छात्रों की अपार आईडी बनाने में स्कूलों और शिक्षकों पर दबाव बनाने से आया उबाल, मुद्दे पर विधान परिषद में चर्चा के लिए शिक्षक विधायकों ने दी नोटिस
लखनऊ, 21 फरवरी 2025: उत्तर प्रदेश के विद्यालयों में छात्रों की अपार आईडी (Aadhaar-based Permanent Academic Registration) बनाने को लेकर हड़कंप मचा हुआ है। आधार से जुड़े तमाम तकनीकी पेच और छात्रों के रिकॉर्ड में मामूली त्रुटियों के कारण आईडी वैलिडेट न होने से विद्यालयों पर अनावश्यक दबाव डाला जा रहा है। इस मुद्दे को विधान परिषद में चर्चा के लिए डॉ. आकाश अग्रवाल और राजबहादुर सिंह चंदेल ने नियम 105 के तहत नोटिस दी और सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित किया।
क्या है पूरा मामला?
शिक्षकों और विद्यालयों का कहना है कि अपार आईडी बनाने में स्कूलों का दायित्व केवल शैक्षिक रिकॉर्ड फीड करने तक सीमित होना चाहिए। आधार कार्ड की किसी भी गलती या संशोधन की जिम्मेदारी छात्र या उसके अभिभावकों की होनी चाहिए, न कि स्कूलों की। लेकिन सरकारी अधिकारी स्कूलों पर जबरन दबाव बना रहे हैं और विद्यालयों को धमकियां तक दी जा रही हैं।
शिक्षकों पर दबाव, मान्यता रद्द करने की धमकी!
शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों की ओर से विद्यालयों को धमकाने का मामला भी सामने आया है। अलीगढ़ के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा 11 जनवरी 2025 को जारी पत्रांक 880, 882 और 903 के माध्यम से विद्यालयों को चेतावनी दी गई कि यदि अपार आईडी समय से पूरी नहीं हुई तो मान्यता रद्द कर दी जाएगी।
शिक्षकों और विद्यालय संचालकों का कहना है कि आधार कार्ड में मामूली त्रुटि के कारण आईडी वैलिडेट नहीं हो रही है, और इसके लिए स्कूलों को जिम्मेदार ठहराना सरासर अन्यायपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट भी आधार को जन्मतिथि या निवास प्रमाण के रूप में अनिवार्य नहीं मानता, फिर भी सरकार और प्रशासन स्कूलों पर अनुचित दबाव बना रहा है।
वित्तविहीन और सरकारी स्कूलों में उबाल!
प्रदेश के वित्तविहीन विद्यालय, सहायता प्राप्त स्कूल और सरकारी प्राइमरी स्कूलों के शिक्षक इस तानाशाही रवैये से बेहद नाराज हैं। वे इस अनावश्यक दबाव के खिलाफ मुखर हो रहे हैं और इसे शिक्षकों का उत्पीड़न' बता रहे हैं। कई शिक्षक संगठनों ने इस मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन करने की चेतावनी भी दी है।
सरकार को घेरने की तैयारी
डॉ. आकाश अग्रवाल और राजबहादुर सिंह चंदेल ने इस विषय पर सदन की कार्यवाही रोककर तत्काल चर्चा कराने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि सरकार ने शिक्षकों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया तो प्रदेशभर में शिक्षक आंदोलन छेड़ सकते हैं।
अब देखना यह होगा कि क्या उत्तर प्रदेश सरकार इस शिक्षा संकट को गंभीरता से लेती है, या फिर शिक्षकों और विद्यालयों को अधिकारियों की मनमानी के आगे झुकना पड़ेगा?
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