक अपने-अपने मंडल में पहुंच चुके हैं।




यूपी बोर्ड परीक्षा की निगरानी करेंगे 90 राज्य स्तरीय पर्यवेक्षक, देखें मण्डलवार और जनपदवार तैनाती

प्रयागराज । यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा की शुचिता, गुणवत्ता, विश्वसनीयता एवं पारदर्शिता बनाए रखने के लिए माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने 90 पर्यवेक्षक (ऑब्जर्वर) नियुक्त किए हैं। इनमें 15 मंडलीय व 75 जिला स्तरीय पर्यवेक्षक शामिल हैं। अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक सुरेंद्र कुमार तिवारी को प्रयागराज मंडल और उप शिक्षा निदेशक छेदी लाल चौरसिया को प्रयागराज जिले का ऑब्जर्वर नियुक्त किया गया है।

राज्य शिक्षा संस्थान के प्राचार्य नवल किशोर को फतेहपुर, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान फतेहपुर के उप प्राचार्य संजय कुमार कुशवाहा को प्रतापगढ़ व मुख्यालय प्रयागराज के उप शिक्षा निदेशक राजेंद्र प्रताप को कौशाम्बी का पर्यवेक्षक बनाया गया है।

माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव की ओर से 14 फरवरी को  जारी आदेश में कहा गया है कि 24 फरवरी से शुरू हो रही बोर्ड परीक्षाओं से पहले 18 फरवरी तक सभी पर्यवेक्षण अधिकारी आवंटित जिले का भ्रमण कर तैयारी की समीक्षा कर लें। मंडलीय पर्यवेक्षक अपने आवंटित मंडल के कमिश्नर एवं जनपदीय पर्यवेक्षक अपने जिले जिलाधिकारी से संपर्क कर उन्हें परीक्षाओं की तैयारी की स्थिति से अवगत कराएंगे और उनसे समन्वय स्थापित कर अन्य तैयारियों की समीक्षा करेंगे।

सभी पर्यवेक्षणीय अधिकारी जिलाधिकारी की अध्यक्षता में होने वाली केंद्र व्यवस्थापकों, बाह्य केंद्र व्यवस्थापकों, स्टैटिक मजिस्ट्रेट की बैठक में स्वयं प्रतिभाग करेंगे। परीक्षा केंद्र पर परीक्षा से पूर्व स्ट्रांग रूम की सुरक्षा एवं शुचिता व्यवस्था की समीक्षा भी करेंगे। परीक्षा अवधि में महत्वपूर्ण विषयों के परीक्षा दिवसों में स्वयं परीक्षा केंद्रों का निरीक्षण करते हुए निरीक्षण आख्या उसी दिन में यूपी बोर्ड के सचिव एवं निदेशक को उपलब्ध कराएंगे।

साथ ही आवंटित जनपदों के अधिकारियों को परीक्षा के सुचारू व नकल विहीन संचालन के लिए आवश्यक निर्देश देंगे। पर्यवेक्षकों को निर्देशित किया गया है कि जिले के सभी संवेदनशील व अतिसंवेदनशील परीक्षा केंद्र की सूची संबंधित जिले के जिला विद्यालय निरीक्षक से प्राप्त कर लें। साथ ही डीआईओएस से आवश्यकतानुसार अपने लिए स्थानीय महिला एवं पुरुष प्रवक्ता, सहायक अध्यापक व पुलिस सशस्त्र बल की मांग कर निरीक्षण टीम बना लें।




यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए 15 राज्य स्तरीय मंडलीय पर्यवेक्षक और 75 जिला पर्यवेक्षक तैनात 

लखनऊ। प्रदेश में हाईस्कूल व इंटर की परीक्षाओं को नकलविहीन आयोजित करने व परीक्षा केंद्रों निरीक्षण व पर्यवेक्षण के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारियों की फौज उतरेगी। महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने राज्य स्तरीय सचल दल का गठन किया है। इसके तहत 15 अधिकारियों को मंडलीय पर्यवेक्षक बनाया गया है।

इसके अनुसार अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक सुरेंद्र कुमार तिवारी को प्रयागराज, अपर शिक्षा निदेशक राजकीय अजय कुमार द्विवेदी को अलीगढ़, समग्र शिक्षा के अपर निदेशक विष्णुकांत पांडेय को मेरठ, संयुक्त शिक्षा निदेशक पवन सचान को झांसी व चित्रकूट मंडल, डॉ. मुकेश चंद्र को आगरा, दीपचंद्र को मुरादाबाद, महेंद्र कुमार सिंह को, बरेली, राजेंद्र प्रसाद को लखनऊ, सांत्वना तिवारी को अयोध्या, संजय कुमार उपाध्याय को देवीपाटन मंडल में जिम्मेदारी दी गई है। इसी क्रम में सभी 75 जिलों में भी एक-एक शिक्षा अधिकारी को जिला पर्यवेक्षक बनाया गया है।