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Tuesday, August 22, 2119

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    Friday, October 4, 2024

    डीएलएड/ बीटीसी परीक्षा में अभ्यर्थियों को असफल विषयों में एक और मौका मिलेगा

    डीएलएड/ बीटीसी परीक्षा में अभ्यर्थियों को असफल विषयों में एक और मौका मिलेगा


    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीएलएड/बीटीसी परीक्षा में असफल विषयों में अभ्यर्थियों को एक और अवसर देने के मामले में राज्य सरकार की अपील को विचारार्थ स्वीकार कर लिया। लेकिन, किसी भी प्रकार का स्थगन देने से इन्कार कर दिया।


    मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली एवं न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने यह आदेश अधिवक्ता जाह्नवी सिंह व कौन्तेय सिंह को सुनकर दिया।


    अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि एकल पीठ ने आदेश में कहा था कि याचिका में शामिल सभी छात्रों को उनके डीएलएड/बीटीसी परीक्षा में असफल विषयों के लिए एक और अवसर दिया जाए। इसके बाद भी राज्य सरकार ने एकल पीठ के आदेश का पालन नहीं किया और अब तक परीक्षा कराने की कोई पहल नहीं की।

    इस मामले में अवमानना याचिका भी लंबित है। सरकार के इस रवैये से छात्रों को अपने भविष्य को लेकर अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह आदेश केवल उन छात्रों पर लागू होगा, जो इस मुकदमे का हिस्सा हैं। 

    Thursday, October 3, 2024

    जवाहर नवोदय विद्यालय में कक्षा 9वीं और 11वीं में प्रवेश प्रक्रिया शुरू, देखें जारी विज्ञप्ति

    जवाहर नवोदय विद्यालय में कक्षा 9वीं और 11वीं में प्रवेश प्रक्रिया शुरू, देखें जारी विज्ञप्ति 


    नवोदय विद्यालय समिति या एनवीएस ने शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के लिए अपनी कक्षा 9वीं और 11वीं की रिक्त सीटों पर प्रवेश के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। बता दें कि 27 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में फैले 653 कार्यात्मक जवाहर नवोदय विद्यालयों में नवोदय प्रवेश किया जाएगा ।


    जवाहर नवोदय विद्यालय प्रवेश 2025-26: आवेदन कैसे करें

    ऑनलाइन आवेदन 01.10.2024 से जमा किए जा रहे हैं। कक्षा 9वीं प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 30.10.2024 है।


    नवोदय प्रवेश 2025: चयन प्रक्रिया
    कक्षा 9वीं में प्रवेश के लिए चयन परीक्षा शनिवार को 08.02.2025 को संबंधित जिले के जवाहर नवोदय विद्यालय या एनवीएस द्वारा आवंटित केंद्र में आयोजित की जाएगी।

    चयन परीक्षा में चयन के लिए उम्मीदवार को सभी संबंधित प्रमाण पत्र जैसे- जन्म प्रमाण पत्र, अंक पत्र के साथ 8वीं कक्षा का उत्तीर्ण प्रमाण पत्र, एससी/एसटी प्रमाण पत्र(यदि कोई है) आदि जमा किया जाएगा। जन्म तिथि - 01.05.2010 से 30.07.2012 (दोनों तिथियां शामिल हैं)



    JNVST 2025 Admission: जवाहर नवोदय विद्यालय कक्षा 9 और 11 में एडमिशन के लिए cbseitms.nic.in पर रजिस्ट्रेशन शुरू, 30 अक्टूबर तक मौका


    JNVST 2025 Admission: नवोदय विद्यालय में कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं एडमिशन लेने के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू हो गयी है। रजिस्ट्रेशन करने के लिए cbseitms.nic.in पर जाना होगा।


    JNV Class 9th and 11th admission 2025: नवोदय विद्यालय समिति (NVS) ने कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं लेटरल एंट्री सिलेक्शन टेस्ट 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू कर दी है। इच्छुक और योग्य कैंडिडेट कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं JNVST एडमिशन 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन ऑफिशियल वेबसाइट cbseitms.nic.in पर जाकर कर सकते हैं। ऑफिशियल नोटिफिकेशन के अनुसार, JNVST एडमिशन 2025 के लिए रजिस्ट्रेशन करने की आखिरी तारीख 30 अक्टूबर 2024 है।


    कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं के लिए JNVST एडमिशन 2025 के लिए सिलेक्शन टेस्ट का आयोजन 8 फरवरी 2024 को किया जाएगा। परीक्षा का समय 11 बजे से 1:30 बजे तक होगा। कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं रजिस्ट्रेशन करते समय कैंडिडेट को कुछ जरूरी डॉक्यूमेंट जैसे वैलिड फोटो आईडी, फोटोग्राफ, सिग्नेचर, अभिभावक के सिग्नेचर और अकैडमिक मार्कशीट आदि अपलोड करने होंगे।





    JNVST कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं परीक्षा पैटर्न-
    जेएनवीएसटी प्रवेश 2025 कक्षा 9 और 11 चयन परीक्षा के लिए परीक्षा पैटर्न जारी कर दिया गया है। एनवीएस प्रवेश परीक्षा 2025 की अवधि दो घंटे तीस मिनट की होगी, जिसमें दिव्यांग छात्रों को अतिरिक्त 50 मिनट दिए जाएंगे। परीक्षा में 100 वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्न होंगे।

    जेएनवीएसटी प्रवेश 2025 कक्षा 9 चयन परीक्षा के लिए परीक्षा पैटर्न में कुल 100 अंकों के लिए अंग्रेजी (15 प्रश्न), हिंदी (15 प्रश्न), गणित (35 प्रश्न) और सामान्य विज्ञान (35 प्रश्न) जैसे विषय शामिल हैं।

    इसी तरह, जेएनवीएसटी प्रवेश 2025 कक्षा 11 चयन परीक्षा के लिए पैटर्न में मानसिक क्षमता (मेंटल एबिलिटी), अंग्रेजी, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और गणित शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक में 20 प्रश्न और 20 अंक शामिल हैं, जिसमें कुल परीक्षा दो घंटे तीस मिनट तक चलती है।


    Wednesday, October 2, 2024

    सालाना दस हजार छात्रवृत्ति के लिए करें आवेदन

    सालाना दस हजार छात्रवृत्ति के लिए करें आवेदन


    प्रयागराज में यूपी बोर्ड 2024 इंटरमीडिएट परीक्षा में सफल 11460 मेधावियों को केंद्र सरकार से सालाना 10,000 रुपये की छात्रवृत्ति मिलेगी। इसके लिए आवेदन शिक्षा मंत्रालय के पोर्टल पर किए जा रहे हैं।


    प्रयागराज। यूपी बोर्ड की 2024 इंटरमीडिएट परीक्षा में सफल 11460 मेधावियों को केंद्र सरकार की ओर से स्नातक स्तर पर सालाना दस हजार रुपये की छात्रवृत्ति मिलेगी। इसके लिए शिक्षा मंत्रालय के पोर्टल www.scholarships.gov.in पर आवेदन लिए जा रहे हैं। विज्ञान, वाणिज्य व कला वर्ग में क्रमश: 3:2:1 अनुपात में छात्र-छात्राओं को वजीफा मिलेगा। 


    शर्त यह है कि ऐसे अभ्यर्थियों की सालाना पारिवारिक आय आठ लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। ऐसे मेधावी छात्र-छात्राएं जो किसी भी उच्च शिक्षण संस्थान के नियमित पाठ्यक्रम में प्रवेश लेते हैं, वे यह छात्रवृत्ति पाने के योग्य होंगे। सभी छात्र-छात्राओं को अपना आधार नंबर अपने राष्ट्रीयकृत बैंक खाता संख्या से लिंक कराना अनिवार्य है।

    दस करोड़ से देंगे संस्कृत के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति, प्रतिमाह इतना मिलेगा वजीफा

    दस करोड़ से देंगे संस्कृत के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति, प्रतिमाह इतना मिलेगा वजीफा


    प्रयागराज । प्रदेश के 403 सहायता प्राप्त संस्कृत महाविद्यालय और 570 माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों में अध्ययनरत कक्षा छह से परास्नातक के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति के लिए प्रदेश सरकार ने दस करोड़ रुपये का बजट जारी किया है। आय सीमा की बाध्यता भी समाप्त कर दी गई है। पहले उन्हीं छात्रों को छात्रवृत्ति मिलती थी जिनकी पारिवारिक आय सालाना 50 हजार से कम थी।


    शासन के विशेष सचिव आलोक कुमार की ओर से 23 सितंबर को बजट जारी किया गया है। छात्रवृत्ति के लिए छात्र-छात्राओं ने 30 सितंबर तक संस्था के प्रधानाचार्य को ऑफलाइन आवेदन दिया है। प्राचार्य एवं प्रधानाचार्य एक से तीन अक्तूबर के बीच आवेदन पत्रों की जांच करते हुए जिला विद्यालय निरीक्षक को भेजेंगे। डीआईओएस के स्तर से चार से छह अक्तूबर तक आवेदन पत्रों की जांच की जाएगी। लाभार्थी के खाते में छात्रवृत्ति की धनराशि ट्रांसफर करने की अंतिम तिथि 12 अक्तूबर है।


    प्रतिमाह इतना वजीफा

    प्रथमा कक्षा छह व सात : 50 रुपये, 
    प्रथमा कक्षा आठः 75 रुपये, 
    पूर्व मध्यमा कक्षा नौ व दसः 100 रुपये, 
    उत्तर मध्यमा कक्षा 11 व 12: 150 रुपये, 
    शास्त्री स्नातकः 200 रुपये व 
    आचार्य परास्नातकः 250 रुपये

    18 पेज खोलेंगे प्रधानाध्यापक के उत्पीड़न का चिट्ठा, पुलिस की जांच के साथ चार सदस्यीय कमेटी भी करेगी जांच

    18 पेज खोलेंगे प्रधानाध्यापक के उत्पीड़न का चिट्ठा, पुलिस की जांच के साथ चार सदस्यीय कमेटी भी करेगी जांच 


    गजरौला । प्रधानाध्यापक संजीव कुमार के उत्पीड़न का चि‌ट्ठा रजिस्टर में कैद 18 पेज खोलेंगे। इसके लिए डीएम ने चार सदस्य कमेटी गठित की है। इस रजिस्टर का जिक्र संजीव कुमार ने घटनास्थल से मिले दो पेज के सुसाइड नोट में किया है।

    गजरौला क्षेत्र के सुल्तानठेर स्थित कंपोजिट विद्यालय के प्रधानाध्यापक संजीव कुमार ने मंगलवार सुबह अपने ही कक्ष में फंदे पर लटक कर जान दे दी। घटनास्थल पर दो पेज का सुसाइड नोट मिला है। जिसमें रजिस्टर में 18 पेज का सुसाइड नोट भी लिखा होने का दावा किया है। इसमें लिखा है कि पूरी दास्तान सुसाइड रजिस्टर में लिखी है, जो 18 पेज का है। पुलिस ने इस रजिस्टर को भी कब्जे में ले लिया है। 

    उधर, डीएम निधि गुप्ता ने एडीएम न्यायिक मायाशंकर की अध्यक्षता में चार सदस्य कमेटी गठित की है। जिसमें डीआईओएस विष्णु प्रताप सिंह, सीडीओ अश्वनी कुमार मिश्रा और एएसपी राजीव कुमार सिंह को सदस्य बनाया गया है। ये टीम प्रधानाध्यापक संजीव कुमार की मौत की जांच करेगी। जबकि, पुलिस की जांच अलग चल रही है। चर्चा है कि रजिस्टर में कैद सुसाइड नोट ही शिक्षक संजीव कुमार की आत्महत्या के पीछे का राज खुलेगी। अब जांच कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार है

    घटनास्थल पर नहीं पहुंचीं बीएसए, शिक्षक दंपती भी गायब
    कंपोजिट विद्यालय में प्रधानाध्यापक संजीव कुमार की मौत की जानकारी मिलने के बाद बीएसए घटनास्थल पर नहीं पहुंचीं। क्योंकि सुसाइड नोट में उनका नाम शामिल है। जबकि, सहायक अध्यापक राघवेंद्र सिंह व सरिता सिंह स्कूल तो आए थे, लेकिन जब उन्हें सुसाइड नोट में उनके नाम होने की बात सामने आई तो दोनों ही वहां से भाग निकले। इसके बाद से दोनों लापता हैं। हालांकि बीएससी के निर्देश पर ऑफिस के कर्मचारी मौके पर पहुंचे थे। उन्होंने पूरे मामले की जानकारी ली।


    सफाई की वीडियो वायरल होने के बाद से तनाव में थे संजीव
    गजरौला। सुल्तानठेर के परिषदीय विद्यालय में बारिश के पानी के साथ कीचड़ जमा हो गया था। इससे बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। 23 सितंबर की सुबह विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाओं और छात्र-छात्राओं ने स्कूल में सफाई अभियान चलाया। फावड़े और खुरपे से कीचड़ को साफ किया। स्कूल में सफाई का प्रदर्शन करते हुए सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल किया। सामने आया था कि यह वीडियो राघवेंद्र सिंह ने वायरल किया था। मामला चर्चाओं में आने के बाद प्रधानाध्यापक भी जांच के घेरे में आ गए थे। इस मामले में बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष अतुलेश भारद्वाज और खंड शिक्षा अधिकारी आरती गुप्ता ने विद्यालय को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा था। परिजनों के मुताबिक वह इस बात से भी तनाव में चल रहे थे।


    कंपोजिट विद्यालय के प्रधानाध्यापक बनने से असंतुष्ट था राघवेंद्र
    गजरौला। प्रधानाध्यापक की आत्महत्या के बाद से कुछ कुछ साथी शिक्षक सवालों के कटघरे में खड़े हो गए हैं। जबकि, सहायक राघवेंद्र द्वारा उनसे रंजिश रखने की बात सामने आ रही है। प्रधानाध्यापक के बेटे ने भी राघवेंद्र पर उनसे रंजिश रखने और साजिश करने के आरोप लगाए। बेटे अनुज ने बताया कि पापा 2015 में जूनियर विद्यालय के प्रधानाध्यापक बने थे। गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में राघवेंद्र सिंह प्रधानाध्यापक था।

    2019 में दोनों विद्यालयों का विलय कर कंपोजिट विद्यालय बनाया गया था। जिसका प्रधानाध्यापक मेरे पापा को बनाया गया था। तभी से राघवेंद्र नाराज था और वह पापा से विवाद करता रहता था। राघवेंद्र के बीएसए मोनिका सिंह से अच्छे संबंध है। इसलिए वह पापा पर दबाव बनाता था। उत्पीड़न से परेशान होकर पापा ट्रांसफर के लिए कई बार लेटर लिख चुके थे। लेकिन, कोई सुनवाई नहीं हुई।



    18 पेज का सुसाइड नोट लिखकर हेडमास्टर ने स्कूल में लगा ली फांसी, बीएसए और दो शिक्षकों को बताया जिम्मेदार, एफआईआर दर्ज 

    आरोपी शिक्षकों और बीएसए के खिलाफ एफआईआर दर्ज


    अमरोहाः उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में एक जूनियर हाईस्कूल में प्रधानाचार्य संजीव कुमार (50) ने मंगलवार सुबह स्कूल के क्लास रूम में फंदे पर लटककर आत्महत्या कर ली। पुलिस को मौके से 18 पेज का सुसाइड नोट मिला है, जिसमें बेसिक शिक्षा अधिकारी और स्कूल के 2 टीचरों (पति-पत्नी) को आत्महत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया है।


    पुलिस को जांच में पता चला है कि मंगलवार सुबह संजीव कुमार स्कूल जल्दी आ गए थे। उन्होंने दफ्तर में फांसी लगाई। इसका पता सुबह 9 बजे बाकी शिक्षकों के स्कूल पहुंचने पर लगा। सूचना पर पुलिस और प्रशासनिक अफसर मौके पर पहुंचे। फरेंसिक टीम से कमरे की जांच कराई गई। पुलिस ने कमरे को सील कर दिया है। पुलिस के मुताबिक संजीव कुमार अमरोहा के गजरौला इलाके के सुल्तान ठेर गांव में आदर्श जूनियर हाईस्कूल में प्रधानाचार्य थे। मूल रूप से बछरायूं इलाके के जमानाबाद गांव के निवासी थे।


    मौके से मिले सुसाइड नोट में संजीव कुमार ने लिखा है कि मैं राघवेंद्र सिंह, सरिता सिंह और बेसिक शिक्षा अधिकारी मैडम से दुखी होकर आत्महत्या कर रहा हूं। राघवेंद्र और सरिता (पति-पत्नी) गाली-गलौज करते हैं। उनकी यातनाओं से तो मरना अच्छा है। मैं इनकी दबंगई 2 अप्रैल 2019 से झेल रहा हूं। मैं इनकी जांच CBI से करवाना चाहता हूं। आगे लिखा है कि मेरी सभी अधिकारियों से हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि जांचकर्ता मुरादाबाद मंडल का न हो क्योंकि इनकी दबंगई पूरे मंडल में चलती है। प्रताड़ना की सारी दास्तान सुसाइड रजिस्टर में लिखी है, जो 18 पेज का है।

    नोट में आगे लिखा है कि जब तक डीएम साहिबा और बीएसए मैडम न आएं तब तक मेरी बॉडी को छूना नहीं। मेरे पास स्कूल का कोई सामान नहीं है। दोनों टैबलेट नई वाली सेफ में रखे हैं। परिमा शर्मा को स्कूल का इंचार्ज बनाना है। वही, सबसे सीनियर टीचर हैं।


    बेटे का आरोप- स्कूल टीचर पिता को प्रताड़ित कर रहे थे
    संजीव के बेटे अनुज सिंह का कहना है कि स्कूल के पति-पत्नी शिक्षक पिता को प्रताड़ित करते थे। हर रोज उनसे लड़ाई करते थे। मंगलवार सुबह 7 बजे पिताजी घर से 7 बजे निकले थे। पिता ने वॉट्सऐप पर मुझे मैसेज भी भेजा था, लेकिन मेरे देखने से पहले डिलीट कर दिया था। वह सोमवार रात से कुछ परेशान दिख रहे थे। पूछने पर भी कुछ नहीं बताया था। थाना पुलिस का कहना है कि जांच कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

    पिछड़े जिलों में निजी विवि खोलने पर मिलेगी छूट, कैबिनेट ने यूपी उच्च शिक्षा प्रोत्साहन नीति 2024 को दी हरी झंडी

    पिछड़े जिलों में निजी विवि खोलने पर मिलेगी छूट, कैबिनेट ने यूपी उच्च शिक्षा प्रोत्साहन नीति 2024 को दी हरी झंडी


    लखनऊ। प्रदेश में असेवित व आकांक्षी (पिछड़े) जिलों में निजी विश्वविद्यालयों को आकर्षित करने के लिए सरकार ने स्टांप ड्यूटी में 50 फीसदी तक और विदेशी विश्वविद्यालयों को कैंपस खोलने पर स्टांप ड्यूटी में 100 फीसदी तक की छूट देगी। कैबिनेट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा प्रोत्साहन नीति 2024 को हरी झंडी दे दी है।


    उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने बताया कि प्रदेश में 40 असेवित जिलों व पांच आकांक्षी जिलों में कोई विवि नहीं है। अगर यहां निजी विवि खुलते हैं तो उन्हें विभिन्न प्रकार की छूट दी जाएगी।


    विदेशी विवि को स्टांप ड्यूटी में मिलेगी 100% छूट

    इसके तहत 50 करोड़ रुपये तक के निवेश पर स्टांप ड्यूटी में 50 फीसदी, 51 से 150 करोड़ के निवेश पर 30% और 151 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश पर 20 फीसदी छूट दी जाएगी। वहीं इनको कैपिटल सब्सिडी में भी क्रमशः 15, 16 व 17% की छूट दी जाएगी। इस तरह प्रदेश में कहीं भी विदेशी विवि या उसका कैंपस खोलने पर कुल निवेश का 20 फीसदी और 100 फीसदी स्टांप ड्यूटी में छूट दी जाएगी। 

    नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) में शीर्ष 50 रैंक पाने वाले विश्वविद्यालयों को भी प्रदेश में कहीं भी कैंपस खोलने के लिए कुल निवेश का 20 फीसदी और 100 फीसदी स्टांप ड्यूटी में छूट दी जाएगी। मंत्री ने कहा कि इस नीति से उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात में वृद्धि होगी। वहीं, युवाओं के लिए बेहतर शिक्षा के अवसर भी बढ़ेंगे।


    केडी विवि मथुरा को आशय पत्र जारी करने की सहमति

    लखनऊ। निजी विश्वविद्यालयों को आकर्षित करने के क्रम में मथुरा में केडी विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए आशय पत्र जारी करने को प्रदेश कैबिनेट ने सहमति दे दी है। यह विवि मथुरा के अकबरपुर, छाता में 50.54 एकड़ भूमि पर बनेगा। अब इसके निर्माण से जुड़ी प्रक्रिया को गति मिलेगी। 


    मेरठ में विद्या विवि को संचालन अधिकार पत्र जारी

     लखनऊ। कैबिनेट ने मेरठ में निजी क्षेत्र के अंतर्गत विद्या विवि को संचालन अधिकार पत्र जारी करने पर सहमति दे दी है। यह विश्वविद्यालय बनकर तैयार है। अब यहां पर प्रवेश व पढ़ाई की प्रक्रिया शुरू होगी। 

    आयु का निर्धारण जन्म प्रमाण पत्र से होता है, मेडिकल रिपोर्ट से नहीं : हाईकोर्ट

    आयु का निर्धारण जन्म प्रमाण पत्र से होता है, मेडिकल रिपोर्ट से नहीं : हाईकोर्ट

    संत कबीर नगर की साक्षी को नवोदय विद्यालय में प्रवेश देने का दिया आदेश


    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि आयु का निर्धारण जन्म प्रमाण पत्र से होता है न कि मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर। मेडिकल रिपोर्ट में निर्धारित आयु के आधार पर स्कूल में प्रवेश देने से इन्कार नहीं किया जा सकता।

    यह टिप्पणी मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने संत कबीर नगर की छात्रा साक्षी की विशेष अपील स्वीकार करते हुए की। कोर्ट ने याची को दो हफ्ते में नवोदय विद्यालय में कक्षा आठ में प्रवेश देने का आदेश दिया है। 


    याची साक्षी ने शैक्षणिक सत्र 2022-23 के लिए जवाहर नवोदय विद्यालय जगदीशपुर गौरा संत कबीर नगर में कक्षा छह में प्रवेश के लिए आवेदन किया था। आयु प्रमाण पत्र के तौर पर उसने जन्म प्रमाण पत्र, आधार कार्ड और टीकाकरण रिकॉर्ड दाखिल किया। इसमें उसकी जन्मतिथि 25 जनवरी 2011 दर्ज है। प्रवेश परीक्षा में वह सफल हुई।

    इसके बाद प्रधानाचार्य को शक हुआ कि साक्षी की उम्र निर्धारित सीमा से ज्यादा है। इसके लिए उन्होंने मुख्य चिकित्साधिकारी के जरिये आयु निर्धारण की जांच कराई। जांच रिपोर्ट में उसकी आयु 15 वर्ष निकली, जो निर्धारित सीमा से ज्यादा थी। इस आधार पर प्रधानाचार्य ने उसे प्रवेश देने से इन्कार कर दिया। इसके खिलाफ याची ने हाईकोर्ट की एकल पीठ में याचिका दाखिल की, जो खरीज कर दी गई।

     इसके बाद याची ने एकल पीठ के आदेश के खिलाफ विशेष अपील दाखिल की, जिसकी सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश को रद्द कर दिया। कोर्ट ने अपील स्वीकार करते हुए कहा कि चिकित्सा मूल्यांकन केवल एक अनुमान था। अपीलार्थी की आयु का निर्णायक प्रमाण नहीं था। एकल पीठ ने याची की याचिका को उसके जन्म दस्तावेजों की वैधता पर विचार किए बिना खारिज कर दिया।

    Tuesday, October 1, 2024

    परिषदीय-माध्यमिक विद्यालयों में आज से बदल जाएगा समय

    परिषदीय-माध्यमिक विद्यालयों में आज से बदल जाएगा समय

    परिषदीय विद्यालयों में सुबह 9 से दोपहर 3 बजे तक होगी पढ़ाई

    माध्यमिक विद्यालय सुबह 9.30 बजे से दोपहर 3:30 तक चलेंगे


    लखनऊ। प्रदेश के परिषदीय व माध्यमिक विद्यालयों में मंगलवार से पठन-पाठन के समय में बदलाव होगा। मंगलवार एक अक्तूबर से परिषदीय विद्यालयों में सुबह नौ से दोपहर तीन बजे तक पढ़ाई होगी। वहीं मौसमी बीमारियों डेंगू-मलेरिया को देखते हुए बच्चों को फुल आस्तीन के कपड़े पहनने के निर्देश दिए गए हैं।

    बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से जारी शैक्षिक कैलेंडर के अनुसार एक अप्रैल से 30 सितंबर तक विद्यालय सुबह आठ से दोपहर दो बजे तक और एक अक्तूबर से 31 मार्च तक सुबह नौ से दोपहर तीन बजे तक चलेंगे। इसी क्रम में यह बदलाव हो रहा है। हालांकि बरसात के बाद सोमवार को मौसम खुलने से दिन भर काफी उमस रही।

    माध्यमिक विद्यालय सुबह 9.30 बजे से चलेंगे

    बेसिक के साथ ही एक अक्तूबर से माध्यमिक विद्यालयों का समय भी बदलेगा। मंगलवार से माध्यमिक विद्यालय सुबह 9.30 से दोपहर 3.30 बजे तक चलेंगे। जबकि वर्तमान में यह 7.30 से 1.30 बजे तक चल रहे हैं। सुबह 15 मिनट प्रार्थना सभा होगी। इसके बाद 9.45 से 40-40 मिनट के चार पीरियड पढ़ाई होगी। इसके बाद 25 मिनट का लंच, फिर चार पीरियड पढ़ाई होगी।

    यूपी डीएलएडः हाईकोर्ट के फैसले से 12वीं पास को मौका तो भर सकेंगी सीटें

    यूपी डीएलएडः हाईकोर्ट के फैसले से 12वीं पास को मौका तो भर सकेंगी सीटें


    ■ पिछले साल डीएलएड की 70,100 सीटें खाली रह गई थीं

    ■ शिक्षक भर्ती नहीं आने के कारण कम हुआ पाठ्यक्रम में रुझान

    प्रयागराज । हाईकोर्ट के आदेश पर यदि डीएलएड में प्रवेश की न्यूनतम अर्हता इंटर पास होती है तो सभी सीटें भरने की उम्मीद बढ़ जाएगी। छह साल से कोई शिक्षक भर्ती नहीं आने के कारण डीएलएड पाठ्यक्रम के प्रति रुझान कम हुआ है। यही कारण है कि पिछले साल बीएड अभ्यर्थियों को प्राथमिक शिक्षक भर्ती में अनर्ह करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद उत्तर प्रदेश में डीएलएड की 70,100 सीटें खाली रह गई थीं। जबकि डीएलएड पाठ्यक्रम चला रहे कॉलेज के प्रबंधकों को सीटें फुल होने की उम्मीद थी।


    पिछले साल प्रदेश के 67 जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) की 10600 व 2974 निजी कॉलेजों की 2,22,750 सीटें मिलाकर कुल 2,33,350 सीटों पर प्रवेश के लिए 3,36,187 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। इनमें से 1,63,250 अभ्यर्थियों ने ही प्रवेश लिया था। यही कारण है कि इस साल दूसरे राज्य के अभ्यर्थियों को भी प्रवेश में मौका दिया गया है ताकि सीटें खाली न रह जाएं। डीएलएड प्रशिक्षण वर्ष 2024-25 सत्र के लिए 18 सितंबर से ऑनलाइन आवेदन शुरू हुए हैं और अभ्यर्थी नौ अक्तूबर तक फॉर्म भर सकते हैं।

    माध्यमिक शिक्षा विभाग में पारदर्शिता और स्वच्छ कार्य संस्कृति के लिए DGSE के सख्त निर्देश जारी, कार्यालयों में सीसीटीवी और बायोमेट्रिक हुई अनिवार्य

    माध्यमिक शिक्षा के मंडलीय और जिलास्तरीय दफ्तरों में भी अब होगी बायोमीट्रिक हाजिरी, देखें आदेश 

    लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों में  शिक्षकों के कड़े विरोध के बाद अब माध्यमिक शिक्षा के मंडल व जिला स्तर के दफ्तरों में कर्मचारियों की बायोमीट्रिक हाजिरी लागू करने के निर्देश दिए गए हैं। कार्यालय से बाहर आने-जाने वाले कर्मचारियों व बाहर से आने वाले लोगों के नाम भी एक रजिस्टर में दर्ज किए जाएं। 

    महानिदेशक स्कूल शिक्षा की ओर से मंडल व जिला स्तरीय कार्यालयों में पारदर्शी कार्य संस्कृति को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसमें कहा गया है कि मंडल व जिला स्तरीय कार्यालयों में सभी कर्मचारियों की बायोमीट्रिक उपस्थिति दर्ज की जाए। अधिकारियों-कर्मचारियों के कार्यालय कक्ष व अन्य महत्वपूर्ण स्थलों पर सीसीटीवी कैमरा अनिवार्य रूप से लगाया जाए।


    माध्यमिक शिक्षा विभाग में पारदर्शिता और स्वच्छ कार्य संस्कृति के लिए DGSE के सख्त निर्देश जारी, कार्यालयों में सीसीटीवी और बायोमेट्रिक हुई अनिवार्य

    लखनऊ, 28 सितंबर 2024
    प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा विभाग में पारदर्शी और स्वच्छ कार्य संस्कृति स्थापित करने के लिए सरकार ने कड़े कदम उठाने के निर्देश जारी किए हैं। महानिदेशक, स्कूल शिक्षा, कंचन वर्मा द्वारा जारी इस पत्र में मंडल और जनपद स्तर के कार्यालयों में स्वच्छ और प्रभावी कार्य प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए सख्त दिशानिर्देश दिए गए हैं। इन निर्देशों का उद्देश्य जनसामान्य, शिक्षकों और कर्मचारियों को समयबद्ध और पारदर्शी सेवाएं प्रदान करना है।

    शासन के आदेश के तहत सभी कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरे अनिवार्य रूप से लगाए जाएंगे, और उनकी रिकॉर्डिंग को नियमित रूप से सुरक्षित रखा जाएगा। यह कदम भ्रष्टाचार और कार्यालयों में अनुशासनहीनता पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से उठाया गया है। इसके साथ ही, कार्यालय में काम करने वाले सभी कर्मचारियों की बायोमैट्रिक उपस्थिति अनिवार्य की गई है, ताकि कर्मचारियों की नियमितता और अनुशासन सुनिश्चित हो सके।

    आदेश में यह भी कहा गया है कि कार्यालय में संदिग्ध व्यक्तियों और अवैधानिक गतिविधियों पर सख्त निगरानी रखी जाए। आगंतुक पंजिका और गमनागमन पंजिका की व्यवस्था को भी अनिवार्य किया गया है, जिससे कार्यालय में अनावश्यक आवाजाही पर नियंत्रण हो सके। 

    महानिदेशक ने स्पष्ट किया है कि सरकारी कार्यों का समयबद्ध निस्तारण किया जाए, ताकि जनसामान्य, शिक्षक, और कर्मचारियों को किसी प्रकार की असुविधा न हो। कार्यालय में आने वाले जन प्रतिनिधियों और आगंतुकों की समस्याओं को विनम्रता से सुनने और नियमों के अनुसार उनका समाधान करने के निर्देश दिए गए हैं।

    इस आदेश का सबसे अहम पहलू यह है कि कार्यदिवस के दौरान शिक्षकों और कर्मचारियों के मण्डलीय या जनपदीय कार्यालयों में अनावश्यक रूप से घूमने पर रोक लगाई गई है, ताकि विद्यालयों में पठन-पाठन कार्य बाधित न हो। कार्यालयों में अनावश्यक बाहरी व्यक्तियों के आने पर भी सख्त प्रतिबंध लगाया गया है।




    क्या इन निर्देशों से आएगी कार्य संस्कृति में सुधार?

    शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार और अनुशासनहीनता पर लगाम लगाने के इस प्रयास को सकारात्मक पहल के रूप में देखा जा रहा है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या इन सख्त निर्देशों से कार्य संस्कृति में वास्तविक सुधार होगा या यह सिर्फ औपचारिकता बनकर रह जाएगा? 

    सरकार की यह पहल जनसामान्य को बेहतर और पारदर्शी सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से की गई है। अब देखना यह है कि इन सख्त निर्देशों का वास्तविक प्रभाव कार्यालयों में कब और कैसे दिखाई देता है।

    40 हजार नियुक्तियों की नहीं होगी जांच, माध्यमिक शिक्षा विभाग ने विरोध के बाद लिया यू–टर्न

    40 हजार नियुक्तियों की नहीं होगी जांच, माध्यमिक शिक्षा विभाग ने विरोध के बाद लिया यू–टर्न

    एक व्यक्ति के आरोप पर पूरे प्रदेश से मांग ली थी सूचनाएं

    शिक्षा निदेशालय के पत्र से शिक्षकों में हड़कंप की स्थिति


    प्रयागराज । प्रदेश के 4512 सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में 40 हजार से अधिक शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्तियों की जांच नहीं होगी। उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान लखनऊ के पुलिस अधीक्षक ने एक अगस्त को माध्यमिक शिक्षा निदेशक को भेजे पत्र में भर्ती के संबंध में अभिलेख उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था।


    जिसके बाद उप शिक्षा निदेशक रामचेत ने सभी मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों और जिला विद्यालय निरीक्षकों को 28 अगस्त को पत्र लिखकर दस जुलाई 1981 से 2020 के बीच प्रबंध समिति की ओर से संचालित सभी सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों की सूची उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। 


    इसके अलावा शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्तियों के संबंध में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम-1982 की प्रमाणित प्रति, नियुक्त सभी अध्यापकों और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की सूची और नियुक्ति संबंधित मूल पत्रावली आदि उपलब्ध कराने को कहा था। यह पत्र जारी होने के बाद से ही जांच अवधि में नियुक्त शिक्षकों और कर्मचारियों में हड़कंप मचा था। 


    अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक सुरेन्द्र कुमार तिवारी का कहना है कि सभी 40 हजार से अधिक कर्मचारियों की जांच नहीं होगी। जिसके खिलाफ शिकायत होगी उसी की जांच कराई जाएगी। माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कुमार त्रिपाठी ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव से भी पिछले दिनों मुलाकात की थी।


    90 प्रतिशत अध्यापक चयन बोर्ड से चयनित

    प्रदेश के एडेड माध्यमिक विद्यालयों में 10 जुलाई 1981 से 2020 के बीच नियुक्त अध्यापकों और कर्मचारियों में से अब तक एक चौथाई से अधिक अध्यापक और कर्मचारी सेवानिवृत हो चुके हैं। इनमें से कई अध्यापक व कर्मचारी दिवंगत भी हो गए हैं। वर्तमान में कार्यरत 90 प्रतिशत अध्यापक चयन बोर्ड से चयनित हैं। ऐसे में सभी शिक्षकों की जांच औचित्यहीन है।


    Monday, September 30, 2024

    प्रोजेक्ट प्रवीण अंर्तगत प्रशिक्षण के जरिये एक लाख छात्र-छात्राएं बनेंगे दक्ष

    प्रोजेक्ट प्रवीण अंर्तगत प्रशिक्षण के जरिये एक लाख छात्र-छात्राएं बनेंगे दक्ष,  चयनित माध्यमिक विद्यालयों में चलेगा अभियान

    कक्षा 9 से 12 के छात्रों को प्रतिदिन 90 मिनट का देंगे कौशल प्रशिक्षण


    लखनऊ। छात्रों के कौशल विकास को निखारने और युवाओं को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए प्रोजेक्ट प्रवीण के तहत इस साल एक लाख विद्यार्थियों को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य तय किया गया है। सत्र 2024-25 में इसका विस्तार करते हुए इसे प्रदेशभर के चयनित माध्यमिक विद्यालयों में लागू किया जाएगा। मकसद है युवाओं का कौशल विकास कर उन्हें रोजगार के लिए तैयार करना।

    व्यावसायिक शिक्षा, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिल देव अग्रवाल ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की संकल्पना के अनुरूप कौशल प्रशिक्षण को औपचारिक शिक्षा से जोड़ने के लिए प्रोजेक्ट प्रवीण की शुरुआत की गई है। इसके अंतर्गत राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के छात्रों व कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों की छात्राओं को नियमित पढ़ाई के साथ निशुल्क कौशल प्रशिक्षण दिया जा रहा है।


    अब तक 63 हजार को किया प्रशिक्षित

    उन्होंने बताया कि अब तक 315 राजकीय विद्यालयों के 63 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं को कौशल प्रशिक्षण दिया गया है। इसके अंतर्गत कक्षा 9 से 12 के विद्यार्थियों को प्रतिदिन 90 मिनट का कौशल प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसका उद्देश्य विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाना है। माध्यमिक शिक्षा विभाग के सहयोग से प्रदेश के विभिन्न जिलों के चयनित विद्यालयों में यह कार्यक्रम चलाया जाएगा। इसके लिए सभी जिलों के समन्वयकों को दिशा-निर्देश दिए गए हैं। जिन सेक्टरों में रोजगार की अधिक संभावनाएं हैं और विद्यार्थियों की रुचि है, उन्हें प्राथमिकता दी जाए। मंत्री ने बताया कि योजना में अधिक से अधिक बालिकाओं को जोड़ने के लिए बालिका विद्यालयों का चयन प्राथमिकता पर किया जाएगा।

    अक्तूबर से 'मिशन शक्ति' के पांचवें चरण के तहत 10 लाख बालिकाओं को आत्मरक्षा और जीवन कौशल का देंगे प्रशिक्षण, विद्यालयों में नियमित चलेंगी यह गतिविधियां

    अक्तूबर से 'मिशन शक्ति' के पांचवें चरण के तहत 10 लाख बालिकाओं को आत्मरक्षा और जीवन कौशल का देंगे प्रशिक्षण, विद्यालयों में नियमित चलेंगी यह गतिविधियां


    36,772 बालिकाओं को वितरित किए जाएंगे सेनेटरी पैड

    विद्यालयों में करियर काउंसलिंग सत्र का आयोजन भी होगा


    लखनऊ। महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन के लिए प्रदेश सरकार अक्तूबर से 'मिशन शक्ति' के पांचवें चरण की शुरुआत करेगी। मई 2025 तक चलने वाले इस चरण में जागरूकता अभियान और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।


    इस दौरान 10 लाख बालिकाओं को आत्मरक्षा और जीवन कौशल का प्रशिक्षण मिलेगा। जिससे वे आत्मनिर्भर और सशक्त बन सके। इसके तहत नवंबर में विद्यालयों में विशेष शिविर का आयोजन होगा।

    पीएमश्री योजना के तहत चयनित 167 विद्यालयों में में करियर काउंसलिंग के सत्र भी चलेंगे। ताकि बेटियां अपने करियर को लेकर सजग हो। इसी क्रम में विद्यालयों में बालिकाओं को सेनेटरी पैड वितरित्त करेंगे। इसी तरह नवरात्रि में 3 से 10 अक्तूबर तक विद्यालयों में विभिन्न कार्यक्रम बालिकाओं में आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए किए जाएंगे।

     प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों के नेतृत्व में बाल अधिकार, घरेलू हिंस्य, यौन शोषण, छेड़छाड़ और गुड-टच, बैड टच जैसे मुद्दों पर बेटियों को जागरूक किया जाएगा। इसके साथ ही रैलियों और रोचक गतिविधियों के माध्यम से हेल्पलाइन नंबर और बाल विवाह के खतरों की जानकारी भी दी जाएगी। 

    पीएमश्री योजना के तहत चयनित 167 विद्यालयों में मीना मेला और करियर काउंसलिंग सत्र आयोजित किए जाएंगे। ताकि बालिका शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाई जाएगी। बालिकाओं को माहवारी स्वच्छता और जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरुक किया जाएगा।


    विद्यालयों में नियमित चलेंगी यह गतिविधियां

    बालिका शिक्षा के प्रति जागरूकता के लिए सेमिनार व जागरूकता कार्यक्रम

    बाल संसद और बाल सभा का आयोजन होगा, इसमें लड़के लड़कियों को बराबर जिम्मेदारी दी जाएंगी।

    उच्य प्राथमिक विद्यालयों में नियमित रूप से माहवारी स्वच्छता पर चर्चा होगी।

    शिक्षक अभिभावक संघ की बैठक में विधिक साक्षरता, पॉक्सो एक्ट और बाल विवाह जैसे मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाई जाएगी।

    बालिका दिवस और महिला दिवस पर वाद-विवाद प्रतियोगिता, रैली, प्रभात फेरी और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

    केजीबीवी की बालिकाओं को खेलकूद, स्काउट गाइड और एनसीसी का प्रशिक्षण दिया जाएगा।


    कानूनी अधिकारों से होंगी परिचित

    अप्रैल-मई 2025 में बच्चों को उनके कानूनी अधिकारों, जैसे शिक्षा का अधिकार, पॉक्सो एक्ट, बाल विवाह और घरेलू हिंसा से संबंधित कानूनों के बारे में जागरूक किया जाएगा।

    Sunday, September 29, 2024

    स्कूल स्तर पर ही अच्छे फुटबॉलर बनेंगे छात्र, उत्तर प्रदेश में फुटबॉल को बढ़ावा देने के लिए सरकार की अहम पहल

    स्कूल स्तर पर ही अच्छे फुटबॉलर बनेंगे छात्र, उत्तर प्रदेश में फुटबॉल को बढ़ावा देने के लिए सरकार की अहम पहल


    लखनऊ: उत्तर प्रदेश में फुटबॉल को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने अहम पहल की है। अब स्कूली स्तर पर ही छात्रों को अच्छे फुटबॉलर और कोच बनाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए प्रदेश सरकार ने सुपर स्पोर्ट्स इंटरनेशनल के प्रमुख फुटबॉल कोचिंग प्लेटफार्म 'सुपरकोच' के साथ साझेदारी की है। इस पहल के तहत ‘द गेम चेंजर प्रोजेक्ट’ के माध्यम से प्रदेश में फुटबॉल के विकास का व्यापक कार्यक्रम शुरू किया जाएगा।


    प्रोजेक्ट के तहत पहले चरण में प्राथमिक स्कूलों के फिजिकल एजुकेशन (पीई) शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी, झांसी और मेरठ जैसे पांच जिलों में यह प्रक्रिया पूरी की गई है। अगले चरणों में जमीनी स्तर पर खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने और क्षेत्रीय फुटबॉल लीग के आयोजन की योजना है।


    इस प्रोजेक्ट का सबसे बड़ा उद्देश्य प्रदेश के 1.35 करोड़ प्राथमिक स्कूलों के बच्चों को फुटबॉल की ओर आकर्षित करना और उन्हें यूरोपीय फुटबॉल अकादमियों की तर्ज पर प्रशिक्षित करना है। 


    स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष दीपक कुमार ने बताया कि यह साझेदारी न केवल खेल प्रतिभा को विकसित करेगी, बल्कि शारीरिक शिक्षा को भी मजबूत बनाएगी। इस प्रोजेक्ट के सफल क्रियान्वयन से उत्तर प्रदेश फुटबॉल का एक बड़ा केंद्र बन सकता है।



    स्कूल स्तर पर ही अच्छे फुटबॉलर बनेंगे छात्र, द गेम चेंजर प्रोजेक्ट के तहत फुटबॉल के विकास पर होगा काम

    प्रमुख फुटबॉल कोचिंग प्लेटफॉर्म सुपरकोच के साथ हुआ समझौता


    लखनऊ। प्रदेश में अब स्कूली स्तर पर ही छात्रों को अच्छा फुटबॉलर बनाया जाएगा। न सिर्फ खिलाड़ी विद्यालय स्तर पर ही कोच भी तैयार किए जाएंगे। इसके लिए प्रदेश सरकार ने प्रमुख फुटबॉल कोचिंग प्लेटफॉर्म सुपरकोच के साथ समझौता किया है। जो द गेम चेंजर प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश में जमीनी स्तर पर फुटबॉल विकास कार्यक्रम शुरू करेगा।

    सुपर स्पोर्ट्स इंटरनेशनल द्वारा विकसित इस प्लेटफॉर्म के तहत परिषदीय स्कूलों में फुटबॉल के क्षेत्र में प्रतिभा की पहचान करना, कोच और खिलाड़ियों के विकास पर ध्यान केंद्रित करना है। इसके माध्यम से प्रदेश को फुटबॉल का सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने का प्रयास किया जाएगा। इसके लिए परिषदीय विद्यालय एक प्रशिक्षण केंद्र के रूप में काम करेंगे। जहां खिलाड़ियों को यूरोपीय अकादमियों की तरह प्रशिक्षित किया जाएगा।


    स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और माध्यमिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने कहा कि सुपरकोच के साथ यह साझेदारी स्कूलों में खेल और शारीरिक शिक्षा को बढ़ावा देगी। 


    इस तरह होगा चरणबद्ध काम

    पहले चरण में सुपरकोच एप से प्राथमिक स्कूलों में फिजिकल एजुकेशन (पीई) के शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया है। सुपरकोच टीम ने पांच जिलों लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी, झांसी, मेरठ को कवर किया है। दूसरे चरण में योग्य कॅरिअर कोच पीई शिक्षकों के साथ मिलकर जमीनी स्तर पर फुटबॉल प्रशिक्षण को बेहतर बनाएंगे। तीसरे में वरिष्ठ खिलाड़ियों की पहचान की जाएगी, उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा। इन्हें प्रारंभिक कोच के रूप में भर्ती किया जाएगा। चौथे में क्षेत्रीय स्तर पर फुटबॉल लीग और टूर्नामेंट आयोजित किए जाएंगे। इनमें सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों की राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए खोज की जाएगी, ताकि उन्हें बेहतर अवसर मिल सके।



    प्राथमिक विद्यालयों के 1.35 करोड़ बच्चे खेलेंगे फुटबाल

    प्राथमिक विद्यालयों के 1.35 करोड़ बच्चों की फुटबाल खेलने की प्रतिभा को निखारा जाएगा। प्रदेश सरकार इन बच्चों को फुटबाल खेलना सिखाएगी। स्कूली स्तर पर फुटबाल को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने सुपर स्पोर्ट्स इंटरनेशनल की प्रमुख फुटबाल कोचिंग प्लेटफार्म सुपरकोच के साथ साझेदारी की है। द गेम चेंजर प्रोजेक्ट के तहत प्राथमिक स्कूलों में फुटबाल प्रतिभा की पहचान की जाएगी।

    सुपरकोच के सहयोग से प्राथमिक स्कूलों में फुटबाल प्रशिक्षण केंद्र विकसित किया जाएगा। यहां बच्चों को यूरोपीय अकाडमी में सफल साबित हुए तरीकों का उपयोग करके प्रशिक्षित किया जाएगा।

    इस प्रोजेक्ट के तहत शारीरिक शिक्षा के शिक्षकों को सुपरकोच एप का उपयोग करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि राज्य भर में फुटबाल प्रशिक्षण के लिए एक मानकीकृत और संगठित दृष्टिकोण सुनिश्चित किया जा सके। स्कूल गेम्स फेडरेशन आफ इंडिया के अध्यक्ष और अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने कहा कि सुपरकोच के साथ यह साझेदारी फुटबाल प्रतिभा को विकसित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

    26 साल से बकाया वेतन पाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे बेसिक शिक्षक को मिला इंसाफ, मय ब्याज मिलेंगे सवा करोड़ रुपये

    अधिकारियों पर उठ रहे सवाल! जब 2002 में ही कोर्ट ने वेतन भुगतान का आदेश दिया था, तो इसे 2023 तक क्यों टाला गया? 

    26 साल तक कानूनी लड़ाई लड़ने वाले बेसिक शिक्षक को अंततः हाईकोर्ट से मिला इंसाफ


    बेसिक शिक्षा विभाग की लेटलतीफी और गैरजिम्मेदाराना रवैए ने एक शिक्षक को 26 साल तक कानूनी लड़ाई लड़ने पर मजबूर कर दिया। यह मामला केवल एक व्यक्ति के अधिकारों का हनन नहीं है, बल्कि यह सरकारी व्यवस्था की संवेदनहीनता और अधिकारियों की उदासीनता का एक ज्वलंत उदाहरण है।

    लक्ष्मण प्रसाद कुशवाहा, जो मृतक आश्रित कोटे में 1994 से बिना वेतन के सेवा दे रहे थे, को 88 लाख रुपये ब्याज सहित सवा करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश हाईकोर्ट ने दिया है। सवाल यह है कि जब 2002 में ही कोर्ट ने वेतन भुगतान का आदेश दिया था, तो इसे 2023 तक क्यों टाला गया? क्या यह अधिकारियों की जिम्मेदारी नहीं थी कि वे समय पर न्यायालय के आदेश का पालन करें?



    26 साल से बकाया वेतन पाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे बेसिक शिक्षक को मिला इंसाफ, मय ब्याज मिलेंगे सवा करोड़ रुपये

    अधिकारियों की लेटलतीफी से शिक्षक को 88 लाख ब्याज अदा करेगी सरकार

    30 सितम्बर तक भुगतान नहीं करने पर बेसिक शिक्षा निदेशक पर निर्मित होगा अवमानना का आरोप


    प्रयागराज। इलाहावाद हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा निदेशक को 26 साल से बकाया वेतन पाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे शिक्षक का भुगतान एक हफ्ते में करने का निर्देश दिया है। ऐसा करने से विफल रहने पर 30 सितंबर को अदालत में अवमानना की कार्यवाही के लिए हाजिर रहने का आदेश दिया है।

    हैरान कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों की लेटलतीफी की वजह से सरकार को ब्याज के रूप में 88 लाख रुपये भुगतान करना पड़ेगा। यह आदेश न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय की अदालत ने बलिया के जूनियर हाईस्कूल के शिक्षक लक्ष्मण प्रसाद कुशवाहा की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।


    याची की नियुक्ति मृतक आश्रित कोटे में दो जुलाई 1994 से जूनियर हाईस्कूल बलिया में हुई थी। तब से यह बिना वेतन के पढ़ा रहा था। हाईकोर्ट ने 22 अप्रैल, 2002 को याचिका मंजूर करके बीएसए को नियमित वेतन भुगतान का निर्देश दिया। साथ ही नौ प्रतिशत ब्याज के साथ बकाये वेतन का भुगतान तीन माह में करने का निर्देश दिया था। लेकिन, तत्कालीन बीएसए ने आदेश का पालन नहीं किया।


    याची ने एक अन्य याचिका 2009 में भी दाखिल की। उस पर भी मय व्याज बकाये वेतन का भुगतान करने का आदेश हुआ। इसके बावजूद भुगतान नहीं हुआ। मजबूर शिक्षक ने 2009 में अवमानना याचिका दाखिल की, जो 14 साल बाद आज भी लंबित है। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने शिक्षा विभाग से जवाबी हलफनामा मांगा था। आदेश के अनुपालन में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, बलिया और बेसिक शिक्षा विभाग वित्त नियंत्रक व्यक्तिगत हलफनामे दाखिल कर बताया कि रिट कोर्ट के आदेश के अनुपालन के संदर्भ में बेसिक शिक्षा निदेशक को याची के बकाये 1,25,92,090/-रुपये स्वीकृत करने के लिए पत्र लिखा गया है। इसमें वेतन का बकाया और बकाया राशि पर ब्याज भी शामिल है।


    कोर्ट ने पाया कि निदेशक की स्वीकृति का अभाव में एक तरफ 14 साल से याची कानूनी लड़ाई लड़ रहा है। दूसरी ओर याची को मिलने वाली धनराशि का ब्याज 88 लाख रुपये से ऊपर जा चुका है। कोर्ट ने हैरानी जताई कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण सरकार याची को 88 लाख रुपये का भुगतान करेगी। यह भुगतान देश के करदाताओं के रुपयों से होगा। 


    कोर्ट ने बेसिक शिक्षा निदेशक को 30 सितंबर तक याची का पूरा बकाया व्याज सहित भुगतान कर हलफनामा दाखिल करने निर्देश दिया है। अनुपालन न करने पर निर्धारित तारीख पर अवमानना का आरोप निर्मित कराने के लिए अदालत के हाजिर रहने का आदेश दिया है।

    मुरादाबाद के इंटर कॉलेजों में शिक्षकों की कमी, परिषदीय शिक्षक देंगे सहारा, शिक्षा विभाग का ‘अनोखे’ प्रयोग बना चर्चा की वजह

    मुरादाबाद के इंटर कॉलेजों में शिक्षकों की कमी, परिषदीय शिक्षक देंगे सहारा,  शिक्षा विभाग का ‘अनोखे’ प्रयोग बना चर्चा की वजह


    मुरादाबाद: राजकीय इंटर कॉलेजों में शिक्षकों की भारी कमी को देखते हुए प्रशासन ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए परिषदीय शिक्षकों को भी इंटर कॉलेजों में पढ़ाने के लिए नियुक्त किया है। इस योजना के तहत, प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूलों के शिक्षकों को अस्थायी तौर पर राजकीय स्कूलों में पढ़ाने के लिए लगाया गया है। 


    शिक्षकों की कमी से जूझ रहे स्कूलों को राहत  

    जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. अरुण कुमार दुबे ने बताया कि जिलाधिकारी के निर्देशानुसार 23 सितंबर को जारी आदेश में राजकीय स्कूलों की शैक्षिक गुणवत्ता सुधारने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया है। इस आदेश में जिले के 25 राजकीय स्कूलों में कुल 52 परिषदीय शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है, ताकि शैक्षिक सत्र के अंत तक छात्रों को उचित शिक्षा मिल सके और पाठ्यक्रम समय पर पूरा किया जा सके। 


    एकल शिक्षिका की ड्यूटी पर उठे सवाल

    हालांकि, कुछ मामलों में इस आदेश की आलोचना भी हो रही है। उदाहरण के तौर पर, कन्या जूनियर हाईस्कूल कुंदनपुर की एकमात्र शिक्षिका प्रशांत कुमारी को राजकीय कन्या इंटर कॉलेज लाइनपार में हिंदी पढ़ाने के लिए भेजा गया है, जबकि उनके मूल स्कूल में कक्षा 6 से 8 तक के 150 छात्र हैं। यह कदम शिक्षकों की मौजूदा कमी को और गहरा सकता है, जिससे छोटे स्कूलों के संचालन पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।


    प्राथमिक शिक्षा पर हो सकता है असर

    उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के महानगर अध्यक्ष राकेश कौशिक ने इस कदम की निंदा करते हुए कहा, "यदि प्राथमिक शिक्षक जीआईसी में पढ़ाने जाएंगे, तो 'निपुण भारत' के लक्ष्य को कैसे हासिल किया जाएगा?" उनका मानना है कि शिक्षकों की कमी के कारण पहले से ही स्कूलों का संचालन शिक्षामित्रों पर निर्भर है। ऐसे में शिक्षकों की नई ड्यूटी व्यवस्था से प्राथमिक शिक्षा प्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।


    विकल्पों की तलाश जारी

    हालांकि, महानिदेशक स्कूल शिक्षा के मुताबिक, किसी भी शिक्षक को उनके मूल स्कूल से बाहर अन्य स्कूल या कार्यालय में नहीं लगाया जाएगा। लेकिन, शिक्षकों की कमी से निपटने के लिए यह अस्थायी व्यवस्था की गई है। शिक्षा विभाग उम्मीद कर रहा है कि यह कदम शैक्षिक गुणवत्ता को बनाए रखने में सहायक साबित होगा, जब तक कि रिक्त पदों पर स्थायी भर्ती नहीं हो जाती। 


    शिक्षा प्रणाली पर दीर्घकालिक प्रभाव

    अब देखना होगा कि यह अस्थायी समाधान कितना प्रभावी सिद्ध होता है और क्या यह कदम शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार ला पाता है। साथ ही, इस निर्णय से छोटे स्कूलों और प्राथमिक शिक्षा पर क्या प्रभाव पड़ता है, यह भी एक महत्वपूर्ण सवाल बना हुआ है।



    CBSE की 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा में तीसरी आंख से होगी निगरानी, वर्ष 2025 में होने वाली बोर्ड परीक्षाओं के लिए परीक्षा केंद्र पर सीसीटीवी कैमरे लगाने के निर्देश

    CBSE की 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा में तीसरी आंख से होगी निगरानी, वर्ष 2025 में होने वाली बोर्ड परीक्षाओं के लिए परीक्षा केंद्र पर सीसीटीवी कैमरे लगाने के निर्देश


    नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की वर्ष 2025 में आयोजित होने वाली दसवीं व बारहवीं की पर इस बार तीसरी आंख से नजर रखी जाएगी। बोर्ड ने परीक्षा सेंटर बनाए जाने वाले स्कूलों के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य कर दिया है। स्कूल में सीसीटीवी कैमरे की सुविधा नहीं होने पर उस स्कूल में परीक्षा केंद्र नहीं बनाया जाएगा। परीक्षाएं निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से आयोजित की जा सकें, इसके लिए यह फैसला किया गया है।


    सीबीएसई भारत और 26 अन्य देशों के स्कूलों में दसवीं व बारहवीं के करीब 44 लाख विद्यार्थियों के लिए परीक्षाओं को आयोजित करेगा। इन परीक्षाओं के आयोजन के लिए लगभग 8000 स्कूलों को परीक्षा केंद्र बनाया जाएगा।


    ऐसे में बोर्ड ने फैसला किया है कि परीक्षा केंद्र बनाए जाने वाले स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे की सुविधा होनी चाहिए। यदि किसी स्कूल में सीसीटीवी की सुविधा नहीं है, तो उस स्कूल को परीक्षा केंद्र नहीं बनाया जाएगा। सीसीटीवी कैमरे की रिकॉर्डिंग को भी सुरक्षित रखने के निर्देश दिए हैं।


    बोर्ड के परीक्षा नियंत्रक डॉ. संयम भारद्वाज की ओर से इस संबंध में स्कूलों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। डॉ. भारद्वाज के अनुसार परीक्षाएं सुचारू और निष्पक्ष रूप से आयोजित की जाएं, इसके लिए सोचीएसई द्वारा सीसीटीवी नीति विकसित की गई है। उन्होंने सभी स्कूलों को निर्देश दिया है कि ये नीति के अनुसार अपने स्कूलों में सीसीटीवी लगवाना सुनिश्चित करें। इस नीति का मुख्य उद्‌देश्य बोर्ड परीक्षाओं के दौरान अनुचित व्यवहार (नकल के मामलों) का पता लगाकर उनका समाधान करना है।


    स्कूलों को निर्देश दिया गया है कि कैमरे इस तरह से लगाने चाहिए जिससे कि परीक्षा केंद्र के प्रवेश, निकास द्वार और परीक्षा डेस्क सहित सभी क्षेत्र अच्छे से दिखाई दें। सीसीटीवी कैमरों के संबंध में छात्रों और शिक्षकों को पहले से बताया जाएगा और इसकी जानकारी केंद्र पर नोटिस के रूप में भी लगाई जाएगी।

    माध्यमिक के शिक्षक/ शिक्षणेत्तर कर्मियों को नोशनल इंक्रीमेंट जुड़ते हुए पेंशन और ग्रैच्युटी का लाभ दिए जाने का आदेश जारी

    यूपी के डेढ़ लाख सेवानिवृत्त शिक्षकों और कर्मियों को वेतनवृद्धि का लाभ

    पहली जुलाई से मूल वेतन के तीन प्रतिशत की वृद्धि, शिक्षा विभाग ने जारी किया आदेशपारिवारिक पेंशनरों को भी इसका लाभ मिलेगा।


    लखनऊ। वर्ष 2006 से 2014 के बीच 30 जून को रिटायर हुए प्रदेश के डेढ़ लाख से अधिक शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मियों को नोशनल वेतन वृद्धि का लाभ मिलेगा। इसके तहत संबंधित अवधि (नौ वर्षों) के दौरान 30 जून को रिटायर हुए शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मियों को पहली जुलाई से उनके मूल वेतन का तीन प्रतिशत वेतन वृद्धि का लाभ मिलेगा। इससे प्रतिमाह डेढ़ से चार हजार रूपये तक इनके पेंशन बढ़ जायेंगे। पारिवारिक पेंशनरों को भी इसका लाभ मिलेगा।

    इस संबंध में शासन के आदेश पर शिक्षा विभाग ने आदेश जारी कर दिया है। इस आदेश का वास्तविक लाभ 12 जून 2024 से मिलेगा और इससे जुड़े किसी भी प्रकार के एरियर का कोई भुगतान नहीं होगा। आदेश के अनुसार यह नई व्यवस्था पहली जनवरी 2006 से प्रभावी छठा वेतन आयोग के अनुक्रम में लागू की गई है। आयोग की संस्तुति थी कि वार्षिक वेतन वृद्धि पहली जुलाई से दी जायेगी। ऐसे में शिक्षक हों या शिक्षणेत्तर कर्मचारी दोनो को ही इसका लाभ मिलेगा बस शर्त यह है कि 30 जून से अगले 30 जून के मध्य न्यूनतम छह माह (180 दिन) काम किया हो।

    कोर्ट का था निर्देश
    रिटायर शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मियों को एक नोशनल वेतनवृद्धि जोड़ते हुए पेंशन एवं ग्रेच्युटी का लाभ दिए जाने का आदेश बीते 23 अप्रैल को इलाहाबाद उच्चन्यायालय की लखनऊ पीठ ने जारी की थी। इसी परिप्रेक्ष्य में पहले शासन फिर शिक्षा विभाग ने आदेश जारी किया है।

    पूर्व में 30 जून को ही रिटायर होते थे शिक्षक
    पूर्व में पहली जुलाई से 30 जून तक शैक्षिक सत्र होता था लिहाजा शिक्षकों को पूरे सत्र का लाभ मिलता था और वे 30 जून को ही रिटायर होते थे। यह व्यवस्था वर्ष 2014 तक चली। 31 मार्च 2015 से शैक्षिक सत्र पहली अप्रैल से प्रारम्भ होने लगा। एक जनवरी 2016 से सातवां वेतन आयोग की संस्तुतियां लागू हुई उसमें शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के लिए पहली जुलाई और पहली जनवरी को वर्ष में दो बार वेतन वृद्धि की व्यवस्था लागू हो गई।

    संगठनों ने किया स्वागत
    उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ ने इस आदेश का स्वागत किया है। संगठन के वरिष्ठ शिक्षक नेता ओम प्रकाश त्रिपाठी का कहना है कि उनका संगठन लम्बे समय से इसकी मांग कर रहा था। अब सरकार ने उसे पूरा किया है।

    ग्रेच्यूटी पर भी लाभ
    33 साल की सेवा पर साढ़े सोलह महीने का मूल वेतन तथा महंगाई भत्ते की राशि को जोड़कर जो धनराशि होती है वह ग्रेच्यूटी की राशि होती है। ऐसे में साढ़े सोलह माह के एक वेतन वृद्धि के आधार पर ग्रेच्यूटी की राशि भी बढ़ जायेगी जिसका लाभ पेंशनरों को अलग से मिलेगा। शिक्षक 60 वर्ष पर रिटायर होते हैं उन्हें ही ग्रेच्यूटी लाभ मिलता है लिहाजा वेतन वृद्धि व ग्रेच्यूटी की राशि में वृद्धि का लाभ भी 60 वर्ष पर सेवानिवृत होने वाले शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मियों को मिलेगा।



    माध्यमिक के शिक्षक/ शिक्षणेत्तर कर्मियों को नोशनल इंक्रीमेंट जुड़ते हुए पेंशन और ग्रैच्युटी का लाभ दिए जाने का आदेश जारी

    Saturday, September 28, 2024

    यूपी बोर्ड : प्रबंधकों के सगे संबंधियों के विद्यालय नहीं बनेंगे परीक्षा केंद्र

    यूपी बोर्ड : प्रबंधकों के सगे संबंधियों के विद्यालय नहीं बनेंगे परीक्षा केंद्र

    ऐसे विद्यालयों में नकल कराने की आती थी शिकायतें, नकल विहीन परीक्षा के लिए कर रहे उपाय


    प्रयागराज। यूपी बोर्ड को हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा कराने के लिए केंद्र बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। विद्यालयों से आवेदन ले लिए गए हैं। इस बार प्रबंधकों के सगे संबंधियों के विद्यालय परीक्षा केंद्र नहीं बनेंगे।

    पिछले दिनों यूपी बोर्ड ने केंद्र बनाने की गाइड लाइन जारी की थी। नकलविहीन परीक्षा कराने के लिए केंद्र बनाने के साथ ही उसके उपाय शुरू हो गए हैं। कई निजी विद्यालयों के प्रबंधकों पर नकल कराने के आरोप लगते रहे हैं। प्रदेश में कई ऐसे वित्तविहीन विद्यालय हैं, जिनके प्रबंधक एक ही परिवार या उनके रिश्तेदारों के हैं। परीक्षा के दौरान वह विद्यालय केंद्र बनते हैं, फिर इन स्कूलों के विद्यार्थियों का केंद्र इन्हीं प्रबंधकीय वाले विद्यालयों में बन जाता है। ऐसे विद्यालयों में अक्सर नकल की शिकायत आती है लेकिन बोर्ड उनको केंद्र बनाने से नहीं रोक पा रहा था।

    बोर्ड का नियम है कि एक ही प्रबंधक वाले दो विद्यालय आपस में केंद्र नहीं बनाए जाएंगे। लेकिन प्रबंधक बदले होने पर वह केंद्र बन जाते थे। ऐसे में इस बार एक ही परिवार के प्रबंधन वाले विद्यालयों की भी सूची बनाई जाएगी। विभागीय अधिकारियों और एलआईयू से भी इसकी रिपोर्ट ली जाएगी। अमूमन केंद्र के कुछ लोगों की मिलीभगत से नकल होती है। इस बार ऐसे संदिग्धों को चिहिनत किया जाएगा। यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने बताया कि परीक्षा केंद्र बनाने में हर स्तर पर सतर्कता बरती जाएगी।

    उन्होंने बताया कि विद्यालयों में जितने बच्चे पढ़ते हैं, उससे ज्यादा की परीक्षा कराने के लिए प्रधानाचार्य मांग करते हैं, अब ऐसा नहीं होगा। जिस विद्यालय में जितने बच्चे होंगे, उससे ज्यादा का केंद्र नहीं बनाया जाएगा। सड़क के दो तरफ निर्मित विद्यालयों को भी केंद्र नहीं बनाया जाएगा।



    यूपी बोर्ड : प्रबंधकीय विवाद वाले विद्यालय नहीं बनेंगे परीक्षा केंद्र, 25 सितंबर से शुरू होगी केंद्र निर्धारण की प्रक्रिया

    अधिकतम 2000 विद्यार्थियों का बनाया जाएगा केंद्र

    प्रयागराज। यूपी बोर्ड हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा के लिए केंद्र निर्धारण की प्रक्रिया 25 सितंबर से शुरू हो जाएगी। नकल विहीन परीक्षा कराने के लिए केंद्र निर्धारण में काफी सतर्कता बरती जाएगी। यूपी बोर्ड ने केंद्र निर्धारण की नियमावली जारी कर दी है।

    इस वार प्रबंधकीय विवाद वाले विद्यालयों को केंद्र नहीं बनाया जाएगा। इसके अलावा विद्यालयों के मध्य परीक्षार्थियों का पारस्परिक आवंटन नहीं किया जाएगा।

    केंद्र निर्धारण की प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। इसके लिए कमेटी बना दी गई है। प्रत्येक केंद्र पर कम से 250 और अधिकतम 2000 परीक्षार्थी आवंटित किए जाएंगे। केंद्र बनाते समय यह देखा जाएगा कि एक परीक्षार्थी के लिए 20 वर्गफीट क्षेत्रफल होना चाहिए। इसी मानक के अनुसार परीक्षार्थियों का आवंटन किया जाएगा। पिछले वर्ष अधिकतम 1500 परीक्षार्थियों पर केंद्र बनाए गए थे। इस बार परीक्षार्थी की संख्या बढ़ाई गई, इससे केंद्रों की संख्या कम हो सकती है।

    नकल रोकने के उपाय के क्रम में विवादित एडेड विद्यालयों को केंद्र नहीं बनाया जाएगा। प्रदेश में 4512 एडेड विद्यालय हैं। इसमें से करीब पांच सौ के विवाद कोर्ट तक पहुंच चुके हैं। इसके अलावा हर जिले में पांच से दस विद्यालयों के प्रबंधक और प्रधानाचार्य के विवाद डीआईओएस स्तर पर लंबित हैं। 

    बोर्ड के सचिव भगवती सिंह ने बताया कि एक ही प्रबंधक वाले विद्यालय के छात्र-छात्राओं का केंद्र उसके अधीन संचालित दूसरे विद्यालय में नहीं बनाया जाएगा। बालिका विद्यालयों में बालकों का सेंटर नहीं बनाया जाएगा। बालकों का केंद्र 12 किमी तक बनाया जाएगा। विषय परिस्थितियों में इसकी दूरी 15 किमी तक हो सकती है। बालिकाओं का केंद्र अधिकतम सात किमी किमी दूर बनाया जाएगा।


    प्रश्न पत्रों की सुरक्षा के रहेंगे कड़े इंतजाम
    केंद्र निर्धारण के समय ही प्रश्न पत्रों की सुरक्षा के इंतजाम कर दिए जाएंगे। विद्यालय के प्रवेश द्वार, प्रत्येक कक्ष, प्रश्नों और उत्तर पुस्तिकाओं को रखने वाले कमरे में वायर रिकॉर्डिंग वाला सीसीटीवी अनिवार्य है। प्रधानाचार्य कक्ष से अलग वायस रिकॉर्डिंग, नाइट विजन युक्त सीसीटीवी वाला सुरक्षित स्ट्रांग रूम होना चाहिए। प्रत्येक विद्यालय से हाईस्पीड इंटरनेट कनेक्टीविटी भी जरूरी है। सीसीटीवी के डीवीआर में रिकार्डिंग क्षमता 30 दिनों की होनी चाहिए।




    यूपी बोर्ड | हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की केंद्र निर्धारण नीति में अहम बदलाव, एक केंद्र पर अधिकतम दो हजार छात्र देंगे परीक्षा

     पिछले साल 1500 परीक्षार्थियों के आवंटन का था नियम

    किमी परिधि में 12 आने वाले विद्यालयों में केंद्र निर्धारित होगा प्रतिशत से अधिक दिव्यांगता वालों का भी सात किमी में केंद्र होगा 


    प्रयागराज। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा 2025 में एक केंद्र पर अधिकतम दो हजार छात्र-छात्राएं परीक्षा देंगे। पिछले साल अधिकतम 1200 छात्रसंख्या आवंटित करने का नियम था। लेकिन, अधिक धारण क्षमता वाले राजकीय और सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में इससे छूट देते हुए अधिकतम 1500 छात्र- छात्राओं का परीक्षा केंद्र बनाने का प्रावधान किया गया था।


    बोर्ड के सचिव भगवती सिंह की ओर से जिला विद्यालय निरीक्षकों को भेजी गई केंद्र निर्धारण नीति में अधिक धारण क्षमता वाले राजकीय, सहायता प्राप्त और वित्तविहीन स्कूलों में अधिकतम 2000 छात्र- छात्राओं का केंद्र बनाने का प्रावधान किया गया है। माना जा रहा है कि इससे परीक्षा केंद्रों की संख्या में कमी आएगी और बोर्ड परीक्षा की निगरानी में सहूलियत भी होगी। परीक्षा केंद्रों पर न्यूनतम छात्रसंख्या पिछले साल की तरह 250 ही है।


    शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र की बालिकाएं, जिन्हें स्वकेंद्र की सुविधा नहीं है, उन्हें अधिकतम सात किलोमीटर की दूरी में परीक्षा केंद्र आवंटित किया जाएगा। 40 प्रतिशत से अधिक दिव्यांगता वाले परीक्षार्थियों को भी अधिकतम सात किलोमीटर दूरी में परीक्षा केंद्र आवंटित किया जाएगा। छात्रों का परीक्षा केंद्र 12 किलोमीटर की परिधि में आने वाले विद्यालयों में निर्धारित किया जाएगा। विषम भौगोलिक परिस्थिति एवं विद्यालय की अनुपलब्धता के दृष्टिगत हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट के परीक्षार्थियों को निकटस्थ 15 किलोमीटर की परिधि में परीक्षा केंद्र आवंटित किया जा सकता है।


    राजकीय-एडेड कॉलेजों की अर्हता प्रमाणित कराएंगे

    माध्यमिक शिक्षा परिषद वर्ष 2025 की बोर्ड परीक्षा के लिए राजकीय और सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों की अर्हता भी प्रमाणित कराई जाएगी। वर्ष 2024 की परीक्षाओं के लिए सॉफ्टवेयर से निर्धारित ऐसे राजकीय एवं अशासकीय सहायता प्राप्त परीक्षा केंद्र, जिन्हें जनपद स्तरीय केंद्र निर्धारण समिति ने परीक्षा केंद्र सूची से निरस्त किया है एवं इस वर्ष अनर्हता सूची में सम्मिलित (राजकीय एवं अशासकीय सहायता प्राप्त) परीक्षा ऑनलाइन भेजकर उनकी अर्हता केंद्रों की अलग-अलग सूची डीआईओएस को को प्रमाणित कराया जाएगा।

    अब तीन श्रेणी में ही होंगे संस्कृत विद्यालय, अनुदानित संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों व महाविद्यालयों के शिक्षकों को बड़ी राहत

    अब तीन श्रेणी में ही होंगे संस्कृत विद्यालय, अनुदानित संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों व महाविद्यालयों के शिक्षकों को बड़ी राहत


    लखनऊ। शासन ने प्रदेश के 500 अनुदानित संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों व महाविद्यालयों के शिक्षकों को बड़ी राहत दी है। एक तरफ जहां संस्कृत विद्यालयों की तीन श्रेणी करने का निर्णय किया है, वहीं छात्र संख्या के आधार पर दी जा रही वेतन विसंगति को भी दूर करते हुए, सभी को निर्धारित वेतनमान देने की स्वीकृति दी है। 


    अब विद्यालयों की तीन श्रेणियां संस्कृत प्राथमिक विद्यालय, संस्कृत माध्यमिक विद्यालय व संस्कृत महाविद्यालय ही होगी। वहीं 1974 के वर्गीकरण को समाप्त करते हुए 2010 के वर्गीकरण के अनुसार ही सभी को निर्धारित वेतन दिए जाने का भी निर्णय लिया है। 

    डीजीएसई कार्यालय की सुस्ती से मृतक आश्रित कर्मियों की समस्याओं का समाधान लंबित, शासन ने तीसरी बार भेजा अनुस्मारक

    डीजीएसई कार्यालय की सुस्ती से मृतक आश्रित कर्मियों की समस्याओं का समाधान लंबित, शासन ने तीसरी बार भेजा अनुस्मारक


    लखनऊ, 28 सितंबर 2024
    उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग में मृतक आश्रित के रूप में नियुक्त चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की समस्याओं के निराकरण को लेकर शासन द्वारा लगातार निर्देश जारी किए जा रहे हैं, परंतु समस्याओं का समाधान अभी भी लंबित है। इस संदर्भ में शासन ने तीसरी बार अनुस्मारक भेजते हुए संबंधित जानकारी और प्रस्ताव त्वरित रूप से मांगा है।

    शासन के पत्र क्रमांक 1/448504/2023 और 1/499049/2024, दिनांक 14 दिसंबर 2023 और 19 फरवरी 2024, के अंतर्गत संबंधित अधिकारियों से एक सप्ताह के भीतर आख्या उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए थे। इसके बावजूद, अब तक यह सूचना शासन तक नहीं पहुंच पाई है। 

    उल्लेखनीय है कि मृतक आश्रित चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की मांगों और समस्याओं के समाधान हेतु प्रमुख सचिव, बेसिक शिक्षा विभाग की अध्यक्षता में 16 जुलाई 2024 को एक बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक के कार्यवृत्त के अनुसार, समस्याओं का त्वरित निराकरण करने के निर्देश दिए गए थे। इसके बावजूद, शासन को संबंधित आख्या अभी तक प्राप्त नहीं हुई है।

    शासन ने अब इस प्रकरण पर गंभीरता दिखाते हुए 27 सितंबर 2024 को तीसरी बार अनुस्मारक जारी किया है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि सभी संबंधित अधिकारियों को 02 कार्यदिवस के भीतर आख्या और प्रस्ताव शासन को प्रस्तुत करने होंगे। 

    सूत्रों के अनुसार, इस मुद्दे के लंबित होने के कारण कई चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है, जिससे कर्मियों में असंतोष व्याप्त है। 

    अब देखना होगा कि इस बार शासन के सख्त रुख के बाद क्या बेसिक शिक्षा विभाग त्वरित कार्रवाई कर इन कर्मियों की समस्याओं का समाधान करता है या यह मुद्दा और लंबित रहेगा। 


    Friday, September 27, 2024

    माध्यमिक में इंचार्ज को नियमित प्रधानाध्यापक जैसा वेतन दिए जाने की आहट, हाईकोर्ट ने दो माह में भुगतान का निर्देश दिया था

    माध्यमिक में इंचार्ज को नियमित प्रधानाध्यापक जैसा वेतन दिए जाने की आहटहाईकोर्ट ने दो माह में भुगतान का निर्देश दिया था

    1320 प्रभारी प्रधानाध्यापकों को न्याय की उम्मीद


    लखनऊ । प्रभारी प्रधानाध्यापकों को जल्द ही नियमित प्रधानाध्यापक के बराबर वेतन मिलेगा। के बीते मई में हाईकोर्ट के निर्देश को मानने के लिए सरकार सैद्धांतिक रूप से सहमत हो गई है।

    कोर्ट ने समान कार्य के लिए समान वेतन देने के निर्देश दिए हैं। इसी परिप्रेक्ष्य में शासन ने माध्यमिक शिक्षा विभाग से प्रस्ताव भी मांगा है। इससे विगत दो वर्षों से सरकारी और सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों में कार्य कर रहे करीब 1320 प्रभारी प्रधानाध्यापकों को न्याय की उम्मीद बढ़ गई है। 


    अब तक माध्यमिक शिक्षा आयोग द्वारा चयनित प्रधानाचार्यों को ही उनके पद के लिए अनुमन्य वेतन दिया जा रहा है, जबकि वर्ष 2011 के बाद से आयोग की ओर से इस पद कोई नियुक्ति नहीं किए जाने कारण सेवानिवृत होने वाले प्रधानाध्यापकों की जगह पर विद्यालयों में वरिष्ठतम शिक्षक को प्रभारी प्रधानाचार्य बनाए जाने का सिलसिला जारी है। 


    नतीजा बिना पद के समान वेतन के उनके मूल पद का वेतन देकर कार्य कराये जाने को शिक्षक संगठनों की ओर से भी लगातार अन्याय पूर्ण बताया जा रहा है। साथ ही समान कार्य के लिए समान वेतन के सामान्य सिद्धांत के अधिकारों के भी खुले उल्लंघन की संज्ञा दी जा रही थी। संगठनों की ओर से विभागीय अधिकारियों के समक्ष भी कई बार मसला उठाते हुए कहा गया कि विद्यालयों में प्रभारी प्रधानाचार्यों से वे समस्त कार्य समान रूप से लिए जा रहे हैं जो नियमित प्रधानाध्यापक से लिए जाते हैं। इस प्रकार विभाग प्रवक्ता पद के वेतन से प्रिंसिपल पद का कार्य ले रहा है जो नैसर्गिक न्याय के विपरीत है।


    04 माह पूर्व हाईकोर्ट के निर्देश पर अमल करेगी सरकार

    कुछ प्रभारी प्रधानाध्यापक इस मामले को लेकर कोर्ट चले गये। चार माह पूर्व इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस प्रकाश माड़िया ने सौरभ पांडेय एवं 35 अन्य के मामले में आदेश पारित करते हुए सरकार को कहा कि दो माह में एरियर सहित नियमित प्रधानाध्यापक के पद का वेतन नियमानुसार भुगतान करें। कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हुए शासन ने अब विभाग से प्रस्ताव मांगा है। इस संबंध में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (पांडेय गुट) के वरिष्ठ शिक्षक नेता ओम प्रकाश त्रिपाठी ने इस प्रकारण में शीघ्र कदम उठाने की मांग की है।

    'जलवायु परिवर्तन' के दुष्प्रभावों के प्रति प्रदेश के उच्च प्राथमिक/कंपोजिट विद्यालय तथा कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों के विद्यार्थी किए जाएंगे जागरूक

    'जलवायु परिवर्तन' के दुष्प्रभावों के प्रति प्रदेश के उच्च प्राथमिक/कंपोजिट विद्यालय तथा कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों के विद्यार्थी किए जाएंगे जागरूक
     
    जलवायु परिवर्तन, पोषण, स्वास्थ्य, जीवन कौशल और सशक्तिकरण जैसे पहलुओं से होंगे रूबरू


    लखनऊ, 26 सितम्बर। वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन एक गंभीर और अत्यधिक संवेदनशील मुद्दा बन गया है, जिससे दुनिया भर के देश प्रभावित हो रहे हैं। इसके बढ़ते प्रभावों और भविष्य में होने वाले खतरों से निपटने के लिए कई देश और राज्य अपने-अपने स्तर पर ठोस कदम उठा रहे हैं। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने एक नई पहल शुरू की है, जो कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय (केजीबीवी) की छात्राओं को न सिर्फ जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूक करेगी बल्कि सुझाये गये उपायों को उनके व्यवहार में भी शामिल करने प्रेरित भी करेगी। 


    28 सितम्बर 2024 से 15 फरवरी 2025 तक चलने वाले इस विशेष कार्यक्रम का उद्देश्य छात्राओं को जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों और उसके समाधान के बारे में जागरूक करना है। इस कार्यक्रम में विशेषज्ञों और छात्राओं के बीच सीधा संवाद स्थापित कराया जाएगा, ताकि बालिकाएं न केवल इस समस्या को समझें, बल्कि इसके समाधान के लिए अपने दैनिक जीवन में भी सकारात्मक बदलाव ला सकें।


    विभिन्न सत्रों में मिलेगा मार्गदर्शन
     इस पहल के अंतर्गत, यूनिसेफ के सहयोग से मीना मंच और केजीबीवी की छात्राओं व सुगमकर्ताओं के साथ जागरूकता सत्रों की एक श्रृंखला आयोजित की जाएगी, जो मीना मंच की गतिविधियों के साथ संयोजित रहेंगे। इन सत्रों का आयोजन ऑनलाइन माध्यम से होगा। कार्यक्रम के विशेषज्ञों में से एक डॉ. अनीता भटनागर जैन (सेवानिवृत्त आईएएस) इन सत्रों के दौरान बालिकाओं के साथ सीधा संवाद करेंगी।


     सत्र के दौरान छात्राओं को विभिन्न टास्क दिए जाएंगे, जिनका संकलन गूगल फॉर्म के माध्यम से किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य बालिकाओं में जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ उन्हें व्यवहारिक रूप से सक्षम बनाना है, ताकि वे जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों का सामना कर सकें और अपने जीवन कौशल को सशक्त कर सकें।


    व्यवहार में सतत विकास की भावना विकसित करने का है प्रयास
     छात्राओं को विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन से बचने के उपायों को आत्मसात करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। यह पहल आने वाली पीढ़ियों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने और उनके व्यवहार में सतत विकास की भावना विकसित करने के प्रयासों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।


    जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मिलेगी मदद
     योगी सरकार का यह कदम न केवल छात्राओं में बल्कि समाज के व्यापक वर्गों में भी जागरूकता फैलाने में सहायक साबित हो सकता है, जिससे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद मिलेगी।                                         

    अब करियर काउंसिलिंग में छात्रों के साथ मौजूद रहेंगे अभिभावक, सभी राजकीय माध्यमिक स्कूलों में की जा रही है शुरुआत

    अब करियर काउंसिलिंग में छात्रों के साथ मौजूद रहेंगे अभिभावक, सभी राजकीय माध्यमिक स्कूलों में की जा रही है शुरुआत

    • छह विशेष पीटीएम आयोजित कर दी जाएगी जानकारी

    लखनऊ : राजकीय माध्यमिक स्कूलों में अब करियर काउंसिलिंग में छात्रों के साथ उनके अभिभावकों को भी बुलाया जाएगा। छात्र की क्षमता और उसकी रुचि के अनुसार किस क्षेत्र में करियर बनाना उसके लिए उचित रहेगा इसकी जानकारी अभिभावकों को दी जाएगी। इसके लिए विद्यालयों में वर्ष भर में छह विशेष अभिभावक- शिक्षक बैठक (पीटीएम) आयोजित की जाएंगी। 


    अभिभावक अपने बच्चों पर मन-मर्जी न थोपें इसलिए भी यह पहल की जा रही है। राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा (माध्यमिक) कंचन वर्मा की ओर से इसके लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। सभी 2,302 राजकीय माध्यमिक स्कूलों में पंख कार्यक्रम के तहत यह विशेष पीटीएम प्रत्येक महीने के द्वितीय शनिवार को आयोजित होगी। अगर उस दिन अवकाश है तो चौथे शनिवार को इसे आयोजित किया जाएगा।


     प्रत्येक विद्यालय को इसके लिए छह हजार रुपये की धनराशि भी दी गई है। इसके अलावा स्कूलों में करियर हब भी बनाए जाएंगे। करियर मेला भी आयोजित किया जाएगा। करियर हब के लिए प्रत्येक स्कूल को नौ हजार रुपये दिए गए हैं। सभी स्कूलों में करियर हब के लिए एक विशेष कक्ष तैयार किया जाएगा। इस कक्ष में प्रोजेक्टर, कंप्यूटर, लैपटाप व स्मार्ट मोबाइल फोन के माध्यम से विद्यार्थियों को करियर काउंसलर के वीडियो दिखाए जाएंगे। 


    विज्ञान, गणित, मानविकी, वाणिज्य व कला इत्यादि वर्गों में आगे करियर संवारने के लिए कौन-कौन से अवसर हैं, इसके लिए अलग से चार्ट लगाकर प्रदर्शित किया जाएगा। विद्यालयों में करियर क्लब का भी गठन किया जाएगा। इसमें नोडल शिक्षक के साथ-साथ कक्षा नौ व 11 में सर्वोच्च स्थान लाने वाले विद्यार्थी के अभिभावक शामिल होंगे। कक्षा नौ से 12 तक के चार छात्र जो करियर काउंसिलिंग में रुचि रखते हैं उन्हें शामिल किया जाएगा। 


    स्कूलों में करियर मेला भी लगाया जाएगा। प्रत्येक विद्यालय को इसके लिए पांच हजार रुपये की धनराशि दी गई है। इसमें करियर से संबंधित जानकारी विशेषज्ञ देंगे। डाक्टर, इंजीनियर, आइएएस व पीसीएस अधिकारियों को भी आमंत्रित कर छात्रों को करियर बनाने की टिप्स दी जाएगी। यूनिसेफ की मदद से माध्यमिक शिक्षा विभाग ने पंख कार्यक्रम शुरू किया है।

    शिक्षामित्रों को जल्द मिलेगा मूल विद्यालय में वापसी का विकल्प, प्रमुख सचिव ने शिक्षामित्र संघ के पदाधिकारियों को दिया आश्वासन

    शिक्षामित्रों को जल्द मिलेगा मूल विद्यालय में वापसी का विकल्प, प्रमुख सचिव ने शिक्षामित्र संघ के पदाधिकारियों को दिया आश्वासन


    लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों में तैनात शिक्षामित्रों को जल्द मूल विद्यालय में वापसी का विकल्प मिलेगा। यह आश्वासन प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा डॉ. एमकेएस सुंदरम ने प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के पदाधिकारियों को दिया है। उन्होंने बताया कि इसकी प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी।


    प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा से बृहस्पतिवार को संघ पदाधिकारियों ने विधानसभा स्थित कार्यालय में मुलाकात की। उनका नेतृत्व कर रहे शिक्षक एमएलसी श्रीचंद शर्मा ने बताया कि शिक्षामित्रों को घर से काफी दूर जाना पड़ता है। उन्हें मानदेय भी कम मिलता है। ऐसे में शिक्षामित्रों को मूल विद्यालय वापस जाने और महिला शिक्षामित्रों को ससुराल के पास के विद्यालय आवंटित किया जाए। 

    इस पर प्रमुख सचिव ने सकारात्मक कार्रवाई का आश्वासन दिया। इसी तरह शिक्षामित्रों के मानदेय में वृद्धि व चिकित्सा सुविधा देने के मुद्दे पर प्रमुख सचिव ने शासन स्तर पर वार्ता कर जल्द सकारात्मक कार्रवाई का आश्वासन दिया।

    इस दौरान उप्र. प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष शिवकुमार शुक्ला, प्रदेश महामंत्री सुशील कुमार, प्रदेश मंत्री अरविंद वर्मा, कोषाध्यक्ष रमेश मिश्रा उपस्थित थे। 

    पुरानी पेंशन के लिए सड़क पर उतरे देश भर में शिक्षक-कर्मचारी, NPS-UPS को बताया धोखा, आक्रोश मार्च में दिखी संगठनों की एकजुटता

    पुरानी पेंशन के लिए सड़क पर उतरे देश भर में शिक्षक-कर्मचारी, NPS-UPS को बताया कर्मचारियों के साथ धोखा, आक्रोश मार्च में दिखी संगठनों की एकजुटता 


    लखनऊ। नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) के आह्वान पर बृहस्पतिवार को शिक्षकों और कर्मचारियों ने देशभर में आक्रोश मार्च निकालकर अपना विरोध दर्ज कराया।


    संगठनों एनपीएस-यूपीएस वापस लेने और पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग की। मार्च में रेलवे, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सिंचाई, पीडब्ल्यूडी और नगर निगम समेत कई विभागों के कर्मचारी शामिल हुए। जिला मुख्यालयों पर हुए प्रदर्शन में कर्मचारियों व शिक्षकों ने एनपीएस और यूपीएस को धोखा बताते हुए जमकर नारेबाजी की। मार्च में महिला कर्मचारी अपने परिवार के साथ शामिल हुई।


    लखनऊ में एनएमओपीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु के नेतृत्व में हजरतगंज स्थित बीएन सिंह की प्रतिमा से शहीद स्मारक तक आक्रोश मार्च निकाला गया। इसमें प्रदेश के विभिन्न संगठनों के नेता, शिक्षक और कर्मचारियों ने भाग लिया। विजय ने कहा कि सरकार ने एनपीएस लाकर कर्मचारियों-शिक्षकों को धोखा किया है। यूपीएस तो कर्मचारियों के साथ महाधोखा है। इसलिए सरकार पुरानी पेंशन बहाल करे।

    69000 शिक्षक भर्ती की सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई अब 15 अक्तूबर को

    69000 शिक्षक भर्ती की सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई अब 15 अक्तूबर को

    27 सितम्बर 2024
    69000 शिक्षक भर्ती की सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई अब 15 अक्तूबर को होगी। पिछली तिथि 23 सितंबर को इस मामले की सुनवाई नहीं हो सकी थी। ऐसे में अभ्यर्थियों का इंतजार अब लंबा होता जा रहा है। 69000 शिक्षक भर्ती में चल रहे मामले में पिछले दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने पुरानी सभी सूची रद्द करते हुए नए सिरे से आरक्षण के नियमों के अनुसार सूची बनाने के निर्देश दिए थे। इसके तुरंत बाद लगभग चार साल से इस भर्ती में आरक्षण में गड़बड़ी का आरोप लगा रहे आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने इस आदेश को तुरंत लागू कराने के लिए धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया था।

    इस बीच चयनित अभ्यर्थी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट चले गए। जहां मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले में एक सुनवाई कर चुकी है। इसके बाद सभी पक्षों को लिखित सूचना देने के साथ ही 23 सितंबर को सुनवाई होनी थी किंतु नहीं हो सकी। अब दशहरे के बाद 15 अक्तूबर को इस मामले की सुनवाई होनी है। आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी इससे निराश हैं।

    इनका नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने बताया कि इससे जुड़ी एक नई रिट पर सुनवाई प्रस्तावित है। हम प्रयास करेंगे कि इसमें वरिष्ठ अधिवक्ताओं के माध्यम से अपनी रिट पर भी सुनवाई की अपील करेंगे। क्योंकि हम पहले से ही चार साल से इंतजार कर रहे हैं। यह मामला और खिंचता जा रहा है। प्रदेश सरकार जल्द से जल्द हमें नियुक्ति देकर इस मामले का पटाक्षेप करे।



    सुप्रीम कोर्ट में नहीं हो सकी 69000 शिक्षक भर्ती मामले की सुनवाई, जानिए क्यों? 

    24 सितम्बर 2024
    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती के मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी। इससे दोनों पक्ष के अभ्यर्थियों को निराशा हुई। अब दोनों पक्षों की निगाह अगली तिथि पर टिकी है। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने 13 अगस्त को पूर्व की चयन सूची रद्द करते हुए तीन महीने में नई चयन सूची आरक्षण के नियमों - के तहत तैयार करने का निर्देश दिया था। इसे लेकर चयनित अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट गए थे। इस मामले में 9 सितंबर को - सुनवाई हुई थी और 23 सितंबर को फिर सुनवाई होनी थी। 

    अभ्यर्थियों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा के न बैठने से सुनवाई नहीं हो सकी है। सुप्रीम कोर्ट में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की पैरवी कर रहे विजय यादव व  अमरेंद्र पटेल ने बताया कि सुनवाई न होने से निराश हैं। क्योंकि 4 वर्षों से हम न्याय की गुहार लगा रहे हैं। उन्होंने मांग की कि सरकार इस मामले में सॉलिसिटर जनरल को भेजकर सुप्रीम कोर्ट से इस मामले की जल्द सुनवाई करने व मामले के निस्तारण की अपील करे। ताकि अभ्यर्थियों का भविष्य सुरक्षित किया जा सके। 



    69000 शिक्षक भर्ती मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आजइलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच के फैसले पर होनी है सुनवाई

    23 सितम्बर 2024
    लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच के 69000 शिक्षक भर्ती को लेकर दिए गए निर्णय को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार 23 सितंबर को फिर सुनवाई होगी। 9 सितंबर को मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में हाईकोर्ट के आदेश पर फिलहाल रोक लगाई थी। साथ ही सभी पक्ष को नोटिस जारी करते हुए अपना पक्ष रखने को कहा था।

    69000 शिक्षक भर्ती को लेकर काफी समय से युवा आंदोलन कर रहे हैं। साथ ही कोर्ट में भी इसकी लड़ाई लड़ रहे हैं। इसी क्रम में इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने इस मामले में पुरानी सभी सूची निरस्त करते हुए आरक्षण के नियमों के अनुसार नई सूची बनाने का निर्देश दिया था। इसके बाद आरक्षित और चयनित दोनों अभ्यर्थियों ने धरना, प्रदर्शन किया था।

    वहीं चयनित अभ्यर्थी इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट गए थे। दूसरी तरफ आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने भी इस मामले में कैविएट दाखिल किया था। इसी पर 9 सितंबर को सुनवाई हुई थी। साथ ही अगली तिथि 23 सितंबर तय की गई थी। वहीं दोनों वर्ग के अभ्यर्थी भी सुनवाई को लेकर तैयारी में लगे थे। अभ्यर्थियों के अनुसार सोमवार को होने वाली सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश के उपस्थित होने की कम संभावना है। 



    69000 शिक्षक भर्ती : सुप्रीम कोर्ट में मजबूत पैरवी के लिए जुटे आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी, 23 सितम्बर के बाद शुरू होगा कोर्ट में सुनवाई का दौर

    वरिष्ठ अधिवक्ताओं को केस की पैरवी में उतारने का प्रयास

    23 सितंबर को होगी इस मामले की अगली सुनवाई

    16 सितम्बर 2024
    लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती में सुनवाई की अगली तिथि 23 सितंबर लगी है। ऐसे में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी अब आंदोलन से ज्यादा सुप्रीम कोर्ट में मामले की सशक्त पैरवी की तैयारी में लग गए हैं। अभ्यर्थी अपने केस की पैरवी के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को उतारने की तैयारी में हैं। इसके लिए भी वह अभियान चला रहे है।

    इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच के आदेश के अनुपालन के लिए आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के साथ ही कई कैबिनेट मंत्रियों के आवास का घेराव कर नियुक्ति देने की मांग कर चुके हैं। इसी बीच अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए और इस पर सुनवाई के बाद 23 सितंबर तक स्टे लगा दिया गया है।

    अब इस मामले की सुनवाई की तिथि करीब आने के साथ ही आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट में मजबूत पैरवी की तैयारी में लग गए हैं। यही वजह है कि फिलहाल घेराव आदि के आंदोलन का कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है। आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने कहा कि काफी समय से चल रही लड़ाई में अब जाकर हमारे पक्ष में निर्णय आया है।

    ऐसे में इसमें किसी तरह की कमी न रह जाए इसलिए हम सुप्रीम कोर्ट में बेहतर पैरवी की तैयारी में लगे हैं। हम वरिष्ठ से वरिष्ठ वकील अपने पक्ष में पैरवी के लिए खड़ा करेंगे। इसके लिए कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं से वार्ता भी हो गई है। इसके लिए सभी आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी मिलकर अपने स्तर से तैयारी कर रहे हैं। 23 सितंबर की सुनवाई के बाद हम आगे की रणनीति तय करेंगे।