आरटीई के तहत शुल्क प्रतिपूर्ति राशि में अभी वृद्धि का कोई विचार नहीं, बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह ने विधान परिषद में दिया जवाब
लखनऊ। प्रदेश में निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में बच्चों के प्रवेश के सापेक्ष की जाने वाली शुल्क प्रतिपूर्ति राशि बढ़ाने का अभी कोई विचार नहीं है। विधान परिषद में शुल्क प्रतिपूर्ति राशि बढ़ाने के सवाल पर यह जवाब बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने दिया।
निर्दल समूह के डॉ. आकाश अग्रवाल व राजबहादुर चंदेल ने नियम 105 के तहत यह मामला उठाते हुए कहा कि निजी स्कूलों को शुल्क प्रतिपूर्ति राशि 2011 में 450 रुपये प्रति छात्र प्रति माह तय की गई थी। आज 14 साल बाद भी वही पैसा निजी स्कूलों को दिया जा रहा है। इसकी वजह से वे आरटीई के प्रवेश में रुचि नहीं ले रहे हैं। वहीं शुल्क प्रतिपूर्ति का कई जिलों में स्कूलों का बकाया भी कई साल से लंबित पड़ा है।
राजबहादुर चंदेल ने कहा कि सीबीएसई व आईसीएसई के स्कूल प्रवेश नहीं लेते हैं। ऐसे स्कूलों पर सरकार सख्ती करे। इस पर बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने कहा कि अभी इस राशि को बढ़ाने का कोई विचार नहीं है। साल दर साल आरटीई में आवेदन करने और प्रवेश लेने वालों की संख्या बढ़ रही है। 2022-23 में 181 करोड़ अतिरिक्त की व्यवस्था कर निजी स्कूलों का बकाया भुगतान किया गया है। अगर किसी विद्यालय का पैसा बकाया है तो उसे दिखवाकर भुगतान कराया जाएगा।
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